समीक्षा - आओ कोई ख्वाब बुनें

SHARE:

अँधेरे दौर में रोशनी दिखाती कविताएँ -------------------------------------------------- -समीक्षक : एम. एम. चन्द्रा ​ क्या अँधेरे दौर में ...

अँधेरे दौर में रोशनी दिखाती कविताएँ

--------------------------------------------------

-समीक्षक : एम. एम. चन्द्रा

image

क्या अँधेरे दौर में भी कविता लिखी जायेगी ?

क्या अँधेरे दौर की कविता लिखी जायेगी ?

हाँ! अँधेरे दौर में भी कविता लिखी जाएगी.

अरविन्द कुमार का काव्य संग्रह इस अँधेरे दौर की वह कविता है जो सिर्फ अँधेरे की गहराई और विस्तार का मुआयना ही नहीं करती बल्कि अपने समय के साथ संवाद करती है. इनकी कविताओं को पढ़ते हुए ऐसा लगता है कि यह उनके और हमारे समय का यथार्थ है और इससे बढ़कर पाठक की जिन्दगी से ऐसे मिल जाता है जैसे कि लेखक और पाठक एकमय हों. वे अपने दर्द को इस प्रकार बयाँ करते हैं -

      क्या कहूँ तुमको

      तुम तो खुद ही

      दर्द का एक

      ठहरा हुआ समन्दर हो

 

अरविन्द की शुरुआती कविताओं में मनुष्य मन की झुंझलाहट, असंतुष्टि, भय, संशय और विरोधाभास की अभिव्यक्ति को सहजता से महसूस किया जा सकता है.  

      हर रात की काली चादर

      फटने के बाद सुबह का सूरज

      सुंदर, नया और पाक तो जरूर लगता है

      पर बेकार

      शाम के धुँधकले में वह भी

      थक, हार कर

      समन्दर में डूब जाता है

      और फिर कुछ भी नहीं बदलता

      ठीक कल की तरह

 

शहर की हर हलचल पर कवि की पैनी नजर है. वह उसकी आबोहवा से वाकिफ हैं. शहर का मिजाज़ पढ़ने और गढ़ने का यही शिल्प पाठक को अपने साथ शहर की सैर कराता है.

      सच तो यह है कि

      दिन भर इस शहर में

      संकल्प फूलते हैं

      और शाम तक बजबजा कर

      सड़ जाते हैं

      पल-प्रतिपल

      पोस्टर चिपका दिए जाते हैं

      यहाँ वहाँ हर तरफ

      लोगों की पीठ पर

      भोथरे आक्रोशों की अलसाई खड़-खड़

      और टूटी पत्तियों की

      फंफूदी लगी भीड़ में

      पेड़ अब आग प्रूफ हो चुके हैं

 

अरविन्द अपनी कविताओं में मनुष्य के अंतर्मन में पैदा होने वाले प्रश्नों से संघर्ष करते हैं. लेकिन वह बड़ी आत्मीयता के साथ स्वीकार करते हैं कि मैं पल-प्रतिपल हजारों प्रश्न करता हूँ और उन्हें हल करता हूँ, लेकिन कुछ न कुछ रह जाता है जो लोगों की आँखों में चुभता है-

      पर जानते हो,

      जब तक वह औजार

      उन्हें मिलेगा

      मेरे भीतर भी

      उग आएगी

      एक और दाढ़ी

      ठीक नागफनी की तरह

 

कविता यथार्थ का मात्र चित्रण ही नहीं बल्कि उस दुनिया का सपना भी है जिसे कवि मनुष्यता के लिए चुनता है, उसका ख़्वाब बुनता है. आधुनिक कविता का यह नया स्वरूप अरविन्द कुमार की कविताओं में धीरे-धीरे विचरण करने लगता है.

      और गुलाम पड़ी फसलें

      आज़ाद होकर

      निडर चाँदनी में

      लहलहाने लगती हैं

      सपनों में यूँ ही

      मिटती है पुरानी दुनिया

      और जन्म लेती है

      एक नई सुहानी सुबह

एक तरफ वे नई सुबह को लाने का ख़्वाब बुनते हैं तो दूसरी तरफ उन लोगों की तमाम लड़ाईयों की तरफ इशारा भी करते हैं कि आने वाली पीढ़ी हमसे सवाल करेगी कि इस अँधेरे दौर में हमने क्या किया? हम लड़े क्यों नहीं और इतनी गहरी चुप्पी क्यों है ? शायद इसीलिए लेखक अपने और अपने जैसे लोगों से संवाद करते हैं-

    ऐसा न हो

    कि हमें अपनी गर्दनें झुका लेनी पड़ें

    अपराधियों की तरह

    क्योंकि आज

    हम या तो मौन हैं

    या लड़ रहे हैं

    सिर्फ कायरों की तरह

 

हमारे आस-पास सामाजिक बदलाव के नाम पर ढोंग-पाखंड इत्यादि करने वालों की सुध-बुध इन्होने बड़े ही सहज, सरल लेकिन तीक्ष्ण तरीके से ली. अरविन्द दिखावटी बुद्धिजीवियों की रोजमर्रा की जिन्दगी का वर्णन इस प्रकार करते हैं जैसे उन्हें वे रोज-ब-रोज होने वाली चर्चाओं-परिचर्चाओं में देखते हों-

      आओ, चलो कहीं बैठकर...

