बच के रहियो मनहूस और शातिरों से

SHARE:

  डॉ0 दीपक आचार्य   कहा जाता रहा है कि एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है पर अब मछली एकमात्र नहीं होती, मछलियों ने संगठन की ताकत को स...

  image

डॉ0 दीपक आचार्य

 

कहा जाता रहा है कि एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है पर अब मछली एकमात्र नहीं होती, मछलियों ने संगठन की ताकत को समझ लिया है तभी अब एक ही तालाब में खूब सारी ऎसी समान दुराचार-दुव्र्यहार वाली मछलियाँ रहने लगी हैं जो न केवल तालाब को ही गंदा कर डालती हैं बल्कि तालाब के तटोें तक को खा जाती हैं, आस-पास के तालाबों और पोखरों तक में अपनी करतूतों का कमाल दिखाती रहती हैं।

और तो और अब मछलियों ने दूसरे जलीय जीवों को भी जलेबियां दिखा-दिखा कर अपने बस में कर लिया है और उनके सहारे तालाब के वजूद तक को चुनौती देने लगी हैं। मछलियों ने अपनी ही तरह की मछलियों और माछलों को लेकर नदियों और समन्दर तक में अपनी आतंकवादी गंध को पहुँचा दिया है।  सिर्फ मछलियां ही नहीं अब दरियाई घोड़ों, साँपों और घड़ियालों-मगरमच्छों तक को नए जमाने की हवा लग चुकी है। तभी तो ये सारे के सारे उतर आए हैं अपनी पर।

अब अपना कहने को कुछ नहीं रहा, सब मानते हैं कि यह मेरा है। इसी मेरा-तेरा के चक्कर में सारे के सारे लगे हुए हैं। छीना-झपटी और मुफ्तखोरी का धंधा सब तरफ परवान पर है। जब बिना कुछ किए, शातिराना अक्ल लगाकर ही सब कुछ हासिल होता रहे तो कौन होगा जो कुछ काम करना चाहेगा, मेहनत करने की इच्छा करेगा।

हर तरफ बिना पुरुषार्थ के बहुत कुछ, सब कुछ पा जाने का उतावलापन इस कदर हावी है कि हर कहीं लगता है कि जैसे एक-दूसरे के हाथ और कब्जे से छीनने की कोई वैश्विक प्रतिस्पर्धा ही हो रही हो। जमाने का चलन भी कुछ इसी प्रकार के ढर्रे पर चल पड़ा है। न लहरों में तैरने का आनंद कोई चाहता है, न हवाओं का संगीत सुनने को जी मचलता है। न दुनिया को जानने और ज्ञान पाने का माद्दा दिखता है, न और कुछ।

सिक्कों की खनक और बैंक लॉकरों के सिवा अब किसी को कुछ नहीं दिखाई देता। इस तृष्णा के मारे मृग मरीचिका में भटके और अटके हुए सारे के सारे स्वयंभू हो चले हैं। सब को लगता है कि वही राजा या राजकुमार, रानी, पटरानी या महारानी हैं। और उनके अलावा जो भी हैं वे सारे हमारे दास-दासी या अनुचर।

सामाजिक बदलाव के इस भयानक दौर में कोई ही कोना शायद ऎसा बचा होगा जिसमें मातृभूमि की सेवा का कोई प्रगाढ़ भाव निहित हो। अन्यथा सब तरफ अपने ही घर को मातृभूमि मानकर भरने का जो सिलसिला चल पड़ा है उसने हमें कहीं का नहीं रहने दिया है।

और तो और हम अब हमारे अपने तक भी नहीं रहे, पराये हो चले हैं। बहुत सारे हैं जिनकी आत्मा ही मर चुकी है। इनके लिए संसाधन, जमीन-जायदाद, तरह-तरह की संपदा और पात्रताहीन प्रतिष्ठा पाना ही जीवन का परम ध्येय होकर रह गया है।

इसमें सभी किस्मों के लोग शुमार हैं। व्यक्तिवादी भी हैं और राष्ट्र के नाम पर चिल्लपों मचाने वाले भी। परम वैभव की बातें सारे करते हैं लेकिन इकाई-इकाई को वैभवशाली बनाकर परम वैभव का स्वप्न संजोये हुए हैं। मातृभूमि की सेवा और इसके लिए सर्वस्व समर्पण जैसी बातें अब खोखली होने लगी हैं।

जो जैसा है, दिखता है वह वैसा है नहीं। उसका कर्म, व्यवहार और वाणी सब कुछ उलट-पुलट है। केवल दिखाने भर के लिए हम धर्म, सत्य और न्याय की बातें करते हैं, उन पर अमल करने का साहस कितनों में है, यह आज का सर्वाधिक महत्वपूर्ण यक्षप्रश्न है।

