भोलानाथ के 10 नवगीत

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1 जिओ हजारों साल आदरणीय हमारे पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटलबिहारी बाजपेयी जी को उनके जन्म दिन पर शुभ कामनाएं तुम जियो हजारों साल भारत माँ के...

1 जिओ हजारों साल

आदरणीय हमारे पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटलबिहारी बाजपेयी जी को उनके जन्म दिन पर शुभ कामनाएं
तुम जियो हजारों साल
भारत माँ के लाल !
तुम ही तो इस धरती के
हल्दी चन्दन और गुलाल !
महक रहे हो बाग़ बगीचे
ओंठों के अनुराग ,
दिया दिवाली और दशहरा
तुम ही देश की फाग ,
दुगनी छाती भारत माँ की
तुम ही एक मिसाल !
तुम जियो हजारों साल
भारत माँ के लाल !
तुम ही तो इस धरती के
हल्दी चन्दन और गुलाल !
सारे रंग त्याग के तुमने
देशभक्ति का पहना चोला ,
कठिन साधना के साधक तुम
मंत्र ह्रदय में सबके घोला ,
शादियों साथ रहो दुनियां के
करते रहो कमाल !
तुम जियो हजारों साल
भारत माँ के लाल !
तुम ही तो इस धरती के
हल्दी चन्दन और गुलाल !
तुम ही तो हो
जनमानस की अविरल भाषा,
देश प्रेम की अमित छाप और
तुम ही हो परिभाषा ,
गंगोत्री बन बहो सदा तुम
रहे न धरती कोई मलाल !
तुम जियो हजारों साल
भारत माँ के लाल !
तुम ही तो इस धरती के
हल्दी चन्दन और गुलाल !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४

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2 भेड़ियों के पहरों में

रहते हम शहरों में
भेड़ियों के पहरों में
बन रहे निवाले हम रह रह के !
हम रह रह के बन रहे निवाले !!
बन रहे निवाले हम रह रह के !
लारियों के
अजनवी शिकारियों के
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
चीर हरण सह सह के हांथों हम हीचे
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
दरबारी दरबार के नहीं
और न ही नवरत्न हैं उज्जैनी राज के,
कौन सुने तर्जनी की पीड़ा
अंगूठे सब रत्न हुए राजा के ताज के ,
क्या कहिये
हचर मचर बग्घी के पहिये
टूटेगी धुरी छोड़ हारे हम कह कह के !
हारे हम कह कह के टूटेगी धुरी छोड़
टूटेगी धुरी छोड़ हारे हम कह कह के !
रहते हम शहरों में
भेड़ियों के पहरों में
बन रहे निवाले हम रह रह के !
हम रह रह के बन रहे निवाले !!
बन रहे निवाले हम रह रह के !
लारियों के
अजनवी शिकारियों के
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
चीर हरण सह सह के हांथों हम हीचे
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
रहते हम शहरों में
भेड़ियों के पहरों में
बन रहे निवाले हम रह रह के !
हम रह रह के बन रहे निवाले !!
बन रहे निवाले हम रह रह के !
लारियों के
अजनवी शिकारियों के
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
चीर हरण सह सह के हांथों हम हीचे
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
यक्ष की पीडाएं भूलकर
गढने लगे कालिदास सूक्तियां अनूठी ,
फाड़ फाड़ मछली के पेट को
खोज रहे साकुंतली अनुपम अंगूठी ,
खप गईं पीढियां
चढ चढ रेतीली सीढियां
सूख गये आंसू आँखों से बह बह के !
आँखों से बह बह के सूख गये आंसू
सूख गये आंसू आँखों से बह बह के !
रहते हम शहरों में
भेड़ियों के पहरों में
बन रहे निवाले हम रह रह के !
हम रह रह के बन रहे निवाले !!
बन रहे निवाले हम रह रह के !
लारियों के
अजनवी शिकारियों के
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
चीर हरण सह सह के हांथों हम हीचे
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
गहरा है ,नया नया घाव है
चुटुक वैदिया में पक पक के हो गया नासूर ,
जीते जी चींटियाँ लीलेंगी अजगर
मिटटी के शेर का क्या है कसूर ,
पत्थर क्या जानें
सांसें पहचानें
छाती की पीड़ा प्राणों को दह दह के !
प्राणों को दह दह के छाती की पीड़ा
छाती की पीड़ा प्राणों को दह दह के !
रहते हम शहरों में
भेड़ियों के पहरों में
बन रहे निवाले हम रह रह के !
हम रह रह के बन रहे निवाले !!
बन रहे निवाले हम रह रह के !
लारियों के
अजनवी शिकारियों के
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
चीर हरण सह सह के हांथों हम हीचे
हांथों हम हीचे चीर हरण सह सह के !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४

