राकेश भ्रमर की कहानी - मंजिलें और भी हैं

SHARE:

कहानी मंजिलें और भी हैं राकेश भ्रमर बारात के विदा होने के बाद मेहमान भी एक-एक कर विदा हो चुके थे. बीती घटनाओं की याद दिलाता पीछे रह गया था ...

कहानी

मंजिलें और भी हैं

राकेश भ्रमर

clip_image002

बारात के विदा होने के बाद मेहमान भी एक-एक कर विदा हो चुके थे. बीती घटनाओं की याद दिलाता पीछे रह गया था सूना पण्डाल, खाली कुर्सियां और शादी का मण्डप. रोती हुई अलका की मां को संभालते हुए अंकल भी एक कमरे में बन्द हो चुके थे. दीदी तथा जीजा जी तो पहले से ही अपने कमरे में बन्द थे. रह गया अकेला मनीश. वह कुछ देर तक सूने पण्डाल में खड़ा मुरझाए फूलों को घूरता रहा. उन में अब कोई सुगन्ध बाकी नहीं रह गई थी. हवा के झोंकों से झालरें खड़खड़ाकर रह जाती थीं और फिर निशब्द वातावरण-एक भयावह स्थिति उत्पन्न करता हुआ.

वह बोझिल कदमों से सीढि़यां चढ़ता हुआ ऊपर पहुंचा. बन्द कमरे के सामने कुछ देर तक खड़ा रहा. बगल में ही अलका का कमरा था- सूना. अब उस में अलका की शायद ही कोई निशानी बाकी बची हो. सब-कुछ तो बक्सों में बन्द होकर चला गया था. इस के बावजूद भी मनीश के अन्तर्मन से रह-रह कर आवाज आ रही थी- क्या सचमुच अलका ब्याहकर ससुराल चली गई है? नहीं, किसी सहेली के घर गई होगी. अभी आती ही होगी और आंधी-तूफान की तरह उस क कमरे में प्रवेश करेगी. एक पैर के सहारे मेज पर बैठ कर उसकी किताब बंद कर देगी-

‘ओहो मनीश, मैंने कितनी बार कहा, इतना ज्यादा मत पढ़ा करो. आंखें खराब हो जाएंगी. आई.ए.एस. बनने के लिए एम.ए. में फर्स्ट क्लास लाना क्या जरूरी है? लेक्चरर तुम बनने से रहे. बाद में पढ़ाई कर लेना’.

और मनीश बस मुग्ध सा हो अलका का चेहरा देखता रह जाता. बड़ी-बड़ी काली आंखें. काले घंघराले बाल. सलवार-कमीज में फड़कता उस का यौवन. होठों पर स्मित हास्य, मनीश को इस कदर बेचैन कर देता कि वह उस की तरफ नजरें न टिका पाता.

विगत के मधुर क्षणों को भुला पाना क्या इतना आसान है. खासकर अलका के सान्निष्य के मधुर क्षणों को! बहुत कठिन है प्यारे मनीश. तुम थोड़ा दृढ़ होते, तो आज अलका के फेरे तुम्हारे साथ पड़ते. कायर कहीं का! प्यार क्या कोई कबड्डी का खेल है? चुपचाप हार कर बैठ गए. अलका कभी तुम्हें माफ नही करेगी.

आहिस्ता से दरवाजा खोल कर वह कमरे के अन्दर आ गया. कितना सूना लग रहा है आज यह कमरा. सूनापन जैसे काट खाने को दौड़ता था. पूरे चार साल उस ने इस कमरे में बिताए थे. यहीं रह कर बी.ए. और एम.ए. की पढ़ाई की थी. पढ़ाई तो कम, अलका के साथ मधुर क्षण ज्यादा गुजारे थे. बगल का कमरा अलका का था. वह अपने कमरे में कम ही टिकती थी. हर क्षण उसी के कमरे में बैठ कर गप्पें लगाया करती थी. इस बात पर कई बार वह अलका पर नाराज भी हुआ था, परन्तु वह जैसे कुछ सुनती ही नहीं थी. मन्द-मन्द मुस्कराती और उस का लेक्चर सुनती जाती.

ब्रीफकेस से उस ने एक डायरी निकली, फिर पलंग पर लेट गया. बीच से एक पत्र निकाल कर वह मन ही मन पढ़ने लगा.

