अनंत वडघणे का आलेख - महिला आत्मकथाकारों के आत्मकथा में नारी जीवन

SHARE:

मनुज रुप है अवतरयौ तीन वस्तु को जोग। द्रव्य उपार्जन, हरिभजन अरु कामिनि संग भोग।। इस पुरुष वर्ग की मानसिकता के विरुद्ध संघर्ष करने के ल...

image

मनुज रुप है

अवतरयौ तीन वस्तु को जोग।

द्रव्य उपार्जन, हरिभजन अरु

कामिनि संग भोग।।

इस पुरुष वर्ग की मानसिकता के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए वर्तमान समय के महिला लेखिकाओं ने समशेर हाथ में ले ली है और साहित्य लेखन में प्रवेश किया है। जिसमें एक तरह तो वह अपने पर हो रहे अन्याय को अभिव्यक्ति देती है। तो दूसरी ओर इस पुरुष मानसिकता को बदलने के लिए नारी में चेतना जगाती है। ऐसे ही विचारों के बुलंद सिध्दांत को आधार बनाकर नारी साहित्य जन्म ले रहा है। जो तमाम पुरुषों की साजिश को बेनकाब करता है। महिला लेखिका अब साहित्य के हर विधा के द्वारा अपने-आपको अभिव्यक्त कर रही है। मैथिलीशरण गुप्त के 'यशोधरा' के पंक्ति के बहकावे में नहीं आना चाहती। जिसमें 'अबला जीवन हाय तुम्हारी यह कहानी , आंचल में है दूध और आँखों में पानी' कहा है। वह एक तरह से अपने आस्तित्व की पहचान पुरुषों को करवाना चाहती है। इसलिए वह साहित्य के सभी विधा में लेखन कर रही है। इसकी ही एक सशक्त झलक साठ के बाद का नारी विमर्श है। जिसने साहित्य को अपने शिकंजे में जकड़ लिया है। जो पुरुषों की कलुषित मानसिकता को अभिव्यक्ति देता था। महिला लेखिकाओं ने अब उपन्यास, कहानी, नाटक, कविता के साथ-साथ आत्मकथा, जीवनी, संस्मरण, रेखांचित्र, निबन्ध आदि विभिन्न विधा में लेखन करना आरंभ किया है। जिस तरह वह उपन्यास जैसे विधा में काल्पनिक कथावस्तु के माध्यम से नारी जीवन को प्रस्तुत करती थी। अब वह आत्मकथा जैसे विधा के द्वारा स्वयं के जीवन के माध्यम से नारी पर हो रहे अत्याचार को दर्शा रही हैं।

हिन्दी गद्योत्तर साहित्य में आत्मकथा साहित्य का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। आत्मकथा साहित्य में साहित्यकार स्वयं अपने जीवन के अतीत को अभिव्यक्ति देता है। इसी विधा में पुरुष आत्मकथाकारों के साथ महिला आत्मकथाकारों ने भी अपने भोगे हुए जीवन को शब्दबध्द किया है। जिनमें शिवानी-'सुनहु तात यह अकथ कहानी', पद्मा सचदेव-'बूँद बावड़ी', मैत्रेय पुष्पा-'कस्तुरी कुंड़ल बसै' तथा 'गुड़िया भीतर गुड़िया', रमणिका गुप्ता-'हादसे', सुशीला राय-'एक अनपढ़ कहानी', प्रभा खेतान-'अन्या से अनन्या', मन्नू भण्डारी-'एक कहानी यह भी', कौशल्या बैसंत्री-'दोहरा अभिशाप', कृष्णा अग्निहोत्री-'लगता नहीं है दिल मेरा' चंद्रकिरण सौनरेक्सा की 'पिजंरे की मैना', सुशीला टाकभौरे की 'शिकंजे का दर्द', अमृता प्रीतम की 'रसीद टिकट' आदि आत्मकथाकारों एवं उनके आत्मकथाओं के नाम गिनाय जा सकते हैं। जिन्होंने अपने आत्मकथा के माध्यम से अपने व्यक्तिगत जीवन को एक बाईस्कोप के भांति खोलकर रख दिया है साथ ही तत्कालीन परिवेश एवं नारी जीवन के त्रासदी को भी उसमें अभिव्यक्ति देने का कार्य किया है।

