चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा (18)

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मेरी आत्म कथा चार्ली चैप्लिन   चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा -अनुवाद : सूरज प्रकाश ( पिछले अंक 17 से जारी …) उनतीस अपनी ...

मेरी आत्म कथा

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चार्ली चैप्लिन

 

चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा

-अनुवाद : सूरज प्रकाश

suraj prakash

(पिछले अंक 17 से जारी…)

उनतीस

अपनी व्यक्तिगत समस्याओं के दौरान मैंने युनाइटेड आर्टिस्ट्स के कारोबार की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। अब मेरे वकील ने चेताया कि कम्पनी 1,000,000 डॉलर के घाटे में चल रही है। जब इसके अच्छे दिन थे तो हर वर्ष 40,000,000 से 50,000,000 डॉलर तक का लाभ कमा कर दे रही थी। लेकिन मुझे याद नहीं आता कि मुझे दो से ज्यादा लाभांश मिले हों। अपनी समृद्धि के शिखर पर युनाइटेड आर्टिस्ट्स ने चार सौ अंग्रेज़ी थियेटरों में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी जुटा ली थी और इसके लिए उसे एक पाई भी नहीं चुकानी पड़ी थी। मुझे पक्के तौर पर नहीं पता कि ये सब हमने कैसे हासिल किया था। मुझे ऐसा लगता है कि ये हमें हमारी फिल्मों के निर्माण की गारंटी देने के बदले दिये गये थे। दूसरी अमेरिकी फिल्म कम्पनियों को इसी तरह से ब्रिटिश सिनेमा में बहुत बड़ी राशि के स्टॉक लेने पड़े थे। एक ऐसा वक्त भी आया था कि रैंक संगठन में हमारी इक्विटी का हिस्सा 10,000,000 डॉलर के बराबर था।

लेकिन एक-एक करके युनाइटेड आर्टिस्ट्स के शेयरधारकों ने अपने शेयर कम्पनी को वापिस बेच दिये थे और इनकी चुकौती करने में कम्पनी की हालत पतली हो गयी थी। अचानक मैंने पाया कि मैं युनाइटेड आर्टिस्ट्स की कम्पनी का आधा मालिक हूं और ये कम्पनी 1,000,000 डालर के घाटे में चल रही थी। मैरी पिकफोर्ड मेरी पार्टनर थी। उसने इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाते हुए चेतावनी भरा पत्र लिखा कि सभी बैंकों ने और कर्जे देने से मना कर दिया है। मुझे इस बात की ज्यादा चिंता नहीं थी क्योंकि हम इससे पहले भी कर्जे में आ चुके थे और सफल फिल्मों ने हमें हमेशा इन संकटों से बाहर निकाल लिया था। इसके अलावा, मैंने अभी अभी मोन्स्योर वेरडाऊ पूरी की थी और मैं ये मान कर चल रहा था कि ये बॉक्स ऑफिस पर खूब सफल रहेगी। मेरे प्रतिनिधि आर्थर कैल्ली ने कम से कम 12,000,000 डॉलर की कमाई का अनुमान लगाया था और अगर ये सच हो जाता तो ये हमारी कम्पनी के कर्जे तो उतारेगी ही, 11,000,000 डॉलर का मुनाफा भी दे जायेगी।

हॉलीवुड में मैंने अपने दोस्तों के लिए एक निजी शो की व्यवस्था करायी थी। अंत में, थॉमस मान, लायन फ्यूशवेंगर और कई दूसरी विभूतियां खड़ी हो गयीं और एक मिनट से भी ज्यादा तक तालियां बजाती रहीं।

पूरे विश्वास के साथ मैंने न्यू यार्क में कदम रखा। लेकिन मेरे वहां पहुंचते ही डेली न्यूज़ ने मुझ पर हमला कर दिया:

चैप्लिन अपनी नयी फिल्म के प्रदर्शन के लिए शहर में हैं। 'मेरे सहयात्री·' के रूप में उनके सम्बोधन के बाद मैं उन्हें न्यौता देता हूं कि वे प्रेस में अपना चेहरा दिखायें क्योंकि मैं वहां पर उनसे एक या दो परेशान करने वाले सवाल पूछूंगा।

युनाइटेड आर्टिस्ट्स के प्रचार स्टाफ ने इस बात पर देर तक विचार विमर्श किया कि क्या मेरे लिए अमेरिकी प्रेस से मिलना ठीक रहेगा। मैं परेशान था क्योंकि उस दिन सुबह ही मैं विदेशी प्रेस से मिल चुका था और उन्होंने बहुत गर्मजोशी और उत्साह के साथ मेरा स्वागत किया था। इसके अलावा मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो गीदड़ भभकियों से डर जायें।

अगली सुबह हमने होटल में एक बड़ा-सा कमरा आरक्षित कराया और मैं अमेरिकी प्रेस से मिला। जब कॉकटेल सर्व कर दिये गये तो मैं हाज़िर हुआ, लेकिन मैंने ताड़ लिया कि दाल में कुछ काला है। मैं एक छोटी सी मेज के पीछे से एक छोटे से मंच से बोला। मैं अपनी आवाज़ में जितनी मिश्री घोल सकता था, घोली और बोला,'आप लोग कैसे हैं, देवियो और सज्जनो, मैं यहां पर इसलिए हाज़िर हुआ हूं ताकि मैं अपनी फिल्म के बारे में और अपनी भावी योजनाओं के बारे में जो भी तथ्य आप जानना चाहें, उनके बारे में बता सकूं।'

वे लोग चुप रहे। 'सब एक साथ मत बोलिये,' मैंने मुस्कुराते हुए कहा।

आखिरकार पहली पंक्ति के पास बैठी एक महिला पत्रकार ने श्रीगणेश किया,'क्या आप कम्यूनिस्ट हैं?'

'नहीं,' मैंने दृढ़ता से जवाब दिया,'अगला सवाल प्‍लीज़,'

इसके बाद भुनभुनाने की एक आवाज़ आने लगी। मुझे लगा कि डेली न्यूज़ वाले वे वही मेरे शुभचिंतक होंगे, लेकिन उनकी गैर हाज़री साफ तौर पर महसूस की जा सकती थी। लेकिन जो वक्ता खड़े हुए वे अपना ओवरकोट पहने हुए मैले कुचैले से लगने वाले निरीह प्राणी थे और वे अपने उन कागज़ों पर झुके हुए थे जिनमें से वे पढ़ रहे थे।

'माफ कीजिये,' मैंने कहा,'आपको फिर से पढ़ना पढ़ेगा, आप जो भी कह रहे हैं, मैं उसका एक भी शब्द समझ नहीं पा रहा हूं।'

उन्होंने शुरू किया, 'हम, कैथोलिक युद्ध के .. '

मैंने टोका,'मैं यहां पर किसी कैथोलिक युद्ध के .. वरिष्ठ भुक्तभोगियों के सवालों का जवाब देने के लिए नहीं आया हूं। ये बैठक प्रेस के लिए है।'

'आप अमेरिका के नागरिक क्यों नहीं बने हैं?' एक और आवाज़।

'मुझे अपनी राष्ट्रीयता बदलने की कोई वज़ह नज़र नहीं आती। मैं अपने आपको विश्व का नागरिक समझता हूं।' मैंने जवाब दिया।

थोड़ी देर के लिए हंगामा मच गया। दो या तीन एक साथ बोलना चाहते थे। अलबत्ता, एक आवाज़ दूसरी आवाज़ों पर हावी हो गयी,'लेकिन आप अपनी रोज़ी रोटी तो अमेरिका से कमाते हैं!'

'अच्छी बात है,' मैंने मुस्कुराते हुए कहा,'अगर आप इसे आर्थिक रूप से तौलना चाहते हैं तो मैं आपके सामने सारे आंकड़े गिनवा देता हूं। मेरा कारोबार अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप का है और मेरी कमाई का सत्तर प्रतिशत विदेशों से आता है। और मज़े की बात, उस पर सत्तर प्रतिशत कर का लाभ अमेरिका को मिलता है। अब आप ही देख लीजिये, मैं आपका कितना अच्छा पेइंग गेस्ट हूं!'

कैथोलिक लीज़न के पक्षधर ने एक बार फिर अपना सिर उठाया,'आप अपना धन यहां पर कमाते हैं या नहीं, हम लोग, जिन्होंने फ्रांस के तटों पर अपने सैनिक उतारे हैं, इस बात पर आपसे खफा हैं कि आप इस देश के नागरिक नहीं हैं।'

'आप ही अकेले ऐसे सज्जन नहीं हैं जिनके सगे फ्रांस के तटों पर उतरे हैं,' मैंने बताया,'मेरे दो बेटे भी पैटन की सेना में हैं और एकदम मोर्चे पर हैं और वे न तो आपकी तरह तथ्यों को भुना रहे हैं और न ही उनका फायदा ही उठा रहे हैं।'

'क्या आप हैंस एस्लर को जानते हैं?' एक अन्य रिपोर्टर।

'हां, वे मेरे बहुत प्यारे दोस्त हैं और वे बहुत अच्छे संगीतकार हैं।'

'क्या आपको पता है कि वे कम्यूनिस्ट हैं?'

'मैं इस बात की परवाह नहीं करता कि वे क्या हैं, मेरी दोस्ती राजनीति पर आधारित नहीं है।'

'फिर भी ऐसा लगता है कि आप कम्यूनिस्टों को पसंद करते हैं?' एक अन्य रिपोर्टर।

`किसी को भी ये बताने की ज़रूरत नहीं है कि मुझे क्या पसंद करना चाहिये और क्या नहीं। हम अभी तक उस तरह के संबंधों तक नहीं पहुंचे हैं।'

तभी उसी उत्तेजना के बीच में से एक आवाज़ उभरी,'कैसा लगता है ऐसा कलाकार होना जिसने छोटे लोगों की खुशियों और समझ के साथ पूरी दुनिया को इतना समृद्ध किया हो और अमेरिकी प्रेस के तथाकथित प्रतिनिधियों की नफ़रत और फटकार का पात्र बनाया जाना और मज़ाक का पात्र बनना?'

मैं सहानुभूति के दो बोल सुनने के लिए इतना तरस गया था कि मैं अचानक टोक बैठा,'माफ कीजिये, मैं आपकी बात नहीं समझ पाया। क्या आप अपना सवाल दोहरायेंगे?'

मेरे प्रचार प्रबंधक ने मुझे टहोका मारा और फुसफुसाया,'ये आदमी तो आपके पक्ष में ही बात कर रहा है। उसने बहुत ही उम्दा ही बात की है।' ये अमेरिकी उपन्यासकार और कवि जिम एगी थे जो उस समय टाइम्स मैगजीन के लिए विशेष फीचर लेखक और समीक्षक के रूप में काम कर रहे थे।

'माफ कीजिये,' मैंने कहा,'मैं आपकी बात सुन नहीं पाया, क्या आप अपनी बात दोहरायेंगे?'

'मुझे नहीं पता कि मैं ऐसा कर पाऊंगा या नहीं,' कहा उन्होंने। वे थोड़ा परेशान हो गये थे, फिर भी उन्होंने लगभग वही शब्द दोहरा दिये।

मुझे कोई जवाब ही नहीं सूझा। इसलिए मैंने अपना सिर हिलाया और कहा,'कोई टिप्पणी नहीं, लेकिन आपका आभार!'

