लतीफ़े क्रमांक 326 - 350

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. लतीफ़ों की बौछारें हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0326 सूक्ष्म दृष्टि! पुलिस इंस्पेक्टर: पन्नूजी! जिस मोटर ने आपको टक्कर मारी उ...

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लतीफ़ों की बौछारें

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0326
सूक्ष्म दृष्टि!

पुलिस इंस्पेक्टर: पन्नूजी! जिस मोटर ने आपको टक्कर मारी उसका रंग और नंबर क्या था?
पन्नूजी : रंग और नंबर तो मुझे याद नहीं, अलबत्ता उस गाड़ी को जो मैडम चला रही थीं, उनकी साड़ी का बॉर्डर लाल था।
कानों में मोती के झुमके थे। गले में सोने का लॉकेट और दाएँ हाथ पर जोजो वॉच बँधी थी। और हाँ श्रीमान उसकी ठोडी पर
एक नन्हा सा तिल भी था।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0327
लो बच्चू!

एक शेखीखोर अमेरिकन जब भारत आया तो यहाँ के दर्शनीय स्थल देखने पहुँचा। ताज की भव्यता देखी तो उसने गाइड से पूछा- 'इसे बनाने में कितना समय लगा था?
गाइड ने जवाब दिया- 'बीस बरस!
अमेरिकन बोला- 'बीस बरस सुस्ती के कारण लगे होंगे। हमारे यहाँ तो यह चीज चार साल में तैयार हो जाती।
जब ये लोग लाल किले पर पहुँचे तो वहाँ भी उसने यही प्रश्न पूछा। गाइड के जवाब पर उसने दंभ से कहा- 'हमारे यहाँ तो यह चीज पाँच साल में बनकर खड़ी हो जाती।

गाइड यह सुनकर चिढ रहा था। उबल रहा था। जब अमेरिकी पर्यटक के साथ अगले दिन वह कुतुब मीनार पर पहुँचा तो पर्यटक ने पूछा- 'यह इतना ऊँचा टॉवर क्या चीज है?
गाइड ने शान से सीना तानकर कहा- पता नहीं हुजूर, यह क्या है? परसों शाम जब मैं इधर से निकला था, यहाँ कुछ भी नहीं था। सपाट मैदान था यहाँ पर, आपकी कसम!

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0328
मद्य (रण)नीति!

जब पार्टी खत्म हुई तो कर्नल ने देखा, एक धुत्त सार्जेन्ट अपने कपड़ों में शराब की बोतलें छपाए जा रहा है।

कर्नल ने गुस्से से टोका- 'ए!
यह क्या कर रहे हो?
सार्जेन्ट ने विनीत भाव से कहा- 'आप ही के हुक्म की तामिल कर रहा हूँ सर। कि जिन दुश्मनों को हम मार न सकें, उन्हें कैदी बना लेना चाहिए।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0329
मिसअंडर (वियर) स्टैंडिंग!

एक बार एक चूहा दौडता हुआ नदी के किनारे गया और हाथी को नहाता देख, चिल्लाया- औ हाथी रे! बाहर आ! हाथी
हडबड़ाकर बाहर आया, तो चूहा बोला चल नहा ले, नहा ले! मेरी एक अंडरवियर खो गई है। मैंने सोचा कहीं तूने तो
नहीं पहनी।

रविन्द्र

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0330
सॉरी शनि नो मनी!

ज्योतिषी : बच्चा, शनि तेरा सर्वनाश करने वाला है। यदि तू सौ रूपए
देगा, तो उपाय निकाल दूँगा।
चंदूजी :महाराज, सौ नहीं हैं।
ज्योतिषी : तो मैं सस्ता जाप करा दूँगा,
पच्चीस रूपए ही दे दो।

चंदूजी : नहीं है, महाराज।
ज्योतिषी: अच्छा, चल घर पर चाय-नाश्ता ही करा देना।
चंदू जी : घर नहीं है महाराज। मैं तो फुटपाथ पर रहता हूँ।
ज्योतिषी : ओहो! तब तो जा बच्चा और मौज कर। शनि तेरा कुछ भी
नहीं बिगाड सकता।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0331
एक बेचैनी!

ब्रह्माजी ने ब्रह्माण्ड की रचना की। फिर आराम किया इसके बाद उन्होंने पुरुष को बनाया। फिर आराम किया। इसके बाद उन्होंने नारी की रचना की।
और बस। तबसे न ब्रह्माजी को आराम है, न पुरुष को।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0332
समय ही समय!

