हास्य-व्यंग्य : राज की बात

SHARE:

- प्रमोद यादव । एक तल्ख़ हकीकत बता रहा हूँ..अगर आप आम आदमी हैं तो समझिये आपका बेडा गर्क है..इस मुल्क में आम आदमी का जीना दुश्वार ही नहीं ...

image

- प्रमोद यादव

एक तल्ख़ हकीकत बता रहा हूँ..अगर आप आम आदमी हैं तो समझिये आपका बेडा गर्क है..इस मुल्क में आम आदमी का जीना दुश्वार ही नहीं बल्कि हराम भी है..कदम-कदम पर रिश्वतखोरी..बेईमानी है..धोखे और फरेब है..एक बहुत पुराना गाना है -‘ बाबूजी धीरे चलना..प्यार में जरा सम्हलना..बड़े धोखे हैं इस राह में..’ तब उस जमाने में निश्चय ही यह प्रणय-गीत रहा होगा पर आज के सन्दर्भ में ये आम आदमी का गीत है..अब यहाँ “प्यार” का अर्थ थोडा बदल गया है..इश्क-मुश्क वाला न होकर केवल “लगाव” (अटेचमेंट) रह गया है..कवि वार्न कर रहा है -ऐ बाबू धीरे चलो..और सम्हलकर चलो..ऊँचे तबके के अवसरवादी लोगों के (नेताओं के) झांसे में मत आओ..ये समय-बेसमय (चुनाव-उप चुनाव के दिनों) आपसे प्रगाढ़ प्रेम का नाटक करेंगे.. हाथ मिलायेंगे.. गले मिलेंगे (फिर काटेंगे भी).... इनसे बच के रहो या दूर ही रहो..इनके चक्कर में आओगे तो ढूँढ़ते रह जाओगे (अपना वजूद).. जब सौ साल बाद भी आपको आम ही रहना है..कोई “ख़ास” नहीं तो जल्दबाजी क्यों ? हाय तौबा क्यों? जिंदगी की राह को धीरे-धीरे ही नापो वर्ना हाथ-पाँव जल्दी फूल जायेंगे..भागम-भाग तो जिंदगी भर है..

 

कभी इस विभाग से उस विभाग..तो कभी इस दफ्तर से उस दफ्तर...कभी भाई के लिए तो कभी भांजी के लिए..कभी राशन के लिए तो कभी गैस के लिए..बस उसे तो दौड़ना ही है..बड़े लोग तो नौकर-चाकर को दौड़ा लें..आम आदमी किसे दौडाए ? हास्पिटल भी उसे ही जाना..कोर्ट-कचहरी भी उसे ही जाना..निगम-नलघर उसे ही जाना है..टेलीफोन बिजली बिल उसे ही पटाना है..और जब तक इन जगहों पर आप किसी को पटाकर नहीं रखेंगे आपका भला (काम) होने वाला नहीं ..हास्पीटल में काम है तो डाक्टर न सही पर वार्ड ब्वाय को जरूर पटाकर रखे..डाक्टर परिचित होकर भी परेशान कर सकता है पर वार्ड ब्वाय नहीं..बस..उसकी मुट्ठी थोड़ी जरुर गर्म करनी होगी..थाने का काम हो तो टी.आई.या इन्स्पेक्टर से परिचय किसी काम का नहीं..वो सीधे-सीधे आपका काम नहीं करेगा..वह मुंशी के मार्फ़त ही आपको मारेगा.. मुंशी ही अनुमानित खर्च बतायेगा..कोर्ट का काम हो तो अपर कलेक्टर या डी.जे. भले परिचित निकले पर सीधे काम नहीं करेगा..बड़े बाबू से संपर्क साधने कहेगा..फिर बड़ा बाबू ही साधकर बतायेगा कि केस में कुल कितना कैश लगेगा...कुल मिलाकर कहानी ये कि आम आदमी की कहीं भी खैर नहीं..जेब ढीली करेगा तभी काम होगा..कितने दिनों में होगा उसका कोई खुलासा नहीं..पेमेंट के पश्चात भी काम होगा ही… इसकी कोई गारंटी नहीं..

