समुद्र पार हिंदी ग़ज़ल - विदेश में बसे हिंदी ग़ज़लकारों की ग़ज़लें - 3

SHARE:

कनाडा में हिन्‍दी ग़ज़ल जसबीर कालरवी 1 ․ रोज़ यूँ मर-मर के जीना जि़न्‍दगी होती नहीं। हम से अब तो रोज़ ही ये ख़ुदकुशी होती नहीं। ज़र्द प...

कनाडा में हिन्‍दी ग़ज़ल

जसबीर कालरवी

1

रोज़ यूँ मर-मर के जीना जि़न्‍दगी होती नहीं।

हम से अब तो रोज़ ही ये ख़ुदकुशी होती नहीं।

ज़र्द पत्ता हूँ बढ़ाऊँ काँपता सा हाथ मैं,

पर मेरी पागल हवा से दोस्‍ती होती नहीं।

जिसकी आँखों में भी झाँकूँ भीड़ सी आये नज़र,

हम से इतने शोर में तो बंदगी होती नहीं।

फूल खिलते ही गिरी हो लाश भँवरे की अगर,

उस जगह कोई भी खुशबू बावरी होती नहीं।

मैं मेरे अंदर से बोलूँ इस जगह कैसे रहूँ,

दम मेरा घुटता यहाँ भी बाँसुरी होती नहीं।

अब तो बस इतिहास बनना चाह रहा हर आदमी

अब किसी चेहरे पे कोई ताज़गी होती नहीं।

पत्‍थरों के शहर ने पत्‍थर बना डाला मुझे,

अब किसी आईने से भी दोस्‍ती होती नहीं।

2․

सारी दुनिया में ढूँढ़ कर देखा।

खु़द में ही गुलशन-ए-दहर देखा।

सब दीवारों से बाँहे निकली थीं,

जब भी मुद्दत के बाद घर देखा।

यूँ तो दिये तले अँधेरा था,

फिर भी माथे के दाग़ पर देखा।

एक दिल मेरा एक दिल तेरा,

इतना लम्‍बा नहीं सफ़र देखा।

उसको पढ़ते किताब के मानिंद

जिसको भी हमने इक नज़र देखा।

बस वही चार लोग थे अपने,

फिर न कोई भी हमसफ़र देखा।

3․

टूटा दिल तो दिमाग़ ने सोचा।

राख हुए तो आग ने सोचा।

इतना गहरा न जख्‍़म दे कोई

जख्‍़म सूखा तो दाग़ ने सोचा।

जब भी जागे मुझे बुझा देंगे

मतलबी सब, चिराग़ ने सोचा।

जब मेरा घर ही जल गया सारा

तब ही मल्‍हार राग ने सोचा।

सारी दुनिया में ढूँढ़ कर देखा

घर चले तो विराग ने सोचा।

अब तो जसबीर बच नहीं सकता

छोड़ आए सुराग़ ने सोचा।

4

कब कहाँ कैसे हुआ कुछ भी पता चलता नहीं।

है अँधेरा हर तरफ़ दीया कोई जलता नहीं।

मैं बड़े से पेड़ के साये तले इक बीज हूँ

जो महज संभावना है पर कभी पलता नहीं।

जिसको भी मिलता हूँ लगता है कहीं देखा हुआ

खाक किस किस भेष में मिलती पता चलता नहीं।

उम्र भर पीता रहा हूँ जल्‍द ही जल जाऊँगा

पर बड़ा कमबख्‍़त दिल हूँ आग में जलता नहीं।

मैं सुनूँ आवाज़ तेरी अपने ही अंदर कहीं

पर तू अंदर है कहाँ मेरे पता चलता नहीं।

लोग मेरी दोस्‍ती पे कर रहे हैं फ़भ़ सा

सब को बस ये भरम है जसबीर तो छलता नहीं।

5

दर्द जब से हुआ है अम्‍बर सा।

दिल हमारा हुआ समुन्‍दर सा।

मेरे माथे पे जल रहा दीया

जैसे हो मयकदे में मन्‍दिर सा।

तूँ कहाँ ढूँढ़ने मुझे निकला

मैं नहीं हूँ किसी आडम्‍बर सा।

कह रहा है मुझे वो आईने सा

अब तू लगता नहीं सिकंदर सा।

जिंदगी अब के साल यूँ गुज़री

हादसों से भरा कैलेंडर सा।

6․

वो मुझको पहनकर जब अपने घर को लौट जाते हैं।

तो हर दीवार को शीशा समझकर मुस्‍कराते हैं।