चंदूजी- तुम पाँच मिनट में अपने शब्द वापस ले लो। वरना...
पहलवान- और अगर पाँच मिनट में शब्द वापस ना लूँ तो....?
चंदूजी- अच्छा तो कितना समय चाहिए तुम्हें? नि:संकोच माँग लो।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0333
बाल-बाल!

नाई (हजामत बनाते हुए) -
चंदूजी! आप कितने भाई हैं?
चंदूजी- अभी तो चार समझो। मैं तुम्हारे उस्तरे से बच गया तो पाँच।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0334
बुरे से बुरा!

एक थे कंजूस सेठजी।
एक बार दिल्ली गए, तो जेब कटने के डर से डीटीसी की बस में नहीं बैठे। अभी चाँदनी चौक के नजारे देखकर खुश हो
ही रहे थे कि ड्रायवर ने घोषणा कर दी- 'सेठजी! बुरा हो गया, इस गाड़ी के ब्रेक फेल हो गए।
सुनकर सेठजी जोर से चीखे - अरे! फटाफट टैक्सी का मीटर बंद कर दो, सरदारजी! वर्ना इससे भी बुरा हो जाएगा।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0335
ठंड -अखंड!

कब्रस्तान में एक आदमी एक कब्र खोद रहा था। खोदते-खोदते शाम हो
गई और ठंड भी बढ़ गई। उस आदमी ने आवाजें दे-देकर एक राहगीर
को पास बुलाया और कहा-
'ऐ भाई! बहुत ठंड लग रही है। नुक्कड की दुकान से जरा चाय तो
भेजते जाना।

राहगीर ने कुछ और ही तुक्का जड दिया। 'भाई ठंड तो तुम्हें लगेगी ही।
भाई लोगों ने तुम्हें कब्र में तो उतार दिया, मगर तुम पर मिट्टी डालना
बिल्कुल ही भूल गए।

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हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0336
डबलडेकर अक्ल!

गंगाराम मुम्बई की सैर करके जब वापस गाँव पहुँचे तो लोगों ने घेर लिया - 'मुम्बई कैसी है? हमें उसके हाल सुनाओ!
गंगाराम हुक्का गुड़गुडाकर बोले - 'मुम्बई है तो जोरदार नगरी, पर वहाँ की सरकार बड़ी कंजूस है। पता है एक ड्रायवर की तनख्वाह बचाने के लिए बस के ऊपर, बस रखकर चलाती है। हाँ!

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0337
हाय राम!

जु के किनारे कॉलेज की दो लडकियाँ आपस में बातें कर रही थीं।
पहली ने दूसरी से पूछा, ''पता नहीं लड़के अकेले में कैसी-कैसी बातें
किया करते हैं?
दूसरी- 'इसी तरह की जैसी हम करती हैं और कैसी?
पहली-'सच ?
दूसरी-'तो और क्या ?
पहली-'हाय राम। ये लड़के कितने बेशर्म होते हैं।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0338
ना बाबा!

हमारे एक प्रोफेसर मित्र हैं जो बहुत भावुक हैं। वे हिन्दी पढ़ाते हैं और
उनकी एक खास आदत है कि वे किसी नवयुवती के नमस्कार का उत्तर
नहीं देते, चुपचाप आगे बढ़ लेते हैं। एक दिन उनके साथ जा रहा था।
रास्ते में कॉलेज की एक लड़की ने उन्हें नमस्कार किया। आदत के
मुताबिक उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया। लड़की ने आखिर साहस करके
पूछ ही लिया, ''सर आप नमस्ते का जवाब क्यों नहीं देते ? ''प्रोफेसर ने
उत्तर दिया-'' दस साल पहले एक नमस्ते का जवाब दिया था। आज
तक भुगत रहा हूँ। पाँच बच्चे हैं, रोज सुबह उठकर उन्हें नमस्कार करना
पड़ता है।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0339
जवानी जिन्दाबाद!

