कहानी - औरत एक दहलीज है

SHARE:

विनिता राहुरीकर   अमित कार की डिग्गी से सामान निकाल कर बाहर रखते जा रहे थे। आदित्य और आशी बैग उठाकर घर के अंदर ले जाकर रख रहे थे। विभा पि...

विनिता राहुरीकर

 

अमित कार की डिग्गी से सामान निकाल कर बाहर रखते जा रहे थे। आदित्य और आशी बैग उठाकर घर के अंदर ले जाकर रख रहे थे। विभा पिछली सीट पर रखा छोटा-मोटा सामान समेटने लगी।

घर के अंदर आते से ही सबसे पहले विभा ने शॉल निकालकर एक ओर रख दिया। ये ठंड की शादियों में भी बड़ी मुसीबत है। हर ड्रेस के मैचिंग का स्वेटर शॉल अलग से रखो। चार लोगों के कपड़े जितने नहीं हुए उससे ज्यादा जगह तो इन गरम कपड़ों ने घेर ली। पूरे दो बैग भरकर तो बस ऊनी कपड़े ही हो गये। और बाकी कपड़े अलग। छः बैग हो गयी थी। घर की शादी थी। विभा की जेठ की लड़की की शादी। जाना भी तो पाँच दिनों के लिये था। अब शादी में सुबह से रात तक कोई एक ही कपड़े में तो रहता नहीं है तो एक दिन के दो जोड़ तो रखने ही पड़ते हैं। चारों के मिलाकर तो ढेर कपड़े हो गये। और उस पर ये ऊनी कपड़े।

कमरे में रखे बैग्स का ढेर देखकर विभा को थकान हो आयी। जाते समय तो उत्साह से भरे होने के कारण पैकिंग फटाफट हो जाती है लेकिन अब आने के बाद थकान के कारण उन्हीं बैग्स को खाली करके सामान वापस जमाने के नाम से रोना आ रहा है।

विभा ने आदित्य से बोलकर फिलहाल तो सामान बेडरूम में रखवा दिया। दोपहर को देखा जायेगा। उज्जैन से भोपाल आते हुए रास्ते में एक ढ़ाबे पर पेट भर नाश्ता करने के साथ ही विभा ने दोपहर के लिए सब्जी रोटी भी पैक करवा ली थी। पता था एक तो खुद भी थकी हुई थी तो आते साथ ही खाना बनाने की दम नहीं थी और अमित को भी जल्दी ही ऑफिस जाना था तो उतना समय भी नहीं था।

अमित नहाने चले गये और दोनों बच्चे अपने कमरे में जाकर सो गये। चार रातों से जगे हुए जो थे। विभा ने भी नहाकर झटपट गरमा-गरम चाय बना ली। अमित के लिये टिफिन में सब्जी रोटी रख दी

image 

अमित नहाकर आए तो दोनों टेबल पर बैठकर चाय पीने लगे। अचानक अमित को जैसे कुछ ध्यान आया विभा से पूछने लगा -

''नेहा के दोनों बच्चों को पैसे दिये थे ना तुमने हाथ में कि नहीं ?''

''हाँ दे तो दिये थे। आपके सामने ही तो पर्स से निकाले थे।''

''हाँ निकाले तो थे पर दिये कि नहीं ये मुझे क्या पता। मेरे सामने नहीं दिये ना।'' अमित ने ठंडे स्वर में कहा।

''तब आप कार में सामान रख रहे थे। और जब मैनें बच्चों को देने के लिए शगुन के पैसे निकाले थे तो दूंगी ही, वापस अपनी पर्स में तो नहीं रख लूंगी।'' विभा तुर्श स्वर में बोली।

''मैंने देखा नहीं इसलिये पूछा लिया।'' अमित का स्वर वैसा ही ठंडा था।

''जाओ तो अभी नेहा को फोन लगाकर पूछ लो कि मैंने उसके बच्चों को पैसे दिये कि नहीं।'' विभा के स्वर में तल्खी आ गयी। गले में चाय का स्वाद कड़वा हो गया।