‘प्यारे मनीश,

तुमने मेरे पिछले पत्र का जवाब नहीं दिया. मैं बहुत चिन्तित हूं. क्या तुम मुझे बीच मंझधार में छोड़ कर एक किनारे लग जाओगे? तुम अभी तक आए क्यों नहीं? घर में मेरी शादी की बातचीत चल रही है. किसी भी दिन शादी की बात पक्की हो सकती है. लड़के वाले आकर मुझे देख भी गए हैं. तुम जल्दी से आकर पापा से बात करो, वरना सब कुछ खत्म हो जाएगा. मेरी कसम, तुम जल्दी से आ जाओ. मेरा दिल बहुत घबरा रहा है. पता नहीं क्या होने वाला है? क्या हमारा प्यार, साथ-साथ जीवन बिताने के वायदे, घर-संसार बसाने के सपने घूल में मिल जाएंगे? सच कहती हूँ मैं, अगर तुम दस दिन के अन्दर यहां नहीं पहुंचे तो फिर शायद मैं तुम्हें न मिल सकूं. मां-बाप की इच्छानुसार शादी करने के अलावा मेरे पास और कोई रास्ता नहीं बचेगा.

तुम्हारी अलका’

मनीश को नहीं आना था, नहीं आया. वायदा जो कर रखा था अलका के पापा से.

उसकी वार्षिक परीक्षाएं समाप्त हो चुकी थीं. दूसरे दिन उसे लखनऊ अपने घर जाना था. शाम को वह अपने कमरे में सामान ठीक कर रहा था और अलका उस की सहायता कर रही थी कि तभी उस के पापा ने कमरे में प्रवेश किया.

‘अरे अंकल आप...... आइए बैठिए!’

‘अलका, बेटे नीचे जाकर देखो, मम्मी तुम्हें बुला रही हैं. मै तब तक मनीश से कुछ बात करता हूँ.’

अलका चली गई. मनीश के सामने वह एक कुर्सी खींचकर बैठ गए. जेब से एक सिगरेट निकालकर सुलगाई और एक लम्बा कश खींचते हुए बोले, ‘बेटे, तुम ने पहले क्यों नही बताया कि अलका के साथ तुम्हारा प्रेम-सम्बन्ध है?’

मनीश बुरी तरह चैंका और आश्चर्यचकित उन्हें ताकता रह गया.

‘आज तुम्हारी बहन ने मुझे न बताया होता, तो कैसे पता चलता. मैं बहुत उलझन में फंस गया हूँ. कैसे समस्या का समाधान करूं, कुछ समझ में नहीं आता.’

कैसी उलझन? कैसी समस्या? मनीश की समझ मैं कुछ नहीं आया. वह धड़कते दिल से उनके मुख से अगली बात सुनने की प्रतीक्षा करने लगा.

‘’शायद दो-तीन साल पहले की बात है. मेरे एक दोस्त है ब्रिगेडियर रमाकान्त तिवारी. उनका बेटा भी आर्मी में कैप्टन है. कुछ सालों से ’शिलांग में पोस्टेड है. एक दिन वह छुट्टियों में अपने माता-पिता के साथ हमारे घर आया हुआ था. तभी उस ने अलका को देखा था. उस समय वह इण्टर फाइनल मे पढ़ती थी. पता नहीं उस ने अलका में क्या देखा कि दूसरे दिन अपनी मां को भेज कर कहलवा दिया कि वह अलका से शादी करना चाहता था.’

कहते-कहते उन की आवाज में गम्भीरता आ गई. उन्होंने सिगरेट के दो-तीन लम्बे कश लिए. धुएं के बीच जैसे उनका चेहरा गुम हो गया था. छत पर नजरें गड़ाते हुए उन्होंने कहा, ‘यह हमारे परिवार के लिए सौभाग्य की बात थी. अलका हमारी इकलौती बेटी है. इतने अच्छे घर और वर की तरफ से आया हुआ प्रस्ताव हम कैसे ठुकरा सकते थे. हम ने खूशी से इस रिश्ते को स्वीकार लिया और बात तय हो गई. परन्तु तब चूंकि अलका की कोई खास उम्र भी नहीं थी, हम तुरन्त इस शादी के लिए तैयार नहीं हुए. तय हुआ कि बी.ए. कर लेने के बाद ही अलका की शादी हम उन के लड़के के साथ करेंगे. इस साल उस का बी.ए.फाइनल हो चुका है.’

