एस के पाण्डेय का व्यंग्य – नास्तिक जी कथावाचक

SHARE:

नास्तिकजी कथावाचक की अपनी अलग फिलोसोफी है। इनके चेले सर्वत्र व्याप्त हैं। आज के ज्ञानियों की भी अपनी अलग फिलोसोफी होती ही है। खैर कुछ समय ...

Image070 (Custom)

नास्तिकजी कथावाचक की अपनी अलग फिलोसोफी है। इनके चेले सर्वत्र व्याप्त हैं। आज के ज्ञानियों की भी अपनी अलग फिलोसोफी होती ही है। खैर कुछ समय पूर्व इनसे परिचय हुआ तो अचानक बिचार आया कि पाठकों से भी इनका परिचय कराया जाय।

नास्तिक जी कथावाचक हमारे एक परिचित के पड़ोसी हैं। इन्हीं परिचित महोदय से इनके सत्संग के बारे में हमें भी कुछ जानकारी मिलती रहती है। अभी हाल में ही पता चला कि सत्यदेव जी भ्रष्टाचारी के यहाँ इनका सत्संग अक्सर होता रहता है।

एक बार नास्तिक जी से हमारी कुछ बात उनके नाम और काम को लेकर हो गई। मैंने कहा कि आप नास्तिक होकर भी लोगों को भगवान की कथा सुनाते हैं। प्रवचन करते हैं। कितना बड़ा विरोधाभास है ? ये बोले कि आज विरोध कहाँ नहीं है ? आभास भले ही न होता हो। पति अपने पत्नी का तथा पत्नी अपने पति का विरोध करती है।

पिता-पुत्र, माँ-बेटी, शिक्षक-विद्यार्थी, गुरु-शिष्य आज विरोध किसके बीच नहीं है। एक पड़ोसी दूसरे पड़ोसी से विरोध रखता है, एक समुदाय व जाति के लोग दूसरे समुदाय व जाति से विरोध रखते हैं। एक देश दूसरे देश का तथा एक प्रदेश दूसरे प्रदेश का विरोध करता है। किसी दूसरी राजनैतिक पार्टी की बात ही जाने दीजिए। अपनी ही पार्टी के नेताओं के बीच विरोध चलता रहता है। विपक्षी दल हर मुद्दे पर सरकार का विरोध करते हैं। और इसलिए ही आज विपक्षी दल विरोधी दल कहलाते हैं। हर विभाग, हर तन्त्र में विरोध है। बताइए विरोध कहाँ नहीं है ? आज जहाँ विरोध नहीं है वहाँ कुछ नहीं है।

और तो और आपके गणित और विज्ञान में भी विरोधाभास है। आप लोग गणित में सही और गलत विरोधाभास से ही सिद्ध करते हैं। मुझे तो पहले से पता था कि किसी नास्तिक को तर्क में पछाड़ना तो दूर अपने तर्क से थोड़ा भी विचलित कर पाना कुत्ते की दुम को सीधा करने वाली बात या चातक को अन्य जल पिलाने वाली बात होगी। धरती में तारे निकल सकते हैं, हथेली में बाल उग सकते हैं, जो कभी नही हुआ शायद वह भी हो सकता हो लेकिन यह कदापि नहीं हो सकता। फिर भी जानबूझकर मैंने यह जहमत मोल लिया था।

मैंने कहा आपकी बात सही है। आज हर व्यक्ति खुद का विरोधी हो गया है।

मन और आत्मा का बिरोध करते-करते लोग जलने लगे हैं। शांति नहीं है।

शांति के लिए अपने अहं का मरहम भले ही लगाते फिरें फिर भी सच्ची शांति कहाँ मिलती है ? कुछ भी हो लेकिन आपके नाम और काम वाले बिरोध तथा अन्य बिरोधों में थोड़ा अंतर है। कैसे निभता है ? लोग कैसे सामंजस्य बिठाते है ? आपको काम मिलता रहता है और आपके चेले दिन-दिन बढ़ते जा रहे हैं।

नास्तिक जी बोले अंतर कुछ भी नहीं है। सिर्फ समझने और समझाने का अंतर है। मैं पूर्ण नास्तिक हूँ और मेरा अपना सिद्धांत है। मैं भगवान को नहीं मानता इसका मतलब यह तो नहीं कि मुझे अपना बिजनेस छोड़ देना चाहिए।

कथा बाचना मेरा काम है। धंधा है धंधा। जिससे मुझे दाम मिलता है। मैं एक तीर से दो शिकार करता हूँ। एक तो कथा कहकर पैसा कमाता हूँ। दूसरे लोगों को कथा के दौरान ही तर्क देकर समझाता हूँ कि भगवान नहीं हैं। कहीं-कहीं खुद अपने को और कहीं-कहीं यजमान को ही भगवान बना देता हूँ। कल नेता जी के यहाँ कथा हो रही थी तो मैंने कहा कि आपसे बड़ा भगवान कौन है ? सरकार से लेकर कार तक आपके वश में है। आप आसमान में उड़ते हैं। कभी यहाँ तो कभी वहाँ दिखते हैं। लोग भगवान से नौकरी और प्रमोशन आदि की मिन्नत मांगते हैं। लेकिन आप जिससे खुश हो जाते हैं उसे नौकरी, प्रमोशन तो क्या बहुत कुछ क्षण मात्र में ही मिल जाता है। और आपके रुष्ट होने पर ये सब चीजें हवा हो जाती हैं। आप जीवन भले ही न दे सकें, लेकिन ले सकते हैं और कितनों का ले भी चुके है। इसे आपके विरोधी भली भांति जानते हैं।

