वीरेन्द्र जैन का व्यंग्य : बसंत में बीमारी

SHARE:

  क भी कभी प्रभु की मति भी मारी जाती है। जैसे कोई ढीठ मक्‍खी बार- बार उड़ाने पर भी किसी चरित्रवान व्‍यक्‍ति की नाक पर बैठने की गुस्‍...

Virendra Jain

 

भी कभी प्रभु की मति भी मारी जाती है। जैसे कोई ढीठ मक्‍खी बार- बार उड़ाने पर भी किसी चरित्रवान व्‍यक्‍ति की नाक पर बैठने की गुस्‍ताखी करती है और चरित्रवान व्‍यक्‍ति को इसके अलावा दूसरा कोई रास्‍ता नही सूझता कि मक्‍खी को मार दिया जाए इसी तरह मति भी मारी जाने के लिए मजबूर हो जाती है। अब मति चाहे प्रभु की हो, प्रभुवर्ग की हो या आम जनता की, जब मारी जाना होती है सो मारी ही जाती है। जबसे मैंने यह सुना है कि उसकी इच्‍छा के बिना पत्‍ता भी नहीं हिलता तभी से मैं अपने सारे दोष उसी पर मढ़ देने में सिद्वहस्‍त हो गया हूं।

अब यह भी कोई बात हुई कि वह मुझे बीमारी दे और वह भी बसंत के मौसम में, यह उसकी मति मारे जाने का लक्षण नहीं तो और क्‍या है ? अरे भला आदमी बीमारी को कुछ अच्‍छा सा अवसर देखकर नही दे सकता था! कि जब दफ्‍तर में ज्‍यादा काम हो तब दे द,े जब बच्‍चे छुटि्‌टयों में पहाड़ घुमाने की जिद कर रहे हों तब दे दे। ऐसे रिश्तेदारों के यहां विवाह समारोह हो जहां बड़ा खर्च करना जरूरी होता है तब दे देता। लोग इस्‍तीफा देने तक में अवसर की अनुकूलता का ध्‍यान रखते हैं और यह प्रभु है कि बीमारी देने में भी वक्‍त नही देखता। सोचता हूँ कि मोनोपली का लाभ उठाने में जब सभी माहिर हैं तो प्रभु ही क्‍यों पीछे रहे, वह भी राशन के दुकानदार या विद्युत टेलीफोन विभाग की तरह अपनी मनमानी करता रहता है।

वैसे बसंत में लोग बनावटी बीमार दिखने में भी आनंदित महसूस करते है, कोई प्रेमरोगी होने का ढोंग करता है तो किसी का दिलो जिगर चाक- चाक हुआ रहता है, भले ही उसमें से रक्‍त की एक बूंद भी न टपकती हो। कोई अपना बैंक बैलेन्‍स, दुकान, जमीन, बीमा, का पैसा आदि छोड़कर शेष सारा जीवन न्‍यौछावर करता नजर आता है। जैसे कि जीवन नहीं नाक हो जिसे जब चाहे छिनका जा सके। कुछ घायल होने के लिए खुद सलाह देते हैं कि '' सीधा तो कर लो तीर को '' और कुछ कहते हैं कि

'' आज अपने हाथों से क्‍यों न कत्‍ल हो जाएं,

अब तो मेरे कातिल के हाथ थक गए होंगे। ''

वैसे मैं इस बासंती मौसम में भी इनमें से किसी कोटि का बीमार नहीं था। अब चाहे आप मुझे रस हीन, हृदयहीन, निरा बौद्विक भौतिक प्राणी के रूप में उपेक्षा से देखें पर में तो अपने और जग के सारे दोषों के लिए प्रभु को जिम्‍मेवारी सौंपकर ऐसे खड़ा हो जाता हूं जैसे दूध की थैली में से दूध निकाल लेने और आखिरी बूंद तक झटक लेने के बाद वह उजली पारदर्शी होकर कचरेदान में शोभायमान होती है।

