मिस्री - ईरानी कविताएँ

SHARE:

अनुवाद - सुरेश सलिल   मिस्र की कविताएँ वहा अव्वाद आधुनिक अरबी साहित्य में मिस्र की हैसियत कुछ अलग तरह से रेखांकित की जानी चाहिए। वहाँ के ...

अनुवाद - सुरेश सलिल

 

मिस्र की कविताएँ

वहा अव्वाद

आधुनिक अरबी साहित्य में मिस्र की हैसियत कुछ अलग तरह से रेखांकित की जानी चाहिए। वहाँ के महान कलाकार नगीब महफूज को नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा चुका है। मिस्र के अदीबों की सबसे नई पीढ़ी, ख़ासकर कविता में, अरब क्षेत्र से जुड़े ज्वलंत प्रश्नों का सामना करने के साथ-साथ, विषयवस्तु और शिल्प में पश्चिम के अवांगार्द आंदोलनों से भी प्रेरित, संचालित हुई है। यहाँ प्रस्तुत तीनों कवि युवा हैं और सन् 2000 के बाद की मिस्र की अरबी कविता की बानगी प्रस्तुत करते हैं। सभी कविताओं के अनुवाद महमूद इनानी के अंग्रेजी अनुवादों की सहायता से। 1969 में जन्मे वहा अव्वाद ने काहिरा यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की उपाधि ली। पहला कविता संग्रह ‘शमा अल-असील’ (दोपहर ढले का सूरज) 1998 में प्रकाशित।

1

निराशा से घिरा हुआ

सालों से वही जानलेवा सिलसिला जारी रहने की

निराशा से घिरा हुआ

याद करता हूँ कि उन सालों के दौरान मेरे भीतर

अनजान ताक़तों से लड़ता हुआ एक छोकरा रहा है

कभी खुद को उनसे छिपाता हुआ

कभी निहत्था सामने आता हुआ-

हालाँकि सिर्फ अपने नटखटपन,

स्वाभाविक उतावलेपन से लैस

जब कभी मैं निराशा से घिरता हूँ

उस पोशीदा छोकरे को याद करता हूँ

उसके हैरतअंगेज कारनामों

उसकी अनिश्चित दुस्साहसिकताओं का

बेसब्री से इंतज़ार करता।

2

इस दुनिया से जुड़े जिस किसी भी विषय पर

विचार- व्यवहार कर रहे हो

पवित्र मानी जाने वाली किताबों का हवाला मत दो!

सतर्क रहो पवित्र मानी जाने वाली किताबों का

हवाला देने से!

हरदम याद रखो कि तुम्हारे अपने ही भीतर

पुरातन निष्कपटता का एक हल्क़ा है

जो तुम्हें,

अगर भरोसे के साथ उसे बरतो,

पवित्र अक्लमंदी दे सकता है।

 

3

नीली-हरी-लाल-पीली

इस दुनिया में एक जीती-जागती भाषा है,

जीती-जागती से मतलब

कि हरेक प्रतीक अपने भीतर

एक समूची दुनिया प्रतिबिम्बित करता है

और जैसे ही वे प्रतीम अंतर्क्रिया करते हैं

जीवन में गम्भीरता आती जाती है-

शाख़ें फलने लगती हैं

और, इस एक पल संगति-अगले पल विसंगति।

 

उनके बिना

ज़िन्दगी अपनी प्रथम उत्पत्ति के

स्वादहीन भाव से वंचित रहेगी

 

यूसफु़ रख़ा

यूसफु़ रख़ा मिस्र की आधुनिक कविता के सबसे कमउम्र कवि है। पेशे से पत्रकार। हफ़्तावार अख़वार ‘अल-अहरम’ के फीचर पृष्ठों के संपादक विभाग में कार्यरत।

धूल भरा अंधड़

इस दिन मेरा शहर

एक धूल भरे अंधड़ की चपेट में आया।

 

उस वक़्त मैं सड़क पर था

और अपनी सिगरेट नहीं जला पाया।

 

