एस. के. पाण्डेय का व्यंग्य : किस, मिस-कॉल और हाल

SHARE:

किस, मिस-कॉल और हाल उन दिनों की बात है जब मेरे पास मोबाइल नहीं था। नाते-रिश्तेदार, परिचित वा घर वाले कहते थे कि जिसे देखो वही मोबाइल लेकर च...

किस, मिस-कॉल और हाल

उन दिनों की बात है जब मेरे पास मोबाइल नहीं था। नाते-रिश्तेदार, परिचित वा घर वाले कहते थे कि जिसे देखो वही मोबाइल लेकर चलता है। आज भोजन से भी जरूरी हो गया है मोबाइल। जो लोग नया-नया खरीदते हैं। वे गले में उसकी माला पहनते हैं। तथा कपड़े के ऊपर करके चलते हैं। ताकि लोग देख सकें कि इनके पास भी मोबाइल है। आप भी खरीदें जिससे जब इच्छा हो हाल-चाल तो मिल जाया करे।

लोगों की यह बात सुनकर मैं जहाँ पीसीओ से हफ्ते में एक बार फोन करता था। दो बार करने लगा। सोचा लोग तो हमारे हाल-चाल के लिए इतना परेशान रहते हैं। और एक मैं हूँ कि कोई ध्यान नहीं देता। इसके बाद मोबाइल खरीदना बहुत जरूरी हो गया। जब मोबाइल खरीद लिया तो अक्सर हर दूसरे दिन फोन करने लगा। इसका बजट पर भी काफी असर पड़ा और कान में भी दर्द रहने लगा। इससे एक रहस्योद्घाटन हुआ।

मैं एक बात को लेकर काफी परेशान रहने लगा। जब किसी दूसरे के मोबाइल की बेल बजते सुनता तो मुझे अपने मोबाइल के बारे में अनेकों गलतफहमीं हो जाया करती थी। जैसे कहीं सिग्नल वीक तो नहीं हो जाया करता। कुछ खराब तो नहीं हो गया। लेकिन जब मैं चाहूं तब किसी भी नम्बर पर कॉल कर सकता था। लेकिन भ्रम नहीं मिटता था। अक्सर यह सोचता कि जो लोग पहले इतना हाल-चाल के लिए परेशान रहते थे। अब मोबाइल हो जाने पर कभी न कभी तो फोन करना ही चाहते होंगे। शायद इनकमिंग कॉल में ही कोई समस्या रहती है।

मैं लोगों के पास फोन करता तो था। लेकिन संकोच वश पूंछ नहीं पाता था कि क्या आपने कभी मेरा नम्बर ट्राई किया था ? पूंछ भी लेता तो शायद जबाब मिलता कि ट्राई तो किया था। लेकिन लगा नहीं। तब तो मेरी शंका और भी बढ़ जाती कि जब भी कोई ट्राई करना चाहता है तो सिग्नल वीक हो जाया करता है। अथवा कुछ ना कुछ खराबी जरूर है। यदि कोई सीधा सा जबाब ही दे देता कि आखिर मैं क्यों ट्राई करने लगा आपका नम्बर तो भी क्या करता ? इससे सबसे बेहतर यही था कि कुछ भी ना पूछा जाय।

संकोच के कारण किसी को बता भी नहीं पाता था कि भाई मेरा फोन रिंग नहीं करता। आखिर इसका कारण क्या है ? कोई उपाय बताइए। किसी से कहता भी तो कैसे ? सवाल स्टेट्स का जो था। लोग क्या सोचते कि लोगों का फोन तो मिनट-मिनट पर रिंग करता हैं ? खाना, चलना-फिरना, सोना तक मुश्किल रहता है। खासकर युवकों -युवतियों का।

लोग ऑफिस में रहें तो काम करें कि बात करें। कॉलेज में ४५ मिनट के पीरियड में पाँच मिनट लेट करके आये । कुछ देर पोजीसन बनाने में तथा दो बार फोन आ जाये तो शेष पाँच-दस मिनट निकालने में कोई खास दिक्कत नहीं रह जाती। सड़कों पर कार-बाइक चलायें। या गाल। आये दिन लोग इसी चक्कर में किसी न किसी को ठोंक देते हैं। तथा गर्व का अनुभव करते हैं कि बढ़ती जनसंख्याँ को कुछ ही कम करके देश सेवा किया हैं। और एक ये हैं कि इनका मोबाइल रिंग ही नहीं करता। या तो इनसे कांटेक्ट करने वाला कोई नहीं है। या फिर कोई इनसे कांटेक्ट करना ही नहीं चाहता। आखिर कोई कांटेक्ट करना भी चाहे तो क्यों ?

