ईबुक - सरहदों की कहानियाँ - 6/ सियासत, मीडिया और अजीब बू - तनवीर जोनेजो / अनुवाद व संकलन - देवी नागरानी

SHARE:

  सियासत , मीडिया और अजीब बू तनवीर जोनेजो कालीन सी दरी पर सफ़ेद चुनरी, जिस पर गुलाबी फूल गुंथे हुए थे, सर पर ओढ़े वह ख़ुदा के दर मिन्नत क...

  image

सियासत, मीडिया और अजीब बू

तनवीर जोनेजो

कालीन सी दरी पर सफ़ेद चुनरी, जिस पर गुलाबी फूल गुंथे हुए थे, सर पर ओढ़े वह ख़ुदा के दर मिन्नत कर रही है, नाजुक निर्मल से हाथ उठाकर उस परम दयालू रब से कुछ माँग रही थी।

मुहब्बत की मंज़िल, हमसफ़री का साथ.... प्यार का चंदोवा : "ऐ मेरे पाक परवरदिगार.... वह जैसा भी है.... मुझे बहुत प्यारा है.

... उसके साथ का हर पल मेरे लिये जन्नत समान है.... आप मुझे उनसे दूर न करें.... ऐ मेरे करीम बादशाह तुम्हारे दर हर बंदा एक खुली किताब है। हर बंदे के भीतर के ख़यालों से आप परिचित हैं.... बंदे की मजबूरियों और कमज़ोरियों की सब जानकारी है तुम्हारे पास.... परवरदिगार मुझे लौटा दो वह अपनी तमाम नेकियों और सच्चाइयों से.... निर्दोषता और निर्मलता के साथ।"

उसके होंठ थरथरा रहे थे, आँखों में आंसुओं की लड़ी थी.... ख़यालों की उड़ान.... तेज़ी से बुलंदियों के साथ विगत काल की ओर जा रही है.

.. कुछ यादगार लम्हों के यादगार पल....!

उसका नाम बिलकिश है... और इस वक़्त जिसके लिये ख़ुदा के दर मिन्नत कर रही है वह उसका दोस्त, उसका सहपाठी सलीम है। दोनों बी. ए. के तीसरे साल के विद्यार्थी हैं। बिलकिश में कई गुण हैं..... बात करने की तमीज़ है और कुछ विनम्रता का भाव लिये हुए उसका व्यक्तित्व अपने ढंग का था। उसका परिवार भी इतना संकीर्ण विचारों वाला न था, एक मध्य वर्गीय कुटुंब है जिसमें एक तरफ़ दस्तूरों का रक्षण किया जाता तो दूसरी तरफ़ वक़्त की आवश्यकताओं की भी पूर्ति की जाती। उसकी माँ भी पढ़ी लिखी नौकरीशुदा औरत है। वह विख्यात अस्पताल में डॉक्टर थी और उसके पिता भी एक डॉक्टर थे।

हैदराबाद में सिंधियों की बस्ती कासिमाबाद में उनका चार सौ गज़ का एक शानदार बंगला था। ज़िंदगी ने उसके साथ बहुधा अच्छाइयाँ बख्शीं, बस!

अगर थोड़ी कुछ कमी थी तो उसके भीतर में पनपती हीन भावना का अहसास, या किसी हद तक माँ की नौकरी के सबब उनकी मुहब्बत पाने की कमी। पर उसकी यह कमी भी उसकी दादी ने पूरी कर दी थी। फिर भी कम पढ़ाई और कम सलाहियत के कारण उसकी अपनी ही बुनी हुई विचारधारा थी या नाटकों और फिल्मों से प्राप्त आत्मदया का भाव था, जो उसके ज़हन पर हावी था। इंटर साइंस में अपेक्षित अंक हासिल न करने के कारण यूनिवर्सिटी में दाख़िला लिया था।