मैंने उनसे कहा कि नेता की छोडिये, लेकिन जब आप ऐसा समझाते हैं तो अन्य लोग आप से कथा सुनते ही क्यों हैं ? आपसे प्रबचन क्यों कराते हैं ? नास्तिक जी बोले आप क्या समझते हैं कि लोग इसलिए कथा सुनते हैं कि उनको भगवान या उनकी कथा से कोई प्रेम है ? वे भक्त हैं। वे भगवान के दर्शन के भूखे हैं।

ऐसा कुछ भी नहीं है। बहुत से लोगों के लिए कथा अथवा प्रबचन सुनना, सुनने जाना अथवा करवाना भी इन्जोयमेंट का एक तरीका है। लोगों का इससे भी इंटरटेनमेंट होता है। कुछ लोग तो केवल इसलिए कथा अथवा प्रबचन कराते हैं क्योकि उनका पड़ोसी ऐसा करा चुका है। कुछ लोग इसी बहाने अपना रुतबा दिखाते और बढ़ाते हैं। चार लोग इकट्ठा हो जाते हैं, हँसते हैं, बोलते हैं। भाई चारा बढता है। चुहुलबाजी होती है। यह सब क्या कम है ?

नास्तिक जी जब कथा कहते हैं तो भगवान की लीलाओं पर कम और राक्षसों की लीलाओं पर ज्यादा गौर फरमाते हैं। उनके बल, पराक्रम, का बढ़ा-चढ़ाकर बखान करते हैं। भगवान और राक्षस के बीच के सम्वाद को समझाने के लिए यहाँ-वहाँ से तर्क देकर राक्षस के पक्ष को ही जायज ठहराते हैं। कहाँ तक बताएं ? छोड़ना ही बेहतर है।

मैंने जब यह जानना चाहा कि क्या आप किसी कारण बश ऐसा हो गए हैं अथवा आप आरम्भ से ही ऐसे हैं। तब नास्तिक जी ने एक राज की बात बतायी। बोले पहले मैं नास्तिक नहीं था और सनातन धर्म की ही कथा सुनाया करता था। कथा मुझे अच्छी लगती थी और इसलिए ही धीरे-धीरे मैंने लोगों को कथा सुनाने का काम शुरू किया था । लेकिन पहले लोग मुझे इतना महत्व नहीं देते थे। मेरी कथा सबको फीकी लगती थी।

मेरे गुरूजी कहते थे कि बेटा देश के आजादी की लड़ाई में भगत सिंह , सुभाषचन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद आदि ने किसी के कहने से बलिदान नहीं दिया था। बल्कि उनके रक्त में इस भारत देश की माटी से प्रेम था। देश प्रेम था। देश की दुर्दशा देख व सुनकर उनकी रक्त शिराएँ फटने लगती थीं। उनके खून में उबाल आ जाता था। और आज भी देश की दुर्दशा देख-सुनकर जिसका मन खिन्न हो जाता हो, उत्तेजना आ जाती हो, भले ही क्षणिक क्यों न हो, समझना चाहिए उसकी शिराओं में भी किसी देश भक्त का ही रक्त है।

तब मैंने उनसे पूछा था कि इसका मतलब जो भगवान को गाली देते हैं, उनकी कथाओं-लीलाओं का अपमान करते हैं, खुद को भगवान समझते हैं, जिन्हें हरि कथा नहीं रुचती उनमें भी पहले वाले किसी राक्षस का ही रक्त होता है। तब यह सुनकर गुरूजी मुस्करा दिए थे।

यह बताते-बताते नास्तिक जी की आँखे भर आईं । उन्होंने आगे कहा कि जैसे दर्शक जो देखना चाहें वही दिखाना पड़ता है, वैसे ही जैसे श्रोता हों और जो सुनना चाहें वही सुनाना पड़ता है। क्या आप लोगों को विद्यार्थी जो पढ़ना चाहें वही नहीं पढ़ाना पड़ता ?

--------

एस के पाण्डेय,
समशापुर (उ.प्र.) ।
URL: http://sites.google.com/site/skpvinyavali/

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: एस के पाण्डेय का व्यंग्य – नास्तिक जी कथावाचक
एस के पाण्डेय का व्यंग्य – नास्तिक जी कथावाचक
http://lh6.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/TP4TotsVWDI/AAAAAAAAJTo/_CRJOFGSYRk/Image070%20%28Custom%29%5B2%5D.jpg?imgmax=800
http://lh6.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/TP4TotsVWDI/AAAAAAAAJTo/_CRJOFGSYRk/s72-c/Image070%20%28Custom%29%5B2%5D.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2010/12/blog-post_1763.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2010/12/blog-post_1763.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content