इसके बाद तो मैं उखड़ ही गया। उनके भले लगने वाले शब्दों ने मुझसे और लड़ने की ताकत ही छीन ली थी। 'मुझे खेद है देवियो और सज्जनो,' मैंने कहा,'मैं तो ये मान कर चल रहा था कि ये प्रेस सम्मेलन मेरी फिल्म के बारे में साक्षात्कार है, इसके बजाये, ये तो राजनैतिक उठा पटक में बदल गया है। इसलिए मुझे और कुछ नहीं कहना है।'

साक्षात्कार के बाद मैं भीतर ही भीतर बीमार हो गया था, क्योंकि मैं जानता था कि मेरे खिलाफ एक मज़बूत उग्र मोर्चा खोल दिया गया है।

इसके बावज़ूद मैं इस पर यकीन नहीं कर सका। मुझे द ग्रेट डिक्टेटर पर बधाई देते हुए बहुत ही शानदार पत्र मिले थे और उससे जो कमाई हुई थी, वह पहले की सारी फिल्मों की कमाई पार कर गयी थी और फिल्म के प्रदर्शित होने से पहले मुझे बहुत सारे प्रतिकूल प्रचार का सामना करना पड़ा था। मुझे मोन्स्योर वेरडाऊ की सफलता पर पूरा भरोसा था और युनाइटेड आर्टिस्ट्स के स्टाफ की भी यही राय थी।

मैरी पिकफोर्ड ने फोन करके बताया कि वह ऊना और मेरे साथ प्रीमियर में आना चाहेगी, इसलिए मैंने उन्हें हमारे साथ '21' पर खाना खाने के लिए आमंत्रित किया। मैरी डिनर पर बहुत देर से पहुंची थीं। उन्होंने बताया कि उन्हें एक कॉकटेल पार्टी की वजह से देरी हो गयी। वहां से निकलने में उन्हें बहुत मुश्किल हो रही थी।

जिस वक्त हम थियेटर में पहुंचे तो बाहर अपार भीड़ जुट चुकी थी। जिस वक्त हम लॉबी में से रास्ता बना कर निकल रहे थे, हमने देखा कि एक आदमी रेडियो पर प्रसारण कर रहा है: 'और अब चार्ली चैप्लिन और उनकी पत्नी आ पहुंचे हैं। आहा, और उनके साथ उनके मेहमान के रूप में हैं मूक फिल्मों के दिनों की शानदार अभिनेत्री जो अभी भी पूरे अमेरिका की हर दिल अजीज हैं। ये हैं मिस मैरी पिकफोर्ड। मैरी, क्या आप इस शानदार प्रीमियर के बारे में कुछ नहीं कहेंगी?'

लॉबी ठसाठस भरी हुई थी। मैरी किसी तरह से भीड़ में से रास्ता बनाते हुए माइक्रोफोन तक पहुंचीं। वे अभी भी मेरा हाथ थामे हुए थीं।

'और अब, देवियो और सज्जनो, पेश हैं मैरी पिकफोर्ड!'

खींचे जाने और धकेले जाने के बीच मैरी ने कहा, 'दो हज़ार साल पहले यीशु का जन्म हुआ था और आज की रात ..' वे आगे कुछ नहीं कह पायीं। चूंकि वे अभी भी मेरा हाथ थामे हुए थीं, उन्हें भीड़ के एक धक्के ने माइक से परे धकेल दिया। मैं अक्सर इस बात पर हैरान होता हूं कि वे आगे क्या कहने वाली थीं।

उस रात थियेटर का माहौल असहज करने वाला था। एक भावना काम कर रही थी कि दर्शक कुछ सिद्ध करने के लिए आये हैं। जिस पल फिल्म शुरू हुई, बेचैन प्रत्याशा और अतीत के सुखद अहसास, जिनके साथ मेरी फिल्मों का स्वागत हुआ करता था, उनकी जगह पर बीच बीच में कुछेक सिसकारियों के बीच बिखरे बिखरे, नर्वस हंसी के पल थे। मुझे ये स्वीकार करना ही होगा कि सिसकारी भरी ये प्रतिक्रियाएं प्रेस की सारी नाराज़गी से भी ज्यादा तकलीफ दे रही थीं।

जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती गयी, मेरी चिंता बढ़ती गयी। हँसी के पल थे लेकिन ये बिखरे हुए थे। ये पुराने वक्त के, द गोल्ड रश के, या सिटी लाइट्स के या शोल्डर आर्म्स के ठहाके नहीं थे। ये थियेटर में चल रही सिसकारियों के खिलाफ चुनौतीपूर्ण हँसी थी। मेरा दिल डूबने लगा। मैं अपनी सीट में और देर तक नहीं बैठ पाया। मैंने ऊना से फुसफुसाया,'मैं बाहर लॉबी में जा रहा हूं। अब और सहन नहीं होता मुझसे।' उसने मेरा हाथ दबाया। मेरे हाथ में मुचड़ा हुआ कार्यक्रम पत्रक था, इसे मैं इतना ज्यादा तोड़ मरोड़ चुका था कि ये मेरी हथेलियों को पसीने से गीला करने लगा। इसलिए मैंने उसे अपनी सीट के नीचे फेंक दिया। मैं दबे पांव बीच वाले रास्ते पर आया और लॉबी की तरफ निकल गया। मैं ठहाके सुनने और उनके बीच में से उठ कर परे चले आने के बीच बंट गया था। तब मैं हौले हौले चलता हुआ बीच वाली मंज़िल तक यह देखने के लिए आया कि वहां पर क्या चल रहा है। एक आदमी बाकी और लोगों की तुलना में सबसे ज्यादा हँस रहा था। निश्चित तौर पर मेरा कोई दोस्त रहा होगा। लेकिन ये विकृत और नर्वस हँसी थी मानो वह कुछ सिद्ध करना चाहता हो। बाल्कनी में भी यही हाल चल रहा था।

दो घंटे तक मैं लॉबी में, गली में और थियेटर के आस पास चहलकदमी करता रहा और फिर वापिस थियेटर में फिल्म देखने आ जाता। ये सब बीच बीच में चलता रहा। आखिर फिल्म खत्म हुई। अर्ल विल्सन, स्तम्भकार, जो बहुत ही प्यारा आदमी था, मुझसे लॉबी में मिलने वाले लोगों में सबसे पहला था। 'मुझे ये बहुत अच्छी लगी।' उसने 'मुझे' पर बहुत ज़ोर दिया। तब मेरे प्रतिनिधि आर्थर केली बाहर आये। 'बेशक, ये एक करोड़ बीस लाख का धंधा तो नहीं ही करने जा रही है।' उसने कहा।

'मैं आधे पर ही समझौता कर लूंगा,' मैंने मज़ाक में कहा।

इसके बाद हमने लगभग एक सौ पचास लोगों को खाने की दावत दी। उनमें से कुछ पुराने दोस्त थे। उस शाम वहां पर तरह तरह की बातें हुईं और शैम्पेन सर्व किये जाने के बावजूद मामला हताश करने वाला था। ऊना जल्दी ही वहां से चली गयी लेकिन मैं आधा घंटा और रुका रहा।

हरबर्ट बेयार्ड स्वोपे, जिन्हें मैं पसंद करता था और समझदार समझता था, फिल्म के बारे में मेरे दोस्त डॉन स्टीवर्ट से बहस कर रहे थे। स्वोपे को ये पसंद नहीं आयी थी। उस रात कुछ ही लोगों ने मुझे बधाई दी। डॉन स्टीवर्ट, जो मेरी तरह खुद भी थोड़े नशे में थे, बोले,'चार्ली, आस पास बहुत से हरामी मौजूद हैं जो आपकी फिल्म पर राजनीति की रोटियां सेंकना चाहते हैं। लेकिन फिल्म बहुत ऊंची चीज़ बनी है और दर्शक इसे पसंद करेंगे।'

इस समय तक मैं इस बात की परवाह नहीं कर रहा था कि कौन क्या कह रहा है। अब मुझमें विरोध करने की ताकत नहीं बची थी। डॉन मुझे होटल तक छोड़ने आये। जब हम पहुंचे तो ऊना पहले ही सो चुकी थी।

'कौन सी मंज़िल है?' डॉन ने पूछा।

'सत्रहवीं'

'हे भगवान, आपको पता है कि ये कौन सा कमरा है? ये वही कमरा है जिसमें वो लड़का लेज पर निकल आया था और कूद कर जान देने से पहले वहां पर बारह घंटे तक खड़ा रहा था।'

उस शाम का इससे बेहतर क्लाइमेक्स और क्या हो सकता था। अलबत्ता, मैं ये मानता हूं कि मैंने अब तक जितनी भी फिल्में बनायी हैं, उनमें से मोन्स्योर वेरडाऊ सबसे ज्यादा चतुराई और समझदारी से बनायी गयी फिल्म है।

मेरी हैरानी की सीमा न रही जब मोन्स्योर वेरडाऊ न्यू यार्क में छ: सप्ताह तक चलती रही और उसने बहुत अच्छा कारोबार किया। लेकिन ये अचानक ही मंदी पड़ गयी। जब मैंने युनाइटेड आर्टिस्ट्स के ग्रैड सीअर्स से इस बारे में पूछा तो उसने बताया,'आप जो भी फिल्म बनाते हैं, वह पहले तीन या चार हफ्ते तक तो बहुत अच्छा कारोबार करती है। कारण ये है कि आपके बहुत सारे पुराने प्रशंसक हैं। लेकिन उनके बाद आती है आम जनता। और सच कहें तो प्रेस आपके पीछे कम से कम दस बरस से लट्ठ ले कर पड़ी हुई है और उस लट्ठबाजी की कुछ तो असर होना ही था। यही वजह है कि कारोबार में मंदी आ गयी है।'

'लेकिन ये तो मानना ही पड़ेगा कि लोगों में हास्य बोध है।' मैंने पूछा।

'यहां देखिये,' उसने मुझे डेली न्यूज और हर्स्ट के अखबार दिखाये, और ये अखबार सारे देश में जाते हैं।'

एक अखबार में एक चित्र दिखाया गया था जिसमें मोन्स्योर वेरडाऊ दिखाने वाले एक थियेटर के बाहर न्यू जर्सी कैथोलिक लीज़न के लोग हाथ में प्लेकार्ड ले कर धरना दे रहे थे। उन लोगों के हाथों में जो बोर्ड थे, उन पर लिखा था,

'चार्ली कॉमरेड है'

'देशद्रोही को देश से बाहर निकालो'

'चैप्लिन बहुत दिन तक मेहमान बन कर रह लिया'

'चैप्लिन, कृतघ्न और कम्यूनिस्टों से सहानुभूति रखने वाला'

'चैप्लिन को रूस भेजो'

जब किसी व्यक्ति पर निराशा और तकलीफ की दुनिया टूट पड़ती है तो अगर वह हताशा की तरफ नहीं मुड़ता तो दर्शन और हास्य की तरफ मुड़ जाता है। और जब ग्रैड ने मुझे धरना देने वालों की तस्वीर दिखायी, तो उस वक्त थियेटर के बाहर एक भी दर्शक नहीं था। मैंने मज़ाक में कहा,'स्पष्ट ही ये तस्वीर सुबह पांच बजे ली गयी होगी।' अलबत्ता, जहां कहीं भी मोन्स्योर वेरडाऊ बिना बाधा के दिखायी गयी, इसने सामान्य की तुलना में बेहतर ही कारोबार किया।

पिक्चर को देश के सभी बड़े सर्किटों में बुक किया गया था। लेकिन अमेरिकी लीजन की तरफ से और दूसरे समूहों की तरफ से धमकी भरे पत्र मिलने पर उन्होंने शो दिखाने बंद कर दिये। लीज़न ने धमकाने का प्रभावशाली तरीका अपनाया था कि अगर वे कोई चैप्लिन फिल्म दिखा रहे होते या कोई ऐसी फिल्में दिखा रहे होते जिसे वे अनुमोदित नहीं करते थे तो वे वितरकों को पूरे एक बरस तक थियेटर का बहिष्कार करने की धमकी देते थे। डेनवर में पहली रात फिल्म ने बहुत अच्छा कारोबार किया लेकिन इस तरह के धमकी भरे व्यवहार के कारण उसे उतार दिया गया।

न्यू यार्क की ये वाली हमारी यात्रा अब तक की यात्राओं की तुलना में सबसे ज्यादा नाखुश करने वाली थी। रोज़ाना हमें फिल्म के रद्द किये जाने की खबरें मिलतीं। इसके अलावा, मुझे ग्रेट डिक्टेटर को ले कर चोरी के इल्ज़ाम में फंसा दिया गया था और प्रेस और जनता की भीषण नफ़रत और विरोध के चरम बिन्दु पर पहुंचने पर और जब कि सीनेट में चार सीनेटर हाथ धो कर मेरे पीछे पड़ गये थे, मेरी इस इच्छा के विरुद्ध कि इस मामले को थोड़ा स्थगित कर दिया जाये, मामले को जूरी के सामने ले जाया गया।

