गोवर्धन यादव का आलेख - आ गई महाशिवरात्रि पधारो शंकरजी

SHARE:

सृष्टि की रचना का श्रेय ब्रह्माजी को, वहीं उसके पालनहार का श्रेय श्री विष्णुजी को और संहारक के रुप में भगवान शंकर को माना गया है. इस तरह प्...

clip_image002

सृष्टि की रचना का श्रेय ब्रह्माजी को, वहीं उसके पालनहार का श्रेय श्री विष्णुजी को और संहारक के रुप में भगवान शंकर को माना गया है. इस तरह प्रकृति का संतुलन बना रहता है. श्री विष्णु और श्री ब्रह्माजी अपने-अपने लोक में बडॆ ही वैभव के साथ रहते हैं ,जबकि शिव श्मसान में घूनी रमाये रहते है. वस्त्र के नाम पर उनके शरीर से व्याघांबर होता है. पूरे शरीर पर भस्म लपेटे रहते हैं. और गले में सर्पों की माला डली रहती है. उनके चारों ओर भूत-पिशाचों का जमावडा रहता है. वे पद्मासन लगाये पल-प्रतिपल राम के नाम का जाप करते रहते हैं. भययुक्त वातावरण में रहने के बावजूद भी उनके भक्तों की संख्याँ कम नहीं है. देवों के देव महादेव अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाने वाले देव हैं. वे जल्दी प्रसन्न हो जाने वाले देवता और अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देने के लिए जगप्रसिद्ध हैं. महाशिवरात्रि का व्रत करने से उनकी कृपा और भी सघन रुप से उनके भक्तों पर बरसती रहती है.

शिवरात्रि का अर्थ वह रात्रि है जिसका शिवतत्व के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है.या यह कहें कि शिवजी को जो रात्रि अतिप्रिय है उसे शिवरात्रिकहा गया है.

रात्रि ही क्यों ?

भगवान शंकर संहारशक्ति और तमोगुण के अधिष्ठाता हैं, अतः तमोमयी रात्रि से उनका स्नेह(लगाव) होना स्वाभाविक है. रात्रि संहारकाल की प्रतिनिधि है. उसका आगमन होते ही सर्वप्रथम प्रकाश का संहार, जीवों की दैनिक कर्मचेष्टाओं का संहार और अन्त में निद्रा द्वारा चेतना का ही संहार होकर सम्पूर्ण विश्व संहारिणी रात्रि की गोद में गिर जाता है. ऎसी दशा में प्राकृतिक दृष्टि से शिव का रात्रिप्रिय होना सहज ही हृदयंगम हो जाता है. यही कारण है कि भगवान शंकर की आराधना न केवल इस रात्रि में ही वरन सदैव प्रदोष (रात्रि के प्राम्भ होने) के समय में की जाती है

एक बार पार्वतीजी ने जिज्ञासावश भगवान शिव से प्रश्न किया कि “शिवरात्रि” क्या होती है, उस दिन शिवाराधना से किस फ़ल की प्राप्ति होती है और उसके करने का क्या विधान है ? भगवान आशुतोष ने उत्तर देते हुए कहा

फ़ाल्गुने कृष्णपक्षस्य या तिथि स्याच्चतुर्दशी तास्यां या तामसी रात्रिः सोच्यते शिवरात्रिका तत्रोपवासं कुर्वाणः प्रसादयति मां ध्रुवम न स्नानेन न वस्त्रेण न धूपेन न चार्चया तुष्यामि न तथा पुष्पैर्यथा तन्नोपवासतः

अर्थात-फ़ाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी “शिवरात्रि” कहलाती है. जो उस दिन उपवास करता है, वह मुझे प्रसन्न कर लेता है. मैं अभिषेक, वस्त्र, घूप, अर्चन तथा पुष्पादिसमर्पण से उतना प्रसन्न नहीं होता जितना कि व्रतोपवास से.

ईशानसंहिता में बतलाया गया है कि फ़ाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को आदिदेव भगवान श्रीशिव करोडॊं सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंगरुप में प्रकट हुए.

शिवरात्रि व्रत की वैज्ञानिकता तथा आध्यात्मिकता

ज्योतिष शास्त्र के आनुसार फ़ाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि में चन्द्रमा सूर्य के समीप होता है. अतः वही जीवनरुपी चन्द्रमा का शिवरुपी सूर्य के साथ योग-मिलन होता है. अतः इस चतुर्दशी को शिवपूजा करने से जीव को अभीष्टतम पदार्थ की प्राप्ति होती है. यही “शिवरात्रि” का रहस्य है.

