कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -68- प्रभुदयाल श्रीवास्तव की कहानी तांगेवाला

SHARE:

कहानी तांगेवाला प्रभुदयाल श्रीवास्तव मन बड़ा चंचल और चलायमान होता है इस पर‌ बड़े बड़े देवता, ऋषि मुनि और‌ साधु संत तक‌ नियंत्रण नहीं कर सके...

कहानी

तांगेवाला

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

मन बड़ा चंचल और चलायमान होता है इस पर‌ बड़े बड़े देवता, ऋषि मुनि और‌ साधु संत तक‌ नियंत्रण नहीं कर सके तो इंसान बेचारा तो हाड़ मांस का पुतला ही है किसी अज्ञात की डोरी से बंधा उसी के इशारे पर जिंदगी भर नाचता रहता है। फिर भी कभी कभी ऐसी घटनायें हो जातीं हैं जो मन मस्तिष्क पर अमिट और गुदगुदाने वाली छाप छोड़ जातीं हैं। बात कोई पच्चीस साल पहले की है। दिन के बारह बज चुके थे। मैं अपनी पत्नी सविता और बड़ी दीदी के साथ तांगे में बैठा स्टेशन की ओर बढ़ा जा रहा था। तांगे का वह मरियल सा घोड़ा अपने मालिक की तरह सुस्त सा सड़क पर टक टक करता चला जा रहा था। मेरे मुहल्ले धरमपुरा से हमारे शहर दमोह का रेलवे स्टेशन कोई तीन किलोमीटर के लगभग था। तांगेवाला हमारे लिये अपरचित था। धरमपुरा में हमारा पुस्तेनी घर है। शहर से जुड़ा हमारा यह गाँव अब शहर की गोद में समाकर उसका एक मोहल्ला बन गया है। पहले यह एक मालगुजार के अधीनस्थ चालीस पचास गाँव की मालकियत का केन्द्र था। हमारा यह गाँवनुमा मोहल्ला राजसी मर्यादाओं और परिपाटियों में बाधित था। हिन्दू मुसलमान और सभी छोटी बड़ी जाति के लोग एक मर्यादित परिवार की तरह रहते थे। कितनी भी छोटी जाति के लोग हों किन्तु हम बुजुर्गों को कक्का काकी,चच्चा चाची और भैया इत्यादि कहकर ही सम्बोधित करते थे ।

गांव में जैसा कि प्रतिष्ठित घरों के लिये चलन होता था,नाई धोबी अहीर कुम्हार ढीमर और कुछ नियमित कर्मचारियों जैसे होते थे। धोबी नियमित तौर पर कपड़े ले जाता था। सप्ताह में तीन दिन उसे आना ही था,कपड़े मिले तो ठीक नहीं मिले तो ठीक। नाई भी सप्ताह में एक बार अपनी पेटी लेकर आ जाता था। दाड़ी कटिंग मालिश चंपी ,सबको उसका इंतजार रहता। हमारा खानदानी नाई जग्गू खबास पेटी लेकर आया नहीं कि हम सब बच्चे चिल्लाते खबास कक्का आ गये ओ ओ। जिन बच्चों को कटिंग कराने में डर लगता वे भीतर कमरों मे जाकर छुप जाते, किंतु आखिर कब तक, घर के बुज़ुर्ग उन्हें पकड़ लाते और जग्गू के हवाले कर देते। जग्गू बड़ी बेरहमी से अपने दोनों घुट्नों के बीच सिर दबाकर उनकी कटिंग कर देता। गोली बरौआ को जिन्हें हम गोली कक्का कहते थे कभी नहीं भूल सकते। अपने बरौआ कर्म के अतिरिक्त वे एक अनुभवी और कुशल वैद्य भी थे। हमारा बचपन उन्हीं के चूर्ण और भस्में खाकर स्वास्थ्य की पायदानें चढ़कर युवावस्था में प्रविष्ट हुआ।

--

रु. 15,000 के 'रचनाकार कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन' में आप भी भाग ले सकते हैं. अपनी अप्रकाशित कहानी भेज सकते हैं अथवा पुरस्कार व प्रायोजन स्वरूप आप अपनी किताबें पुरस्कृतों को भेंट दे सकते हैं. कहानी भेजने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2012 है.

