भारत में पानी के बाजार को बेचैन दुनिया ?

SHARE:

संदर्भः संयुक्त राष्ट्र एवं ईए वाटर के अध्ययन की रिपोर्ट प्रमोद भार्गव     हाल ही में भारत में बढ़ती जल समस्या के परिप्रेक्ष्य में भयभीत कर...

संदर्भः संयुक्त राष्ट्र एवं ईए वाटर के अध्ययन की रिपोर्ट

प्रमोद भार्गव
    हाल ही में भारत में बढ़ती जल समस्या के परिप्रेक्ष्य में भयभीत करने वाली रिपोर्ट आई है। जल क्षेत्र की एक प्रमुख परामर्शदाता संस्था ईए वाटर की अध्ययन रिपोर्ट जारी हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10 साल के भीतर जल समस्या इतनी भीषण हो जाएगी कि पानी की एक-एक बूंद के लिए देशवासी तरसेगे। इस रिपोर्ट पर सहमति संयुक्त राष्ट्र ने भी जताई है। यदि इस रिपोर्ट का आकलन सही है तो वाकई भारत को संभालने की जरूरत है। लेकिन इस रिपोर्ट के संदर्भ में आशंका यह भी है कि कहीं इस समस्या को बढ़ा-चढ़ाकर इसलिए तो नहीं बताया जा रहा है कि जिससे भारत सरकार आसानी से पानी और इससे जुड़े उद्योगों में विदेशी पूंजी निवेश के लिए रास्ता खोल दे। क्योंकि दुनिया की कंपनियां अगले कुछ सालों में जल आधारित उद्योगों में 13 अरब डॉलर निवेश करने को बेचैन हैं ? यह निवेश पानी के शुद्धिकरण से जुड़े संयंत्रों में किया जाना है। 

औद्योगिक विकास और बढ़ते शहरीकरण के चलते पूरी दुनिया में ऐसे हालात बनते चले जा रहे हैं कि मल-मूत्र का शुद्धिकरण करके बोतलबंद पेयजल के बाजार को बढ़ावा मिले। लिहाजा इस धंधे में दिग्गज कंप्युटर कंपनी माइक्रोसॉप्ट के सह संस्थापक बिल गेट्स भी उतर आए हैं। उन्होंने 'ओमनी प्रोसेसर' नाम का एक संयंत्र भी बना लिया है। इसमें जैनीकी बायोएनर्जी कंपनी के साथ भागीदारी है। अब इसका विश्वव्यापी बाजार तैयार करना है। एवरीथिंग एबाउट वाटर कंपनी की रिपोर्ट पानी का संकट जताकर ऐसे ही संयंत्रों को विकासशील देशों में खपाने की भूमिका रचने में लगी है। अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा कनाडा,इजरायल,जर्मनी,इटली,चीन और बेल्जियम भी जल शुद्धिकरण के व्यापार में पूंजि निवेश करने की मंशा पाले हुए है। दरअसल जलापूर्ति और मल-जल प्रबंधन के क्षेत्र में बहुत अवसर है। क्योंकि भारत में उद्योगों में इस्तेमाल किया जा चुका जल और शहरी नालों में बहने वाला मल-जल प्रशोधन ;ट्रीटमेंटद्ध के लिए बड़ी मात्रा में  उपलब्ध है,वह भी मुफ्त में। इसलिए दुनिया की जल प्रशोधन कंपनियां भारत में इस कारोबार के लिए तरस रही है।

    विज्ञान एवं तकनीक की दुनिया में जल के शुद्धिकरण के संयंत्र का निर्माण कर लेना एक बड़ी सफलता जरूर है,लेकिन जल स्रोतो को दूषित करके शुद्ध पेयजल का विकल्प मल-मूत्र में तलाशना एक घिनौनी उपलब्धि भी है। ऐसे पानी की उपयोगिता को केवल विषम परिस्थिति में जीवन के लिए जरूरी माना जा सकता है। यदि यह जल पेयजल के रूप में बड़े पैमाने पर स्वीकार कर लिया गया तो दुनिया में शुद्ध जल के प्राकृतिक स्रोतों को निचोड़ने का सिलसिला और तेज हो जाएगा। वैसे भी भारत समेत दुनिया भर में नदियों को सिंचाई और ऊर्जा संबंधी जरूरतों की पूर्ति के लिए इस हद तक निचोड़ा जा रहा है कि उनकी अविरल जल-धाराएं अवरूद्ध होती जा रही हैं। जबकि प्रवाह की निरंतरता नदियों को निर्मल बनाएं रखने की पहली शर्त है। भारत में नदियां पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं,किंतु ज्यादातर नदियों में सीवरेज का पानी और कारखानों से निकले रसायनों के बहाने से नदियां बुरी तरह प्रदूषित हैं। गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों का जल भी पीने लायक नहीं रह गया है। अकेली गंगा के शु़द्धिकरण के लिए 15 अरब की मल-जल परियोजनाओं को नरेंद्र मोदी सरकार ने मंजूरी दी है।

