समीक्षा : पुरूरवा का पूर्वानुराग

SHARE:

  डा.पंचानन मिश्र द्वारा औडिया में रचित काव्य-खण्ड “पुरूरवा का पूर्वानुराग” जिसे हिन्दी भाषा में पहले पहल प्रकाशन भोपाल ने प्रकाशित किया है...

 image

डा.पंचानन मिश्र द्वारा औडिया में रचित काव्य-खण्ड “पुरूरवा का पूर्वानुराग” जिसे हिन्दी भाषा में पहले पहल प्रकाशन भोपाल ने प्रकाशित किया है. इस काव्य-खण्ड का हिन्दी में अनुवाद(भाषांतर) उडिया भाषा के मर्मज्ञ-कथाकार-कवि-रेखा चित्रकार तथा पेशे से शिक्षक श्री कृष्णकुमार अजनवी जी ने किया. है.

भारतीय इतिहास में पुरूरवा और उर्वशी का उल्लेख ऋग्वेद, यजुर्वेद, शतपथ ब्राहमण, रामायण, महाभारत, हरिवंश, कथा सरित सागर एवं उप-पुराणॊ में तथा महाकवि कालिदास के रचनाक्रम में मिलता हैं, महाकवि कालीदास ने “विक्रमोर्वशीय” में इस अलौलिक प्रणय-गाथा पर नाटक लिखा है. आग्नेय कवि रामधारीसिंह” दिनकर” ने इसी पृष्ठभूमि पर “उर्वशी” खण्ड-काव्य की रचना की है. बावजूद इसके मेरा अपना मानना है कि जिन लोगों ने इन्हें नहीं पढा है, उनके लिए इस प्रणयगाथा पर संक्षिप्त में प्रकाश डाला जाना चाहिए. मुझे ऎसा भी लगा कि ,जब तक कि उनके इतिहास से वह भली-भांति परिचित न हो जाएं.इसे हृदयगंम करने में कठिनाई आ सकती है. इसे जानकर ही प्रणय में प्राप्त होने वाले स्वर्गीय आनन्द और वियोग की हृदयविदारक पीडा को भली-भांति समझा जा सकता है..

संक्षिप्त में कथा इस प्रकार है.

'पुरूरवा' एक प्राचीन राजा थे, जिनकी राजधानी गंगा नदी के तट पर प्रयाग में स्थित थी. इन्हें बृहस्पति की पत्नी तारा और चंद्रमा के संयोग से उत्पन्न बुध का पुत्र बताया जाता है. इनकी माता मनु की पुत्री इला थीं. पुरुरवा रूपवान और पराक्रमी था. नारद के मुख से देवसभा में इनके गुणों का बखान सुनकर उर्वशी इन पर मुग्ध हो गई, और तीन शर्तों पर वह भू-लोक पर आने के लिए लालायित हो उठी. पहली शर्त यह थी कि वह(पुरूरवा) उसकी सहमति से ही समागम करेगा.(दूसरी) नग्न रूप में दिखाई नहीं देगा और (तीसरी) एक दिन में तीन बार से अधिक आलिंगन नहीं करेगा. उसने सारी शर्ते मान लीं. उर्वशी के शयनकक्ष में दो मेष (मेढ़े) थे, जिन्हें वह पुत्रवत मानती थी. देवता गण और इन्द्र स्वर्ग में अप्रतिम सौंदर्य की देवी उर्वशी के अभाव में दु:खी रहने लगे. वे उसे स्वर्ग वापिस लाने की युक्तियाँ सोचने लगे. एक दिन विश्वावसु और अन्य गन्धर्व चुपके से उर्वशी के मेषों का अपहरण करने आ गए. शयनकक्ष में उर्वशी ने शोर मचा दिया. पुरुरवा उठे और मेषों को गन्धर्वों से छीन लिया. तभी योजना के अनुसार गन्धर्वों ने वहाँ माया से प्रकाश फैला दिया और उर्वशी ने पुरुरवा को नग्नावस्था में देख लिया. क्रोध से उर्वशी शर्त के मुताबिक स्वर्ग चली गई. ऋग्वेद तथा श्रीमद्भागवत में पुरुरवा की कथा थोड़े-से अंतर के साथ आती है. उसी प्रकार मत्स्यपुराण में एक भिन्न कथा पढने को मिलती है.

