वीरेन्द्र जैन का आलेख : भीड़ के बीच अस्‍वीकृति में उठा हाथ

SHARE:

भीड़ के बीच अस्‍वीकृति में उठा हाथ एक दूसरी भोपाल गैस त्रासदी भी चुपचाप घटित होती रही   -वीरेन्‍द्र जैन   2 दिसम्‍बर 2008 को भो...

भीड़ के बीच अस्‍वीकृति में उठा हाथ

एक दूसरी भोपाल गैस त्रासदी भी चुपचाप घटित होती रही

 

-वीरेन्‍द्र जैन

 

2 दिसम्‍बर 2008 को भोपाल गैस त्रासदी को हुये पूरे चौबीस साल बीत जायेंगे। इन सालों में गैस पीड़ितों के विभिन्‍न संगठनों द्वारा चलाये गये निरंतर संघर्ष के बाद आज से चार साल पहले उच्‍चतम न्‍यायालय ने यह फैसला दिया था कि रिजर्व बैंक में जमा 1503 करोड़ और रूपयों को गैस पीड़ितों में बांटा जाये। उनके आदेश का परिपालन किया गया और यह राशि वितरित की गयी।

1989 में अदालत के निर्देश पर यूनियन कार्बाइड और भारत सरकार के बीच हुये समझौते के अर्न्‍तगत लगभग 2350 करोड़ रूपये हर्जाना देने का फैसला लिया गया था। यह फैसला उस समय उपलब्‍ध गैस पीड़ितों के आंकड़ों के आधार पर लिया गया था जबकि बाद में किये गये सर्वेक्षण के अनुसार मृतकों की संख्‍या 15000 तथा पीड़ितों की संख्‍या 570926 पायी गयी। मार्च 1990 को सुप्रीम कोर्ट ने उपरोक्‍त गैस पीड़ितों को 200 रूपये प्रतिमाह अंतरिम राहत के रूप में देने का फैसला दिया था जबकि मई 1989 में सुप्रीम कोर्ट ने ही गैस पीड़ितों को दो भागों में बाँट कर एक ओर तीन हजार रूपया देने तथा गैस पीड़ितों की विधवाओं को 750 रुपया देने का फैसला दिया था। अंतरिम राहत राशि की देयता 1996 तक जारी रखी गयी। इस दौरान विभिन्‍न गैस अदालतों ने मामलों की जाँच की और अपने फैसलों में पीड़ितों की पाँच श्रेणियाँ बना कर न्‍यूनतम 25000 से अधिकतम तीन लाख रूपये तक मुआवजे के रूप में देने के आदेश दिये। इसी फैसले के अनुसार पूर्व में दी गयी अंतरिम राहत राशि का इस राशि में समायोजन कर लिया गया। इस बीच अक्‍टूबर 1991 में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों के उपचार के लिए एक बड़ा अस्‍पताल बनाने व यूनियन कार्बाइड के लापरवाह अधिकारियों/मालिकों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण जारी रखने का फैसला दिया। पर अक्‍टूबर 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि मुआवजे की राशि का उपयोग किसी अन्‍य कार्य में नहीं हो सकता। कुल मिलाकर प्राप्‍त राशि में से 31 अक्टूबर 2003 तक 1530 करोड़ रूपये बांटे जा चुके थे। बाद में सन 2004 के दौरान 1503 करोड़ और वितरित किये गये। कोर्ट के निर्देश के अनुसार यह राशि दो सप्‍ताह के अन्‍दर ही वितरित की गयी।

इसी दौरान हुयी हलचल को तत्‍कालीन गैस राहत मंत्री बाबूलाल गौर ने हल करने के लिए नगर के बाकी बचे बीस वार्डों के लिए भी मुआवजे की मांग करने का शगूफा उछाल दिया वहीं दूसरी ओर गैस पीड़ित संगठनों ने मांग छेड़ दी थी कि मुआवजा राशि का वितरण वास्‍तविक गैस पीड़ितों के बीच ही होना चाहिये।

यह क्रूरतम दुखद घटना सन 1984 में घटित हुयी थी। इस घटना ने न केवल पन्‍द्रह हजार बेगुनाह लोगों की जान ही ली थी अपितु नगर के कई लाख लोगों को विभिन्‍न तरह के रोगों और अपंगता का शिकार भी बनाया था। भोपाल नगर की पूरी आबादी को भय और आतंक से मानसिक पीड़ा पहुँचायी तथा मृतकों और बीमारों के रोजगार बन्‍द हो जाने से नगर की अर्थ व्‍यवस्‍था पर विपरीत असर पड़ा था। भोपाल में नये उद्योग धन्‍धे स्‍थापित करने के लिए आने वालों का प्रवाह रूक गया था तथा जलवायु में व्‍याप्‍त हो गये प्रभाव से बचने के लिए अनेक लोगों ने भोपाल छोड़ कर जाने का मन बना लिया था।