 

दुर्भाग्य से मैं भी इसी कैटेगरी से ताल्लुक रखता हूँ..सरकारी हाई स्कूल में गणित का टीचर (लेक्चरार) हूँ..गुणा-भाग में तो एक्सपर्ट हूँ पर जिंदगी के गुणा-भाग में बिलकुल ही सिफर..जब कभी भी उपरोक्त विभागों अथवा दफ्तरों से पाला पड़ा..चारों खाने चित्त हुआ..एक तो रिश्वत खोरी से ही मुझे एलर्जी है..और फिर तनख्वाह से बचते ही क्या हैं कि किसी को कुछ दे ?..आम आदमी की बीबी एक बनारसी साडी की फरमाईश में बेचारी बूढ़ी हो जाती है..एक सोने की लटकन की आस में आखिरी सांस तक अटकी रहती है..ऐसे में इनकी फरमाईशें कैसे पूरी करे ? लेकिन जिंदगी में कई बार कुछ काम ऐसे आन पड़ते हैं कि उसका क्रियान्वयन जरूरी हो जाता है.. ऐसे ही एक कार्य में एक बार उलझ गया..मामला कोर्ट-कचहरी से सम्बंधित था..

 

पहले तो आस जगी कि रेखराम के होते मेरा काम हो जाएगा..पर उसकी फितरत से वाकिफ होते शंका भी बनी रही कि बिना लिए-दिए वो कुछ करेगा नहीं..अब जमीन का मामला था तो उससे मिलना भी जरूरी था..पत्नी को पहले ही बता दिया था कि मेरा सहपाठी जरूर रहा है..और एक जमाने में दोस्त भी..पर जबसे कोर्ट में घुसा है..घूसखोर हो गया है.. हरामखोर हो गया है..बिना लिए-दिए किसी का भी काम नहीं करता..कलेक्टर के यहाँ बड़े बाबू होने का भरपूर फायदा उठाता है..कोर्ट-कचहरी के सारे कामों का ठेका ले रखा है..किसी जमाने में जो टूटे-फूटे कच्चे मकान में दुबका रहता वो आजकल थ्री बी.एच.के. अपार्टमेन्ट में पसरा रहता है..स्कूल के दिनों के बाद उससे यदा-कदा ही भेंट हुई ..पर जब कभी मिला -ये जरुर कहा कि कोर्ट का कोई काम निकले तो याद कर लेना..करवा दूंगा..

 

पत्नी बार-बार कह रही कि आपके साथ पढ़े हैं.. बचपन के दोस्त है तो आपसे पैसे थोड़े ही लेंगे ?और लेंगे भी तो औरों से कम ही लेंगे..एक बार मिल तो लो..आखिर काम तो वहीं से होना है..न चाहते हुए भी मिलना मजबूरी हो गया.. मैं उस हरामखोर दोस्त को अच्छी तरह जानता हूँ..वो पैसे के लिए अपने सगे बाप को भी न छोड़े तो मैं भला किस खेत की मूली ? फिर भी पत्नी के कहने पर एक दिन उससे मिलने कलेक्टोरेट चला गया..बहुत देर तक तो उसने जानबूझकर मुझे नहीं देखने का नाटक किया..नजर अंदाज करता रहा..बेवजह ही इधर की फाईल उधर और उधर की फाईल इधर पटकता रहा.. पास खड़े लोगों को सलाह –मशविरा देता रहा..किसी को लाख की बात कहता तो किसी को हजार की..मैं चुपचाप खड़ा उसके दांव-पेंच देखता रहा..जब सब चले गए तो मेरी ओर देखते बड़ी एक्टिंग के साथ कहा- ‘ अरे ? कब आये ?बैठो..बैठो..बताना तो था...कि आये हो..हाँ बोलो कैसे आये..? सब खैरियत तो है ? ‘ मैं चुप रहा..