अमित ने कुछ कहा नहीं चाय का खाली कप टेबल पर रखकर ऑफिस चला गया। विभा का मन अफसोस से भर गया। अमित ऐसा सोच भी कैसे सकता है। इसका मतलब है सुबह वहाँ से चलने के समय से ही अमित के मन में ये बैचेनी चल रही होगी। बच्चों के सामने पूछा नहीं लेकिन मौका मिलते ही मन का पाप बाहर आ गया।

मतलब पति को आज भी उस पर भरोसा नहीं है। उन्हें ऐसा लगता है कि उनके कहने के बावजूद वह उनके भाई की बेटी के बच्चों के हाथ में आशीर्वाद स्वरूप कुछ नहीं देंगी। इतना बड़ा लांछन ? पति को दिखाने के लिये वो पैसे बाहर निकालेंगी और फिर नजरें बचाकर वापस रख लेंगी क्या ?

अमित ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि हजार रूपये बचाकर विभा कौन सा महल खड़ा कर लेगी। विभा पर ऐसा ओछा संदेह वो भी उस भाई के परिवार के कारण जिन्होंने रूपये के लेन-देन के मामलों में न जाने कितनी बार अमित को धोखा दिया होगा।

याद आया बीस बरस पहले जब शादी को कुछ ही माह हुए थे तब भी ऐसा ही एक सवाल पूछा गया था। ''श्याम को घी परोसती हो कि नहीं दाल में ?''

तब देवर साथ में ही रहता था। विभा ने उस समय दुःख और क्षोभ में खाना नहीं खाया था दो दिन तक। ऐसा तुच्छ विचार कि वह पति को दाल में घी परोसेंगी और देवर को नहीं, कभी भी उनके मन में नहीं आया, लेकिन जो सात फेरे लगाकर, सात जन्में का साथ निभाने का वचन देकर, महज विश्वास की एक नाजुक डोर से बांधकर हमेशा के लिए इस घर में लेकर आया है, उसी के मन में विभा, अपनी सहचरी को लेकर इतना संदेह। मन में पत्नी रूपी स्त्री के प्रति ऐसी सोच लेकर भी पुरूष उसके साथ पूरी उम्र गुजारता है, उसे अपनी संगिनी, सहधर्मिणी कहता है और इक्कीस वर्ष बाद भी वह दुराव वह संदेह आज भी मन में वैसा ही ताजा है, जबकि वह पूरी निष्ठा से अपने सारे कर्तव्य निभाती आयी है पतिगृह में।

आज उसे समझ आया माँ क्यों बार-बार कहती थी ''औरत एक दहलीज है।'' माँ का दुःख उसकी पीड़ा, उसके अंतर्मन का हाहाकार उसे आज समझ आया था।

बात एक चम्मच घी कि या हजार रूपये की नहीं मानसिकता की है, विश्वास की है, जिस पर आप अपना सर्वस्व अपनी पहचान तक न्यौछावर कर देते हो, जिसका घर बनाने में आप अपना जीवन उसकी नींव भरने में अर्पित कर देते हो, उसी की ऐसी..........।

कभी अपने घरवालों से नहीं पूछा होगा अमित ने कि विभा के लिए क्या किया।

याद नहीं करना चाहा हमेशा कड़वी बातों और घटनाओं को विभा ने थूक ही दिया, पर आज एक-एक कर ऐसे संशयों के कितने सारे नाग मन में फन उठाकर याद आने लगे। अमित के ऐसे व्यवहार, उपेक्षा, परायेपन के नाग।

घर में सामान, सोने, जमीन-जायदाद के बंटवारे हुए बेचे गये। अमित हमेशा अकेले जाते, क्या बिकता, कितने में बिकता किसको दिया जाता ना अमित ने ही कभी बताया ना विभा ने पूछा। दूसरी बहुओं की तरह कभी हिस्से के लिये झगड़ने नहीं गयी। उसे क्या करना, अमित जितना कमाते हैं उसके लिये वही बहुत है।