नारी-पुरुष यह दोनों मानव सृष्टि के निर्मिती के दो स्तंभ है। एक के बिना दूसरा अधूरा है किन्तु आज भी नारी को बराबर का सम्मान नहीं मिल सका है। इतिहास एवं धार्मिक ग्रंथों में नारी महत्ती के कई उदाहरण हमें देखने को मिलते हैं। जैसे-"हमारे धर्मशास्त्र के अनुसार केवल पुरुष कोई धार्मिक कार्य पूरा नहीं कर सकता। इस धार्मिक मान्यता के कारण प्रभु रामचन्द्र जी को भी सीता माता की अनुपस्थिति में अश्वमेघ यज्ञ की अनुमति नहीं दी गई थी। तब उन्होंने सीता की सोने की मूर्ति बनवाकर धार्मिक कार्य पूर्ण किया।"१ इससे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि नारी का महत्व कितना है।

वर्तमान समय में पुरुषों के साथ-साथ नारी भी हर क्षेत्र में कार्य करने के लिए सामने आ रही है। जिनमें रक्षा क्षेत्र, उद्योग, वैद्यकीय, मीड़िया, खेल, शिक्षा के साथ-साथ समाज सेवा के क्षेत्र में भी वह सामने आ रही है। रमणिका गुप्ता इच्छानुसार समाज सेवा का कार्य करती है। वह अपने पति के साथ न रहकर अकेले धनबाद में रहकर कई संस्थाओं के साथ कार्य करती है। वह कहती है कि-"जो दूसरों के लिए कुछ करें वही इंसान है।"२ नारी प्रेम संबंध में संवेदनशील होती है, इसी के कारण वह जिस किसी के साथ सच्चे मन से प्रेम करती है। उसको निभाती भी है। प्रभा खेतान अपने उम्र से १८ साल बड़े डॉ. से प्रेम करती है। एक साक्षात्कार में वह कहती है कि"मैं एक बार संबंध बना लेती हूँ उसे अन्त तक निभाती हूँ।..इस जुड़ाव को दुनिया चाहे जितनी अंसगतिपूर्ण माने पर मुझे ऐसा कभी नहीं लगता। यदि मैंने किसी से प्रेम किया तो शर्तो पर आधारित प्रेम नहीं था।"३

महिला आत्मकथकारों ने नारी पर हो रहे अत्याचारों को निसंकोच ढ़ंग से अपने आत्मकथा में अभिव्यक्ति दी है। पति के द्वारा पत्नि पर किए जानेवाले अत्याचारों के संन्दर्भ में 'कृष्णा अग्निहोत्री' अपने आत्मकथा 'लगता नहीं है दिल मेरा' में कहती है"ओर हो गई धुलाई। रुईसी धुनाई, इसके बाद बलात्कार की पुनरावृति।"४ दूसरी ओर 'कौसल्या बैसंत्री' ने 'दोहरा अभिशाप' में पति द्वारा प्रताड़ना की बात कहीं है। कौसल्या के पति देवेन्द्रकुमार पत्नी को गालियाँ देना उससे मारमीट करना अपना अधिकार समझते है।"उन्हें पत्नी सिर्फ खाना बनाने और शारीरिक भूख मिटाने के लिए चाहिए थी।"५ ऐसे पुरुष मानसिकता का कड़ा समाचार महिला आत्मकथाकारों ने लिया है। मैत्रेयी पुष्पा कहती है कि "यदि कोई पति अपनी पत्नी की कोमल भावनाओं को कुचलकर खत्म करता है तो पत्नी को प्रतिव्रत के नियमों का उल्लंघन हर हाल में करना है।"६

आज भले ही आधुनिक शिक्षा के कारण लोग पढ़-लिखकर आगे बढ़ रहे किन्तु उनकी मानसिकता में अभी भी पूरी तरह परिवर्तन नहीं हुआ है। नारी की ओर एक भूख की दृष्टि से देखते हैं। भले ही वह उसके आयु में बेटी जैसी भी क्यों न हो ऐसे ही एक बात का जिक्र "कृष्णा अग्निहोत्री' ने 'लगता नहीं है दिल मेरा' इस आत्मकथा में किया है। लालाकुं वर नाम के पुलिस कांस्टेबल पर कृष्णा के घरवाले भरोसा करते हैं बच्चे भी लालू मामा कहकर उसे कहानियां सुनाने का अनुरोध करते हैं किन्तु वह छोटी लड़कियों के साथ गंदी हरकते करता है। 'कृष्णा अग्निहोत्री' कहती है "लालकुंवर की नीयत ठीक नहीं थी। वह दूध पिलाकर हमें सुला देता और हमारे हाथों में अपने गुप्तांग को पकड़ा देता।"७