    दूषित जल को पुनर्चक्रित करने का पहला प्रयोग 1929 में लॉस एंजिल्स में हुआ था। इस तरह शुद्ध किए पानी का उपयोग बगीचों और गोल्फ के मैदानों में सिंचाई के लिए किया जाता है। इस दिशा में दूषित जल को पेयजल में बदलने की लगातार कोशिशें होती रही हैं। इन कोशिशों का उद्देश्य बोतलबंद पानी और आरओ का बाजार भी तैयार करना है। इसलिए इन परिक्षणों में धनराशि खर्च करने का जोखिम पश्चिमी देशों के पूंजीपति और उनकी कंपनियां उठाते रहते हैं। बिल गेट्स और उनके सहयोगी पीटर जैनिकी ने 'ओमनी प्रोसेसर'नामक जो संयंत्र बनाया है,उसकी स्थापना के लिए पीटर भारत और अफ्रीका जैसे देशों का दौरा कर चुके हैं,क्योंकि इन देशों में अवैज्ञानिक ढंग से मल-मूत्र का विसर्जन सबसे ज्यादा है और शुद्ध पेयजल की मांग की तुलना में आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है, सो यहां कच्चे माल के साथ बाजार की भी आसान उपलब्धता दुनिया के व्यापारी देख रहे हैं।

    अमेरिका के अलावा कनाडा भी ऐसी प्रौद्योगिकी विकसित करने में जुटा है,जिससे पेयजल और गंदे पानी के शुद्धिकरण में क्रांति आ जाए। जाहिर है,यह क्रांति खासतौर से विकासशील देशों के स्वाभाविक जल स्रोत नष्ट करके,लाए जाने के उपाय आर्थिक उदारवाद के साथ ही शुरू हो गए थे। नलकूप क्रांति,अनियंत्रित औद्योगिक विकास और शहरीकरण इसी क्रांति की कड़ी का हिस्सा थे। इसके बाद से ही भारत में पानी की उपलब्धता घटती गई। नतीजतन समस्या भयावाह होती चली गई। 2001 से 2011 के बीच भारत में घरों की संख्या 24  से 33 करोड़ हो गई। इसी अनुपात में शहरों और कस्बों का विस्तार हुआ। इस विकास क्रम ने दो समस्याएं एक साथ उत्पन्न कीं,एक तो घरों में वाटर-फ्लश वाले शौचालयों की संख्या बढ़ गई। इनमें मल बहाने के लिए एक साल में करीब 1.5 लाख लीटर पानी की बर्बादी जरूरी हो गई। रोगमुक्त यह प्रणाली मल की सफाई के लिए उपयुक्त मानी गई। किंतु स्वच्छ जल स्रोतों में पानी की निकासी के कारण ये स्रोत गंदे पानी के भंडारों में तब्दील हो गए। दूसरी समस्या यह खड़ी हुई कि जल स्रोतों के दूषित हो जाने से आर्थिक रूप से कमजोर तबकों की करीब चार करोड़ महिलाओं को रोज पीने का पानी लाने के लिए आधे से एक किलोमीटर की दूरी तय करने की मार झेलनी पड़ रही है। यदि पानी की गुणवत्ता का खयाल करें तो हालात और भी गंभीर हैं। दूषित पानी की वजह से एक तो दुनिया में सबसे ज्यादा लोग भारत में ही बीमार होते हैं। दूसरी तरफ पानी की कमी के दुष्परिणाम समाजिक तनाव और हिंसा के रूप में भी देखने को मिलते हैं। दूषित जल की भयावहता को यदि वैश्विक स्तर पर नापें तो खराब जल-निकासी व गंदगी के कारण हर साल करीब 20 लाख बच्चों की मौत होती है,जबकि 60 लाख बच्चों की मौत भूख व कुपोषण से होती है।

