बर्तोल्त ब्रेख्‍़त की कविताएं

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हवा पानी धूप और कविता विश्‍व कविता : एक दृश्‍य चयन , अनुवाद एवं प्रस्‍तुति नरेन्‍द्र जैन -- परिचय नरेन्‍द्र जैन जन्‍म 2 अगस्‍त ...

हवा पानी धूप और कविता

विश्‍व कविता : एक दृश्‍य

चयन, अनुवाद एवं प्रस्‍तुति

नरेन्‍द्र जैन

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परिचय

नरेन्‍द्र जैन

जन्‍म 2 अगस्‍त 1948 मुलताई, जिला बैतूल, मध्‍यप्रदेश। अब तक 4 कविता संग्रह प्रकाशित यथा-दरवाज़ा खुलता है (1980) तीता के लिये कविताएँ (1984) यह मैं हूँ पत्‍थर (1985) और उदाहरण के लिए (1994) सराय में कुछ दिन (2004) पुनरावलोकन कहानी संग्रह (2005)। अलेक्‍सांद्र सेंकेविच द्वारा 27 कविताओं का रूसी भाषा में रूपांतर एवं प्रकाशन ‘बरगद का पेड़' ;मॉस्‍को (1990)। अर्नेस्‍तो कार्देनाल, निकानोर पार्रा, कार्ल सैण्‍डबर्ग, नाज़िम हिकमत, एन्‍जान्‍स बर्गर, ऑडेन, पाब्‍लो नेरूदाऔर गिलविक की कविताओं के अनुवाद प्रकाशित। अफ्रीकी लोक कविताओं की चर्चित कृति ‘अपने बच्‍चे के लिए शेरनी का गीत' पहल द्वारा प्रकाशित। ज्‍याँ पाल सार्त्र के नाटक ‘इन कैमरा' का रूपांतर ‘नरक' संवाद प्रकाशन मेरठ द्वारा शीघ्र प्रकाशय। 1987 में कविता पर म.प्र. का राज्‍य स्‍तरीय प्रथम पुरस्‍कार माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्‍कार, 1994-1995 के मध्‍य ‘उदाहरण के लिए' कविता संग्रह पर चार उल्‍लेखनीय पुरस्‍कार विजय देवनारायण साही पुरस्‍कार, उ.प्र. हिन्‍दी संस्‍थान, रघुवीर सहाय पुरस्‍कार ;विष्‍णु खरे के साथद्ध दिल्‍ली, गिरिजा कुमार माथुर पुरस्‍कार, दिल्‍ली अश्‍क सम्‍मान, इलाहाबाद, शमशेर सम्‍मान, खंडवा, वागीश्‍वरी पुरस्‍कार म.प्र. हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन।

पता : 132, श्रीकृष्‍ण नगर, विदिशा

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प्रसंगवश

अनुवाद की प्रक्रिया मेरे लेखन के समानांतर लगभग शुरुआत से चल रही है। इसमें वह अविच्‍छिन्‍न खुशी रहती आयी है कि यह काम अब तक कहीं देखा ही नहीं। और कि मेरा प्रयास इसका माध्‍यम बनने जा रहा है। आमतौर पर विगत दो तीन दशकों से मेरी कहानी, कविता और अनुदित रचनाओं के दो अभिन्‍न पाठक-श्रोता रहे हैं। एक कवि अखिल पगारे और दूसरे अनिल गोयल, लेकिन कथाकार हरि भटनागर (जो अब संपादक भी हैं) का साथ मिलना डूबकर काम करने वाले लोगों के लिए एक नियामत है। आप जो चाहते हैं वह हरि हर हाल में पूरा करते हैं और हरि जो चाहते हैं, हर हाल में आपसे करवा लेते हैं। यह जुगलबंदी दुर्लभ है।

अफ्रीकी मूल के जो कवि यहाँ उपस्‍थित हैं उनकी कविताओं में मनुष्‍य की आज़ादी और अमानवीय शोषण के ख़िलाफ़ एक सतत्‌ कारगर कार्यवाही देखी जा सकती है। जीवन की वैविध्‍यपूर्ण झांकी और शब्‍द की सत्ता का तार्किक उद्‌घोष यहाँ मिलता है। अपने संघर्ष में मुब्‍तिला अफ्रीकी मनुष्‍य के जीवन का एकांत भी हम देखते हैं। सब कुछ सहज और पारदर्शी।

