हास्य-व्यंग्य : टीचर्स डे स्पेशल

SHARE:

शिक्षक दिवस विशेष   - प्रमोद यादव   आठवीं क्लास में पहुँचते- पहुँचते पैसा और पद की ताकत का अंदाजा हो गया जब मैंने टीचर्स को क्लास के चंद ...

शिक्षक दिवस विशेष हास्य व्यंग्य

शिक्षक दिवस विशेष

 

- प्रमोद यादव

 

आठवीं क्लास में पहुँचते- पहुँचते पैसा और पद की ताकत का अंदाजा हो गया जब मैंने टीचर्स को क्लास के चंद खास गधों को घोड़े बनाने वक्त-बेवक्त मेहनत-मशक्कत करते देखा. उस वक्त तो इस मेहरबानी का रहस्य जान नहीं सका पर बाद में राज खुल ही गया. ‘खास’ के अलावा जो अन्य गधे थे,उनसे उनका व्यव्हार हमेशा दोयम दर्जे का होता. बेचारे कुछ भी पूछते कि सीधे डस्टर फेंक मार देते. हर वक्त उन्हें गधे होने का ताना मारते, फेल होने का शाप देते, ट्यूशन पढ़ने की सलाह देते.

खास गधों की फेहरिस्त मे एक था सचिन- एकदम गोरा, चिकना, लड़की-टाईप का लड़का - डिस्ट्रिक्ट जज का बेटा. एक लड़की थी शिखा - बेहद ही गोरी, ऊंची-पूरी और सुन्दर - डी.एफ.ओ. की बेटी. एक सोहन था - शहर के सबसे बड़े ज्वेलर्स का सबसे छोटा बेटा. एक हीरो टाईप मारवाड़ी लड़का था मोहन - जिसके बाप की शहर मे सबसे बड़े कपडे की दूकान थी. यही सब कारण थे कि टीचर्स उन गधों पर बेपनाह मुहब्बत बरसाते. उन्हें एक बार नहीं, दो बार नहीं...कई-कई बार गणित के सूत्र समझाते.फिजिक्स समझाते..केमेस्ट्री समझाते.. समझाते- समझाते थक जाते पर ‘ इरिटेट ‘ न होते...पर दूसरा कोई अन्य कुछ समझाने कहता तो गुस्से से बिलबिलाते कहते-क्लास में ध्यान रहता नहीं तो कहाँ से समझोगे ? ट्यूशन में आ जाओ..घर में समझा दूंगा..टीचर का यह दोमुंहा बर्ताव समझ में तो आता पर क्या करते ? इतनी हैसियत नहीं थी कि ट्यूशन पढ़ सकते...

जज का बेटा अक्सर चुपके से सारे टीचर्स को कभी डायरी तो कभी पेन, कभी केलेंडर तो कभी पर्स आदि देता और कहता-‘ पापा ने भिजवाया है.’ टीचर्स फूले न समाते..मोहन अक्सर टीचर्स को घर इनवाइट कर चाय-नाश्ता करवाता..और एवज में दिन भर क्लास में हो-हुल्लड़ मचाता..मजाल कि कोई टीचर उसे मना करे.. सोहन सभी टीचर्स के घर घूम-घूम कर ट्यूशन पढता...अनाप-शनाप रूपये बांटता..कभी-कभार उन्हें लोन भी दे देता..प्रायः सभी खास गधे इसी तरह कुछ न कुछ तिकड़म करते और टीचर्स पर हमेशा हावी रहते...बाकी बच्च्रे ये सब देख-सुन भौचक्के रहते...