सलीम उसका क्लास फेलो था, दादू के गर्वमेंट कॉलेज से इंटर करके यहाँ आया था। बिलकिश की तुलना में उसका परिवार मध्यवर्ग से वास्ता रखता था। उसका बाप एक प्राइमरी स्कूल में हेड मास्टर था। उसे सी. एस. ए. कराकर ‘डिप्यूटी कमिश्नर’ बनाने का ख़्वाब उसकी आँखों में था। सलीम की शख़्सियत पुरक़शिश थी.... कद्दावर.... सुन्दर सुकुमार जवान था। तबीयत में किसी हद तक परिपक्वता की कमी.... पढ़ने में कम चाह.... पर ख़्वाबों की उड़ान कमिश्नरी से भी ऊँची थी।

बिलकिश के साथ मुहब्बत की गाँठें कैसे बंधीं, इस का अहसास दोनों को नहीं हुआ। न पहली नज़र में प्यार हुआ था, और न ही सलीम ने बिलकिश को किसी गुंडे से बचाया था। आहिस्ते आहिस्ते बेख़बरी के आलम में दोनों एक दूसरे के नज़दीक आने लगे.... सलीम के लिये नोट्स तैयार करना, असाइन्मेंट बनाना.... बिलकिश के प्रिय काम थे.... पहले फ़ोन पर बातें होतीं, यूनिवर्सिटी के बारे में, फिर धीरे-धीरे भविष्य में साथ गुज़ारने के रेखा-चित्र शुरू होकर ‘हाला नाके’ के अयूब रेस्टॉरंट तक पहुँचे। सलीम अक्सर किसी अनजान ख़ौफ़ का शिकार नज़र आता था, "कहीं अपना ज़िक्र ‘प्रेमी जोड़ो’ में तो नहीं आ जाएगा? ऐसा ही सवाल एक दिन सलीम ने बिलकिश से किया था।

"नहीं सलीम, हमारी फैमिली काफ़ी आज़ाद ख़्याल की है.... और अम्मा तो तुम्हारी मेरी दोस्ती के बारे में जानती है।" बिलकिश ने उसे ढाढस बंधाया।

बिलकिश जो आत्मदया की परिस्थिति में गिरफ़्तार थी, सलीम के साथ उसके वजूद को आत्मविश्वास मिला था। उसी विश्वास के सहारे वह इस गोल गोल घूमती दुनिया में नाज़ के साथ इतराती थी, ख़ुद विश्वास के साथ चलती थी और उसे यह भी यक़ीन था कि सलीम उसका अपना है। सलीम और उसके बीच में कोई भी समाज की दीवार नहीं है। फिर उसे लगा कि सलीम के ध्यान का केन्द्र-बिंदु कोई और लड़की बनने लगी और सलीम उसके पीछे ‘पागलों’ की तरह दौड़ने लगा और वह लड़की सलीम का अल्हड़पन देखकर, उसे अपनी बाँहों में जकड़ती रही.... वह कोई और नहीं

‘सियासत’ थी।

"मैं प्रेशर ग्रुप का अध्यक्ष चुन लिया गया हूँ।" इंटरनेश्नल रिलेशन वाले अनुभाग के पास ऊपर जाती हुई सीढ़ियों पर सलीम ने उसे बताया था।

"सच!" बिलकिश की ख़ुशी की कोई हद न रही थी।

"हाँ.... अब मैं भी लीडर कहलाऊँगा.... मेरे बयान और तस्वीरें अख़बारों में आएँगी।"

"पर सलीम, तुम ध्येय के लिये लड़ना, स्टूडेंट्स की परेशानियों के

लिये संघर्ष करना और धरती के दुखों के ख़िलाफ़ जूझना।" बिलकिश ने लंबी साँस लेते हुए उससे कहा था- "सच सलीम, मेरा सर गर्व से बुलंद होगा, मेरे आत्मविश्वास में और भी इज़ाफ़ा होगा।"

"हाँ बिलकिश, मैं चाहता हूँ कि क़ौम के दुख समेट लूँ। स्टूडेंट्स सुकून से तालीम पाएँ। बसों में लटकते हुए नहीं आराम से बैठ कर आएँ जाएँ।

खुद छुट्टी लेने के ढंग में बदलाव के लिये संघर्ष करूँगा.... और हाँ....

