अजय गोयल की कहानी - ऑपरेशन

SHARE:

ऑपरेशन चिड़ियों की तरह चहकता और झरने जैसा मुस्कराता हुआ, सुबह-सुबह सजा-सँवरा भव्य दादी की अँगुली थामे घर से निकलता। अस्पताल के गेट से बाहर अ...

ऑपरेशन

image

चिड़ियों की तरह चहकता और झरने जैसा मुस्कराता हुआ, सुबह-सुबह सजा-सँवरा भव्य दादी की अँगुली थामे घर से निकलता। अस्पताल के गेट से बाहर अपनी स्कूल बस का इंतजार करता। बस आने तक किसी लय में फुदकता हुआ, कोई पंक्ति कूकता रहता। उस समय उसके साथ पड़ोसी अमित भी रहता, जो उससे दो-तीन साल बड़ा था। साथ-साथ स्कूल बस में जाता था।

अमित व भव्य दोनों डॉक्टर परिवारों से थे। अमित के पिता डॉ. रंजन सजन थे। भव्य की माँ प्रतिभा स्त्री रोग विशेषज्ञ थीं, पिता डॉ. आमोद पैथोलोजिस्ट ट्रस्ट का अस्पताल था। दोनों परिवार 'डॉक्टर रेजिडेंट कैम्पस' में रह रहे थे।

तीन-चार महीने पहले ही आई थीं दादी माँ। कारण भव्य था। उन दिनों भव्य खिलौने तोड़ता, किताबें फाड़ता, सेविका इमरती से झाड़ता, स्कूल मैं साथियों से मारपीट करता। रोकने पर तनकर खड़ा हो जाता। कहता, ''मैं हूँ शक्तिमान।''

माँ-बाप से खाली घर मैं उसके लिए एक टेलिविजन रह जाता था। रिमोट हाथों में लिये टीवी. चैनलों को बदलता रहता। बेताल, स्पाइडर मेन या शक्तिमान जैसै सुपर मैन किरदारों मेँ वह हर समय डुबकी लगाए रहता। माँ के सामने कभी स्पाइडर मैन की तरह दीवार पर सीधा चढ़ने की कोशिश करता तो कभी कोई चीज उछालकर कहता, ''शक्तिमान भी ऐसे ही फेंकता है ना।''

भव्य माँ की गोद में बैठकर पढना चाहता। अपनी कॉपियों में अपने द्वारा किए गए अक्षरों के रेखांकन दिखाना चाहता। स्कूल की बातों का खजाना बाँटना चाहता। लेकिन ट्रस्ट के अस्पताल में मरीजों की बाढ़ सँभालते-सँभालते प्रतिभा का दमखम लौटते वक्त तक चुक गया होता। फिर भी आराम करती प्रतिभा का ध्यान किसी मरीज में उलझा रहता। तो कभी अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट के लिए बेचैनी रहती। या मरीज के ऑपरेशन के लिए दुविधा होती। इस बीच अस्पताल से कॉल आ जाती। प्रतिभा सब कुछ इमरती के हवाले कर चल देती। अपमानित भव्य खीजकर रीता रह जाता।

बीच-बीच में इमरती से झाड़कर भव्य ने अस्पताल जाना शुरू कर दिया। वही वह माँ के चैम्बर में बैठा अपना होमवर्क निपटाता। अपनी दिपदिपाती ऑखों से माँ को देखता रहता।

''मम्मी, मरीजों के फूले पेट से ही बच्चा निकलता है, ना ?''

''मम्मी! तुम ऑपरेशन क्यों करती हो ?''

भव्य के इन प्रश्नों का उत्तर देने के बजाय प्रतिभा ने स्वयं ही प्रश्न कर डाला था, ''तुम्हें कैसे मालूम ?'' भव्य ने सीधा उत्तर दिया कि उसने ऑपरेशन करते हुए देखा था। हरे कपड़े पहनाकर। मरीज को मेज पर लिटा दिया था। और उसके फूले पेट को काटकर उन्होंनें बच्चा निकाल दिया। भव्य ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यह सब उसने ऑपरेशन रूम के बाहर खड़ा होकर, शीशे के दरवाजे से देखा था।

अस्पताल की आया और कम्पाउंडर भव्य को छोटे डॉक्टर साहब कहने लगे थे, क्योंकि जब कभी प्रतिभा किसी काम से चैम्बर से निकलती तो वह मरीजों से पूछताछ शुरू कर देता।

मरीजों के सामने भव्य का रहना प्रतिभा को अच्छा नहीं लगता था। एक दिन निर्णायक क्षण आ पहुँचा। छुट्टी का दिन था। जाड़ों के दिनों में धूप स्नान के लिए प्रतिभा छत पर बैठी थी। भव्य की आवाज ने उसका ध्यान खींचा। पलटकर देखा तो भव्य मुँडेर पर चढ़ा था।

''मैं शक्तिमान की तरह उड़ूंगा, मम्मी !''

