अशोक गुजराती की कविताएँ

SHARE:

आपाद-बाहु रोज़ अख़बार पढ़ती है वह टीवी भी देखती है जी हां, वही सब हत्या, बलात्कार, लूट-पाट, डकैती की ख़बरें जिसके सिवा गंदी राजनीति को छोड़ दे...

clip_image002


आपाद-बाहु

रोज़ अख़बार पढ़ती है वह
टीवी भी देखती है
जी हां, वही सब हत्या, बलात्कार, लूट-पाट, डकैती की ख़बरें
जिसके सिवा गंदी राजनीति को छोड़ दें
तो और कुछ भी नहीं मिलता समाचारों में
और फिर अगले या उसके अगले दिन पकड़े जाते हैं अपराधी अक्सर
तब वह करती है सवाल मुझसे बारंबार
क्या नहीं है इनको अक्ल
आज न कल पकड़ लेगी पुलिस इनको
डरते नहीं जो वे ज़ुर्म करने से पेश्तर

क्या दूं मैं उसको इसका जवाब
क्या आपके ज़ेहन में है कोई...

उन तथाकथित बेवक़ूफ़ गुनहगारों का इस क़दर बेख़ौफ़ होना
जबकि क़ानून है आजानु-बाहु
अपने लम्बे हाथों लेता है उन्हें पकड़
वे जानते हैं- इसीलिए हैं निडर
कि समय है आपाद-बाहु
आ जायेंगे इस गुंजलक से बाहर वे हंसते हुए
कालांतर में निरपराध होकर साबित
और-और करने यह या वह- इससे भयंकर गुनाह
कहां है वह तंत्र कि उन्हें अविलम्ब दे सके सजा...
0


अनिषाद


मैं निषाद नहीं हूं
शास्त्रों के अनुसार निषाद वह वर्ग है
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र के अलावा
पंच-जन में समाहित
ब्राह्मण पिता और शूद्र मां के समागम- अर्थात् अवैध -से उत्पन्न
बेचारा-सा व्यक्ति : वर्णातीत एवं बहिष्कृत
स्त्री हो याकि पुरुष
जिसे शूद्र से भी गया-बीता माना गया
मैं वह नहीं हूं
कदापि नहीं
यह प्रश्न यक्ष कि इतिहास में मेरे उल्लेख से बचते रहे लोग
हालांकि था तब भी
चलो, मैं वर्तमान ही सही
मुझे भी तो जन-सामान्य में करो सम्मिलित
मैं पैदा हुआ- फिर वही तथाकथित नाजायज़ संतान के रूप में
पर इस बार मेरा पिता है शूद्र और मां ब्राह्मणी
हे शास्त्रियो, मुझे क्यों वर्जित रखा तुमने पहले इसके ?
कितने चालाक हो तुम !

0

बेबस चांदनी का उजलापन

मसजिद के पीछे से ऊपर उठा दूज का चांद
पंडित की पीली पोथी, साधु के फ़ीके पड़ गये
गेरुआ वस्त्रों-सा, कृष्ण के पुराने पड़ गये पीताम्बर जैसा
गेंदे के मुरझाये फूलों की रंगत से होड़ करता

क़रीब ही था मंदिर, जहां से कुछेक को वह दीखा
हमारे देश के औसत मुसलमान की
ग़रीबी से भी कमज़ोर पीलापन लेकर
यहां तक कि मसजिद की प्राचीन दीवारों से भी
धुंधला अक्स लिये
याकि धर्म-ग्रंथ के जर्जर पड़ गये वरक़ों की तरह

निर्धन के उदास चेहरे-सा म्लान
ज्यों गुंबद पर लगी जीर्ण-शीर्ण पीत झंडियां
चहबच्चे में जमा पानी की निस्तेज आभा लिये
बरसाती सूरज की धूप की मानिन्द
मानो मलिनता के आवरण से आच्छादित हृदय हो
या गर्भस्थ कन्या का अनिश्चित भविष्य
पूनम की प्रतीक्षा में विकल
कटा-कटा ज्यों मुफ़लिस के कपड़े
नकली सोने की चमक से प्रतिद्वन्द्विता करता
प्रदूषित नदी, धुआं-धुआं पर्यावरण के मानी बताता

यह कैसा था आगमन
उस बुढ़िया के चर्ख़े वाले चन्द्रमा का
जिसे शुभ संकेत के रूप में किया ग्रहण
परिवार द्वारा विभाजित सम्पत्ति के दो हक़दारों
की मायूस सम्पन्नता के अर्थों में
समान रंग-रसायन का लहू धारण करते
दो विभिन्न समुदायों ने
इसने मनायी भाई-दूज और उसने ईद
एक ही दिन, एक ही तारीख़ अथवा तिथि पर
तवारीख़ के पन्नों में संभवतः पहली बार
हां, दोनों ख़ुश थे
ख़ुश थे इसलिए ठीक है
कि कोई दंगा नहीं, फ़साद नहीं हुआ
कोई निरपराध निष्पाप मारा नहीं गया
और गले मिले
ज्यों बिछड़े हुए चांद-सूरज हों !
000

