कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 12 : पुष्यमित्र की कहानी - रिवेंज

SHARE:

--------------------------------------------------------------------------------------- रचनाकार कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन में आप भी भाग ले ...

---------------------------------------------------------------------------------------

रचनाकार कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन में आप भी भाग ले सकते हैं. अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2012

अधिक जानकारी के लिए यह कड़ी देखें - http://www.rachanakar.org/2012/07/blog-post_07.html

---------------------------------------------------------------------------------------

रिवेंज

पुष्यमित्र


1.
तुम आज भी कविताएं लिख लेते हो...? ग्रेट...!
फेसबुक पर पड़ी मेरी एक ताजा कविता पर कमेंट की शक्ल में एक बार फिर वह मेरे सामने थी.
सात साल बाद...
वह प्रेरणा थी. मैंने छह महीने तक उस पहेली को सुलझाने की कोशिश की... आखिरकार हार कर अलग हो गया. वह मुझे सतपुड़ा के जंगलों में मिली थी. एक छोटी सी मुलाकात ने कई संयोग और कई बहानों की वजह से हमें एक अंधेरी घाटी के बीच बहती पथरीली नदी में पहुंचा दिया. मगर जब हम वहां से लौट रहे थे तो उसकी आंखों में आंसू और मेरे चेहरे पर अफसोस था.


2.
मैंने उसका प्रोफाइल चेक किया. मैरिड. एक बेटा. पति बैंकर और खुद एक प्री स्कूल में पढ़ाती है. लोकेशन था सिंगापुर. मतलब साफ था, परदेस और अकेलापन. मैंने तय कर लिया इस बार इस आग में हाथ नहीं डालूंगा. कमेंट को छुआ भी नहीं.... मगर अगले दिन 25 कमेंट के बीच छुपे उस कमेंट को फिर से तलाशा. कई बार पढ़ा. कई मतलब निकालने की कोशिश की. सोचा लाइक करके छोड़ दूंगा. किया भी. मगर ... दो घंटे बाद फिर उसी जगह. जवाब देना ही था. दिल धौंकनी की तरह फूल-पचक और गरम हो रहा था.


3.
कविता मैं अपने लिए ही लिखता था...अपने लिए ही लिखता हूं और जब तक हूं लिखता रहूंगा. यह जवाब लिखकर काफी देर तक सोचता रहा एंटर मारूं या नहीं. पशोपेश जारी रहा. आखिरकार मार ही दिया.


4.
फिर अफसोस हुआ. शर्मिंदगी. आखिर इतनी उम्र के बाद भी मैं सुधरा नहीं. यही तो वह चाहती थी. हर बार उसने यही किया है. जब भी मैंने उससे उकताकर दूर जाने की कोशिश की है, उसने कुरेद कर देखने की कोशिश की है. आग बुझी तो नहीं है. वह एक बार देख लेती है कि चिनगारी बची हुई है. फिर दो फूंक मारती है. शोला भड़कता है. वह खिलखिलाती है. मगर शोला जैसे ही उसके चेहरे को रोशन करने लगता है, वह एक जग पानी उसके ऊपर उढ़ेल देती है. यह सब उसके लिए एक खेल है...पता नहीं क्या है...दो दिन तक मैंने फेसबुक से परहेज किया.


5.
दो दिन बाद जब फेसबुक पर पहुंचा तो मेरे प्रोफाइल पर कई जगह उसके निशान थे. मेरी पत्नी और बेटी की तसवीरों पर कमेंट थे. पॉजिटिव. मेरी कविताओं और साहित्यिक टिप्पणियों पर कमेंट, शेयरिंग और लाइक.... और अंत में बड़ा सा... लंबा सा मैसेज.... कहां गायब हो गये.
फिर वह फेसबुक के सहारे ब्लॉग पर जा पहुंची. वहां भी कई कमेंट थे. एक कमेंट खास था. यह उसी कविता पर था जो मैंने उसके साथ गुजारे पल को याद करते हुए लिखा था.
... सचुमच शानदार थे वे दिन... अच्छा लगा, भूले नहीं हो तुम.
ब्लॉग में और भी कई चीजें थीं जिन्हें मैं उसके साथ शेयर नहीं करना चाहता था. मगर करता भी क्या उसने मेरा एक-एक ठिकाना उकट-पुकट कर देख लिया था.


