वेद प्रकाश की किताब : हिन्दी कम्प्यूटरी (6 – अंतिम किश्त)

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पिछले अंक से जारी… हिंदी कंप्यूटरी सूचना प्रौद्योगिकी के लोकतांत्रिक सरोकार वेद प्रकाश अध्याय 8 परिवर्धित दे...

पिछले अंक से जारी…

हिंदी कंप्यूटरी

सूचना प्रौद्योगिकी के

लोकतांत्रिक सरोकार

ved prakash
वेद प्रकाश

अध्याय 8

परिवर्धित देवनागरी और इंस्क्रिप्ट कुंजीपटल

राष्ट्रीय एकता की और बढ़ता कदम

हमारा देश एक है। हमारी सांस्कृतिक विरासत एक है। इस देश में बोले जाने वाली भिन्न-भिन्न भाषाओं के 50% से अधिक शब्द एक समान हैं। फिर भी यदि एक राज्य का निवासी दूसरे राज्य में जाए तो बिलकुल अजनबी हो जाता है। इसके विपरीत यूरोप में अलग-अलग देश हैं, उनकी सांस्कृतिक विरासत अलग-अलग हैं। उनकी भाषाओं में पाए जाने वाले शब्द भी समान नहीं हैं। फिर भी यूरोप के एक देश का निवासी अगर दूसरे देश में जाता है तो भाषा से उसका अपरिचय, आत्मीयता में बाधक नहीं बनता।

इसकी क्या वजह है?

इसके अनेक कारणों में से शायद सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कारण है लिपि। यूरोप की सभी भाषाओं की एक लिपि- रोमन लिपि उनके एक दूसरे के नजदीक आने और परदेशी भाषाएँ सीखने का कारण बनती है। यूरोप का निवासी दूसरे यूरोपीय देश में जा कर भी अनजान नहीं रहता क्योंकि वह लिपि के कारण जगहों, बसों, सड़कों आदि के नाम पहचान लेता है और थोड़ा प्रयास करने पर भाषा का भी कामचलाऊ ज्ञान हासिल कर लेता है। इसके विपरीत हमारे एक राज्य का निवासी मात्र लिपि के भेद के कारण दूसरे राज्य में अजनबी और पराया बन जाता है। उदाहरण के लिए बेंगलूर में ‘ರಾಮನಗರ’ के सामने खड़ा व्यक्ति यह नहीं जान पाता कि वह ‘रामनगर’ के सामने खड़ा है। जबकि रामनगर शब्द उसका परिचित है केवल लिपि के कारण वह पराया हो गया है।

आज दुनिया सिकुड़ती जा रही है। लोग एक अंतरराष्ट्रीय लिपि की बात करने लगे हैं। हमारे स्वतंत्रता सैनानियों की दृष्टि से भी यह बात छुपी नहीं थी। उन्होंने इस समस्या पर गंभीर विचार विमर्श किया, इसके इतिहास की खोज की। विभिन्न लिपियों का तुलनात्मक अध्ययन किया। इसके नतीजों ने उन्हें सुखद आश्‍चर्य से भर दिया। उन्होंने पाया कि –

1. हमारी कई भाषाएँ एक ही लिपि में लिखी जाती हैं, जैसे हिंदी, संस्कृत, नेपाली, मराठी आदि भाषाएँ देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं और असमिया और बँगला बँगला लिपि में और उर्दू और कश्मीरी अरबी लिपि में लिखी जाती हैं।

2. कई लिपियाँ अलग होने के बावजूद बहुत कुछ समान ही हैं. जैसे देवनागरी और गुजराती या कन्नड़ और तेलुगू लिपियाँ।

जब इन्होंने इसका कारण खोजा तो पाया कि आज से तकरीबन 2000 साल पहले हमारी सभी भाषाएँ एक ही लिपि में लिखी जाती थीं। यहाँ यह कहना अप्रासंगिक नहीं होगा कि पुराने भारत में संस्कृत एक भाषा थी और उस वक़्त इसके अलावा कई और भाषाएँ भी मौजूद थीं। आज दुर्भाग्य से वे भाषाएँ नहीं मिलतीं परंतु पुराने साहित्य में कभी-कभार उनका ज़िक्र आ जाता है, आचार्य किशोरी दास वाजपेयी ने अपनी विख्यात पुस्तक ‘हिंदी शब्दानुशासन’ में साबित किया है कि भारत की आधुनिक भाषाएँ संस्कृत से पैदा नहीं हुईं बल्कि इसके साथ ही बोले जाने वाली कई दूसरी भाषाओं से विकसित हुई हैं। लेकिन अगर हमें पुराने भारत में एक ही भाषा होने का भ्रम होता है तो इसका कारण विभिन्न भाषाओं द्वारा एक ही लिपि का इस्तेमाल करना है। ऐसा भी नहीं है कि उस समय दूसरी लिपियाँ नहीं थीं. परंतु उस समय के लोगों ने देश की एकता के लिए यह ज़रूरी समझा कि एक ही लिपि अपनाई जाए। और यह लिपि थी- ब्राह्मी लिपि।

दो हज़ार साल के बेतरतीब विकास ने दुर्भाग्य से ब्राह्मी लिपि को 10 लिपियों में बदल दिया, जो हमारी आधुनिक लिपियाँ हैं। हमारे स्वतंत्रता सैनानियों के मन में आया कि अगर आज से 2000 साल पहले इस देश की एक लिपि हो सकती थी तो आज क्यों नहीं हो सकती।

उन्होंने तय किया कि हमारी एक राष्ट्र लिपि होनी चाहिए. जो पहले अपनी लिपि के साथ-साथ इस लिपि में भी सामग्री छपे और बाद में दूसरी लिपियाँ छोड़ कर एक ही लिपि रह जाए। गहन विचार विमर्श के बाद वे इस नतीजे पर पहुँचे कि देवनागरी लिपि ही हमारी राष्ट्र लिपि हो सकती है। राष्ट्र लिपि के रूप में यानी भारत की सभी भाषाओं जैसे पंजाबी, गुजराती, तेलुगू, तमिल आदि की लिपि के रूप में देवनागरी को अपनाए जाने के समर्थकों सभी भाषाओं की विभूतियाँ शामिल थीं। जैसे गुजराती भाषी- महात्मा गाँधी, मराठी भाषी- बाल गंगाधर तिलक, पंजाबी भाषी- शहीद भगत सिंह, बँगला भाषी- शारदाचरण मित्र। पर देवनागरी ही क्यों? क्योंकि देवनागरी लिपि के ---

क. हिंदी, मराठी और नेपाली की लिपि होने के कारण इस देश की बहुसंख्यक जनता इस लिपि से परिचित है।

ख. संस्कृत की लिपि होने के कारण इस देश के परंपरागत रूप से पढ़े-लिखे तबके इस लिपि से परिचित हैं.

