आनंद-उल्लास का अनूठा द्वीप  - बेणेश्वर -डॉ. दीपक आचार्य

SHARE:

बेणेश्वर मेला विशेष                                 संदर्भ ः बेणेश्वर मुख्य मेला माघ पूर्णिमा-22 फरवरी 2016 आनंद-उल्लास का अनूठा द्वीप  - ...

बेणेश्वर मेला विशेष                                 संदर्भ ः बेणेश्वर मुख्य मेला माघ पूर्णिमा-22 फरवरी 2016

आनंद-उल्लास का अनूठा द्वीप  - बेणेश्वर

-डॉ. दीपक आचार्य

9413306077

dr.deepakaacharya@gmail.com

दुनिया का अनूठा लोक तीर्थ- बेणेश्वर धाम...... दूर-दूर तक फैला टापू,अथाह पानी और संगम, खुला आसमान... जहाँ अहर्निश बहा करती हैं संस्कृति की जाने कितनी धाराएँ, उपधाराएँ और अन्तः सरणियाँ। वह नाम जिसमें समाए हुए हैं लोक संस्कृति, सामाजिक सौहार्द और वनवासी संस्कृति के जाने कितने रंग। मेल-मिलाप की संस्कृति का यह महामेला राजस्थान के दक्षिणांचल की धड़कनों का साक्षी है। 

थिरकती है लोक संस्कृति

राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के समीपवर्ती पहाड़ी वाग्वर अंचल की लोक संस्कृति एवं लोक लहरियां यहां की नैसर्गिक सौन्दर्य से लक-दक पर्वतीय उपत्यकाओं से प्रतिध्वनित होती हैं। वनवासियों का मधुर संगीत और घुंघरुओं की झनकार, सरिताओं की कल्लोल, अर्वाचीन गंधर्वाें व किन्नरों की पुरोधा लगती है।

एक ओर यह मेला परंपरागत लोक संस्कृति का जीवन्त दिग्दर्शन कराता है तो दूसरी ओर जनजातीय क्षेत्रों में सम-सामयिक परिवर्तनों, रहन-सहन में बदलाव और विकास के विभिन्न आयामों को भी अच्छी तरह दर्शाता है। यह बेणेश्वर मेला ही है जो वागड़ अंचल भर की उन तमाम गतिविधियों का सम्यक प्रतिदर्श पेश करता है जो वर्ष भर लोक जीवन में संवहित होती रहती हैं।

सारे तीर्थों का समागम माघ पूनम को

माही मैया, सोम और जाखम सलिलाओं के पवित्र जल राशि संगम स्थल पर बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों के मध्य, उदयपुर संभाग मुख्यालय के सबसे बड़े जनजाति तीर्थ बेणेश्वर धाम के नाम से देश-विदेश में सुविख्यात टापू जन-जन की अगाध आस्थाओं का प्रतीक है। आदिवासियों के लिए यह महातीर्थ है, जो प्रयाग, पुष्कर, गया, काशी आदि पौराणिक तीर्थों की ही तरह पवित्र माना गया है। यहां का पवित्र संगम पाप मुक्तिदायक एवं सर्वार्थसिद्धि प्रदान करने वाला है।

बेणेश्वर धाम का सर्वोपरि महत्व मृतात्माओं के मुक्ति स्थल के रूप में हैं,जहां आदिवासियों द्वारा अपने परिजनों के मोक्ष के निमित्त धार्मिक क्रियाएं करने की परिपाटी पुराने समय से चली आ रही है।

सोमवार को मुख्य मेला

हर वर्ष माघ पूर्णिमा पर मुख्य मेला जुटता है, जिसमें वाग्वर अंचल के कई लाख लोगों के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों ख़ासकर मध्यप्रदेश और गुजरात जैसे पड़ोसी राज्यों से भी मेलार्थी भाग लेते हैं। लगभग तीन सौ से वर्ष पुराना, हिन्दुस्तान भर के वनवासियों का सबसे बड़ा मेला होने के कारण इसे ‘वनवासियों के महाकुंभ’ की संज्ञा भी दी गई है।

आर्थिक विपन्नता के कारण यहां के बहुसंख्य वनवासी गया आदि स्थलों पर जाकर अपने मृत परिजनों की उत्तरक्रियाएं करने में समर्थ नहीं हैं, ऎसे में बेणेश्वर धाम का दिव्य संगम तीर्थ ही उनके लिए हरिद्वार, काशी, गया, गंगा-यमुना आदि तीर्थों की तरह है। वर्ष में एक बार बेणेश्वर मेले में आकर वे मोक्ष रस्मों को पूरा करते हैं व अपने गुरुत्तर पारिवारिक दायित्व निभाते हैं।

पितरों के मोक्ष का जतन

बीते वर्ष में जब भी घर-परिवार में किसी की मृत्यु होती है तब उसकी चिताभस्म से अवशेष रह गई अस्थियों, जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘फूल’ कहा जाता है, को मिट्टी की कुल्हड़ी में सहेज कर रख दिया जाता है। जिन समुदायों में शव को गाड़ने का विधान है, उनमें शव को गाड़ने से पूर्व नाखून एवं कुछ केश ले लिए जाते हैं व इन्हें कुल्हड़ में भरकर बाहर रख देते हैं।

