सत्येंद्र शरत का बाल नाट्य : इच्छा पूर्ति

SHARE:

  राजकुमार चंद्रचूड़, राजकुमार कपिलदेव तथा उनका छोटा भैया, तीनों एक के पीछे एक मंच पर प्रवेश करते है। ये हमारे नाटक के मुख्य पात्र हैं। ये...

ichha purti 

राजकुमार चंद्रचूड़, राजकुमार कपिलदेव तथा उनका छोटा भैया, तीनों एक के पीछे एक मंच पर प्रवेश करते है। ये हमारे नाटक के मुख्य पात्र हैं। ये हैं सबसे बड़े राजकुमार चंद्रचूड़। ये है उनके छोटे भाई राजकुमार कपिलदेव और ये हैं इन दोनों के छोटे भैया। राजकुमार चंद्रचूड़ और राजकुमार कपिलदेव आज मछलियों का शिकार करने जा रहे हैं और इस बात से कुछ खिन्न है कि उनका छोटा भाई भी उनके साथ आ गया है, जबकि वे दोनों उसे मना कर चुके हैं कि तुम हमारे साथ नहीं चलो। तुम छोटे हो और सुनहरी नदी में गिर जाओगे। मगर छोटे भैया इनकी बात अनसुनी कर इनके साथ आ ही गये हैं। छोटी बहिन राजकुमारी कामनापूर्ति भी राजकुमारों के साथ आना चाहती थी मगर वो कपड़े बदल ही रही थी कि राजकुमार राजमहल से चले आये।

चंद्रचूड़ : (कुछ खीज के साथ) छोटे भैया, बहुत छोटे हो। इतने छोटे बच्चे मछली नहीं पकड़ सकते।

छोटे भैया : मगर ये तो बतलाइये पहले कि सुनहरी नदी है कहाँ?

कपिलदेव : यहीं तो है। हम उसी के किनारे तो खड़े हैं।

छोटे भैया : (इधर-उधर देखकर, आश्चर्य से) यही है सुनहरी नदी? मुझे तो दिखलाई नहीं दे रही है।

चंद्रचूड़ : (खिन्नभाव से) नदी इसलिए दिखलाई नहीं दे रही है क्योंकि सूत्रधार मंच पर नदी लाना भूल गये हैं। (ताली बजाकर)

कपिलदेव : धीरे बोलो कामनापूर्ति, तुम्हारी आवाज से मछलियाँ डर कर भाग जायेंगी।

चंद्रचूड़ : मगर तुम यहाँ क्या करने आई हो?

कामनापूर्ति : माताजी ने मुझसे कहा कि आप लोग वहाँ भूखे होगे। उन्होंने आप लोगों का खाना लेकर मुझे यहाँ भेजा है। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि मैं यहाँ से चली जाऊँ, तो मैं चली जाती हूँ। (टोकरी उठाकर वापस चलने को होती है।)

चंद्रचूड़ : तुम खाना लाई हो तो फिर रुक ही जाओ। थक गई होगी, थोड़ी देर आराम कर लो। हम खाना खा लें। बेचारी थक गई होगी।

कपिलदेव : (टोकरी लेने के लिए आगे बढ़ता हुआ) मैं तो खुद ही सोच रहा था। (टोकरी लेकर नीचे रखता हुआ) खाने में से बड़ी महक आ रही है। बड़ा स्वादिष्ट खाना जान पड़ता है।

छोटे भैया : (टोकरी के निकट आकर, उसे खोल कर देखते हुए) तो फिर मैं देख ही लूँ, माताजी ने क्या-क्या भेजा है? ....ओ हो! बड़े माल हैं!....गोभी के परांवठे, मटर का पलाव, पापड़, अचार, चटनी, मरब्बे... भाई साहब जल्दी कीजिए, मेरे मुँह में पानी आ रहा है।

चंद्रचूड़ : (आकर टोकरी के निकट बैठते हुए) हाँ, अब देर किस बात की है? आओ कपिलदेव, खाना खाओ। किस सोच में पड़े हो?

कपिलदेव : आ रहा हूँ भाई साहब। टोकरी के निकट बैठ जाता है। तीनों भाई खाना खाने का अभिनय करते हैं। सूत्रधार आगे बढ़ जाता है और दर्शकों को संबोधित कर कहता है।