स्कूल के दिनों के सहपाठी ही जिंदगी भर जेहन में रहते हैं. उन्हीं दिनों पता चल जाता है कि कौन आगे जाकर क्या बनेगा..उस जमाने में सारे होशियार या तो डाक्टर बनते थे या फिर इंजीनियर. मध्यम श्रेणी के बच्चे- शिक्षक या बाबू...और जिन्हें कुछ नहीं सूझता , वे वकील बन जाते. मेट्रिक का रिजल्ट उन दिनों बच्चों का भविष्य तय करता कि कौन क्या बनेगा. मेट्रिक पढते- पढते ही मैं कुछ सहपाठियों के उज्जवल भविष्य परख लिया था, मसलन- कि प्रकाश, नवीन, मनसुख, अकील ,शेखर आदि डाक्टर बनेंगे...अनिल, जयसिंह, हीरालाल, मंजू आदि इंजीनियर और रतन, राघवेन्द्र, जीवन, देवेन्द्र आदि टीचर्स या बाबू...पर बीस साल बाद देखा- सब उल्टा-पुल्टा हो गया. प्रकाश कोर्ट में बाबू हो गया था ( पर डाक्टरों से ज्यादा कमा रहा था- ऐसा मैंने सुना ) नवीन , बाप-दादे की तर्ज पर वकील बन गया...अलबत्ता मनसुख , अकील और शेखर जरुर डाक्टर बने. केवल शेखर ही सरकारी अस्पताल में नौकरी पर लगा, लेकिन वह नौकरी में कम होता - निलंबन में ज्यादा...कभी नसबंदी कांड के चलते तो कभी आँख-फोड़वा काण्ड के चलते.. बाकी दोनों को सरकारी नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने शहर में ही निजी डिसपेंसरी खोल ली. दो-तीन साल किसी तरह मैनेज किये (डिसपेंसरी को भी और खुद को भी ) फिर दोनों अपनी- अपनी बीबियों की रिश्तेदारी में क्रमशः अमरीका और दुबई चले गए. बताते गए कि वहाँ ‘फ्यूचर’ ज्यादा ‘ब्राईट’ है.भगवान ही जाने कि वहाँ वे डाक्टरी ही करते हैं या कुछ और ? वैसे भी हिन्दुस्तान से जो लोग जिस काम के लिये विदेश जाते हैं, वही काम भर वहाँ नहीं करते- बाकी सब करते हैं.

जिनके इंजीनियर बनने की उम्मीद थी – सभी नाकाम रहे. अनिल एम. आर. बन डाक्टरों के यहाँ जूते रगड रहा था , हीरालाल पास के कस्बे में किराने की दुकान चला रहा था , मंजू बी.एस.सी. के बाद किसी सिरफिरे कवि से शादी कर ‘फुलस्टॉप’ हो गयी , जिससे शादी की वह चार बच्चों का बाप निकला. वह पगला गई.. केवल जयसिंह ही बना इंजीनियर और स्टील प्लांट में लग गया पर एकाएक एक दिन वह ‘ढूढते रह जाओगे’ की तर्ज पर ऐसे गायब हुआ कि फिर कभी नहीं मिला. उसके पारिवारिक सूत्रों से ज्ञात हुआ कि वह आनंदमार्गियों के संगत में पड़ जीते-जी ‘ श्मशानवासी ‘ हो गया...

मेरे साथ का पढ़ा ऐसा कोई नहीं मिला जो टीचर बना हो. टीचर्स की एक्टिविटी ही ऐसी कि कोई भी बच्चा आगे जाकर कुछ भी बनना पसंद कर ले पर टीचर कतई नहीं. राघवेन्द्र से उम्मीद थी लेकिन बी.एस.सी.के बाद वह ‘ आउट आफ आर्डर ‘ हो गया..किसी लड़की के चक्कर में चकरा गया और कुछ दिनों बाद सीधे ‘ऊपर’ ज्वाइन कर लिया. व्यवसायियों के सारे बच्चे बी.ए. , बी.एस.सी., कर अपने-अपने बाप की गद्दियों में बैठ गए. समझ नहीं आया- बाप की गद्दी में ही बैठना था तो डिग्री की क्या जरुरत थी ? मेट्रिक के बाद ही बैठ जाते. एक मारवाड़ी लड़के से कारण पूछा तो उसने डिग्री की महत्ता को समझाया कि अच्छी डिग्री यानी अच्छी सुन्दर- सुशील लड़की और दहेज़ में अच्छा-खासा रुपया. अपना अनुभव बताया कि बी.एस.सी. करने से उसे ससुराल में सीधे एपॉइंटमेंट मिला. बैठे-ठाले दो राईस-मिलों का एम.डी. हो गया...