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3 उन्माद

कब तक
यह उन्माद चलेगा
कितना कौन पिये !
बांह बाहु बल
झुठलाने को
तुली हुई है खुली हथेली,
गांठी गांठी
सधी हुई है
रहमहीन वार्तुली पहेली,
अंगुली अंगुली
खुली चुनौती
कितना कौन जिये !
कब तक
यह उन्माद चलेगा
कितना कौन पिये !
दया धर्म के
दिन झुठला कर
बांह चढी है
नख की पीड़ा,
मन मंसूबे
खोखल करता
कुतर रहा दिल घुन का कीड़ा,
छिन छिन
छलनी होती छाती
कितना कौन सिये !
कब तक
यह उन्माद चलेगा
कितना कौन पिये !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४

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4 समय कहाँ मुझको

सुनों सुनों भैया जी
समय कहाँ मुझको
कुछ और कहूँ किसको
कोयल की रागिनी
कानों में घोल रही मिश्री और क्या सुनूं !
बाग़ और बगीचों में
ठौर की
अमुआं के बौर की
मचली है गंध
बांसुरी बजाऊं या सांसो की सरगम में रंग सा भिनुं !
दिल में तरंगित हैं प्रणय गीत
फुट रहे आँखों में अंखुए अनार के ,
पुलकित है अंग अंग लौटा है फिर मौसम
बिम्ब वही लेकर बहार के ,
गा गा के फाग
खुशियाँ मनाऊं
या कलियों की खुशुबू हो जाऊं
चौकड़ियाँ भर भर के
बिरह बौर भीतर ही भीतर रुई सा धुनुं !
सुनों सुनों भैया जी
समय कहाँ मुझको
कुछ और कहूँ किसको
कोयल की रागिनी
कानों में घोल रही मिश्री और क्या सुनूं !
बाग़ और बगीचों में
ठौर की
अमुआं के बौर की
मचली है गंध
बांसुरी बजाऊं या सांसो की सरगम में रंग सा भिनुं !
उडती पतरोई सा मैं भी उडूं
मन की कहूँ या उठते हाथों को देखूं ,
या उनकी उँगलियों की उठती आवाजों में
खुद को मछली सा सेंकूं ,
मंद मंद बहती
बयार में
बसवट की छेड़ी सितार में
अनचीन्हीं छवियों की
आंख में रंगों के ख्वाब मैं आंख से बुनूं !
सुनों सुनों भैया जी
समय कहाँ मुझको
कुछ और कहूँ किसको
कोयल की रागिनी
कानों में घोल रही मिश्री और क्या सुनूं !
बाग़ और बगीचों में
ठौर की
अमुआं के बौर की
मचली है गंध
बांसुरी बजाऊं या सांसो की सरगम में रंग सा भिनुं !
रक्त की सिराओं में रह रह के
पनप रही कंठों में कजरी की प्यास ,
तेशुओं की रस भीनीं टहनी
खोज रहा अंतर का बौराया अमलतास ,
अमरईया के नये नये
बिरवों की
नयी नयी शाखाओं के सिरवों की
कोंपल से खेलते
चुनगुन चिरैया के जत्थे मैं कैसे गिनुं !
सुनों सुनों भैया जी
समय कहाँ मुझको
कुछ और कहूँ किसको
कोयल की रागिनी
कानों में घोल रही मिश्री और क्या सुनूं !
बाग़ और बगीचों में
ठौर की
अमुआं के बौर की
मचली है गंध
बांसुरी बजाऊं या सांसो की सरगम में रंग सा भिनुं !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४