इस के बाद वह चुप हो गए. मनीश का हृदय असामान्य रूप से धड़क रहा था. उस के समक्ष सब कुछ स्पष्ट हो चुका था. अब कुछ कहना बाकी नहीं रह गया था.

‘अब मेरे सामने सब से बड़ी समस्या है कि अपना दिया हुआ वचन तोडूं या अलका दिल. वह तुम से प्यार करती है. तुम्हारे हाथों में उस का हाथ सौंप कर मुझे बहुत खुशी होती. तुम्हारे जैसा सीधा-सादा पति पाकर अलका का जीवन सफल हो जाता. लेकिन फिर समाज में हमारी क्या इज्जत रहेगी अगर किसी को दिया हुआ वचन हम तोड़ देते है! बेटे, तुम एक समझदार व्यक्ति हो. मै अलका के प्रति तुम्हारे प्यार की कद्र करता हूँ. परन्तु मेरी समझ में नहीं आता कि कौन-सा रास्ता अपनाना मेरे लिए उचित होगा. मेरी बेटी की खुशी तुम्हारे साथ है और मेरी दोस्ती तथा वचन उस की खुशी तुम्हारे साथ है और मेरी दोस्ती तथा वचन उस की खुशी के बीच रोड़ा बन कर आ खड़ा हुआ है. अब तुम्हीं मुझे अनजान दौराहे से मंजिल तक पहुंचा सकते हो.”

मनीश के मस्तिष्क में सारी बातें स्पष्ट हो चुकी थी. उस ने निर्णय ले लिया था. दृढ़ता से बोला, ‘आप चिन्ता न करें, अंकल, मैं आप की उलझन को अच्छी तरह समझ रहा हूँ. आप अपना दिया हुआ वचन निभाएं. आप के मेरे ऊपर बहुत एहसान है. इस तरह से ही सही, मुझे खुशी होगी कि आप के किसी काम तो आ सका. मैं खुशी से अलका के रास्ते से हट जाऊंगा. लेकिन अलका को संभालने की जिम्मेदारी आप पर है. कहीं जिद्द में आकर वह कुछ कर न बैठे-इस बात का ध्यान रखिएगा.’

‘मुझे तुम से यही उम्मीद थी, बेटे!’ वह उठते हुए बोले, तुम ने मुझे एक बहुत बड़ी दुविधा से उबार लिया है.’’ वह मनीश को ढेरों आशिर्वाद देते हुए वह चले गए.

उनके चले जाने के बाद एकबारगी मनीश को लगा कि बेहोश होकर गिर पड़ेगा. दिल बैठा जा रहा था. उस ने किसी तरह अपने को संभाला और सामान पैक करने लगा.

अलका उसे छोड़ने स्टेशन पर आई थी. उन दोनों में तब ज्यादा बातें नहीं हुई थीं. जो कुछ बातें हुई, वह अलका की तरफ से ही. मनीश ज्यादातर चुप ही रहा. वह समझी, उस से बिछुड़ने के गम में वह चुप है.

वह सीट पर बैठ चुका था. अलका खिड़की के पास प्लेटफार्म पर खड़ी थी. चुप्पी तोड़ते हुए तब अलका ने पूछा था, ‘पापा से बात कब करोगे?’’

‘कैसी बात ?’ उस ने हठात् प्रतिप्रश्न किया था.

‘हमारी शादी की बात.’ वह लजाती-सी बोली थी.

‘करूंगा, परन्तु अगले जन्म में. तब तक तुम इन्तजार कर सकोगी? मत करना! बूढ़ी हो जाओगी इन्तजार करते-करते, परंतु शादी की बात कभी तय नहीं होगी. माफ कर देना मुझे, प्यारी अलका!’ उसने सोचा.

प्रत्यक्ष में उस ने कहा, ‘अभी जल्दी क्या है? रोजी-रोटी का प्रबन्ध तो कर लेने दो.’

और वह चुप रह गई थी. देर बाद बोली थी, ‘पत्र तो डालोगे न?’

‘यह भी कोई पूछने की बात है.’ वह हंसा था- एक खोखली हंसी. अब पत्र देने की जरूरत ही क्या? हम दोनों ने एक-दूसरे को अपना दिल दे रखा है. जब मन हुआ, हालचाल पूछ लेंगे.