एक युवक को लन्दन में ऐसी चमत्कारी गोलियाँ मिलीं, जिसके सेवन से
मनुष्य की उम्र कम हो जाती थी। उसने उन गोलियों का सेवन किया और
एक शीशी भरकर अपनी माँ के पास हिन्दुस्तान भिजवा दी, इस आशा से
कि इनके सेवन से वह भी युवती दिखने लगेगी।
कुछ महीनों बाद जब वह लौटकर हिन्दुस्तान आया तो उसने अपनी माँ
को तो पहचान लिया, पर अपनी माँ की गोद में लेटे हुए बालक को न
पहचान सका। कौतूहलवश उसने माँ से पूछा, ''माँ तेरी गोद में कौन-सो
रहा है?
बेटे, ये तेरे बाप हैं-इन्होंने दस गोलियाँ खा ली थीं।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0340
राइट चॉइस आहा!

चीकूजी ने जासूस की नौकरी के लिए अर्जी दी थी। दूसरे उम्मीदवारों के साथ-साथ इन्हें भी कंपनी ने इंटरव्यू के लिए बुलाया था। वहाँ पहुँचने पर सभी उम्मीदवारों को एक-एक सीलबंद लिफाफा देकर कहा गया कि इसे चौथी मंजिल पर ले जाएँ।
सब तो चले गए। पर चीकूजी उस लिफाफे को लेकर बाथरूम में घुस गए। बहुत सावधानी से जब उन्होंने लिफाफा खोल लिया तो अंदर से एक कागज निकल आया। जिस पर लिखा था हमें आप जैसे की ही तलाश थी। पाँचवीं मंजिल पर आकर नियुक्ति पत्र ले लीजिए।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0341
खबरदार!

सिनेमा हॉल में दो औरतें इतनी जोर से बातें कर रही थीं कि पास बैठा दर्शक खीझकर बोल ही पड़ा- 'देखिए ! आपकी बातचीत में
मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा।
उनमें से एक ने तपाक से कहा- 'हम तुम्हें सुना भी नहीं रहे, मिस्टर ! हमारी बातचीत एकदम प्रायवेट है।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0342
डीसेंट, मिस्टर अब्सेंट !

मिस छुईमुई के तार कोई लफंगा 'जरा जमकर छेड गया था। उन्होंने झनझनाते हुए थाने में जाकर शिकायत की। कर्र्तव्यपरायण
पुलिस ने दस-बारह गुंडों को संदेह में गिरफ्तार कर मिस छुईमुई को बुला भेजा।

लाइन से गुंडे खड़े थे और मिस छुईमुई को उस रोज वाला शख्स पहचानना था। वे एक-एक के पास से गुजरती गईं- 'ऊँहँ ! यह
नहीं था। ना, यह भी नहीं था। नहीं, यह चूहा तो हो ही नहीं सकता।

आखिर सातवें नम्बर पर खड़े एक गठीले-गबरू नौजवान के पास मिस छुईमुई रुक गईं और ऑंखों में खुमार और देह में मस्ती भरकर
इंस्पेक्टर से बोलीं 'यह था तो नहीं ! मगर यह ..... हो सकता था....!

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0343
वाह रे भगवान!

सैनिक विद्यार्थी लंच के लिए लाइन में लगे थे। चलते-चलते उन्होंने देखा एक टोकरी में ढेर सारे लाल सेब रखे हैं।
मगर वहाँ तख्ती लगी है 'केवल एक-एक सेब उठाएँ, इससे ज्यादा नहीं। क्योंकि भगवान सबको देख रहा है। एक-
एक सेब फल लेकर जब सब आगे चले तो एक बड़ी सी तश्तरी में खूब सारे बिस्किट रखे देखे। वहां भी तख्ती रखी
थी। लिखा था- 'जितने चाहिए, बिस्किट ले लो। डरो मत भगवान तो उधर सेबों की निगरानी कर रहा है।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0344
दास्तान-ए-चेक

बैंक की टेलर विण्डो पर बदहवास से चंदूजी पहुँचे। बोले- 'सर! यह चेक मेरी पत्नी के नाम जारी हुआ है, मगर वह
बेचारी हॉस्पिटल में है। यहाँ आ नहीं सकती। क्या ऐसी कोई सूरत नहीं, कि चेक मैं भुनवा सकूँ ?
जब समझाया गया कि ऐसी कोई भी सूरत असंभव है, तो वह चला गया। मगर अगले दिन तो उसने कमाल ही कर
दिया। पत्नी की पहचान के रूप में वह ऐसी-ऐसी हैरतअंगेज चीजें लाया कि चकराए हुए बैंक अधिकारियों को
उसकी पत्नी का चेक, कैश करना ही पड़ा। पता है वह क्या-क्या लाया था? एक फोटोग्राफ जिसमें उसकी पत्नी
हॉस्पिटल के बेड पर लेटी हुई है। पास में लेडी डॉक्टर खड़ी है। फिर था एक बर्थ सर्टिफिकेट जिसमें नीचे नवजात
शिशु के पैरों की छाप भी अंकित थी। उसके नीचे लेडी डॉक्टर का लिखा नोट था-'यह मैडम स्मिथ हैं। मैं इनकी
डॉक्टर जोना हूँ। हाल ही में इन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया है। कृपया इनका चेक कैश कर दें।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0345
चाची की चिल्लर