आगे बढ़ने से पहले मैं ये कह कर कुछ बातें साफ कर लेना चाहता हूं कि मैंने हमेशा अकेले के बलबूते पर अपनी पटकथाएं खुद ही सोची और लिखी हैं। मामला अभी शुरू भी नहीं हुआ था कि न्यायाधीश ने यह घोषणा कर दी कि उनके पिता मर रहे हैं और कि हम समझौता कर लें ताकि वह मामला निपटा सकें और अपने पिता के पास जा सकें। दूसरे पक्ष ने इसमें तकनीकी फायदा देखा और समझौते के प्रस्ताव को लपक कर स्वीकार कर लिया। अगर सामान्य परिस्थितियां होतीं तो मैंने मामले को आगे बढ़ाने पर ज़ोर दिया होता, लेकिन एक तो मैं उस वक्त अमेरिका में अलोकप्रियता के शिखर पर था और इस तरह के न्यायालय के दबाव में आ गया था, मैं डरा हुआ था कि आगे न जाने क्या हो जाये, हमने समझौता कर लिया।

12,000,000 डॉलर कमाने की सारी उम्मीदें धूल में मिल चुकी थीं। अब तो उसकी कीमत वसूल करने के भी लाले पड़े हुए थे। एक बार फिर युनाइटेड आर्टिस्ट्स गहरे संकट में पड़ गयी थी। किफायत करने की दृष्टि से मैरी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मैं अपने प्रतिनिधि आर्थर कैल्ली की छुट्टी कर दूं और जब मैंने उसे याद दिलाया कि मैं भी कम्पनी का आधा मालिक हूं तो मोहतरमा नाराज़ हो गयीं।

'अगर मेरा प्रतिनिधि जाता है, मैरी, तो आपका प्रतिनिधि भी ज़रूर जायेगा।' मैंने कह दिया। इससे अवरोध पैदा हो गया और मुझे मज़बूरन कहना पड़ा,'अब हम दोनों में से ही एक कम्पनी खरीदे और दूसरा बेचे। अपनी कीमत बोलिये।' लेकिन मैरी कोई कीमत लगाने के लिए तैयार नहीं थीं और न ही मैं कीमत लगाने में पहल कर रहा था।

आखिर, ईस्टर्न सर्किट ऑफ थियेटर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली वकीलों की एक फर्म हमारी संकट मोचक बन कर सामने आयी। वे कम्पनी पर नियंत्रण चाहते थे और 12,000,000 डॉलर देने के लिए तैयार थे। 7,000,000 डॉलर नकद और 5,000,000 डॉलर शेयरों के रूप में। ये बहुत ही अच्छा सौदा था।

'देखो,' मैंने मैरी से कहा,'आप मुझे अभी नकद 5,000,000 डॉलर दे दीजिये और बाकी आप रख सकती हैं।' वे इस बात से सहमत हो गयीं और कम्पनी को भी इसमें एतराज़ नहीं था।

कई हफ्तों तक सौदेबाजी करने के बाद इस आशय के दस्तावेज तैयार कर लिये गये। आखिरकार मेरा वकील मेरे पास आया और बोला,'चार्ली, अगले दस मिनट बाद आपकी हैसियत पचास लाख डॉलर की हो जायेगी।'

लेकिन दस मिनट बाद उसने फोन किया,'चार्ली, सौदा खटाई में पड़ गया है। मैरी ने पैन अपने हाथ में ले लिया था और हस्ताक्षर करने ही वाली थीं कि अचानक बोलीं,'नहीं, चार्ली को पचास लाख डॉलर अभी ही क्यों मिलें और मुझे दो बरस तक इंतज़ार करना पड़े!'

हमने तर्क दिया कि उन्हें सत्तर लाख डॉलर मिल रहे हैं, आपकी तुलना में बीस लाख डॉलर ज्यादा। लेकिन उन्होंने ये बहाना बना दिया कि उससे उनकी आय पर टैक्स को ले कर समस्या हो जायेगी। ये हमारे लिए सुनहरी मौका था। बाद में हमें कम्पनी को बहुत कम कीमत पर बेचने पर मज़बूर होना पड़ा।

हम कैलिफोर्निया लौट आये और मैं मोन्स्योर वेरडाऊ के पचड़े से पूरी तरह से मुक्त हो चुका था इसलिए मैं एक बार फिर आइडिया सोचने के लिए तैयार होने लगा। इसकी वज़ह ये थी कि मैं आशावादी था और मुझे अभी भी इस बात का यकीन नहीं था कि मैं अमेरिकी जनता का प्यार पूरी तरह से खो चुका हूं, कि वे राजनैतिक रूप से इतने सजग हो सकते हैं कि या हास्य से इतने हीन हो सकते हैं कि किसी भी ऐसे व्यक्ति का बहिष्कार कर दें जो उन्‍हें हँसाता रहा है। मेरे पास एक आइडिया था और इसके दबाव के तले मैं इस बात की रत्ती भर भी परवाह नहीं कर रहा था कि नतीजा क्या होगा। फिल्म बननी ही बननी थी।

दुनिया चाहे जितने भी आधुनिक बाने धारण कर ले, उसे प्रेम कहानी हमेशा अच्छी लगती है। जैसा कि हैज़लिट ने कहा है, संवेदना में मेधा की तुलना में ज्यादा अपील होती है और कि ये कला के कार्य में कहीं बड़ा योगदान करती है। इस बार मेरा आइडिया एक प्रेम कहानी का था। इसके अलावा, ये मोन्स्योर वेरडाऊ की पागलपन भरी निराशा की तुलना में दूसरी तरह की फिल्म होती। लेकिन महत्त्वपूर्ण बात ये थी कि इसका आइडिया मुझे उत्तेजित किये हुए था।

लाइमलाइट को तैयार करने में अट्ठारह महीने का समय लगा। इसके लिए बारह मिनट के बैले संगीत की रचना की जानी थी। ये काम हिमालय में से गंगा निकालने जैसा मुश्किल सिद्ध हुआ क्योंकि मुझे बैले की भाव भंगिमाओं की कल्‍पना करनी थी। अतीत में तो ये होता था कि जब फिल्म पूरी हो जाती थी तभी मैं संगीत रचना किया करता था और ऐसी हालत में मैं एक्शन देख सकता था। इसके बावज़ूद, मैंने नृत्य की मुद्राओं की कल्पना करते हुए सारे संगीत की रचना की। लेकिन जब संगीत पूरा हो गया तो मैं हैरान परेशान था कि ये बैले के लिए माफिक बैठेगा या नहीं क्योंकि नृत्य की कोरियोग्राफी तो नर्तकों द्वारा खुद ही सोची और पेश की जायेगी।

आंद्रे एग्लेवस्की का बहुत बड़ा प्रशंसक होने के नाते मैंने सोचा कि उन्हें बैले में लिया जाये। वे न्यू यार्क में थे इसलिए मैंने उन्‍हें फोन किया और उनसे पूछा कि क्या वे अलग ही संगीत रचना पर 'ब्लूबर्ड' नृत्य करना चाहेंगे। मैंने उनसे ये भी कहा कि वे अपने साथ नृत्य करने के लिए किसी बैलेरिना का नाम भी सुझायें।

ब्लूबर्ड नृत्य ट्राइकोवस्की के संगीत पर आधारित है और पैंतालीस सेकेंड तक चलता है। इसलिए मैंने कमोबेश इतनी ही अवधि के लिए संगीत रचना तैयार की थी।

हम पिछले कई महीने से पचास कलाकारों वाले आर्केस्ट्रा के साथ बारह मिनट का बैले संगीत बनाने की दिशा में काम कर रहे थे इसलिए मैं आंद्रे साहब की प्रतिक्रिया जानने को बेचैन था। आखिरकार, बैलेरिना मेलिसा हेडन और आंद्रे एग्लेवस्की ये संगीत रचना सुनने के लिए विमान से हॉलीवुड आये। जिस वक्त वे इसे सुनने के लिए बैठे तो मैं बहुत ज्यादा नर्वस था और आत्म सजग था। लेकिन भगवान का शुक्र है, दोनों ने इसे अनुमोदित कर दिया और बताया कि ये बैले के अनुरूप है। मेरे फिल्‍म कैरियर के पलों में से ये सबसे ज्यादा रोमांचक पल थे - उन्हें इस धुन पर नृत्य करते देखना। उन्होंने इसमें जो अर्थ भरे, वे आह्लाद से भर देने वाले थे और इसने संगीत को एक महाकाव्यात्मक महत्ता प्रदान की।

लड़की की भूमिका के लिए पात्र का चयन करते समय मैं असंभव की चाह रखने लगा था। सौन्दर्य, मेधा, और ऊपर से संवेदनाएं प्रकट कर सकने की बहुत व्यापक रेंज। कई महीनों तक खोजने और जांचने परखने के बाद भी निराशा जनक नतीजे ही सामने आ रहे थे। मैं सौभाग्यशाली था कि मैंने क्लेयर ब्लूम को चुना। मेरे मित्र आर्थर लारेंट्स ने उसके सिफारिश की थी।

हमारी प्रकृति में कुछ ऐसा होता है कि हम नफ़रत और दुखद बातों को भी भूल जाते हैं। मुकदमा और उसके साथ जुड़ी सारी तकलीफ़ें हवा में बर्फ की तरह पिघल चुकी थीं। इस बीच ऊना चार बच्चों की मां बन चुकी थी। गेराल्डिन, माइकल, जोस्सी और विक्की। बेवरली हिल्स में अब जीवन खुशनुमा था। हमने एक सुखद गृह व्यवस्था जुटा ली थी और सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। रविवार को हम मेल-मुलाकात का दिन रखते और कई दोस्त हमसे मिलने आते। उनमें जिम एगी भी थे जो जॉन हस्टन के लिए पटकथा लेखन के लिए हॉलीवुड आये थे।

विल डुरांट, लेखक और दार्शनिक भी उन दिनों हॉलीवुड में थे और यूसीएलए में व्याख्यान दे रहे थे। वे मेरे पुराने मित्र थे और कभी-कभार हमारे घर पर खाना खाते। वे बहुत शानदार शामें होतीं। विल बहुत ही उत्साही आदमी थे और उन्हें किसी भी तरह के नशे की ज़रूरत न पड़ती। उनके लिए ज़िदंगी का नशा ही काफी था। एक बार उन्होंने मुझसे पूछा,'सुन्दरता की आपकी धारणा क्या है?' मैंने कहा कि मेरे ख्याल से ये मृत्यु और अकेलेपन, मुस्कुराती हुई उदासी की सर्वत्र बिछी सत्ता है जिसे हम प्रकृति में और प्रत्येक वस्तु में देखते हैं, एक रहस्यमय आध्यात्मिक संबंध जिसे कवि महसूस करता है, ये सूर्य की किरण में चमकता कचरे का डिब्बा भी हो सकता है या गटर में गिरा हुआ गुलाब का फूल भी हो सकता है। एल ग्रेको ने इसे हमारे 'सूली पर चढ़ने वाले यीशू' में देखा था।

हम विल से दोबारा डगलस फेयरबैंक्स जूनियर के यहां डिनर पर मिले। क्लेमेंस डेन और क्लेयर बूथ लूस भी वहीं थे। मैं क्लेयर से कई बरस पहले न्यू यार्क में डब्ल्यू आर हर्स्ट के फैंसी ड्रेस शो में मिला था। उस रात वे अट्ठारहवीं शताब्दी के कॉस्‍ट्यूम और सफेद विग में गज़ब की सुंदर और मनमोहनी लग रही थीं। तभी मैंने सुना था कि मेरे दोस्त जॉर्ज मूर, जो बेहद संवेदनशील और सुसंस्कृत व्यक्ति थे, के साथ उसकी कहा-सुनी हो गयी थी।

अपने प्रशंसकों के जमावड़े से घिरी वे सबको सुनायी दे सकने वाली आवाज़ में मूर का पानी उतार रही थीं,'आप तो अच्छे खासे रहस्यमय नज़र आते हैं। आप पैसा कमाते कैसे हैं?'