सूत्रधार : किसी को खाना खाते हुए देखना अच्छा नहीं। खाने वालों को तो संकोच होता ही है। देखने वालों के मुँह में भी पानी आता है। जब तक ये तीनों राजकुमार खाना खाते हैं, मैं आप लोगों को बतला दूँ कि नाटक में आगे क्या होने वाला है। बहुत जल्दी ही एक बूढ़ी औरत यहाँ आयेगी। देखने में वह भिखारिन लगती है। अरे! ये तो खाना खत्म कर चुके हैं। (तीनों राजकुमार टोकरी एक ओर सरकाकर उठ खड़े होते है) अच्छा मैं चलकर घंटी बजा दूँ ताकि बूढी औरत मंच पर आ जाये और नाटक आगे चले। सूत्रधार आगे बढ़ घंटी बजा देता है। लाठी टेकती हुई एक बूढी औरत फटे-पुराने कपड़ों मे मंच पर धीरे-धीरे प्रवेश करती है। उसने एक लंबा-सा चोगा पहन रखा है जो बहुत पुराना और फटा है। उसमें कई पैबंद भी लगे हुए हैं। वह इधर-उधर देखती है और उस जगह आ जाती है जहाँ पर तीनों राजकुमार खड़े हैं।

बूढ़ी औरत : मैं बहुत थक गयी हूँ... मैं बहुत ज्यादा थक गयी हूँ।

कामनापूर्ति : बूढी-अम्माँ, प्रणाम!

बूढी औरत : (प्रसन्नता के साथ) प्रणाम बेटी ! बड़ी हो और बड़ी बनो क्या ये तुम्हारे भाई हैं?

 

कामनापूर्ति : हाँ बूढ़ी अम्मा (हाथ से संकेत करती हुई) ये मेरे सबसे बड़े भाई हैं.....चंद्रचूड़।

चंद्रचूड़ : (घमंड के साथ) राजकुमार चंद्रचूड़।

कामनापुर्ति : और ये हैं मझले भैया कपिलदेव, और ये हमारा सबसे छोटा भैया। इसे हम छोटे भैया ही कहते हैं।

बूढ़ी औरत : तुम लोगों से मिलकर बड़ी खुशी हुई। (टोकरी की ओर देखती हुई) अच्छा, इस टोकरी में क्या रखा है? इसमें खाने-पीने की चीजों की महक आ रही है। क्या इसमें कुछ खाने को है?....मुझे भूख लग रही है।

चंद्रचूड़ : इसमें जो कुछ भी था, वह सब खत्म हो गया है। अब इसमें कुछ भी नहीं बचा है।

कामनापूर्ति : मेरे ख्याल से इसमें कुछ गुझियाँ भी रखी हैं। माताजी ने वे खासतौर से तुम लोगो के लिए बनाई हैं। तुम लोगों ने शायद उन्हें खाया नहीं है।

चंद्रचूड़ :(फुर्ती से) हम थोड़ी देर में उन्हें भी खा लेंगे। वो हैं कितनी?

कामनापूर्ति : लेकिन भाई साहब, हम दो-एक गुझिया तो बड़ी अम्मा को दे ही सकते हैं। वो बेचारी बहुत भूखी है न!

चंद्रचूड़ : कैसी बातें कर रही हो कामनापूर्ति? तुम चाहती हो कि हम लोग भूखे रहें?

कामनापूर्ति : (दृढ़ता के साथ) ठीक है आप लोग अपने हिस्से की गुझिया खाइये। मैं अपने हिस्से की गुझियाँ बड़ी अम्माँ को देती हूँ। टोकरी में से दो गुझियाँ निकाल कर बूढ़ी अम्माँ को देती है।

बूढ़ी औरत : (खुशी के साथ गुझियाँ लेती है। बड़े चाव से उन्हें खाती हुई) जुग-जुग जियो बिटिया। सुखी रहो। भगवान तुम्हें बहुत सारा दे। तुम अच्छी लड़की को। गुझियाँ सचमुच बहुत अच्छी हैं। बहुत ही स्वादिष्ट हैं। इन्हें खाते ही मेरी सारी भूख मिट गयी। मैं कई दिन से भूखी थी। राजकुमार चंद्रचूड़ को अपनी बहिन का यह भला काम पसंद नहीं आया। वह क्रोध और कुछ विरक्ति के साथ अपना मुँह दूसरी ओर कर लेता है। काँटा हाथ में ले नदी में डाल कर मछली पकड़ने का अभिनय करने लगता है। उसकी देखा-देख कपिलदेव और छोटे भैया भी अपने काँटे नदी में डाल मछली पकड़ने का अभिनय करते हैं।

बूढी औरत : बहुत दिनों के बाद इतनी अच्छी तरह कुछ खाया है। मैं तुम्हारे उपकार को कभी नहीं भूल सकूँगी, बेटी।

कामनापूर्ति : आप कैसी बातें कर रही हैं बूढ़ी अम्मा। इसमें उपकार की क्या बात है

चंद्रचूड़ : (कुछ क्रोध के साथ) तुम लोग अपनी बातें बंद नहीं कर सकती कामनापूर्ति? तुम देख नहीं रही हो, हम लोग मछली पकड़ रहे हैं।

बूढ़ी औरत : (राजकुमारों को अचरज से देख, कामनापूर्ति से) क्या ये लोग इस नदी में मछलियाँ पकड़ रहे हैं?