चट्टे-बट्टे

कहते हैं, आपदा अकेली नहीं आती
दुख मोर्चे की शक्ल में आते हैं
आती है या आते हैं, प्रवाह होता है अनवरत
यह पहलू हुआ एक, सोच का हमारी
करवट बदल कर देखो तो
जीवन में किसी के हो सकता है, सब के नहीं
हमेशा कदापि नहीं- सुख भी तो यूं ही आते हैं
शाम को बसेरे की ओर जा रहे पंछियों-से
लगातार आ रही बारिश जैसे, झड़ी कहते हैं उसे
वह दोनों तरफ़ मुड़ सकती है, अपने-आपको कर दे परिवर्तित
बाढ़ नामक विपदा में याकि फिर फ़सलों को दे दे नया हौसला
उसके आवेग पर है निर्भर, मनुष्य की उत्तेजना की तरह
ग़ुस्सा भी और प्यार भी- दोनों छोरों को छू सकती है वह
फिर जब आते हैं दोनों एक-सार
फ़र्क़ क्या रह गया औरत-आदमी की मानिन्द
यही न कि खट्टे-मीठे पर स्वादिष्ट करौंदे
अथवा बचाते हुए तोड़ना उनको कंटीली टहनियों के बीच से
अहसास जो मन की उंगलियों को हो रहा स्पर्श से
ज्यों सुंदर-सी युवती भी लगे देह की ज़ुबान को कसैली
और दे यूं ही-सी ठीक-ठाक, तृप्ति- शरीर को, आत्मा को...

सुख भ्रम है, क्षणिक है, बाह्य है...
नहीं, पहुंचता है वह भी अंतरात्मा तक
झूठलाते क्यों हो भइया सच को, सत्य तो यही है 
सुख सुख देता है, दुख दुख देता है
दुखों के जमघट में एक अकेला सुख
शुरुआती, वर्ना क्यों लगता प्यारा-प्यारा-सा
दोनों सगे भाई हैं, आते हैं तो आते हैं, जाते हैं तो जाते हैं
दोनों को सकते हैं भोग,
ब-हर-सूरत दुख में मुस्कराहट और सुख में भी बनी रहती है
किसी आसन्न अवसाद की अनचाही सम्भावना
केवल हम महसूस करते हैं चीत्कार, चीख-चिल्लाहट, कराह-सी
ऊंची आवाज़ में इस को जबकि उसे आहिस्ता-आहिस्ता
जज़्ब करते हैं सुस्वादु भोजन जैसा, डकार लेते तो हैं
पर वह दर्द की ऊंचाई को नहीं लगा पाती अपना हाथ
पूछो उनसे जो मज़ा ले रहे ज़िन्दगी का मानो खिलौना हो कोई
और वे, बावजूद सारी ख़ुशियों के हलकी-सी लगी खरोंच को
रोने का बहाना लेते हैं बना
इसीलिए निरपेक्ष हो जाना है सबसे बेहतर
सुख को दुख का और दुख को सुख का
लेना मान पर्याय!
000


 

परवलय



लंगड़ी हो गई है वह, उसके घुटनों में दर्द है
कतिपय नहीं मानेंगे हार- शमशेर की मानिन्द
ये जो उम्र है, इसे जियेंगे ही
पगडण्डी समझ कर ही करेंगे पार
दूसरी तरफ़ वे हैं, लम्बा रास्ता है उनकी
सुरक्षा-सुविधा से जुड़ा, चाहते हैं जिसे भुनाना
उनकी आयु को न घुटने सताते हैं
ना जोड़ों का दर्द
काल भी हो जाता है उनके मुक़ाबिल सर्द
और अचानक बन भी जाता है मर्द
अलावा वे जो हो चुके पराजित
ना कोई आकांक्षा ना हेतु, उनसे रूठी रहती मौत
बनी रहती दूर की कौड़ी छकाती-सी प्रेयसी
आराधना से अविचलित
कैसा तो खेल यह
जीत में निराशा, हार भी नहीं देती आशा
मछली-सी तड़प रेत में
ज्यों आयी तो आयी, न भी आयी फ़सल खेत में
यह चिड़िया है
अभी रही फुदक
और लो, उड़ भी गयी अब
उसकी आज़ादी को नहीं कर पाया
इनसान कभी ज़ब्त
अपने ग़लत इरादों की तरह
सबसे क़ामयाब वे, जो भले-चंगे सोये रात में
न उठ पाये सुबह- क्या तो लेना-देना
इस पार्थिव संसार से
किसी निरासक्त साधु जैसा
उनको कैसे भुलाएं सपने जिनके चकनाचूर
कर देती मात्र एक दुर्घटना बुलबुले-सी ध्वस्त 
मौसम की अकाली मार फीकी जिसके आगे
आतंकवादी के निर्घृण आक्रमण को लजाती
ज़िन्दगी का सच यही है!
0

