कार्यस्थल को न मानें धर्मशाला या चरागाह

SHARE:

  डॉ. दीपक आचार्य   हम सभी कहीं न कहीं काम करते हैं। कोई खुद का प्रतिष्ठान चला रहा है, कोई किसी न किसी काम-धंधे या दुकान में व्यस्त रहा क...

  image

डॉ. दीपक आचार्य

 

हम सभी कहीं न कहीं काम करते हैं। कोई खुद का प्रतिष्ठान चला रहा है, कोई किसी न किसी काम-धंधे या दुकान में व्यस्त रहा करता है। बहुत सारे लोग तरह-तरह की नौकरियों में लगे हुए हैं। यानि की सभी किस्मों के लोग किसी न किसी माध्यम से आजीविका का निर्वाह कर रहे हैं, अपना पेट पाल रहे हैं, घर-परिवार चला रहे हैं। छोटे-बड़े किसी न किसी काम-धंधे में हम सभी लोग जुड़े हुए हैं।

कोई जीवन निर्वाह  के साधन उपलब्ध करा रहा है और दूसरे इनके माध्यम से अपनी आजीविका चला रहे हैं। जीवन निर्वाह के मामले में एक तरफ बहुत बड़ा वर्ग है जो दिन-रात जी भर कर मानसिक और शारीरिक श्रम करता है फिर भी उसकी आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पाती ।

एक हम हैं जो सिर्फ दिमागी घोड़े दौड़ाते रहते हैं और इतना अधिक पा रहे हैं कि कुछ कहा नहीं जा सकता, फिर भी हमें संतोष नहीं है।  लोेग कमाने-खाने के लिए काम कर रहे हैं और हम लोग घर भरने और जमा करने के लिए हर तरफ मुँह मार रहे हैं। जो बँधा-बँधाया मिल रहा है उसमें हमें संतोष नहीं है और ऊपर से आवक चाहते हैं, और वह भी इतनी कि इसका प्रवाह न कभी रूके, न दूसरी तरफ सरक जाए। जो कुछ आए वह हमारी ही हमारी तरफ तेजी से आता रहे। और आए भी ऎसा कि दूसरों को इसकी भनक तक न लग पाए।

जो कार्यस्थल या संस्थान हमें आजीविका प्रदान कर हमारी पूरी जिन्दगी आसानी से चलाने की गारन्टी देते हैं वे हमारे लिए अन्नदाता भी हैं और जीवनदाता भी। कभी यह सोच कर देखें कि पाँच-छह महीने हमें नौकरियों से बाहर कर दे, तो घर चलाने के लाले पड़ जाएं।

कभी तुलना करें उन मेहनतकश लोगों से जो सर्दी, गर्मी और बरसात की परवाह किए बगैर एक-एक पैसे के लिए कितनी कुछ मेहनत करते हैं और उफ तक नहीं करते। जो काम मिल जाए, जहाँ और जिस तरह मिल जाए, पूरे मन से जी तोड़ परिश्रम करते हैं और अपना तथा परिवार को पेट पालते हैं। इतनी सारी मेहनत करने के बावजूद अभावों में जीने की उनकी विवशता पर हमने कभी गौर नहीं किया।

और एक हम हैं कि जो व्हील चेयर को विक्रमादित्य की कुर्सी समझ कर इतना रहे हैं, दिन भर गप्पे हाँक कर, चाय-काफी की चुस्कियाँ लेकर और कागजों से खेलते हुए टाईमपास करने के सारे करतब आजमाने लगे हैं। न हमें अपने काम से कभी संतोष होता है न संतोष पाने के लिए हम सेवा या परोपकार का कोई काम करते हैं।

हम सभी ने घण्टे गुजारने की कला सीख ली है और इसी के सहारे दिन-महीने और साल गुजार रहे हैं। कार्यस्थलों या हमारे काम-काज के क्षेत्रों की स्थिति यह है कि हम लोग इसे न घर मानते हैं, न मन्दिर। हमें अपनी बँधी-बँधायी मासिकी से मतलब रह गया है।

हमें इस बात से कोई सरोकार नहीं रहा कि हमारे कार्यस्थल कितने साफ-सुथरे हैं, कौन सी कमी है, कहाँ मरम्मत या रंग-रोगन की जरूरत है, कौन सा कबाड़ बरसों से जमा है, कौन से कमरों को सुव्यवस्थित करना है, अपने संस्थान को क्या आवश्यकताएं हैं, किस प्रकार संस्थान की खुबसूरती को बढ़ाया जा सकता है, किस तरह विकास और विस्तार करते हुए संस्थान को आकर्षक स्वरूप प्रदान किया जा सकता है, संस्थान परिसरों में हरियाली लाने के लिए कितना कुछ किया जा सकता है, संस्थान के लोगों को किस प्रकार की मदद की जरूरत है या संस्थान को कैसे आदर्श बनाया जा सकता है।

हमारी निष्ठुरता, खुदगर्जी और संवेदनशीलता की हद ही हो गई है आजकल। संस्थान से ज्यादा वैयक्तिक छवि और कार्यों को महत्त्व दिया जाने लगा है। एक आलपीन से लेकर कार्यस्थल की हर वस्तु, फोन -कम्प्यूटर से लेकर हर संसाधन को अपने काम में लाने की कला हमसे ज्यादा और कोई नहीं जान पाया है आज तक। 