गणित, विज्ञान, दर्शन, अध्यात्म कविता और व्यंग्य आदि के रंग तो कुछ ना कुछ समझ में आ ही गये। लेकिन बतरंग नहीं समझ सके। लच्छेदार बात करना भी तो एक कला है। हंसी-ठिठोली, मंसखरी और इसके थोड़ा आगे बढ़े तो हास्य रस या इसके नये आयाम में महारथ तो दूर जब 'क ख ग' भी नहीं सीख सका तो यह सब तो सहना ही पड़ेगा।

हास्य रसिकों को तो लोग घेरे रहते हैं। खासकर लड़कियां। और उनसे बात करके अपने को गौरवान्वित समझती हैं। कुछ लड़कियों ने तो नम्बर नोट भी किया था। तथा पहला कॉल भी आया। लेकिन वही अंतिम भी था। क्योंकि बतरस से शून्य बात का क्या अर्थ ? एक बार एक लड़की ने पहली बार फोन किया। उसे तुरंत सब समझ में आ गया। फोन तुरंत कट तो नहीं किया। लेकिन जुगुत ढूढ़ने लगी। बोली क्या करने जा रहे थे ? मैंने बताया आराम कर रहा हूँ। इसके बाद खाना खाऊँगा। बोली बहुत ठीक है। आप खाना खा लीजिये। अभी फोन करती हूँ। जल्दी-जल्दी खाना खाया कि बीच में ही फोन ना आ जाये। इंतजार करते रह गये। लेकिन फोन ना आना था और ना ही आया। इतना ही नहीं कुछ लोग फोन उठाने में भी कन्नी काट जाते हैं। जिसमें लड़कियों का स्थान ऊपर है। बशर्ते भनक लग जाये कि किसका फोन होगा ? रूखी-सूखी बात से चुप रहना बेहतर है।

मैं अक्सर सोचता कि कुछ भी हो माना हास्य रसिक नहीं हूँ। तब भी हाल-चाल के लिए तो फोन मिलाना ही चाहिये। लोग मिलाते होंगे। फोन लगता नहीं। जरूर कुछ ना कुछ खराबी हो गाई है। ऐसा सोचकर कभी-कभी बहुत परेशान हुआ। सच्चाई कडुई होती ही है। जल्दी यकीन नहीं पड़ता। एक बार जब दिन, हफ्ता , पाख वा महीना भी इंतजार में बीत गया । लेकिन मेरा मोबाइल रिंग नहीं किया । तब आख़िरकार एक युक्ति सूझी। मैं अपना फोन कमरे में रखकर एक पीसीओ बूथ पर गया। और अपना ही नम्बर ट्राई करने लगा। नम्बर लग गया। रिंग सुनाई दे रही थी। मुझे ख़ुशी भी हुयी और दुःख भी। ख़ुशी इस बात की कि फोन खराब नहीं है। दुःख इस बात का कि सचमुच कोई मेरा नम्बर ट्राई नहीं करता। मैं केबिन से निकला। बूथ वाले से बोले कि उठ नहीं रहा है। कमरे पर आये तो देखा मिस कॉल लिखा था । आज सोच कर गया था कि किसी न किसी मैकेनिक को दिखा दूंगा। लेकिन फोन खराब होने की शंका निर्मूल हो गयी।

किसी ने सच ही कहा है कि 'दीवालों' के भी कान होते हैं। मै समझ रहा था कि मैं बता नहीं रहा हूँ तो फोन रिंग ना करने का राज किसी को पता नहीं है। लेकिन एक दिन मेरे आश्चर्य कि सीमा ना रही जब एक सज्जन कहने लगे कि पाण्डेय जी पार्टी दीजिये। मैंने पूछा आखिर किस ख़ुशी में ? वे बोले आज पहली बार आपके मोबाइल की बेल सुनायी पड़ी है। दरअसल उस दिन मोबाइल कम्पनी का विज्ञापन कॉल आया था। काफी दिन तक ना विज्ञापन कॉल और न ही कोई मैसेज आता था। अभी हाल ही में कम्पनी ने यह सिलसिला शुरू किया था। मैंने तुरंत ना ही कॉल कट किया और ना ही रिसीव किया। शायद मेरे मन में कहीं ना कहीं था कि लोग सुन लें कि मेरा मोबाइल भी रिंग करता है।