अधिक व अद्यतन जानकारी के लिए यह कड़ी देखें - http://www.rachanakar.org/2012/07/blog-post_07.html

image

----

 

हमारा तांगेवाला भी खनदानी था, दौआ तांगेवाला। हमारे परिवार को कहीं जाना होता तो को सूचना मिलते ही वह तुरंत हाजिर हो जाता। कभी भी कहीं भी जाना होता वह इनकार नहीं करता था और भाड़ा तांगे से उतरने के बाद जो भी दे दो सब कबूल कर लेता था। आठ आने दो तो ठीक एक रुपये दो तो ठीक, कहता 'मेरे बच्चे सो आपके बच्चे आपको ही पालना है। 'भला ऐसे में दौआ को मेहनताना कम मिले कैसे संभव था' डोल ग्यारस के दिन बनेटी खेलते [आग के पलीते] अखाड़े में हलकी पतली तलवारों के करतब दिखाते हमारे मित्रों की न्योछावर उतारते, अट्ठन्नियाँ चवन्नियाँ लुटाते लोग कितनी मस्ती में झूमते गाते चलते थे, आंखों के सामने चित्र सा खिंच जाता है। डोल ग्यारस का रथ पीछे पीछे चलता,बाजे बजते और रथ में बिराजमान भगवान विष्णु चंदन तलैया तक ले जाये जाते,लक्ष्मी सहित वे जल बिहार करते बुर्जों से तलैया में कूदते, इत्तन इत्तन पानी, घोर घोर रानी का खेल खेलते, एक दूसरे पर पानी उछालने वाली, हमारी मित्र मंडली के लोग न मालूम अब कहाँ कहाँ हैं। उस दिन हमें बाहर जाना था। दौआ के यहाँ सूचित किया कि स्टेशन जाना है, साढ़े बारह की ट्रेन पकड़ना है, किंतु मालूम पड़ा कि दौआ बीमार है। मजबूरन हमें दूसरे मोहल्ले से ताँगा मंगाना पड़ा। ताबड़ तोड़ ताँगे में सामान रखा, पेटी बिस्तर नाश्ते की डलियां, और उस मरियल से घोड़े वाले ताँगे में हम बैठ गये। सविता और दीदी पीछे की तरफ और मैं ताँगेवाले के पास आगे बैठ गया।

  'काकी सीताराम, चच्चा राम राम,

"भैया कहाँ चले। "

"बस सागर तक थोड़ा फुआ के यहाँ तक शादी में जा रहे हैं। "बातों का आदान प्रदान करते हम अपने मोहल्ले की सरहद पार कर चुके थे। ताँगा धीरे धीरे चल रहा था, शायद घोड़ा बीमार था या ताँगे के अस्थि पँजर ढीले थे।

हमें जल्दी थी। ट्रेन न छूट जाये इसलिये मैंने तांगेवाले से कहा "थोड़ा जल्दी चलो। "मेरी बात सुनकर तांगेवाले ने चाबुक फटकारा और तांगा चर्र चूं की आवाज करता हुआ थोड़ा तेजी से आगे बढ़्ने लगा। अचानक ऐसे लगा जैसे भूचाल आ गया हो, तांगा एक तरफ झुकता चरमराकर गिर पड़ा। उसका चक्का टूट गया थ घोड़े को रोकते रोकते तांगे वाला तांगे में लुढ़क गया। मैं तांगे के पटिये से लटक गया। सविता और दीदी सम्हलते सम्हलते भी तांगे से बाहर गिर पड़ी। मैं क्रोध से पागल सा हो गया। दीदी को उठाया, सविता को उठाया और मुश्किल से खुद को सम्हाला। दीदी के हाथ में खरोंचें और खून की लकीरें देखकर मैं आपा खो बैठा। तांगेवाले को तांगे से बाहर खींचकर तीन चार चाँटे मार दिये। वह चुपचाप अपराधी निगाहों से देखता हुआ पिटता रहा जैसे चक्का उसी ने तोड़ा हो।