भोपाल गैस काण्‍ड एक भयंकर त्रासदी थी जिसका रोंगटे खड़ा कर देने वाला विवरण बार बार विभिन्‍न सूचना माध्‍यमों द्वारा बताया गया है। किंतु इस घटना के बाद की त्रासदी इससे भी अधिक भयंकर रही। इस गैस काण्‍ड ने इस खूबसूरत शहर की आबोहवा ही खराब नहीं की अपितु इसके बाद के मुआवजा काण्‍ड ने शहर के सामाजिक व्‍यवहार चरित्र और अर्थतंत्र को ही खराब करके रख दिया। खेद है कि इस त्रासदी पर ना तो अब तक कोई ध्‍यान दिया गया और ना ही दिया जा रहा है।

1984 से 1989 के बीच जब घातक गैस का प्रभाव निरंतर लोगों की जानें ले रहा था तब राज्‍य शासन द्वारा छुटपुट सम्‍भव सहायता ही प्रदान की गयी तथा इसी बीच गम्‍भीर रूप से पीड़ित हुये सैकड़ों व्‍यक्‍ति काल कवलित हो गये। जब 1989 में भारत सरकार और यूनियन कार्बाइड के बीच समझौता हो गया तब इस क्षेत्र में एकदम नयी गतिविधियाँ देखने को मिलने लगीं। इस दौरान गैस पीड़ितों के बीच ऐसे अनेक संगठन और नेता पैदा हो गये जिनकी उपस्‍थिति 1984 से 1989 के बीच कहीं भी नहीं थी।

गरीब बस्‍ती के जिस निचले क्षेत्र पर गैस का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा था वहाँ अधिकतर अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लोग रहते थे। इस समुदाय के लोगों को अचानक मुआवजे के रूप में बड़ी राशि प्राप्‍त हो जाने की संभानाओं ने बहुसंख्‍यक समुदाय के साम्‍प्रदायिक संगठनों के कान खड़े कर दिये। इसकी प्रतिक्रिया के रूप में इन संगठनों ने अपने समुदाय के लोगों को ‘गैस पीड़ित बनवाने' और उस आधार पर अपने संगठन के विस्‍तार की योजनाएं बनाना शुरू कर दीं। इस गतिविधि से अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के चुनावी नेता भी हरकत में आ गये और उन्‍होंने अपने समुदाय के लोगों को तलाश तलाश कर ‘‘गैस पीड़ित'' बनवाना शुरू कर दिया। दुर्भाग्‍य से यह वह समय भी था जब कुल दो सीठों पर सिमट गयी भाजपा ने थोड़े समय के लिए अपनाये गांधीवादी समाजवाद के नारे से पीछा छुड़ा कर अपने जनसंघ काल का हिंदुत्‍व वाला पुराना मार्ग पकड़ लिया था तथा भूले बिसरे रामजन्‍म भूमि मन्‍दिर विवाद के सहारे आन्‍दोलन चलाने व साम्‍प्रदायिक ध्रुवीकरण करके सत्‍ता में आने के सपने देख रही थी। गैस मुआवजा के आधार पर जनित लालच ने झूठे गैस पीड़ितों के बीच उसे एक बड़ा आधार बनाने में मदद मिली तथा व्‍यापारी वर्ग और पंडितों की पार्टी के नाम से जानी जाने वाली इस पार्टी को गरीबों व पिछड़ी दलित जातियों में घुसपैठ का अवसर दिया।

1992 में हुये साम्‍प्रदायिक दंगों में इस ध्रुवीकरण का बहुत बड़ा हाथ रहा है और तब ही से साम्‍प्रदायिक सद्‌भाव के लिए मशहूर भोपाल से भाजपा का सांसद चुना जा रहा है। दूसरी ओर पुराने लोग बताते हैं कि कामरेड शाकिर अली खान व उन कैफ भोपाली के शहर में जो कहा करते थे कि ‘‘ ये दाढियाँ ये तिलकधारियाँ नहीं चलतीं, हमारे शहर में मक्‍कारियाँ नहीं चलतीं'' इतनी अधिक संख्‍या में जालीदार गोल टोपियाँ लगाये मस्‍जिद जाने वाले लोग उन्‍होंने पहले कभी नहीं देखे।