सामान्यतः मनुष्य को मृत्यु के अनन्तर की जाने वाली क्रियाएं वनवासियों में भी की जाती हैं। इनकी मान्यता है कि जब तक बेणेश्वर जाकर अस्थि विसर्जन नहीं किया जाता, तब तक मृतात्मा का मोक्ष नहीं होता व आत्मा भटकती रहती है। इस दृष्टि से हजारों-हजार वनवासी माघ पूर्णिमा के बेणेश्वर मेले की बड़ी ही उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं।

बेणेश्वर मेले से ठीक पहले घर-परिवार के लोगों का समूह इकट्ठा होता है व अस्थियों भरी कुल्हड़ियों को साथ लेकर मृतात्मा का नाम पुकार कर अपने साथ चलने का आह्वान किया जाता है। मेले में जाते हुए ये लोग अपने साथ पोटलियों एवं डिब्बों में खाने-पीने का सामान भी लेकर जाते हैं।

माघ पूर्णिमा के एक दिन पहले बेणेश्वर पहुंचने वाले सभी मार्गों पर अस्थि विसर्जन के लिए जाने वाले वनवासी परिवारों का सैलाब उमड़ा हुआ दिखाई देता है। माघ पूर्णिमा को बड़े सवेरे मुँह अंधेरे बेणेश्वर संगम तीर्थ पर हर तरफ हजारों-हजार वनवासी नर-नारियों के झुंड करुण अलाप व मृतात्माओं के आह्वान में व्यस्त दिखाई देते हैं, इससे समूचा परिक्षेत्र गमगीन हो उठता है। लोग मृतात्मा का स्मरण कर रूदन करते हुए विलाप करते हैं इसे ‘दाड़ पाड़ना’ कहा जाता है।

संगम तीर्थ पर लाल या सफेद रंग के वस्त्र से ढकी अस्थि भरी कुल्हड़ी पर पुष्प एवं कुंकुमादि से पूजा की जाती है। इसके बाद संगम तीर्थ में अस्थि कुल्हड़ियां लिए मृतक का पुत्र या आश्रित आगे ही आगे पानी में बढ़ता जाता है व पीछे-पीछे घर-परिवार के अन्य सदस्य भी कतारबद्ध उसके पीछे चलते जाते हैं। नाभि तक जल में उतर कर सब लोग स्नान करते हैं व दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके दिवंगत परिजन की याद में करुण विलाप करते हुए अस्थियों व चिता भस्म को बहती जल धाराओं में प्रवाहित कर देते हैं। इस समय मृत परिजन को स्मरण कर अंतिम प्रणाम किया जाता है। इस क्रिया को ‘फूल पदराना’ कहा जाता है।

धार्मिक मान्यताओं का मनोहारी दिग्दर्शन

लोगों की मान्यता है कि बेणेश्वर में अस्थि विसर्जन के साथ ही आत्मा का इस जन्म का समस्त मोह समाप्त हो जाता है व उसकी पारलौकिक यात्रा शुरू हो जाती है। अस्थि विसर्जन के बाद जल की अंजुलि भरकर तर्पण किया जाता है व सूर्य भगवान को अघ्र्य चढ़ाकर अन्य देवी-देवताओं को वंदन करते हैं। स्नान, तर्पण एवं अस्थि विसर्जन के बाद जल से बाहर निकल कर पवित्र वस्त्र धारण करते हैं व मृतात्मा के मोक्ष के निमित्त उत्तर क्रिया अनुष्ठान करवाते हैं। दीप प्रज्वलन व विसर्जन भी करते हैं।

संगम तीर्थ के टापूओं, जल विहीन चट्टानों, नदी तीरों, गोल-मटोल पत्थरों एवं रेतीले क्षेत्रों पर भगत एवं पुरोहित, जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘गरु’ अथवा‘गोरजी’ कहा जाता है, जहां-तहां अपने आसन जमाये बैठे रहते हैं। गरु संगम तट पर लाल, सफेद कापले (नन्हें वस्त्र) बिछाकर उस पर चावल, गेहूं,कुंकुम, रोली, हल्दी से यंत्र बनाकर अनुष्ठान में व्यस्त दिखाई देते हैं।

अस्थि विसर्जन के लिए आने वाले मेलार्थी यजमान इन गरुओं के सम्मुख अपने-अपने मृत परिजन की मुक्ति के उद्देश्य से उत्तर क्रिया कराते हैं। गरु द्वारा गणेश पूजन व संकल्प के पश्चात मृतात्माओं का आह्वान किया जाता है। कई-कई लोग मुंडन भी करवाते हैं। इस क्रिया के बाद गरु को दान-दक्षिणा व सीधा (भोजन निर्माण हेतु अन्नादि) दिया जाता है।