विश्‍व के शीर्षस्‍थ कवियों में पॉब्‍लो नेरुदा, गेब्रियॅला मिस्‍त्राल, नाज़िम हिक़मत और ब्रेख्‍़त के बारे में कुछ कहना अपनी बात का क़द छोटा करना होगा। अमरीकी कवि ऑडेन मुझे हमेशा पसंद रहे हैं और मेक्‍सिको के आक्‍तोविया पॉज़ हमारे अंतरंग हैं। एक अल्‍पज्ञान अमरीकी कवि शेल सिल्‍वरस्‍टिॅन की कविताएं एक दुर्लभ अनुभव हैं।

कविता की शक्‍ति अप्रतिम है। आला दर्जे़ की कविताएँ पढ़कर हम सिहर जाते हैं। वे एक आईना होती हैं जिसमें हमारे क़द की असलियत प्रतिबिंबित हुआ करती है। लेकिन उन कविताओं की मौजूदगी से कविता संसार निरंतर बदलता रहता है और नयी कविता लिखी जाती रहती है। सुदूर किसी अंचल में कवि अपना क़दम बढ़ाता है -अंतरंग और मार्मिक अभिव्‍यक्‍ति की दिशा में।

- नरेन्‍द्र जैन

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बर्तोल्‍त ब्रेख्‍़त

 

चित्रकार के बारे में

नेहर कॅस एक सांडनी पर सवार होकर

पार करता है रेतीला रेगिस्‍तान और

जलरंगों से बनाता है खजूर के हरे दरख्‍़त की तस्‍वीर

(गोलियों की लगातार बौछार के बीच)

यह युद्ध है भयावह। आकाश आम दिनों से ज़्‍यादा नीला है

दलदली घास में कई लाशें गिरती हैं

भूरे लोगों को भून सकते हो तुम गोलियों से। शाम को

बना सकते हो तुम उनकी तस्‍वीर। उनके हाथ अक्‍सर

अद्वितीय होते हैं

सुबह की हवा में बहती गंगा के ऊपर तने

निस्‍तेज आकाश को नेहर कॅस चित्रित करता है

सात कुली उसका कैनवास थामे हुए हैं

चौदह कुली नेहर कॅस को उठाये हुए हैं जो

आकाश के खू - बसूरत होने के कारण पी रहा है शराब

रात को सोता है नेहर कॅस पत्‍थरों पर और

उन्‍हें कोसता है क्‍योंकि वे सख्‍़त हैं

लेकिन यह कोसना भी उसे बढ़िया लगता है

वह उसकी भी तस्‍वीर बनाना चाहेगा

पेशावर के बैंजनी आसमान को चित्रित कर दिया है नेहर कॅस ने

सफे़द रंग में

क्‍योंकि उसके पास नहीं बचा कोई नीला रंग

धीमे-धीमे सूर्य निगल जाता है उसे

उसकी आत्‍मा रूपांतरित होने लगती है

नेहर कॅस लगातार बनाता है चित्र

सिलोन और पोर्ट सईद के मध्‍य समुद्र में

पुरानी जहाज़ी नौका के पाल के भीतर वह

अपना सबसे अच्‍छा चित्र बनाता है। प्रयोग

करता हुआ तीन रंग और दो सूराखों से छनता

प्रकाश

तब जहाज़ डूबा और वह निकल भागा

कॅस को गर्व है अपने चित्र पर

वह चित्र बिकाऊ नहीं था

 

एक समय

एक समय वहाँ

एक आदमी हुआ करता था

जिसे पीने की लत लगी अठारह बरस में

और इसी वजह से वह गिरा

वह मरा अस्‍सी बरस की उम्र में

काहे से, यह बात तो शीशे की तरह साफ़ है

एक समय वहाँ

एक बच्‍चा हुआ करता था

जो एक बरस की उम्र में चल बसा

एकदम असामयिक मौत

उसने नहीं पी कभी, यह तो साफ़ है

और चल बसा एक बरस में

इससे अल्‍कोहल के

हानि रहित होने का अंदाज़

लगा सकते हो तुम

 