      उसकी बखिया उधेड़ दें ...

      आसमान को अपनी मुट्ठी में कस लें ...

      शोर मचाते हुए

      भीड़ में तबदील हो जाएँ ...

      और चाय के गिलासों में डूबकर

      कोई तूफ़ान खड़ा कर दें ...

      और टाँगे फैलाकर

      क्रांति की अगवानी करें ...

 

रचनाकार कभी भी निरपेक्ष नहीं रह सकता, उसको अपना पक्ष चुनना ही पड़ता है. पक्षधरता ही रचनाकार को अपने कर्तव्यों पर चलने के लिए प्रेरित करती है. अरविन्द ने बीच का रास्ता चुनने वाले लोगों के लिए लिखा-

बीच के लोग

बीच में रहते हैं...

और हवा के रुख को भाप कर

बातें करना इनकी समझदारी है ...

हमेशा दुम हिलाते हैं

और पीठ पीछे जुबान ...

और यात्राओं को हमेशा कमजोर करते हैं ...

निरंतर रोशनी को

दूर धकेलते रहते हैं

 

उपभोगतावादी संस्कृति ने जहाँ सबकुछ बाजार के हवाले कर दिया वहीं प्रेम को भी लाभ हानि के स्तर पर पहुँचा दिया गया. लेकिन अरविन्द कुमार की कविताएँ प्रेम को नया आयाम देने में सफल रहीं. प्रेम व्यक्तिनिष्ठ नहीं बल्कि वह पूरी दुनिया से प्रेम करना सिखाती है-

      मैं तुम्हारी ऊँगली पकड़कर

      इस आग के विशाल दरिया को बेखौफ पार करना चाहता हूँ

      और रचना चाहता हूँ

      तुम्हारी छाँव में बैठ कर

      प्यार और शांति की नई इबारतें

      एक नई दुनिया के लिए

 

बड़ा लेखक बड़े विचारों से बनता है. लेखक ने भी अपनी विचार यात्रा को कविताओं में सहजने का काम किया है. उनकी कविताओं में प्रेम, संघर्ष, स्वतंत्रता और विश्वबंधुत्व का पक्ष तो है ही साथ ही साथ उन्होंने विचारों की तमाम अभिव्यक्तियों की स्वतंत्र चेतना का निर्माण पथ को मजबूत करने का इरादा जाहिर किया है.

कवियों को लिखने दो

अपनी पूरी ईमानदारी

और जीवंत दृष्टि सपन्नता के साथ

प्रकट करने दो उन्हें

जन आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति

नहीं तो वे तंग आकर

मौन धारण कर लेंगे

और समूची धरती

तब किसी स्पष्ट रोशनी के बिना

अराजक हो जायेगी 

 

अरविन्द कुमार ने अँधेरे दौर की उस परम्परा को कायम किया है कि दुनिया में सिर्फ अँधेरा ही नहीं है अँधेरे को दूर करने वाली रोशनी भी है. आधुनिक कविताओं में प्रतिरोध की कविताओं में मदन कश्यप, आलोक श्रीवास्तव के साथ-साथ अरविन्द कुमार का नाम भी अवश्य आएगा.

कुमार की कविताएँ इस अँधेरे दौर की वो कविताएँ हैं जो आगे रोशनी दिखाती हैं. नये समाज के निर्माण में पाठक को साझीदार करती हैं. ये वो कविताएँ हैं जो एक ऐसा ख्वाब बुनती हैं जिसकी माध्यम से मनुष्यता के उच्चतम मूल्यों को प्राप्त किया जा सकता है. 

आओ कोई ख्वाब बुने : अरविन्द कुमार | प्रकाशन : शब्दारंभ | कीमत : 100 | पेज :116 

http://pustakkisamiksha.blogspot.in

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: समीक्षा - आओ कोई ख्वाब बुनें
समीक्षा - आओ कोई ख्वाब बुनें
http://lh3.googleusercontent.com/-gyuCIX23Ptw/VfvyaOlrFNI/AAAAAAAAm70/w3qjdSKUyGg/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-gyuCIX23Ptw/VfvyaOlrFNI/AAAAAAAAm70/w3qjdSKUyGg/s72-c/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/09/blog-post_41.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/09/blog-post_41.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content