ग. कई दूसरी लिपियाँ जैसे गुजराती, गुरुमुखी आदि लिपियाँ भी देवनागरी से काफी मिलती हैं. अतः इन भाषाओं को बोलने वाले लोग भी देवनागरी से अपरिचित नहीं हैं।

घ. सबसे महत्वपूर्ण यह कि विभिन्न पुरावशेषों से पता चलता है कि कन्नड़ आदि भाषाओं के ताम्र पत्र आदि देवनागरी लिपि में लिखे मिलते हैं। यानी यह पहले ही राष्ट्र लिपि रह चुकी है।

पर इसमें कुछ समस्याएँ भी हैं। विभिन्न भाषाओं में कुछ ऐसी ध्वनियाँ या चिह्न विकसित हो गए हैं जो हिंदी देवनागरी में नहीं मिलते। तो क्या किया जाए।

विभिन्न विद्वानों के सहयोग से भारत सरकार ने नए चिह्न विकसित कर हिंदी देवनागरी को बढ़ाया ताकि यह भारत की सभी भाषाओं की ध्वनियों को व्यक्त कर सके। इसे परिवर्धित देवनागरी नाम दिया गया। सर्वप्रथम 1966 में भारत सरकार के केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने इसे छपाया और वितरित किया।

आजादी के दौरान देवनागरी लिपि में कई भाषाएँ छापने के कई प्रयत्‍न हुए जिनमें शारदाचरण मित्र की पत्रिका ‘देवनागर’, बाबू रामानंद चटर्जी का पत्र ‘चतुर्भाषी’ जिसमें हिंदी, गुजराती, मराठी और बँगला के लेख देवनागरी लिपि में छपा करते थे; आज़ादी के बाद 1953 में हमारे पहले राष्ट्र पति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के संरक्षण में ‘देवनागर’ का पुनर्प्रकाशन आरंभ हुआ। इसके अतिरिक्त ज्ञानपीठ प्रकाशन और साहित्य अकादेमी ने भी भिन्न भाषाओं के साहित्य को देवनागरी में लाने का काम किया। उर्दू का तो सारा साहित्य ही देवनागरी में छपता है। केंद्रीय हिंदी निदेशालय और राजभाषा विभाग ने भी ऐसे कई प्रयास किए।

पर ये सब हिंदी कंप्यूटरी की किताब में क्यों लिखा जा रहा है?

क्योंकि इंस्क्रिप्ट कुंजीपटल में परिवर्धित देवनागरी को टाइप करने यानी भारत की सभी भाषाओं की ध्वनियों को टाइप करने की सुविधा है। इसके लिए हमें हिंदी को विंडोज़ एक्सपी में सक्रिय करते समय हिंदी ट्रेडिशनल कुंजीपटल चुनने के स्थान पर देवनागरी-इंस्क्रिप्ट कुंजी पटल को चुनना चाहिए। (विंडोज़ एक्सपी में हिंदी को सक्रिय करने की विधि अगले अध्याय में दी गई है)

आइए देखें कि इन्हें कैसे टाइप किया जा सकता है—

संस्कृत और वैदिक संस्कृत के विशेष अक्षरों को कैसे टाइप करें—

संस्कृत के लिए आवश्यक कुछ अक्षर जो कभी-कभी उपयोग में लाए जाते हैं, उन्हें निम्‍नलिखित तरीके से टाइप किया जा सकता है।

ॠ Alt और shift दबाकर ृ टाइप करें

ॄ इसकी मात्रा टाइप करने के लिए Alt दबाकर ृ टाइप करें

लृ Alt, ctrl, shift और F को एक साथ दबाएँ लॄ Alt, ctrl, shift और R को एक साथ दबाएँ

ऽ Alt, Ctrl और > को एक साथ दबाएँ

ॐ Alt, ctrl, shift और X को एक साथ दबाएँ

। Shift . को एक साथ दबाएँ

॰ शब्दों का संक्षिप्त रूप दर्शाने के लिए Alt, Ctrl और , को एक साथ दबाएँ

वैदिक संस्कृत के बलाघात दर्शाने वाले चिह्नों के लिए-

॒ बायाँ Alt दबाकर च टाइप करें

॓ बायाँ Alt दबाकर z टाइप करें

॔ बायाँ Alt दबाकर c टाइप करें

हिंदी अंक टाइप करने के लिए-

जो अंक टाइप करना हो Alt दबाकर उस अंक को टाइप करें, जैसे-

‍‍१ Alt दबाकर 1 टाइप करें

२ Alt दबाकर 2 टाइप करें

३ Alt दबाकर 3 टाइप करें

० Alt दबाकर 0 टाइप करें

कन्नड़, तेलुगू और तमिल के अक्षरों के लिए –

कन्नड़ तेलुगू तमिल देवनागरी टाइप कुंजियाँ

ಎ ఎ எ ऎ (हृस्व ‘ए’) shift दबाकर z टाइप करें

ೆ ె ெ ॆ (हृस्व ‘ए’ की मात्रा) z टाइप करें

‌ಒ ఒ ஒ ऒ (हृस्व ‘ओ’) shift दबाकर ` टाइप करें

ೊ ొ ொ ॊ (हृस्व ‘ओ’ की मात्रा) ` टाइप करें

ಱ ఱ ற ऱ बंडी ‘र’ shift दबाकर र टाइप करें

ಳ ళ ள ळ shift दबाकर ल टाइप करें

ழ ऴ shift दबाकर व टाइप करें

ன ऩ shift दबाकर न टाइप करें

ய य़ shift दबाकर य टाइप करें

उर्दू के अक्षरों के लिए नुक्‍ता है ही। इस प्रकार हम देखते हैं कि देवनागरी-इंस्क्रिप्ट कुंजीपटल भारत की सभी भाषाओं के वर्ण चिह्नों को देवनागरी लिपि में व्यक्त करने में सक्षम है।