ये बहुत ही क्रूर बात थी, खास तौर पर तब, जब कई लोग वहां पर मौजूद थे। लेकिन जॉर्ज बहुत ही प्यारे इन्सान थे, उन्होंने हँसते हुए जवाब दिया था,'मैं कोयला बेचता हूं, अपने दोस्त हिचकॉक के साथ थोड़ी-सी पोलो खेल लेता हूं और यहां,' उस वक्त मैं वहीं से गुज़र रहा था, 'मेरा दोस्त चार्ली मुझे जानता है।' क्लेयर के बारे में तब से मेरी धारणा बदल गयी थी। बाद में मुझे ये सुन कर बिल्कुल भी हैरानी नहीं हुई थी कि वे कांग्रेस में चली गयी थीं और बाद में राजदूत बन गयी थीं। उन्होंने अमेरिकी राजनीति को प्रख्यात दार्शनिक जुमला ग्‍लोबालोनी· दिया था।
उस रात मैं क्लेअर लूस के देव वाणी सदृश उपदेश सुनता रहा। बेशक विषय धर्म की ओर मुड़ गया (वे हाल ही में केथोलिक चर्च में शामिल हो गयी थीं) और मैंने चर्चा के दौरान उनसे कहा,`आदमी को ईसाईयत का तमगा अपने माथे पर लगाने की ज़रूरत नहीं होती। धर्म साधुओं और पापियों, दोनों में एक जैसा होता है। पवित्र आत्मा हर कहीं होती है।' उस रात जब हम विदा हुए तो दोनों ही असहज महसूस कर रहे थे।

लाइम लाइट पूरी हो चुकी थी और मुझे अब तक की बनायी मेरी किसी भी दूसरी फिल्म की तुलना में इसकी सफलता के बारे में बहुत कम शक था। हमने अपने मित्रों के लिए एक निजी शो की व्यवस्था की और सभी बहुत उत्साहित थे। इसलिए हमने यूरोप के लिए निकलने के बारे में सोचना शुरू किया। ऊना चाहती थी कि बच्चों को हॉलीवुड के प्रभाव से कहीं दूर स्कूल में भरती किया जाए।

मैं तीन महीने पहले ही री-एंट्री के परमिट के लिए आवेदन दे चुका था, लेकिन अभी तक कोई उत्तर नहीं आया था। इसके बावज़ूद, मैं जाने की तैयारियों में अपने कारोबार को व्यवस्थित करने में लगा हुआ था। मेरे टैक्स की फाइलें जमा कर दी गयी थीं और सारे मामले निपटा दिये गये थे। लेकिन जब आंतरिक राजस्व सेवा विभाग को पता चला कि मैं यूरोप के लिए निकल रहा हूं तो उन्होंने ये बात खोज निकाली कि मैंने उन्हें और पैसे देने हैं। अब उन्होंने एक ऐसी राशि की गिन कर दे दी जो छह अंकों में जाती थी। उन्होंने मुझसे 2,000,000 डॉलर की मांग की। यह राशि उस राशि से दस गुना ज्यादा थी जिसका वे दावा कर रहे थे। मेरी छठी इंद्रिय ने मुझे चेताया कि कुछ भी जमा मत कराओ और मामले को तुरंत अदालत में ले जाये जाने के बारे में अड़ जाओ। इससे जल्दी ही, मामूली-सी राशि पर समझौता हो गया। अब उन्हें कुछ और राशि वसूल नहीं करनी थी इसलिये मैंने फिर से री-एंट्री के परमिट के बारे में आवेदन किया लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। इसलिये, मैंने वाशिंगटन में एक पत्र भेजा और उन्हें सूचित किया कि अगर वे मुझे री-एंट्री परमिट नहीं देना चाहते, तो भी मैं किसी भी हालत में देश से जाना चाहता हूं।

एक हफ्ते बाद मुझे आप्रवास विभाग से एक टेलीफोन संदेश मिला कि वे मुझसे कुछ सवाल पूछना चाहते हैं और क्या वे मेरे घर पर आ सकते हैं?

`बेशक,' मैंने जवाब दिया।

तीन पुरुष और एक महिला पहुंचे। महिला के हाथ में स्टेनोटाइप मशीन थी। पुरुषों के हाथ में चौकोर ब्रीफकेस थे। स्पष्ट था कि वे टेप रिकार्डिंग मशीनें लेकर चल रहे थे। मुख्य जांचकर्ता लगभग चालीस बरस का खूबसूरत, सीधा, दुबला-पतला आदमी था। मुझे पता था कि मैं चार के मुकाबले एक हूं और मुझे अपने वकील को भी बुलवा लेना चाहिए था लेकिन मुझे कुछ भी तो नहीं छुपाना था।

मैं उन्हें धूप वाले पोर्च में ले गया। महिला ने अपनी स्टेनोटाइप मशीन निकाली और एक छोटी सी मेज पर रख दी। पुरुष लोग सेट्टी पर बैठे और अपनी टेप रिकॉर्डिंग मशीनें अपने सामने रख लीं। जांचकर्ता ने एक फुट मोटा रजिस्टर निकाला और सफाई से अपने पास मेज पर रख दिया। मैं उनके सामने बैठा। वह पेज दर पेज अपने रजिस्टर में देखने लगा।

`क्या चार्ल्स चैप्लिन आपका असली नाम है?'

`जी हां,'

`कुछ लोग कहते हैं कि आपका नाम - (यहां उन्होंने कोई विदेशी नाम लिया) कि आपका नाम गलिसिया है!'

'नहीं, मेरा नाम चार्ल्स चैप्लिन है और मेरे पिता का नाम भी चार्ल्स चैप्लिन था और मैं इंगलैंड पैदा हुआ।'

'आपका कहना है कि आप कभी कम्यूनिस्ट नहीं रहे हैं?'

'कभी नहीं, मैं कभी भी अपने जीवन में किसी राजनैतिक संगठन में शामिल नहीं हुआ हूं।'

'आपने एक भाषण दिया था जिसमें आपने 'कॉमरेड' शब्द का इस्तेमाल किया था। इससे आपका क्या मतलब था?'

'बिल्कुल यही। आप शब्दकोष में देखें। कम्यूनिस्ट लोगों का इस शब्द पर कोई एकाधिकार नहीं है।'

वह इसी तरह से अपने सवाल पूछता रहा। अचानक उसने एक सवाल पूछा,'क्या आपने कभी व्यभिचार किया है?'

'सुनिये,' मैंने जवाब दिया,'अगर आप मुझे देश से बाहर रखने के लिए कोई तकनीकी कारण खोज रहे हैं तो मुझे बता दीजिये। मैं उसी तरह से व्यवस्था कर लूंगा क्योंकि मैं कहीं पर भी अवांछित व्यक्ति बन कर नहीं रहना चाहता।'

'ओह, नहीं,' वह बोला,'यह सवाल तो हरेक री-एंट्री परमिट में होता है।'

'व्यभिचार की परिभाषा क्या है?' मैंने पूछा।

हम दोनों ने शब्दकोष में देखा।

'हम मान लें कि दूसरे की पत्नी के साथ संबंध,' कहा उसने।

मैं कुछ पल सोचता रहा,'मेरी जानकारी में नहीं,' मैंने जवाब दिया।

'अगर आपके देश पर हमला हो जाता है, तो क्या आप इसके लिए लड़ेंगे?'

'बेशक, मैं इस देश को प्यार करता हूं। ये मेरा घर है। मैं यहां चालीस बरस से रह रहा हूं,' मैंने जवाब दिया।

'लेकिन आप कभी इसके नागरिक नहीं बने?'

'इसके खिलाफ कोई कानून नहीं हैं, अलबत्ता, मैं अपने टैक्स यहीं अदा करता हूं।'

'लेकिन आप पार्टी लाइन के हिसाब से क्यों चलते हैं?'

'अगर आप मुझे बता दें कि पार्टी लाइन क्या होती है तो मैं आपको बता दूंगा कि मैं इसके हिसाब से चलता हूं या नहीं।'

थोड़ी देर के लिए मौन पसर गया, फिर मैंने अपनी बात कही: 'क्या आप जानते हैं कि मैं इस सारी मुसीबत में कैसे फंसा?'

उसने सिर हिलाया।

'आपकी सरकार पर अहसान करके!'

उसने हैरानी से अपनी भौहें ऊपर कीं।

'रूस में आपके राजदूत मिस्टर जोसेफ डेविस को रूसी युद्ध राहत की ओर से सैन फ्रांसिस्को में भाषण देना था, लेकिन ऐन मौके पर उनका गला खराब हो गया और आपकी सरकार के एक उच्च अधिकारी ने मुझसे पूछा कि क्या मैं उनके स्थान पर बोलने की मेहरबानी करूंगा और तब से मैं इसमें अपनी गर्दन फंसाये बैठा हूं।'

तीन घंटे तक मुझसे पूछताछ होती रही। एक हफ्ते बाद फिर उन्होंने मुझे फोन किया कि क्या मैं आप्रवास कार्यालय में आऊंगा। मेरे वकील ने मेरे साथ चलने की ज़िद की। उसका कहना था,'हो सकता है वे कुछ और सवाल पूछें।'

जब मैं वहां पर पहुंचा तो मैं इतने सौहार्दपूर्ण स्वागत की उम्मीद नहीं करता था। आप्रवास विभाग के प्रमुख, मझौली उम्र के एक दयालु शख्स ने मानो दिलासा देते हुए कहा,'मुझे खेद है कि आपको हमारी वजह से विलंब हुआ है, मिस्टर चैप्लिन, लेकिन अब हमने आप्रवास कार्यालय की एक शाखा लॉस एंजेल्स में भी खोली है और अब आपका काम जल्दी ही हो जाया करेगा और आपको अपने आवेदन पत्र वाशिंगटन भेजने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आपसे सिर्फ एक सवाल और पूछना है, मिस्टर चैप्लिन, 'आप कितना अरसा बाहर रहेंगे?'

'छह महीने से ज्यादा नहीं,' मैंने जवाब दिया,'हम सिर्फ छुट्टी मनाने जा रहे हैं।'

'नहीं तो, अगर आप ज्यादा अरसे के लिए जा रहे हैं तो आपको समय विस्तार के लिए अवश्य ही अनुमति लेनी होगी।' उन्होंने मेज पर एक दस्तावेज रख दिया और कमरे से बाहर चले गये। मेरे वकील ने त़ेजी से दस्तावेज की तरफ देखा,'ये हुई न बात,' कहा उसने, उन्होंने परमिट दे दिया है।'

वह आदमी एक पेन लेकर लौटा,'क्या आप यहां हस्ताक्षर करेंगे, मिस्टर चैप्लिन, और हां, आपको अपनी यात्रा के दूसरे कागज़ात लेने होंगे।'

मेरे हस्ताक्षर कर लेने के बाद उन्होंने प्यार से मेरा कंधा थपथपाया,'ये रहा आपका परमिट, मैं उम्मीद करता हूं कि आपकी यात्रा सुखद रहेगी, चार्ली। जाइये, जल्दी घर जाइये।'

शनिवार का दिन था और हम ट्रेन से रविवार की सुबह न्यू यार्क के लिए निकलने वाले थे। मैं चाहता था कि ऊना मेरे सेफ डिपाजिट बॉक्स को अपने कब्जे में ले ले क्योंकि कुछ भी हो सकता था और मेरी सारी पूंजी इसी बक्से में रखी थी लेकिन ऊना बैंक में जाकर हस्ताक्षर करना टालती रही। और अब लॉस एंजेल्स में ये हमारा आखिरी दिन था और दस मिनट में बैंक बन्द हो जाने वाला था।

'हमारे पास सिर्फ दस ही मिनट बचे हैं, इसलिए हमें जल्दी करनी होगी!' मैंने कहा।

ऐसे मामलों में ऊना बहुत टाल मटोल करती है। 'क्या हम छुट्टियों से वापिस आने का इंतज़ार नहीं कर सकते?' कहा उसने। लेकिन मैं ज़िद पर अड़ा रहा। हमने एक अच्छा काम किया नहीं तो देश से अपनी सारी पूंजी बाहर निकालने के लिए हमें बाकी जीवन मुकदमेबाजी में ही गुज़ार देना पड़ता।

ये एक खुशनुमा दिन था जब हम न्यू यार्क के लिए चले। ऊना जाने के लिए अंतिम घरेलू तैयारियां कर रही थी और मैं बरामदे में खड़ा घर को दुविधा भरी भावनाओं के साथ देख रहा था। इस घर में मेरे साथ कितना कुछ घटा था। इतनी सारी खुशियां, इतनी सारी तकलीफ़ें और अब घर कितना शांत और दोस्ताना लग रहा था कि मुझे इसे छोड़ते हुए तकलीफ़ हो रही थी।

