अशोक गौतम का व्यंग्य - गड़पने का अहिंसात्‍मक नुस्‍खा

SHARE:

शहर के बीचों- बीच भगवान का जर्जर मंदिर। भगवान का मंदिर जितना जर्जर हो रहा था उनके कारदार उतने ही अमीर। पर भगवान तब भी मस्‍त थे। यह जानते हु...

शहर के बीचों- बीच भगवान का जर्जर मंदिर। भगवान का मंदिर जितना जर्जर हो रहा था उनके कारदार उतने ही अमीर। पर भगवान तब भी मस्‍त थे। यह जानते हुए भी कि उनके भक्‍तों को उनकी रत्‍ती भर परवाह नहीं। परवाह थी तो बस अपनी कि जो वे भगवान से रूपया, दो रूपया चढ़ा मांगें, मंदिर से बाहर आते ही मिल जाए। भगवान उनकी मन्‍नतें पूरी करते रहें, चाहे वे आधी रात को उनके मंदिर में जा उनकी नींद डिस्‍टर्ब कर दें तो कर दें।

मंदिर की ताजा पोजीशन श्रद्धालुओं यह थी कि वह बिन बरसात के भी कभी भी गिर सकता था । पर भगवान थे कि गिरते मंदिर में भी लंबी तानकर सोए रहते। शायद उन्‍हें कहीं से यह पता चल गया था कि जो भगवान होते हैं ,वे अजर- अमर होते हैं। मरेंगे तो लाख जिंदगी की दुआ मांगने के बाद भी हमारे जैसे भक्‍त ही।

उनके गिरते मंदिर पर बड़े दिनों से शहर के नामी - गिरामी बिल्‍डर की कमर्शियल नजर थी। वह सोच रहा था कि भगवान के मंदिर वाली जगह पर वह जैसे - कैसे एक मॉल बना दे बस। वह वहां मॉल बना दे तो उसका सरकारी, गैर सरकारी जमीन पर साम, दाम, दंड, भेद से मॉल बनाने का एक सपना और साकार हो जाए। वह चाहता तो अपने भाइयों को भेज उस मंदिर से भगवान को निकाल भी सकता था पर भगवान का उसमें कुछ विश्‍वास था सो ऐसा करना उसे अच्‍छा न लग रहा था।

भगवान में विश्‍वास होने के बाद भी बिल्‍डर को सपने में भी कुछ और दिखने की बजाय भगवान की मंदिर वाली जमीन ही दिखाई देती तो वह सपने में ही बड़बड़ाता, भगवान को दगी जुबान गालियां देता जाग पड़ता और तब नींद की गोलियां खाने के बाद भी उसे मुश्‍किल से नींद आ पाती।

वह तो हरदम मन से यही चाहता था कि इस डील को लेकर जैसे- कैसे भगवान मान जाएं तो बस तो वह रातों- रात उस जगह पर ऐसा मॉल बना उपभोक्‍ताओं की आंखों में धूल झोंक कर रख दे कि उपभोक्‍ताओं को जीने से लेकर मरने तक का सारा सामान पलक झपकते एक ही छत के नीचे हाजिर हो जाए। बस , उपभोक्‍ता के पास कुछ चाहिए तो जेब में पैसा!

पर एक भगवान थे कि पट नहीं रहे थे। उन्‍हें भी बाजार के बीच रहने का चस्‍का लग गया था। हालांकि उसने कई बार इस बारे भगवान से घुमाफिरा बात भी की कि शहर के बीच चौबीसों घंटे शोर -शराबे के बीच रहकर क्‍यों अपना दिमागी संतुलन खराब करते हो, ऐसा करो कि आपके नाम कुछ स्‍विस बैंक में जमा - शमा करवा देता हूं , आड़े वक्‍त काम आएगा । और साथ में शहर से दूर गंदे नाले के पास एकांत में तुम्‍हें टेन स्‍टार टेंपल भी बनवा देता हूं।

पर भगवान नहीं माने तो नहीं माने।

और एक दिन पता नहीं उसे किसने बताया कि भगवान से मंदिर बड़ी सहजता से खाली करवाया जा सकता है और वह भी बिना किसी खून खराबे के ,तो वह खुशी के मारे पागलों की तरह कूद पड़ा। पर भला हो भगवान का कि गिरने के बाद भी कहीं कोई फ्रेक्‍चर- वेक्‍चर नहीं हुआ।

कैसे?'

ऐसा करते हैं मंदिर में कवि सम्‍मेलन करवाते हैं।'

ये कवि - ववि क्‍या बीमारी होते है?'

मत पूछो यार! ऐसी बीमारी होते हैं कि जिसे लग जाए मार कर ही दम लेते हैं।'

ये आखिर करते क्‍या हैं?'

कुछ नहीं, बस अपनी सुना- सुना कर बंदे को इतना परेशान कर देते हैं कि वह कई बार तो इनकी कविता के डर के मारे घर तो घर, दुनिया छोड़ कर भी चला जाता है।'

सच!' बिल्‍डर को लगा उसका मुंह लड्‌डुओं से भर गया है।

हां! मेरे दोस्‍त!'

तो उसके लिए करना क्‍या होगा?'