इसीलिए देवनागरी-इंस्क्रिप्ट कुंजी पटल को अपनाना भारत की राष्ट्रीय एकता को लिपि एकता और भाषा एकता के ज़रिए सुदृढ़ करना है।

अध्याय 6

हिंदी सॉफ़्टवेयर उपकरण भारत सरकार का महत्वपूर्ण कदम-

देर आयद दुरस्त आयद

भारतीय भाषाओं की कंप्यूटरी के इतिहास में 15 अप्रैल 2005 का दिन ऐतिहासिक है। इस दिन भारत सरकार ने ऐसा कदम उठाया है कि जिसने तमिल कंप्यूटरी के रास्ते में आने वाली सारी बाधाओं और समस्याओं का हल एक ही सीडी में उपलब्ध करा दिया। और वह भी बिल्कुल मुफ्त, जिसे आप निस्संकोच अपने मित्रों को वितरित भी कर सकते हैं। यह सीडी सूचना प्रौद्योगिकी में भारतीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा देने के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय प्रयास का एक कदम था। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री दयानिधि मारन के दिमाग की उपज यह परियोजना सभी भारतीय भाषाओं के सॉफ़्टवेयर उपकरणों को मुफ्त और मुक्त उपलब्ध कराने की है। जब यह परियोजना पूर्ण होगी तो सभी 22 भारतीय भाषाओं में इस प्रकार की सीडियाँ जारी हो चुकी होंगी।

इस परियोजना के अगले चरण का दिन था 20 जून 2005, जब राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्षा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी ने “हिंदी सॉफ़्टवेयर उपकरण” नामक सीडी का लोकार्पण किया। इस अवसर पर हमारे प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह भी उपस्थित थे। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के साझा न्यूनतम कार्यक्रम का एक मुद्दा सूचना प्रौद्योगिकी का वहनीय कीमत पर प्रसार करना भी था। इस सीडी पर जारी अपने संदेश में श्री दयानिधि मारन ने कहा था—“मुझे पूरा विश्वास है कि यदि कंप्यूटर के लाभ आम जनता तक पहुँचाने हों तो इसका उपयोग उनकी अपनी मातृभाषा में किया जाना अनिवार्य है। इसके लिए आवश्यक फोन्ट और भाषा के सॉफ़्टवेयर उपकरण लोगों को आसानी से उपलब्ध होने चाहिए। मुझे उम्मीद है कि हिंदी भाषा से संबंधित ये सॉफ़्टवेयर उपकरण तथा फोन्ट निःशुल्क उपलब्ध होने से आम जनता को भी कंप्यूटर का प्रयोग करने के नए अवसर मिलेंगे।” और यह निश्चित ही एक निष्ठा और समर्पण का मामला है।

उन्होंने लोकार्पण के अवसर पर कहा कि यह सस्ती और स्थानीय प्रौद्योगिकी को जनता को उपलब्ध कराने की दिशा में एक कदम है। वे मानते हैं कि व्यावसायिक उत्पादों का महत्व है पर घरेलू सूचना प्रौद्योगिकी उपभोग के विकास के वर्तमान चरण में फोन्ट और सॉफ़्टवेयर उपकरणों को तब तक वितरित नहीं किया जा सकता जब तक कि वे मुफ्त और मुक्त न हों। जो प्रौद्योगिकी वहनीय होगी वही भारतीय लोगों की रचनात्मक क्षमता को उन्मुक्त करने की संभावना रखेगी। इतने रूपों में जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते, और जैसा कि विकसित देशों का अनुभव रहा है।

इस सीडी के जरिये सबसे अच्छी बात यह हो रही है कि आम आदमी के हित में भाषायी प्रौद्योगिकी के प्रयोगशालायी उत्पादों से उपयोगिता उत्पादों में रूपांतरण हो रहा है। इससे निश्चय ही व्यक्तिगत कंप्यूटरों की खपत बढ़ेगी। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार और ब्रॉडबैंड क्रांति में तेजी आएगी। इससे ई-शासन और ई-शिक्षा में अनुप्रयोगों का भी विकास और प्रसार होगा, जो स्थानीय स्तर पर सार्थक होगा।

इस सीडी में दिए गए फोन्ट और सॉफ़्टवेयर उपकरण भारत सरकार के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डेक) ने विकसित किए हैं, जिसमें निजी क्षेत्र के मोड्यूलर इन्फोटैक, साइबरस्पेस मल्टीमीडिया, प्रिया इन्फोर्मेटिक्स, आईआईआईटी हैदराबाद, कैडग्राफ डिज़िटल सिस्टम, सी के टैक्नॉलाजीज़, प्रोलोजिक्स और सॉफ्टव्यू ने सहयोग दिया है। यह सीडी सी-डेक नोएडा द्वारा वितरित की जा रही है। यदि आपको यह सीडी नहीं मिलती तो घबराने की कोई बात नहीं है। ये सभी उपकरण भारतीय भाषाओं में प्रौद्योगिकीय विकास (टीडीआईएल) की वैबसाइट www.tdil.mit.gov.in से मुफ्त में डाऊनलोड किए जा सकते हैं। इसके साथ ही एक वैबसाइट http://www.ildc.gov.in या http://www.ildc.in भी जारी की गई है, जहाँ से आप इस विषय की अपनी समस्याओं का निराकरण कर सकते हैं।

इस सीडी में क्या है?