 

वही फिर बोला-‘ अच्छा चलो चाय का वक्त हो गया है..कैंटीन चलते हैं..वहीँ बातें करेंगे..’ मैं उसके पीछे-पीछे हो लिया..चाय की चुस्की लेते उसने पूछा - ‘ हाँ बताओ..क्या बात है ? कैसे आना हुआ ?’ तब मैंने सारी बातें उसे विस्तार से बता दी..सुनकर एकदम गंभीर हो गया..चुप्पी साध गया..मैंने पूछा- ‘ क्या बात है यार ? काम हो जाएगा न ? ‘ उसने बड़ी देर बाद लम्बी चुप्पी तोड़ते कहा- ‘ केस बहुत पेचीदा है यार..सामनेवाला मुक़दमा ठोक देगा तो मिनटों में हार जाओगे..’

 

मैंने पूछा- ‘ तो फिर ? ‘

‘ तो फिर क्या ?..कुछ ज्यादा ही खर्च करोगे तभी उबर पाओगे..मुझे तो उम्मीद नहीं दिखती..पर बचपन के दोस्त हो तो कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा..मैं नहीं चाहता कि तुम्हारी जेब ढीली हो..पर इस केस में बहुत सारे लोगों को पटाना पड़ेगा..उन्हें खिलाना-पिलाना पड़ेगा..बोलो तो आगे बात करूँ ? ‘

‘ कितना लग जाएगा यार ?’ मैंने धड़कते दिल से पूछा.

 

‘ वो कल ही बता पाऊंगा यार..बड़े अधिकारियों से बात करनी होगी..वैसे तुम एक आवेदन बनाकर रखो..कल शाम तक बताता हूँ..’ इतना कह वह उठ गया.. मुझे उसकी बातों पर तनिक भी विश्वास नहीं हुआ..उसकी बातों में साफ़ मक्कारी झलक रहा था..

दूसरे दिन शाम को उसके अपार्टमेन्ट में गया तो उसने जो इस्टीमेट बताया उसे सुन मैं मटियामेट होते-होते बचा..पूरे एक लाख अस्सी हजार का खर्च बताया..ऊपर से ये एहसान भी जताया कि अपना हिस्सा वो नहीं ले रहा..इसलिए बीस हजार कम.. अन्यथा पूरे दो लाख....मैंने तुरंत ही अपनी असमर्थता जाहिर कर दी..इतने रूपये नहीं होने का रोना रोया तो उसने कहा- ‘ कोई बात नहीं यार..जब हो तो आ जाना..मैं कौन सा आज ही रिटायर हो रहा..’ मैं हामी भरते लौट आया..पत्नी को बताया तो बोली- ‘ सचमुच ही पेचीदा मामला होगा जी तभी इतना खर्च बताया..आखिर दोस्ती की खातिर अपना हिस्सा तो बेचारे छोड़ ही रहे..अब दोस्त है तो कोई लाख-दो लाख तो अपनी जेब से कुर्बान नहीं करेगा न ? ‘ न जाने क्यूँ मुझे उसकी मीठी-मीठी बातों पर कतई विशवास नहीं था..वह मक्कार तो स्कूल के ज़माने से ही था...

 

इस घटना को बीते पंद्रह-बीस दिन ही हुए थे कि एक दिन अचानक वो घर आ धमका..आते ही कहने लगा- ‘ यार..खूब छकाया तुमने.. काफी ढूँढ़ते- ढूँढ़ते मुश्किल से घर मिला.. यहाँ कबसे आ गए भई ? पुराने घर गया तब पड़ोसियों ने बताया कि आजकल इधर आ गए हो..बैठने नहीं कहोगे ? ‘

‘ अरे आओ रेख...आज रास्ता कैसे भूल गए ? ‘ मैं भी आश्चर्य चकित था कि ये मक्कार अचानक यहाँ कैसे ?