जैसे ही मैं धूल भरे अंधड़ की गिरफ़्त में आया

आसमान की ज़ानिब निहारा और

माचिस की पतली तीली की ज़ानिब

जिसने मेरे दुखों में शिरकत की और

अफ़सोस जताया।

सामने बैठी औरत

ये औरत मेरे सामने बैठी है

अपने जिस्म, अपने जज़्बात

और अपने शानों परफैले-बिखरे बालों से

मुझे मेरी महबूबा और मेरी वालिदा की

याद दिला रही है-

जुमरात और जुमे की शामों की

और मेज़ पर रखे गरमागरम खाने की।

 

किसी मामूली और आम औरत की तरह

क़त्तई नहीं ले पाया मैं उसे।

 

वो अपने जिस्म, अपने जज़्बात

और अपने शानों परफैले बिखरे बालों में

जुमरातों, जुमे की उन शामों और

मेज़ पर रखे गरमागरम खाने को सहेजे हुए है।

 

आलिया अब्दुस्सलाम

आलिया अब्दुस्सलाम आधुनिक मिस्री कविता में 1990 की पीढ़ी की प्रतिनिधि हस्ताक्षर हैं। जन्म मंसूरा शहर में हुआ, बाद में काहिरा की ओर रुख किया। कुछ वक़्त जर्मनी में रहीं। अपने विद्रोही विचारों के कारण द. अफ्रीका में राजनीतिक शरण लेने की कोशिश की, किंतु कामयाबी नहीं मिली।

फि़लहाल काहिरा, सिनाई और लालसागर इलाके में आवारागर्दी।

 

घर के सामने

उनकी पुरानी चीज़ों पर जमीं धूल को तुमने चूमा

निहारा अपनी पड़ोसिन को

जो परिंदे का पिंजड़ा हाथ में थामे घर लौट रही थी

और जलती मोमबत्तियाँ हाथ में थामे

नन्हीं बच्चियाँ उसके पीछे-पीछे चल रही थीं।

 

एक राज-मज़दूर अपने कच्चे कंधों पर

घर बार का बोझ सँभाले

दरअसल, बग़ैर जूते उतारे ही, नींद में डूबा पड़ा था

तीन में से एक चारपाई पर।

 

उनके घरों के सामने, तुम अपने भीतर उन पौधों को लेकर

एक नामालूम सा लगाव रुगरुगाता महसूस करोगे

जो आँसुओं के उस जोहड़ की सतह पर तैर रहे हैं

जिसे उनके प्रति बेरुखी के अपने जज़्बे की गहराई में

एक बयान के बतौर तुमने सिरजा है।

 

उनके घरों के सामने तुम महसूस करोगे

कि तुम्हें इंसानियत से मोहब्बत है

और तुम्हारा वजूद कद्दावर है।

 

पुराने घरों के क़रीब एक परिंदा

पुराने घरों के क़रीब बदबूदार माहौल है और एकख़ामी

और दोनों ख़्वाबों का ढँके हैं।

 

वहाँ कि़स्मत भी है, जिसे मैंने एक छोटे पिरामिड में रखा है

ताकि दुनिया की ख़ाली जगह में वह पुख़्तगी के अहसास

से खुद को लवरेज़ कर सके,

वो दुनिया, जो बर्बादी के लिए बेहाल है,

पूरी बर्बादी के लिए,

एक आँख जो देखती है

एक आँख, जो नींद को परे झटक देती है

एक आँख, जो देख नहीं सकती।

 

शहर के लोगों को बारिश से इश्क है

मगर कोशिश ये भी रहती है

कि उनके कपड़े न भीगें।

 

साथ ही_ वे बच्चों को दरख़्तों के ईदगिर्द खेलने से

रोकते हैं, क्योंकि उन्हें अँधेरे क्षितिज पर

दो परिंदे और एक सीढ़ी नज़र आती है

एक परिंदा रोशनी के क़रीब मँडराता है

और दूसरा सीढ़ी पर बसेरा किये है।

 

जलपरी

मेरा दिल सन्न था_

फिर मैं नये दोस्तों को लेकर संजीदा हो गई।

 