यह सीडी खुलते ही पहले आपके ऑपरेटिंग सिस्टम को पहचानती है, फिर उसके अनुसार उत्पादों के मेनू दिखाती है। उदाहरण के लिए, यदि आपका ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज़ 98 है तो यह सीडी ओटी-फोन्ट और ड्राइवर नहीं दिखाएगी। यदि आपका ऑपरेटिंग सिस्टम विंड़ोज़ एक्सपी या विंडोज़ 2000 है तो यह सीडी टीटी फोंटों के साथ ओटी फोंट और उनके ड्राइवर भी दिखाएगी. और यदि आपका ऑपरेटिंग सिस्टम लिनक्स है तो यह सीडी केवल उन्हीं सॉफ्टवेयरों को दिखाएगी जो लिनक्स पर चल सकते होंगे.

ओटी-फोन्ट या ड्राइवर लोड करने से पहले विंडोज़ में हिंदी को सक्रिय करना जरूरी है। सक्रिय करने की विधि इस प्रकार है—

विंडोज़ 2000 में हिंदी (भारतीय भाषाओं) को सक्रिय करने की विधि—

  1. 'Control Panel' में जा कर 'Regional Options' को क्लिक करें.
  2. General Tab में जा कर Indic को चुनें. फिर Apply को क्लिक करें.
  3. फिर Input Locale टैब को दबा कर Add को क्लिक करें.
  4. अपने पसंद की भाषा (यानी हिंदी या मराठी, गुजराती, पंजाबी, तमिल कोई भी) और कुंजीपटल (Hindi Traditional या Inscript-Devnagari) को चुनें और OK करें.
  5. 'Regional Options' के OK पर क्लिक करें. कंप्यूटर को दुबारा चलाएँ.
  6. कंप्यूटर को दुबारा चलाएँ. स्टेटस बार में एक छोटा-सा EN लिखा दिखेगा. इसे क्लिक कर HI चुनें और हिंदी में टाइप करना शुरू कर दें. जब अंग्रेज़ी में टाइप करना हो तो पुनः EN चुनें और अंग्रेज़ी में टाइप करना शुरू कर दें.

विंडोज़ एक्सपी में हिंदी (भारतीय भाषाओं) को सक्रिय करने की विधि-

  1. 'Control Panel' में जा कर 'Date, Time, Language and Regional Options' पर क्लिक करें.
  2. इसमें Regional and Language Options चुनें.
  3. 'Language' टैब को क्लिक करें तथा 'Install Files for Complex Script' नामक बॉक्स को चुनें और Apply बटन को दबा दें.
  4. यह विंडोज़ एक्सपी की सीडी माँगेगा, विंडोज़ एक्सपी की सीडी को सीडी ड्राइव में डालें तथा संस्थापन होने दें.
  5. अब 'Details' टैब पर क्लिक करें तथा Settings टैब में Add को क्लिक करें.
  6. अपने पसंद की भाषा और की-बोर्ड को चुन कर OK करें.
  7. कंप्यूटर को दुबारा चलाएँ. स्टेटस बार में एक छोटा-सा EN लिखा दिखेगा. इसे क्लिक करने पर HI चुनें और हिंदी में टाइप करना शुरू कर दें.

इसका डिफाल्ट कुंजीपटल इंस्क्रिप्ट है, यदि आप रेमिंग्टन / मैनुअल टाइपराइटर कुंजीपटल के अभ्यस्त हैं, या अंग्रेजी ध्वन्याधारित / एग्जीक्यूटिव कुंजीपटल के अभ्यस्त हैं तो आपको इस सीडी में से जिस्ट ओटी-टाइपिंग टूल लोड करना होगा। जब आप हिंदी में टाइप करना चाहें तो जिस्ट ओटी-टाइपिंग टूल को सक्रिय करें, अपना कुंजीपटल लेआऊट (इंस्क्रिप्ट, टाइपराइटर या फोनेटिक में एक कोई एक) चुनें और टोगल कुंजी (कैप्सलॉक, नमलॉक या स्कॉललॉक में से कोई एक) चुनें, इसे छोटा करें और टोगल कुंजी यानी कैप्सलॉक, नमलॉक या स्कॉललॉक में से जो भी आपने चुनी है, को दबाएँ, आप का अंग्रेजी का कुंजीपटल हिंदी में टाइप करना शुरू कर देगा।

आइए, अब इस सीडी में उपलब्ध उपकरणों पर हम सिलसिलेवार बात करें—

1 हिंदी भाषा के ट्रू-टाइप फोंट्स एवं की-बोर्ड ड्राइवर: 365 टीटीएफ फोंट

इंस्क्रिप्ट, अंग्रेजी अक्षराधारित (फ़ोनेटिक) और टाइपराइटर लेआऊट के साथ

यह माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस जैसे विंडोज़ अनुप्रयोगों में हिंदी में टाइप करने की सुविधा प्रदान करता है। किसी भी शब्द संसाधक द्वारा निर्मित किसी सामग्री को देखने तथा उसे मुद्रित करने के लिए टीटीएफ फोंटों की आवश्यकता होती है। फोंटों की शैली तथा आकार मुद्रित सामग्री तथा प्रदर्शन को पढ़ने में आकर्षक बनाते हैं। इस सीडी में हिन्दी भाषा के सुन्दर तरीके से निर्मित 365 टीटीएफ फोंट हैं। टीटीएफ में एक कुंजीपटल ड्राइवर की आवश्यकता होती है, अत: संबंधित कुंजीपटल ड्राइवर भी उपलब्ध कराए गए हैं। इस टाइपराइटिंग टूल की सहायता से डेटा का निर्माण किसी भी विंडोज़ आधारित अनुप्रयोगों अर्थात विंडोज़ 95, विंडोज़ 98, विंडोज़ 2000, विंडोज़ एक्सपी में किया जा सकता है। यह इंस्क्रिप्ट, टाइपराइटर और फोनेटिक तीन तरह के कुंजीपटल लेआऊट उपलब्ध कराता है।