 

‘ अरे तुम्हें शायद मालूम नहीं..सप्ताह भर पहले ही यहाँ नई कलेक्टर साहिबा आ गई हैं..पुराने का ट्रांसफर हो गया..जब से आई है ,तुम्हें याद कर रही है..परसों शाम उन्होंने तुम्हें भाभी जी के साथ बंगले पर डिनर में बुलाया है..और हाँ..तुमने आवेदन लिखा था क्या ? नहीं लिखे होगे तो एक कोरे पेपर पर साइन भर करके दे दो..आवेदन मैं बना लूंगा..मैंने “ऊपर वालों” से बात कर ली है..कल शाम तक तुम्हारा काम हो जाएगा..’

‘ और पैसे ? ‘ मैंने पूछा.

 

‘ कौड़ी भर भी नहीं यार..तुमसे पैसे लूँ तो दोस्ती किस बात की ? मैंने बात कर ली है..सबको पटा लिया है..मामला सुलझा लिया है..’

‘ अरे वाह.. अचानक ये कैसा चमत्कार हो गया भई ? और ये तो बताओ कौन कलेक्टर आई है और क्यों मुझ पर मेहरबान हैं ? ‘

तभी दरवाजे के पीछे खड़ी पत्नी बाहर निकल आई और नमस्ते कर धन्यवाद देने लगी कि दोस्ती के चलते आपने बिना कुछ लिए-दिए काम करने का जो बीड़ा उठाया वह स्तुतनीय है.. आपका मुंह मीठा कराती हूँ..इतना कहते वो मिठाई लेने चली गई..

‘ अबे बता न कौन आई है ? ’ मैंने धीरे से पूछा.

‘ अम्बिका यार...’ उसने भी धीरे से मुंह खोला.

‘ अम्बिका ?..अम्बिका शर्मा ?..जो हमारे साथ पढ़ती थी ? ए.डी.एम.शर्मा की बेटी...? ‘

 

‘ हाँ यार.. वही..उसने ज्वाइन करते ही मुझे अपने कार्यालय में देखी तो घंटों हंसती रही..फिर तुम्हारे बारे में पूछी कि कहाँ है ? मैंने बताया कि यहीं मास्टरी कर रहा है तो खुश हुई और बोली कि किसी दिन उन्हें बंगले में सपरिवार आमंत्रित करो खाने पर...और तुम भी अपनी फैमिली के साथ पधारो..’

‘ हूँ..तो ये बात है जनाब..’ मैं तुरंत ही समझ गया कि मेरा मामला एक दिन में कैसे सुलझने वाला है ..वो भी बिना कोई लेन-देन के..

मैंने कहा- ‘ ठीक है यार..जब अम्बिका यहाँ आ गई है तो अब तुमसे अक्सर मुलाकात होती ही रहेगी..चलो परसों वहीँ मिलते है..’

तभी पत्नी मिठाई लेकर आ गई..रेखराम को खिलाते बोली- ‘ भैया..मैं जानती थी कोई काम आये न आये पर बचपन के दोस्त जरुर एक दूजे के काम आते हैं..आप लाखों का काम फ्री में करा रहे ..आपका ये एहसान हम कभी नहीं भूलेंगे..’

 

‘ अरे नहीं भाभी जी ये तो मेरा फर्ज है..दोस्त के लिए इतना कुछ भी न करूँ तो लानत है मेरी नौकरी पर..’ कहते, हें-हें करते और मुझे देख झेंपते वह चला गया.

पत्नियाँ सबकी एक जैसी ही होती हैं- सीधी-सादी और मूर्ख..अब भला मेरी पत्नी को कौन बताये कि ये मामला फ्री में कैसे निपट रहा ? इसके पीछे की कहानी ये है कि स्कूल के दिनों में अम्बिका से मेरी अच्छी दोस्ती थी..वो हर मामले में उस्ताद थी..पढाई-लिखाई..खेलकूद..नाच-गाना..वाद-विवाद..सब में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती..मैं भी उससे इतर नहीं था इसलिए उससे अच्छी पटरी बैठती..रेखराम भी मेरे ग्रुप में था..उसे लड़कियों के सानिध्य में उठने-बैठने का बड़ा ही शौक था..जबकि लड़कियां उसे दुत्कारती थी..अक्सर लड़कियां जानबूझकर उससे काम करवाती..ताकि दूर रहे..अम्बिका तो उससे इतना काम लेती कि कभी-कभी झल्लाकर वह कहता— ‘ यार..ये साली हमेशा मुझसे नौकरों की तरह काम करवाती है..कभी कापी मंगवाती है तो कभी पुट्ठा ..कभी समोसे तो कभी भुट्टा ..’