दर्द से परेशान थी मैं,

तक़रीबन रास्ते पर पड़े किसी पत्थर के मानिंद

टूटी हुई - बिखरी हुई,

लिहाज़ा बारीकी से मेरी जाँच-पड़ताल की गई

और बिखेर दिया गया ऊपर-

आसमान के सूनेपन में-

बेज़ुबान ख़ामोश ख़ूबसूरती में।

 

अब मैं सब कुछ में रहती हूँ

कभी करखानों की ज़ानिब जाते चूज़ों का पीछा करती

और घर के पौधों के लिए

नियत पानी कोटा बढ़ाती

और बरसते पानी के साथ बेहद ख़ुशी महसूस करती।

 

समुद्री किनारों पर उगे

पहाड़ों जैसे मुल्क में मैं रहती हूँ

जहाँ कभी-कभार इंसानी आबादी भी नज़र आ जाती है।

 

ईरानी कविताएँ

अहमद शामलू

आधुनिकफ़ारसी कविता के शीर्ष व्यक्तित्व। जन्म 1925 में, तेहरान में हुआ और बचपन कई छोटे शहरों-क़स्बों में बीता। युवावस्था के शुरुआती दौर में राजनीतिक गतिविधियों में भागीदारी और जेलयात्रा। शामलू ने अनेक साहित्यिक पत्रिकाएँ भी निकालीं और उनके जरिये युवा प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया। मौलिक सृजन के अलावा फ्रंच भाषा से कविता व कथा-साहित्य का फारसी में तर्जुमा भी किया। फारसी के लोक साहित्य के अनुसंधान और संपादन का प्रभूत कार्य। राजनीतिक कारणों से 1975 में स्वदेश त्यागकर फ्रांस व सं. रा. अमेरिका में भटकन। अपुष्ट रूप से सन् 2000 के आसपास निधन। शामलू की प्रकाशित काव्यकृतियाँ एक दर्जन से अधिक हैं। प्रस्तुत हिंदी अनुवाद स्वयं कवि-कृत अंग्रेजी अनुवादों की सहायता से किये गये हैं।

 

उदास नग़्मा

भोर की भूरी पटभूमि में

खड़ा है ख़ामोशी में डूबा घुड़सवार

हवा में उड़ रही है फर्-फर्-फर्

घोड़े की लम्बी अयाल

या ख़ुदा! या ख़ुदा!

 

जब हालात गरमा रहे हों

इस तरह मुर्दार खड़े रहने को

नहीं होते घुड़सवार

जली हुई बाड़ से लगी

खड़ी है ख़ामोशी में डूबी लड़की

हवा में लहरा रहा है लहर-लहर

उसका सलोना घाँघरा

या ख़ुदा! या ख़ुदा!

जब निराश और निढाल मर्द बूढ़े हो रहे हो

इस तरह ख़ामोश बनी रहने को

नहीं होतीं लड़कियाँ।

 

आख़िरी लफ़्ज़

आख़िरी लफ़्ज़ लहराया मेरी ज़ुबान पर

संगे मक़्तल पर जैसे

किसी बेगुनाह का बेवजह बहाया गया ख़ून

या ख़ून सियावुश का

(जो आज तक उगा नहीं

या जिसके उगने में बहुत देर हो

या जिसे क़त्तई कभी न उगना हो

उस सूरज का हर रोज़ फैलने वाला ख़ून)

 

किसी उबलते इच्छापत्र की तरह

आख़िरी लफ़्ज़ लहराया मेरी ज़बान पर

और मैं खड़ा रहा

जब तक कि उसकी गूँज ने

हवा पर सवार होकर

सबसे दूर के कि़ले पर चढ़ाई नहीं कर दी।

 

जादुई लफ़्ज़

(हाफि़ज़ के मुताबिक़)

और आख़िरी लफ़्ज़

(मेरे मुताबिक)

किसी मासूम मेमने की आख़िरी साँस की तरह

लहराया सर्द संगे- मक़्तल पर।

 

और ख़ून की गंध

बेचैनी के साथ

हवा में धुलकर आगे बढ़ गई।

 