खैर, जिसके नसीब में जो लिखा था-वो वही बना. उल्टा-पुल्टा तो दुनिया का दस्तूर है..थोडा-बहुत चलता है लेकिन एक-दो सहपाठी को जिस अविश्वसनीय पद-प्रतिष्ठा में देखा तो आँखें फटी की फटी रह गयी. इनके विषय में तो कभी सोचा तक न था कि ये क्या बनेंगे ? कई सालो बाद जज के बेटे को अपने शहर में एडीशनल कलेक्टर के रूप में अवतरित पाया तो विश्वास ही नहीं हुआ...अपनी आँखों से जाकर निहारा तब विश्वास हुआ. स्कूल के दिन याद आ गए – वही डायरी...पेन...कलम. केलेंडर.आदि..आदि..इस मुकाम तक पहुँचते- पहुँचते न मालूम क्या-क्या क़ुरबानी (रिश्वत) नहीं दिये होंगे उसने. उसे देख पैसे की ताकत का अंदाजा पहली बार शिद्दत से हुआ.

इस झटके से अभी उबरा भी न था कि एक दूसरे सहपाठी ने जोर का झटका बड़े जोरों से दिया. उसके भविष्य के विषय मे तो उसके माँ-बाप ने भी शायद कभी कुछ सोचा हो तो फिर भला हम क्यों सोचते ? मालगुजार का बेटा था, गधा था..थोडा तोतला भी था..उसके लिये सोचने का कोई औचित्य भी न था. अचानक शहर में एक दिन वह ‘ छाती रोग विशेषज्ञ ‘ के रूप मे एम. बी. बी. एस. , एम. डी.’ का बोर्ड लटकाए प्रगट हुआ तो मैंने छाती पीट ली...जो-जो उनके साथ पढ़े होंगे,उन्हें इस बात का पता चला होगा तो सभी की छाती में दर्द जरूर उठा होगा कि ‘ये क्या हुआ, कैसे हुआ ‘..कभी सुना था कि उसकी बड़ी बहन जो पढाई में बिलकुल जीरो थी, उसने भी थर्ड डिविजन मेट्रिक करने के बाद पटना से डाक्टरी की थी ( सोलह लाख डोनेशन देकर ). एक दिन भी उसने प्रेक्टिस नहीं की. डिग्री देख एक अच्छे घर का गरीब बन्दा फँसा..उससे शादी रचा ली और इस तरह शहर में कई मरीजों की जान बच गयी. शायद बहन वाला फार्मूला भाई ने भी दोहराया...

मैं जानता था- ‘ छाती रोग विशेषज्ञ ‘ वाला बोर्ड ज्यादा दिन नहीं टंगा रहेगा...और यही हुआ भी...इस बीच उसे एक बड़ा ही सुखद फायदा हुआ..एक दूसरे प्रांत वाली सचमुच की एक गोल्ड-मेडलिस्ट एम. बी. बी. एस. लड़की उसकी डिग्री के मकडजाल में फंस गई..और उसकी दुल्हन बन गई.. लकिन शादी के तुरंत बाद (शायद सुहागरात को ही ) वह जान गयी कि उसकी जान गयी... जान बचाने, जान छुडाकर जो विदेश भागी कि लौटकर कभी नहीं आई. बीबी के बिछोह में उसने अपना डाक्टर वाला बोर्ड उतार लिया ( जैसा कि मैंने सुना ) फिर वह नेतागिरी के चक्कर में कुछ महीने रहा. वी आई. पी’स के साथ घूमने-फिरने का शौक चर्राया....पर इससे भी बात कुछ बनी नहीं ( पार्टी वालों ने उसे कोई तवज्जो (पद) नहीं दी ) तो उसने घर के सामने वाले हिस्से को तोड़-फोड कर खूब बड़े आकार का काला शीशा लगा,उसके ऊपर एक टू – व्हीलर स्कूटी कंपनी के नाम का बड़ा सा बोर्ड लगा ( जो पूरी तरह और बुरी तरह फेल्योर कंपनी थी ) उसकी एजेंसी ले ली. मैंने तो उसका ‘ एक्सपायरी डेट ‘ छः महीने रखा था लेकिन तीन-चार महीने में ही वहां ताला लटक गया. अब पूरी तरह ‘ ठलहा ‘ है वह. पर पैसेवाला है...न जाने अभी और क्या-क्या सूझेगा उसे ( पैसा ही सुझाएगा उसे, उसकी अपनी क्या औकात ? )

