श्रीनिवास कृष्णन : हिन्दी सही अर्थों में देश की राष्ट्रभाषा कैसे बनें?

SHARE:

15 अगस्त 1947 को विश्व इतिहास के क्षितिज पर "भारत' नाम के इस उदित तारे का यह जितना बड़ा सौभाग्य रहा है कि उसने "हिन्दी' ...

srinivaas krishnan

15 अगस्त 1947 को विश्व इतिहास के क्षितिज पर "भारत' नाम के इस उदित तारे का यह जितना बड़ा सौभाग्य रहा है कि उसने "हिन्दी' जैसे अत्यंत परिष्कृत भाषा को अपने संविधान में राष्ट्रभाषा के रूप में अंगीकृत किया, वही यह इस देश का उतना ही बड़ा दुर्भाग्य रहा है कि विधि-निर्माण में लगे इसके विधाताओं ने, अँग्रेज़ समर्थित अफ़सरशाही के आगे झुकते हुए, इसी संविधान में हिन्दी के कार्यान्वयन में बाधा पहुँचाने वाली अनेक धाराओं का निर्माण कर हिन्दी के साथ छलकपट का व्यवहार किया ।

हमारे अपने संविधान निर्माताओं ने संविधान के अनुच्छेद 29 व 30 में प्रत्येक नागरिकों को अपनी भाषा के स्कूल/कॉलेज आदि श्ौक्षिक संस्थाओं को खोलने का मौलिक अधिकार प्रदान कर, देश में भाषा की स्थिति को जान बूझकर जटिल बना दिया । इससे देश में अँग्रेज़ी साम्राज्यवाद की नींव ही मज़बूत हुई है । अत: अगर हम हिन्दी को सही अर्थों में राजभाषा के पद पर प्रतिष्ठापित करना चाहते हैं तो हमें अपने संविधान की इस धारा को बदलकर इस तरह लिखना होगा कि : "कोई भी व्यक्ति या संस्था अपनी भाषा व संस्कृति को जीवित रखने के लिए स्कूल व कॉलेज तो खोल सकती है किन्तु ऐसे स्कूलों में वह भाषा एक विषय के रूप में ही पढ़ाई जानी चाहिए तथा शिक्षा का माध्यम अनिवार्य रूप से हिन्दी ही होना चाहिए' ।

संविधान में इस तरह के परिवर्तन से देश में हिन्दी के सही अर्थों में राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठापित होने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा क्योंकि आज विभिन्न सरकारी कार्यालयों में अँग्रेज़ी अपने मुक़ाबले किसी अन्य भाषा को सरकारी आश्रय न मिलने की वजह से ही जीवित है । इसका सबसे बड़ा परिणाम यह होगा कि देश में अन्य भाषाओं के साथ-साथ विदेशी भाषा अँग्रेज़ी के पॉब्लिक/कान्वेन्ट स्कूल भी पूर्णत: बन्द हो जाएँगे और इस तरह हमारे सभी सरकारी कामकाज आज से दस साल बाद बिना किसी प्रयास के हिन्दी में होने लगेंगे ।

हमें इस बात को समझ लेना होगा कि अगर आज इस देश में अँग्रेज़ी जीवित है तो इसका बहुत बड़ा कारण इन पब्लिक/कान्वेन्ट स्कूलों द्वारा तथाकथित अँग्रेज़ अफ़सरों की आपूर्ति को बराबर जारी रखना है, अत: अगर हम अपनी हिन्दी को इस देश में लाना चाहते हैं तो हमें अँग्रेज़-अफ़सरों की इस आपूर्ति के मार्ग को बन्द करना होगा, जो कि संविधान के अनुच्छेद 29 व 30 में दिए गए पाँचवें मूलभूत अधिकार में परिवर्तन के द्वारा ही संभव है ।