हिन्दू धर्म के अनेक पौराणिक प्रसंगों में अलग-अलग अप्सराओं का वर्णन मिलता है. इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि अपनी कार्यसिद्धी के लिए इंद्र ने शाबर मंत्रों को अभिमंत्रित कर एक सौ आठ अप्सराओं की निर्मिती की थी. इनकी संख्या एक हजार आठ तक भी हो सकती है. रंभा, मेनका, उर्वशी आदि प्रमुख देवलोक की अप्सराओं ने अनेक सिद्ध पुरुषों को अपने रूप-रंग से मोहित कर तप भंग किया था. वास्तव में भारतीय समाज में अप्सरा रूप और सौंदर्य का पर्याय बन गई है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार अप्सरा देवलोक में रहने वाली अनुपम अति सुंदर, अनेक कलाओं में दक्ष, तेजस्वी और अलौकिक दिव्य स्त्री है अप्सरा तिलोत्तमा को अन्य अप्सराओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। तिल-तिल से बनी तिलोत्तमा-सबसे सुन्दर नारी थी. इस अतुलनीय शारीरिक-सौष्ठव की धनी तिलोत्तमा से भी सुन्दर “ऊर्वशी”थी,जिसे स्वयं नारायण ने अपनी जंघा (उरु) से निर्मित किया था और देवराज को दे दिया था.

मत्स्यपुराण में एक कथा के अनुसार राजा पुरूरवा ने अत्रि मुनि के आश्रम के समीप नारायण को प्राप्त करने के लिए घोर तप किया था. इस स्थान के पास एक सरोवर था,जिसमें अप्सरायें गन्धर्वों सहित स्वर्ग से उतरकर जल-क्रीडा किया करती थीं.

स त्वाश्रमपदे रम्ये त्यक्ताहारपरिच्छदः / क्रीडाविहारं गन्धर्वैः पश्यत्यप्सरसां सह कृत्वा पुष्पोश्चयं भूरि ग्रथयित्वा तथा स्त्रजः. अर्ध्यें निवेद्य देवाय गन्धर्वेभ्यस्तदा ददौ पुष्पोश्चयप्रसक्तानां क्रीडान्तीनां यथासुखम / चेष्टा नानाविधाकारः पश्यन्नपि न पश्यति

(मत्यपुराण-एक सौ बीसवाँ अध्याय)

अर्थ- राजकीय सामग्रियों तथा आहार का परित्याग कर राजा पुरूरवा उस रमणीय आश्रम में निवास करने लगे. वहाँ उन्हें गन्धर्वों के साथ अप्सराओं का क्रीडाविहार भी देखने को मिलता था. राजा बहुत से फ़ूलों को तोडकर उसकी माला गूंथते थे और उन्हें अर्ध्यसहित पहले भगवान विष्णु को निवेदित कर पुनः गन्धर्वों को दे देते थे. वे वहाँ पुष्पचयन में लगी हुईं एवं सुखपूर्वक क्रीडा करती हुई अप्सराओं की विभिन्न प्रकार की चेष्टाओं को देखकर भी अनदेखी कर जाते थे.

कथा यहीं पर समाप्त हो जाती है. मुझे लगता है कि यह वही स्थान होना चाहिए,जहाँ पर देवराज इन्द्र ने स्वर्ग की सबसे खूबसूरत उर्वशी को राजा पुरूरवा का तप भंग करने भेजा होगा. नारायण के भक्त को, भक्ति से डिगा देने के लिए, नारायण के द्वारा प्रदत्त उर्वशी से बढकर दूसरा औजार और क्या हो सकता था !.उसमें वह सफ़ल हुआ भी.

अप्सराओं के बारे में कहा गया है कि वे जरा रोग से ग्रसित नहीं होतीं. सदा नवयौवना बनी रहती हैं. उनकी चांदी सी गोल मुखाकृति, बडी-बडी विशाल भुजाएँ, चौङा ललाट, नागिन सी गूंथी बालों की लटें, तिरछे नयन, तोते की चोंच सी नाक, पतले व सुंदर होंठ, भरे हुए स्तन, पतली सपाट पिंडली व आभूषण से सजा पूरा शरीर और भाव-भंगिमाएं प्रभावोत्पादक होती है। सारी कलाओं में निष्नात, वे नृत्य-गायन और वादन में भी पारंगत होती है. उसने शरीर में कमल-पुष्प की सी गंध समाई होती है, जिसके बल पर वे अपने प्रेमी को अपने पाश में बांधे रखती है.

विश्व की सर्वोत्तम और सर्वांग सुन्दरी प्रेयसी पाकर राजा पुरूरवा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके जीवन में एक ऎसा दुर्योग आएगा कि उसे उर्वशी से बिछुडना पडेगा. वह अपने वचनों के प्रति सदा चौकस बना रहता था, लेकिन देवराज के ‍षडयंत्र के आगे, उसे घुटने टेक्ने पर विवश होना पडा था. अपनी प्रेयसी के विछोह में अपार कष्टॊं को सहता हुआ वह, अपने अतीत की भूल-भुलैया में उतरकर उन पलों को याद करता,जब उसके जीवन में रंगीनी घोलने के लिए उर्वशी का प्रवेश होता है.