गाड़ी ने सीटी दे दी थी. दोनों की आंखें एक पल के लिए मिली थीं. हजारों सपने तैर रहे थे उन में.

सपने हरदम सच नहीं हुआ करते.

अलका का अन्तिम पत्र! उस ने मनीश को लिखा था, ‘अब किस कलम मे तुम को ‘प्यारे मनीश’ लिखूं? सच तुम इस कदर बेवफाई करोगे, मैंने कभी सपने में भी विश्वास नहीं किया था. अब तो करना ही पड़ेगा. शादी में तो आओगे ही. प्यार के रिश्ते से न सही, तो इस रिश्ते से ही आ जाना कि तुम्हारी सगी बहन मेरी भाभी है. अलका अब तुम्हारी नहीं रही. भूल जाना कि उस लड़की को तुम ने कभी प्यार किया था. मैंने तो पूरी कोशिश की कि जीवन के अन्तिम क्षण तक तुम्हारा साथ निभा सकूं. यह मेरा दुर्भाग्य था कि मेरा सोचा हुआ पूरा नहीं हो सका. तुम्हें भी दोष दूं तो किस तरह? सम्भवतः तुम्हारी भी कोई मजबूरी रही होगी. मेरे लिए दुःखी होकर अपना बर्बाद मत करना. कोई अच्छी-सी लड़की देख कर शादी कर लेना. बस, अलविदा.’

खून से पत्र लिखना शायद इसी को कहते हैं. पत्र पढ़कर मनीश कितनी बार रोया था, पता नहीं. उसे खुद पता नहीं. अलका एक खुशबू की तरह उस के जीवन में आई और उसी तरह चली गई. खुशबू को किसी बन्धन में नहीं बांधा जा सकता.

अलका की शादी में मनीश आया, तो ऐन शादी के दिन...... कितनी कोशिश की थी उस ने कि अलका से भेंट न हो सके, परंतु वह कब मानने वाली थी. मम्मी-पापा से कहकर उसे ऊपर बुलवा ही लिया. वह सहेलियों से घिरी बैठी थी- सादे कपड़ो में. अभी उसे सजाया-संवारा नहीं गया था. मनीश अपराधी-सा उस के सामने जा खड़ा हुआ था.

सहेलियों को बहार भेज कर अलका ने दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया था. वह भय से कांप उठा. क्या करेगी अलका बन्द कमरे में उस के साथ? वह अपनी निगाहें भी नहीं उठा पा रहा था.

वह मनीश के सीने से लीग कर बोली थी, ‘मैं नहीं पुछूंगी कि तुम ने मेरे पत्रों का जवाब क्यों नही दिया, मेरे साथ बेवफाई क्यों की? जो अलका कभी तुम्हारी सांसों में बसती थी, उस को क्यों भुला दिया? परन्तु मैं तो तुम्हारी तरह पत्थर नहीं हो सकती. नारी हूँ, जिस का आधार ही आंसू हैं. अन्तिम आरजू है तुम से...... आज आखिरी बार प्यार कर लो मुझे. तन न सही, मन तुम्हें सौंप कर जा रही हूँ. उस की हिफाजत करना.’

आंसू हर एक को कमजोर बना देते हैं. कठोर से कठोर व्यक्ति को भी. फिर मनीश भी तो अलका को प्यार करता था. दोनों एक-दूसरे से बिछुड़ रहे हों, तो कैसे नहीं हृदय में हलचल मचती.

कैसी खुशबू थी वह? दोनों सराबोर हो गए थे...... मदहोश पागलों की तरह. खुशबू से उबरने के बाद मनीश ने कहा था, ‘अब तो दरवाजा खोल दो. मेहमान क्या सोचेंगे?’

‘नहीं......’

‘फिर भी आज तुम्हारी शादी है. घर में मेहमानों की सरगर्मी है. कहीं तम्हें लेकर कोई हंगामा न खड़ा जाए. लोगों का क्या भरोसा? बाल की खाल निकालते है.’

वह कटुता से मुस्कराई, ‘तुम्हारी इन बातों को सुन कर ठठाकर हंसने का मन कर रहा है, परन्तु हंस नहीं सकती. शादी मेरी है. बदनामी मेरी होगी. तुम्हें क्यों डर लग रहा है?’

क्या जवाब देता वह अलका की बातों का? ...... चुप उस का आंसुओं से भीगा चेहरा ताकता रह गया था.