2 हिंदी भाषा के लिए ट्रू-टाइप आधारित मल्टीफोंट की-बोर्ड इंजन:

विंडोज़ 95/98, एनटी, 2000 और इससे बेहतर

यह माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस जैसे विंडोज़ अनुप्रयोगों में विभिन्न फोंट निर्माताओं के फोंट्स से हिंदी में टाइप करने की सुविधा प्रदान करता है। इसका विकास साइबरस्पेस मल्टीमीडिया लि. ने किया है। इसका प्रतिष्ठापन करके प्रयोक्ता विभिन्न तरह के फोन्ट यानी एकभाषी, बहुभाषी फोंट विभिन्न अनुप्रयोगों में तीन कुंजीपटलों (डीओई, टाइपराइटर और एग्जीक्यूटिव) में से किसी का भी उपयोग कर विविध ट्रू टाइप फोंटों में हिन्दी में डेटा तैयार कर सकते हैं। मल्टीफोंट इंजन की एक ही जीयूआई से समुचित इंजन एवं फोंटों का चयन इस उपकरण की विशेषता है। डेटा का निर्माण किसी भी विण्डोज आधारित अनुप्रयोग में किया जा सकता है, उदाहरण के लिए एमएस ऑफिस 2000 में डेटा का निर्माण करने के लिए विभिन्न प्रकार के कुंजीपटलों का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे कि इन्सक्रिप्ट, फोनेटिक तथा टाइपराइटर जो किसी विशिष्ट सॉफ्टवेयर में उपलब्ध कराए गए हैं। डेटा का निर्माण विन98/विनएनटी/विन2000/विनएक्सपी आदि में किया जा सकता है।

3 हिंदी भाषा के यूनिकोड आधारित ओपन टाइप फोंट्स: 160

यूनिकोड में डाटा निर्माण के लिए यह विभिन्न ओपन टाइप फोंट प्रदान करता है।

जैसाकि पहले भी बताया गया है, यही फोन्ट वर्तमान और भविष्य का मानक हैं। इसलिए यदि आपके पास विंडोज़ 2000 या विंडोज़ एक्सपी है, या कोई अन्य यूनिकोड समर्थक ऑपरेटिंग सिस्टम है, और जिस अनुप्रयोग में आपको काम करना है, वह यूनिकोड समर्थक है, तो इन्हीं फोन्टों का इस्तेमाल करें। इन्हें इंस्टाल करने से पहले ऊपर दी गई विधि से अपने ऑपरेटिंग सिस्टम में हिंदी को सक्रिय कर लें। इनका इस्तेमाल बेहद आसान और सर्वव्यापी है, इंटरनेट पर अधिकांश सामग्री इन्हीं फोन्टों का इस्तेमाल करके तैयार की जाती है। यदि आपने अपनी विंडोज़ एक्सपी में हिंदी को सक्रिय नहीं किया हुआ है, और इन फोन्ट में तैयार कोई सामग्री वैब या ई-मेल से आपको प्राप्त होती है तो भी आप उसे पढ़ पाएँगे, संरक्षित कर पाएँगे और उसका प्रिंट भी ले पाएँगे, यानी उसका मनचाहा इस्तेमाल कर पाएँगे। हाँ, उसे संपादित नहीं कर पाएँगे. संपादन करने के लिए आपको केवल अपनी विंडोज़ में हिंदी को सक्रिय भर करना है। अभी तक यूनिकोड में सामान्यतः एक फोन्ट उपलब्ध था—‘मंगल’, विंडोज़ एक्सपी के साथ ‘एरियल यूनिकोड एमएस’ आया, एक आध फोन्ट और तैयार किए गए, परन्तु कुल मिलाकर यूनिकोड में फोन्टों का अभाव था। इस सीडी में 160 यूनिकोड आधारित ओपनटाइप फोन्ट दिए गए हैं। इससे यह कमी भी अब दूर हो गई है। सूचना-सामग्री के निर्माण तथा प्रदर्शन के प्रयोजन से इन फोंटों का विकास सुन्दर रूप में किया गया है। फोंट की ग्लिफों के आकारों की एकरूपता के कारण फोंट की पठनीयता काफी अधिक हो जाती है। फोंट अन्तर्निर्मित हैं, जिसका तात्पर्य यह है कि इस फोंट का प्रयोग करके वेब पर सूचना-सामग्री तैयार की जा सकती है और किसी डाउनलोड के बिना ही ब्राउजर में प्रदर्शन हो सकता है।

4 हिंदी भाषा के यूनिकोड आधारित की-बोर्ड ड्राइवर:

इंस्क्रिप्ट, अंग्रेजी अक्षराधारित (फ़ोनेटिक) और टाइपराइटर लेआऊट के साथ

यह विभिन्न ओपन टाइप फोंट्स में हिंदी में टाइप करने की सुविधा प्रदान करता है। यदि आप यूनिकोड अनुरूपी ओपन टाइप फोंटों का इस्तेमाल करना चाहते हैं, और आप पहले से ही हिंदी टाइपिंग टाइपराइटर कुंजीपटल में करते रहे हैं या आप केवल अंग्रेजी में टाइप करना जानते हैं और आपका काम सामग्री का कभी कभार थोड़ा बहुत संपादन करना भर है, और आपको इंस्क्रिप्ट कुंजीपटल में टाइप करना नहीं आता, तो घबराइए मत, आपकी समस्याओं का साथ जिस्ट-ओटी टाइपिंग टूल को इंस्टाल करके हो जाएगा। यह इंस्क्रिप्ट कुंजीपटल लेआऊट के साथ टाइपराइटर लेआऊट और अंग्रेजी ध्वन्याधारित कुंजीपटल की सुविधा भी उपलब्ध कराता है। टाइपराइटर लेआऊट यानी मैनुअल टाइपराइटर वाला कुंजी पटल जो काफी सारे दूसरे सॉफ़्टवेयरों और फोन्टों के साथ उपलब्ध होता है, अब इसकी सहायता से यूनिकोड के साथ भी उपलब्ध हो गया है। इसके अतिरिक्त अंग्रेजी टाइपराइटर के अनुरूप यानी ‘ए’ कुंजी दबाने से ‘अ’ टाइप हो और ‘के’ कुंजी दबाने से ‘क’ टाइप हो, इसके लिए ध्वन्याधारित कुंजीपटल (फोनेटिक की-बोर्ड) विकसित किया गया है, जिस्ट ओटी टाइपिंग टूल को इंस्टाल करने पर इस कुंजीपटल का इस्तेमाल भी कर सकेंगे।