कामनापूर्ति : हाँ बूढ़ी अम्मा! बूढ़ी औरत :(जोर से हँसती है) पगले कहीं के। (फिर हँसती है।)

छोटी भैया : बूढ़ी अम्मा, तुम इस तरह क्यों हँस रही हो?

बूढ़ी औरत : (हँसते हुए) मेरे बच्चे, ये मछलियाँ नहीं हैं। इस नदी में मछलियाँ हो ही नहीं सकतीं... ये मामूली नदी नहीं है। ये सुनहरी नदी है... इच्छाओं की नदी... कामनाओं की नदी...

छोटे भैया: बूढ़ी अम्माँ, हमारी समझ में तुम्हारी बात नहीं आ रही है।

बूढ़ी औरत: मेरी बात तो सीधी सादी है मेरे बच्चो। मेरा मतलब है कि तुम्हें इस नदी में मछलियाँ पकड़ने की कोशिश करने की बजाय, अपनी इच्छायें, अपनी कामनायें पूरी करने की कोशिश करनी चाहिए।

चारों बच्चे: (एक स्वर में) अपनी इच्छायें पूरी करने की कोशिश करनी चाहिए।

सूत्रधार!.... नदी... जल्दी लाइये... सूत्रधार जल्दी से अलमारी की ओर बढ़ता है। अलमारी खोल उसमें से दो बड़ी-बड़ी पट्टियाँ निकालता है। दोनों पट्टियाँ लिपटी हुई हैं। मोटे कपड़े की पट्टी गहरे नीले रंग की है और पतले कपड़े की पट्टी सुनहरे रंग की। शीघ्रता के साथ वह पहले नीले रंग की पट्टी मंच पर बिछाता है और उसके ऊपर सुनहरे रंग की पतली पट्टी।

कपिलदेव : लो छोटे भैया, नदी को अच्छी तरह देख लो। अब ध्यान रखना, कहीं तुम नदी में डुबकी न लगा जाओ।

छोटे भैया : नहीं मंझले भैया, मै इतना टुइयाँ थोड़े ही हूँ कि नदी में गिर पडूँ....(नदी की ओर देखते हुए) अच्छा, ये तो बताइये, नदी में मछलियाँ कहाँ है? मुझे तो मछलियाँ दिखाई नहीं दे रही हैं।

कपिलदेव : छोटे भैया, नदी का पानी बहुत गहरा है इसलिए मछलियाँ दिखाई नहीं पड़ रही हैं।

चंद्रचूड़ : और मछलियाँ पानी में बहुत नीचे हैं इसलिए तुम्हें दिखाई नहीं पड़ रही हैं।

छोटे भैया : (नदी की ओर देख, गंभीरता से सोचते हुए) मेरा ख्याल है कि सुत्रधार नदी में मछली डालना भूल गया है।

सूत्रधार : छोटा भैया ठीक कहता है। मैं अभी नदी में मछलियाँ डालता हूं।

 

(सूत्रधार जल्दी से अलमारी में से रबर की कुछ रंगबिरंगी मछलियाँ निकालता है और नीली व सुनहरी पट्टी पर इधर-उधर डाल देता है।)

छोटे भैया : खुशी से तालियाँ बजाते हुए हाँ, अब मुझे मछलियाँ दिखाई दे रही हैं। ये तो बहुत बड़ी-बड़ी हैं।

चंद्रचूड़ : (लापरवाही से) ये तुम्हारे लिए बड़ी हैं। अगर ये तुम्हारे काँटे में फँस भी जायें तुम इन्हें खींच कर बाहर नहीं निकाल सकते।

कपिलदेव : हाँ, तुम्हारा काँटा भी टूट जायेगा और मछली भी हाथ से निकल जायेगी।

छोटे भैया : आप लोग मुझे इतना टुइयाँ क्यों समझते हैं? मेरे हाथ में काँटा तो आने दीजिए, तब देखिये मैं कितनी बड़ी मछली पकड़ता हूँ। सूत्रधार तत्काल अलमारी से तीन बंसी और काँटे निकाल कर लाता है और तीनों भाइयों को दे देता है। वे काँटों में चुग्गे फँसा कर बंसी पानी में डालकर मछली पकड़ने का अभिनय करते हैं।

चंद्रचूड़ : (चीखते हुए) पकड़ ली। पकड़ी...। मुझे लगता है, बहुत ही बड़ी मछली है। (काँटा बाहर निकालता है। (वह बिल्कुल खाली है) धत् तेरे की!

कपिलदेव : आपने थोड़ी जल्दी कर दी भाईसाहब। इससे मछली निकल भागी!