हैलन, हमारी नौकरानी और हेनरी, हमारे बटलर को विदा कह देने के बाद मैं रसोई में लपका और अपनी कुक अन्ना को विदा के दो शब्द कहे। मैं ऐसे मौकों पर बहुत शर्मीला हो जाता हूं और अन्ना, गोल-मटोल सी, भारी भरकम महिला थोड़ा ऊंचा सुनती थी। 'गुड बाय' मैंने कहा और उसकी बांह को छुआ। ऊना सबसे बाद में निकली। उसने मुझे बताया कि उसने कुक और नौकरानी को रोते हुए देखा था। मेरे असिस्टेंट डायरेक्टर जेरी एप्सटीन हमें स्टेशन पर छोड़ने आये।

शहर के बाहरी इलाकों की यात्रा राहत देने वाली थी। समुद्री यात्रा शुरू करने से पहले हम एक हफ्ते तक न्यू यार्क में रहे। जिस समय मैं आनंद भोगने के लिए अपने आप को तैयार कर ही रहा था कि मेरे वकील चार्ल्स श्वार्त्ज यह कहने के लिए आये कि युनाइटेड आर्टिस्ट्स का कोई भूतपूर्व कर्मचारी मुझ पर कई लाख डॉलर के लिए मुकदमा कर रहा है। 'ये सब बकवास है चार्ली, साथ ही साथ, मैं चाहता हूं कि आप ये सम्मन न लें क्योंकि इसका मतलब आपको छुट्टी से वापिस आना पड़ सकता है।' इस तरह से मुझे इन आखिरी चार दिनों के लिए अपने कमरे मे ही बंद रह जाना पड़ा और मैं ऊना और बच्चों के साथ न्यू यार्क नहीं घूम पाया। अलबत्ता, मैं लाइमलाइट के प्रेस प्रिव्यू के समय मौजूद रहना चाहता था, सम्मन मिले या नहीं!

क्रोकर, मेरे प्रचार प्रबंधक ने टाइम तथा लाइफ पत्रिकाओं के सम्पादकीय स्टाफ के साथ एक लंच का आयोजन किया था। ये इस तरह का मौका था कि खुद आगे बढ़ कर प्रचार कराया जाय। नंगी, सफेद प्लस्तर वाली दीवारों वाले उनके दफ्तर उस लंच के मनहूस माहौल के लिए एकदम माफिक सेटिंग थे। मैं टाइम स्टाफ के उदास, घुटे सिर वाले लोगों के साथ मज़ाकिया और अंतरंग बनने की कोशिश करता रहा। खाने में चिपचिपा, रसेदार चिकन था जो बिल्कुल बेस्वाद था लेकिन जहां तक लाइमलाइट के लिए अच्छे प्रचार का सवाल था, न तो मेरी मौजूदगी ने, न मेरे उनके नज़दीक आने की कोशिशों ने और न ही खाने ने ही कोई फायदा पहुंचाया। उन्होंने फिल्म के बारे में बहुत बेरहमी से लिखा।

हालांकि प्रेस प्रिव्यू के समय थिएटर में निश्चय ही माहौल दोस्ताना नहीं था, लेकिन बाद में मुझे ये देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि कुछ बड़े अखबारों ने अच्छी समीक्षाएं दी थीं।

तीस

मैं सुबह पांच बजे के रोमांटिक वक्त पर क्वीन एलिजाबेथ जहाज पर चढ़ा। मैं सम्मन देने वालों से बचने के लिए ही ऐसे वक्त पर अपनी यात्रा शुरू कर रहा था। मेरे वकील ने हिदायत दी थी कि मैं चुपके से जहाज पर चढ़ूं, अपने आपको सुइट में बन्द कर लूं और तब तक डेक पर न आऊं जब तक पालयट न उतर जाये। मुझे पिछले दस बरस से हर तरह की खराब बातों की आदत पड़ चुकी थी, इसलिए मैंने उसकी बात मान ली।

मैं अपने परिवार के साथ जहाज के विशाल आकार को उस वक्त चलते देखने का आनंद लेना चाहता था जब वह वहां से छूटता और एक दूसरी दुनिया में प्रवेश करता। इसके बजाये, मैं डर के मारे अपने केबिन में छुपा हुआ था और पोर्टहोल में से झांक रहा था।

दरवाजा खटखटाते हुए ऊना ने कहा, 'मैं हूं।'

मैंने दरवाजा खोला।

'जिम एगी अभी-अभी हमें विदाई देने के लिए आए हैं। वे डैक पर खड़े हैं। मैंने चिल्ला कर उन्हें बताया कि आप सम्मन देने वालों से छुपे हुए हैं और पोर्टहोल में से आपकी तरफ देख कर हाथ हिलाएंगे। वे तटबंध के आखिर में खड़े हुए हैं।' ऊना ने बताया।

मैंने जिम को लोगों की भीड़ से थोड़ा अलग हटकर खड़े हुए देखा। वे तेज़ धूप में जहाज का मुआयना कर रहे थे। मैंने जल्दी से अपना फेडोरा हैट लिया और पोर्टहोल में से अपनी बांह निकाल कर हाथ हिलाया। ऊना दूसरे पोर्टहोल में से देख रही थी। 'नहीं, उन्होंने आपको अभी भी नहीं देखा है।' ऊना ने बताया।

और जिम मुझे कभी नहीं देख पाये। ये आखिरी बार था कि मैं जिम को देख रहा था। दुनिया से अलग अकेले खड़े हुए। ताकते हुए और खोजते हुए। दो बरस बाद दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गयी थी।

और आखिर हमने अपनी यात्रा शुरू की। पायलट के जाने से पहले ही मैंने दरवाजा खोला और डेक पर एक आज़ाद आदमी की तरह आ गया। सामने थीं आकाश छूती न्यू यार्क की इमारतें। अकेली और विशाल, धूप में मुझसे दूर जाती हुईं और हर पल और अधिक खूबसूरत होती हुईं। विशाल महाद्वीप धुंध में गायब हो रहा था और मुझे एक अजीब एहसास से भर रहा था।

हालांकि मैं अपने परिवार के साथ इंगलैंड जाने की उम्मीद से ही उत्साहित था, मैं सुखद रूप से राहत भी महसूस कर रहा था। अटलांटिक का विस्तार मन को राहत दे रहा था। मुझे लगा, मानो मैं कोई दूसरा ही व्यक्ति हूं। मैं अब फिल्मी दुनिया का मिथक नहीं रहा था न ही बदनामी का निशाना, बल्कि मैं एक शादीशुदा आदमी था जो अपने बीवी-बच्चों के साथ छुट्टी मनाने निकला है। बच्चे ऊपरी डेक पर खेलने में व्यस्त थे जबकि मैं और ऊना डेक की कुर्सियों पर बैठे हुए थे और इसी मूड में मुझे परम प्रसन्नता का अनुभव हुआ - ये एहसास उदासी के बहुत निकट था।

हम उन दोस्तों के बारे में बहुत स्नेह से बातें करते रहे जिन्हें हम पीछे छोड़ आये थे। यहां तक कि हमने आप्रवास विभाग में मिले मित्रवत व्यवहार की भी बात की। आदमी छोटे-छोटे सौजन्य के आगे कितनी आसानी से झुक जाता है। दुश्मनी पालना कितना मुश्किल होता है।

ऊना और मैंने यह सोचा था कि हम लम्बी छुट्टी लेंगे और अपने आप को प्रसन्नता के हवाले कर देंगे। लाइमलाइट को लांच करने के कार्यक्रम के साथ हमारी छुट्टियां बेमतलब नहीं होने वाली थी। जब आपको पता हो कि आप आनंद को कारोबार के साथ मिला रहे हैं तो बेहद खुशी होती है।

अगले दिन इससे बेहतर लंच नहीं हो सकता था। हमारे मेहमान थे आर्थर रुबिनस्टेन दम्पत्ति और एडोल्फ ग्रीन लेकिन अभी खाना चल ही रहा था कि हेरी क्रोकर को एक तार थमाया गया। क्रोकर तार को अपनी जेब के हवाले करने ही वाला थे कि संदेशवाहक ने कहा: वे वायरलेस पर इसके उत्तर काा इंतजार कर रहे हैं। तार पढ़ते समय क्रोकर के चेहरे पर बादल घिर आये, उसने माफी मांगी और मेज से उठ कर चला गया। बाद में क्रोकर ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और तार पढ़ा। तार में लिखा था कि मुझे युनाइटेड स्टेट्स में प्रवेश करने की मनाही की जा रही है और देश में फिर से प्रवेश करने से पहले मुझे राजनैतिक प्रकृति और नैतिक मूल्यों के आरोपों के उत्तर देने के लिए आप्रवास विभाग के जांच बोर्ड के सामने जाना होगा। युनाइटेड प्रेस जानना चाहती थी कि मुझे क्या इस बारे में कुछ कहना है।

मेरी शिराएं तन गयीं। अब मेरे लिए ये बात कोई मायने नहीं रखती थी कि मैं नाखुशी देने वाले उस देश में फिर से जाता हूं या नहीं। मैंने उन्हें बताया होता कि मैं उनके दमघोंटू माहौल से जितनी जल्दी बाहर आता, उतना ही बेहतर होता और मैं अमेरिका से मिले अपमान और नैतिक आडम्बर से थक चुका था और कि पूरा का पूरा मामला ही बोर करने वाला था। लेकिन मुसीबत यह थी कि मेरा जो कुछ भी था, वह सब कुछ स्टेट्स में ही था और मुझे डर था कि वे उसे जब्त करने का कोई तरीका न निकाल लें। अब मैं किसी भी शरारतपूर्ण कार्रवाई की उम्मीद कर सकता था। इसलिए मैंने आत्म प्रदर्शन से भरा एक बयान जारी किया कि मैं वापिस आऊंगा और उनके आरोपों का जवाब दूंगा और कि मेरा री-एंट्री परमिट कागज़ का कोई ऐसा वैसा टुकड़ा नहीं बल्कि युनाइटेड स्टेट्स सरकार द्वारा सदाशयता में मुझे दिया गया एक दस्तावेज है, वगैरह वगैरह।

अब जहाज पर आराम मिलने का सवाल ही नहीं था। दुनिया के सभी हिस्सों से प्रेस रेडिओग्राम बयान मांग रहे थे। साउथम्पटन से एक स्टॉप पहले चेरबर्ग में सौ या उससे भी अधिक यूरोपियन पत्रकार साक्षात्कार लेने के लिए जहाज पर चढ़ आये। हमने लंच के बाद बुफे रूम में उन्हें एक घंटा दिये जाने की व्यवस्था की। हालांकि उनका व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण था, पूरी कार्रवाई शुष्क और थका देने वाली थी।

साउथम्पटन से लंदन की यात्रा बेचैन रहस्य से भरी हुई थी। युनाइटेड स्टेट्स से बाहर कर दिये जाने से महत्त्वपूर्ण मेरी चिंता यह थी कि अंग्ऱेजी देश को पहली बार देखना ऊना और बच्चों को कैसा लगेगा। कई बरसों तक मैं इंगलैंड के दक्षिण पश्चिमी हिस्से, डेवनशायर तथा कॉर्नवेल की असीम खूबसूरती के गुणगान करता आया था और अब हम लाल ईंटों वाली इमारतों और पहाड़ी पर बने एक जैसे घरों की कतारों के पास से गुज़र रहे थे। कहा ऊना ने,'ये सब एक जैसी दिखती हैं!'