सहचर


भयंकर दर्द था बायें पैर में
सूजन आ गयी थी पंजे में
उसे कुछ ऊंचाई पर रखने के इरादे से
मैंने टेबिल का सहारा लिया
मेरे जाने-अनजाने
दाहिना पांव उठा और उसके
समकक्ष जा टिका
थोड़ी ही देर में वह बायें से यूं जा लिपटा
ज्यों प्रेमिका का आलिंगन कर रहा हो प्रेमी
हौले-हौले लगा सहलाने
उसकी उंगलियों को
फिर नीचे टखने तक
बायां पंजा भी उसे मानो दे रहा था
स्पर्श का जवाब मौन प्रेयसी-सा
उनका यह आपसी प्यार देख कर
चकित था मैं
हालांकि ये सारी क्रियाएं
करा रहा था मेरा ही अवचेतन मस्तिष्क
गोया वह उनका ईश्वर हो!
0

 


 

सही वाद



यह एक नया वाद है
समूचे वर्तमान वादों से अलाहिदा
क्यों न करें इसे शुरू
कर्ता कोई भी हो सकता है
क्रिया ज़रूरी है
कर्म के सिवा कुछ हो ही नहीं सकता जीवन में
विशेषण, क्रियाविशेषण की पूरी छूट है
मार्क्स अपनी जगह ठीक थे
लेकिन कहां है ईमानदारी-
न उच्च, न मध्य, न बीपीएल में
मौक़ा मिलते ही सब बन जाते हैं लूट का हिस्सा
रख देते हैं अपनी आत्मा को रेहन
चन्द सिक्कों की ख़ातिर
क्योंकि वैचारिकता बनती है
दिल और दिमाग़ के संयोजन से
यह व्यक्ति के विवेक और सदाशयता पर होती है निर्भर
उलट दिशा में दोनों ख़तरनाक यानी सभी ग़लत राह पर
फिर क्यों न नया वाद करें हम निर्मित
जो इन सारे बेईमानों के हो ख़िलाफ़
और कहलाये सही वाद !
0

स्तन कैंसर


(किसी भी अबोध बच्चे के नाम)
कोई समझ नहीं थी उसके पास
हो भी नहीं सकती थी
उस वय में
लेकिन धुंधली अनुभूति थी अवश्य
कि इधर से जब होने लगती है धारा अवरुद्ध
वह रो पड़ता है अधूरी भूख के कारण
तब मां उसे दाहिने से बाएं कर
उसके शिशु होंठ उस तरफ़ के स्तन के पास ले आती थीं
और वह उस स्नेह से ओतप्रोत
अपने लक्ष्य को पा संतुष्टि के साथ
करने लगता था दुग्ध-पान !

दो ही तीन महीनों के अंतराल पर
जिस बीच उसकी छूट-सी गयी थी यह आदत
मां की निकटता से परित्यक्त कर देने पर
उस मां की, जो कहीं दूर अस्पताल में
पीड़ा से रही थी कराह
उसकी बढ़ती आयु ने अन्दर ही अन्दर
बला की ख़ुशी महसूसी
जब वही गोद उसे दोबारा हुई हासिल
उसे पुरानी स्मृतियों ने हलके-से सहलाया
लेकिन यह क्या-
वह कहीं भीतर यह अहसास कर रहा था
कि मां अब उसे अतृप्त रहने पर भी
दायें से बायें नहीं पलटातीं
बल्कि उसके मुंह में दे देती हैं
बोतल की वही नकली चूची
वह इससे नाख़ुश था पर शिकायत करने में असमर्थ
होता वह यदि दुनियादारी से वाक़िफ़ तो कभी ना करता
वह तो जानता नहीं था न
कि कैंसर ने उसके दूध के स्रोत को
कर दिया था आधा !
0
 

 


 

थोथा चना...