"जब तांगा सड़ियल है तो क्यों चलाते हो, नालायक कहीं के, थोड़ा भी तमीज नहीं है, सड़ा घोड़ा लिये हैं और चल्रे हैं तांगा चलाने" मेरा क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच गया था। टेंप्रेचर इतना बढ़ा की पारा थर्मामीटर फोड़्कर बाहर आ गया।

तांगेवाला कोई साठ पैंसठ साल का कमजोर सा आदमी था। मेरा हाथ फिर उठने को हुआ कि दीदी ने पकड़ लिया' अरे यह क्या कर रहे हो चक्का टूट गया तो वह बेचारा क्या करे' वह जोर से चिल्लाईं।

ट्रेन आने का समय हो चुका था। पास से गुजरते हुये एक रिक्शे को मैंने रोका ,जल्दी से उसमें सामान रखा और स्टेशन पहुंच गये। गाड़ी आ चुकी थी। सामान प्लेट फार्म पर पहुंचाने के लिये मैंने एक कुली बुला लिया। टिकिट की खिड़की पर लम्बी लाइन लगी थी। पुरुषों की लाइन लम्बी हो तो नारियों की सहायता लेना ही बुद्धिमानी होती है, ऐसा सोचकर मैंने सविता को टिकिट लेने को कहा "तुम टिकिट ले लो मैं सामान गाड़ी में रखवाता हूँ" मेरे कहने पर वह लाइन में लग गई। लाइन में चार पांच महिलायें ही थीं। मैंने दीदी को साथ लिया और सामान लेकर प्लेटफार्म पर आ गया। बहुत भीड़ थी। ट्रेन करीब आधा घंटे रुकती थी। अभी भी पन्द्रह मिनिट बाकी थे चलने में। एक डिब्बे में कुली की मदद से सामान रखवाया और सीट तलाशने लगा। कुछ परिचितों के मिल जाने से कोई परेशानी नहीं हुई। दीदी को सीट पर बिठाकर मैं लगभग दौड़ता सा बाहर आया। टिकिट विंडो की तरफ बढ़ा तो देखा कि सविता परेशान सी एक तरफ खड़ी है।

मैंने पूछा "टिकिट ले ली"

"नहीं"

"क्यों क्या हुआ"

"पर्स नहीं है"

मैं भौंचक्का रह गया "कहाँ गया तुम्हारे पास ही तो था ?"

"शायद ताँगे में रह गया, रिक्शे में सामान रखते समय भूल गये। "

मैं परेशान हो गया। पेंट में इतने पैसे तो थे कि टिकिट ले लें,पर अन्य कार्यों के लिये शादी वाले घर में किससे माँगेंगे। फिर पर्स में एक हज़ार रुपये के लगभग थे। मैं किंकर्तव्य विमूढ़ हो गया। सविता को दो चांटे मारने की इच्छा हो आई। दीदी ट्रैन में बैठी थीं ,सामान ट्रैन में था और हम बाहर टिकिट घर के पास। तांगे वाले की निरीह आँखें मेरी आँखों में झूलने लगीं। शायद उसी की बददुआओं का असर हो। गाड़ी छूटने में पाँच सात मिनिट ही बचे होंगे। इतना समय भी नहीं था कि कहीं से पैसों की व्यवस्था की जा सके।

सविता पर क्रोध उतारने लगा "भगवान ने बुद्धि तो दी ही नहीं पर्स हाथ में रखना चाहिये था, क्यों ताँगे में रखा, फिर सामान उठाते समय कैसे भूल गईं, होश ही नहीं रहता। वह चुपचाप मेरा भाषण सुन रही थी, पतिव्रता नारियों की तरह गुमसुम।