बना डालें तेरी तस्‍वीर मिलकर एक दूजे से

वो तारे इस तरह भी रात को कुछ झिलमिलाते हैं।

वो कैसे खोलें दरवाज़े अगर चुपचाप हो दस्‍तक

हवा की उँगलियाँ लेकर लुटेरे भी तो आते हैं।

अभी हैं इस जगह कल जाने फिर ये किस जगह होंगे

कदम मेरे बिना मुझको लिए ही दौड़ जाते हैं।

बसाया है मुझे आँखों में आँसू की तरह उसने

मुझे बस देखना है कब मुझे मोती बनाते हैं ।

7

जि़न्‍दगी ऐसे मिली जैसे सज़ाएँ ही मिलें।

फिर भी लम्‍बी उम्र हो ऐसी दुआएँ ही मिलें।

अब सभी रिश्‍तों में गर्मी सी नज़र आए मुझे

मैंने ये सोचा ही क्‍यों ठंडी हवाएँ ही मिलें।

दूर जाता हूँ कहीं खु़द से निकलकर जब कभी

मुझ को फिर मेरे लिए मेरी सदायें ही मिलें।

सब के चेहरों पे बहारें ही बहारें थी खिलीं

जब ज़रा झाँका किसी अंदर खिजाएँ ही मिलें।

पास अपने हो सभी कुछ तो जियेंगे जि़न्‍दगी

पर सभी कुछ में मुझे हँसती क़ज़ाएँ ही मिलें।

8․

न अब कर फ़ैसला ऐसा के जो अकसर अटक जाए।

शुरू से मत करो इतना शुरू के राह थक जाए।

मुझे उसने कहा आकर मिलो मुझको मेरे मन में

कहीं ऐसा न हो मैं पहुँच जाऊँ वो भटक जाए।

खु़दा को गर समझ लेते तो अब तक तुम खु़दा होते

भला इससे कोई पहले ही क्‍यूँ सूली लटक जाए।

चले तो थे मेरे सपने मगर कदमों को पाते ही

कभी राहें तिलक जाएँ कभी मंजि़ल सरक जाए।

सुना है आजकल आँखें तेरी ऐसे छलकती हैं

मेरा हर जाम तेरे नाम से जैसे छलक जाए।

9

फ़लसफ़ों की रोशनी में कुछ नज़र आया नहीं।

इस घने जंगल से कोई रास्‍ता पाया नहीं।

लोग कितने ढूँढ़ने निकले खलाओ में उसे

कौन वो, रहता कहाँ, कोई पता लाया नहीं।

वो जो मेरे बौनेपन पे उम्र भर हँसता रहा

आदमी वो था मेरे अंदर मेरा साया नहीं।

अब जहाँ दिल की ज़मीं है जर्द पत्तों से भरी

इस जगह कोई बहारों की तरह आया नहीं।

झूमते थे जो कभी अब है घरों की क़ैद में

अब किसी भी पेड़ का होता घना साया नहीं।

10

तुम ने मंजि़ल सोच ली हो रास्‍ता लाये कोई।

किस तरह इस दोस्‍ती को छोड़ कर जाए कोई।

तुम कभी विरह के सहरा में तो भटके ही नहीं

फिर भला तेरे लिए मल्‍हार क्‍यों गाये कोई।

हमने अपने ही कहीं अंदर दबा दी आग सी

अब कहाँ उठता हुआ धुँआ नज़र आए कोई।

मैं भला पहचान पाऊँगा कहाँ चेहरा मेरा

अब अगर माजी से मुझको छीनकर लाये कोई।

एक पल तेरा हो मेरा, एक पल मेरा तेरा

ये न हो दो पल खड़े हों बीच आ जाए कोई।

मानोशी चटर्जी

1

हर हुनर हम में नहीं हम ये हक़ीक़त मानते हैं।
पर हमारे जैसा भी कोई नहीं है जानते हैं।
जो खु़दा का वास्‍ता दे जान ले ले और दे दे
हम किसी ऐसी खु़दाई को नहीं पहचानते हैं।
हम अगरचे गिर गये तो उठ भी खुद ही जायेंगे पर
अपने बूते ही करेंगे जो दिलों में ठानते हैं।
जो हमारा नाम है अख़बार की इन सुख्रख़यों में
हम किसी नामी-गिरामी को नहीं पहचानते हैं।
हम नहीं हैं ‘दोस्‍त' गिर के, झुक वफ़ा की भीख माँगें