थोड़ी देर में कुछ और लोग जुट गाए। सभी हँस रहे थे। खैर स्टेट्स की बात थी। मैंने कुछ इस ढंग से समझाया कि वे लोग ही झेंप गये। मैंने कहा दरअसल मुझे यह पसंद नहीं है कि दिन में कोई मुझे काम के वक्त कॉल करे। मैंने सभी को मना कर रखा है कि बहुत अर्जेंट हो जैसा कि आज का कॉल, तभी दिन में फोन करना। नहीं तो हाल-चाल के लिए तो सारी रात खाली रहती है। रात में नींद खराब हो जाय, यह तो मुझे पसंद है। लेकिन मुझे यह कतई पसंद नहीं है कि बार-बार फोन आये जिससे मेरे साथ-साथ और लोग डिस्टर्ब हों। मेरा मानना है कि घर में बात करो और ऑफिस में सिर्फ काम करो।

इधर लोगों के मिस कॉल की संख्या बढ़ने लगी। लेकिन इनकी फुर्ती का जबाब नहीं। फोन देखो तो मिसकाल लिखा मिले और रिंग सुनाई ही न पड़े। फोन मिलाने की गजब की स्टाइल लगा नहीं की कट। अपने पल्ले यह भी नहीं पड़ता। एकाध बार हमारे भी मन में इच्छा हुई कि चलो हम भी मिसकाल करके देखते हैं। जवाब आता है कि नहीं। लेकिन जैसे उधर लोग तैयार बैठे हों तुरंत रिसीव कर लिए। तब से हमने कहीं मिसकाल नहीं किया। सोचा कि नाहक में टेंसन लेने से क्या फायदा ? जैसा सोचो वैसा अगर न हो तो टेंसन तो होती ही है।

मैंने कभी किसी को निराश नहीं किया। कॉल करना भले ही कम कर दिये हों। लेकिन मिस कॉल का जबाब तुरंत कॉल से ही देता हूँ। लेकिन यह कहता हूँ कि अभी आपका मिस कॉल आया था। कई लोग जो बेशर्म होते हैं वे कह देते हैं कि मैंने कॉल किया था। उठा नहीं शायद आप कहीं व्यस्त थे। ऐसे लोगों को लगता है शायद फोन पास में न रहा हो तो जान थोड़े पाएँगे कि कॉल थी कि मिसकाल। कोई बुजुर्ग हो तो सुन लेते हैं नहीं तो कह देते हैं कि फोन तो हाथ में ही था। लेकिन बेशर्म तो बेशर्म वे सुन लेते हैं और अगली बार भी यही कहते हैं।

कई लोग जो कम बेशर्म होते हैं वे कह देते हैं कि हाल-चाल के लिए किया था। मैं चाह कर भी पूंछ नहीं पाता कि क्या मिस कॉल से ही हाल मिल सकता है ? कॉल करोगे तब क्या हाल नहीं बताऊंगा ? दरअसल लोग एसटीडी से डरते हैं। कोई -कोई कहता है कि बैलेंस नहीं है। पता नहीं जब तक बैलेंस रहता है तब हाल जानने की जिज्ञासा क्यों नहीं होती ?

वास्तव में मेरे परिचित लोग शर्मा जी जैसे हैं। जब इन्होंने फोन लिया। तुरंत लाइफ टाइम करा दिया। पत्नी से बोले हर छठे महीना पचास रुपया लगेगा। याद रखना यह मोबाइल मैंने कॉल रिसीव करने के लिए लिया है। या कभी-कभार मिस कॉल करने के लिए। कॉल करने के लिए नहीं। लेकिन जैसे शर्मा जी घर से बाहर कदम रखते। पत्नी को अपने मायके का ख्याल आता। अपने बहनों का वा जीजा लोगों का। शर्मा जी कहते कि कोई फोन मिला दे तो बाकायदा हाल चाल पूछो। हर एक सदस्य का। गाँव घर का। लेकिन मिस कॉल का यहाँ कोई जवाब नहीं है। कॉल तो सपने में ही हो सकता है।