वसंत में भजन

1

लड़को, अब मैं खोज रहा हूँ ग्रीष्‍म ऋतु

2

हमने ख़रीदी है रम और गिटार पर नये तार

कस दिये हैं

सफ़ेद क - मीजें़ अभी ली जानी हैं

3

जून की घास की मानिन्‍द

बढ़ते हैं हमारे अंग और

अगस्‍त के मध्‍य में कुंवारी कन्‍याएँ

अदृश्‍य हो जाती हैं। असीमित हर्षोल्‍लास का

समय है यह

4

दिन ब दिन

आसमान आच्‍छादित होता है

एक शांत आभा से

और उसकी रातें तुम्‍हारी नींद ले जाती है

 

औरत के बारे में एक गीत

1

मैं जानता हूँ प्रेयसियो,

अपने बेतरतीब जीवन के कारण

झड़ रहे हैं मेरे बाल और

सोता हूँ मैं पत्‍थरों पर

देखती हो तुम मुझे घटिया शराब पीते हुए

और हवा में चलता हूँ मैं निर्वस्‍त्र

2

लेकिन एक वक़्‍त था, प्रेयसियो,

जब निर्मल था मैं

3

मेरे पास एक औरत थी, वह मुझसे भी

ताक़तवर थी जैसे कि घास ताक़तवर होती है

एक साण्‍ड से, वह दोबारा उठ खड़ी होती है

4

उसने देखा कि मैं दुश्‍चरित्र हूँ और प्‍यार किया मुझे

5

उसने नहीं पूछा रास्‍ता किधर जाता है

जो कि उसका रास्‍ता था, और जो शायद

घाटी की ओर जाता था। उसने अपना

जिस्‍म दिया और बोली, ‘यही कुछ है'

और बन गया उसका जिस्‍म मेरा जिस्‍म

6

अब कहीं नहीं है वह, बारिश के बाद के

बादल की मानिन्‍द वह लुप्‍त हो गयी

मैंने जाने दिया उसे और बढ़ी वह

घाटी की ओर क्‍योंकि वही उसका रास्‍ता था

7

लेकिन रातों को कभी कभार, जब देखो

तुम मुझे पीते हुए, देखता हूँ मैं उसका

चेहरा हवा में निस्‍तेज पड़ा, मज़बूत

और मेरी ओर मुखातिब। और

हवा में मैं उसके समक्ष नतमस्‍तक

होता हूँ

 

तीसरा भजन

1

जुलाई में पोखर से खींच निकालते हो तुम

मेरी आवाज़। मेरी नसों में शराब होती है

मेरा हाथ हाड़-माँस का बना हुआ है

2

पोखर का जल ताँबई बना देता है

मेरी त्‍वचा को। मैं सख्‍़त होता हूँ बादाम

के छिलके की तरह। औरतो, बढ़िया रहूँगा

मैं बिस्‍तर के लिए

3

पत्‍थरों पर लाल सूरज में मैं गिटारों को

प्‍यार करता हूँ। हिंसक पशु की अंतड़ियाँ हैं वे गिटार

गिटार गाते हैं हिंसक पशुओं की तरह

वे चबाते हैं छोटे-छोटे गीत

4

जुलाई में प्‍यार करता हूँ मैं आसमान से। मैं

उसे नीला, बैंजनी, शानदार नन्‍हा लड़का कहता हूँ

वह मुझसे प्रेम करता है। यह पुरुषों का

प्‍यार है

 

कुछ और कविताएँ

1

फाँसी पर लटकाये जा चुके

आदमी के घर जाओ

तो

फन्‍दे का ज़िक्र मत करना

2

तुम बीड़ी पीते हो

तुम अपने आपको देते हो गाली

तुम होश खो देने की हद तक पीते हो

तुम सोते हो

तुम एक नंगे चेहरे के समक्ष खिसियाते हो

वक़्‍त के दाँत, मेरे दोस्‍त, धीमे-धीमे चबा रहे हैं तुम्‍हें

तुम बीड़ी पीते हो, तुम गाली गलौच करते हो,

तुम कविताएँ लिखते हो

3

मैं, बर्तोल्‍त ब्रेख्‍़त

घने जंगलों से आया हूँ

जब मैं माँ के पेट में था

वह मुझे ले आई शहर

और जंगलों की ठण्‍ड

मेरी मृत्‍यु के दिन तक रहेगी

मेरे भीतर

4

तैमूर ने,

मैंने सुना है,

दुनिया को फतह करने के लिए मुसीबतें झेलीं

मैं

उसे नहीं समझ पाता

ज़रा सी शराब पी लो और

भूल सकते हो तुम सारा जहाँ

5

बुरे वक़्‍तों में

क्‍या गीत भी गाये जायेंगे?