कुछ नहीं! शहर के सभी कवियों को मंदिर में कवि गोष्‍ठी करने को आमंत्रित कर दो। फिर देखो, कवियों की कविताओं का जादू! भगवान तो भगवान, उनके पुरखे भी मंदिर में कहीं दिख जाएं तो तुम्‍हारे जूते पानी पिऊं!'

पर कवियों को करना क्‍या होगा?'

कुछ नहीं! ये संसार के वे भोले-भाले, अहंकारी जीव हैं जो चाय- पानी में ही खुश हो जाते हैं। ज्‍यादा हो गया तो सुरापान करवा दिया। जो इन्‍हें सुरापान करवा दिया फिर तो समझो कि इनकी कविताएं भगवान तो भगवान शहर को ही खाली करवा दम लें।'

तो??'

तो क्‍या!!'

रखवा दो मंदिर में आज शाम ही कवि गोष्‍ठी। बुला लो शहर के कवियों को मंदिर में कविता पाठ के लिए।'

उधर भगवान को ज्‍यों ही अपने भक्‍तों से पता चला कि उनके पुश्‍तैनी मंदिर में कवि गोष्‍ठी हो रही है, वे सच्‍ची को परेशान हो उठे। जब मैं उनके पास साहब को पटाने का आशीर्वाद लेने गया तो उस वक्‍त वे काफी परेशान थे। जब उनसे उनकी परेशानी का कारण पूछा तो वे आंसू बहाते बोले,‘ क्‍या बताऊं यार! उस कम्‍बख्‍त बिल्‍डर ने यहां कवि गोष्‍ठी रख दी है। पहले ही अपने भक्‍तों का मंदिर में जागरण के नाम पर शोर शराबे में मेरे कान के पर्दे फट गए हैं। घर से भ‍गाए जाने के बाद ये भक्‍त आए रोज रात- रात भर मंदिर में चिमटा ,ढोलक बजा मेरा जीना हराम किए रहते हैं। खुद तो इन्‍हें औरों का सुख देख नींद आती नहीं, साथ में मुझे भी नहीं सोने देते। अब ऊपर से․․․ कवि शब्‍द सुना तो बहुत है पर अब ये बताओ ,ये कवि आखिर होते क्‍या बला हैं?'

प्रभु! न ही पूछो तो भला। मैं भी बहुत पहले एक कवि के चंगुल में गलती से फंस गया था। उसने कविताएं सुना- सुना कर इतना परेशान कर दिया था कि जो शौच के बहाने कवि की आंखों में धूल झोंक कर न भागता तो वह कविताएं मुझे तब तब सुनाता रहता जब तक मैं मर नहीं जाता।'

सच!! तो अब ???' भगवान के पसीने छूटने लगे।

अब मैं क्‍या बताऊं प्रभु?? आप तो खुद ज्ञानी हो! पर मेरी राय है कि कवियों को झेलने से बेहतर तो ये है कि․․․․ ये सुनते तो किसीकी नहीं, बस सुनाते ही हैं।'

․․․․․․․․․और शाम को जब मैं मंदिर में आरती करने गया तो वहां पर बिल्‍डर के सौजन्‍य से उसीके द्वारा कवियों के स्‍वागत के लिए दरियां बिछती देख मैं हक्‍का बक्‍का रह गया। पगलाए से मैंने बिल्‍डर से पूछा,‘ यहां आज क्‍या हो रहा है?' तो वह हंसता हुआ बोला,‘ रात भर कवि गोष्‍ठी !'

कहीं और करवा लेते। भगवान वैसे ही आजकल सहन करने से अधिक परेशान चल रहे हैं।'

नहीं! आज तो यहीं कवि लोग अपना कमाल दिखाएंगे।' वे भक्‍तों के तंग करने पर अक्‍सर जहां - जहां हुआ करते थे मैं बावला होकर उन्‍हें वहां- वहां ढूंढने लगा तो वहां मिले ही नहीं। फिर सोचा, शायद वे मंदिर के किसी अंधेरे कोने- वोने में कवियों की कविताओं के डर से दुबके होंगे। पर जब मंदिर का हर छोछा- बड़ा कोना- कोना छान मारा और वे कहीं नहीं मिले तो मुझे परेशान देख बिल्‍डर ने मुस्‍कराते मुझसे पूछा,‘ किसे ढूंढ रहे हो?'

भगवान को!'

मिले क्‍या?' उसने अपने होंठों पर जीभ फेरते पूछने के बाद मुस्‍कराते कहा , अब तो मुझे जमीन गड़पने का अहिंसात्‍मक नुस्‍खा मिल गया। देखना, शहर में मॉल ही मॉल बना दूं तो ․․․․․․․ मेरा नाम भी․․․․․ '

 

अशोक गौतम,

गौतम निवास, अप्‍पर सेरी रोड, सोलन-173212 हिप्र

COMMENTS

BLOGGER: 1
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अशोक गौतम का व्यंग्य - गड़पने का अहिंसात्‍मक नुस्‍खा
अशोक गौतम का व्यंग्य - गड़पने का अहिंसात्‍मक नुस्‍खा
http://lh6.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/S-vliVE1ajI/AAAAAAAAH8I/I1fKLIazjLw/ashokgautam_thumb.jpg?imgmax=200
http://lh6.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/S-vliVE1ajI/AAAAAAAAH8I/I1fKLIazjLw/s72-c/ashokgautam_thumb.jpg?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/11/blog-post_55.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/11/blog-post_55.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content