मैं इस देश के कर्मचारियों, अधिकारियों और राजनेताओं की तरह बनावटी बीमार भी नही था जो डाक्‍टरों को स्‍वस्‍थ्‍य करने की जगह बीमार करने के लिए पैसे देते हैं। मैं बीमार था और प्रभु की कृपा से सचमुच बीमार था। सुइयं दिल में चुभने की जगह बाहों और कूल्‍हे पर चुभाई जा रहीं थीं। छाती खोलकर सीने पर तीर खाने की जगह गोलियां खा रहा था और वह भी मुंह के रास्‍ते। अधरों का रस पीने की जगह मौसम्‍बी का दूसरे के द्वारा निकाला हुआ रस पी रहा था। लोग अस्‍पताल में मुझे देखने आते, तो मुझे कम नर्सों को ज्‍यादा देखते। नर्सें शायद उनके हृदय में पीड़ा पहुंचा रही हों पर मुझे तो वे निरंतर मेरे कूल्‍हों में बदल बदलकर सुइयां चुभाने की पीड़ा पहुंचा रही थीं। बांसती मौसम में जब दिलों में हूक उठती है, मेरे पेट में गैस बन रही थी जिसका इस्‍तेमाल ईधन के रूप में भी संभव नही होता। जब कलियों के चटककर फूल बनने का समय था तब मेरा सिर चटक रहा था और पेट फूल रहा था। जब आँखों में गुलाबी डोरे उभरने का समय था मेरी आँखे दर्द और बुखार में लाल हो रही थीं, जब नायक से नायिका अंग अंग में पीर होने का वर्णन गा गाकर कर रही हो तब मैं उसी पीर का वर्णन कराह- कराहकर कर रहा था। जब कवियों - रसिकों के मन मचल रहे होंगे, तब मेरा जी मिचला रहा था। जब असंख्‍य देहें पुष्‍प गंधों से महक रही थीं तब मैं पसीने में मिली एंटी बायटिक की दुर्गंध से सराबोर पड़ा था। जब लोग चांदनी में नहाने को कपड़े उतार रहे थे तब में नगर निगम के द्वारा रिसाए गए प्रदूषित जल से भी स्‍नान कर सकने की हिम्‍मत नही जुटा पा रहा था। जब साहित्‍यप्रेमियों को ईसुरी, घनानंद, जयदेव और कालिदास याद आ रहे थे तब में एंटी बायटिक एंटीसेप्‍टिक, एंटासिड, एंटीइन्‍फ्‍लूएंट आदि आदि दवाइयों के ब्रान्‍ड नाम उनके लेने के समय उनके फायदे और नुकसान के बारे में जानने की कोशिश कर रहा था। जब लोग दिलो जान लुटा रहे थे तब मैं डॉक्‍टरों, दवाइयों और नर्सिग होम पर पैसे लुटा रहा था। जब नायिकाओं के विनोद पर नायकों को हॅंसी आ रही थी तब मुझे खांसी आ रही थी।

जब लोग मदिरा पीकर मस्‍त हो रह थे, मैं काम्‍पोज खाकर सुस्‍त हो रहा था। जिस बसंत ऋतु में कामदेव कालिदास की नायिका के प्रत्‍येक अंग में प्रवेष कर जाते हैं तथा आंखों में चंचलता बनकर, कपोलों में पीलापन बनकर, कुचों में कठोरता बनकर, कमर में पतलापन बनकर तथा जांघों में पुष्‍टता बनकर प्रकट होते हैं ,बिल्‍कुल उसी तरह मेरी बीमारी ने भी इस बसंत ऋतु में मेरे पूरे शरीर में प्रवेश कर लिया था बस, अंतर इतना था कि नायिकाओं के जिन अंगों में जिस रूप में बसंत प्रकट हो रहा था मेरे उससे भिन्‍न अंगों में बीमारी प्रकट हो रही थी पीलापन मेरी आंखों में था, कठोरता पेट में थी, पतलापन कलाइयों में था और कपोलों पर रूखापन विद्यमान था।

खैर, जो हुआ, सो हुआ, जब मैं अस्‍पताल में वापिस आ गया हूं तथा उसी मोनोपलिस्‍ट एकाधिकारवादी प्रभु से प्रार्थना है कि भविष्‍य में वह अपनी मति को मारी जाने से बचा ले तो बसंत को भी कुछ अपने खेल दिखाने को मौका मिले और इतनी फूल, पत्‍तियों, पार्क, बगीचे, नायिकाएं, उन पर आते जाते रंग उनके निरंतर विकास मान परिधान, बासंती हवाएं तथा प्रकृति का एयरकंडीशनर व्‍यर्थ होने से बच सकता है। गीतकारों के गीत, कवियों की कविताएं, कहानीकारों की कहानियों, ललित निबंधकारों का श्रम तथा आकाशवाणी, दूरदर्शन वालों की नौकरी बरबाद होने से बच सकती है। आखिर मितव्‍ययिता भी तो कोई महत्‍व रखती है।

मैं ये नहीं कहता कि बीमारी न दे और डॉक्‍टरों की रोजी रोटी छीन ले, पर थोड़ा वक्‍त और मौसम देख-दाख के दे, इतना ही विनय है।

-----

वीरेन्‍द्र जैन

2/1 शालीमार स्‍टर्लिंग रायसेन रोड

अप्‍सरा टाकीज के पास भोपाल म.प्र.

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. वीरेन्द्र जी,

    ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था. व्यंग्य बहुत ही अच्छा है. प्रस्तुतीकरण भी प्रभावी है, गुदगुदाता है.

    बधाईयाँ.

    मुकेश कुमार तिवारी
    http://tiwarimukesh.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: वीरेन्द्र जैन का व्यंग्य : बसंत में बीमारी
वीरेन्द्र जैन का व्यंग्य : बसंत में बीमारी
http://lh5.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/SZBZEM7IG7I/AAAAAAAAFvg/yPVA1YZOWMU/VirendraJain_thumb2.jpg?imgmax=800
http://lh5.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/SZBZEM7IG7I/AAAAAAAAFvg/yPVA1YZOWMU/s72-c/VirendraJain_thumb2.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2009/02/blog-post_09.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2009/02/blog-post_09.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content