पद्मा मिश्रा की कहानी - मैं डायन हूँ

SHARE:

मैं डायन हूँ --पद्मा मिश्रा .. आग की लपटें और ऊंची होती जा रही थीं ..रात काभयानक सन्नाटा उसकी चीखों से दहल उठा था ..-''मैं डायन हूँ...

मैं डायन हूँ --पद्मा मिश्रा
.. आग की लपटें और ऊंची होती जा रही थीं ..रात काभयानक सन्नाटा उसकी चीखों से दहल उठा था ..-''मैं डायन हूँ ..आह !...मत छुओ मुझे ..आमि डायन ...माँ गो !..आआआह ..मैं डायन हूँ ''...धू धू कर जलती पर्बत्ति को
बचाने कोई नहीं आया -भीड़ के बीच क्रोध और आवेश की आवाजें तो थीं ..पर उस जलती हुई नारी देह की पीड़ा और चीखों से कोई नहीं विचलित हुआ .पडोसीमूक दर्शक बने तमाशा देख रहे थे ,अचानक 'धडाम'की आवाज आई और बुरी तरह झुलसी पार्बत्ती नीचे गिर गई .कुछ उत्साही नव युवकों ने उसे टेम्पो में डाल अस्पताल पहुँचाया ,....इधर भीड़ के मनोविज्ञान ने क नई करवट लीअपनी पत्नी को बचा रहे उसके पति राधे पर पत्थरों की बौछार शुरू कर दी ..सबके सब जैसे राक्षस हो गए थे ..वह बेचारा युवक खुद को बचाने के लिए कभी इधर भागता तो कभी उधर उसका सिर फट गया और वह लहू लुहान होता रहा था ...किसी ने पुलिस को खबर कर दी थी -पुलिस को देखते ही भीड़ गायब हो गई ,.सिसकता हुआ राधे घायल अवस्था में ही अस्पताल की ओर दौड़ा .....


..बुरी तरह जली पार्बत्ती नहीं बच पाई .राधे की सिसकती चीखें पुरे अस्पताल परिसर में गूंज रही थीं --''परबतिया रे !...अब किसके सहारे जियूँगा मै ...क्योंमुझे अकेला कर गई ?''....उसकी रिश्तेदार महिलाएं विलाप कर उठीं आखिर क्या दोष था पार्बत्ति का ?..क्या वह जननी नहीं बन पाई इसलिए -वह डायन थी ?...वह अपनी अतृप्त ममता पड़ोस के बच्चों पर लुटाती रही--इस लिए डायन थी ?   .....कौन जानता था ? कौन समझ रहा था उसका दर्द -उसकी पीड़ा .....यही पार्बत्ती सबकी खुशियों में शरीक होती ...छठी -बरही में झूम झूम कर सोहर गाती -बजती थिरकती रहती और उसका सौन्दर्य दिप दिपकरता रहता था ,...लेकिन विवाह के दस वर्ष बीत जाने के बाद भी भगवान ने उसकी झोली में कोई सन्तान नहीं डाली थी --इंतजार और कितना ?...उम्मीदों की सांसें भी टूट रही थीं ..ममता की अनबुझी -अतृप्त प्यास ..तरस रही थी किसी के मासूम ..कोमल अहसास को गले लगाने के लिए ---''हे इश्वर !..एक बार मेरी सुन ले ...हे छठी मईया !...एक बार --जोड़ा नारियल चढ़ाउंगी  ''विनती करते करते न जाने कितनी रातें बीतती चली गईं ...दिन पहाड़ से गुजरते ........

