दिल को देखो चेहरा न देखो

SHARE:

  - मनोज सिंह   मेरी आवाज प्राकृतिक रूप से भारी और बुलंद है। सामान्य बातचीत में भी ध्वनि तेज ही निकलती है। बहुत कोशिश करते हुए धीरे से ध...

 

- मनोज सिंह

 

मेरी आवाज प्राकृतिक रूप से भारी और बुलंद है। सामान्य बातचीत में भी ध्वनि तेज ही निकलती है। बहुत कोशिश करते हुए धीरे से धीरे बोलने पर भी बगल के कमरे में मुझे सुना जा सकता है। अच्छे शब्दों के साथ प्रेमपूर्वक भी कहूं तो लगता है लट्ठ चला रहा हूं। चेहरे से आक्रोश के साथ ही क्रोध स्वाभाविक रूप से झलकता रहता है तो आंखों से तेजी प्रकट होती है। किसी को प्यार से देखने पर भी लगता है कि घूर रहा हूं। कितना भी झुककर, संभलकर चलूं, मेरी चाल के लिए कहा जाता है कि उसमें गुरूर और गर्मी भरी होती है। संपूर्ण व्यक्तित्व के बारे में कहें तो लोग अकसर मुझे गुस्सैल, घमंडी, ऐंठू और कोई-कोई तो बदमाश तक कह जाता है। पाठक सोचेंगे कि मुझे आत्म प्रशंसा में ऐसे विश्लेषणों को लगाने की आवश्यकता क्यूं आ खड़ी हुई। सर्वप्रथम, उपरोक्त वक्तव्य कितना सही है कहना मुश्किल है, मगर अगर है भी तो यकीन से कह सकता हूं कि ये सारे गुण-अवगुण को विकसित करने में मेरा योगदान न के बराबर है। अवस्था और परिस्थितियां प्रेरक हो सकती हैं लेकिन मुख्यत: ये अपने आप सहज रूप से जन्म से मेरे व्यक्तित्व का हिस्सा हैं। नजदीकी दोस्तों का यकीन करें तो मेरा आंतरिक स्वभाव सरल होते हुए भी बाहरी स्वरूप का मुझे प्रारंभ से ही फायदा कम नुकसान अधिक उठाना पड़ा है। फायदे को देखें तो बस, ऑफिस में मुझे अधिक चिल्लाने की आवश्यकता नहीं पड़ती और अनुशासन बना रहता है। कॉलेज के दिनों में आवारागर्दी करते समय गली के गुंडे दो-चार के झुंड में भी मुझे अकेला देखकर सहम जाया करते थे। जबकि कोई विशेष परिस्थिति न हो तो आंतरिक रूप से बलात् गुंडागर्दी करना मेरा स्वभाव नहीं। नौकरी में आने पर सामान्यत: बॉस डांटने से पहले चार बार सोचते हैं।

