विषमता की खाई
बढ़ गयी है
विषमता की खाई
राम दुहाई
.
दहेज़ बिना
उठी ना डोली,तब
ज़हर खाई
.
भोजन नहीं
घर जिसके,लाये
कैसे दवाई.?
तंग हाल में
रह रही अकेली
रामु की ताई
जल ना जाए
ससुराल में दीदी
चिंतित भाई.
झेल ना सकी
जाड़े की रात ,मरी
बुढ़िया माई.
v k verma,sr.chemist,D.V.C.,BTPS
BOKARO THERMAL,BOKARO
vijayvermavijay560@gmail.com
आज के हालात पर अच्छी कविता .....
उत्तर देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाये.......
अच्छी अभिव्यक्ति।
उत्तर देंहटाएंसुन्दर हाइकू...हिन्दी में कूटोक्ति कहेंगे ना, या फ़िर कोई और शब्द हो तो सुझाए
उत्तर देंहटाएंमंजुला जी,डॉ.दानी और दुधवा लाइव जी
उत्तर देंहटाएंआप सब को बहुत-बहुत धन्यवाद.