5 परिवर्तन-

हिंदी के सभी प्रकार के फोंट्स कोड और स्टोरेज कोडों का परिवर्तक (कनवर्टर)

यह एक फोन्ट स्टोरेज कोड से दूसरे फोन्ट स्टोरेज कोड में परिवर्तन की सुविधा प्रदान करता है. इस सॉफ्टवेयर से प्रयोक्ता एक कोड से दूसरे कोड में डेटा का परिवर्तन कर सकते हैं। यह टेक्ट फाइल तथा डेटा फाइल दोनों का ही परिवर्तन करता है। यह जिस्ट कार्ड/जिस्ट शेल में निर्मित पुराने डेटा को भी परिवर्तित करता है। नए सॉफ्टवेयर में परिवर्तन (नया डेटा फार्मेट) में परिवर्तन के लिए प्रयोक्ता के पास मूल सॉफ्टवेयर (पुराना डेटा फार्मेट) होना जरूरी नहीं है। यह प्रिंटरों और नेट पर काम करने वालों के लिए बहुत ही उपयोगी सॉफ़्टवेयर है. वे इसकी मदद से एक फोन्ट में आई फाइल को अपने मनचाहे फोन्ट में परिवर्तित कर उसका उपयोग कर पाएंगे और अपने ग्राहक को उसके मनचाहे फोन्ट में परिवर्तित कर दे पाएँगे।

6 भारतीय ओपन ऑफिस (ओपन सोर्स) का हिंदी संस्करण-

विंडोज़ और लिनक्स के लिए शब्दसंसाधक, सारणी-टूल, प्रस्तुति-टूल और ड्राइंग टूल के हिंदी संस्करण।

ओपनऑफिस केवल एक सॉफ़्टवेयर ही नहीं, एक आंदोलन है। यह एमएस ऑफिस और लोटस स्मार्टसूट की तरह एक पूर्ण ऑफिस पैकेज है, यानी इसमें दस्तावेज तैयार करने, तालिका बनाने, प्रस्तुति तैयार करने और आँकड़ाकोश बनाने के पैकेज समाविष्ट हैं। और एक अच्छी बात यह कि यह मुक्त सॉफ्टवेयर है, यानी निःशुल्क उपलब्ध है और यदि उपयोक्ता चाहे तो इसमें मनचाहे परिवर्तन भी कर सकता है, क्योंकि इसके स्रोत कूट भी सहजता से उपलब्ध हैं, यानी उनके इस्तेमाल पर कॉपीराइट नहीं है। इसके साथ एक महत्वपूर्ण और अच्छी बात यह भी है कि यह प्लेटफार्म मुक्त है, यानी चाहे आप विंडोज़ एक्सपी पर काम करते हों, या लिनक्स पर, इसमें तैयार फाइल दोनों ही ऑपरेटिंग सिस्टमों पर सहजता से खुल जाएगी। और यदि आपके पास एमएस ऑफिस न हो तो यह उसकी फाइलें भी बड़ी सहजता से खोल देगा, और इस सबके बावजूद यह मुफ्त में उपलब्ध है। बड़ी प्रसन्नता की बात है कि आईसीटी रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग सेंटर (इण्डिया) द्वारा भारतीय ओपनऑफिस समूह बनाया गया है, जो इस सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराना चाहता है, उनकी वैबसाइट www.openoffice.org से इसे निःशुल्क डाऊनलोड किया जा सकता है। हिंदी में इसका विकास हो चुका है। यानी अब आपको दस्तावेज तैयार करने के लिए अंग्रेजी आना आवश्यक नहीं है, इसमें सभी आदेशों को हिंदी में दिया हुआ है। उदाहरण के लिए, ‘एडिट’ को ‘संपादन’, ‘कट’ को ‘काटें’ आदि।

7 हिंदी में फायरफॉक्स ब्राउज़र-

विंडोज़ और लिनक्स के लिए हिंदी उपयोगकर्ता इंटरफेस (यूआई) ब्राउज़र

इंटरनेट एक्सप्लोरर का विकल्प फायरफॉक्स आपको किसी अन्य ब्राउजर की तुलना में अधिक तेजी से, अधिक सुरक्षित रूप में तथा अधिक कुशलतापूर्वक ब्राउज करने में मदद करता है और साथ ही इसके मेनू भी हिन्दी में आते हैं। फायरफॉक्स आपकी पसंदीदा सेटिंग व सूचनाओं को इम्पोर्ट कर लेता है, अत: आपको किसी प्रकार की क्षति नहीं होती है। मात्र 4.7 एमबी (विण्डोज) से, फायरफॉक्स डाउनलोड करने के लिए किसी धीमे सम्पर्क पर कुछ ही मिनटों तथा तेज सम्पर्क पर कुछ ही सेकंड का समय लेता है। इंस्टालर आपका सेट अप तेज कर देता है तथा नया इज़ी ट्रांस्लेशन सिस्टम आपकी सभी सेटिंग्स - फेवरिट, पासवर्ड तथा अन्य डेटा को इंटरनेट एक्सप्लोरर एवं अन्य ब्राउजरों से ले लेता है और इस प्रकार आप तत्काल इंटरनेट पर विभिन्न सूचनाएँ देख सकते हैं।