हाँ,

गीत गाये जायेंगे

बुरे वक़्‍तों के बारे में

 

हरेक पुरानी चीज़ से हरेक नयी चीज़ बेहतर है

क्‍योंकि मुझे मालूम है

हरेक पुरानी चीज़ से, हरेक नयी चीज़

बेहतर है

क्‍या तुम सहमत नहीं हो

कि एक साफ़ कमीज़ पहना हुआ आदमी

एक नया आदमी है?

औरत जिसने अभी-अभी जिस्‍म धोया है

एक नयी औरत है

रातभर चलने वाली धुएँ से भरी

बैठक में व्‍याख्‍यान देता हुआ वक्‍ता भी नया है

शुरू करता हुआ नया भाषण

हरेक पुरानी चीज़ से, हरेक नयी चीज़

बेहतर है

अधूरी सांख्‍यिकी

बग़ैर कटी हुई किताबें

कारखानों में बनी नयी मशीनें

मुझे ज्ञात है क्‍यों तुम सुबह उठ जाते हो

वह व्‍यक्‍ति नये चार्ट पर सफ़ेद धब्‍बे के

ऊपर एक नयी पंक्‍ति खींचता है

वे कामरेड जो किताब के पृष्‍ठ काटते हैं

खुशमिज़ाज लोग

मशीन में पहले पहल तेल डालते हैं

ये ऐसे लोग हैं जो समझते हैं

कि हरेक पुरानी चीज़ से हरेक नयी चीज़ बेहतर है

 

वे चीज़ें

मनुष्‍य के द्वारा किये गये

सारे कार्यों में से मुझे

सबसे ज़्‍यादा पसंद हैं वे

जिनका इस्‍तेमाल किया गया हो

पिचके हुए तांबे के बर्तन जिनके किनारे

घिसे हुए हों

वे छुरी कांटे जिनके लकड़ी के हत्‍थे

कई हाथों के इस्‍तमाल से घिस चुके हों

ऐसे रूपाकार मुझे सबसे

भले लगते हैं। इसी तरह पुराने घरों के

बाहर लगी पत्‍थरों की फर्शियाँ

जिन पर चले हैं अनेक पाँव, वे पत्‍थर

जो धंसे हुए हैं और जिनकी दरारों

में घास उगती हैं, ये सब

बढ़िया काम हैं

वे चीज़ें

जो अनेक लोगों की सेवा में रहती हैं

कभी-कभार बदली जाती हैं, आकार

बदलती हैं, मूल्‍यवान हो जाती हैं क्‍योंकि

अक्‍सर प्रशंसा की जाती है

यहाँ तक कि मूर्तियों के टूटे हिस्‍से

टूटे हाथों वाली मूर्तियाँ

मुझे प्‍यारी हैं। मेरे लिए वे भी

जीवित थीं। वे डाल दी गईं

हालांकि वे ले जायी भी गई थीं

 

तय करो

जाये बिना आगे मत बढ़ो

पीछे पहले अपनी दिशा तय करो

प्रश्‍न पूछने वाले वे लोग हैं

जिन्‍हें तुम उत्‍तर दोगे लेकिन वे

जो तुम्‍हें सुनेंगे, वे लोग होंगे

जो तब तुमसे प्रश्‍न करेंगे

कौन बोलेगा?

वह जो अब तक नहीं बोला

कौन प्रवेश करेगा?

वह जो अब तक प्रविष्‍ट नहीं हुआ

वे

जिनकी हालत अभी प्रभावी नहीं

दिख रही, कल के ताक़तवर लोग हैं

वे जिन्‍हें तुम्‍हारी ज़रूरत है

ताक़त पायेंगे एक दिन

चीज़ों को स्‍थायित्‍व कौन देगा

वे जो तब जीवित होंगे

निर्माताओं के रूप में किनका चयन हो?