'हमें एक मौका दो,' कहा मैंने,'हम तो अभी साउथम्पटन के बाहर ही हैं।' और जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते गये, इलाके और अधिक खूबसूरत होते चले गये।

जब हम लंदन में वॉटरलू स्टेशन पर पहुंचे, हमें प्यार करने वाली भीड़ अभी भी वहां जुटी हुई थी और वे पहले की ही तरह प्रेम भाव से भरे और उत्साह से खड़े थे। जब हम स्टेशन से बाहर निकले तो वे हाथ हिला रहे थे और खुशी से चिल्ला रहे थे। किसी एक ने कहा,'चार्ली वे तुम्हारा प्यार चाहते हैं, उन्हें दो।' सचमुच ये दिल को छू लेने वाला मामला था।

आखिर जब ऊना और मैं एक अकेले हुए, तो हम सेवाय होटल की पांचवीं मंज़िल पर अपने सुइट की खिड़की पर आ खड़े हुए। मैंने नये वाटरलू ब्रिज की तरफ इशारा किया। हालांकि ये सुंदर था फिर भी अब मेरे लिए बहुत मायने नहीं रखता था, बस एक ही बात थी कि इसकी सड़क मेरे बचपन की ओर जाती थी। हम चुपचाप खड़े रहे और इस पूरी दुनिया में शहर के सबसे अधिक छू लेने वाले दृश्य को देखते हुए पीते रहे। मैंने पेरिस में प्लेस दे ला कोन्कोर्ड की रुमानी उत्कृष्टता की तारीफ की है, न्यू यार्क में सूर्यास्त में हज़ारों चमकती खिड़कियों से रहस्यपूर्ण संदेश महसूस किये हैं लेकिन हमारे होटल की खिड़की से लंदन टेम्स का नज़ारा मेरे लिए इन सब दृश्यों से कहीं अधिक रोमानी था - कुछ ऐसा, जो बेहद मानवीय था।

ऊना जब इस दृश्य को निहार रही थी तो मैंने उसकी तरफ देखा। उसका चेहरा उत्साह से तन गया था और वह अपनी सत्ताइस बरस की उम्र से छोटी लग रही थी। हमारी शादी के बाद से वह मेरे साथ कई मुसीबतों से गुज़र कर आयी थी और इस वक्त वह लंदन को निहार रही थी, धूप उसके काले बालों से खेल रही थी। मैंने पहली बार उसके एक-दो सफेद बाल देखे। मैंने कुछ नहीं कहा, लेकिन उस वक्त मैंने अपने आप को उसके प्रति पूरी तरह से समर्पित पाया जब उसने कहा,'मुझे लंदन अच्छा लगा है।'

पिछली बार जब मैं यहां आया था तब से बीस बरस का अरसा गुज़र चुका था। मेरी निगाह में नदी के मोड़ और तटों की रेखाएं भद्दी, आधुनिक इमारतों से घिर गयी थीं और इससे आकाश को छूती दृश्यावली खराब लगने लगी थी। मेरे बचपन का आधा हिस्सा इसके विशाल खाली हिस्सों की झुलसती शामों में गुज़रा था।

जिस वक्त ऊना और मैं लीस्टर स्क्वायर और पिकैडिली में घूम रहे थे ये जगह भड़कीली अमेरिकी चीज़ों, लंच काउंटरों, हॉटडॉग स्टैंडों और मिल्क बारों से अटी पड़ी थी। हमने पाया कि बिना हैट पहने युवा लड़के और जीन्स पहने लड़कियां वहां तफरीह कर रहे थे। मुझे याद आया, जब वेस्ट एण्ड के लिए मैं तैयार हुआ करता था और पीले दस्ताने और छड़ी लेकर वहां चहल कदमी करता था। वे दिन अब हवा हो गए थे और उसकी जगह पर आंखें कुछ और ही देख रही थीं। हमारी भावनाएं दूसरी थीमों पर प्रतिक्रिया देती हैं। आदमी जॉज सुनकर रोते हैं और हिंसा कामुक हो गयी है। समय बीतता रहता है।

हम टैक्सी लेकर तीन पाउनॉल टैरेस देखने के लिए केनिंगटन गये लेकिन घर खाली पड़ा था और इसे गिराया जाने वाला था। हम 287 केनिंगटन रोड के आगे रुके। यहां पर सिडनी और मैं अपने पिता के साथ रहा करते थे। हम बेलग्राविया के आगे से गुज़रे और जहां कभी पुराने शानदार प्रायवेट घर हुआ करते थे, उनके कमरों में अब निओन बत्तियां जल रही थीं और क्लर्क डेस्कों पर काम कर रहे थे: बाकी घर गिरा दिये गये थे और उनके जगह पर ग्लास टैंक जैसी लम्बोतरी इमारतें और ऊपर की ओर उठती माचिस की तरह की सीमेंट की इमारतें नज़र आ रही थीं। ये सब प्रगति के नाम पर हो रहा था।

हमारे सामने कई समस्याएं थीं: पहली थी: स्टेट्स से धन बाहर कैसे निकाला जाये। इसका मतलब, ऊना को विमान से वापिस कैलिफोर्निया जाना होगा और हमारे सेफ डिपाज़िट बॉक्स से सब कुछ निकालना होगा।

उसे गये हुए दस दिन हो गये थे। जब वह वापिस आयी तो उसने मुझे विस्तार से बताया कि क्या हुआ था। बैंक में क्लर्क ने उसके हस्ताक्षरों का अध्ययन किया, उसकी तरफ देखा, वहां से गया और बैंक मैनेजर के साथ गुपचुप बात करता रहा। ऊना तब तक बेचैनी महसूस करती रही जब तक उन्होंने हमारा डिपाज़िट बॉक्स खोल नहीं दिया।

उसने बताया कि बैंक में अपना काम पूरा कर लेने के बाद वह बेवरली हिल्स पर अपने घर गयी। सब कुछ वैसा ही था जैसा हम छोड़ कर आये थे और फूल और मैदान प्यारे लग रहे थे। वह बैठक में एक पल के लिए अकेली खड़ी रही और बहुत भावुक हो गयी। इसके बाद वह स्विस बटलर हैनरी से मिली। हैनरी ने उसे बताया कि हमारे जाने के बाद एफबीआइ के आदमी दो बार आये थे और उससे पूछताछ करते रहे। वे जानना चाहते थे कि मैं किस किस्म का आदमी हूं और कि क्या उसे पता है कि घर पर नंगी लड़कियों की पार्टियां हुआ करती थीं। जब बटलर ने उन्हें बताया कि मैं अपनी पत्नी और परिवार के साथ शांत जीवन बिताया करता था तो वे उसकी खिंचाई करने लगे और उससे उसकी राष्ट्रीयता पूछने लगे और जानना चाहा कि वह कब से इस देश में था। उन्होंने उससे उसका पासपोर्ट भी देखने के लिए मांगा।

ऊना ने बताया कि जब उसने ये सब कुछ सुना तो घर के प्रति उसका जो भी मोह था, वहीं और उसी वक्त चूर-चूर हो गया। यहां तक कि हमारी नौकरानी हैलन ऊना के बाहर निकलते समय रो रही थी, उसके आंसू भी ऊना को वहां से तुरंत निकलने से रोक नहीं पाये।

मित्र मुझसे पूछते हैं कि मैं इस अमेरिकी विरोध का शिकार कैसे बना। मेरा मासूम पाप यही था और है भी कि मैं समझौतापरस्त नहीं हूं। हालांकि मैं कम्यूनिस्ट नहीं हूं फिर भी मैं उनके विरोध में खड़ा होने से इन्कार करता रहा। इससे कई लोगों को वाकई तकलीफ हुई और तकलीफ पाने वालों में अमेरिकी लीज़न के लोग भी थे। मैं उस संगठन के वास्तविक सकारात्मक कामों में उसके खिलाफ़ नहीं हूं। उन्होंने अच्छे काम भी किये हैं। भूतपूर्व सैनिकों और वरिष्ठ नागरिकों के ज़रूरतमंद बच्चों के लाभ के लिए अधिकार का विधेयक लाना और जो उपाय किये गये हैं, वे बहुत शानदार और मानवीय हैं। लेकिन लीज़न के लोग जब अपने वैध अधिकारों से परे चले जाते हैं और देशभक्ति के नाम पर अपनी शक्ति को दूसरों पर लादते हैं तो वे अमेरिकी सरकार के मूलभूत ढांचे के खिलाफ अपराध करते हैं। इस तरह के महादेशभक्त अमेरिका को फासीवादी देश में बदल सकते हैं।

दूसरी बात, मैं गैर-अमेरिकी गतिविधियों की समिति के खिलाफ़ था। अगर मैं बेईमानी भरे जुमले का इस्तेमाल करूं तो यह किसी भी ऐसे अकेले अमेरिकी की आवाज़ को दबाने के लिए काफी लचीला है जो अपनी ईमानदार राय में अकेला पड़ जाता है।

तीसरी बात, मैंने कभी भी अमेरिकी नागरिक बनने का प्रयास नहीं किया। हालांकि सैकड़ों अमेरिकी बाशिंदे इंगलैंड में अपनी रोज़ी-रोटी कमा रहे हैं। वे कभी भी ब्रिटिश नागरिक बनने का प्रयास नहीं करते; उदाहरण के लिए, एमजीएम स्टूडियो का एक अमेरिकी अधिकारी इंगलैंड में पिछले पैंतीस बरस से रह रहा है और हर हफ्ते चार अंकों में वेतन लेता है। वह कभी ब्रिटिश नागरिक नहीं बना और अंग्रेज़ों ने कभी इस बात की परवाह ही नहीं की।

ये स्पष्टीकरण क्षमायाचना नहीं है। जब मैंने यह किताब शुरू की तो मैंने अपने आपसे इसे लिखने का कारण पूछा। किताब लिखने के कई कारण हैं लेकिन उनमें से क्षमायाचना नहीं है। अपनी स्थिति को संक्षेप में सामने रखते हुए मैं कहूंगा कि शक्तिशाली समूहों तथा अदृश्य सरकारों के परिवेश में मैं राष्ट्र के विरोध का शिकार हुआ और दुर्भाग्य से, अमेरिकी जनता का प्यार खो बैठा।

लाइम लाइट लीस्टर स्क्वेअर में ओडियन थिएटर में सबसे पहले दिखाई जानी थी। मैं इस बात को लेकर बेचैन था कि उसका स्वागत कैसा होगा। कारण ये था कि ये सामान्य चैप्लिन कॉमेडी नहीं थी। प्रीमियर से पहले हमने एक प्रीमियर प्रेस के लिए रखा। समय इतना बीत चुका था कि मैं इसे वस्तुपरक तरीके से नहीं देख पाया था और मैं ये ज़रूर कहूंगा कि मैं फिल्‍म देख कर विचलित हुआ। ये आत्म प्रशंसा नहीं है क्योंकि मैं अपनी फिल्मों के कई दृश्यों का मज़ा ले सकता हूं और दूसरे दृश्यों को नापसंद कर सकता हूं। अलबत्ता, मैं कभी भी नहीं रोया जैसा कि किसी शरारती पत्रकार ने बताया कि मैं रोया था। और अगर मैं रोया भी होऊं तो क्या हुआ! अगर लेखक अपने सृजन के बारे में संवेदना महसूस नहीं करता तो वह जनता से ऐसा करने की उम्मीद ही कैसे कर सकता है। ईमानदारी से कहूं तो मुझे अपनी फिल्मों में जनता से भी ज्यादा मज़ा आता है।

लाइम लाइट के लिये प्रीमियर सहायतार्थ था और उसमें राजकुमारी मार्गरेट पधारी थीं। अगले दिन जनता के लिए फिल्म प्रदर्शित की गयी। हालांकि समीक्षाएं यूं ही सी थीं, इसने विश्व कीर्तिमान भंग कर दिये और इसे अमेरिका में प्रतिबंधित किये जाने के बावजूद इसने मेरी अब तक की फिल्मों की तुलना में सबसे अधिक कमाई करके दी।

लंदन से पेरिस के लिए चलने से पहले ऊना और मैं हाउस ऑफ लॉर्ड्स में एक डिनर पर लॉर्ड स्ट्राबोल्गी के मेहमान थे। मैं हरबर्ट मौरिसन के पास बैठा था और यह सुन कर मैं हैरान हुआ कि वे समाजवादी के रूप में परमाणु प्रतिरक्षा की नीति का समर्थन करते थे। मैंने उन्हें बताया कि हम भले ही परमाणु बमों के अम्बार लगा दें, इंगलैंड हमेशा सबके निशाने पर बना रहेगा क्योंकि ये एक छोटा सा द्वीप है और इसे राख के ढेर में बदल दिये जाने के बाद किसी भी किस्म का बदला कोई राहत नहीं दिला पायेगा। मैं इस बात को मानता हूं कि इंगलैंड की रक्षा के लिए सबसे मजबूत रणनीति निष्पक्ष रहने की है क्योंकि परमाणु युग में मुझे इस बात का शक है कि निष्पक्ष रहने का उल्लंघन किया जायेगा। लेकिन मेरे विचार मौरिसन के विचारों से बिल्कुल भी मेल नहीं खाते थे।

