सैयद एस. तौहीद का आलेख - देविका रानी स्मरण

SHARE:

देविका रानी स्मरण -------------- देविका रानी का शुमार भारतीय सिनेमा की अग्रणी नायिकाओं के तौर पर होता है। बीस के दशक में रिलीज एक द्विभाषी...

देविका रानी स्मरण

image

--------------

देविका रानी का शुमार भारतीय सिनेमा की अग्रणी नायिकाओं के तौर पर होता है। बीस के दशक में रिलीज एक द्विभाषी फिल्म से सिनेमा का रूख किया था। उसे उस समय के जाने माने निर्माता हिमांशु राय ने एक विदेशी कंपनी के साथ मिलकर बनाई थी। उस समय देविका लंदन में कला की शिक्षा ले रही थी। देविका की हिमांशु से पहली मुलाकात वहीं हुई। देविका का सिनेमा रुझान देखते हुए हिमांशु ने उन्हें काम करने का न्योता दिया। देविका ने उस फिल्म में मंच सज्जा की। किंतु उनके नाम को नामों की सूचि में नहीं स्थान मिला। इसके बाद दोनों एक साथ जर्मनी में एक तकनीकी प्रशिक्षण लेने गए। उस दौरान देविका ने अभिनय-वेशभूषा-मेक अप आदि को मन लगा कर सीखा। देविका-हिमांशु में बेहतरीन तालमेल हुआ करता था। दोनों ने फिल्म निर्माण को समर्पित एक टीम बनाई। जिसके बाद ‘कर्मा’ का निर्माण हुआ। देविका-हिमांशु ने इसमें लीड भूमिकाएं अदा की थी। फिल्म को समकालीन आलोचकों ने काफी महत्त्व दिया। ब्रिटेन के समाचार पत्रों में उसकी बेहतरीन समीक्षाएं लिखी गयीं। फिल्म की कामयाबी ने दोनों को आपसी रिश्ते मजबूत करने का बेहतरीन अवसर दिया। इस समझ से दोनों का विवाह बेहतरीन निर्णय रहा। स्वदेश वापसी के उपरांत इस जोडी ने ‘बांबे टाकीज’ की सफल स्थापना की। इस ख्वाब को शायद उन्होंने जर्मनी में देखा होगा। देविका इस फिल्म कंपनी का चेहरा बनी जबकि इसकी संचालन का कार्यभार हिमांशु राय के जिम्मे था। जिस किस्म से देविका की जिंदगी चल रही थी,उस प्रकाश में उनका सिनेमा में आना महज तक़दीर का खेल कहा जा सकता है। ब्रिटेन में कला व संगीत की शिक्षा लेने वाली युवती का फिल्मकार हिमांशु राय से मुलाकात होना संयोग था। हिमांशु को देविका की प्रतिभा को नवाजते हुए फिल्मों में काम करने का आफर दिया। दोनों ने एक साथ फिल्में की। पहली फिल्म ‘कर्म’ रिलीज हो जाने बाद वो स्वदेश चले आए थे।