एक छोटी सी कंपनी में मजदूरी करते राधे की दिलासा देती -स्नेह भरी उम्मीद भी उसकी आशाओं को साहस नहीं दे पा रही थीं --क्या करती पर्बत्ती ?..कौन सी मन्नत नहीं मांगी ..किसकी देहरी पर जाकर नाक नहीं रगडी -मत्था नहीं टेका ?किस देवता को नहीं पूजा ?...डाक्टर को भी दिखाया --सब तो ठीक ही था ..कमी कहाँ थी ?..एक उम्मीद के सहारे वह जो भी जप तप --पूजा विधान लोग बताते -करती रहती ---जाड़े की ठंडी काली रात में -पीला सिंदूर ..नीबू ..लाल कपड़ा किसी चौक चौराहे पर सात बार परिक्रमा कर रख देती --और उलटे पांवों लौट आती ..'रात के अंधेरों में जाग जाग कर सुबकती -बद्बदाती पार्बत्तीकी फुसफुसाती आवाज लोगों को डायन सिद्ध करने का टोटका प्रतीत होती थी ,
पर इन धार्मिक कृत्यों ने लोगों की भावनाओं को एक नया आधार दे दिया कि --''वह कोई डायन सिद्ध कर रही है ...तंत्र मन्त्र का सहारा ले डायन को वश में करने का जोग कर रही है ...देवी मईया से मनौती मांगती पार्बत्ती -भुइंया लोट करती ..धुल धूसरित ..मन्दिर तक पहुँचती तो लोग डर कर दूर हट जाते --न जाने यह डायन क्या कर बैठे ....

पर पार्बत्ति तो न जाने किस दुनिया में मगन रहती ,--किसी बच्चे की तोतली पुकार उसकी आत्मा की गहराईयों को छू लेती --उसकी बाहें मचल उठतीं उसे कलेजे से लगाने के लिए .वह दौड़ कर जब किसी बच्चे को गोद में उठाती ..तुरंत उसके परिजन उसे छीन लेते --''नहीं ..मत छुओ ..तू डायन है ..खा जाएगी उसे ..''.सुन सुन कर पार्बत्ति हजार मौतें मर जाती ..--''मैं डायन नहीं हूँ ..मैं तो माँ बनना चाहती हूँ ,,मेरी ममता मरी नहीं है '..मैं .और डायन ?.....रोटी बिलखती पार्बत्ति राधे की बाँहों में बेसुध हो जाती पर समाज की न बदलना था न .. बदला ',आखिर उसका दोष क्या था ..जब वह लोगों के तानों का विरोध करती -तब भी लोग यह कहते --''जब वह डायन नहीं है तब चिढती कयों है ..उसे गुस्सा क्यों आता है ? ..और जब अपनी पीड़ा .अपने दर्द भरे आंसुओं को छिपाए चुप रह जाती है तब
लोगों की गंदी सोच को बढ़ावा मिल जाता कि जरुर यह डायन है ..तभी तो चुप है ....बस्ती में घटती हर अनहोनी --हादसों का जिम्मेदार उसे ही मान लिया जाता --जरुर यह उस डायन की ही करतूत है .


उसके घर के सामने छोटे छोटे बच्चे खेलते थे ..कभी गेंद ..कभी चोर पुलिस ..वह बड़े आनंद और मनोयोग से उन्हें देखा कराती थी ..''क्या कभी मेरा बच्चा भी ऐसे ही खेलेगा ?..''सोचते सोचते सपनो में गुम हो जाती-पार्बत्ति देखती कि ---'' उसका बेटा खेलते खेलते गिर पड़ा,.वह तुरंत दौड़ कर उसे दवा लगा रही है उसके आंसू पोंछ गले लगाती ...कभी नये नये कपड़े पहना स्कूल
भेजती पारबत्ती -उसे प्यार से निहारती ..''...अचानक एक गेंद आकर उसके माथे से टकराई और आंगन में चली गई --वह चौंक कर अपने सपनो से बाहर आ गई ..और दौड़ कर गेंद उठा लाई,-सामने एक चार वर्षीय बच्चा खड़ा था ..मासूम ..नन्हा सा ..अपनी काली काली आँखों से पारबत्ती को देखता हुआ बोल -उठा -''अंटी ..बाल दो ना ''... बस पारबत्ती तो निहाल हो उठी ..तुरंत उसे गोद में उठा कर चूमती हुई पागलों की तरह उसे प्यार करने लगी गेंद लौटा कर पूछा --''हलवा खायेगा ?''...बच्चे के 'हाँ' कहते ही तुरंत कटोरी में हलवा लाकर खिला ही रही थी कि माँ ने देख लिया और वहीँ से चिल्लाई --''कुछ अक्ल नहीं है क्या पारबत्ती ?..तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे बेटे को छूने की ?..छोड़ उसे --डायन कहीं की --मार ही डालेगी ''............