दूसरी ओर, नुकसान की बात करें तो उसकी सूची लंबी है। कॉलेज के दिनों में लड़कियां डर से नजदीक नहीं फटकती थीं। सुरक्षा या सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से कुछ एक ने पास आने की जरूर कोशिश की, मगर प्रेम था या मुझसे सहायता लेने की चालाकी, कहना मुश्किल है। कॉलेज के प्रिंसिपल, मेरे प्रथम वर्ष के प्रथम दिन, व्यक्तिगत परिचय के दौरान यह स्वीकार करने को तैयार नहीं थे कि मैं वही छात्र हूं जिसने राज्य में मैरिट में स्थान प्राप्त किया। अपने इस नैसर्गिक व्यक्तित्व पर ऋणात्मक वक्तव्य मुझे अभी कुछ दिनों पूर्व भी सुनने को मिला, जब एक स्थापित समाचारपत्र के वरिष्ठ संपादक ने मेरी पुस्तक के लोकार्पण में अपने उद्बोधन में कहा कि इन्हें देखकर यह लगता ही नहीं कि ये लेखक भी हो सकते हैं। इतने वर्षों बाद भी मुझे इस तरह के कथन सुनने की आदत नहीं। मन ही मन तकलीफ होती है। जब बचपन के सहपाठी, जो अब भद्रपुरुष व महिला बन चुके हैं, आज इस उम्र में भी मुझे हल्के से लेते हुए विशेष शब्द कह जाते हैं तो दिल को बड़ी ठेस पहुंचती है। इतना ही हो तो भी इंसान सब्र कर ले, मगर जब हानि होने लगती है तो मन विद्रोह कर उठता है, और फिर परिणामस्वरूप और अधिक नुकसान उठाना पड़ता है। औरतों के साथ तो यह अकसर होता है, बदसूरत नापसंद की जाती हैं और खूबसूरत लड़कियों की दुनिया दीवानी होती है। सरकारी हो या गैर-सरकारी कार्यालय, हर एक जगह ऐसा आमतौर पर होता है कि, अगर आपका बाहरी व्यक्तित्व, व्यवहार व जुबान उग्र व कठोर है और आपके साथ का कोई व्यक्ति मीठे और चॉकलेटी चेहरे का धनी है तो यकीनन आप नुकसान उठा रहे होंगे। वो बड़े प्यार से अपने झूठ को भी सच साबित करके आपको नीचा दिखा देता होगा। दूसरों को गलत साबित करके स्वयं सफलता की सीढ़ियों पर आगे बढ़ जाता होगा। अब मुझे ही देख लें, बचपन से ही बच्चों की आपस की लड़ाई में बेकसूर होते हुए भी मैं ही अधिक डांट-मार खाता था। नौकरी में भी अच्छे से अच्छा काम करके भी अधिकांश सहयोगी मेरे बदले अधिक फायदा उठा ले जाते हैं, ऊपर से बॉस से अकसर मेरी चुगलीकर, अपनी आत्मरक्षा के नाम पर मुझे फटकार लगवा जाते हैं।

समाज के किसी भी क्षेत्र में देख लें, बाहर से दिखने में शांत और सुंदर व्यक्तित्व के धनी लोग सामान्य रूप से अधिक स्वीकार्य होते हैं और तीव्रता से आगे बढ़ते हैं। इनके दुश्मन कम होते हैं और आसपास के लोग इन्हें नुकसानदायक नहीं मानते। उलटे बेचारा, कहकर सभी सहयोग देने के लिए आगे बढ़ जाते हैं। फिर चाहे वो बाद में उन्हें हानि ही क्यों न पहुंचा दे। राजनीति, कला, संगीत, खेल, व्यवसाय कहीं का भी उदाहरण ले लें, इतिहास के पृष्ठों को खंगालकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को देख लें, सदैव उन्हीं को वरीयता प्राप्त हुई है, वे ही अधिक स्वीकारे गए हैं, जिनका व्यक्तित्व मनमोहक था। फिर चाहे वो अंदर से किसी भी तरह के हों। विज्ञापन के युग में तो सफल व्यक्तियों की आपस की होड़ में भी दिखने में सुंदर व स्मार्ट बाजी मार ले जाते हैं और अधिक चर्चित रहते हैं। व्यक्ति का द्रष्टव्य प्रभाव इतना असरदार होता है कि तानाशाह जिसे जरूरत के कारण कठोर रुख अपनाना पड़ता है वे भी जनहित में जितना भी कार्य कर लें, जनता द्वारा उन्हें पसंद नहीं किया जाता। अवाम आसानी से उसी को स्वीकार करती है जो उसे देखने में बेहतर दिखाई देता है। खलनायक के बदले नायक सदैव दिल से चाहे जाते हैं फिर चाहे वो व्यक्तिगत रूप से कितने भी वाहियात किस्म के इंसान क्यूं न हो। यहां भी गौ़र करें, क्या आपने कभी किसी फिल्मी नायक को बदसूरत देखा है? पर्दे पर कड़वा बोलते देखा है? नहीं। अगर ऐसा कभी हुआ भी तो पर्दे में आने के बाद उसे सुंदर से सुंदर बनाने की कोशिश की जाती है। यह सिलसिला धर्मक्षेत्र में भी होता है। क्रोधी गुरु के अनुयायी कम होते हैं फिर चाहे वो अधिक गुणी हो। लोकप्रिय धर्मगुरु की वाणी में संगीत-सा जादू होता है। वे अपने अनुयायियों के सामने पहुंचने पर अधिक से अधिक शांत व सौम्य दिखने की कोशिश करते हैं, चेहरे पर सदा मुस्कुराहट होती है और तभी वो भक्तों को मंत्रमुग्ध कर पाते हैं। राजनीतिज्ञ भी भीड़ के बीच जाने से पहले जनता की पसंद का बनने की कोशिश करते हैं। और फिर बाद में उन्हीं को लूटते हैं। कठोर मगर सत्य बोलने को कोई पसंद नहीं करता। यही हाल लेखन में भी है। घर-परिवार में भी सीधी-सच्ची बात कहने पर आप अपने लिए मुसीबत पैदा कर सकते हैं। शादी के लिए लड़की देखने जाने पर सूरत और सीरत के बारे में, लड़के के मां-बाप कितना भी जानते हों, सुंदर लड़कियों को ही पसंद किया जाता है फिर चाहे वो शादी के बाद दूल्हेराजा की हालत खराब कर दे। दूसरी ओर बदसूरत घर बैठी रहती हैं। फिर चाहे वो स्वभाव की भली हो।