6.
सर्च आपरेशन क्यों चला रही हो... मैंने उसके वाल पर लिखा.
गलती तुम्हारी है... तुम बिना बताए गायब हो गये. तुमसे बात करने का मूड था. मगर नंबर मेरा पास था नहीं, क्या करती. चलो नंबर बताओ. फोन मैं ही करूंगी. तुम तो आइएसडी करने से रहे...


7.
एक बार फिर मैं असमंजस में था. नंबर दूं न दूं. उस दौर में लड़कियां नंबर देने में झिझकती थीं. खैर मोबाइल होता नहीं था. लैंडलाइन में खतरा रहता था. पता नहीं कौन रिसीव कर ले. उसने अपना नंबर खुद दिया था. उसके घरवाले खुले विचार के थे. मगर आखिरी के दो महीने मैं कहता रहता और उसकी तरफ से सिर्फ सांसों की सिसकारी सुनाई पड़ती. दिल कड़ा किया और नंबर दे डाला.


8.
वही हुआ. मैं इंतजार करता रहा और उसका फोन नहीं आया. तीन दिन बीत गये. इस बीच फेसबुक पर भी कोई कम्यूनिकेशन नहीं. यहां मुझे तय कर लेना था कि इस बकवास बंद कर दूं. मगर दिल बेवकूफ होता है. वह जिसे पसंद करता है. उसके पक्ष में दलील गढ़ने लगता है. मैंने भी सोचा कहीं बाहर चली गयी होगी. अचानक कुछ हो गया होगा. मौका नहीं मिला होगा. फोन खो गया होगा. .. या उसके पति ने उसकी एक्टिविटीज नोटिस कर ली होगी. कोई सीन क्रियेट हो गया होगा. मैंने एक बार फिर उसके फेसबुक वाल का चक्कर लगाया. वहां ऐसा कुछ एबनार्मल नहीं था. उसने कई लोगों के स्टेटस पर कमेंट किये थे. मैंने सोचा पूछूं, कहां गायब हो गयी.


9.
उसके अबाउट वाले सेक्सन में फिर से गया. वहां उसका नंबर था. मैंने नोट कर लिया. मगर मैं इस बात के लिए बिल्कुल तैयार नहीं था कि मैं उसे फोन करूंगा.


10.
अगले दिन मैं उसे फोन कर रहा था.
... फोन क्यों किया. मैं तो तुमसे बात करने वाली थी. अरे बीच में दो दिन की छुट्टी हो गयी और फिर अगले दिन सूपी के स्कूल जाना पड़ा. काटो मैं करती हूं. तुम्हारा ज्यादा बिल उठेगा. मेरे पास आइएसडी प्लान है.
फिर उसका फोन आया.
देर तक बतियाती रही. महिलाओं जैसी पूछताछ. बेटी क्या करती है. स्कूल में डाला कि नहीं. वाइफ कितनी पढ़ी-लिखी है. आफिस कब जाते हो. बाहर जाने का प्लान बनता है या नहीं. कभी सिंगापुर आओ. पहले से प्लान कर लोगे तो ज्यादा खर्च नहीं होगा. फिर यहां तो हमलोग हैं ही. मेरा बेटा ये मेरा बेटा वो.
आखिरी सवाल- अब तो मैं वैसी नहीं हूं न.
इस सवाल के साथ मैंने उसके कांपते हृदय की धड़कनें भी सुनी. मतलब मैं समझ रहा था. मगर फिर भी पूछ बैठा. उसने जवाब दिया-छोड़ो.