महाशिवरात्रि का पर्व परमात्मा शिव के दिव्य अवतरण का मंगलसूचक है. उनके निराकार से साकार रुप में अवतरण की रात्रि ही “ महाशिवरात्रि” कहलाती है. वे हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सरादि विकारों से मुक्त करके परम सुख, शान्ति, ऎश्वर्यादि प्रदान करते हैं.

ईशानसंहिता में एक आख्यान प्राप्त होता है –पद्मकप्ल के प्रारंभ में भगवान ब्रह्माजी ने जब अण्डज, पिण्डज, स्वेदज, उद्भिज्ज एवं देवताओं आदि की सृष्टि कर चुके, एक दिन विचरण करते हुए क्षीरसागर जा पहुँचे. उन्होंने देखा कि भगवान श्री नारायण शुभ्र, श्वेत सहस्त्रफ़णमौलि श्री शेषजी की शय्या पर शांत अधलेटे हुए है. श्रीदेवी श्रीमहालक्ष्मीजी उनकी चरण-सेवा कर रही है. गरुड, नन्द, सुनन्द, गन्धर्व, किन्नर आदि विनम्रभाव से हाथ जोडॆ खडॆ हैं. यह देखकर ब्रह्माजी को अति आश्चर्य हुआ. ब्रह्माजी को गर्व हो गया था कि कि वे ही इस सृष्टि का मूल कारण, सबका स्वामी, नियन्ता तथा पितामह हूँ. वे मन ही मन सोचने लगे कि इन्होंने मुझे आया देखकर न तो प्रणाम किया और न ही अभिवादन किया. क्रोध में वे तमतमा उठे. उन्होंने निकट जाकर कहा:- “देखते नहीं...तुम्हारे सामने कौन खडा है ? मैं जगत का पितामह हूँ और तुम्हारा रक्षक. तुमको मेरा सम्मान करना चाहिए”

इस पर भगवान नारायण ने कहा:- सारा जगत मुझमें स्थित है. फ़िर तुम उसे अपना क्यों कहते हो ? तुम मेरी नाभि-कमल से पैदा हुए हो, अतः मेरे पुत्र हो” दोनो में विवाद होने लगा. ब्रह्माजी ने “पाशुपत: और श्री विष्णु ने “माहेश्वर” अस्त्र उठा लिया. दिशाएँ अस्त्रों के तेज से जलने लगीं, सृष्टि में प्रलय की आशंका हो गयी. देवगण भागते हुए कैलाश पर्वत पर भगवान विश्वनाथ के पास पहुँचे. अन्तर्यामी शिवजी समझ गए. देवताओं द्वारा स्तुति करने पर प्रसन्न होते हुए उन्होंने कहा:-“मैं ब्रह्मा-विष्णु के बीच चल रहे युद्ध को जानता हूँ. मैं उन्हें शांत कर दूंगा. ऎसा कहकर भगवान शंकर दोनो के मध्य में अनादि, अनन्त-ज्योतिर्मय स्तम्भ के रुप में प्रकट हुए. “शिवलिंगत्योभ्दूत्यः कोटिसूर्यसमप्रभः” .माहेशर, पाशुपत दोनों अस्त्र शान्त होकर उसी ज्योतिर्लिंग में लीन हो गए.

यह लिंग निष्फ़ल ब्रह्म, निराकार ब्रह्म का प्रतीक है. श्री विष्णु और ब्रह्मा ने उस लिंग की पूजा-अर्चना की. यह लिंग फ़ाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को प्रकट हुआ तभी से लिंगपूजा आज तक निरन्तर चली आ रही है.

श्री विष्णु और श्री ब्रह्माजी ने कहा_ हे प्रभु ! जब हम दोनों, लिंग के आदि-अन्त का पता न लगा सके तो आगे मानव आपकी पूजा कैसे करेगा ? इस पर कृपालु श्रीशिव द्वादशज्योतिर्लिंग में विभक्त हो गए. महाशिवरात्रि का यही रहस्य है. (ईशानसंहिता)

द्वितीय आख्यान ----

वाराणसी के वन में एक भील रहता था. उसका नाम गुरुद्रुह था. उसका कुटुम्ब बडा था. अतः वह प्रतिदिन वन में जाक्रर मृगों को मारता और वहीं रहकर नाना प्रकार की चोरियाँ करता था. अपने माता-पिता-पत्नि और बच्चॊं ने भूख से पीडित होकर उससे भोजन की याचना की. वह तुरंत धनुष-बाण लेकर जंगल में निकल पडा. सारे दिन जंगल में भटकता रहा,लेकिन उस दिन कोई भी शिकार हाथ नहीं लगा. सूर्य भी अस्त हो चुका था. अतः जंगली जानवरों के डर से बचने के लिए एक पेड पर चढ गया.