दिल इबादत है मुहब्‍बत को खु़दा हम मानते हैं।

2․

हज़ार कि़स्‍से सुना रहे हो।
कहो भी अब जो छुपा रहे हो।
ये आज किस से मिल आये हो तुम
जो नाज़ मेरे उठा रहे हो।
जो दिल ने चाहा वो कब हुआ है
फि़जूल सपने सजा रहे हो।
सयाना अब हो गया है बेटा
उम्‍मीद किस से लगा रहे हो।
तुम्‍हारे संग जो लिपट के रोया
उसी से अब जी चुरा रहे हो।

मेरी लकीरें बदल गई हैं
ये हाथ किससे मिला रहे हो।
ज़रूर कुछ ग़म है आज तुम को
ख़ुदा के घर से जो आ रहे हो।

3․

आशना हो कर कभी नाआशना हो जायेगा।
क्‍या ख़बर थी एक दिन वो बेवफ़ा हो जायेगा।

मैंने अश्‍क़ों को जो अपने रोक कर रक्‍खा, मुझे
डर था इनके साथ तेरा ग़म जुदा हो जायेगा।
क्‍या है तेरा क्‍या है मेरा गिन रहा है रात-दिन
आदमी इस कश्‍मकश में ही फ़ना हो जायेगा।
मैं अकेला हूँ जो सारी दुनिया को है फि़क्र पर
तारों के संग चल पड़ा तो क़ाफि़ला हो जायेगा।
मुझको कोई ख़ौफ़ रुसवाई का यूँ तो है नहीं
लोग समझाते हैं मुझको तू बुरा हो जायेगा।
मैं समंदर सा पिये बैठा हूँ सारा दर्द जो
एक दिन गर फट पड़ा तो जाने क्‍या हो जायेगा।

पत्‍थरों में ‘दोस्‍त' किसको ढूँढ़ता है हर पहर
प्‍यार से जिससे मिलेगा वो खु़दा हो जायेगा।
4․

मैं राह में गिरा तो जैसे टूट कर बिखर गया।
मिला जो तेरा हाथ तो वजूद ही सँवर गया।

वो कह रहा था मुझसे कि हाँ देगा मुझपे जान भी
मगर मैं ऐतबार के ही नाम से सिहर गया।
जो उसके रुख़ से गिर गया हिजाब मेरे सामने
मेरी नज़र से धुल के वो कुछ और भी निखर गया।
सुना जो उसकी बज्‍़म में हुआ था तेरा जि़क्र, मैं
हज़ार बार तेरा हाल जानने उधर गया।
जो पूरी एक उम्र की बेचैनी उसके पास थी
वो जाते जाते अपनी पूँजी मेरे नाम कर गया।
जो ज़र्रे को भी चल गया पता अब अपनी हस्‍ती का
वो उड़ के थोड़ी देर फिर ज़मीन पर उतर गया।
महक रही है जि़ंदगी अभी भी जिसकी खु़श्‍बु से
वो कौन था ऐ ‘दोस्‍त' जो क़रीब से गुज़र गया।
5․

कहने को तो वो मुझे अपनी निशानी दे गया।
मुझ से लेकर मुझको ही मेरी कहानी दे गया।
जिसको अपना मान कर रोएँ कोई पहलू नहीं
कहने को सारा जहाँ दामन जुबानी दे गया।
घर में मेरे उस बुढ़ापे के लिए कमरा नहीं
वो जो इस घर के लिए सारी जवानी दे गया।
आदमी को आदमी से जब भी लड़ना था कभी
वो ख़ु़दा के नाम का कि़स्‍सा बयानी दे गया।
हमने तो कुछ यूँ सुना था उम्र है ये प्‍यार की
नफ़रतों का दौर ये कैसी जवानी दे गया।

उस के जाने पर भला रोएँ कभी क्‍यों जो मुझे
जि़ंदगी भर के लिए यादें सुहानी दे गया।
याद है कल ‘दोस्‍त' हम तो हँसते हँसते सोये थे
कौन आकर ख्‍़वाब में आँखों में पानी दे गया।
6․