11.
कैसी थी वह... कैसी नहीं है वह. क्या उसको पता है कि वह कितनी वैसी थी.
सतपुड़ा से लौटते ही उसकी एक सहेली मुझसे मिली. उसने लगभग धमकाते हुए कहा... प्रेरणा बहुत परेशान है. उससे मिलने की कोशिश मत करना. तुमने बहुत बुरा किया.
हां मैंने बुरा किया था. पूछ लिया था. वह अच्छी थी, उसे पूछने की कोई जरूरत ही नहीं थी. मगर मैंने उसकी सहेली की बात ज्यादा दिनों तक नहीं मानी. बार-बार उससे मिलने की कोशिश की. फोन किया. उसकी चुप्पी को दो महीने सहा.
अब सात साल बाद उसे लग रहा है कि उसे वैसी नहीं होना चाहिये. कैसी नहीं होना चाहिए. इतनी क्रूरता से किसी को नहीं ठुकराना चाहिये. मगर इसमें गलत क्या है. वह नरम पड़ती तो मेरी उम्मीद को बल मिलता. फिर वह क्यों खुद को गलत मानती थी.


12.
उसने मुझे ठुकरा दिया था. मगर यह मेरे लिए हैरत की बात थी. उस रोज जब हम उस अंधेरी खाई में बहने वाली नदी के बीच दो अलग-अलग पत्थरों पर बैठे थे. हम चुपचाप उस दिशा में बढ़ रहे थे, जहां मुझे पूछना और उसे हां कहना था. जब उसने न कहा... उसका चेहरा बदल चुका था. मैं हैरत में था. मैंने एक पल के लिए भी नहीं सोचा था कि ऐसा भी हो सकता था. हम पिछले चार दिनों से एक साथ थे. हमने एक दूसरे के बारे में एक दूसरे से सबकुछ पूछ लिया था. हम साथ होते तो वक्त थम जाता. दुनिया गुम हो जाती. हमें किसी की जरूरत नहीं पड़ती. उसने कई बार कई बहाने से मुझे छुआ भी था. मेरी कई बचकानी कविताएं बड़े धीरज से सुनी थी.


13.
न कहने के बाद वह तेजी से उठकर चली गयी. हम एक ही गाड़ी से भोपाल लौटे. रास्ते भर वह मुंह ढककर सिसकती रही. मैं हैरान, अपमानित और पछतावे से भरा था. ड्राइवर समझ रहा होगा. जाते वक्त हम इतने करीब बैठे थे कि हमारे बाद दो लोगों की बैठने की जगह बच गयी थी. लौटते वक्त भी वह जगह बन गयी थी मगर हमारे बीच.


14.
मैंने उसके बॉल पर मैसेज किया.... तुम सचमुच जानना चाहती हो...
जवाब आया... कॉल यू...टुमारो इवनिंग.


15.
फोन से पहले उसका मेल आया.


मुझे पता है, मैं अब वैसी नहीं. तुमसे केवल कंफर्म करना चाहती थी. तुम्हारे अलावा कौन कंफर्म कर सकता है...ही...लेकिन पहले मैं बता दूं कि मैं पूछना क्या चाह रही हूं... सवाल क्या है. धुंध.... कोहरा... क्या अब भी मैं धुंध फैलाती हूं... कोहरे का जाल बिछाती हूं... मुझे लगता है अब मैं वैसी नहीं रही. पहले मुझे कोहरा बहुत पंसद था, धुंध... अंधेरा. रोशनी में घबराहट होती थी. याद है तुम्हें... सतपुड़ा के जंगलों के बीच वह अंधेरी घाटी... कितना अंधेरा था वहां. और नदी के बीचोबीच मझधार में हम दोनों दो अलग पत्थरों पर बैठे थे. मुझे नदी के किनारे पसंद नहीं आते, इसलिए मैंने इंसिस्ट किया था, चलो बीच में बैठते हैं. मझधार... यह शब्द मुझे हमेशा से पसंद आता था. वहां सबकुछ अलौकिक था. मैंने बहुत पहले किसी रोज सपने में ऐसी ही कोई जगल देखी थी. बिल्कुल वैसी नहीं... मगर उस रोज मैं मान रही थी कि यह जगह ठीक वैसी ही थी. वह मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत दिन था. उस दिन की एक-एक बात मेरे जहन में हूबहू चस्पा है. एक नजारा इधर से उधर नहीं हो सकता. मगर...