शक्तिहीन-सा हो गया था प्रतिभा का जिस्म। मुँडेर से बाहर की 'ओर वह सड़क पर गिर सकता था। भव्य रोकने से रुकने वाला भी नहीं था। क्षण में उपाय सूझ गया था प्रतिभा कौ। ''शक्तिमान बेल्ट पहनकर ही उड पाता है। तुम भी अपनी बेल्ट पहन लो तभी हवा में उड़ सकोगे।'' प्रतिभा ने कहा।

भव्य मान गया। मुँडेर से नीचे उतर आया।

धौंकनी सी चलती साँसों और डर से शिथिल शरीर होते हुए भी प्रतिभा ने भव्य को गोद में भर लिया। नीचे उतर आर्या। उस दिन उसने खाना छुआ तक नहीं। क्षोभ में अस्पताल से त्याग-पत्र लिख डाला था।

अपने जन्मदिन पर परियों के आने के सपने देखने वाले भव्य का कोना-कोना दादी माँ ने अपनी गोद में समेट लिया।

स्कूल बस से लौटता तो भव्य दादी माँ को अपना इंतजार करते हुए अस्पताल गेट पर पाता। उनकी अँगुली में अपने को थामकर भव्य सब कुछ भूल जाता। स्कूल में अपने दिन का हिसाब-किताब बताता। दादी के हाथों से खाना खाता। फिर थोड़ा-सा आराम करता। इसके बाद दादी माँ उसका होमवर्क करातीं। एक दिन इमरती ने कह दिया, ''आज तो दादी जी के पेट में दर्द हुआ था, भव्य।''

सुनकर वह खाना भूल गया। अपना बार्बी डॉक्टर का सेट खींच लाया। घोषणा कर दी कि वह दादी माँ का पूरा चेकअप करेगा। दादी माँ को उसने लिटा लिया। उनकी ऑखें देखी। जीभ देखी। कलाई पकडी। दायें-बायें पेट देखा। पैर देखे। इसके बाद स्टेथोस्कोप गले में लटका लिया। साथ ही रंगीन चश्मा आँखों में -चढा लिया। हाथ में पेन लेकर बोला, ' 'आप में खून की कमी है। खून चढ़ाना पडेगा। अल्ट्रासाउंड करना पड़ेगा। मैं ऑपरेशन करूँगा। इस बीच मैं कुछ दवा लिख देता हूँ।''

''तू तो पूरा नकलची बन्दर है। अपनी माँ की नकल करता है। बड़ा सयाना हो गया है।'' दादी माँ ने उठते हुए कहा। भव्य को उन्होंने चूम भी लिया था।

भव्य क लिए दादी का कन्धा झूला बन चुका था और उनकी गोद पालना। उनकी गोद में दिन को अलविदा कहता। सुबह का स्वागत करता। शाम को उनके साथ चलकर मन्दिर में जाता। रात्रि में उनके साथ टीवी. पर आने वाले धार्मिक धारावाहिक देखता। मुँह से आग, हवा या पानी बरसाते देवताओं 'और राक्षसों को देखकर तालियाँ बजाता। तीर-कमान से लड़ते योद्धाओं को देख अचम्भित रह जाता। भव्य समझ नहीं पाता था, शाप का प्रभाव। धारावाहिकों के किसी प्रसंग में क्रोधित ऋषि शाप देते। और शापित आदमी जानवर या कुछ अन्य बन जाता। यह देख, उलझन भव्य के चेहरे से झाँकने भी लगती।

दादी माँ ने भव्य को समझाया, ' 'जो लोग भगवान की ज्यादा पूजा करते हैं, उन्हें इस प्रकार की शक्ति भगवान जी दे देते हैं।''

एक दिन मन्दिर से आते वक्त भव्य ने दादी माँ से पूछ लिया, ' 'मुझको कब भगवान जी शक्ति को ?'' ''तुम्हें क्यों चाहिए ?'' पूछा। उन्हें भव्य मैं आए परिवर्तनों का अहसास था। मन्दिर वह खुशी-खुशी जाने लगा था। वहां चुपचाप हाथ जोड़े और आँखें बन्द किए खड़ा रहता था।

''मैं सबको हनुमान जी बना दूँगा। छोटे-छोटे हनुमान जी। फिर सबके साथ खेलूँगा।''