न जाने कितनी यादें है. मनीश चाहे भी तो क्या उन से उबर कर बाहर आ सकता है.

सिविल लाइंस की चैड़ी सड़कें. पैलेस सिनेमा के पास उस ने सिगरेट का पैकेट खरीदा था, ‘आप सिगरेट बहुत पीते है. क्या इसे छोड़ नहीं सकते’ ? तब अलका ने उस से कहा था.

‘छोड क्यों नहीं सकता.’

‘तो छोड़ दीजिए.’

‘परन्तु एक शर्त है......’

‘कैसी शर्त......?’

‘वायदा करो कि तुम मेरा साथ कभी नहीं छोड़ोगी.’

‘वायदा करती हूँ,’ मनीश का हाथ अपने हाथों में लेकर उस ने कहा था. कैसी चमक जाग उठी थी तब उस की काली-काली आंखों में.

ऐसे ही एक दिन उस के जीजा ने उसे धर पकड़ा था, ‘क्यों प्यारे साले साहब, मेरी बहन के साथ कौन-सा चक्कर चला रहे हो? बदला चुकाना चाहते हो क्या?’

‘नहीं तो......’ उस ने शरमा कर नजरें नीची कर ली थीं.

‘अरे वाह, मैं क्या समझता नहीं? मैंने भी प्यार किया है प्यारे!’ उन्होंने एक लम्बा ठहाका लगाया और मनीश की बहन की तरफ देखा जो गौर से उन की बातें सुन रही थी. पति की बात सुनकर मुस्कराने लगी, ‘यह अलग बात है कि तुम्हारी बहन प्यार के मामले में बड़ी कंजूस है. ठीक से कभी प्यार करने ही नहीं दिया मुझे.’

सुन कर सभी हॅंसने लगे थे.

‘मनीश, मेरी बात ध्यान देकर सुनो. अलका मेरी इकलौती बहन है. उस के सुख के लिए हम कोई कसर नहीं उठा रखेंगे. तुम अगर सचमुच उस से प्यार करते हो और इसे गम्भीरता से ले रहे हो, तो मैं पापा से बात करूं.’

‘मैं स्वीकार करता हूँ कि अलका और मैं एक-दूसरे को प्यार करते हैं, परन्तु जहां तक शादी का सवाल है, मैं अभी इस से दूर रहना चाहता हॅूं. पढ़ाई के बाद कोई अच्छी-सी नौकरी मिल जाए, तो फिर इस बारे में सोचूगा.’

‘बहत अच्छा, परन्तु सोच लो. मेरी बहन को बीच राह में छोड़ कर भगने की कोशिशा नहीं करना, वरना तुम्हारी बहन के साथ तलाक के कागजात मैं तैयार करके रखूगा.’ और एक लम्बा ठहाका......

अलका चली गई. उस की यादों के सहार क्या वह जी सकेगा? यह घर जहां उस का प्यार पनपा, परवान चढ़ा और खत्म हो गया. इस के कण-कण में अलका की यादें बसी हुई है, प्यार तड़प रहा है. उस से ही वायदे नहीं निभाए गए. अलका का इस में क्या दोष?

दूसरी सुबह वह कुछ देर से उठा था. सिर भारी लग रहा था. गाउन पहने ही वह बाहर निकला. बाहर कोई नहीं था. सभी अपने-अपने कमरे में बन्द थे. वह चुपचाप लौट आया और फिर पलंग पर लेट गया.

थोड़ी देर बाद उस की बहन ने कमरे में प्रवेश किया. उसे लेटा देख कर बोली, ‘अरे, अभी तक तुम लेटे हुए हो? तैयार नहीं हुए? चलो, तैयार होकर नाश्ता कर लो.’

वह उठ कर बैठ गया. धीमे लहजे में बोला, ‘दीदी, मैं लखनऊ जाना चाहता हॅूं.

‘क्यों, तुम्हारा परीक्षाफल निकलने वाला है? अब लखनऊ जाकर क्या करोगे? कम्पीटीशन की तैयारी नहीं करनी है?’

अब कौन-सा परीक्षाफल निकलने वालो है...... सोचते हुए उस ने एक गहरी सांस ली. जीवन का सब से बड़ा परीक्षफल तो निकल गया है. उस में ही वह फेल हो गया है. अब कौन-सी परीक्षा में पास होने की उम्मीद करे वह?