फ़रोग़ फ़र्रुख़ज़ाद

आधुनिक फ़ारसी कविता की एक असाधारण शख़्सियत (1935 -1967)जिसने 32 साल की छोटी सी ज़िन्दगी में ही कई ज़िन्दगियाँ जी डालीं और फारसी कविता के समूचे इतिहास में पहली बार औरत की ज़िन्दगी को उसकी अपनी आवाज़ दी। फ़रोग़ का जन्म तेहरान के एक संपन्न और सुशिक्षित परिवार में हुआ किन्तु उसके विद्रोही स्वभाव के चलते स्कूली पढ़ाई हाईस्कूल से आगे नहीं जा पाई। 16 साल की उम्र में, माँ-बाप की घोर असहमति के बावजूद, उम्र में पंद्रह साल बड़े एक दूरदराज रिश्तेदार से निकाह किया। साल-भर के भीतर अपनी एकमात्र संतान, एक बेटे, की माँ बनीं, किन्तु दो-ढाई साल के वैवाहिक जीवन के भीतर ही उसे बीवी और माँ के हक से वंचित कर दिया गया। कुछ अरसा उसे मानसिक रोगों के अस्पताल में भी रहना पड़ा। लेकिन अदम्य जिजीविषा की धनीफ़रोग़ ने न सिर्फ इस सबको झेला बल्कि अपने पहले दो कविता संग्रह ‘असीर’ (बंदीः 1954) और ‘दीवार’ (1958) भी प्रकाशित किये। पत्रकारिता, कला, रंगमंच और फिल्म आदि माध्यमों में अपने अर्जित ज्ञान और अनुभव को विकसित करने के इरादे से उसने यूरोप की यात्रएँ कीं और साहित्य व फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सक्रिय अपने एक दोस्त इब्राहिम गोलेस्तान के साथ जुड़कर फिल्म-निर्माण और अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय हुईं तथा एक साहित्यिक पत्रिका और एक प्रकाशन संस्था शुरू करने की कार्य-योजना पर जुट गईं। किन्तु... सारे सपने, सारी सक्रियताएं, सारे हौसले धरे के धरे रह गये और 17फरवरी 1967 को एक जीप-दुर्घटना की शिकार होकर,फ़रोग़ फ़र्रुखज़ाद ने हरदम के लिए आँखें मूँद लीं। फ़रोग़ की कुल प्रकाशित काव्यकृतियाँ पाँच हैं। दो का ज़िक्र ऊपर हो चुका है, बाक़ी तीन हैं- ‘असीयान’ (विद्रोहः 1958), ‘तबल्लुदे दीग़र’ (दूसरा जन्मः 1964) तथा निधनोपरांत प्रकाशित ‘सर्द मौसम के आग़ाज़ पर हमें ग़ौर करना चाहिए’ (1974)। कानूनी तौर पर फ़रोग़ की किताबें ईरान में प्रतिबंधित हैं, किन्तु गैरकानूनी तौर पर उनका प्रकाशन होता रहता है और हर साल एक दिन ईरानी युवाफ़रोग़ की क़ब्र के पास एकत्र होकर उनकी कविताओं का वाचन करते हैं, उन्हें अभिनीत करते हैं। प्रस्तुत अनुवाद मूल पर्शियिन टेक्स्ट और माइकेल सी हिलमैन लिखित पुस्तक ‘ए लोनली वुमैन’ में सम्मिलित अंग्रेजी अनुवाद की सहायता से किया गया है।

 

तबल्लुदे-दीगरः दूसरा जन्म

 

मेरा समूचा वजूद एक उदास गीत है

जिसने तुम्हें कारदीदगी बख़्शी है

और जो तुम्हें सदाबहार भोर तक ले जायेगा।

 

इस गीत में मैंने तुम्हारे लिए आहें भरी हैं

आहें भरते हुए इस गीत में मैंने तुम्हें,

दरख़्त, पानी और आग के साथ रोपा है।

 