चंद्रचूड़ :(काँटा पानी में डालते हुए) खैर, अब कहाँ जायेगी बच कर। अब तो उसे फँसना ही पड़ेगा।

सूत्रधार : (दर्शकों से) कितने अफसोस की बात है कि हमारे अभिनेताओं को मछली मारना भी नही आता। ये लोग इतने जोर से बोल रहे हैं। मछलियाँ जरुर इनसे डर कर भाग गयी होंगी।

छोटे भैया : (जम्हाई लेते हुए) मुझे तो मछलियाँ मारना एकसा लग रहा है जैसे हम सब मार रहे हों।

छोटे भैया : अब मैं थोड़ी देर आराम करुँगा। मगर सूत्रधार, मुझे तो भूख लग आई है।

चंद्रचूड़ : हाँ सूत्रधार, मुझे भी भूख महसूस होने लगी है। हमारे खाने का इंतजाम करो।

सूत्रधार : (जल्दी से सूची को ऊपर से नीचे तक देखकर) नहीं, निर्देशक साहब ने मेरी लिस्ट में आप लोगों का खाना नहीं लिखवाया था। इसलिए मैंने खाने का कोई प्रबंध नहीं किया।

 

कपिलदेव : अब क्या होगा? हमें तो भूख सताने लगी है। (सहसा पृष्ठभूमि से राजकुमारी कामनापूर्ति की आवाज आती है).... भाई साहब! भाई साहब!

चंद्रचूड़ : अरे, ये तो कामनापूर्ति की आवाज है। ये यहाँ कैसे आ गई?

कपिलदेव : मेरे ख्याल से ये हमारे पीछे-पीछे आ गई है।

राजकुमारी कामनापूर्ति बायीं ओर से मंच पर प्रवेश करती है। उसके हाथ में एक छोटी टोकरी है जिसे वह बड़ी कठिनाई से उठाये हुए है।

कामनापूर्ति : हूँ! तो आप लोग यहाँ हैं.....! मुझे पता था। बताइए, अब तक आपने कितनी मछलियाँ पकड़ी हैं?

बूढ़ी औरत : हाँ बच्ची, भाग्वान लोग अपने मन में इच्छायें लेकर उन्हें पुरी करने के लिए ही इस नदी पर आते हैं।

कामनापूर्ति : और क्या यहाँ उनकी इच्छायें पूरी हो जाती हैं? बूढ़ी औरत : हाँ, इच्छाओं को इसी तरह पकड़ना होता है जैसे मछलियों को। और जब एक बार वे पकड़ में आ जाती हैं तो फिर वे पूरी हो जाती हैं।

 

तीनों बच्चे : अच्छा! हम देखते हैं कि हमारी इंच्छा पूरी होती है या नहीं! तीनों अपनी-अपनी बंसी में चुग्गी लगाकर नदी में डालते हैं। फिर बाहर निकालते हैं। उन्में मछलियाँ फँसी हुई हैं।

बूढ़ी औरत : अब ये मछलियाँ ही बताएंगी कि तुम्हारी इच्छा पूरी होगी या नहीं।

कामनापूर्ति : अब मैं कोशिश करती हूँ। (वह बंसी नदी में डालती है। जैसे ही मछली फँसकर बाहर निकलती है कि बुढ़िया के फटे कपड़े उतर जाते हैं। वह कीमती चमचमाते कपड़े पहने खड़ी है।) अरे! मेरी इच्छा तो पूरी हो गई! सच मैंने यही चाहा था कि बूढी माँ की गरीबी दूर हो जाये।

बूढ़ी औरत : और इन तीनों की इच्छा इसलिए पूरी नहीं हुई क्योंकि सिर्फ अपने लिए माँगा था। प्यारे बच्चों, सदैव इस बात को याद रखो कि किसी चीज की इच्छा सिर्फ अपने लिए नहीं दूसरों के लिए भी करों। दुनिया में कुछ देकर ही तुम पा सकते हो। (रुककर) अच्छा! जरा बंसी दो मुझे! मैं भी अपनी इच्छा पूरी करुँ!

******

(टीडीआईएल के हिन्दी पाठ कार्पोरा से साभार)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: सत्येंद्र शरत का बाल नाट्य : इच्छा पूर्ति
सत्येंद्र शरत का बाल नाट्य : इच्छा पूर्ति
http://lh4.ggpht.com/raviratlami/SGc8HGpEIqI/AAAAAAAADUw/D-oUCbfwXEU/ichha%20purti_thumb.jpg?imgmax=800
http://lh4.ggpht.com/raviratlami/SGc8HGpEIqI/AAAAAAAADUw/D-oUCbfwXEU/s72-c/ichha%20purti_thumb.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2008/06/blog-post_29.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2008/06/blog-post_29.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content