सत्तर के दशक में एक फिल्म आई थी जिसका एक गाना अत्यधिक जन प्रचलित हुआ था 'दिल को देखो चेहरा न देखो, चेहरे ने लाखों को लूटा।` गीतकार के बोल सब कुछ कह जाते हैं। दर्शक ताली भी बजाता है, समझता भी है, स्वीकार भी करता है। मगर अमल में लाना नहीं चाहता। क्या करे उसकी भी मजबूरी है। सोचिये, क्या वो इसी गाने को किसी बेसुरे की आवाज में सुनना पसंद करता? या फिल्म के खलनायक पर फिल्माया जाता तो क्या इसे सुना जाता? नहीं। मगर बात फिल्म तक हो तो ठीक है। लेकिन अगर मामला राजनेता, धर्मगुरु, परिवार के सदस्यों-दोस्तों, कार्यालय में अधीनस्थ कर्मचारी या बॉस के पहचान की हो तो उपरोक्त गाने पर जरूर गौ़र करना चाहिए। नहीं तो आप नुकसान में रहेंगे।

-----------

रचनाकार संपर्क:

-मनोज सिंह

४२५/३, सेक्टर ३०-ए, चंडीगढ़

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. मनोज जी
    आप की त्रासदी मैं समझ सकती हूँ। दुर्भाग्यवश मैं भी जन्मजात इसी त्रासदी का शिकार हूँ(सिर्फ़ आवाज मेरी भारी नहीं हैं) और ऊपर से नारी, तो मेरी त्रासदी आपसे ड्बल है। सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि ऐसे व्यक्तित्व को आप बदलना भी चाहें तो कर नहीं सकते।

    जवाब देंहटाएं
  2. मनोज जी, आपसे ठीक विपरीत स्थिति है मेरी लेकिन इसका फ़ायदा मुझे कभी नही मिला । या शायद मैने लेना नही चाहा । प्रतिभावान भी हूं लेकिन कई बार पीछे हटी और हमेशा सतर्क रही कि कहीं यह न लगे कि व्यक्तित्व के आकर्षक होने का फ़ायदा उठा रही है । इसलिए न चाह कर भी वह रूखापन और कठोरता अपनाई जो आपको जन्म से मिल गयी है और जिसमें आपका कोई योगदान नही ।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: दिल को देखो चेहरा न देखो
दिल को देखो चेहरा न देखो
http://bp1.blogger.com/_t-eJZb6SGWU/RrMRgA6YysI/AAAAAAAABLo/vWkb4KQcdMA/s400/manojkumar.jpg
http://bp1.blogger.com/_t-eJZb6SGWU/RrMRgA6YysI/AAAAAAAABLo/vWkb4KQcdMA/s72-c/manojkumar.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2007/09/blog-post_2660.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2007/09/blog-post_2660.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content