दीपक आचार्य का आलेख - शरीर का क्षरण करता है मुफ्त का खान-पान

SHARE:

  जन्म लेने के बाद मृत्यु होने तक शरीर को संभाल कर हृष्ट-पुष्ट बनाए रखने और स्वस्थ रखने के सभी प्रकार के प्रबन्ध करना इंसान का अपना व्यक्तिग...

image 

जन्म लेने के बाद मृत्यु होने तक शरीर को संभाल कर हृष्ट-पुष्ट बनाए रखने और स्वस्थ रखने के सभी प्रकार के प्रबन्ध करना इंसान का अपना व्यक्तिगत उत्तरदायित्व है। जब तक आत्मनिर्भरता प्राप्त न हो जाए तब तक हमारे शरीर की देखभाल घर-परिवार वालों के जिम्मे होती है अथवा अन्य संरक्षकों के जिम्मे।

समझदार होने और अपने पैरों पर खड़े हो जाने के बाद अपने शरीर का पोषण करने के लिए खान-पान और रहन-सहन जैसे तमाम विषयों की जिम्मेदारी हमारी होती है। इसके लिए हम सभी के लिए भगवान और प्रकृति ने अपने-अपने हिसाब से हमें हुनर और ज्ञान दिया है जिससे प्राप्त पुरुषार्थ के सहारे हम जीवन चलाते हैं।

अपने जीवन के लिए खान-पान, पहनने के लिए कपड़े और रहने के लिए छत पाने की सारी ही जिम्मेदारी हमारी अपनी ही है, इसके लिए हमें अपने पुरुषार्थ पर निर्भर रहने की जरूरत है।

हम जो कुछ खान-पान करते हैं, जो कपड़े पहनते हैं और जो कुछ ग्रहण करते हैं वह अपनी कमाई का होना जरूरी है। शरीर निर्माण और पुष्टि का सिद्धान्त यही है कि हमारा शरीर तभी बौद्धिक, मानसिक और शारीरिक रूप से सुदृढ़ एवं परिपक्व होता है जबकि उसके निर्माण में हमारी अपनी कमाई का पैसा लगा हो, हमारी मेहनत का हो, हमारे पुरुषार्थ का हो।

जिन लोगों का शरीर अपनी ही कमाई के पैसों से बना होता है उनसे बीमारियाँ दूर रहती हैं और शारीरिक सौष्ठव एवं शरीर संरचनाओं के निर्माण में मौलिकता का प्रभाव अक्षुण्ण बना रहता है। इन लोगों की संरचनात्मक मौलिकता बरकरार रहने के कारण इनका शरीर ओज से भरा होता है, चेहरे पर तेज होता है और वाणी से लेकर सभी प्रकार की कर्मेन्दि्रयों और ज्ञानेन्दि्रयों में ओज-तेज सहज ही देखा जा सकता है।

अपने आपको बनाने और विलक्षण व्यक्तित्व पाने की कोशिश तभी सफल सिद्ध हो सकती है जबकि हमारे निर्माण में अपना ही पैसा, कपड़े-लत्ते और खान-पान का उपयोग किया गया हो। इस सिद्धान्त का जो इंसान जिन्दगी भर पालन करता है वह सदा स्वस्थ, सुखी और मस्त बना रहता है और मौलिकता के सारे आयामों में खरा उतरते हुए सुखद अंत को प्राप्त होता है।

अधिकांश लोग खान-पान और उपहारों की प्राप्ति, औरों के भरोसे जीवनयापन तथा पराश्रित जिन्दगी जीने को अपनी समृद्धि का मूल कारण मानते हैं और इस वजह से रोजाना इसी कोशिश में लगे रहते हैं कि अपना पैसा बचा कर रखो, जितना दूसरों से प्रेम या चतुराई से पा सको,  लूट-खसोट कर सको, दूसरों के मत्थे मण्डते रहो, उतना अपने हित में है, हमें धेला भी खर्च नहीं करना पड़ता, हमारे लिए दूसरे लोग किसी स्वार्थ या भय के मारे खर्च कर ही दिया करते हैं।

जो लोग हर दिन हराम का खान-पान, पैसा, व्यवहार और उपहार तलाशते हैं, वे लोग भले ही भौतिक रूप से अपने आपको वैभवशाली मानने के भ्रम फैलाए रखें, इनका शरीर साथ नहीं देता, वह किसी न किसी प्रकार से क्षरण का शिकार हो ही जाता है। यह क्षरण उनके मलीन पड़ते जा रहे चेहरे, बेड़ौल और भूतहा छवि दर्शाने वाले शरीर, मैले व्यवहार, नकारात्मक स्वभाव और दुष्ट मनोवृत्ति से अच्छी तरह भाँपा जा सकता है। इनका चेहरा देखने से ही इनके राक्षस होने का आभास लगने लगता है। असली इंसान इन लोगों से हमेशा दूरी बनाए रखने की कोशिश करते रहते हैं।