बिलकिश तुम्हें पता है मैं सियासत में क्यों आया हूँ? इसलिये कि तुम्हारा सर गर्व से ऊँचा हो और वो आदर्श जो तुमने संजोए हैं उन को क़ामयाबी मिले...."

सलीम ने प्यार से बिलकिश का हाथ पकड़ा, पर मैडम को आते हुए देखकर हाथ छोड़ दिया। बिलकिश ने शरारती मुस्कान से उसकी ओर देखते हुए कहा- "बस, इतना सा दिल है। अभी तो लीडर बनने चले थे।"

"मूल्यों की रक्षा भी तो करनी है..." सलीम ने मुस्कराते हुए जवाब दिया।

 

और फिर सलीम के बयान अख़बारों में छपने लगे। तस्वीरें विभाग की दीवारों पर चिपकने लगीं। अब सलीम कोई आम स्टूडेंट नहीं, एक ख़ास स्टूडेंट था जिस पर हर एक इतराता था, सलाम करता था। सलीम में अल्हड़पन की मात्रा बढ़ने लगी।

"बिलकिश.... आज तुम्हारी सालगिरह है न...." सलीम के हाथ में एक गिफ़्ट पैक था।

"यह देखो... तुम्हारे लिये क्या लाया हूँ?"

"तुम्हारा लाया हुआ ख़ूबसूरत कार्ड भी मेरे लिये सोने से ज़्यादा मूल्यवान होता है।" बिलकिश गिफ़्ट पैक को देखकर कहने लगी।

"पर तुम देखो तो सही।" सलीम ने कहा।

"अरे यह.... यह तो सोने का ब्रेसलेट है।" बिलकिश ने हैरानी से सवाली निगाहें उसकी ओर उठाईं।

"हाँ.....!" सलीम मुस्कराता रहा।

"पर इतने पैसे तुम्हारे पास आए कहाँ से.... सात हज़ार से तो क़तई कम न होगा यह...." बिलकिश हैरान थी।

"पैसों को छोड़ो.... यह बताओ तुम्हें गिफ़्ट पसंद आया न?"

सलीम की आँखों में मुहब्बत का जोश था।

"है तो अच्छा पर...." कुछ चाहकर भी वह कुछ न कह पाई। सिमेस्टर की परीक्षाएँ नज़दीक थीं। बिलकिश पढ़ाई के साथ सलीम की असाइन्मेंट भी तैयार करने में व्यस्त रही।

"ख़ुदा करे जल्दी परीक्षाएँ हों।" हर स्टूडेंट की तरह बिलकिश भी ख़्वाहिशमंद थी। वक़्त पर परीक्षाएँ हों तो बेहतर, नहीं तो देर के कारण नौकरी पाने में भी स्टूडेंट पीछे रह जाते हैं। ‘कायदे आज़म यूनिवर्सिटी’ में इच्छुक विद्यार्थी दाख़िला पाने से वंचित रह जाते हैं.... कितनी स्कॉलरशिप रद्द होती हैं और उसके साथ-साथ माता-पिता पर भी आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। आम विद्यार्थी एक अनचाही परिस्थिति के शिकार हो जाते हैं।

"हैलो बिलकिश, क्या कर रही हो?" एक दिन सलीम ने फ़ोन पर पूछा।

 

"तुम्हारे लिये असाइन्मेंट तैयार कर रही हूँ.... इस बार तुमने पेपर्ज़ के लिये कितनी तैयारी की है?"

"तैयारी कैसी? पहले इम्तिहान तो हों!"

"क्यों? क्या तुम्हारी सियासत भी उन्हीं रास्तों पर चलने लगी है?"