मैं इस बात को सोच कर हैरान हूं कि किस तरह से कई बौद्धिक लोग परमाणु हथियारों के पक्ष में बात करते हैं। एक और घर में मैं लॉर्ड सेलिसबरी से मिला और उनकी भी वही राय थी जो मौरिसन की थी और परमाणु प्रतिरक्षा के प्रति अपनी नफ़रत को व्यक्त करते समय मैंने महसूस किया कि मैं उनकी लॉर्डशिप के साथ मेल नहीं बिठा पा रहा हूं।

इस मौके पर मुझे ये उचित जान पड़ता है कि मैं दुनिया के उन हालात को संक्षेप में सामने रखूं जिस तरह से मैं आज इसे देखता हूं। आधुनिक जीवन की जुड़ती जटिलताओं और बीसवीं सदी के गतिशील हमले से मैं पाता हूं कि व्यक्ति पर चारों तरफ से बड़ी-बड़ी संस्थाओं के हमले हो रहे हैं। ये हमले राजनैतिक, वैज्ञानिक और आर्थिक रूप से हो रहे हैं। हम आत्म अनुकूलन के और बंदिशों और परमिटों के शिकार हो रहे हैं।

यह तंत्र, जिसमें हमने अपने आपको ढल जाने दिया है, इसलिए हो रहा है कि हममें सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि की कमी है। हम भÿñपन और भीड़ की तरफ अंधाधुंध चले जा रहे हैं और हम अब इस लायक नहीं रहे कि सौंदर्य की सराहना ही कर सकें। हमारे जीवन की संवेदनाओं को लाभ, शक्ति और एकाधिकार ने भोंथरा बना दिया है। हमने इन शक्तियों को अपने चारों तरफ लिपट जाने दिया है और इस बात की रत्ती भर परवाह नहीं की है कि इन सबका अंजाम क्या होगा।

सुविचारित दिशा के बिना अथवा उत्तरदायित्व के बोध के बिना विज्ञान ने राजनीतिज्ञों को अपार शक्ति दे दी है और इतने खतरनाक सैन्य हथियार उन्हें थमा दिये हैं कि इस धरती पर जो कुछ भी जीवंत है उसके भाग्य का निर्धारण ये ही लोग करेंगे। ऐसे व्यक्तियों के हाथों में सारी शक्तियां दे देना जिनके नैतिक उत्तरदायित्व और बौद्धिक क्षमता संदेह से परे नहीं हैं, और इसके बारे में जितना कहा जाये, कम हैं और कई मामलों में उनके ऊपर उंगली उठायी जा सकती है कि वे धरती पर सारे जीवन को नष्ट करने वाला युद्ध छेड़ सकते हैं। फिर भी हम आंखें मूंदे चले जा रहे हैं।

जैसा कि डॉक्टर जे रॉबर्ट ओपेनहैमर ने मुझे एक बार बताया था,'आदमी जानने की इच्छा से संचालित होता है।' बहुत अच्छी बात है। लेकिन कई मामलों में हम परिणामों की परवाह ही नहीं करते। इससे डॉक्टर ओपेनहैमर सहमत थे। कई वैज्ञानिक धार्मिक रूप से हठधर्मी होते हैं। वे इस विश्वास के साथ आगे बढ़ते जाते हैं कि वे जो कुछ भी खोजेंगे, अच्छा ही होगा और जानने की उनकी आकांक्षा हमेशा नैतिक होती है।

मनुष्य जीवित रहने की मूल भावनाओं वाला पशु है। परिणाम यह हुआ है कि उसकी सृजनात्मकता पहले विकसित हुई है और आत्मा का विकास बाद में हुआ है। इस तरह से विज्ञान की प्रगति मनुष्य के तार्किक व्यवहार से बहुत आगे है।

हितवाद मानव प्रगति के पथ पर धीमी गति से चला है। यह विज्ञान के साथ-साथ आगे बढ़ता है और ठोकरें खाता है और केवल परिस्थितियों की ताकत से ही इसे चलने की अनुमति है। गरीबी को हितवाद द्वारा या सरकारों की मानवतावाद की वजह से नहीं घटाया गया था बल्कि इसे कम करने के पीछे द्वंद्वात्मक भौतिकवाद की ताकतें काम कर रहीं थी।

कार्लाइल ने कहा था की विश्व की मुक्ति लोगों की सोच की वजह से आयेगी। लेकिन इस परिर्वतन को लाने के लिए मनुष्य को गंभीर परिस्थितियों में धकेला जाना चाहिए। इस तरह से, अणु का विखंडन करके मनुष्य को कोने में धकेल कर सोचने पर विवश कर दिया गया है। उसके सामने दो ही विकल्प हैं: अपने आपको नष्ट कर डाले या अपना व्यवहार सुधारे: विज्ञान की गति उसे यह निर्णय लेने के लिए विवश कर रही है। और इन परिस्थितियों में मेरा मानना है कि अंतत: हितवाद ही बचेगा और मनुष्य की सदाशयता मानवता के लिए विजय पायेगी।

अमेरिका छोड़ने के बाद जीवन एक और ही स्तर पर चल रहा था। पेरिस और रोम में हमारा स्वागत विजेता नायकों की तरह हो रहा था: राष्ट्रपति विन्सेंट ऑरिओल ने हमें एलिसी महल में लंच के लिए बुलाया और हमें ब्रिटिश दूतावास में खाने पर बुलाया गया। इसके बाद फ्रांसीसी सरकार ने मुझे लीज़न ऑफ ऑनर की पदवी देकर मेरा कद ऊंचा किया और उसी दिन सोसायटी देस ऑतर्स एत कंपोजिटर्स ड्रमेटिक्स ने मुझे मानद सदस्यता प्रदान की। इस अवसर पर अध्यक्ष मिस्टर रोजर फर्डिनांड से मुझे जो पत्र मिला, वह बेहद प्यार भरा था। मैं यहां उसका अनुवाद दे रहा हूं।

प्रिय मिस्टर चैप्लिन

हो सकता है कि कुछ लोग यहां पर आपकी उपस्थिति को दिये गये प्रचार से हैरान हो रहे हों, वे उन कारणों को नहीं जानते होंगे जिनकी वज़ह से हम आपको प्यार करते हैं और आपके प्रशंसक हैं; वे मानवीय मूल्यों के भी बहुत खराब निर्णायक होंगे और उन्होंने उन आशीर्वादों को गिनने का कष्ट नहीं उठाया होगा जो आपने पिछले चालीस बरस के दौरान हम पर बरसाये हैं और न ही उन्होंने आपकी सीख की सराहना की होगी या उन खुशियों तथा भावनाओं की गुणवत्ता को ही देखा होगा जो आपने उनके सच्चे मूल्यों के साथ हम पर न्यौछावर की हैं; थोड़े में कहें तो वे हमेशा कृतघ्न बने रहे हैं।

आप विश्व के महानतम व्यक्तित्वों में से एक हैं और प्रसिद्धि के लिए आपका स्थान उनके बराबर ही है जिन्हें सर्वाधिक उल्लेखनीय विभूतियों में गिना जा सकता है।

अपनी बात शुरू करें तो इसके पीछे आपकी मेधा है, जीनियस है। इस शब्द का बहुत गलत अर्थ लिया जाता रहा है। जीनियस शब्द को तभी उसका सही अर्थ मिलता है जब इसे किसी ऐसे व्यक्ति के साथ जोड़ा जाता है जो न केवल उत्कृष्ट कॉमेडियन है बल्कि एक लेखक, संगीतकार, निर्माता है और सबसे बड़ी बात, उस व्यक्ति में उŠष्मा, उदारता और महानता है। आप में ये सारे गुण वास करते हैं और इससे बड़ी बात, कि आप में वह सादगी है जिससे आपका कद और ऊंचा होता है और एक गरमाहट भरी सहज अपील के दर्शन होते हैं जिसमें न तो कोई हिसाबी गणना होती है और न ही कोई प्रयास ही आप इसके लिए करते हैं और इनसे आप सीधे इन्सान के दिल में प्रवेश करते हैं। इन्सान, जो आप ही की तरह मुसीबतों का मारा है। लेकिन सराहना के गुण गिनाने के लिए जीनियस ही काफी नहीं होती; न ही यह प्यार का प्रतिदान करने के लिए ही काफी होती है। और इसके बावजूद, प्यार ही उस संवेदना के लिए अकेला शब्द है जिसकी प्रेरणा आप देते हैं।

जब हमने लाइम लाइट देखी तो हम हँसे, कई बार दिल खोल कर और हम रोये, असली आँसुओं के साथ -आपके आँसुओं के साथ, क्योंकि आप ही ने हमें आँसुओं का कीमती उपहार दिया है।

सच कहें तो जो सही प्रसिद्धि होती है, कभी सिर पर चढ़ कर नहीं बोलती; जब इसे किसी अच्छे कारण की ओर मोड़ दिया जाता है तो इसमें एक भावना, एक मूल्य, एक अवधि आ जाती है। और आपकी विजय इस तथ्य में है कि आपमें मानवीय उदारता और सहजता है कि आप नियमों से या चालाकी से बंधे हुए नहीं है, बल्कि आप अपनी ऊर्जा अपनी तकलीफों से, अपनी खुशियों से आशाओं से और हताशाओं से ग्रहण करते हैं; वह सब कुछ, जिसे वे ही समझ सकते हैं जो अपनी शक्ति से परे तकलीफ उठाते हैं और दया की भीख मांगते हैं और जो लगातार इस बात की आशा करते हैं कि उन्हें सांत्वना मिले, कि उन्हें एक पल के लिए उस हँसी से सब कुछ भूलने का मौका मिले जो इलाज करने का दिखावा नहीं करती लेकिन सिर्फ सांत्वना देने के लिए होती है।

हम इस बात की कल्पना ही कर सकते हैं, भले ही हम इसे न जानते हों कि हमें हँसाने और अचानक रुलाने लायक होने के इस शानदार उपहार के लिए आपने खुद कौन सी कीमत चुकाई हैं। हम अनुमान लगा सकते हैं और बहुत हुआ तो सोच सकते हैं कि आपने स्वयं कौन कौन सी तकलीफें झेली होंगी ताकि आप बारीकी से उन सारी छोटी छोटी च़ाजों को बयान कर सकें जो हमें इतनी गहराई से छूती हैं और जिन्हें आपने अपनी स्वयं की ज़िंदगी के पलों से लिया है।

इसका कारण यह है कि आपकी स्मृति बहुत अच्छी है। आप अपने बचपन की स्मृतियों के लिए शुक्रगुज़ार हैं। आपने उसकी उदासी, उसकी वेदना में से कुछ भी नहीं भुलाया है; आपने चाहा है कि आपने जो तकलीफें भोगी हैं, दूसरों को न भोगनी पड़ें और कम से कम आपने इतना ही तो चाहा ही है कि आप सबको आशावान बने रहने का कारण दे सकें। आपने अपनी उदास युवावस्था को कभी धोखा नहीं दिया है और प्रसिद्धि में कभी भी यह ताकत नहीं थी कि वह आपको आपके अतीत से अलग कर सके - क्योंकि, अफसोस, इस तरह की बातें संभव हुआ करती हैं।

आपकी सबसे पुरानी स्मृतियों के प्रति आपकी यह वफादारी ही शायद आपका सबसे बड़ा गुण है और आपकी आस्तियों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भी है। और यही असली कारण भी है कि लोग आपको क्यों प्यार करते हैं। वे आपके अभिनय की बारीकियों पर प्रतिक्रिया देते हैं। ऐसा लगता है कि मानो आप हमेश दूसरों के दिलों से सीधे संपर्क में रहते हैं और बेशक लेखक, अभिनेता और निर्देशक, तीनों रूपों में आपके सांझे अवदान से ज्यादा मनभावन कुछ नहीं हो सकता। आपके रूप में ये तीनों कलाकार, उनकी सेवा में अपनी सांझी मेधा लगा देते हैं जोकि मानवीय है और बेहतर है।