शरीर निर्माण और विकास के लिए स्व पुरुषार्थ अर्जित खान-पान और रहन-सहन के सिद्धान्त का परिपालन नहीं करने वाले लोगों की जिन्दगी चार दिन की चाँदनी जैसी ही होती है। दिखने में ये लोग भले ही ऊपर से साण्ड, शेर और मायावी, प्रभावशाली, ओजस्वी और तेजस्वी दिखें, मगर इनका दिमाग और शरीर खोखला होता जाता है, इनका भीतर ही भीतर क्षरण होता रहता है।

यह तय मानकर चलना चाहिए कि शरीर की कोशिकाओं, ऊत्तकों, धमनियों, शिराओं और सभी प्रकार के अंग-प्रत्यंगों का विकास तथा इनकी परिपुष्टता तभी संभव है जबकि इन पर अपनी कमाई का पैसा लगा  हो। दूसरों की कमाई का खान-पान और व्यवहार हमारे शरीर का भला नहीं कर सकता।

ऎसा खान-पान केवल स्थूलता दे सकता है, शारीरिक आनंद और लक्ष्य की प्राप्ति कभी नहीं करा सकता। ऎसा खान-पान न जीवन रस दे सकता है, न जीवन निर्माण के सूक्ष्म तत्वों को प्रभावित कर सकता है। केवल स्थूलता के धरातल पर सोचने वाले लोगों के लिए न इंसानी मौलिकता का कोई महत्व है, न जीवन का कोई लक्ष्य है।

इन लोगों के लिए  अपने जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य यही है कि जो अपना है उसे संरक्षित और सुरक्षित करते चलो,  जीवन निर्वाह के लिए औरों के भरोसे चलते रहो। यही कारण है कि ये लोग अपने उपयोग की हर वस्तु, वैभव, भोग-विलास और पैसा सब कुछ हराम का ही चाहते हैं, औरों के भरोसे ही रहते हैं और हर क्षण इसी फिराक में रहा करते हैं उनकी जिन्दगी दूसरों के सहारे चल निकले, खुद को न कोई मेहनत करनी पड़े, न धेला भर खर्च करना पड़े।

आम तौर पर बहुत सारे इंसान अपने आपको धनाढ्य बनाने के फेर में खुद के पैसों को खर्च करने से बचते हैं और हर मामले में औरों पर आश्रित रहा करते हैं। कुछ लोग अपने भय और प्रलोभन का इस्तेमाल करते हैं, कुछ लोग अपने पॉवर का प्रयोग करते हैं और ढेरों ऎसे हैं जो दूसरे लोगों के दम पर कूदते हुए अपनी चवन्नियाँ चला रहे हैं।

इन सभी किस्मों के लोगों के जीवन का अध्ययन किया जाए तो यही सामने आएगा कि ऎसे लोग अपनी इंसानी मौलिकता खो कर ऎसे हो गए कि किसी काम के नहीं रहे, न अपने रहे, न जमाने के रहे, समाज और देश के लिए इनका होना या न होना वैसे भी कोई मायने नहीं रखता।

जितना पैसा हमारे शरीर और जीवन पर स्वाभाविक रूप से खर्च होना चाहिए उसे बचाने के लिए परायों के भरोसे रहने और हरामखोरी करने की कोशिश में हम सफल भले ही हो जाएं, उतना पैसा किसी और रास्ते बाहर निकलेगा ही निकलेगा।

यह पैसा या तो बीमारी में बाहर जाएगा या फिर गलत धंधों, नशे अथवा आपराधिक कृत्यों को ढंकने में जाएगा। ऎसा एक भी इंसान नहीं होगा जिसने अपने लिए पैसे बचाने में सफलता हासिल कर ली हो और मरते दम तक पैसे बचे हुए संरक्षित रहे हों।

जो पैसा शरीर और अपने पर खर्च होना है उसके लिए दूसरों की ओर तकियाने और परायों के भरोसे जिन्दगी चलाने की आदत न पालें, यह केवल भिखारियों के लिए ही उपयुक्त है, हम पुरुषार्थी लोगों के लिए नहीं। 

और ऎसा करना ही है तो अपने आपको सार्वजनीन तौर पर भिखारी घोषित कर डालें, इसके बाद कोई दोष नहीं है, चाहे दूसरों के सहारे जिन्दगी चलाते रहें या हरामखोरी करते हुए पैसों का भण्डार जमा करते रहें। जीवन का आनंद पाना चाहें तो पराया खान-पान, उपहारों का मोह और हराम की कमाई संग्रह करना छोड़ें, पुरुषार्थी बनें, भिखारी नहीं।

---000---

दीपक आचार्य के प्रेरक आलेख inspirational article by deepak aacharya

- डॉ0 दीपक आचार्य

dr.deepakaacharya@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: दीपक आचार्य का आलेख - शरीर का क्षरण करता है मुफ्त का खान-पान
दीपक आचार्य का आलेख - शरीर का क्षरण करता है मुफ्त का खान-पान
https://lh3.googleusercontent.com/-qj27GGxRDUI/VoetRIXvq2I/AAAAAAAApyw/Q_Bu80rn2Vk/image_thumb.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-qj27GGxRDUI/VoetRIXvq2I/AAAAAAAApyw/Q_Bu80rn2Vk/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/01/blog-post_71.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/01/blog-post_71.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content