पर्यावरण पथ के पथिक 14 - कासिम मोहम्मद

SHARE:

  पर्यावरण पथ के पथिक पर्यावरणविदों की असली जीवन कहानियां संपादनः ममता पंडया, मीना रघुनाथन हिंदी अनुवादः अरविन्द गुप्ता   कासिम मोहम्...

  image

पर्यावरण पथ के पथिक

पर्यावरणविदों की असली जीवन कहानियां

संपादनः ममता पंडया, मीना रघुनाथन

हिंदी अनुवादः अरविन्द गुप्ता

 

कासिम मोहम्मद

कासिम मोहम्मद और उनका परिवार सालों से नलसरोवर के पास रहते आये हैं। यह बड़ा ताल गुजरात में, अहमदाबाद से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस ताल पर बड़ी मात्रा में, प्रवासी पक्षी आकर्षित होते हैं, विशेषकर जाड़े के मौसम में। बहुत से दर्शक और सैलानी इन पक्षियों को देखने के लिये आते हैं। कुछ ताल के पास पिकनिक मनाने भी आते हैं। कासिम एक ऐसे परिवार से आते हैं जिसने बरसों से नाव चलाने का काम किया है। कासिम का अपने परंपरागत पेशे के साथ-साथ, नलसरोवर पर आये पक्षियों के बारे में अधिक जानने में गहरी रुचि है। वो अपने इस ज्ञान को दो-पाये पर्यटकों के साथ भी बांटने को इच्छुक हैं! वो एक स्वयंशिक्षित पक्षी-निरीक्षक हैं और उनमें अभूतपूर्व उत्साह है।

पक्षी मेरी पड़ोसी हैं

मेरा नाम कासिम मोहम्मद है। मैं 34 साल का हूं। मैं गुजरात फारेस्ट विभाग के लिये नलसरोवर पक्षी अभयारण्य में नाव चलाने का काम करता हूं। यह ताल 120 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है और अहमदाबाद से 60 किलोमीटर दूर है। इस सरोवर में बहुत से पक्षी रहते हैं परंतु जाड़े के मौसम में यहां दूर-सुदूर के बहुत से प्रवासी पक्षी भी आते हैं जिनमें खासतौर पर राजहंस (फ्लैमिंगोज), हवासील (पेलिकिन) और कई प्रजातियों की बत्तखें भी होती है। बहुत से पर्यटक नलसरोवर आते हैं - कुछ पक्षी-निरीक्षण के लिये परंतु अधिकांश पिकनिक मनाने आते हैं। मेरा काम सुबह जल्दी ही शुरू हो जाता है।

मैं पर्यटकों का अपनी नाव में, सरोवर के एक किनारे पर इंतजार करता हूं। मैं उन्हें सरोवर मैं नौका विहार के लिये ले जाता हूं और साथ में उन्हें पक्षियों के दर्शन भी करता हूं। परंतु अधिकांश पर्यटकों की पक्षी-निरीक्षण में विशेष रुचि नहीं होती है। उन्हें बस पिकनिक के दौरान, नौकाविहार में मजा आता है। मेरे पिता जब सरोवर में नाव चलाते थे तब मैंने उनके साथ काम करना शुरू किया। मेरे पिता ने मुझे नाव चलाना सिखाया। मैं पांचवी कक्षा तक पढ़ा हूं। मेरे माता-पिता ने पढ़ाई खत्म करने के तुरंत बाद मेरी शादी कर दी। मुझे चार बहनों के साथ-साथ अपने परिवार की देखभाल भी करनी पड़ती है। मुझे पता था कि एक दिन मैं भी अपने पिता की तरह ही नाव चलाऊंगा। मेरे पास कोई और चारा भी नहीं था। जब से पिता कमजोर और बीमार हुये तब से उन्होंने नाव चलाना छोड़ दिया। उसके बाद मुझे ही इस काम को संभालना पड़ा।