वह बच्चा झट उसकी गोद से उतर कर ताबड़तोड़ दौड़ा और ठोकर खाकर गिर पड़ा -सिर में चोट लगी और खून तेजी से बहने लगा --कमजोरी से वह बेहोश हो गया --चोट की वजह से रात में बुखार आ गया -डाक्टर को भी दिखाना पड़ा ---बस फिर क्या था !..उसके डायन होने उस उस घोषित फैसले को जैसे मंजूरी मिल गई और उसकी माँ ने चीख चीख कर सारी बस्ती को सिर पर उठा लिया ---''मै न कहती थी कि यह डायन है ..इसने जाने क्या खिलाया मेरे बच्चे को --वह बीमार हो गया ..अब पता नहीं क्या होगा ?..यह पापिन है ..कलंकिन है तभी तो कोई बच्चा नहीं हुआ आज तक ...''


चीखने -चिल्लाने की आवाजें सुन कर उस अल्पशिक्षित समाज के बड़े बुजुर्ग और वृद्ध महिलाएं -जो कल तक उससे सहानुभूति रखती थीं --आज खुसुर पुसुर करती उसे शक की नजरों से देख रही थीं --कोस रहे थे ---''यह ठीक ही कहती है ...अभी अभी तो बच्चा अच्छा भला खेल रहा था ..पार्बत्ती का दिया हलवा खाकर ही उसे क्या हो गया की वह बेहोश हो गया ---इसे इंसानों के बीच रहने का हक ही नहीं है ..इसे समाज से निकालो ..मारो ...पूरी भीड़ देखते देखते उसके खिलाफ हो गई थी --''मारो --निकालो की आवाजें तेज होती गईं और उसके घर पर पत्थरों की मार पड़ने लगी ---

पार्बत्ती चुपचाप पलंग पर लेटी रोती रही --किस्से कहे अपनी पीड़ा ,अपना दुःख किस्से बांटे ?,,कैसे समझाए उन्हें --हाँ ,मै डायन हूँ ,ताकि तुम्हारी गंदी सोच का अंत हो सके ,मै डायन हूँ समाज से ,कुविचारों ढोंग को निकाल फेंकने के लिए ..मुझे माँ बनने दो बस्ती का हर बच्चा मुझे प्यारा है ..पर वह हार गई ..हताशा और निराशा ने उसे विक्षिप्त बना दिया - 'अपनी ममता ..अपनी बेबसी ...मन की पीड़ाअपनी ममता का यूँ कुचला जाना वह सहन नहीं कर सकी --उसकी सोच ने नया मोड़ ले लिया --''शायद लोग सच कहते हैं ...मै सचमुच डायन हूँ ...तभी तो मेरी गोद नहीं भरी आज तक ..वह विक्षिप्तों --पागलों की तरह बद्बदाती हुई उठी और केरोसिन का पूरा टिन अपने उपर ऊंडेल --आग लगा ली .....आजमृत्यु की गोद में विश्राम करती पारबत्ती की ममता लहुलुहान हो गई थी --और हवा में उसकी चीखें गूंज रही थी ....''मै डायन हूँ ...हाँ ..मै डायन हूँ ''.............

---


आत्मकथ्य ---यह कहानी अविकसित सोच वाले समाज की उस घृणित मानसिकता का वह नंगा सच है -जो हमे हमारा चेहरा दिखाता है ..कि हम कौन सी दुनिया में रह रहे हैं ?--स्त्री की विवशता --जब ममता व् वात्सल्य की तलाश करती ''डायन  ''बता कर प्रताड़ित की जाती है --तो पीढ़ियों तक उनका कलंक नहीं धुलता ...''----पद्मा मिश्रा

COMMENTS

BLOGGER: 1
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: पद्मा मिश्रा की कहानी - मैं डायन हूँ
पद्मा मिश्रा की कहानी - मैं डायन हूँ
http://lh6.ggpht.com/-fd-yaOAswc8/UaCSFB9BSTI/AAAAAAAAU3M/tZHNz8K9q9c/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh6.ggpht.com/-fd-yaOAswc8/UaCSFB9BSTI/AAAAAAAAU3M/tZHNz8K9q9c/s72-c/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/06/blog-post_1088.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/06/blog-post_1088.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content