इसी तरह और न जाने कितने सहपाठी होंगे , जो पद-पैसे के बलबूते कहीं और भी काबिज होंगे. मैं तो केवल दो केस देख दंग हूँ. अब पुराने सहपाठियों को ढूँढना बंद कर दिया है...लेकिन आज भी शिक्षक-दिवस पर मैं स्व.राधाकृषणनजी से ज्यादा उन शिक्षकों को याद करता हूँ जो उन दिनों ख़ास किस्म के गधों पर अपनी सारी ऊर्जा खर्चते..और हमें बात-बात पर टार्चर करते.. मैंने एक बार इनकी भी खोज-खबर ली तो रिटायरमेंट के बाद उनकी हालत देख स्तब्ध रह गया..अधिकाँश टीचर्स के बच्चे बेरोजगार निकले ..उनसे कारण पूछा तो बोले- जिंदगी भर दूसरों के बच्चे ही पढ़ाते रहे..ट्यूशन करते रहे..अपने बच्चों पर ध्यान ही नहीं गया..उनसे जब पूछा कि बड़े-बड़े पद-प्रतिष्ठा वालों के गधे बच्चों को घोड़े बनाने का क्या कोई इनाम नहीं मिला ? तो बोले- हरेक के पास गए कि बेटे को कहीं छोटी-मोटी सरकारी नौकरी दिलवा दें.. पर सबने दो टूक जवाब दिया- डिविजन ठीक नहीं.. मार्क्स अच्छे नहीं..पुअर बच्चों के लिए आज की तारीख में कोई जॉब नहीं..बेहतर होगा कि इन्हें अभी से किसी काम-धंधे में लगा दें..

मैंने पूछा– ‘फिर?’

‘ फिर क्या ?’ सभी टीचर्स एक स्वर में बोले- ‘बच्चे तो काम- धंधे में लगे नहीं हमीं लग गए..सब मिलकर कोचिंग क्लास चलाते हैं..अब केवल होशियार बच्चों को ही पढाते हैं..’

सुनकर अच्छा लगा..गधे बच्चों के लिए राहत भरी खबर..अब कोई उन्हें ट्यूशन के लिए ताने नहीं मारेगा..कोई टीचर उन्हें टार्चर नहीं करेगा..कहते हैं-घूरे के भी दिन फिरते हैं..इनके भी फिर गए पर टीचर्स के दिन कभी नहीं फिरने वाले..ये ताउम्र बस टीचर ही रहेंगे..केवल टीचर..

xxxxxxxxxxxxxxxxxx

प्रमोद यादव

गयानगर , दुर्ग, छत्तीसगढ़,

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: हास्य-व्यंग्य : टीचर्स डे स्पेशल
हास्य-व्यंग्य : टीचर्स डे स्पेशल
http://lh3.googleusercontent.com/-RkYaqHtbJ10/Vek8Z2pdcWI/AAAAAAAAmoA/Gzg1a_p1AFg/image%25255B3%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-RkYaqHtbJ10/Vek8Z2pdcWI/AAAAAAAAmoA/Gzg1a_p1AFg/s72-c/image%25255B3%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/09/blog-post_4.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/09/blog-post_4.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content