"देखो न बिलकिश, स्टूडेंट्स की कितनी सारी समस्याएँ सामने हैं। उन परेशानियों से निजात पाने के लिये ज़रूरी है बॉइकॉट करवाया जाय क्योंकि उसी से व्यवस्था पर दबाव डाला जा सकता है।"

"पर सलीम, उसमें भी भुगतना तो स्टूडेंट को ही पड़ता है, व्यवस्था पर तो कोई असर नहीं पड़ता और उसी बॉइकॉट के कारण पुलिस वालों को भी यूनिवर्सिटी आना जाना होगा। ऐसा न करें सलीम, कुछ सोचें...." बिलकिश उसे समझाने की कोशिश करने लगी।

"बेहतर यही है कि तुम इस मामले में न उलझो।" सलीम ने फ़ोन रख दिया।

इस बार व्यवस्था ने परीक्षाओं के लिये सेना की मदद ली। परीक्षाएँ

बेहद आराम और सुकून से शुरू हुईं पर ख़ौफ़ का एक अनछुआ अहसास हर स्टूडेंट्स के दिल और दिमाग़ पर छाया रहा.... आज परीक्षाओं को शुरू हुए चार दिन हुए थे।

सुबह का वक़्त था और स्टूडेंट्स दस्तूर के अनुसार परिसर (कैम्पस) में मौजूद हुए, पर आज टीचर्स की बसें अभी तक नहीं पहुँची थीं.... नौ. .... दस.... अचानक एक ख़बर बवंडर की तरह परिसर में आ पहुँची।

"टीचर्स की बस पर पटाखे फेंके गए हैं.... चार टीचर्स ज़ख्मी हालत में अस्पताल पहुँचाए गए हैं।"

"यह किसने किया?"

अलग अलग आवाज़ें..... अलग-अलग विचार सुनने में आए।

"प्रेशर ग्रुप वालों का काम है।’ प्रतिध्वनि बिलकिश के कानों तक पहुँची।

"सलीम.... यह तुमने किया?" बिलकिश के लहज़े में बेयक़ीनी के

साथ दुख का भी अहसास था और ज़हनी तौर पर सलीम के मुँह से ‘नहीं’ सुनने की ख़्वाहिश भी।

"नहीं बिलकिश.... व्यवस्था ने यह ख़ुद करवाया है।" सलीम ने हँसते हुए जवाब दिया।

"प्लीज़ सलीम, ऐसा मत करो.... मेरे ख़्वाब, मेरी तमन्नाएँ.... कहीं घायल न हो जायें!"

"पगली, तुम्हारे ख़्वाबों को हक़ीक़ी स्वरूप देने के लिये तो यह सब कर रहा हूँ। महलों में रहने वाली, चांदी के चम्मच से खाने वाली को झोपड़ी में तो नहीं रखूँगा?"

"मुफ़लिसी कोई दोष नहीं, कोई तिरस्कार नहीं और मेरे माता-पिता की कोई माँग भी नहीं है...." बिलकिश ने उसे समझाते हुए कहा।

"प्लीज़ सलीम, इस बार सुकून से परीक्षाएँ चलने दो।"

"तुम्हें पता है, इस बार हमारी योजना क्या है?"

"कौन सी?"

"हॉस्टल पर हमला करेंगे।"

"आखिर परीक्षाओं से आप लोगों को इतनी नाराजगी क्यों?" बिलकिश ने शक़ी अंदाज़ में उससे पूछा।

"परीक्षाओं से हमारा क्या लेना देना.... पता है हम ये सब क्यों कर रहे हैं?"

"क्यों....?"

"हमें आज्ञा मिली है कि वहाँ हॉस्टल ख़त्म किये जायें, और हम वही कर रहे हैं.... हमें व्यवस्था में भय पैदा करना है। तुम्हें तो पता है कि हॉस्टल ताक़त के स्त्रोत होते हैं। हमारे ख़िलाफ़ उठती ललकार की आवाज़ है... कोई भी समस्या हो.... यहाँ पर जलाई गई लौ, रोशनी ज्वाला बनकर घर-घर, बस्ती-बस्ती पहुँच जाती है। हमें यह आदेश मिला है और वह हमें स्वीकार है...." सलीम नशे में सच कहता रहा और बिलकिश का चेहरा तमतमाता रहा, गुस्से से, नफ़रत से.... या शायद बेबसी से। वह तेज़ी से निकल जाती है.... सलीम वहीं बैठा है।