ज़िन्दगी शायद एक लम्बी सड़क है जिससे हर रोज़

एक औरत टोकरी लिये हुए गुज़रती है

ज़िन्दगी शायद एक रस्सी है

जिससे एक आदमी अपने आप को एक शाख़ से लटकाता है

ज़िन्दगी शायद स्कूल से घर लौटते एक बच्चे जैसी है

शायद दो जिस्मानी तअल्लुक़ात के दरमियान

थकान उतारने के इरादे से जलाई गई सिगरेट जैसी

या उस राहगीर को गुमनिगाही जैसी, जो किसी और राहगीर को

देखते ही बेगानी मुस्कुराहट के साथ सिर से टोपी उतारकर

कहता हैः सुबह ब ख़ैर

ज़िन्दगी शायद वह मक़्क़ूल लम्हा है जब मेरी निगाह

तुम्हारी पुतलियों में अपनी ख़ुदी खो देती है

और इस अहसास में कि मैं चाँद और रात का जादू तोड़ दूँगी।

 

तन्हाई जैसे लम्बे-चौड़े एक कमरे में इश्क़

जैसा क़द्दावर मेरा दिल

गुलदानों में फूलों की ख़ूबसूरत बरबादी,

और बग़ीचे में तुम्हारे रोपे

पौधे को देखते हुए, और रौशनदान की

चौखट पर बैठी पहाड़ी बुलबुल

के तराने सुनते हुए अपनी ख़ुशकि़स्मती के

मामूली बहाने तलाशता है।

आद्ध....

 

बस्स यही है मेरी कि़स्मत

बस्स यही...

मेरी कि़स्मत वो आसमान है जिसे एक पर्दे के जरिये

मुझसे दूर कर दिया गया है

मेरी कि़स्मत दिमाग़ी सड़न और यादे-माज़ी से

दोबारा कुछ हासिल कर लेने के इरादे से

कब से सूनी पड़ी सीढ़ियाँ फलाँगती नीचे उतर रही है

मेरी कि़स्मत यादों के बग़ीचे में एक मायूस चहलक़दमी है

और उस आवाज़ के ग़म में दम तोड़ रही है

जिसने कहा था मुझे तुम्हारे हाथ बहुत प्यारे हैं

 

मैं अपने हाथ बग़ीचे में रोपूँगी

और लहलहाऊँगी

मुझे पता है... हाँ, मुझे पता है

और रौशनाई लगे मेरे हाथों के खोखल में

अबाबीलें अंडे देंगी

चेरियों के जोड़े मैं झुमकों की तरह पहनूँगी

और डेहलिया की पंखुड़ियाँ नाखूनों पर सजाऊँगी

वहाँ वह गली है जिसमें अभी भी वे लड़के

उन्हीं बिखरे बालों, पतली गर्दनों और सींकिया टाँगों के साथ

मँडरा रहे हैं- जो मुझ पर मरा करते थे

और उस कमसिन लड़की की बेदाग़ मुहब्बत में उलझे हुए हैं

जिसे हवा एक रात उड़ा ले गई।

वहाँ वह गली है जिसे मेरा दिल

मेरे बचपन के गलियारों से चुरा लाया है।

 

वक़्त की पगडंडी के साथ एक जिस्म का सफ़र

और उस वक़्त की पगडंडी को उस जिस्म में जज़्ब करना,

उस जिस्म में, जिसे एक दावत की वापसी का

आईने में जड़ा अक़्स याद हो....

और इसी तरह कोई दम तोड़ देता है

और कोई जिये चला जाता है

जो चश्मा किसी तालाब में जाकर ख़त्म हो जाये

उसमें कभी किसी मछुआरे को मोती नहीं मिलते

 

मैं उस उदास नन्हीं परी को जानती हूँ जो एक समंदर में रहती है

और अपना दिल एक जादुई बाँसुरी में उँड़ेलती रहती है

बेआवाज़,

वह उदास नन्हीं परी हर रात एक चुम्बन के साथ मरती है

और हर सुबह एक चुम्बन के साथ फिर जी उठती है।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: मिस्री - ईरानी कविताएँ
मिस्री - ईरानी कविताएँ
http://lh3.googleusercontent.com/-O2O7ITGD2k4/VhOu4g9ZFJI/AAAAAAAAnhk/K-bbdS-DFF4/w350/clip_image002%25255B16%25255D.jpg?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-O2O7ITGD2k4/VhOu4g9ZFJI/AAAAAAAAnhk/K-bbdS-DFF4/s72-w350-c/clip_image002%25255B16%25255D.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/10/blog-post_47.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/10/blog-post_47.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content