यही कारण है कि काम हमेशा उदार होता है। इसे सिद्धांतों से जकड़ा नहीं जा सकता - तकनीकों से तो बिल्कुल ही नहीं। ये हमेशा के लिए एक स्वीकारोक्ति है एक विश्वास है, एक प्रार्थना है और हर व्यक्ति आपका संगी साथी है क्योंकि वह वैसे ही सोचता और महसूस करता है, जैसा कि आप करते हैं।

आपने अपनी मेधा के बलबूते पर समालोचकों का मुंह बंद किया है क्योंकि आप उन्हें अपने नियंत्रण में करने में सफल हुए हैं। यह एक बहुत ही मुश्किल काम है। वे कभी इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे कि आपने पुराने फैशन के मेलोड्रामा के आकर्षण और फेदेयू के पाश्विक उत्साह के प्रति एक जैसी प्रतिक्रिया दी है। और इसके बावजूद, आपने ऐसा किया और एक खास गरिमा बनाये रखी जो हमें मुसेट· के बारे में सोचने पर मजबूर करती है हालांकि आप न तो किसी की नकल करते हैं और न ही किसी और जैसे लगते हैं। यह भी आपकी गरिमा का रहस्य है।

आज लेखकों और नाटककारों की हमारी सोसायटी को यह सौभाग्य और खुशी मिल रहे हैं कि हम आपका स्वागत कर रहे हैं। हम इस तरह से कुछ ही पल के लिये ही सही, आपके उन कामों को बोझ बढ़ा रहे हैं जो आप इतनी सदाशयता से पूरे करते हैं। हम आपको अपने बीच पाकर बहुत आतुर हैं और आपको बताना चाहते हैं कि हम आपकी कितनी सराहना करते हैं और आपको कितना प्यार करते हैं। और यह भी कहना चाहते हैं कि आप सचमुच हममें से ही एक हैं, क्योंकि आपकी फिल्मों में कहानी मिस्टर चैप्लिन द्वारा लिखी होती है। और इस तरह से संगीत भी उन्हीं का बनाया होता है और निर्देशन भी वे ही करते हैं और कॉमेडियन जो है इनके अतिरिक्त होता है और उसका योगदान उच्च श्रेणी का होता है।

यहां पर आपके सामने फ्रांस के लेखक, नाटकों और फिल्म के लेखक, संगीतकार, निर्माता सब उपस्थित हैं। वे सब के सब आपको पसंद करते हैं। अपने अपने तरीके से वे उस कड़ी मेहनत के सम्मान और आत्म त्याग से अच्छी तरह से परिचित हैं जो आप अच्छी तरह से जानते हैं क्योंकि आपकी यही महत्त्वाकांक्षा रही है कि आप जनता को आंदोलित करें और उन्हें खुश करें कि आप खोये हुए प्यार के डर को चित्रित करें, जो इस लायक नहीं हैं उन तकलीफों के लिए दया दिखाएं और आपकी एक इच्छा है कि जो शांति, उम्मीद और भाईचारे की भावना के रास्ते में आता है, उसे ठीक करें।

धन्यवाद, मिस्टर चैप्लिन

रोजर फर्डिनांड

लाइम लाइट के प्रीमियर में अधिकांश गणमान्य विभूतियां पधारीं। इनमें फ्रांसीसी केंद्रीय मंत्री और विदेशी राजदूत शामिल थे। अलबत्ता, अमेरिकी राजदूत नहीं आये।

कॉमेडी फ्रान्चाइज में हम मोलियर के नाटक डॉन जुआन के विशेष प्रदर्शन पर खास मेहमान थे। इसमें फ्रांस के महानतम चुनिंदा कलाकारों ने अभिनय किया था। उस रात राजसी महल के फव्वारों में रोशनी की गयी और हमें कॉमेडी फ्रान्चाइज के विद्यार्थी अट्ठारहवीं शताब्दी की पोशाकों में मिले। उन्होंने हाथों में जलती हुई मोमबत्तियां थामी हुई थीं और वे हमारी अगवानी करके हमें समस्त यूरोप की सर्वाधिक सुंदर महिलाओं से भरे ग्रैंड सर्किल में लेकर गये।

रोम में भी हमारा स्वागत इसी तरह से हुआ। राष्ट्रपति और मंत्रियों ने मेरा सम्मान किया, मुझे अलंकृत किया और मेरी अगवानी की। उस मौके पर लाइम लाइट के प्रीमियर में एक मज़ेदार घटना घटी। फाइन आर्ट्स के मंत्री ने मुझे सुझाव दिया कि मैं भीड़ से बचने के लिए मंच द्वार से आऊं। मुझे मंत्री महोदय का सुझाव थोड़ा अजीब-सा लगा और मैंने उन्हें बताया कि अगर लोगों में मुझसे मिलने के लिए थिएटर के बाहर खड़े होने का धैर्य है तो मुझमें कम से कम इतनी विनम्रता तो होनी ही चाहिए कि मैं सामने के द्वार से आऊं और अपना चेहरा दिखाऊं। मुझे लगा कि उनके चेहरे पर उस वक्त अजीब से भाव आये जब उन्होंने हौले से अपनी बात को दोहराया कि इससे मुझे पीछे वाले रास्ते में जाने में कम तकलीफ होगी। मैंने ज़िद की तो उन्होंने और ज़ोर नहीं डाला।

उस रात वैसा ही चमक-दमक वाला प्रिव्यू था। जब हम लिमोजिन में बैठ कर आये तो भीड़ को रस्सियों से काफी दूर रोका गया था, ऐसा मुझे लगा। अपनी पूरी विनम्रता और आकर्षण के साथ मैं गाड़ी से बाहर निकला, लिमोज़िन का चक्कर काटा और सड़क के बीचों बीच आ गया और चौंधियाती रोशनी के नीचे खड़ा हो गया। मैंने अपनी दोनों बांहें द' गॉल की तरह फैलाते हुए चेहरे पर मुस्कान बिखेरी। तभी अचानक बंद गोभी और टमाटर मेरी तरफ उछाले जाने लगे। मैं तय नहीं कर पाया कि वे क्या थे और क्या हुआ था। तभी मैंने अपने इतालवी मित्र, दुभाषिये को अपने पीछे मिमियाते सुना, 'ज़रा सोचिये, ये सब मेरे देश में हो रहा है।' अलबत्ता, मुझे कुछ भी नहीं लगा और हम फटाफट थियेटर के अंदन ले जाये गये। तभी मुझे परिस्थिति का मज़ाक समझ में आया और मैं अपनी हँसी नहीं रोक पाया। यहां तक कि मेरे इतालवी दुभाषिये मित्र भी मेरे साथ हँसने लगे।

बाद में हमें पता चला कि ये शरारती लोग युवा नवफासीवादी थे। मुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि उनकी फेंकने की कार्रवाई में ज़रा भी नफ़रत नहीं थी। यह एक तरह का प्रदर्शन ही था। चार लोगों को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया था और पुलिस ने मुझसे जानना चाहा था कि क्या मैं उनके खिलाफ़ कोई आरोप लगाना चाहूंगा। 'बेशक नहीं,' मैंने कहा,'वे अभी लड़के ही तो हैं। वे चौदह और सोलह बरस में लड़के थे, इसलिए मामला रफा दफा कर दिया गया।

पेरिस से रोम के लिए चलने से पहले लुईस अरागौन, कवि और लेस लेटर्स फ्रेंचाइज के संपादक ने फोन करके बताया कि ज्यां पाल सार्त्र और पिकासो मुझसे मिलना चाहेंगे। इसलिए मैंने उन्हें डिनर पर आमंत्रित किया। उन्होंने कहीं शांत जगह का सुझाव दिया इसलिए हमने होटल में मेरे कमरों में खाना खाया। जब हैरी क्रोकर, मेरे प्रचार प्रबंधक को इसके बारे में पता चला तो उसे जैसे दौरा पड़ गया, 'हम जब से स्टेट्स से चले हैं हमने जो भी अच्छा किया है, ये मुलाकात उन पर पानी फेर देगी।'

'लेकिन हैरी, ये यूरोप है, स्टेट्स नहीं और ये विभूतियां विश्व की तीन महानतम शख्सियतों में से हैं।' मैंने कहा। मैंने इस बात की सावधानी बरती थी कि हैरी या किसी को भी यह नहीं बताया था कि अमेरिका लौटने का मेरा कोई इरादा नहीं हैं। क्योंकि अभी भी मेरी सम्पत्ति वहां पर थी और मैंने उसे अभी बेचा नहीं था। हैरी ने मुझे लगभग विश्वास दिला दिया था कि अरागौन, पिकासो और सार्त्र के साथ मुलाकात पश्चिमी लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने का षडयंत्र थी। इसके बावजूद, मज़ेदार किस्सा ये रहा कि उसकी चिंता ने उसे अपनी ऑटोग्राफ बुक में उनके हस्ताक्षर लेने से नहीं रोका। हैरी को डिनर के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। हमने उसे बताया कि हम बाद में स्टालिन के आने की उम्मीद कर रहे हैं इसलिए हम इस बारे में कोई भी प्रचार नहीं चाहते।

मैं इस शाम के बारे में बहुत ज्यादा आश्वस्त नहीं था। केवल अरागौन ही अंग्रेज़ी बोल पाते थे और दुभाषिए के जरिए बातचीत करना किसी दूर के निशाने पर गोली चला कर अपने लक्ष्य के इंतज़ार करने की तरह होता है।

अरागौन खूबसूरत और सुंदर चेहरे मोहरे वाले व्यक्ति थे। पिकासो पहेलीनुमा हंसोड़ दिखते थे और उन्हें आसानी से पेंटर की तुलना में एक्रोबैट या जोकर समझा जा सकता था। सार्त्र का चेहरा गोल था और हालांकि उनके चेहरे मोहरे का विश्लेषण नहीं किया जा सकता था, उनमें भीतरी सौंदर्य और संवेदनशीलता थी। सार्त्र ने अपने मन को बहुत कम खोला। उस शाम पार्टी के समाप्त हो जाने के बाद पिकासो हमें अपने लैफ्ट बैंक स्टुडियो में लेकर गये। इस स्टुडियो को वे अभी भी इस्तेमाल करते हैं। जब हम सीढ़ियां चढ़ रहे थे तो हमने उनके नीचे वाले अपार्टमेंट के दरवाजे पर एक बोर्ड देखा - 'ये पिकासो का स्टूडियो नहीं है। कृपया एक और मंज़िल चढ़ें।'

हम बेहद फटीचर, खलिहान जैसी दुछत्ती पर पहुंचे। यहां पर चेटरटन· ने भी मरने से मना कर दिया होता। एक बीम पर एक कील से एक नंगा बल्ब लटका हुआ था जिसकी रोशनी में हम एक पुराना लोहे का जंग खाया बिस्तर और टूटा फूटा एक स्टोव देख पाये। दीवार के सहारे पुराने धूल भरे कैनवास टिके रखे थे। पिकासो ने एक कैनवास उठाया - सीज़ेन जो सबसे खूबसूरत था। वे एक के बाद एक कैनवास उठाते गये। हमने कम से कम पचास मास्टर कलाकृतियां देखीं। मेरा बहुत मन हुआ कि उन्हें इस पूरे ढेर के लिए एकमुश्त राशि देने का प्रस्ताव करूं, मात्र इस कचरे छुटकारा पाने के लिये। इसी ढेर में असली खजाना छुपा हुआ था।


· ऐसा गैर कम्यूनिस्ट जो कम्यूनिस्ट पार्टी के लक्ष्यों और आम नीतियों का समर्थन करता है। अऩु

· इसका अर्थ कमोबेश वैश्वीकरण जैसा ही है। अनु.

· फ्रांसीसी लेखक। वे फ्रेंच रोमांटिक आंदोलन के प्रमुख कवि थे। उन्होंने लौरेंजकियो (1834) जैसी कॉमेडी भी लिखी।

· ब्रिटिश कवि जो विद्वानों को अपनी कविताएं 15वीं शताब्दी के भिक्षु थॉमस रावले की रचनाएं बता कर बुद्धू बनाया करता था। लिखने से गुजारा न कर पाने के कारण वह हताश हो गया और 18 बरस की आयु में उसने खुदकुशी कर ली। उसकी रचनाएं रोमांटिक कवियों के लिए प्रेरणा की स्रोत बनीं। अनु.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी…)

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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा (18)
चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा (18)
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