 

एक दिन का वाकया है..बरसात के दिन थे..हम सब फिजिक्स लेब में बैठे थे..कि अम्बिका बोली- ‘ रेख.. मेहरबानी करके एक गिलास पानी पिलाओगे क्या ? बड़ी प्यास लगी है.. ‘ वो इतने प्यार से बोली कि रेखराम को उठना ही पड़ गया..वह पानी लेने चला गया और दस मिनट बाद गिलास भर पानी ले लौटा .. गिलास थामते अम्बिका बोली- ‘ पानी लेने नदी चले गए थे क्या ? बड़ी देर कर दी लाने में..’ रेखराम चुप रहा...दो घूँट पीते ही अम्बिका मुंह बनाते बोली- ‘ यार..बड़ा ही कसैला है पानी का स्वाद..अजीब सा कैसे लग रहा है..’

रेख ने तुरंत ही जवाब दिया- ‘ अरे बरसात में क्लोरिन मिलाते हैं न पानी में..कभी-कभी ज्यादा मात्रा में घुल जाता है तो स्वाद कसैला हो जाता है..’

अम्बिका ने किसी तरह नाक-भौं सिकोड़ गिलास खाली की.

 

छुट्टी के बाद घर लौटते-लौटते रेख ने अम्बिका के विषय में बाते करते कहा- ‘ साली..रोज-रोज काम करवाती है..आज मैंने ऐसा काम किया कि जिंदगी भर याद करेगी ? ‘

मैंने पूछा- ‘ क्या किया बे ?’ तब उसने कसैले पानी का राज बताया जो अम्बिका पी गई थी..बताया कि उसने पानी में थोड़ी अपनी पेशाब भी मिला दी थी..कहने लगा-‘ साली याद करेगी कि किससे पाला पड़ा था..’

तब मैंने चिल्लाते हुए उसे कहा था - ‘ बेवकूफ..वो क्यों तुम्हें याद करेगी ? उसे तो इस बात का इल्म भी नहीं ..लेकिन जिस दिन भी तुम्हारी इस नीच हरकत से वाकिफ होगी वो तुझे छठी का दूध जरुर याद दिला देगी..’

आज बरसों बाद शायद मेरी बातें उसे याद आ गई..वह जान गया कि छठी के दिन आ गए..तभी मेरा मुंह बंद करने “होम डिलवरी” कर रहा है.. मेरे काम को प्राथमिकता के साथ मुफ्त में करा रहा है..मुझ नाचीज को आम से ख़ास बना रहा है..

अब ऐसी उटपटांग बातें मैं पत्नी को बता भी नहीं सकता..कहीं ये बातें वो जान गई तो रेखराम के पेट में हाथ डाल मिठाई निकाल लेगी..इतनी वीरांगना तो है मेरी पत्नी..ईश्वर करे ये राज की बात..हमेशा राज ही रहे.. इसी में भलाई है... रेखराम की भी .. और मेरी भी..

 

xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx

प्रमोद यादव

गया नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: हास्य-व्यंग्य : राज की बात
हास्य-व्यंग्य : राज की बात
http://lh3.googleusercontent.com/-fAvLCHMwbm4/Vbxrs18eYmI/AAAAAAAAliA/dbu2zHLzDck/image_thumb%25255B1%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-fAvLCHMwbm4/Vbxrs18eYmI/AAAAAAAAliA/dbu2zHLzDck/s72-c/image_thumb%25255B1%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/08/blog-post.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/08/blog-post.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content