धार्मिक धारावाहिकों में ''जय हनुमान'' भव्य को सबसे ज्यादा पसन्द था। दादी माँ की गोद में बैठकर अन्य धार्मिक कथाओं के साथ 'रामकथा' वह सुन चुका था। फिर भी उसे हनुमान सबसे ज्यादा पसन्द आए थे। ' 'हनुमान जी तो सबसे अच्छे हैं। उड़ जाते हैं, पहाड़ भी उठा लेते हैं। कभी चींटी तो कभी बहुत बड़े हो जाते हैं। और अपनी पूँछ में आग लगाकर सबको जला डालते हैं।'' भव्य दादी माँ से कहता, अब उसे शक्तिमान या बेताल जैसे सुपरमेन मिट्टी के खिलौने लगने लगे थे।

भव्य के संग्रह में हनुमान मुखौटे के साथ दो-तीन बन्दरों के मुखौटे भी थे। इमरती को बन्दर मुखौटा और स्वयँ हनुमान मुखौटा पहनकर भव्य प्लास्टिक की गदा कन्धे पर रख लेता। धारावाहिक के गीत गाता, ''नाद देव की महिमा भारी, संगीतमय है सृष्टि सारी।'' उसके संवाद बोलता, ''मैं रुद्रावतार हूँ।'' जयघोष करता, ''जय श्रीराम।''

एक बार दादी माँ ने पूछ ही लिया, ' 'तुम्हारे श्रीराम कहीं रहते हैं ?''

भव्य घूम गया। बहुत सोचने के बाद बोला, ' 'वो तो टीवी. में रहते हैं। कभी टीवी. में आते हैं।''

इस उत्तर पर दादी माँ बहुत देर तक हँसती रही थीं।

जीन्स की पैंट और जैकेट पहने, हनुमान का मुखौटा लगाए और गदा हाथ में लिए जब कभी भव्य किसी फिल्मी धुन पर ब्रेकडान्स जैसी उछल-कूद करता, उस समय दादी माँ अपने हाथों में अपना चेहरा छिपा लेतीं। अमित भव्य को हनुमान कहने लगा था। इस पर वह खुश हो जाता। हनुमान चाल की नकल करता। अपना सीना फुलाकर अकड़-अकड़कर चलता।

दादी-पोते की जुगलबदी सप्तम् सुर मैं थी। भव्य उनकी गोद मैं बैठकर सवाल करता। जैसे, ''दादी माँ! पापा अपने सीने के बालों को शेव क्यों नहीं करते? हनुमान जी डायनासोर को भी मार सकते हैं ना। अमित कह रहा था कि डायनासोर हनुमान जी से भी बड़े होते थे।''

कल होमवर्क करते हुए भव्य ने दादी माँ से पूछा, ''दादी माँ! अमित डाकू क्यों बनना चाहता है? डाकू बुरे आदमी होते हैं ना। बुरे आदमी नहीं बनना चाहिए। मैं तो हनुमान जी बनूँगा। पापा मेरे लिए ड्रेस ले आए हैं। स्कूल में रविवार को हमारा फैन्सी ड्रेस शो है।''

भव्य ने दादी माँ से अपनी उलझन कह दी थी। अमित अपन पिता डी. रंजन के साथ आया था। माथे पर लाल टीका, मुँह पर कपड़ा बांध और हाथ में खिलौना ए.के.47 लिये। अपनी तेज आवाज मैं बोला, ''मेरी डकैतियाँ काकोरी कांड की तरह याद की जाएँगी। मेरे खून वर्ग संघर्ष के अनुष्ठान समझे जाएंगे। और पुलिस से बचने की दौड़ मेरी दांडी यात्राएँ होंगी। जाति से खेलने वाले मेरे आत्म-समर्पण का बहीखाता खुलवाएँगे। इसके बाद थोड़ा मेरा जेल प्रवास होगा। फिर राजनीति का खुला मैदान होगा। मुझ पर फिल्म बनेगी। विदेशों तक में मेरे फैन क्लब होंगे।''

संवाद अमित ने अच्छी तरह रट लिये थे। अर्थ वह खुद नहीं जानता था। लेकिन भव्य की चिन्ता थी कि अमित मॉर्डन डाकू क्यों बनना चाहता है।

प्रतिभा और आमोद ने अमित के पूर्वाभ्यास पर सन्तोष व्यक्त किया था। कल से हुनमान इस पहनने की जिद भव्य कर रहा था। स्कूल से लौटने पर दादी माँ ने उसे मुकुट पहनाया। मुखौटा लगाया। पूंछ बाँधी। लँगोट कसी। खडाऊ पहनाई। भव्य बहुत खुश था। नजर बचाकर वह घर से बाहर निकल आया। अस्पताल पहुँच गया। मरीजों भरी शाम कईपुा ओपीडी थी। हनुमान चाल में चलते हुए भव्य कहने लगा, ''हनुमान जी बन गया हूँ। भगवान जी बन गया हूँ।'' मरीजों में कौतूहल भर गया था।

अपने चैम्बर में ले जाकर प्रतिभा ने भव्य को कसकर डपटा।

रुआँसी आवाज में भव्य ने पूछा, ''क्या भगवान् अस्पताल नहीं आ सकते ?''