रेखांकित किया हुआ दस्तूर.... परीक्षाएँ शुरू..... हॉस्टलों पर हमले.... सलीम दो बार गिरफ़्तार.... बिलकिश की माँ नसीम अख़बार लेकर बिलकिश के सामने खड़ी है.... बिलकिश की गर्दन झुकी हुई है। रात के पहर वह दरी पर बैठी ख़ुदा के दर मिन्नत कर रही है- "रब करे सलीम सही राह पर आ जाए। क़ौम का हमदर्द बने, उसके ख़्वाबों की तामीर हो।"

"पर मेरा भी तो अहम् है। मैं तुम्हें ऐसे कैसे घर लेकर जाऊँगा?" सलीम का जवाब था।

और फिर.... अख़बार में ख़बर छपी कि प्रेशर ग्रुप के अध्यक्ष को गिरफ़्तार किया गया।

बिलकिश की माँ ने अख़बार बिलकिश को दिखाई, "बेटे, हमने तुम्हें आज़ादी दी है, अपने लिये जीवन-साथी चुनने का अख़्तियार भी तुम्हें है.

... पर तुम्हें मार्गदर्शन करने का अख़्तियार हमें भी है। हमारी ख़्वाहिश है कि तुम जो भी फ़ैसला करो, सोच समझ कर करो।"

बिलकिश ख़ामोश थी। जिस माँ-बाप ने उसकी झोली में हमेशा मुहब्बतों की सौग़ात डाली, उन्हें दुख देने का उसे अख़्तियार न था। जल्दी ही सलीम की आज़ादी की ख़बर भी मिली। सलीम गाँव गया हुआ था।

"बिलकिश.... मैं आज़ाद हो गया हूँ.... ज़मानत पर रिहा हुआ हूँ..

.. जल्द ही हैदराबाद आऊँगा।" सलीम ने दादू (शहर का नाम) से फोन किया था।

"सलीम, मेहरबानी करके इस रास्ते पर मत चलो...." बिलकिश ने अनुरोध किया।

"तुम तो पागल हो, एकदम डरपोक... अगर यही हाल रहा तो तुम मेरे साथ कैसे चल पाओगी?" सलीम हँसने लगा।

 

दोबारा सिमेस्टर की परीक्षाएँ शुरू होने वाली हैं। सलीम की गतिविधियाँ कुछ गोपनीय हैं.... कभी बिलकिश से मुलाक़ात होती तो कभी कई दिन ग़ायब रहता।

"सलीम, आख़िर तुम्हें क्या हो गया है....?" व्यायामशाला की सीढ़ियों पर बैठी बिलकिश सलीम से कुछ पूछ रही है। बिलकिश उसमें आए हुए बदलाव को बख़ूबी महसूस कर रही है.... आवाज़ में लड़खड़ाहट... लहज़े में असामान्यता....और कुछ अजीब बू!!

--

ईबुक - सरहदों की कहानियाँ / / अनुवाद व संकलन - देवी नागरानी

 

Devi Nangrani

dnangrani@gmail.com

http://charagedil.wordpress.com/
http://sindhacademy.wordpress.com/

------

(क्रमशः अगले अंकों में जारी…)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: ईबुक - सरहदों की कहानियाँ - 6/ सियासत, मीडिया और अजीब बू - तनवीर जोनेजो / अनुवाद व संकलन - देवी नागरानी
ईबुक - सरहदों की कहानियाँ - 6/ सियासत, मीडिया और अजीब बू - तनवीर जोनेजो / अनुवाद व संकलन - देवी नागरानी
https://lh3.googleusercontent.com/---RymU0mCT8/VtMRPnnOnPI/AAAAAAAArzs/_5SfhsMlnbY/image_thumb.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/---RymU0mCT8/VtMRPnnOnPI/AAAAAAAArzs/_5SfhsMlnbY/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/02/6.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/02/6.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content