संस्कारहीनता और स्व के लिए सर्वस्व करने मात्र की संस्कृति ने सभी को जकड़ लिया है। सामाजिक लोक जीवन में भौतिक समृद्धि ही सर्वोपरि हो गई है, सर्वमान्य और लोक प्रतिष्ठ हो चुकी है। और सबसे बड़ा कारण यही है। इस वजह से ही लोग परंपरागत संस्कारों, सेवा और परोपकार के धर्म और मूल्यों की बलि चढ़ाते जा रहे हैं।

इन लोगों को वह बहुत सारा नहीं करना जिसके लिए हमारे पूर्वजों को अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बनाने के लिए बरसों तक कठोर तप, त्याग और कठोरतम परिश्रम करना पड़ता था तब कहीं जाकर सामाजिक मान्यता प्राप्त हो पाती थी।

आज वह सब कुछ करने की जरूरत नहीं है। सिर्फ भौतिक समृद्धि पा लो, पूंजीवाद का दामन थाम लो, बाकी सब कुछ अपने आप मिल जाएगा। अनुचरों की जमात भी मिल जाएगी और परिक्रमा कर जयगान करने वाले नर्तक भी भारी संख्या में तैयार हो जाएंगे।

इसी मानसिकता ने आज समाज-जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को इतना अधिक प्रदूषित कर दिया है कि ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और मेहनती लोगों के लिए अपने अस्तित्व और प्रतिष्ठा को बचाए रखने का संकट पैदा हो गया है।

हर बाड़े में मनहूसों और शातिरों का साया पसरा हुआ है जो अपनी कालिख भरे आभामण्डल से पूरे के पूरे माहौल को इस कदर ढंके रहने में माहिर हैं कि हर तरफ लगता है कि जैसे ये ही कर्मयोगी हैं जिनके सहारे सब कुछ चल रहा है, दूसरे लोगों की तो केवल उपस्थिति मात्र है।  फिर अंधेरों से अंधेरों की कड़ी से कड़ी हर कहीं मिली होती है इसलिए अंधेरों की सियासत करने वाले लोग उल्लूओं और चमगादड़ों की तरह हर तरफ डेरा डाले बैठे हैं। मजाल है कि रोशनी का कोई छोटा सा कतरा उनके बाड़ों और गलियारों में झाँक भी ले।

दुनिया में सभी अच्छे लोग किसी से दुःखी और आप्त हैं तो और किसी घटना-दुर्घटना या अभावों से नहीं, बल्कि उन लोगों से परेशान हैं जो अपने नम्बर बढ़ाने, अपनी चवन्नियाँ चलाने और खुद की वाहवाही कराते हुए अपने लाभों और स्वार्थों को पूरा करने के लिए मेहनतकश, पुरुषार्थी, निष्ठावान और ईमानदार लोगों को परेशान करने, असहयोग करने और नीचा दिखाने के लिए हर क्षण प्रयत्नशील रहते हैं।

आजकल हर तरफ मनहूस और शातिरों का बाहुल्य है। इन्हें कोई भी दिल से कभी पसंद नहीं करता किन्तु छोटे-छोटे स्वार्थ के चक्कर में लोग इनसे ऊपरी तौर पर नाता जोड़े रखते हैं और समझदार लोग दुर्जनों से दूर रहने की खातिर इनसे दूरी बनाए रखते हैं और सामान्य से अधिक संपर्क रखने से हमेशा परहेज रखते हैं।

इस किस्म के मनहूस, शांतिर और विघ्नसंतोषी लोगों का मूलमंत्र यही होता है कि अपने उल्लू सीधे करने हों, उल्टे-सीधे काम करते रहना हो तो सज्जनों को किसी न किसी प्रकार उलझाये रखो और खुद मस्त रहो। ताकि शेष सारे लोग दूसरे कामों, विवादों और प्रत्युत्तर में उलझें रहें और ये लोग अपने नापाक इरादों में सफलता पाते रहें, न कोई देखने वाला हो न कोई टोकने वाला।

समाज की इस भयावह और विद्रुपताओं से भरी दुरावस्था में सभी ऎहतियातों से बढ़कर यही है कि ऎसे मनहूस और शातिर लोगों से सतर्क रहें, इनके झाँसे में न आएं और अपने काम करते चलें। स्वकर्म के प्रति निष्ठावान भी रहें और गीता के कर्मयोग को अपना कर अधर्मियों के संहार में भी पीछे नहीं रहें। हम सभी का आज का पहला फर्ज यही है कि दुष्टों को ठिकाने लगाएं और सज्जनों के हितों की रक्षा करें।

---000---

- डॉ0 दीपक आचार्य

 

dr.deepakaacharya@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: बच के रहियो मनहूस और शातिरों से
बच के रहियो मनहूस और शातिरों से
http://lh3.googleusercontent.com/-DqtDFGBh9jg/VdrZfNRtsqI/AAAAAAAAmTM/9iVLNcd69YE/image%25255B3%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-DqtDFGBh9jg/VdrZfNRtsqI/AAAAAAAAmTM/9iVLNcd69YE/s72-c/image%25255B3%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/08/blog-post_916.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/08/blog-post_916.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content