एक दिन उनकी पत्नी को अपने बहन की याद आई। शर्मा जी बाहर हुए नहीं कि कॉल कर दिया। वे तुरंत वापस आ गये। छोटे लड़के से पता चला कि मम्मी ने ही कॉल किया है। बोले घर से कदम बाहर नहीं निकाला कि तुम्हें बहन-बहनोई याद आने लगे। कट करो। इतने में पत्नी की आवाज आई कि जीजा कैसे हैं ? शर्मा जी बोले अरे एक बात और बढ़ा दिया। मैं कहता हूँ रखो। किसी ने कहा आप जरा धीरे बोलिए। आपकी आवाज वहाँ जाती होंगी। शर्मा जी बोले यहाँ पैसा जाता है और तुम्हें आवाज की पड़ी है। मुझे तो लग रहा है फोन छीनना पड़ेगा।

पत्नी ने सोचा बात बिगड़ने वाली है तो कट कर दिया। बोली आपको पूंछ रही थीं। मैं तो बुलाने वाली थी। लेकिन आप नाराज हो रहे थे सो डर गयी। बोले बुलाओगी क्यों नहीं ? मैं कहे देता हूँ कि कोई मुझे पूछे तो साफ कह दिया करो कि शर्मा जी घर पर नहीं हैं। लड़का बोला अगर फोन कहीं से आये तो भी। शर्मा जी थोड़ा नरम पड़े। बोले तब तो बात कर सकता हूँ। उनको नरम पड़ते देख पत्नी ने समझाना शुरू किया कि महीने दो महीने में तो कहीं-कहीं कॉल कर लेने दिया करो। बोले ठीक है तुम तो मेरा जी खा जाओगी। तुम्हारी अकल पर पत्थर जो पड़ा है। आगे बोले एक दो महीने में नहीं तीन-चार महीने में एक बार। जहाँ बहुत जरूरी समझो मिला लिया करो। वो भी दो मिनट से ज्यादा नहीं। ख्याल रहे पचास रूपये में छ महीने निकालना है। लड़का बोला लेकिन पापा तुरंत रखें कैसे ? बात पूरी भी ना होने पाए। बोले तूँ भी इनपर ही गया है। अकल नहीं आएगी। फोन मिलाओ तो जैसे एक मिनट पूरा होने वाला हो बोल दो सिग्नल बहुत वीक है। अभी कट जायेगा। उसके बाद जब दूसरा मिनट पूरा होने वाला हो तो जोर-जोर से हेलो-हेलो करो। साथ में बोलो आवाज नहीं आ रही है। हेलो-हेलो ! और इसके बाद फोन कट कर दो।

शर्माजी अपने लड़के को एक और ट्रिक बताते हैं कि यदि पास से, जैसे एक दो किलोमीटर मतलब जहाँ आसानी से पैदल पहुँचा जा सके, मिसकाल आये तो सीधे मिसकाल करने वाले के घर पहुँच जाया करो। बोलो भाई क्या बात है ? आपका मिसकाल आया था। सोचा चलो हाल-चाल ले आते हैं। घर पे जाओगे तो कम से कम चाय-पानी तो पिलाना ही पड़ेगा और उसके बाद कभी भूलकर भी वह मिसकाल नहीं करेगा।

करने वाले फोन पर क्या-क्या नहीं करते ? मतलब बहुत कुछ करते हैं। डांस भी ओ भी डिस्को। किस करते हैं। मिस करते हैं। जिससे किसमिस बन जाता है। और बात की मिठास बहुत बढ़ जाती है। इसी से तो लोग पूरी-पूरी रात बात करते रहते हैं। लेकिन जो अज्ञानता वश समझ नहीं पाते। खासकर माता-पिता या बुजुर्ग। वे सोचते हैं कि आखिर रात-दिन क्या बात करते हैं कि पेट नहीं भरता ? नींद नहीं आती। आँखों-आँखों में रात गुजर जाती है। दिन में तारे दिखते हैं। जगह खोजते रहते हैं । कहाँ जाएँ और बात करें। मेरा छोटा भाई कोई सुरक्षित जगह नहीं पाता तो गाँव में गन्ने के खेत में घुस जाता है और घंटों बात करके पसीने से लथपथ निकलता है।