 

पार्क में सुबह की सैर के लिए
आने वाले एकाध बार
ज़्यादा ही ज़्यादा जोश में तेज़-तेज़
घूमते हैं उलटे-सीधे हाथ-पैर फेंकते हुए
ज्यों मोरनी अपनी अर्धविकसित दुम उठाये
दौड़ती है इधर से उधर
मोर अपने रंग-बिरंगे पंख फेलाये
नाचता है हौले-हौले
जैसे रोज़ नियमित पार्क में आने वाले
क्या ऐसा ही नहीं है
अहंकार के मामले में
होता है जिनके पास ना-कुछ या ज़रा-सा
इतराते हैं अपने-आप पर अपरिमित
गर्दन की हड्डी टेढ़ी हो जाने तक
और वे भरे-पूरे ज्ञानी गुज़र जाते हैं उनके निकट से
शांत-स्थिर-अडोल सोचते हुए-
आज दिन भर या कल या आने वाले समय में
करना है क्या-क्या
उनकी तरह नहीं कि अब और कितना-क्या
मिल तो रहा है दो जून अच्छा खाना, मज़ा ही मज़ा
ऊपर से खड़ी है कार भी किराये के एलआइजी के सामने
और क्या चाहिए ?...
यहीं हो जाते हैं वे संतुष्ट एवं अहम्वादी
यह ज़रूरी भी है वैसे
अन्यथा पृथ्वी पर सभी हो जाते श्रेष्ठ !
0
 


व्यामोह

 

जब सहा नहीं गया
दुख-दर्द पीड़ितों का
उसके दिमाग़ ने कर दी बग़ावत

शाम के धुंधलके में
उसने हथेलियों के आरपार
क्रास पर लगी एक-एक कील
निकाल दी झटके के साथ
मुक्त हुए अपने लहूलुहान हाथों के
सूखे धब्बों पर फेरकर खुरदरी जीभ
पपड़ा चुका खून चाटने लगा स्वयं ही

सदियों बाद आया होश उसके तन को
प्यासा हलक भूखा पेट
ले गया उसे कई देहरियां
सरल सहज बताया अपना सच
मांगा पानी, चाही रोटी
चले आते हैं जाने कहां से, मिला उत्तर-
पेट की ख़ातिर नहीं हिचकते बताने में
ख़ुद को ख़ुदा!

लौट आया वह इस अपरिचित दुनिया से
अपनी सलीब के निकट
लेकिन अब उसकी परेशानी थी यह
किससे कहे वह
वापिस कीलें ठोक देने के लिए...
000

कारोबार



मेरी पत्नी मुझ से पूछती है
तुम बैठक के टेबिल पर रखे गुलदान में बिलानागा
अलग-अलग रंग-बिरंगे ताज़ा फूल क्यों सजाते हो
जबकि हमारे घर आता है कोई कभी-कभार
माहाना एक की औसत से
                      लाख कोशिशों के बावजूद नहीं मिल पाता प्यार
                      रत्ती भर लगाव से हो लेते हैं ख़ुश
                      होते हैं ऐसे भी शख़्स इस जहान में
                      क्या छोड़ देते हैं वे औरों पर लुटाना प्रेम
                      प्रतिप्रश्न करता हूं मैं
                      मकड़ी की तरह गिर-गिर सम्भलते पर्वतारोही
                      खाई नहीं आकाश से बोलते अहरह
                      झुठलाते नाक़ामयाबी से जाई तक़दीर की अवधारणा
                      गर नहीं लहरा पाते पताका
                      तलहटी पर झोंपड़ी डाल नहीं रहने लग जाते वे
कई प्रत्याशी नहीं त्यागते हर पांच साल पश्चात हारना
सुचारु संसदीय निर्णय की भी विपक्ष खींचता है टांग
इतनी हैं ख़राब सड़कें लेकिन तुम चलना नहीं छोड़ती
अर्जुन बेवक़ूफ़ थोड़े न था कि गीताई न हो जाता
नद बहाव से रुख़ नहीं मोड़ती
पखेरू आख़िरी सांस तक परवाज़ को बेताब
जानते हुए हश्र, प्रेमी-युगल समाज को बताते धता
धरे जाते किन्तु हत्या-बलात्कार-चोरी नहीं होते बंद
अच्छाई-बुराई की होड़ जारी
                      कहीं कुछ नहीं बदलता फिर क्या है निरंतर परिवर्तन
                      बस यही गत्यात्मकता
                      सूरज की, चांद की, पृथ्वी की
                      और इन्सान की.
                      000


प्रा. डॉ. अशोक गुजराती, बी-40, एफ़-1, दिलशाद कालोनी, दिल्ली- 110 095.
+++++++

COMMENTS

BLOGGER: 2
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अशोक गुजराती की कविताएँ
अशोक गुजराती की कविताएँ
http://lh6.ggpht.com/-_dN3USbap04/VDpS1L1fKmI/AAAAAAAAa2k/bKMOJ0Q6DEo/clip_image002_thumb.jpg?imgmax=800
http://lh6.ggpht.com/-_dN3USbap04/VDpS1L1fKmI/AAAAAAAAa2k/bKMOJ0Q6DEo/s72-c/clip_image002_thumb.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/10/blog-post_12.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/10/blog-post_12.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content