अब मेरे पिता और एक बहन, गेट के पास चाय की दुकान चलाते हैं। नाव चलाने के लिये बहुत ताकत, सहनशक्ति और उर्जा की जरूरत होती है। मुझे यह नहीं पता कि मुझे कैसे पक्षियों के नाम याद हुये परंतु पक्षियों में रुचि किस तरह जगी यह मुझे अच्छी तरह याद है।

जब मैं सात साल का था तो एक बूढ़ा आदमी नलसरोवर को देखने आया करता था। हर कोई उस बूढ़े आदमी की बातें करता। उनके पास एक कैमरा था और जब वो कैमरे का बटन दबाते तो उससे निकलती ‘क्लिक’ की आवाज मुझे बहुत पसंद आती। जब मुझे पता चला कि वो एक पक्षी वैज्ञानिक हैं तो मैं अचरज करने लगा कि भला लोग पक्षियों का क्यों अध्ययन करते हैं। बाद में मुझे पता चला कि उनका नाम डा सलीम अली था। वो एक नामीगिरामी व्यक्ति थे और उन्होंने प्रकृति विज्ञान में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनकी उस यात्रा के बाद से मैं पक्षियों को ध्यान से देखने लगा। मैं पक्षी-निरीक्षण करते-करते ही बड़ा हुआ हूं और इस दौरान मैंने पक्षियों की आबादी को घटते हुये भी देखा है।

इस सरोवर के चारों ओर सात गांव बसे हैं। इनके निवासी मूल रूप से मछलियां पकड़ते हैं और कुछ अधिक पैसे कमाने के लिये चिड़ियों को भी पकड़ते हैं। वो कुछ चिड़ियों को बेंच देते हैं और कुछ को खा जाते हैं। पक्षियों को पकड़ने के लिये वो दो बांसों की सहायता से एक खड़े जाल को पानी सतह पर लगाते हैं। मेरी पक्षियों में रुचि एक घटना के बाद से शुरू हुयी। मैंने और मेरे मित्र ने एक पक्षी को जाल में फंसा हुआ पाया। हमें लगा कि पक्षी मरा होगा परंतु वो बच गया। हमने जब जाल में से पक्षी को छुड़ाया तो हम उसके पंखों का रंग और उसकी चोंच देखकर दंग रह गये। यह पहला अवसर था जब मैंने किसी चिड़िया को इतने करीब से देखा था।

एक बार मैंने और मेरे मित्र ने बेवकूफी में पक्षियों को फंसाने की योजना बनायी। हमने ऐसा क्यों किया यह मुझे अब याद नहीं। हमने ऐसे दो बांस और जाल लिये जिनसे स्थानीय लोग पक्षियों को पकड़ते थे। दोनों बांसों को इकट्ठा लगाना आसान नहीं था। दो घंटे तक पानी में संघर्ष करने के बाद हम जाल को फैलाने में सफल हुये। सुबह को हम उसमें फंसे पक्षी को देखने के लिये आये। हमारे दोनों बांस और जाल गायब थे! यह देखकर हमें बड़ा गहरा धक्का लगा।

अंत में हमनें उन्हें किनारे के पास तैरता हुआ पाया। हमें इस बात का भी अंदाज लगा कि पक्षी पकड़ना कोई आसान काम नहीं है! सरोवर के पास रहने वाले बच्चे अपने आसपास हो रही चीजों से सीखते हैं। इस प्रकार पक्षियों को आज भी पकड़ा जाता है। मुझे इस बात का भय है कि अगर सरोवर के आसपास रह रहे बच्चों को ताल और पक्षियों के महत्व की शिक्षा नहीं मिलेगी तो वो कहीं एक दिन पक्षियों के शिकारी न बन जायें। कुछ नाविकों को रात के समय सरोवर की चौकीदारी का काम दिया जाता है। चौकीदारी करने के दौरान मैंने बहुत से जालों को पकड़ कर उन्हें फारेस्ट विभाग को सौंपा है। जालों की संख्या को फाइल में दर्ज किया जाता है और इस प्रशंसनीय कार्य के लिये मुझे कुछ अंक मिलते हैं