आपकी यादों को जाते उम्र इक लग जायेगी।
कौन जाने जिंदगी अब फिर सँवर भी पायेगी।
हर तरफ़ चर्चा है उनके दिल के तोड़े जाने का
शोर-ओ-गुल की आदतें तो जाते जाते जायेंगी।
टूटते रिश्‍तों में पलता टूटता बचपन यहाँ
राह में भटकी जवानी गोली ही बरसायेगी।
एक करके भूल जाये सारे वादे तोड़ दे
जो नहीं दोनों तरफ़ वो क्‍या निबाही जायेगी।
हौसला है जीने का इतनी बुलंदी पर ऐ दोस्‍त
मौत भी आने से पहले थोड़ा तो घबरायेगी।
7․

दुआ में मेरी भी कुछ असर हो।
तेरे सिरहाने भी इक सहर हो।
जहाँ के नाना झमेले सर हैं
कहाँ किसी की मुझे ख़बर हो।
यहाँ तो कुछ भी नहीं है बदला
वहाँ ही शायद नई ख़बर हो।

मिले अचानक वो ख्‍़वाब में कल
कहीं दुबारा न फिर कहर हो।
दिलों दिलों में भटक रही है
कहीं तो अब जिंदगी बसर हो।
न याद कोई जुड़ी हो तुम से
कहीं तो ऐसा कोई शहर हो।

चलो चलें फिर से लौट जायें
शुरू से फिर ये शुरू सफ़र हो।

8․

ये जहाँ मेरा नहीं है।
कोई भी मुझसा नहीं है।
मेरे घर के आइने में
अक्‍स क्‍यों मेरा नहीं है।
उसकी रातें मेरे सपने
कुछ भी तो बदला नहीं है।
आँखों में तो कुछ नहीं फिर
पानी क्‍यों रुकता नहीं है।
सीने में इक दिल है मेरा
तेरे पत्‍थर सा नहीं है।
दिख रही है आँख में जो
बात वो कहता नहीं है।
मैं भला क्‍यों जाऊँ मंदिर
ग़म ने आ घेरा नहीं है।

देखते हो आदमी जो
उसका ये चेहरा नहीं है।
एक ढेला मिट्टी का भी
मेरा या तेरा नहीं है।

9․

मुझको अपना एक पल वो दे के अहसाँ कर गये।
जाने अनजाने मेरे जीने का सामाँ कर गये।
क्‍या कहें कि सबसे आके किस तरह से वो मिले
मुझको मेरे घर में ही जैसे कि मेहमाँ कर गये।
बाद मुद्दत के ज़रा सा चैन आया था अभी
हाल मेरा पूछ कर वो फिर परेशाँ कर गये।
लोगों का अब चाँद से तो फ़ासला कम हो गया
अपने घर की ही ज़मीं को ‘दोस्‍त' वीराँ कर गये।

10․

मुझसे है ये सारी दुनिया मान कर छलता रहा।

अब ज़मीं में दफ्‍़न हूँ ऊपर जहाँ चलता रहा।

बस मुकम्‍मल होने की उस चाह में ताउम्र यूँ

ख्‍़वाब इक मासूम सा कई टुकड़ों में पलता रहा।

आग थी ना था धुआँ फिर क्‍या हुआ कि रात भर

बेवजह ही जागकर मैं आँख यूँ मलता रहा।

दुनिया की कुछ रस्‍मों में मैं यूँ हुआ मस्रूफ़ कि

अपने मरने का भी मातम ना मना, टलता रहा।

उसको अब मुझसे शिकायत है कि मैं कमज़ोर हूँ

‘दोस्‍त' जिसकी ख्‍़वाहिशों में उम्र भर ढलता रहा

--

COMMENTS

BLOGGER: 3
  1. साहेब, अब तो वाह वाह कहते सुनते सभी मिलने जुलने वाले भी थक गए हैं..पर दिल है कि मानता नहीं..... वाह वाह वाह वाह वाह वाह ......
    नमन

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: समुद्र पार हिंदी ग़ज़ल - विदेश में बसे हिंदी ग़ज़लकारों की ग़ज़लें - 3
समुद्र पार हिंदी ग़ज़ल - विदेश में बसे हिंदी ग़ज़लकारों की ग़ज़लें - 3
http://lh5.ggpht.com/-ahqlSWQ95bI/UA5KE-1H_YI/AAAAAAAAM9s/OT0qjDq68I0/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh5.ggpht.com/-ahqlSWQ95bI/UA5KE-1H_YI/AAAAAAAAM9s/OT0qjDq68I0/s72-c/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/10/3.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/10/3.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content