बात ज्यादा बड़ी नहीं थी मगर उसके पीछे के भाव इतने गहरे थे कि मन में बहुत गहराई तक धंस गये।

आज विभा को माँ की बहुत याद आ रही थी। कब उसने कुछ बैग खाली किये, बिना धुले और धुले कपड़े अलग किये, कब गहने सामान सहेजकर लॉकर में रखा उसे कुछ पता नहीं। उसके सामने तो बस माँ की वह मूर्ति ही जमकर बैठी थी। बचपन से ही विभा देखती आयी थी भरे-पूरे ठाठबाट संपन्न, समृद्ध घर में भी माँ कभी-कभी हताश सी साँस भरकर कहती थी ''औरत एक देहरी है बस देहरी, और कुछ नहीं।''

तब उस उम्र में विभा को बहुत आश्चर्य होता था, इतना बड़ा समृद्ध, सुखी घर परिवार, और फिर भी माँ कभी-कभी अचानक इतनी दुःखी इतनी अकेली सी क्यों लगती है। जब कभी माँ बरामदे की दहलीज की लकड़ी की चौखट को बड़े लाड़ और अपनेपन से सहलाती तब हँसी भी आती और अंदर ही अंदर दिल रोने को हो आता कि कहीं मेरी माँ पागल तो नहीं हो रही, और विभा दौड़ कर माँ के सीने से चिपट जाती।

इस उम्र में जाकर विभा को माँ का दुःख समझ आया शरीर पर लदे किलो भर सोने के गहनों से औरत सुखी नहीं होती, सुखी होती है अपने परिवार का विश्वसनीय हिस्सा बनकर, अपने घर में अपना अधिकार पाकर, अपने व्यक्तित्व की ठोस उपस्थिति जताकर। मगर कितनी औरतों को वास्तविक अर्थों में घर में उनकी जगह मिलती है।

अधिकांश तो अपने घर के भुलावे में ही उम्र काट देती हैं। घर की देहरी और माँ एक दूसरे की तत्सम् थी। दोनों घर के भीतर ना आ पाने के कारण दुःखी थी और सांझ की निःस्तब्ध बेला में दोनों एक दूसरे के साथ अपना दुःख बांटती थीं। घर की दहलीज जैसे कभी घर के अंदर नहीं आ पाती और उखड़कर बाहर भी नहीं जा पाती वैसे ही।

बरामदे के किवाड़ से सर टिकाकर बैठी विभा सांझ ढले तक आँखों से न जाने इक्कीस वर्ष की कितनी पीड़ाओं को बहाती रही। कंधे पर किसी का स्पर्श पाकर चौंक गयी। जल्दी से आँसू पोंछकर देखा, हाँथ में चाय की ट्रे लेकर आशी खड़ी थी।

आशी ट्रे नीचे रखकर विभा के कंधे पर सिर रखकर वहीं बैठ गयी। विभा की आँखें फिर से नम हो गयी। पिता विरासत में धन संपत्ती देता है, लेकिन माँ अपनी बेटी को विरासत में देहलीज का श्राप देती है। पिता के घर से उखड़कर पति के घर में चुन दी जाती है, औरत एक देहलीज है।

 

----

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी - औरत एक दहलीज है
कहानी - औरत एक दहलीज है
http://lh3.googleusercontent.com/-C6ZuTyzpgx8/VWRErz6wf4I/AAAAAAAAjJI/MiHKQfbfFJE/vinita%252520rahurikar_thumb.jpg?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-C6ZuTyzpgx8/VWRErz6wf4I/AAAAAAAAjJI/MiHKQfbfFJE/s72-c/vinita%252520rahurikar_thumb.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/05/blog-post_74.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/05/blog-post_74.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content