नारी का जीवन आज भी दुख से भरा हुआ है। कहीं से न कहीं से नारी पर होनेवाले अन्याय की खबरें आती है। समाचार पत्र के पन्ने हो या न्यूज चैनलों की खबरें, इसमें कहीं न कहीं पर नारी शोषण, बलात्कार, खून जैसे हादसे होते हैं। इसके पीछे पुरुष की काम लिप्सा जैसे कारण अधिक होते हैं। इसलिए आजकल नारी असुरक्षितता का माहौल दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। "अकेली रहनेवाली महिला पर प्रत्येक पुरुष अपना अधिकार जमाना चाहता है। किसी की दृष्टि उसके रुपये, जायदाद पर तो किसी की नजर उसके शरीर पर होती है।"८

वर्तमान समय में देखा जाए तो नारी इन तमाम अत्याचारों का विरोध कर रही। किताबों के माध्यम से, विभिन्न चैनलों के माध्यम से या कभी रस्तों पर आ कर वह आवाज उठा रही है।"वह यह सिद्ध करती है कि नारी मुक्ति का अर्थ केवल शारीरिक मुक्ति नहीं मानसिक मुक्ति भी है। जब तक नारी मानसिक दासता से मुक्त नहीं होगी तब तक नारी मुक्ति शब्द निरर्थक है।"९

नारी अब पुरुषों के साथ-साथ हर कार्य में सहकार्य की तरह खड़ी हो रही है। जिसने छोटे-बड़े काम में अपने-आपको साबित कर दिखाया है। इसलिए वह एक तरफ पुरुषों के कंदे को कंधा मिलाकर अवकाशयान का सफर कर रही है तो दूसरी ओर छोटे से छोटे काम भी करते हुए अपने परिवार का बोझ सँभाल रही है। कौशल्या बैसंत्री अपने 'दोहरा अभिशाप' इस आत्मकथा में इन्होंने अपने माँ के साथ परिवार की अर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए है। यथा-"माँ भी चूड़िया, कुंकुम, शिकाकाई बेचने लगी। वह सिर्फ रविवार को ही गड्डी गोदाम अपनी बस्ती पासवाली पॉश कॉलोनी में यह सामान बेचने जाती थी।"१०

इस प्रकार महिला आत्मकथाओं को देखा जाए तो यह कहा जा सकता है कि महिलाओं ने अपने उपन्यास एवं कहानी के माध्यम से काल्पनिक कथाओं के आधार पर नारी जीवन को अभिव्यक्ति तो दी है, उसी तरह अपने आत्मकथाओं के माध्यम अपने व्यक्तिगत जीवन या इसी समाज में घटित घटना के माध्यम से नारी के यातनामय जीवन को भी प्रस्तुत किया है।

संदर्भ सूची -

१. महिला आत्मकथा लेखन में नारी -डॉ. रघुनाथ गणपति देसाई पृ-६३

२. हादसे - रमणिका गुप्ता पृ.२७

३. वागर्थ (मार्च-२००८)

४. लगता नहीं है दिल मेरा- कृष्णा अग्निहोत्री पृ-१०४

५. महिला आत्मकथा लेखन में नारी- डॉ. रघुनाथ गणपति देसाई पृ-९५

६. आत्मकथाओं में स्त्री विमर्श-डॉ.कांचन बाहेती,स्त्री-लेखनःसृजन के विविध आयाम-

सं.प्रा.मुलये पृ.२६९

७. लगता नहीं है दिल मेरा- कृष्णा अग्निहोत्री पृ-६१

८. वही पृ-३१

९. महिला उपन्यासकारों के उपन्यासों में नारीवादी दृष्टि- डॉ.अमर ज्योती पृ-१०८

१०. दोहरा अभिशाप-बैसंत्री कौशल्या पृ.६३

हिंदी विभाग,

डॉ.बा.आं.म.विश्वविद्यालय,

औरंगाबाद-४३१००४

mob-८५५४००६७०८

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. बढिया । क्या सूशिला हरिष की आत्मकथा पतिप्रसंग के बारे में जानकारी दे सकते है?

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अनंत वडघणे का आलेख - महिला आत्मकथाकारों के आत्मकथा में नारी जीवन
अनंत वडघणे का आलेख - महिला आत्मकथाकारों के आत्मकथा में नारी जीवन
https://lh3.googleusercontent.com/-rtoD4wg7sJo/VopCJKI56QI/AAAAAAAAp4c/iHTVKAd0oc4/image_thumb.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-rtoD4wg7sJo/VopCJKI56QI/AAAAAAAAp4c/iHTVKAd0oc4/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/01/blog-post_47.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/01/blog-post_47.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content