उनका जिन्‍हें अभी जन्‍म लेना है

मत पूछो कि वे कैसे होंगे

तय करो

 

किसान

किसान को अपने खेत से मतलब

वह अपने पशुओं की करता देखभाल

लगान देता है

करता है पैदा बच्‍चे ताकि

मज़दूरी की बचत हो

और निर्भर करता है दूध की क़ीमत पर

शहरी लोग बात करते हैं

ज़मीन से जुड़ने की

स्‍वस्‍थ किसानों की

और देश की रीढ़ की हड्‌डी बताते हैं किसानों

को

किन्‍तु

किसान को अपने खेत से

मतलब

 

इबारत

अपनी क़ब्र के लिए

नहीं चाहता मैं कोई

इबारत

लेकिन यदि तुम चाहो मेरे लिए कोई

इबारत

मैं चाहूँगा कि उस पर खुदे हों ये शब्‍द

उसने सुझाव दिये हमने उन्‍हें

पूरा किया

ऐसी इबारत हम सभी का

सम्‍मान होगी

 

मज़दूर की प्रश्‍नोत्तरी

सात द्वारों वाले थेब्‍स का निर्माण किसने किया?

किताबों में तुम पाओगे राजाओं का उल्‍लेख

क्‍या राजाओं ने चट्टानों के टुकड़े ढोये थे?

और बेबीलोन जो कई दफा भूमिसात

किया गया, किसके द्वारा पुनर्निर्माण हुआ उसका?

स्‍वर्ण से चमचमाते लीमा के किन घरों में

मज़दूर रहते हैं?

उस शाम जब चीन की दीवार पूरी बनी,

कारीगर कहाँ गये?

महान रोम में अनेकों विजय स्‍तंभ हैं

उन्‍हें किसने स्‍थापित किया? सीज़र ने

किन पर विजय पायी? बायजेंनियम में

जिसका ज़िक्र अनेक गीतों में है, बाशिंदों के

लिए क्‍या महल बने? यहाँ तक कि

किस्‍सों वाले अतलांतिस को जब एक रात

समुद्र लील गया, गुलामों के लिए

चीत्‍कारें उठीं

युवा सिकंदर ने भारत जीता

क्‍या वह अकेला था?

सीज़र ने गाल्‍स को पछाड़ा

क्‍या उसके संग एक रसोईया तक नहीं था?

स्‍पेन का फिलिप अपनी सेना की पराजय पर

रोया था। क्‍या रोने वाला वही एक था?

फ्रेडरिक द्वितीय ने सात वर्षों वाला युद्ध

जीता। और किसने वह युद्ध जीता?

प्रत्‍येक पृष्‍ठ एक विजय

विजेताओं के लिए भोज किसने पकाया?

प्रत्‍येक दशक में एक महान पुरुष

देयक का भुगतान किसने किया?

इतनी सारी रपटें

इतने सारे प्रश्‍न

 

मेरे नाम का ज़िक्र क्‍यों हो?

1

एक बार मैंने सोचा :

आने वाले वक़्‍तों में

जब वे भवन गिर पड़ेंगे जहाँ मैं रहता हूँ

और वे जहाज़ जिनमें मैंने यात्राएँ कीं

नष्‍ट-प्राय हो जायेंगे

औरों के साथ मेरे नाम का भी ज़िक्र होगा

2

क्‍योंकि उपयोगी बातों का प्रशंसक था मैं

जो मेरे वक़्‍त में मुख्‍य बात थी

क्‍योंकि मैं धर्मों के विरुद्ध लड़ा

क्‍योंकि मैं अत्‍याचारों के विरुद्ध लड़ा

या अन्‍य किसी वजह से

3

क्‍योंकि मैं जनता के लिए था और

सौंपी हरेक चीज़ मैंने उसे और इस

तरह उसे सम्‍मान दिया

क्‍योंकि मैंने कविताएँ लिखीं और समृद्ध

बनाया भाषा को

क्‍योंकि मैंने सिखाया व्‍यवहारिक

आचरण

या अन्‍य किसी वजह से

4

इसलिए मैंने सोचा कि मेरे नाम का ज़िक्र

तब भी होगा, एक शिलालेख पर दर्ज़ होगा

वह। किताबों से। और नयी किताबों में

प्रकाशित होगा वह

5

लेकिन आज मैं स्‍वीकार करता हूँ

कि मेरा नाम भुला दिया जायेगा

यदि पर्याप्‍त रोटियाँ हों तो

रोटी पकाने वाले से क्‍यों माँगा जाये?