संस्थान की सामग्री को अपने लिए इस्तेमाल करने में हमें जरा भी शर्म नहीं आती, पूरी तरह बेशर्म होकर हम इनका प्रयोग करते हैं लेकिन इनकी सार-संभाल और सुव्यवस्थित वैज्ञानिक ढंग से संधारित करना हम अपना फर्ज नहीं मानते।

आम तौर पर शयन के घण्टों को छोड़ दिया जाए तो हममें से अधिकांश लोगों की अधिकतर जिन्दगी कार्यस्थलों की ही भेंट चढ़ जाती है। इसके बावजूद हम अपने कार्यस्थल के प्रति उपेक्षा, अनादर और संवेदनहीनता का बर्ताव करते हैं। काम-काज के खूब सारे स्थल और कक्ष तो इतने गंदे, अंधेरे और बदबूदार हैं कि कुछ कहा नहीं जा सकता। एलर्जी और दूसरी बीमारियां भी देते हैं ये।

इससे बड़ी इंसानियत और संवेदनशीलता की हत्या और क्या होगी। बहुत सारे लोगों की मानसिकता ही ऎसी हो गई है कि उन्हें सिर्फ अपने स्वार्थ पूरे करने से मतलब है, और वह भी वैयक्तिक। चाहे बात संस्थान के नाम का इस्तेमाल कर वैयक्तिक रिश्ते बनाने और काम निकलवाने की हो या और कुछ। कार्यस्थल के नाम को भुनाने में हम कभी पीछे नहीं रहते लेकिन कार्यस्थल के लिए कुछ करने में हमें मौत ही आती है।

असल में अब हमने सभी प्रकार के फर्ज को भुला दिया है। ऎसे में कार्यस्थल भी हमारी करतूतों से अछूता क्यों रहे। हम लोगों ने अपने-अपने कार्यस्थलों को सिर्फ पगार पाने तक सीमित कर रखा है, कार्यस्थल के प्रति अपने स्वैच्छिक दायित्वों से मुँह ही मोड़ लिया है।

वे लोग चले गए जो कार्यस्थल को मन्दिर मानकर काम करते थे और अपने स्वार्थ तथा वैयक्तिक छवि बनाने की बजाय संस्थान की छवि को लेकर समर्पित हुआ करते थे। इन लोगों के लिए संस्थान ही सर्वोपरि हुआ करता था और आम लोगों में यह सीधा और साफ संकेत जाता था कि संस्थानकर्मियों के समर्पण और कार्यस्थल के प्रति दिली लगाव के कारण ही संस्थान की चमक-दमक बरकरार है।

अब तो हम सभी ने अपने-अपने कार्यस्थलों को धर्मशाला ही बना कर रख दिया है। चाहे जब आना-जाना और मनमर्जी से रुकना, अपने फर्ज के प्रति बेपरवाह रहना और टाईमपास के सारे धंधे आजमाते हुए अपनी ही अपनी करते रहना कोई सीखे तो हमसे। कोई आ रहा है, कोई जा रहा है, कोई अन्दर ही पार्किंग कर रहा है, कोई कोनों में पीक से अभिषेक कर रहा है, कोई आँखें मूंदे रतजगे से बेदखल नींद का पुनर्भरण कर रहा है, आदि-आदि।

इतना सब कुछ करते हुए भी हम साल मेंं जाने कितनी ही बार कत्र्तव्यपरायणता, ईमानदारी, फर्ज अदायगी, हिंसा उन्मूलन और ऎसी ही ढेरों प्रकार की शपथ लेते हुए  पूरा जोर लगाकर ‘भारतमाता की जय’ बोलते हैं। जरा आत्मा को टटोलें और देखें कि मातृभूमि का ऋण चुकाने के लिए हम कितना कुछ त्याग कर पा रहे हैं।

अपने कार्यस्थलों की पवित्रता और गरिमा का थोड़ा ख्याल रखें और इन पर ध्यान दें। अपने कर्मस्थलों को ऎसा बनाएं कि इनका आभामण्डल तमाम कार्मिकों की जयगान करता हुआ नज़र आए तथा दूसरे लोग भी हमसे प्रेरणा पाएं।

जो लोग अपने कार्यस्थल के प्रति वफादार नहीं हैं वे किसी के प्रति वफादार नहीं हो सकते, यहाँ तक कि अपने घरवालों या सहकर्मियों के भी। इन लोगों का जिन्दगी भर का एकसूत्री एजेण्डा होता है पाना और पाते रहना। कचरे और गंदगी के ढेरों के बीच रहकर भी ये पैसे बनाने और स्वार्थ पूरे करने में ही रमे रहते हैं।

---000---

- डॉ. दीपक आचार्य

 

dr.deepakaacharya@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कार्यस्थल को न मानें धर्मशाला या चरागाह
कार्यस्थल को न मानें धर्मशाला या चरागाह
http://lh3.googleusercontent.com/-D4k6pUpKrDY/Vb3ImJIgxkI/AAAAAAAAlkw/2vrEjMw8kxo/image%25255B3%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-D4k6pUpKrDY/Vb3ImJIgxkI/AAAAAAAAlkw/2vrEjMw8kxo/s72-c/image%25255B3%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/08/blog-post_2.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/08/blog-post_2.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content