आप जब भी मुंबई के नाना चौक पर आएं तो बांबे टाकीज का इतिहास झांकता मिलेगा। जहां कभी विशाल स्टुडियो प्रांगण हुआ करता था,वहां गगनचुंबी बहुमंजिला इमारतें खडी हैं। इसके मुहाने पर पुरानी-बेकार गाडियों का अंबार एक गराज की शक्ल अख्तियार कर चुका है। एक नायिका के रूप में देविका रानी का नाम हांलाकि कभी बहुत मशहुर हुआ करता था,फिर भी उस समय के निशान आज नहीं मिलते। जानता हूं कि किसी ने भूलाया नहीं दिया,लेकिन वो फिर भी यादों के कारवां से बाहर रहीं। एक कडवा घूंट जिसे बीते जमाने के कलाकारों को ना चाहते हुए पीना पडा है। भूले-बिसरे लोगों के नाम किसी पुरस्कारों के माध्यम से मिला करते हैं। देविका रानी का किस्सा इससे जुदा नहीं था। सिनेमा के बदलते तेवर ने उन्हें इससे अलग होने को बाध्य किया था। भारतीय सिनेमा की प्रथम नायिकाओं में शुमार देविका के संयास को पदमश्री व दादासाहेब फाल्के पुरस्कारों कुछ समय के लिए जरूर तोडा,लेकिन सिनेमा की दुनिया में महज हवा के झोंके थे। उनके योगदान को मुडकर देखें तो सिनेमा को एक कला का सम्मान अता करने को भुलाया नहीं जा सकता। फिल्मों को एलिट लोगों में लोकप्रिय बनाने की महान क्षमता भी उनमें थी। भारतीय सिनेमा के पुराने चलन में बदलाव इस मायने में भी आया कि देविका के बाद सम्मानित परिवारों की लडकियां फिल्मों में आने लगी। रविन्द्रनाथ ठाकुर की करीबी रिश्तेदार व भारत के प्रथम सर्जन जनरल की बेटी का फिल्मों में आना क्रांतिकारी था । स्टुडियो की पहली फिल्म के बाद देविका के सह-अभिनेता नजमुल हसन को बाहर होना पडा। टाकीज की अगली महत्वकांक्षी फिल्म ‘अछूत कन्या’ के लिए उपयुक्त अभिनेता की तालाश अशोक कुमार पर जाकर ठहरी। सामाजिक असमानता-जातिवाद-प्रेम तत्वों को समेटे यह फिल्म भारतीय सिनेमा में गुणवत्ता की मिसाल थी। ऊंचे जाति के युवा का दलित युवती से प्रेम की कहानी थी। उस जमाने में इस किस्म की फिल्में बिल्कुल नहीं बनती थी। सामाजिक विसंगतियों के ऊपर गंभीर व आवश्यक विमर्श शुरु हो गया था। कहा जा सकता है कि अपने समय से आगे थी। सिनेमा के सफर में मील का पत्थर। भारतीय नारी की स्थिति को दर्शाने वाली फिल्मों का सफर देविका ने जारी रखा। इस दरम्यान जीवन प्रभात-निर्मला-दुर्गा का निर्माण हुआ।

बांबे टाकीज को शोहरत की बुलंदियों तक लाने के लिए ‘अछूत कन्या’ की सराहना करनी होगी। सामाजिक विसंगतियों पर चोट करनी वाली इस फिल्म बरसों पुरानी होकर भी प्रासंगिक है। फिल्म को सरस्वती देवी के गानों से भी ख्याति मिली। परंपरा के मुताबिक देविका-अशोक कुमार ने गीतों को आवाज दी। दलित युवती की समृति में स्थापित मंदिर का यहां साहसी प्रसंग आया था। फ्लैशबेक माध्यम से उस लडकी की कहानी को बताया गया। दलित किशोरी कस्तुरी (देविका रानी) ब्राह्मण किशोर प्रताप (अशोक कुमार) जातिवादी पुर्वाग्रहों से दूर एक साथ गीत गाते रहते हैं। शायद इसलिए भी क्योंकि प्रताप व कस्तुरी के पिता आपस में दोस्त थे। कस्तुरी के पिता दुखिया ने कभी मोहन (प्रताप के पिता) की जान बचाई थी। वे दोस्ती के ऊपर जातिगत मानसिकताओं को तिलांजली देकर जी रहे थे। कस्तुरी-प्रताप में भी एक दूसरे को लेकर प्रेम का भाव है। लेकिन क्या जातिगत पूर्वाग्रहों से ग्रसित समाज इस ‘पाप’ को स्वीकार करेगा? पूरे समाज में केवल दुखिया तथा मोहन को इन किशोरों की चिंता थी। लेकिन उन्हें समाज का समर्थन नहीं मिलने वाला था। दलित युवती से बेटे की नजदिकियां मां को स्वीकार नहीं। कस्तुरी के उदार माता-पिता जातिवादी भेदभाव से दुखी होकर भी असहाय हैं। उधर प्रताप का रिश्ता अपनी ही जाति की मीरा से तय हो जाता है। प्रताप-कस्तुरी को धर्म के ठेकेदारों ने अलग करने की कसम खा रखी थी। इसी दरम्यान सख्त रूप से बीमार दुखिया को इलाज खातिर अपने घर लाने की गलती मोहन बाबू से हो गयी। क्या ऊंची जाति का कुनबा इसे सहन करेगा? मोहन बाबू को मारपीट कर घर में आग लगा दी जाती है। भलमनसाहत वाले लोग दोनों को किसी तरह वहां से बचा लेते हैं। मामले की जांच के लिए पुलिस गांव पहुंचती है। क्या पुलिस दोषियों को सजा देगी? एक मुश्किल बात थी। प्रताप- मीरा का रिश्ता एक बेमेल परिणाम निकला। दूसरा कस्तुरी में संभावना तलाश रहा था। कस्तुरी का रिश्ता तय हो गया। क्या प्रताप कस्तुरी व खुद को इस भंवर से निकाल सकेगा? वो कस्तुरी को साथ गांव छोड देने का प्रस्ताव देता है। पीडा देखिए कि प्रताप व कस्तुरी जैसे प्रेम कहानियों का आगे सुखद समापन हो…वर्त्तमान कुरबान हो गया। कस्तुरी का त्याग प्रताप में भी अपने वर्त्तमान (मीरा) को अपना लेने का भाव डाल गया। क्या कस्तुरी-प्रताप का त्याग जातिगत विषमताओं को समाप्त कर सका? जवाब हम सबको पता है।