आंकड़े बताते हैं कि 1984 से 1989 तक गैस पीड़ितों की संख्‍या एक लाख पाँच हजार थी वहीं समझौते के बाद यह पाँच लाख सत्‍तर हजार नौ सौ छब्‍बीस हो गयी। इस बीच मुआवजा वंचित लोगों के बीच से यह माँग भी शुरू हुयी कि गैस काण्‍ड के प्रभाव से न केवल पूरे भोपाल के आर्थिक हित ही प्रभावित हुये हैं अपितु इस गैस का असर हवा और पानी में मिलकर पूरे भोपाल के निवासियों को प्रभावित कर रहा है इसलिए मुआवजा राशि का भुगतान सम्‍पूर्ण भोपाल नगर के निवासियों के बीच होना चाहिये। चुनावी राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों ने इस मांग को बिना सोचे विचारे समर्थन दिया तो दूसरी ओर घोषित गैस पीड़ितों ने इससे असहमति दर्षायी।

मुआवजा, हो गये नुकसान की वास्‍तविक भरपाई और भविष्‍य में पड़ने वाले प्रभाव से बचाने के अनुसार ही दिया जाता है या दिया जाना चाहिये किंतु 1991 से 1996 के बीच जो राशि बांटी गयी उसका मुआवजे से कुछ भी लेना देना नहीं था। (इन पंक्‍तियों का लेखक स्‍वयं बैंक अधिकारी के रूप में मुआवजा वितरण से जुड़ा रहा है व उसे कम से कम दो हजार फाइलें देखने का अवसर मिला है) जिन लोगों ने दस हजार की राशि मांगी थी उन्‍हें भी फैसले के अनुसार पच्‍चीस हजार न्‍यूनतम दिये गये और गम्‍भीर रूप से पीड़ित व्‍यक्‍तियों को भी पच्‍चीस से पचास हजार तक ही दिये गये। आर्थिक, सामाजिक और मानसिक नुकसान का कहीं कोई मूल्‍यांकन ही नहीं हुआ। सन 2004 के फैसले के अनुसार भी इन्‍हीं लोगों में इतनी ही राशि और वितरित की गयी।

कम शिक्षित और लम्‍बी खानापूर्ति से अनभिज्ञ लोगों की कागजी कार्यवाही करने के लिए वकीलों का बड़ा समूह सामने आया जिसने समुचित फीस लेकर अच्‍छी खासी आय अर्जित की। दावा दायर करने के लिए आवश्यक राशनकार्ड, जो वास्‍तविक पीड़ितों के सचमुच गुम हो गये थे तथा जिनके पास पहले से ही नहीं थे, उनके तैयार करने का धन्‍धा बड़े पैमाने पर हुआ तथा इसमें लाखों का बारा न्‍यारा हुआ। इलाज करने वाले डाक्‍टरों ने झूठे मेडिकल प्रमाण पत्र बनाये और आश्चर्य की चीज होगी कि एक एक डाक्‍टर ने एक दिन में हजारों लोगों के इलाज का दावा ही नहीं किया अपितु सबका हिसाब भी रखा और घटना के सालों बाद उसी अनुसार उन्‍हें प्रमाण पत्र भी दिये। जो लोग गैस प्रभावित वार्डों से नहीं थे उनमें से हजारों लोग सपरिवार ‘र्दुसंयोग' से उसी दिन गैस प्रभावित क्षेत्र में आयोजित किसी विवाह समारोह में गये थे व जहाँ रात्रि बारह बजे के बाद तक रहे थे। प्रमाण स्‍वरूप सबने विवाह का निमंत्रण पत्र सुरक्षित रखा था व उसे अपने आवेदन के साथ लगाया हुआ था। एक विवाह में एक ही वार्ड के विभिन्‍न जाति धर्म व आय वर्ग के हजारों लोगों का सम्‍मिलित होना भी रिकार्ड का हिस्‍सा है।

घटना के बारह साल बाद दिये गये मुआवजे की रकम को तीन महीने के लिए फिक्‍सड डिपाजिट के रूप में रखने का नियम बनाया गया था जिसे कुछ विशेष परिस्‍थितियों में गैस कोर्ट समयपूर्व भुगतान का आदेश दे सकती थी। राशि को जल्‍दी प्राप्‍त करने के लिए उत्‍सुक व्‍यक्‍तियों की सहायता के लिए वकील उपलब्‍ध थे जो अनेक प्रकरणों में ठीक ठाक फीस वसूल कर अदालत से आदेश प्राप्‍त कर लेते थे। कहने की जरूरत नहीं कि यह सुविधा यों ही नहीं मिल जाती रही।