''अस्पताल में मरीज आत हैं। डॉक्टर आते हैं।'' प्रतिभा ने उसे झिड़कते हुए कहा।

भव्य वापस लौट आया। दार्दा माँ की गोद में छिप गया। रोने लगा। दादी माँ पुचकारती रर्र्हा। पूँछती रहीं। उस शाम को मन्दिर जाते वक्त भव्य अस्पताल के सामने रुक गया। बोला, ' 'दादी माँ! क्या हनुमान जी ऑपरेशन कर सकते हैं? अमित कह रहा था कि हनुमान जी ऑपरेशन नहीं कर सकते।''

''तेरे पेट में दाढी-मूँछ उग आई है।'' दादी माँ ने आश्चर्य में कहा। टेढ़ा-सा भव्य प्रश्न था। ' 'बेटा! किताबें पढकर आदमी क्या से क्या हो जाता है। किताबें पढकर आदमी क्या से क्या हो जाता है। किताबें कुछ करती हैं क्या? ऐसे ही भगवान जी भी केवल राह दिखाते हैं।' '

अपनी बड़ी-बड़ी ऑखों से भव्य दादी माँ को एकटक देखता रहा। लौटते वक्त उसने दादी माँ को बताया कि मंदिर मैं उसने हनुमान जी से कह दिया है कि कल स्कूल वह उनके साथ जाएगा। उनकी पीठ पर बैठकर और उड़कर बस के समय तक जरूर आ जाएँ नहीं तो छुट्टी। क्योंकि अमित पूछ रहा था कि क्या हनुमान जी उसे स्कूल ले जा सकते हैं?''

दूसरे दिन भव्य ने स्कूल बस आने तक हनुमान जी का इंतजार किया। बस आने पर दादी माँ को देखकर चुपचाप उसमें चढ़ गया। टाटा भी नहीं की। स्कूल से वापस आने पर दादी माँ की अँगुली पकड़कर चुपचाप घर लौट आया। उसने मुकुट, मुखौटा और पूँछ उठाकर रख दी। घोषणा कर दी कि फैन्सी ड्रेस शो में वह डॉक्टर बनेगा और ऑपरेशन करेगा।

प्रतिभा और आमोद दोनों ही भव्य को समझाने में हार चुके थे। आखिर में दादी माँ प्लास्टिक ट्रॉली पर लगा उसका 'बेबी डॉक्टर सेट' खींच लाई। भव्य की आखों में हीरे जैसी चमक झांकने लगी थी। उसने अपना रंगीन चश्मा पहना। स्टैथोस्कोप गले में लटकाया। तब तक आमोद एक प्लास्टिक की गुड़िया अपनी कमीज के नीचे छिपा लेट चुका था। प्रतिभा ने भव्य का हाथ पकड़कर बेबी नाइफू से कट का इशारा करवाया और अपने दूसरे हाथ से भव्य ने कमीज के नीचे छिपी गुड़िया बाहर निकाल ली।

''ऑपरेशन हो गया।'' भव्य अकर बोला था।

दादी माँ की यात्रा पूर्ण हो चुकी थी।

- 'अजय। निदान नर्सिग होम फ्री गंज रीड हापुड़ - 2451०1 111००11०

a.ajaygoyal@rediffmail.com

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. रचनाकार की शिराओं में बहती हिंदी के अबाध प्रवाह में नहाकर मन प्रफुल्लित होता है.आगामी हिंदी दिवस के अवसर पर रविरतलामी जी को हिंदी सेवा के लिए हार्दिक बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  2. उत्तम रचना बाल मनोभाओं का सुन्दर चित्रण
    लेखक प्रसंशा एवम बधाई के पात्र है मेरी सस्नेह
    बधाई

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अजय गोयल की कहानी - ऑपरेशन
अजय गोयल की कहानी - ऑपरेशन
http://lh5.ggpht.com/-MGZFwNs29co/VAwmckguf2I/AAAAAAAAaac/3Sd4fzl1Rtk/image_thumb%25255B1%25255D.png?imgmax=800
http://lh5.ggpht.com/-MGZFwNs29co/VAwmckguf2I/AAAAAAAAaac/3Sd4fzl1Rtk/s72-c/image_thumb%25255B1%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/09/blog-post_26.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/09/blog-post_26.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content