देविका रानी की एक अन्य फिल्म ‘कर्म’ की प्रशंसा में तब के एक नामी अखबार ने लिखा कि फिल्म भारतीय सिनेमा के परंपरा में मील का पत्थर होगी। भारतीय सिनेमा को क्षमताओं को समझने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास। एक चुंबन एवं उससे उपजे चिरकालिक विवाद के अलावा फिल्म में बहुत कुछ था। यह द्विभाषी प्रस्तुती अंग्रेजी व हिन्दी में रिलीज हुई थी। एक नायिका के तौर पर देविका की पहली फिल्म थी। हिमांशु राय ने कर्म के बाद अभिनय को छोड निर्माण में विशेषता बना ली। हिमांशु राय के सिलसिले में फिल्म को दुर्लभ भी कहा जा सकता है। आज के ग्लोबल सिनेमा में जहां अंतर-सांस्कृतिक एवं अंतराष्ट्रीय पैमाने की फिल्में बन रही, ऐसे वक्त में तीस दशक की ओर मुडकर देखना लाजिमी हो जाता है। बीता जमाना आज को चुनौती देता दिखाई देता है। शांतिनिकेतन व ब्रिटेन में तालीम हासिल करने वाले हिमांशु हमारे सिनेमा को विश्व स्तर पर ले जाने का नेक मकसद ले कर चल रहे थे। इसकी कामयाबी ‘कर्म’ में फलीभूत हुई। निर्माण के ज्यादतर पहलू तकनीकी रूप से संपन्न विदेशी तकनीशियन देख रहे थे। मेहनत के फल को आप बेहतरीन समीक्षाओं में देख सकते हैं। समकालीन भारतीय परिवेश से प्रेरित होकर भी विश्व स्तर की अपील वाली एक फिल्म बनी थी। महलों व महाराजाओं में भारत की विलासिता झलक रही थी। राज पाठ की भव्यता के बीच एक प्रेम कहानी को आकार दिया गया। कर्म में आस्था को इसका मर्म रखा गया, एशियाई लोगों के लिए यह आकर्षण का बिंदु बना। हालांकि हिमांशु स्वदेश में फिल्म सफल होगी? को लेकर घबराए हुए थे। बांबे में रिलीज होकर दिल्ली व मद्रास में भी लगी। फिल्म को सकारात्मक अपनत्व मिला। फिर भी ब्रिटेन की तुलना में यह कम था। हमने फिल्म की कहानी को पसंद किया। दो राजशी घरानों के वारिसों के बीच उभरते प्यार की दास्तान यह थी। लंदन व भारत में फिल्मायी गयी इस फिल्म में भारतीय राजाओं व उनके भव्य महलों की छटा देखने को मिली थी। भारतीय रेल व केंद्रीय प्रचार संस्था फिर राजशी राज्यों व उन पावन मंदिरों के संचालकों को धन्यवाद कहना चाहिए।