इतना समय गुजर जाने के बाद मुआवजे के रूप में प्राप्‍त धनराशि बहुत से लोगों के लिए अप्रत्याशित थी। एक एक घर में लाखों रूपये पहुँचे थे। इस राशि ने जमीनों और मकानों के भाव बढ़ा दिये थे। उन दिनों गैस कनेक्शन सहज सुलभ नहीं था इसलिए गैस सिलैंडर पर ब्‍लैक की राशि बहुत बढ़ गयी थी। उपभोक्‍ता बाजार का तेजी से विकास हुआ। टीवी, फ्रिज व वाशिंग मशीनें खूब बिंकीं। यही हाल फर्नीचर और सजावट के सामानों का हुआ। सबसे अधिक लाभ शराब के ठेकेदारों और बार चलाने वालों का हुआ। आबकारी ठेकों की राशि अप्रत्याशित रूप से बढ़ गयी थी। मजदूरी करने वालों में आत्मविश्वास बढ़ गया था परिणामस्‍वरूप उनकी मांगें भी। वाहनों की संख्‍या में भी तेज वृद्धि दर्ज की गयी थी जिसका प्रभाव ट्रैफिक पर भी पड़ा। कुल मिला कर वह सब कुछ बढ़ा जो सहज धन उपलब्‍ध होने पर समाज में बढ जाता है। पर जो एक लाख लोग वास्‍तव में गम्‍भीर समस्‍याओं से ग्रस्‍त थे उनको वह राशि और सुविधाएं नहीं मिल पायीं जिसके वे हकदार थे, और ना ही शहर में व्‍याप्‍त हो गये प्रदूषण से मुक्‍ति के कुछ ठोस उपाय ही हुये। वही कुछ हुआ जो खोटे सिक्‍कों के प्रचलन में आने पर चोखे सिक्‍कों के साथ होता है। मँहगाई एकदम तेजी से बढ़ी और पैसा व्‍यापारिक केन्‍द्रों में सिमटने लगा।

गैस त्रासदी के पीड़ित लोगों के संगठन जिस तेजी के साथ पैदा हुये व उसमें जो लोग सामने आये उसमें से अनेक कभी किसी सेवा कार्य में नहीं देखे गये ।इन संगठनों के लोगों की आर्थिक दशा में आश्चर्यजनक सुधार देखने को मिला तथा साइकिल से चलने वाले कारों से चलने लगे। नव साम्राज्‍यवादी देशों की जिन बहुराष्‍ट्रीय कम्‍पनियों के खिलाफ एक वातावरण तैयार होकर पूरे देश में फैल सकता था वह सच्‍चे और झूठे मुआवजे में सिमट कर रह गया। जो लोग आन्‍दोलन चला सकते थे वे एन जी ओ चलाने लगे तथा ग्रान्‍ट बटोरने लगे।

यह तय है कि घटना के चौबीस साल बाद बीमारी झेलने वाले अधिकांश गम्‍भीर रोगी चल बसे हैं तथा जो लोग गत बीस सालों से अपने इलाज की जो जैसी व्‍यवस्‍था कर रहे हैं उसमें नये प्राप्‍त धन से लाभान्‍वित होकर और अच्‍छी इलाज व्‍यवस्‍था प्राप्‍त करने वाले लोग बहुत कम संख्‍या में शेष होंगे।

यह मुआवजे की त्रासदी एक दूसरी त्रासदी थी और ये कम बड़ी नहीं थी किंतु डालरों की चकाचौंध ने इसके खिलाफ प्रतिरोध की दिशा ही बदल दी। रोचक यह भी है कि 2008 के विधानसभा चुनावों में किसी भी दल ने गैस त्रासदी जैसी घटनाओं के न होने देने के सवाल को चुनावी मुद्‌दा नहीं बनाया व उसे लगभग भूल ही गये। केवल बाबू लाल गौर का इस आधार पर विरोध किया गया कि उन्‍होंने अभी तक शेष वार्डों को गैस पीड़ित घोषित कराने का जो वादा किया था उसे पूरे कराने के लिए कुछ नहीं किया।

-----

वीरेन्‍द्र जैन

2/1 शालीमार स्‍टर्लिंग रायसेन रोड

अप्‍सरा टाकीज के पास भोपाल म.प्र.

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. माननीय, चूंकि इन लोगों से कोई वोट बैंक नहीं बनता, इसलिये इन्हें कहां से न्याय मिलेगा.

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: वीरेन्द्र जैन का आलेख : भीड़ के बीच अस्‍वीकृति में उठा हाथ
वीरेन्द्र जैन का आलेख : भीड़ के बीच अस्‍वीकृति में उठा हाथ
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2008/12/blog-post.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2008/12/blog-post.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content