संभव है कि हमारे बहुत से पाठकगण मेरे इन विचारों को पढ़कर यह कहने लगे कि हमारे चिकित्सा व विधि से सम्बन्धित सभी उच्चस्तरीय पाठ्यक्रमों में हिन्दी भाषा के पुस्तकों का पूर्णत: अभाव है इसलिए, सभी पाठ्यक्रमों के हिन्दी में सम्पन्न होने से इसके विद्यार्थी मुश्किल में पड़ जाएँगे । इस सम्बन्ध में मैं यह कहना चाहूँगा कि हमें इस बात को मानना होगा कि "आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है' इसलिए हिन्दी माध्यम से इन पाठ्यक्रमों के सम्पन्न होना शुरू होने पर, इन पाठ्यक्रमों की हिन्दी माध्यम की अच्छी व श्रेष्ठ पुस्तकें भी बाज़ार में उपलब्ध हो जाएँगी । यह इस प्रकार से कि किसी जमाने में हमारे देश की सभी प्रतियोगी परीक्षाएँ केवल अँग्रेज़ी में ही सम्पन्न होती थी, तब इन प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बन्धित पुस्तकें भी बाज़ार में अँग्रेज़ी में ही उपलब्ध थी, किन्तु बाद में इनके हिन्दी में भी सम्पन्न होने पर आज देश में प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बन्धित अच्छी व श्रेष्ठ हिन्दी पुस्तकें भी बाज़ार में उपलब्ध है । अत: इन पाठ्यक्रमों के हिन्दी में सम्पन्न कराने के हमारे निर्णय मात्र से ही, हिन्दी भाषा के प्रकाशक बड़ी संख्या में बाज़ार में उपलब्ध हो जाएँगे । वस्तुत: मेरे अपने विचार से पुस्तकों के अभाव में हिन्दी भाषा में इन पाठ्यक्रमों को सम्पन्न कराने की हमारी असमर्थता अँग्रेज़ी को अपने देश में अनन्त काल तक जारी रखने की मानसिकता को ही उजागृत करती हैं ।

संविधान में इस छोटे से परिवर्तन के फलस्वरूप आज से दस साल बाद हमारे देश की शालाओं रूपी कारख़ानों में बच्चे हिन्दी माध्यम से शिक्षित व प्रशिक्षित होकर ही निकलेंगे, जिसकी वजह से हमारे सरकारी कार्यालयों को ही नहीं वरन सार्वजनिक व निजी संस्थानों को भी अपना कार्य सुचारु ढंग से चलाने के लिए हिन्दी को अपनाने के लिए विवश होना पड़ेगा । इस तरह स्वतंत्रता के इकसठ वर्षों बाद भी अपने लिए सही स्थान व सम्मान को तलाशती राष्ट्रभाषा हिन्दी को मात्र दस सालों में ही उचित स्थान व सम्मान प्राप्त हो जाएगा ।

हो सकता है कि हमारे बहुत से प्रबुद्ध पाठकगण इसे पढ़कर यह कह उठे कि इससे तो देश में अँग्रेज़ी के समर्थक बुरी तरह से चिढ़ उठेंगे तथा वे देश के अन्य क्षेत्रीय भाषा के लोगों को भड़काकर, उन्हें उग्र आंदोलन के लिए उकसाएँगे । ऐसी स्थिति में हमें देश की शालाओं को यह छूट प्रदान करनी होगी कि वे चाहे तो क्षेत्रीय भाषा के माध्यम से स्कूलों को चला सकते हैं किन्तु उन्हें ऐसे स्कूलों में हिन्दी को एक विषय के रूप में अनिवार्य रूप से पढ़ाना होगा । विषय के रूप में पढ़ाई जाने वाली हिन्दी भाषा का पाठ्यक्रम हमें थोड़ा स्तरीय रखना चाहिए, जिससे इसमें शिक्षित व्यक्ति आगे चलकर हिन्दी में आसानी से काम कर सके । इतना ही नहीं आंदोलन की उग्रता तथा लोगों की कठिनाइयों को समझते हुए, सरकार हिन्दी भाषा में शिक्षा के माध्यम की अनिवार्यता को तथा हिन्दी को एक विषय के रूप में पढ़ाए जाने के नियम को, वर्तमान में पहली कक्षा में पढ़ रहे बच्चों पर ही लागू कर सकती हैं और वह इसे दर साल एक-एक कक्षा आगे बढ़ा सकती हैं । इससे सरकार को भी जहाँ हिन्दी की पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध कराने व शिक्षकों को नियुक्त करने का पर्याप्त अवसर मिल जाएगा, वहीं इससे देश में भी आगामी दस सालों में बिना किसी प्रयास के राजभाषा हिन्दी सरकारी कामकाज की भाषा सही रूप में बन जाएगी ।