8 हिंदी में गेम (GAIM) मल्टी प्रोटोकॉल संदेशवाहक-

हिंदी में जीएआईएम मल्टी प्रोटोकॉल संदेशवाहक

यह लिनक्स, बीएसडी, मैकओएस एक्स, तथा विण्डोज के लिए एक मल्टी प्रोटोकॉल तत्काल मैसेजिंग (आईएम) क्लायंट है। यह एआईएम तथा आईसीक्यी (ओंस्कर प्रोटोकॉल), एमएसएन मेसेंजर, याहू! आईआरसी, गाडु-गाडु, एस आई एल सी, ग्रुपवाइज मेसेंजर, तथा जेफिर नेटवर्कों का अनुरूपी है। गेम के प्रयोक्ता कई आईएम नेटवर्कों पर कई खातों में एक साथ लॉग कर सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि आप एओएल इन्सटैंट मैसेंजर पर किसी मित्र के साथ बातचीत कर सकते हैं, जो याहू मैसेंजर पर अपने मित्र के साथ बातचीत कर रहा है, जो आईआरसी चैनल पर बैठा है और सभी एक ही समय पर। गेम विभिन्न नेटवर्कों की अनेक विशेषताओं का समर्थन करता है, जैसे कि फाइल अन्तरण, अनुपस्थिति संदेश, टाइपिंग सूचना, तथा एमएसएन विण्डोज के बन्द होने की सूचना। यह इससे भी अधिक कार्य करता है तथा कई अनूठी विशेषताएँ उपलब्ध कराता है।

9 हिंदी में कोलांबा ई-मेल क्लाइंट एवं लाइमवायर-

विंडोज़ और लिनक्स के लिए हिंदी ई-मेल क्लाइंट

यह जावा में लिखा गया एक ईमेल क्लायंट है, जिसमें विजार्ड सहित प्रयोक्ता-उपयोगी ग्राफीय इंटरफेस तथा अन्तर्राष्ट्रीयकरण के समर्थन उपलब्ध हैं। यह आपकी उत्पादकता तथा संव्यवहार की क्षमता में वृद्धि करने की विशेषताओं से युक्त एक शक्तिशाली ईमेल प्रबंध उपकरण है।

10 चित्रांकन-

विंडोज़ के लिए हिंदी का ओसीआर सॉफ़्टवेयर

यह हिंदी के पृष्ठों को स्कैन कर उन्हें Text में कनवर्ट करता है अर्थात् संपादन करने योग्य रूप में परिवर्तित करता है। हिन्दी समाचार_पत्रों/हिन्दी पत्रिकाओं आदि की स्कैनिंग करने तथा उसे टेक्स्ट फार्मेट में परिवर्तित करने के लिए हिन्दी ओसीआर का प्रयोग किया जाता है। परिवर्तित टेक्स्ट फाइल का सम्पादन किया जा सकता है तथा उसे आगे काम में लाया जा सकता है। आउटपुट को इस्की/यूनीकोड/आरटीएफ फार्मेट में परिवर्तित किया जा सकता है। ओसीआर में अक्षरों की पहचान करने के लिए एक अनूठा डीएसपी एल्गोरिथ्म है। प्रशिक्षण माडयूल इसका एक विशेष गुण है। इस प्रशिक्षण मॉडयूल से किसी भी मुद्रित फोंट फार्मेट को प्रशिक्षित किया जा सकता है और इस प्रकार उत्पाद की शुद्धता में वृद्धि हो जाती है।

11 आसान-

विंडोज़ के लिए हिंदी-अंग्रेज़ी का आसान टाइपिंग शिक्षक

यह हिंदी व अंग्रेज़ी टाइपिंग सीखने की सुविधा प्रदान करता है। यह सॉफ्टवेयर टच टाइपिंग सीखने की एक बहुत ही सरल गाइड है। आज, बडी संख्या में सॉफ्टवेयर इंजीनियर तथा तकनीकी कर्मचारी टाइपिंग के लिए केवल दो उंगलियों का प्रयोग करते हैं। यह सॉफ्टवेयर ऐसे लोगों की सुविधा के लिए तैयार किया गया है जिन्हें टाइपिंग का प्रशिक्षण लेने का अवसर या समय नहीं मिला। इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके 6 से 10 घंटों के अन्दर टाइपिंग के मूल तत्व तेजी से सीख सकते हैं। आपकी गति के आधार पर, आप उन्नत अध्यायों पर जा सकते हैं और बहुत ही कम समय में टच टाइपिंग में प्रवीणता प्राप्त कर सकते हैं। इस सॉफ्टवेयर की विशेषता यह है कि टाइपिंग के अभ्यास एक ही सॉफ्टवेयर में दो अलग-अलग प्रकार के कुंजीपटलों के लिए उपलब्ध कराए गए हैं। आप यह पाएँगे कि ये अध्याय द्विभाषी (अंग्रेजी तथा हिन्दी) में पढ़ाए जाते हैं। शिक्षार्थी अपनी आवश्यकता एवं रुचि के अनुसार टाइपिंग के अंग्रेजी तथा हिन्दी मोड के बीच किसी का भी चयन कर सकते हैं।

12 शब्दिका-

विंडोज़ के लिए अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश

‘शब्दिका’ एक स्वतंत्र अनुप्रयोग है जो भारत सरकार के वैज्ञानिक व पारिभाषिक शब्दावली आयोग द्वारा तैयार अंग्रेजी हिंदी प्रशासन कोश और कंप्यूटर शब्दावली तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तैयार बैंकिंग शब्दावली, अधिनियमों के नाम, पदनाम, वाक्यांशों के हिंदी विकल्प उपलब्ध कराता है। यह प्रयोग में अत्यंत सहज है। किसी शब्दकोश में खोजने की बजाए कंप्यूटर में शब्दों को ढूँढने का यह एक सशक्त उपकरण है।

14 अंग्रेज़ी हिंदी शब्दकोश-

यह अंग्रेज़ी शब्दों के हिंदी समानार्थी शब्द ढूँढने की सुविधा प्रदान करता है।

यह सामान्य शब्दावली के हिंदी अनुवाद को यूनिकोड में उपलब्ध कराता है। यह अनुवादकों और हिंदी लेखकों के लिए एक बेहद उपयोगी सुविधा है।

