आज के समय में बढ़ती हुई जनसख्ंया हम सभी के लिए एक बड़ी समस्या बनती-बनती एक चुनौती बन गई है। वैसे तो भारत ही एक ऐसा देश है जिसने संसार में सबसे पहले 1952 में राष्ट्रीय परिवार नियोजन की स्थापना की। भारत एक ग्राम प्रधान देश है जिसके सबसे बडे़ राज्य राजस्थान की यदी बात की जाये तो वह अन्य राज्यों की अपेक्षा अभी भी बहुत पीछे है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार (2005-06) में एक सर्वे किया गया जिसमें 3,282 स्त्री तथा 1,471 पुरूषों को शामिल किया गया जिनकी उम्र 15-54 थी। सर्वे के मूल्यांकन के बाद पाया गया की नगरीय क्षेत्र में 47 प्रतिशत तथा ग्रामीण क्षेत्र में 28 प्रतिशत ही परीवार नियोजन के लिए रोकथाम करते हैं। सर्वे के दौरान ऐसे मनोवैज्ञानिक प्रश्नों को पूछा गया जिससे राजस्थान राज्य की ग्रामीण जनता का परिवार नियोजन के प्रति अभिवृत्ति का पता लगाया गया। सबसे ज्यादा तथ्य यही निकला की जिसको पहली सन्तान लड़का है वो गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिस दम्पत्ति के दो लड़की हैं वो किसी भी प्रकार की रोकथाम नहीं करते हैं। इसके अतिरिक्त 54 प्रतिशत महिलायें ऐसी थी जो केवल परिवार नियोजन के लिए जागरूक थीं, केवल 2 प्रतिशत महिलाओं का जवाब था कि उनके पति भी गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल कर रहें हैं। वैसे तो परीवार नियोजन के प्रति अभिवृत्ति अधिकांश जनता की सकारात्मक है। किन्तु अनभिज्ञता, अन्धविश्वास, अशिक्षा, गरीबी, अन्य अनेक ऐसे कारण हैं जो की राजस्थान राज्य की बढ़ती हुई जनसख्ंया व परिवार नियोजन के लिए एक चुनौती बन गए हैं।
सर्वे के दौरान कुछ अन्य सूचना भी प्राप्त की गई जो परिवार नियोजन के लिए रूकावट बनीं-
1- अशिक्षा के कारण गर्भनिरोधकों का पूर्ण ज्ञान न होना
2- साधनों को इस्तेमाल करने में कठिनाई
3- पारिवारिक कारण व अन्य मनोवैज्ञानिक कारण
4- साइड़ इफैक्टस का ड़र
शोध से प्राप्त परिणाम के अनुसार 2000 में केवल 48प्रतिशत महिलाओं द्वारा गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल किया जाता था। अनेक प्रकार की कोशिशों व प्रयासों के बाद भी बढ़ती हुई जनसख्ंया पर नियन्त्रण नहीं हो रहा है। यँहा तक की यदि भारत के दो राज्य उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र के आंकड़ों को मिला दें तो इनकी कुल आबादी अमेरिका से अधिक है। यूँ तो राजस्थान सबसे बड़ा राज्य है किन्तु जनसख्ंया घनत्व में उत्तर प्रदेश अब देश का सर्वाधिक जनसख्ंया वाला राज्य बन गया है जिसमें 19 करोड़ 90 लाख आबादी है। जनगणना के आंकड़ों के अनुसार अब देश की 74 फिसदी आबादी साक्षर है लेकिन इसी जनता से परिवार नियोजन व गर्भनिरोधकों से सम्बन्धित प्रश्न किये गये तो निम्न कारण पता लगे-
1- परिवार नियोजन को शादी के तुरन्त बाद नहीें अपनाना चाहिए
2- गर्भनिरोधकों के प्रभाव से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है
3- ज्ञान न होने के कारण गर्भनिरोधकों का प्रयोग न करना
4- पुत्र प्राप्ति होने तक गर्भनिरोधकों का प्रयोग न करना
5- गर्भनिरोधकों के प्रयोग से महिलाओं में ज्यादा बीमारी पाया जाना
6- गर्भनिरोधकों का प्रयोग धर्म के विरूद्ध है
जनगणना 2011 की रिर्पोट के अनुसार साक्षरता दर में महिलाओं ने पुरुषों को पछाड़ा है। जबकी हम हम जानते हैं की भारत एक कृषि प्रधान देश है। साधनों की कमी, जानकारी की सिमितता, अधुरा ज्ञान, अन्धविश्वास अन्य कारणों के कारण भारत सरकार को अपनी सफलता नहीं मिलती जितनी उसे अपेक्षा रहती है।
परिवार नियोजन के लिए प्रचलित अनेक ऐसे साधन हे जिनका अधिकांश जनता को पता ही नहीं है। आज के बदलते युग में जब भारत प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति कर रहा है तो यह आवश्यक है की 13 वर्ष की आयु के बाद बच्चों को परिवार नियोजन सम्बन्धित ज्ञान दिया जाय।
बच्चों को परिवार नियोजन के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति के लिए, गर्भनिरोधकों की सही जानकारी,व इस्तेमाल करने का तरीका आदी इससे सम्बन्धित ज्ञान उनके पाठ्यक्रम में होना चाहिए। अधिकांश जनता परिवार नियोजन का अर्थ केवल जनसख्ंया नियंत्रण से मानती है। लेकिन वर्ल्ड हैल्थ ओरगोनाइजेशन के अनुसार परिवार नियोजन से तात्पर्य मातृत्व मृत्युदर, शिशमृत्युदर, व अन्य यौन संक्रमित (ैज्क्) रोगों से बचाव करना हैं।
परिवार नियोजन को अब मानव अधिकार के रूप में माना जाता है लेकिन जनता मानव अधिकार होने के बाद भी अपने अधिकार को क्यों नहीं अपनाती है। जबकि परिवार नियोजन परिवार कल्याण के साथ-साथ समुदाय निर्माण में भी सहायक है।
अधिकांश पुरूष परिवार नियोजन की जिम्मेदारी स्त्रियों पर छोड़ देते हैं। अशिक्षा, रूढिवादिता, भ्रम, भय, अनभिज्ञता, गर्भनिरोधकों को इस्तेमाल करने का गलत तरीका आदी अनेक ऐसे कारक हैं जो की स्त्रीयों के स्वास्थ्य व विकास को बाधित करते हैं।
इसके अतिरिक्त परिवार नियोजन के कुछ अन्य लाभ और भी हैं जो जन समुदाय के हित में हैं। वे इस प्रकार हैं।
1.जन्म नियंत्रण-स्वास्थ्य में सहायक
2.आर्थिक स्थिति सुधार में सहायक
3.परिवार कल्याण में सहायक
4.वैवाहिक समायोजन में सहायक
5.वैयक्तिक सुख प्राप्ति में सहायक
6.राष्ट्र और समुदाय कल्याण के क्षेत्र में सहायक
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शिल्पी चौहान (शोधकर्त्री)
वनस्थली विद्यापीठ
राजस्थान
shilpee jee ek achhee praasangik aalekh ke liye aapko badhaai .....khush rahiye ...
उत्तर देंहटाएंvijendra sharma
dhanyavaad
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