मुझे दुख है कि इन अंकों को केवल रपटों में ही गंभीरता से लिया जाता है परंतु उन पर कभी भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है। इस प्रकार की घटनायें मुझे उदास और परेशान करती हैं। मुझे फिक्र लगी रहती है कि अगर इस प्रकार की वारदातें जारी रहीं तो एक दिन सभी पक्षी लुप्त हो जायेंगे। एक बार रात को चौकीदारी के समय शिकारियों ने मेरा पीछा किया जिससे एक पत्थर मरे सिर पर आकर लगा। इन घटनाओं से मेरे परिवार के सदस्य परेशान होते हैं और मुझे इन मामलों से दूर रहने की सलाह देत हैं। दिसंबर और जनवरी के महीनों में नलसरोवर में सबसे अधिक पर्यटक आते हैं। तब तालाब पर विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का मेला सा लगा रहता है। पक्षियों को देखने के बाद लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियायें होती हैं।

जिन पर्यटकों की पक्षियों में बिल्कुल रुचि नहीं होती उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्हें जोर की आवाजें निकालने और गाना गाने में ही मजा आता है। अगर मैं उनसे चुप रहने की अपील भी करूं तो भी मेरी बात नहीं मानते। कुछ अहमदाबाद के कंकारिया चिड़ियाघर को, पक्षी-निरीक्षण की बेहतर जगह मानते हैं। उनके अनुसार वहां पर आप पक्षियों को करीबी से और स्पष्टता से देख सकते हैं। परंतु कुछ लोग केवल पक्षी-निरीक्षण के लिये ही यहां आते हैं और वो मेरे पिता से चाय की दुकान पर ही मेरे बारे में मालूमात हासिल करते हैं। जिन लोगों की पक्षियों में रुचि होती है वो मेरी बातों को बड़े ध्यान से सुनते हैं और जाते वक्त मुझे अपने विजिटिंग कार्ड और पते दते जाते हैं।

नलसरोवर में नये पक्षियों के आने की सूचना वो मुझसे टेलीफोन करके बताने को कहते हैं। मैं पर्यटकों को अधिक पैसों के लालच में, पक्षी-निरीक्षण नहीं कराता हूं। ऐसा करने से मुझे बड़ी खुशी मिलती है। मैं उम्मीद करता हूं कि ये पर्यटक वापिस जाकर अन्य लोगों को नलसरोवर की बहुमूल्य संपदा के बारे में बतायेंगे। मुझे अभी तक किसी दूसरे पक्षी अभयारण्य में जाने का मौका नहीं मिला है। अक्सर दर्शक, राजस्थान के भरतपुर पक्षी अभयारण्य का जिक्र करते हैं। परंतु मेरे लिये तो यहीं भरतपुर है। बहुत से पर्यटक पूछते हैं कि मैंने पक्षियों के नाम कैसे सीखे, क्योंकि मैं अधिक पढ़ा-लिखा नहीं हूं।

मैंने इन्हें पुस्तकों या एक विशेष व्यक्ति से नहीं सीखा। मैं पक्षी-निरीक्षण करता हुआ ही बड़ा हुआ, परंतु उन सभी के नाम, खासकर के अंग्रेजी के नामों को याद करने में मुझे कई वर्षों का समय लगा। जब कभी यहां बड़े अफसर या पक्षी-निरीक्षक आते तो वे पुस्तकों में देखकर आपस में चर्चा करते। मैं उनकी बातों को बड़े ध्यान से सुनता और कभी-कभी किताबों में झांककर उनकी तस्वीरों को पास से देखने की कोशिश करता था। अब मैं नलसरोवर के लगभग सभी पक्षियों को पहचान सकता हूं। वो यहां कब आते हैं और कहां अपने घोंसले बनाते हैं यह भी मुझे पता है। पिपि (जसाना) और जलमुर्गियों (मूरहेन) जैसे पक्षी तैरती वनस्पतियों में ही अपने घोंसले बना लेते हैं। इसलिये नाव को, सरोवर के घास वाले इलाके में ले जाते हुये और किनारे पर चलते समय मुझे सावधानी बरतनी पड़ती है।