बात करने वाले लड़के-लड़कियों का सिरदर्द नहीं करता। सारा साइड इफेक्ट माता-पिता और बुजुर्गों पर पड़ता हैं। बतियाते ये हैं और सिरदर्द करता है इनका। रसपूर्ण मेसेजों का आदान प्रदान भी होता है। लेकिन अपने पल्ले कुछ नहीं पड़ता। इसकी भी शिकायत मिलती है।

अभी तो खैर कुछ गनीमत है । असली मजा कुछ दिन बाद आएगा । लोग नंगे होकर मोबाइल पर डिस्को करेंगे । किस-मिस को नया आयाम मिलेगा। अभी सिर्फ खुलकर बतियाते हैं। तब खोलकर बतियाएंगे। खुद देखेंगे और दिखायेंगे।

एक दिन सोते समय मेरे मोबाइल की रिंग बजी। अचानक अर्ध निद्रा में ही कॉल रिसीव कर लिया। शायद कॉल करने वाले मिस कॉल के चक्कर में थे। लेकिन मौका चूक गये। मिस कॉल के बदले कॉल वाली फेसिलिटी का सदुपयोग करना चाहते थे। कुछ लोग तो चाहे शर्म वश ही सही लेकिन अब कॉल की कौन कहे मिस कॉल से भी तौबा कर लिए हैं। लेकिन ये तो आज फंस गये। दो मिनट भी पूरा नहीं हुआ बोले रखता हूँ। मैंने पूछा आखिर क्यों ? कुछ और बात करिये। उनहोंने सच्चाई बताई कि फोन मैंने ही मिलाया है। सच में मैंने अर्ध निद्रा में रिसीव किया था, मुझे पता नहीं था। मैंने कहा नहीं मैंने ही मिलाया है। वे भी चक्कर में पड़ गये। कभी मिलाते तो थे नहीं। दरअसल उन्हें मिलाने का अभ्यास नहीं था । इतने में तीसरा मिनट पूरा होते-होते बोले। नहीं मैंने ही मिलाया है और फोन कट कर दिया। कॉल कट होने के बाद मैंने देखा। सच में उन्होंने ही मिलाया था। अपनी सफाई देना चाहा। उनके यहाँ शेर-शायरी का बहुत चलन है। कभी-कभार एकाध मेसेज भी आ ही जाते हैं । उनका भाई और उसके दोस्त भी शायर हैं। बहनों का क्या कहना ? एक से एक दोहे, शेर, शायरी से परिपूर्ण हैं। वे लोग शेर-शायरी की भाषा ज्यादा आसानी से समझते हैं। कविता का उनपर कोई खास असर नहीं पड़ता। गद्य तो बहुत ही कम समझते हैं। मैंने सोचा ' खग समझे खग ही की भाषा '। सो भले ही शेर-शायरी पर अपना पकड़ नहीं है। लेकिन एक शेर बनाकर मेसेज कर दूंगा। भाव तो समझ ही जायेंगे। शायद उनका भ्रम दूर हो जाय कि मैंने झूठ नहीं बोला था। आशा भी है कि वे समझ गये होंगे। वह शायरी यही थी-

फोन मैंने ही मिलाया कहा लेकिन तुमने ही मिलाया था।

फोन मिलाने की ही आदत जो बन गयी है अपनी,

सो समझा नहीं क्योंकि अर्ध निद्रा में उठाया था।।

---------

डॉ. एस. के. पाण्डेय,

समशापुर (उ.प्र.)।
ब्लॉग: श्रीराम प्रभु कृपा: मानो या न मानो

URL1: http://sites.google.com/site/skpvinyavali/

*********

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. akhileshchandra srivastava11:58 am

    Pandye ji ne mobile ke bare me rochak jankari di vastav me bahut log mobile to le lete hain par is chakkar me rahten hain ki paise doosre ke kharch hon aur maza hum len aise log missed call vidya men me praveen hote hain

    Rochak likhane par badhaiee

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: एस. के. पाण्डेय का व्यंग्य : किस, मिस-कॉल और हाल
एस. के. पाण्डेय का व्यंग्य : किस, मिस-कॉल और हाल
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/06/blog-post_12.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/06/blog-post_12.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content