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5 देवों के देव हैं

देवों के देव हैं
प्रथम पूजे
मेरे गुरुदेव हैं !
कहते हैं शिला लेख
भोज पत्र हनुमत ही
सत्यमेव देव हैं !
श्री राम साथ जग जननी को
ध्यान धर
छू छू के चरण कमल
अपने हनुमान के,
सेतुबंधू सेनापति
कर्मयोग है जिनके हाथ में
ओंठों में गीत मेरे
ऐसे भगवन के,
जो बिगड़ी बना दे
सबको अपना ले ऐसे हनुमान जी
सबके गुरु देव हैं !
देवों के देव हैं
प्रथम पूज्य
मेरे गुरुदेव हैं !
कहते हैं शिला लेख
भोज पत्र हनुमत ही
सत्यमेव देव हैं !
गाता हूँ धर कर उनपर लगन
हो खुद में मगन
नाचूं मैं अपने मन के अगन,
अपना लो हम पर बरसाकर
दया दृष्टि
पाप भरे कूप से उबारो
सुख सुविधा दे दो होकर मगन ,
जो पर्वत उठाले
लक्ष्मण बचाले ऐसे हनुमान जी
मेरे गुरुदेव हैं !
देवों के देव हैं
प्रथम पूजे
मेरे गुरुदेव हैं !
कहते हैं शिला लेख
भोज पत्र हनुमत ही
सत्यमेव देव हैं !
भोलानाथ
डा,राधाकृषणन स्कूल के बगल में
एन,एच-7 कटनी रोड मैहर
जिला सतना मध्य प्रदेश
इंडिया-संपर्क-09425885234
मैहर "

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6 उड़ रही है गंध

उड़ रही है गंध
या चू रही है चांदनी
या किया सिंगार तुमने आज फूलों से !
झूल कर आई अभी तुम
क्या कदम की डालियाँ
या गंधशाली नन्द झूलों से !
घर की तुलसी
औरआँगन के शिवालय में
आलोकित हो रही है आज पिंडी ,
रंग फूलों से भरी पूरी जलहरी
आकाश तक लहरा रही
शिव पर्व की झंडी ,
जलती हुई समिधा में
छूटी जा रहीं आहुतियाँ
छू रही है तर्जनी आग भूलों से !
उड़ रही है गंध
या चू रही है चांदनी
या किया सिंगार तुमने आज फूलों से !
झूल कर आई अभी तुम
क्या कदम की डालियाँ
या गंधशाली नन्द झूलों से !
घर के आगे छत के उपर
मादिनी के रंग में कंठ तक
भींगा है आंचल,
ओठ में टेशू की लाली
और आँखों में पलाशी
हो रहा है आज काजल,
बस रही है कंठ कोयल
छेड़ कर रागिनी
या लौटी बसंत है छंद लिखे कूलों से !
उड़ रही है गंध
या चू रही है चांदनी
या किया सिंगार तुमने आज फूलों से !
झूल कर आई अभी तुम
क्या कदम की डालियाँ
या गंधशाली नन्द झूलों से !
सांसों की बगिया में
जन्मों से गंध बसी
भीतर जो नाम की तुम्हारे,
अंग अंग महक रहीं
पुष्पित पंखुरियां
ओस धुली रात है चाँद क्या विचारे,
चौकड़ियाँ भर भर
हिरनी के शावक देह भर हिराने
वाकिव हैं आदिम उसूलों से !
उड़ रही है गंध
या चू रही है चांदनी
या किया सिंगार तुमने आज फूलों से !
झूल कर आई अभी तुम
क्या कदम की डालियाँ
या गंधशाली नन्द झूलों से !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४