‘वही रह कर तैयारी करूंगा. यहां जी नहीं लगता.’

बहन उस का दर्द समझती थी. बोली, ‘ठीक है जैसा तुम उचित समझो. लेकिन एक बात याद रखना- प्यार में हारने के बाद आदमी और दृढ़ हो जाता है, कमजोर नहीं होता. मंजिले और भी हैं. जीवन बहुत लम्बा है. अभी तो न जाने कितनी बार तुम्हें हार का सामना करना पड़ेगा. अभी से निराश हो जाओगे तो कैसे काम चलेगा. मैं उपदेश नहीं देती, तुम खुद समझदार हो. सोच-समझ लो, भविष्य बनाने के लिए इलाहाबाद में जितनी सुविधाएं हैं, लखनऊ में शायद उतनी न मिल सकें. फिर जैसा तुम चाहो.’

सब दिलासा देने की बाते हैं. ‘यहां रह कर वह क्या कभी अलका को भूल पाएगा? कभी न कभी उस से भेंट होगी ही. यादें फिर ताजा होंगी. कौन उसके घावों में मरहम लगाएगा तब? क्या अलका...... वह मन ही मन हंसा. उस से क्या अब ऐसी उम्मीद की जा सकती है?

‘‘जीवन में जीतने के लिए ही मैं यहां से जा रहा हॅंू दीदी. समय के साथ मैं सब कुछ भूलकर फिर लड़ाई शुरू करूंगा. लेकिन यहां रहकर मैं अलका की यादों से कभी उबर नहीं पाऊंगा और मैं प्रतिक्षण कमजोर होता जाऊंगा. मैं कमजोर होना नहीं चाहताद्व लड़ना चाहता हूँ, ताकि मैं दुनिया को दिखा सकूं कि प्यार में हारने के बाद मैं कमजोर नहीं हुआ.’’

‘‘तो फिर मुंह लटकाकर क्यों बैठे हो? चलो, हंसो.’’ बहन ने उसकी ठुड्डी पकड़कर ऊपर उठाई.

‘‘इतनी जल्दी कैसे हंस सकता हूँ दीदी? अभी-अभी तो जख्म हुआ है. थोड़ा समय लगेगा इसे पूरने में,” उस की आवाज जैसे बहुत दूर से आ रही थी. वह उठकर खड़ा हो गया, ‘‘तुम चलो, मैं तैयार होकर आता हूँ.’’ और वह बाथरूम की तरफ बढ़ा.

बहन ने उसका रास्ता रोक लिया. ‘‘नहीं, तुम एक बार मुस्करा दो, तब में जाऊंगी. देखूंगी, मेरा भाई हारकर भी किस तरह मुस्कराता है.’’

‘‘तुम तो दीदी बस,’’ उसके अधरों पर हल्की मुस्कान तैर गई. जबरदस्ती की लाई गई मुस्कान थी. एक दर्द झलक रहा था उसमें.

‘‘हां अब मुझे विश्वास हो गया कि मेरा भाई सचमुच साहसी है. दुनिया मी हर मुसीबत झेलने की उसमें ताकत है.’’

‘‘अच्छा, अब जाती हो कि नहीं! मुझे बाथरूम जाना है,’’ उसने बनावटी गुस्से से कहा. बहन हंसती हुई रास्ता छोड़कर हट गई. उसने बाथरूम में घुसकर इतने जोर से दरवाजा बन्द किया जैसे अलका की यादों को जबरदस्ती पीछे धकेलकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा हो.

--

(राकेश भ्रमर)

ई 15, प्रगति विहार हास्टल,

लोधी रोड, नई दिल्ली-110003

मोबाइल- 9968020930

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: राकेश भ्रमर की कहानी - मंजिलें और भी हैं
राकेश भ्रमर की कहानी - मंजिलें और भी हैं
http://lh6.ggpht.com/-trwJHFrr7W4/UV6FkZKm2XI/AAAAAAAAUgQ/HH38gbj_TJ8/clip_image002%25255B4%25255D.jpg?imgmax=800
http://lh6.ggpht.com/-trwJHFrr7W4/UV6FkZKm2XI/AAAAAAAAUgQ/HH38gbj_TJ8/s72-c/clip_image002%25255B4%25255D.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/04/blog-post_6702.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/04/blog-post_6702.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content