बहुत दिनों बाद मेरी समझ में आया. धुंध-कोहरा-अंधेरा और मझधार सब बेकार हैं... इनने मुझसे मेरी जिंदगी का बड़ा हिस्सा छीन लिया. मैं उस रोज नहीं चाहती थी कि यह जादू टूटे... मगर तुमने जादू तोड़ दिया था. तुम किनारा चाहते थे, एक छोर पर पहुंचना चाहते थे. तुम गलत नहीं थे. गलत मैं थी....


मैं सही हो सकती थी. मगर .... सतीश ने मुझे अपंग बना दिया था. सतीश... मैंने तुम्हें बताया था. मेरी आठ दिन लंबी पहली मुहब्बत. छठे दिन ही वह मुझसे बोर हो चुका था... वह स्पेप तलाशने लगा था. मुझसे दूर भागने लगा था. उस अनुभव ने मुझे सिखाया था...मेरे मन में यह बात जड़ जमाकर बैठ गयी थी कि यह जो मुहब्बत की स्वीकार तक पहुंचे का वक्त होता है.. वही मुहब्बत होती है. एक बार आप मान लेते हैं कि आप मुहब्बत की गिरफ्त में हैं और सामने वाले से पूछ कर तसल्ली कर लेते हैं. मुहब्बत वहीं खत्म होने लगती है. मुहब्बत का सफर ही मुहब्बत की मंजिल है... मंजिल उसकी मौत.


मगर बरसों बाद मेरी समझ में आया कि ये दिल का जोर-जोर से धड़कना, घबराहट, बेचैनी, उमंग, ये सब मुहब्बत नहीं. काश मैं पहले समझ जाती... मगर मुमकिन नहीं था. मेरी इस समझदारी की सफर के तुम हमसफर थे. कुछ देर का साथ था हमारा. आज मुझे मालूम है, मुहब्बत क्या है... दुख सिर्फ इतना है कि अपनी नासमझी के कारण मैंने तुम्हें दुख दिया... असहनीय पीड़ा. जिसकी भरपाई नामुमकिन है.
कल फोन करती हूं...


16.
मैंने अपना सिम बदल लिया है. फेसबुक का अकांउट और ब्लॉग सब बंद कर दिया है. प्रेरणा बेवकूफ है... उसे पता नहीं मुहब्बत क्या है. मुहब्बत सफर ही तो है... सतपुड़ा का जंगल, वह अंधेरी खाई... बरसाती नदी के बीच पत्थरों पर बैठना... दिल का जोर-जोर से धड़कना, घबराहट, बेचैनी, उमंग यही तो मुहब्बत है. उसे लगता है मिया-बीवी और बच्चे को दिन-रात किट-किट करते हुए जीते हैं, उससे बेहतर कोई मुहब्बत नहीं हो सकती.


--
पुष्यमित्र

COMMENTS

BLOGGER: 3
  1. किसने क्या समझा ?सही है....अलग-अलग व्यक्तियों के लिए एक ही बात को समझने के अलग -अलग अर्थ होते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया.........................

    अनु

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 12 : पुष्यमित्र की कहानी - रिवेंज
कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 12 : पुष्यमित्र की कहानी - रिवेंज
http://lh3.ggpht.com/-wLrTgTrZQec/UA5M9VxPH3I/AAAAAAAAM94/Npmu9TGJB_g/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.ggpht.com/-wLrTgTrZQec/UA5M9VxPH3I/AAAAAAAAM94/Npmu9TGJB_g/s72-c/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/07/12.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/07/12.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content