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7 शिल्पी हूँ गीतों का

मैं तो शिल्पी हूँ गीतों का
समय चूक भूल हुई मझसे
फिर भी मैं म्याख सा
दिल में ठुंक जाऊंगा !
फेस्बूकिया पेजों के
इन घुमावदार मोड़ों पर
पत्थर बन मील का
दिखाने को पंथ रुक जाऊंगा !
विष्मित हूँ बिना वस्त्र
लोगों को देखकर
मशखरे है या मंदारी
मिर्गी की लय में क्यों नाच रहे,
साधकों का रंग नहीं दिखता
फिर ये रामायण के
पन्नों से सरेआम
महाभारत क्यों बांच रहे,
भोंकने को माहिर हैं
गीतों के शेर नहीं
पाले तो इस बन्दर बाँट में
खुद ही चुक जाऊंगा !
मैं तो शिल्पी हूँ गीतों का
समय चूक भूल हुई मझसे
फिर भी मैं म्याख सा
दिल में ठुंक जाऊंगा !
फेस्बूकिया पेजों के
इन घुमावदार मोड़ों पर
पत्थर बन मील का
दिखाने को पंथ रुक जाऊंगा
नामों के साथ और
कितनी संज्ञाएँ समेटे
निस्तारी डबरे में मस्त हैं
आवारा भैंसें,
जुगाली की सरगम
खुद उनकी अपनी है वादकों से
कह दो बीन न बजाएं
और न सांसें हुलैसें,
बीरबल की हंडिया में
आंच नहीं चावल हैं कच्चे
दूर धरे चूल्हे में
मैं भी फुंक जाऊंगा !
मैं तो शिल्पी हूँ गीतों का
समय चूक भूल हुई मझसे
फिर भी मैं म्याख सा
दिल में ठुंक जाऊंगा !
फेस्बूकिया पेजों के
इन घुमावदार मोड़ों पर
पत्थर बन मील का
दिखाने को पंथ रुक जाऊंगा !
हरे भरे जंगल में दिखते हैं
दूर बहुत बरगद
और पीपल के साथ साथ
फूले गुलमोहर के बाग़,
मनसूबे बांधकर
हम भी चले आये हैं
ठंडी ठंडी छाँव में बैठ कर
सीखेंगे छेड़ेंगे राग,
अंतर के वन में
तरासूंगा मूरत
उकेरुंगा छवियाँ फिर उनमे ही
मैं खुद ही लुक जाऊँगा !
मैं तो शिल्पी हूँ गीतों का
समय चूक भूल हुई मझसे
फिर भी मैं म्याख सा
दिल में ठुंक जाऊंगा !
फेस्बूकिया पेजों के
इन घुमावदार मोड़ों पर
पत्थर बन मील का
दिखाने को पंथ रुक जाऊंगा !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -09425885234—8989139763

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8 खौन्दा है कितना

बिना सींग गदहों ने
खौन्दा है कितना
वन पूरा भयभीत है !
यह बारहसिंगा दिखाओ
न हमको
मालुम रण नीत है !
तुमसे खतरनाक
खल नायक
और कोई न दूसरा,
कितनो को खा गये
हांका में
मार मार मूसरा,
जंगल में मंगल है
माने ना जाने ना
नपी तुली प्रीत है !
बिना सींग गदहों ने
खौन्दा है कितना
वन पूरा भयभीत है !
यह बारहसिंगा दिखाओ
न हमको
मालुम रण नीत है !
आँधियों के दिन हैं
बगीचे का बरगद
कुछ दूर है,
काँटों से
गिला नहीं
बड़ा मीठा खुजूर है,
भोले हैं वनवासी
करमा और कजरी
उनके जीवन का गीत है !
बिना सींग गदहों ने
खौन्दा है कितना
वन पूरा भयभीत है !
यह बारहसिंगा दिखाओ
न हमको
मालुम रण नीत है !
और म्यूजियम में
सजना
मंजूर नहीं उनको,
समय गया राजशाही का
ख़बरदार
करते हैं तुमको,
अंधी पंचायत के
पचड़ों की गुत्थी
कनमी कुतिया की रीत है !
बिना सींग गदहों ने
खौन्दा है कितना
वन पूरा भयभीत है !
यह बारहसिंगा दिखाओ
न हमको
मालुम रण नीत है !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन.अच्. -७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४