बस में भीडभाड थी।
धक्का-मुक्की से तंग आकर एक युवती ने अपनी खीझ पाँच बच्चों वाली एक बुजुर्ग महिला पर निकाली-
'ओ चाची! अपनी चिल्लर को ठीक से क्यों नहीं सँभालतीं ?
बड़ी महिला ने शांति से कहा-
'सँभाल लूँगी भतीजी! पर....हाँ, लगता है, अभी तुमने अपना रुपया नहीं तुड़वाया! क्यों ?

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0346
खस्ता हालत

क्या इस बार आप मेरे साथ डांस करेंगी? एक नवयुवक ने पूछा।
'मुझे खेद है मैं एक बच्चे के साथ डांस नहीं कर सकती। घमंडी युवती ने उत्तर दिया।
'ओह ! माफ करें, मुझे आपकी हालत का पता न था।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0347
जियो बहादुर !

अंधेरे में एक आदमी सहमा सा खड़ा था। तभी आ गया एक कडक हवलदार। पूछने लगा-
'क्यों ? क्या नाम है तेरा ?
'जी शेरसिंह!
'बाप का नाम ?
'दिलेरसिंह!
'दादा का नाम?
'शमशेरसिंह!
'यहाँ क्यों खड़े हो?
'देखते नहीं, सामने कुत्ते का पिल्ला घूम रहा है। अगर उसने मुझे देख लिया तो ?

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0348
हमारा सिध्दांत

दफ्तर में दो दोस्त बतिया रहे थे।
पहला- अच्छा हुआ कि 'पाँच दिन काम, दो दिन आराम का सिध्दांत, पश्चिम से हमने ले लिया, वरना दफ्तर में काम कर करके कमर टूट जाती।
दूसरा- चाहे इसे पश्चिम का सिध्दांत कह लो, लेकिन भाई, इस सिध्दांत पर चलकर सुखी जीवन जीने का उदाहरण हमारे महाभारतकाल में पहले से मौजूद है।
पहला- क्या कहते हो ?
दूसरा- ठीक कह रहा हूँ। द्रोपदी का गृहस्थ जीवन याद करो।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0349
खूब बचे!

चंदूजी बात-बात में बस यह बात बोलते थे- 'इससे भी बुरा हो सकता था।
एक बार उनका एक दोस्त घबराया हुआ आया और बोला- चंदू! आज तो गजब हो गया। मैंने अपनी बीवी को पड़ोसी के साथ रोमांस करते देख लिया, तो दोनों का खून
कर दिया...!
चंदूजी ने अपना परिचित वाक्य दोहराया- 'दोस्त इससे भी बुरा हो सकता था।
दोस्त जल-भुनकर बोला- 'हद है यार- मेरे हाथों दो का खून हुआ, पुलिस मेरे पीछे लगी है। मैं भागता फिर रहा हूँ....! तुम्हीं कहो, इससे भी बुरा और क्या हो सकता था?
चंदूजी ने कहा- 'अगर तुम एक घंटा पहले घर पहुँचते तो बजाय पड़ोसी के मैं मारा जाता।

हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0350
टरम्पम्पम्!

सेल्समैन- 'सुना है, आप मक्खियों से परेशान हैं। हमारी दवा ' टरमपम्पम् आजमाइए।
तुरंत राहत पाएँगे।
पन्नूजी- 'क्या यह दवा गजब की मक्खीमारक है?
सेल्समैन- 'मक्खीमारक नहीं, गजब की उत्तेजना कारक है।
पन्नूजी- 'मतलब?
सेल्समैन- 'दवा मक्खियों को इतना सेक्सी बना देती है कि आप आसानी से दो मक्खियाँ एक साथ मार सकते हैं।

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 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया 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