मैं चाहता हूं कि मेरे सहनाविक भी पक्षियों के बारे में सीखें और सिखायें। अक्सर नाव वाले पक्षियों के गलत नाम बताते हैं। वो कई बार गजपांव (ब्लैकविंग स्टिल्ट) को राजहंस (फ्लैमिंगो) का बच्चा बना देते हैं! वो पर्यटकों के मनोरंजन के लिये मनमर्जी की कहानियां गढ़ लेते हैं। मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता है। हमें नलसरोवर को इस प्रकार नहीं बेंचना चाहिये। पक्षियों के कारण ही इतने सैलानी नलसरोवर आते हैं और हमें उन्हें सही और तथ्यात्मक जानकारी देना चाहिये। नाव चलाने वालों की चेतना बढ़ाना महत्वपूर्ण है। हम चाहें तो पक्षियों को बचाने का काम कर सकते हैं। इसलिये सरोवर के संरक्षण का काम हमारे अपने हित में है। मेरा सपना इस स्थान को एक सुरक्षित जगह बनाने का है।

मैं नलसरोवर को हरेक मौसम और छटा में लिपिबद्ध करना चाहता हूं। अगर इस प्रकार की डाक्युमेंटरी को लोग टेलीविजन पर देखेंगे तो वो इस सरोवर के बारे में अधिक जान पायेंगे। अगर आफिस क्षेत्र में ही एक शैक्षणिक केंद्र खोला जाये तो बहुत अच्छा होगा। नौका विहार से पहले लोग उस केंद्र में जायेंगे तो अच्छा होगा। इस सरोवर के आसपास रहने वाले लोगों को इस तालाब के महत्व के बारे में भी समझाना होगा। मुझे लगता है कि हमें आसपास के गांवों में जनजागरण और चेतना का कार्यक्रम चलाना चाहिये, खासकर छोटे लड़के-लड़कियों के लिये। उन्हें सही मार्गदर्शन की आवश्यकता है और उन्हें पक्षियों के इस स्वर्ग के पास रहने का गर्व होना चाहिये। नौका चालक और पक्षी-निरीक्षक होने के अपने ही फायदे हैं।

मैं पक्षियों को बिना विघ्न पहुंचाये भी उनके पास तक जा सकता हूं। मैं विभिन्न पक्षियों की आवाजों को स्पष्ट सुन पाता हूं और मुझे उनके व्यवहार और घोंसलों के अवलोकन का अवसर भी मिलता है। मुझे लगता है नलसरोवर ही मेरा घर है और पक्षी ही मेरी पड़ोसी हैं। मुझे नलसरोवर के रखरखाव में अपने छोटे से योगदान से खुशी मिलती है और मैं उस दिन का इंतजार कर रहा हूं जब हरेक गांववासी भी अपने आपको नलसरोवर का एक अभिन्न अंग समझेगा। सेंटर फार इंवायरनमेंट एडयुकेशन की अंबिका अइयादुराई को सुनाई वार्ता पर आधारित।

 

--

(अनुमति से साभार प्रकाशित)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: पर्यावरण पथ के पथिक 14 - कासिम मोहम्मद
पर्यावरण पथ के पथिक 14 - कासिम मोहम्मद
http://lh3.googleusercontent.com/-SgOUQHbPyyQ/VXriyXKstMI/AAAAAAAAjr4/rZPJ3d2noq0/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-SgOUQHbPyyQ/VXriyXKstMI/AAAAAAAAjr4/rZPJ3d2noq0/s72-c/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/06/14.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/06/14.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content