हमें उपर्युक्त तथ्यों को अपने सरकार के ध्यान में लाना होगा तथा देश हित में इसे अपनाने की सरकार से प्रार्थना करनी होगी । अगर इसके बावजूद हमारी सरकार इसे टाल जाती है तो यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा क्योंकि इस तरह राजभाषा हिन्दी के विकास की योजना को बनाने से वर्तमान में अँग्रेज़ी भाषा में शिक्षित हो रहे बच्चों व अँग्रेज़ी में काम कर रहे लोगों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा । अत:, इसके बाद भी अगर वे लोग इसका विरोध करते हैं तो मेरे विचार से हमें उनकी देशीय निष्ठा को संदेहास्पद मानते हुए, उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाने जैसा सख़्त कदम उठाना चाहिए ।

ऐसी स्थिति में हमारे हिन्दी से जुड़े स्वयंसेवी संगठन भी मेरे विचार से राजभाषा हिन्दी को उसका हक़ दिलाने के लिए निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं :-

1. सबसे पहले हिन्दी को वास्तविक हक़ दिलाने के लिए संघर्षरत सभी स्वयंसेवी संगठनों को एक ही मंच पर एकत्रित होकर, एक नया मंच राजधानी दिल्ली में स्थापित करना चाहिए ।

2. इसके पश्चात् इन स्वयंसेवी संगठनों को अपने यहाँ अधिकाधिक बुद्धिजीवियों जैसे पत्रकार, लेखकों, सम्पादकों व मीडिया से जुड़े अन्य लोगों को शामिल करना चाहिए, जिससे वे संस्था की गतिविधियों की रिपोर्टिंग को आकर्षक ढंग से व प्रमुखता के साथ प्रकाशित कर, हिन्दी के विषय में अधिकाधिक लोगों को सोचने पर मजबूर करेंगे तथा सही अर्थों में हिन्दी को राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठापित करने में अपनी अहम भूमिका अदा करेंगे ।

3. संगठन को आकर्षक धुनों व गीतों से युक्त हिन्दी के बारे में एक आकर्षक विज्ञापन तैयारकर कर उसे यदा-कदा टेलीविज़न में प्रदर्शित करना चाहिए, जिससे देश में हिन्दी के प्रति एक नई लहर निर्मित होगी ।

4. चूँकि इन सब कार्यों के लिए असीम धन की आवश्यकता होती है और इसकी थोड़ी बहुत पूर्ति सभी संगठनों के आपस में मिल जाने के फलस्वरूप, बढ़ी हुई उनकी निधि की मात्रा द्वारा हो जाएगी । इसके अलावा भी इन्हें इस हेतु लोगों से चंदे एकत्रित कर, "फ़िल्म स्टार नाइट' तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आयोजित कर धन जुटाना चाहिए ।

मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि यदि हम इस तरह से हिन्दी को उसका वास्तविक हक़ दिलाने के लिए तथा उसे सही अर्थों में राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठापित करने की योजनाएँ बनाते हैं तो हमारे देश में हिंदी आने वाले दस वर्षों में बिना किसी कठिनाई के आ जाएगी । अन्यथा नेताओं व अफ़सरों की अपनी मिलीभगत के परिणामस्वरुप हिन्दी के साथ छल-कपट की यह नीति अनन्त काल तक जारी रहेगी । अत: आइए हम सब इस हेतु नि:स्वार्थ भाव से प्रयास करें ।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: श्रीनिवास कृष्णन : हिन्दी सही अर्थों में देश की राष्ट्रभाषा कैसे बनें?
श्रीनिवास कृष्णन : हिन्दी सही अर्थों में देश की राष्ट्रभाषा कैसे बनें?
http://lh6.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/Sa-YAckZWLI/AAAAAAAAF48/5Yh1565mmJw/srinivaas%20krishnan%5B3%5D.jpg?imgmax=800
http://lh6.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/Sa-YAckZWLI/AAAAAAAAF48/5Yh1565mmJw/s72-c/srinivaas%20krishnan%5B3%5D.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2009/03/blog-post_204.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2009/03/blog-post_204.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content