समकालीन भारतीय परिवेश से प्रेरित होकर भी विश्व स्तर की अपील वाली एक फिल्म बनी थी। महलों व महाराजओं में भारत की विलासिता झलक रही थी। राज पाठ की भव्यता के बीच एक प्रेम कहानी को आकार दिया गया। कर्म में आस्था को इसका मर्म रखा गया, एशियाई लोगों के लिए यह आकर्षण का बिंदु बना। हालांकि हिमांशु स्वदेश में फिल्म सफल होगी? को लेकर घबराए हुए थे। बांबे में रिलीज होकर दिल्ली व मद्रास में भी लगी। फिल्म को सकारात्मक अपनत्व मिला। फिर भी ब्रिटेन की तुलना में यह कम था। हमने फिल्म की कहानी को पसंद किया। दो राजशी घरानों के वारिसों के बीच उभरते प्यार की दास्तान यह थी। लंदन व भारत में फिल्मायी गयी इस फिल्म में भारतीय राजाओं व उनके भव्य महलों की छटा देखने को मिली थी। भारतीय रेल व केंद्रीय प्रचार संस्था फिर राजशी राज्यों व उन पावन मंदिरों के संचालकों को धन्यवाद कहना चाहिए। सीतापुर की राजकुमारी ( देविका रानी) व जयनगर के राजकुमार (हिमांशु राय) की प्रेम कहानी में धर्म-आस्था-आखेट का रोचक तत्व शामिल था। सांप-सपेरों की रुचिकर दुनिया को भी कहानी का हिस्सा बनाया गया। सांप के जहर से मृत्यु की रेखा पर पहुंचे राजकुमार को बचाने वाली राजकुमारी की कहानी। प्रेम व आस्था तथा जीवन की जीत में विश्वास बनाने वाली दास्तान।

एक संपन्न बंगाली परिवार से ताल्लुक रखने वाली देविका का आज के विशाखापटनम से गहरा नाता था। वो इसी शहर के एक बंगाली परिवार से थी। देविका का जन्म एम एन चौधरी व लीला जी के परिवार में हुआ थ। स्कूल की पढाई पूरी होने बाद संगीत व रंगमंच की शिक्षा लेने ब्रिटेन के नामी रंगमंच एकेडमी ‘रंगमंच की रायल अकादमी’ एवं ‘संगीत की रायल अकादमी’ में दाखिला लिया। फिर आगे जाकर वास्तुकला व डिजायनिंग की भी तालीम हासिल की। इ्सी दरम्यान उनकी मुलाकात पटकथा लेखक निरंजन पाल से हुई। निरंजन ने देविका के लिए बहुत सी फिल्मों की पटकथाएं लिखीं। बांबे टाकीज के महान स्वपन को निरंजन पाल व फिल्मकार फ्रांज ओस्टेन के योगदानों ने भी पूरा किया। हिमांशु-देविका की इस कंपनी ने हिन्दी सिनेमा को इन दोनों के अतिरिक्त अशोक कुमार-मधुबाला-दिलीप कुमार सरीखा कलाकार दिया। हिमांशु राय के निधन उपरांत बांबे टाकीज के मालिकाना हक़ की लडाई को बडे हिम्मत से लडा। फिर भी फिल्मिस्तान के उदय को रोक नहीं सकी। समय के साथ बांबे टाकीज का नाम इतिहास के पन्नों तक सिमट गया। यही वो वक्त था जब पेंटर स्वेतलाव रोरिक़ उनकी जिंदगी में आए। सिनेमा से दूरी बनने लगी …क्योंकि शायद जीवन की प्राथमिकताएं बदल चुकी थी। वो बंबई को छोड पति के शहर बेंगलोर आ गयी, बाक़ी जिंदगी वो यहीं रही।

-------------

सैयद एस. तौहीद

(देविका रानी का चित्र - साभार विकिपीडिया)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: सैयद एस. तौहीद का आलेख - देविका रानी स्मरण
सैयद एस. तौहीद का आलेख - देविका रानी स्मरण
http://lh4.ggpht.com/-SsfNHG28J1M/UzpCqYj0bbI/AAAAAAAAX6w/RWl5p6imUm8/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh4.ggpht.com/-SsfNHG28J1M/UzpCqYj0bbI/AAAAAAAAX6w/RWl5p6imUm8/s72-c/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/04/blog-post.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/04/blog-post.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content