    इन रिर्पोटों के मद्देनजर विकसित देश गंदे पानी को बोतलबंद पेयजल में बदलने की कोशिशों में लगे हैं। जल शुद्धिकरण की वर्तमान प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से पानी में से धूल के कण और उसमें मौजूद रोगाणुओं को नष्ट किया जा सकता है,लेकिन यह प्रौद्योगिकी दवाओं,कीटनाशकों,सौंदर्य प्रसधानों और रासायनिक खाद में विलय महीन विषाक्त पदार्थों को अलग करने में सक्षम नहीं है। हालांकि ओटावा के कर्लिटन विश्व विद्यालय के शोधकर्ता बानू ओरमेसी और एडवर्ड लाई ऐसे महीन कण विकसित करने में लगे हैं,जो कारखानों और मल शोधक संयंत्रों से निकले जल से प्रदूषकों को दूर कर सकें। इन शोधकर्ताओं को ऐसी उम्मीद हैं कि ये महीन कण दूषित जल में मौजूद गंदगी को चुबंकीय शक्ति से खुद से चिपका लेंगे और इस तरह जल शुद्ध हो जाएगा। लेकिन इस प्रयोग का अभी अंतिम निष्कर्ष नहीं आया है।

 जल प्रशोधन संयंत्रों में उच्च तापमान के जरिए गंदगी को अलग करने की तकनीक अपनाई गई है। एक ड्रायर में सीवरेज के मल को भाप में बदलकर पाइप के माध्यम से ठंडी नलियों में डाला जाता है। इस प्रक्रिया से गंदगी सूख जाती है। इस सूखी गंदगी को भट्टी में ऊंचे तापमान पर जलाया जाता है। इससे उच्च तपमान में तीव्र गति की भाप का उत्सर्जन होता है,इसे सीधे भाप इंजन में भेजा जाता है। इस भाप के दबाव से संयंत्र से जुड़ा जेनरेटर चालू हो जाता है और बिजली बनने लगती है। सह उत्पाद के रूप में जो भस्म अवशेष के रूप में मिलती है,उसे खेतों में खाद के रूप में काम में लाया जा सकता है। इस प्रक्रिया के दूसरे चरण में बनी भाप को स्वच्छता प्रणालियों से तब तक गुजारा जाता है,तब तक यह भाप, स्वच्छ पानी में बदल नहीं जाती। इस सब के बावजूद इस जल को निर्विवाद के रूप से शुद्ध नहीं माना जा सकता है, क्योंकि ताजा शोधों से पता चला है कि सुक्ष्मजीव 70 डिग्री सेल्सियश उच्च तापमान और शून्य से 40 ड्ग्रिी सेल्सियश निम्न तापमान में भी जीवित पाए गए हैं। 25 अप्रैल 2015 के करंट साइंस जर्नल में 'ग्रोथ ऑफ वाटर प्यूरीफिकेशन टेक्नोलॉजीज इन एरा और रेगुलेटरी वैकम इन इंडिया' शीर्षक से एक रिपोर्ट छपी है इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रिवर्स-ओस्मोसिस ;आरओद्ध प्रौद्योगिकी का अनियंत्रित प्रयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है। क्योंकि इससे शोधित विषाक्त पदार्थ आर्सेनिक और फ्लोराइड वापस भू-जल में विलय हो जाते हैं। लिहाजा यह नहीं कहा जा सकता है कि वाकई इन संयंत्रों से पानी पूरी तरह शुद्ध हो सकता है ? गोया भारत को भारत में पानी का बाजार तलाशतीं इन बहुराष्ट्रीय  कंपनियों की भ्रामक रिर्पोटों से सावधान रहने की जरूरत है।
   

प्रमोद भार्गव
शब्दार्थ 49,श्रीराम कॉलोनी
शिवपुरी म.प्र.
मो. 09425488224
फोन 07492 232007
   
लेखक प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार है।

           

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: भारत में पानी के बाजार को बेचैन दुनिया ?
भारत में पानी के बाजार को बेचैन दुनिया ?
https://1.bp.blogspot.com/-H15PPViPEnY/VLCZ8BlC8MI/AAAAAAAAc4Y/ihAosGGNEvo/image_thumb%25255B3%25255D.png?imgmax=200
https://1.bp.blogspot.com/-H15PPViPEnY/VLCZ8BlC8MI/AAAAAAAAc4Y/ihAosGGNEvo/s72-c/image_thumb%25255B3%25255D.png?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/05/blog-post_65.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/05/blog-post_65.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content