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9 अपनी कविताओं के साथ

अपने ही कमरे में बंद हूँ
अपनी कविताओं के साथ
कितना बेबस लाचार !
बाहुबली जल्लादी धमकियाँ
ठाढी हैं द्वार पर
हाँथ धरे नंगी तलवार !
जोड़ जोड़ तिनके
पेट बाँध अपना चोंच से सजाया है
सिर की यह छाँव ,
आतंकी माफिया की आँख चढी
जबर जस्ती की बेड़ियाँ
डाल गये मेरे भी पांव ,
कर दूँ मैं कैसे हवाले
और कहाँ जाऊं छोड़ कर
मैं अपना घरबार !
अपने ही कमरे में बंद हूँ
अपनी कविताओं के साथ
कितना बेबस लाचार !
बाहुबली जल्लादी धमकियाँ
ठाढी हैं द्वार पर
हाँथ धरे नंगी तलवार !
कोतवाली कचहरी
सब उनकी हैं घूम लिया
मैं ले कर अपनी फ़रियाद ,
हंसी में उड़ाकर लगाका ठहाके
चापलूस खा खा के रिशपत
बढा रहे म्याद,
उठ गई आश्था अब न्याय से
कुछ भी तो शेष नहीं
कुंठित मन से होगा कैसे निस्तार !
अपने ही कमरे में बंद हूँ
अपनी कविताओं के साथ
कितना बेबस लाचार !
बाहुबली जल्लादी धमकियाँ
ठाढी हैं द्वार पर
हाँथ धरे नंगी तलवार !
तैयार नहीं कोई सुनने को
कुछ भी उनके खिलाफ
रद्दी में फेंक दी कितनी ही अर्जियां ,
रोज रोज फोन पर
लगातार गालियों से भरी हुई
आती हैं नयी नयी भेड़ियों की धमकियाँ ,
बैठ कर अँधेरे में
सोचता हूँ खोजता हूँ सूत्र नए
पंजों से मुक्त कब होगा मेरा संसार !
अपने ही कमरे में बंद हूँ
अपनी कविताओं के साथ
कितना बेबस लाचार !
बाहुबली जल्लादी धमकियाँ
ठाढी हैं द्वार पर
हाँथ धरे नंगी तलवार !
नौकरी भी रही नहीं
आवक के श्रोत सभी
एक एक कर के सूख गये ,
बहुत मुश्किल है
घर से निकलना
होते हैं निर्मित रोज दंगे फसाद नये ,
मुझे खुद ही पता नहीं
अपनी परस्थितियों से हारा
करता हूँ और किसका इंतजार !
अपने ही कमरे में बंद हूँ
अपनी कविताओं के साथ
कितना बेबस लाचार !
बाहुबली जल्लादी धमकियाँ
ठाढी हैं द्वार पर
हाँथ धरे नंगी तलवार !
भोलानाथ
डॉ,राधा कृष्णन स्कूल के बगल में
अन अच्.-७ कटनी रोड मैहर ,जिला सतना मध्य प्रदेश .भारत
संपर्क -०९४२५८८५२३४

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10 भैया जी

भैया जी बात अपनी
भीटर मत रोकिये
ओंठों पर लाकर
आंख में सजाइए !
दिल में रखना
बहुत अच्छी बात है
पर दिल की
दिलवालों को सुनाइये !
अन्दर ही अन्दर
गुनगुनानें से क्या होगा
चुग जाएँगी चिड़िया खेत,
देखते रह जाओगे
ढेले सजेंगे बहुत मेले
पर समय सरक जायेगा
मुट्ठी से जैसे रेत,
एक पंक्ति के बदले
जीवन भर गीतों में
अपने आप के
बिरह मत बुलाइए !
देखता हूँ मैं
आपकी आँखों में ऊग रहे हैं
नागफनियों के बंज़र,
और आप हैं की गाये जा रहे हैं
आँखों की लगी
भीतर के मंजर,
आप खूब गाइये
झूम झूम गाइये और नाचिये
पर ख्याल रख
किसी और को न रुलाइये !
सजाइए अपने ही भीतर
काम कंदला के मंडप
सांसों में मन की शहनाइयाँ,
जन जन की ओठों में
खूब धरा रसबोरे गीत
अब और नहीं धरिये तन्हाईयाँ,
निकालिए मुहूरत
खरीदिये कंगना और
कांच की हरी हरी चूडियाँ पहनाइए !


भोलानाथ
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नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद 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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: भोलानाथ के 10 नवगीत
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