यदि नयी बर्फ़ का गिरना

सन्‍निकट हो तो पिघल चुकी बर्फ़

की तारीफ क्‍यों हो?

यदि भविष्‍य है तो

अतीत को क्‍यों होना चाहिए?

6

क्‍यों

मेरे नाम का ज़िक्र किया जाये?

 

हर वर्ष सिंतबर में

हरेक वर्ष सितंबर में

जब पाठशालाओं का सत्र प्रारंभ होता है,

महिलाएँ शहर के बाहर बनी स्‍टेशनरी की

दुकानों पर खड़ी होती हैं

और वे

अपने बच्‍चों के लिए पाठ्‌यपुस्‍तकें और

अभ्‍यास पुस्‍तिकाएँ ख़रीदती हैं

दुस्‍साहसपूर्वक वे

अपने फटे पुराने बटुओं से

अपनी पाई-पाई ख़र्च करती हुई

विलाप करती हैं कि शिक्षा बहुत

महँगी हो गयी है

उन्‍हें यह आभास ही नहीं कि उनके

बच्‍चों के लिए जो पाठ्‌यक्रम निर्धारित किया

गया है, वह कितना रद्दी है

 

जनरल

जनरल, तुम्‍हारा टैंक एक शक्‍तिशाली

वाहन है

वह जंगलों को रौंद देता है

और सैकड़ों लोगों को चपेट में ले लेता है

लेकिन उसमें एक दोष है

उसे एक चालक चाहिए

जनरल, तुम्‍हारा बमवर्षक जहाज़

शक्‍तिशाली है

तूफान से तेज़ उड़ता है वह और

एक हाथी से ज़्‍यादा भारी वज़न उठाता है

लेकिन उसमें एक दोष है

उसे एक कारीगर चाहिए

जनरल, आदमी बहुत

उपयोगी होता है

वह उड़ सकता है और

हत्‍या भी कर सकता है

लेकिन उसमें एक दोष है

वह सोच सकता है

 

शासन करने की मुश्‍किलें

मंत्रीगण हमेशा लोगों को बताते हैं

कि शासन करना कितना मुश्‍किल काम है

मंत्रियों के बगै़र मकई डाल पर

नहीं उगेगी, ज़मीन में पकेगी

यदि सम्राट इतने चतुर न हों तो

कोयले का एक टुकड़ा तक खदान को

नहीं छोड़ेगा

1

प्रचारमंत्री के बगै़र कोई

लड़की राज़ी नहीं होगी गर्भवती होने को

युद्धमंत्री के बगै़र कोई युद्ध

ही नहीं होगा, वाकई,

क्‍या पता सुबह सूरज न उगे

सम्राट की अनुमति के बगै़र

यह संदेहास्‍पद है और यदि वह

उगा, ग़लत दिशा में होगा

2

इतना ही मुश्‍किल है, वे बताते हैं

कि कारखाना चलाना, मालिक

के बग़ैर दीवारें गिर पड़ेंगी और

मशीनों को जं़ग लग जायेगा ऐसा

वे बताते हैं

यदि कहीं कोई हल बनाया जाये

वह कारखाना मालिक के चतुर

शब्‍दों में कभी ज़मीन तक पहुँचेगा ही नहीं

3

यदि शासन करना आसान होता

सम्राट जैसे प्रेरणास्‍पद मस्‍तिष्‍कों की

ज़रूरत ही न होती

यदि मज़दूर जानता कि मशीन कैसे

चलायी जाये और यदि रसोई में बैठा

किसान अपने खेत के बारे में बता पाता

तो वहाँ कारखाना मालिक या भूपति की

ज़रूरत ही न होती

ये सब इसलिये कि वे सब मूर्ख हैं

कि कुछ चुने हुए होशियार लोग ही चाहिए

4

या शायद

शासन करना इसलिये मुश्‍किल होता हो

कि हेराफेरी और शोषण के लिए

भी कुछ शिक्षा चाहिए?

 

(अनुवाद 21.01.1990 को

किए गए थे)

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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: बर्तोल्त ब्रेख्‍़त की कविताएं
बर्तोल्त ब्रेख्‍़त की कविताएं
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