15 हिंदी वर्तनी जाँचक-

यह हिंदी शब्दों की वर्तनी की जाँच करता है। यह केवल जिस्ट टीटी टाइपिंग उपकरण के जरिए एमएस वर्ड में हिन्दी में तैयार की गई सामग्री का वर्तनी परीक्षण करने में सहायता मिलती है।

16 हिंदी लिप्यंतरण टूल-

विंडोज़ के लिए हिंदी भाषा का लिप्यंतरण टूल यानी अंग्रेजी (रोमन लिपि) में टाइप सामग्री को हिंदी (देवनागरी) में परिवर्तित करने वाला उपकरण। यह ओपनऑफिस के हिंदी संस्करण के साथ लगकर काम करने वाली सुविधा है। यह ट्रांस्लिटरेशन के लिए अंग्रेजी से भारतीय भाषाओं में लिप्यंतरण का एक उपकरण है। इस समय, यह अंग्रेजी से छह भारतीय भाषाओं अर्थात हिन्दी, तमिल, तेलुगू, कन्नड, मलयालम तथा गुजराती में लिप्यंतरण का समर्थन करता है। लिप्यंतरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्रयोक्ता वस्तुत: उस भाषा में टाइप करता है जिसमें वह अभ्यस्त है (हमारे मामले में अंग्रेजी) लेकिन शब्द लक्षित भाषा (हिन्दी, तमिल, आदि) के होते हैं।

17 हिंदी के लिए लेखन-वाचक प्रणाली (Text to Speech)-

यह हिंदी के लिखित वाक्य (टैक्स्ट) को वाक (स्पीच) में बदलने की सुविधा प्रदान करता है।

यह लिखे हुए शब्दों को बोले हुए शब्दों में बदलने वाला अनुप्रयोग है, जो हिंदी में लिखे किसी पाठ को हिंदी में पढ़ कर सुना सकता है। वह पाठ सीधे हिंदी में टाइप किया हो सकता है या किसी स्कैनर द्वारा स्कैन की गई किसी सामग्री को ऑपटिकल कैरेक्टर रिकग्निशन सॉफ्टवेयर की मदद से बदला गया पाठ हो सकता है। संक्षेप में, पाठ-से-वाक साफ्टवेयर से कंप्यूटर बोलने लगता है। इसे चलाने के लिए कंप्यूटर में साउंड कार्ड तथा स्पीकर होने चाहिए।

18 हिंदी भाषा का शब्दानुवाद टूल-

अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद केवल एक सेवा के रूप में www.ildc.in पर उपलब्ध है. हिंदी में शब्दकोश केवल www.ildc.in पर ही उपलब्ध है।

ऐसा नहीं है कि हिंदी कंप्यूटरी की सभी समस्याएँ सुलझ गई हैं। परंतु कंप्यूटर का 90 प्रतिशत काम जिन सॉफ्टवेयरों या उपकरणों के जरिये होता है, वे मुफ्त में उपलब्ध हैं। भारत में प्रिंटिंग का सबसे लोकप्रिय सॉफ्टवेयर ‘पेजमेकर’ यूनिकोड को समर्थन नहीं देता. परंतु ‘क्‍वार्कएक्सप्रैस’ और ‘एमएस पब्लिशर’ समर्थन देते हैं. पर ऐसे और भी साफ्टवेयर होंगे जो अभी यूनिकोड को समर्थन प्रदान नहीं करते होंगे. इनके लिए इसी सी-डी में ‘जिस्ट टीटी टाइपिंग टूल’ उपकरण दिया है. इसकी सहायता से हम इस्की कोड में सामग्री का मुद्रण कर सकते हैं. यह ज़रूर है कि हमें केवल जिस्ट-टीटी फोंट ही इस्तेमाल करने चाहिए क्योंकि वे इस्की मानक पर आधारित हैं. इन फोंटों के मुफ्त और मुक्त होने के कारण आप इन्हें आसानी से कानूनन वितरित भी कर सकते हैं.

इसलिए यह करना अतिशयोक्ति न होगा कि यह लोकार्पण भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी के स्वप्न को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, यह महान अपेक्षाओं को जगाता है। यह निश्चय ही विश्व ज्ञान हासिल करने और स्थानीय जरूरतों के मुताबिक ज्ञान को अनुकूलित करने और रचने को प्रेरित करेगा। हिंदी का प्रयोग नाटकीय ढंग से व्यक्तिगत कंप्यूटरों की खपत को बढ़ाएगा, हिंदी समाज को प्रौद्योगिकी-मित्र बनने में सहायता प्रदान करेगा।

(समाप्त)

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COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. पूरी पुस्तक को सरसरी तौर पर देखने के बाद मैं कहना चाहूँगा कि लेखक ने इसकी रचना में काफी परिश्रम किया है और काफी सोचविचार भी। चूंकि यह अभी प्रथम संस्करण ही है इसलिये कहने की जरूरत नहीं कि पुस्तक निरन्तर और भी आकर्षक, रोचक एवं उपयोगी होती चली जायेगी।

    कम्प्यूटर और इन्टरनेट के इस युग के हिसाब से इसमें चित्रों एवं चार्टों आदि की कमी अनुभव हो रही है। इसके साथ ही भविष्य के भाषायी परिदृष्य , और विशेषकर मोबाइल उपकरणों पर हिन्दी कम्प्यूटरी, पर भी एक-दो पृष्ट में कुछ कहना चाहिये था। इस पुस्तक में मुख्य शब्द(की-वर्ड्स) यदि मोटे में किये जा सकते तो पढ़ने-समझने में सुविधा और आसानी होती।

    पुस्तक लोगों को रुचिकर और उपयोगी लगे, यही शुभकामना है!!

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नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद 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आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र 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मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड 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रचनाकार: वेद प्रकाश की किताब : हिन्दी कम्प्यूटरी (6 – अंतिम किश्त)
वेद प्रकाश की किताब : हिन्दी कम्प्यूटरी (6 – अंतिम किश्त)
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