पेड की शाख पर बैठकर वह सो भी नहीं सकता था. खाली बैठे-बैठे वह कर भी क्या सकता था? अनायास ही वह पत्तियाँ तोडते जाता और नीचे गिराता जाता था. वह कोई साधारण पेड नहीं था, बल्कि वह बेल का पेड था. संयोग से उस दिन महाशिवरात्रि का दिन था और पेड के ठीक नीचे शिवलिंग स्थापित था. अनजाने में वह पूरी रात शिवजी की पूजा करता रहा था. श्री शिवजी प्रसन्न होकर उसके सामने प्रकट हो गए और उससे वर माँगने को कहा.” मैंने सब पा लिया” कहते हुए भील उनके चरणॊं में गिर पडा. शिवजी ने प्रसन्न होकर उसका नाम “गुह” रख दिया और वरदान दिया कि भगवान राम एक दिन अवश्य ही तुम्हारे घर पधारेंगे और तुम्हारे साथ मित्रता करेंगे. तुम मोक्ष को प्राप्त होगे.वही व्याध शृंगवेरपुर में निषादराज “गुह” बना, जिसने भगवान का आतिथ्य किया. शिवरात्रि पर्व का संदेश

भगवान शंकर में अनुपम सामंजस्य, अद्भुत समन्वय और उत्कृष्ट सद्भाव के दर्शन होने से हमें उनसे शिक्षा ग्रहणकर विश्व-कल्याण के महान कार्य में प्रवृत्त होना चाहिए-यही इस परम पावन पर्व का मानवजाति के प्रति दिव्य संदेश है. शिव अर्धनारीश्वर होकर भी कामविजेता हैं, गृहस्थ होते हुए भी परम विरक्त हैं, हलाहल पान करने के कारण नीलकंठ होकर भी विष से अलिप्त हैं, ॠद्धि-सिद्धियों के स्वामी होकर भी उनसे विलग हैं, उग्र होते हुए भी सौम्य हैं, अकिंचन होते हुए भी सर्वेश्वर हैं, भयंकर विषधरनाग और सौम्य चन्द्रमा दोनों ही उनके आभूषण हैं, मस्तक पर प्रलयकालीन अग्नि और सिर पर शीतल गंगाधारा उनका अनुपम शृंगार है, उनके यहाँ वृषभ और सिंह का तथा तथा मयूर एवं सर्प का सहज वैर भुलाकर साथ-साथ क्रीडा करना समस्त विरोधी भावों के विलक्षण समन्वय की शिक्षा देता है. इससे विश्व को सह-अस्तित्व अपनाने की अद्भुत शिक्षा मिलती है

इसी प्रकार उनका श्रीविग्रह-शिवलिंग ब्रह्माण्ड एवं निराकार ब्रह्म का प्रतीक होने के कारण सभी के लिए पूज्यनीय है. जिस प्रकार निराकार ब्रह्म रुप, रंग, आकार आदि से रहित होता है उसी प्रकार शिवलिंग भी है. जिस प्रकार गणित में शून्य कुछ न होते हुए भी सब कुछ होता है, किसी भी अंक के दाहिने होकर जिस प्रकार यह उस अंक का दस गुणा कर देता है, उसी प्रकार शिवलिंग की पूजा से शिव भी दाहिने होकर (अनुकूल होकर) मनुष्य को अनन्त सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं. अतः मानव को उपर्युक्त शिक्षा ग्रहणकर उनके इस महान महाशिवरात्रि-महोत्सव को बडॆ समारोहपूर्वक मनाना चाहिए. 

गोवर्धन यादव

103,कावेरीनगर, छिन्दवाडा

(म.प्र.)480001

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. सम्मानीय श्री रविजी
    सादर नमस्कार
    आलेख प्रकाशन पर हार्दिक आभार.
    आशा है, सानन्द-स्वस्थ हैं.

    जवाब देंहटाएं
  2. श्री यादवजी..बहुत ही प्रेरक प्रसंग से परिचय कराया और शिवरात्रि के महत्त्व को बताया...आपको साधुवाद....प्रमोद यादव

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: गोवर्धन यादव का आलेख - आ गई महाशिवरात्रि पधारो शंकरजी
गोवर्धन यादव का आलेख - आ गई महाशिवरात्रि पधारो शंकरजी
http://lh5.ggpht.com/-z3Ub3LryuCA/Uw2tbtD5dtI/AAAAAAAAXhY/QkX-yLoREZQ/clip_image002%25255B3%25255D.jpg?imgmax=800
http://lh5.ggpht.com/-z3Ub3LryuCA/Uw2tbtD5dtI/AAAAAAAAXhY/QkX-yLoREZQ/s72-c/clip_image002%25255B3%25255D.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/02/blog-post_9285.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/02/blog-post_9285.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content