काव्य-कौशल के धनी डा. पंचानन मिश्र का यह संग्रह पाठकों को उन कालखण्डॊं के गव्हर में ले जाता है, जो निराशा-हथाशा-तृष्णा-टूटन-बेकली-कशमकश-बिंधी इच्छाएं-आकाक्षाएं-स्मृतियों-विस्मृतियों,आतंक-दमन-और उत्पीडन-के गहन कुहासों से भरा हुआ है.

संग्रह में शब्दों की बुनावट में विलक्षणता इसलिए है कि, उनमें तत्त्व-चिंतन और सांसारिक तथ्यात्मकता साथ-साथ चलती रहती है, वृतांत और मन्थन के साथ-साथ. एक सार्थक और एक अच्छे काव्य-खण्ड के लिए उन्हें साधुवाद..

और अन्त में.

श्री कृष्णकुमारजी का यह प्रथम प्रयास नहीं है,. इसके पूर्व वे उडिया-भाषा की प्रख्यात लेखिका- तथा जुगनारी पत्रिका की सम्पादिका डा.अर्चना नायकजी का कहानी संग्रह” अलौकिक और अन्य कहानियाँ” मुझे भेजी, जिस पर मैंने समीक्षा भी लिखी थी. इस कहानी संग्रह में अर्चनाजी की बारह अद्वितीय कहानियां हैं, जिन्हें पढकर उनकी रचनाधर्मिता को परखा-समझा जा सकता है. अगर इन कहानियों का अनुवाद श्री अजनवी द्वारा हिन्दी भाषा में न किया गया होत्ता, तो मैं अपने समय की चर्चित लेखिका को न तो जान पाता और न ही उनके सृजन से परिचित हो पात्ता. मेरे अपने मतानुसार श्री अजनबी भारत के पहले उडिया भाषा के जानकार हैं,जो उसके के विपुल साहित्य को, हिन्दी में अनुदित कर, अन्य भाषा-भाषी तक पहुंचाने का भगीरथ प्रयत्न करने में लगे हुए हैं.

भारत में अलग-अलग प्रांतों में बोली जाने वाली भाषाएँ, मसलन-मराठी, तेलुगु, गुजराती, पंजाबी, राजस्थानी, उडिया, कश्मीरी, बांगला, कोकणी, संस्कृत आदि भाषाओं में रचे गए साहित्य में अनमोल हीरे-जवाहार-पन्ना-मोती और रत्नादि छिपे पडॆ हैं, जिन्हे, उस भाषा के विद्वान अपनी रचनाकर्म के माध्यम से सृजित भी कर रहे हैं, लेकिन जो उस भाषा के जानकार नहीं है, उसका रसास्वादन करने से वंचित रह जाते है. यह हमारे देश का दुर्भाग्य ही है कि हम अपने आसपास की समृद्ध भाषाओं से अनभिज्ञ रहते हुए, विदेशी भाषा अंग्रेजी की गुलामी का ठिकरा, अब तक सिर पर लादे घूम रहे हैं और अपने आपको गौरवान्वित होने का और सर्वज्ञ होने का भ्रम पाले हुए हैं. बात यह नहीं है कि मैं अंग्रेजी का धुर विरोधी हूँ. हमें अंग्रेजी ही क्या, विश्व की अन्य भाषाओं से भी परिचित होना चाहिए. हम जितनी भाषाओं के जानकार होंगे, उतना ही हमारा हृदय विशाल होगा.... ज्ञान में वृद्धि होगी और भी अन्यान्य फ़ायदे हमें मिलेंगे. यदि शिक्षा नीति में इस तरह का बदलाव लाया जाए कि हर व्यक्ति को उसके पडौस में बोली जाने वाली भाषा का जानकार होना ही चाहिए. ऎसा किए जाने से भारत की एकता और ज्यादा बलवती होगी. ऎसा मेरा विश्वास है.

एक श्रे‍ष्ठ खण्ड-काव्य के लिए डा.पंचानन मिश्रजी को साधुवाद-धन्यवाद. इस उम्मीद के साथ वे अपना सर्वश्रे‍ष्ठ पाठकों तक पहुंचाते रहेंगे. पुनः साधुवाद.

समीक्षक - गोवर्धन यादव

संपर्क -
103,कावेरी नगर,छिन्दवाडा (म.प्र.) 480001
07162-246651,9424356400

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: समीक्षा : पुरूरवा का पूर्वानुराग
समीक्षा : पुरूरवा का पूर्वानुराग
http://lh3.googleusercontent.com/-OvdsCfebLDE/VZdqgECeXfI/AAAAAAAAkns/e30SQXx0jfs/image%25255B3%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-OvdsCfebLDE/VZdqgECeXfI/AAAAAAAAkns/e30SQXx0jfs/s72-c/image%25255B3%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/07/blog-post_4.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/07/blog-post_4.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content