"चलो केंसिल करो, सामान उठा लाओ दीदी को बुला लेते हैं बाद में चलेंगे" वह बोली।

"क्या खाक.." मेरे मुँह से ये शब्द निकलते इससे पहले ही मैंने देखा कि सामने से वह बूढ़ा तांगेवाला पसीने से लथपथ हाँफता हुआ सायकिल से चला आ रहा है। पलक झपकते ही वह सायकिल से उतरकर सीढ़ियाँ चढ़कर मेरे पास आ गया "बाबूजी आपका पर्स तांगे में छूट गया था" हाँफने के कारण वह मुँह से ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था। पर्स मेरे हाथ में देकर जैसे उसकी आत्मा को शांति मिल गयी हो।

मुझे ऐसा लगा जैसे वह मानवता की मंजिल की कई सीढ़ियाँ एक साथ चढ़ गया हो।

सविता के चेहरे पर फिर से प्रसन्न्ता झलकने लगी, जैसे कोई अपराध करते करते बच गई हो।

उसने दस रुपये निकालकर तांगेवाले को देना चाहे। "नहीं बेटा इसका मैं क्या करूँगा, मैं बहुत शर्मिंदा हूँ, तुम लोगों को स्टेशन नहीं पहुंचा सका। चक्का कमजोर था, तंगी के कारण नहीं बनवा सका। आप लोगों को कहीं चोट तो नहीं आई" यह कहकर वह हमारी तरफ निरीह आँखों से देखने लगा।

"तुम्हारी अमानत तुम तक पहुंचा दी मन को तसल्ली हो गई। मेरी गलती को माफ कर देना, मुझको भी अपना दौआ समझ लेना। "

शायद उसे पता था कि दौआ हमारा खानदानी तांगे वाला था।

मेरा दिमाग झनझना गया। हम ट्रेन में बैठ चुके थे। ट्रेन चल चुकी थी "मुझे भी अपना दौआ समझ लेना" तांगेवाले के यह शब्द मेरे कलेजे को चीरकर बार बार भीतर घुस रहे थे। मैं इतना निर्दयी कैसे हो गया। एक कमजोर निरीह आदमी पर कैसे में हाथ उठा सका। गाँवं में कक्का काकी दद्दा चाचा अम्माजी जैसे संबोधन देने वाला मेरा कंठ गालियाँ कैसे दे गया। डिब्बे के सब बूढ़े जैसे मुझे तिरस्कार की नजरों से देख रहे थे। पत्नी व्यंग्य से जैसे ताना मार रही थी कि मेरी बहादुरी के किस्से अपनी सहेलियों को अवश्य सुनायेगी। दीदी जैसे बचपने से निकलने की सीख दे रहीं थीं। मैं सोच रहा था कि यह वीर रस मेरे शरीर में कहाँ से प्रवाहित हो गया ।

--

COMMENTS

BLOGGER: 7
  1. बेनामी9:59 pm

    ati uttam. Bahut Acchi kahani

    जवाब देंहटाएं
  2. टिप्पणी के लिये धन्यवाद‌
    प्रभुदयाल‌

    जवाब देंहटाएं
  3. Jagdish5:00 am

    Very Very True and Honest

    जवाब देंहटाएं
  4. बेनामी11:17 pm

    भाई कहानिकार थोड़ा धैर्य नहीं है आप कभी टांगेवाले को चांटे मारते हैं कभी पत्नी सविता को साबित क्या कर रहे हो

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -68- प्रभुदयाल श्रीवास्तव की कहानी तांगेवाला
कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -68- प्रभुदयाल श्रीवास्तव की कहानी तांगेवाला
http://lh3.ggpht.com/--W0m0GMXrmk/TuxLMxKf6SI/AAAAAAAAK-w/K8otzk4HgCI/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.ggpht.com/--W0m0GMXrmk/TuxLMxKf6SI/AAAAAAAAK-w/K8otzk4HgCI/s72-c/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/08/68.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/08/68.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content