मीलों पसरा रहता है मेला

करीब एक-डेढ़ किलोमीटर संगम क्षेत्र भर में यही नज़ारा मृतात्माओं के मोक्ष के उत्सुक जीवात्माओं की परम्परागत श्रद्धा को अभिव्यक्त करता है। अस्थि विसर्जन का यह सिलसिला माघ पूर्णिमा को दिन भर अपने चरमोत्कर्ष पर रहता है। अस्थि विसर्जन के उपरांत वनवासी संगम तट की चट्टानों व रेत पर चूल्हा जला कर बड़े-बड़े काले मटकों या पात्रों में परम्परागत, बाकरा, दाल-बाटी या पानीये(मक्का की मोटी रोटी) पकाते हैं। बाकरा विशेष प्रकार का खाद्यान्न होता है, जिसमें गेहूं, चावल आदि को एक साथ मिलाकर पकाया जाता है। इसमें गुड़ या शक्कर मिलाकर मीठा बाकरा तथा मिर्चादि मिलाकर मसालेदार बाकरा बनाया जाता है। समूचे संगम तट पर कण्डों व लकड़ियों के जलने से धूएं के बादल उठते दिखाई देते हैं। यहीं पर पूरे परिवार के लोग एक साथ बैठकर सामूहिक भोजन करते हैं।

संगम तटों पर शुद्ध पानी निकालने के लिए लोगों द्वारा रेत कंकड़ों को निकाल कर खड्डा बनाया जाता है व इसमें से निकला पानी पीने के काम में लिया जाता है। इन जलीय खड्डों को ‘बिलं’ कहते हैं। वारवड़ा(शिशुओं के मुण्डन की बाधा) की रस्में भी यहां पूरी की जाती हैं।

इस सब पारिवारिक दायित्वों से फुर्सत पाकर मेलार्थी मेलास्थल के श्रद्धास्थलों, मंदिरों एवं मेला बाजारों की यात्रा करते हैं। तीनों ही ओर दूर-दूर तक कलनाद करती सरिताओं एवं अथाह जलराशि भरे पवित्र संगम तटीय क्षेत्र के बीचों-बीच सुविस्तीर्ण टापू की सबसे ऊंची पहाड़ी पर प्राचीन बेणेश्वर शिवालय है। मेले का नामकरण भी इसी के आधार पर किया हुआ है।

वामन रूप धरा यहीं

यहां विभिन्न देवी-देवताओं के कई मन्दिर हैं जो श्रद्धा और आस्था का ज्वार उमड़ाते हैं। इस महातीर्थ के संबंध में पौराणिक मान्यता है कि इस गुप्त प्रदेश में राजा बलि ने बड़ा भारी यज्ञ किया। उस समय भगवान विष्णु ने तीन पग भूमि का दान इसी स्थल पर लिया। भगवान हरि ने वामन रूप धर कर जिस स्थान पर अपना पग रखा उसे ‘आबूदर्रा’ कहा जाता है। इसकी गहराई अथाह है।

भक्तों का मेला

यह वाल्मीकि मंदिर मेले के दिनों में वनवासी चेतना का धाम बन जाता है,जहां इस अंचल के कोने-कोने से भक्तों की टोलियां अपने-अपने मत-मतांतरों के ध्वज, लोकवाद्य यंत्र लेकर शरीक होती हैं व धार्मिक एवं सामाजिक सुधार के विविध कार्यक्रमों के माध्यम से लोक जागरण को प्रभावी दिशा देती हैं।

मेले में ऎटीवाला पाड़ला के देवपुरी महाराज की चित्र लेकर पालकी आती है। यहीं हवनकुंड, धर्मशाला, चुग्गा डालने का चबूतरा आदि हैं। भक्तों द्वारा लगातार यहां भजन लहरियां प्रवाहित की जाती हैं। वाल्मीकि मंदिर पर बड़ी संख्या में लगने वाले रंग-बिरंगे ध्वजों, भक्तों का जमावड़ा और धार्मिक कार्यक्रमों का समन्वय मेले की रंगत को बहुगुणित करता है।

मेला बाजारों का भी है अपना आकर्षण

इस वार्षिक मेले में विस्तृत फैले मेला बाजारों में चारों तरफ असंख्य दुकानें लगती हैं व मनोरंजन के संसाधनों का जमावड़ा होता है। मेला बाजारों में हर वस्तु मिलती है, वहीं मनोरंजन स्थल पर रंगझूले, चकडौल, सर्कस, पिक्चर,मदारियों के कारनामें, मौत का कूआ, जादू, रेल, चिड़ियाघर आदि सभी विधाओं को पाया जा सकता है। मेलार्थी अपने जरूरत की चीजों की खरीद-फरोख़्त करते हैं व मेले का पूरा-पूरा लुत्फ उठाते हैं।

पीठाधीश्वर होते हैं श्रद्धा के केन्द्र

मेला स्थल के प्रमुख राधा-कृष्ण मंदिर में बेणेश्वर धाम के पीठाधीश्वर गोस्वामी अच्युतानंद महाराज  की गादी लगती है। मेलार्थी यहां आकर महन्त के चरणस्पर्श कर आशीर्वाद ग्रहण करते हैं व कुछ न कुछ चढ़ावा अवश्य चढ़ाते हैं। मेले में जहां-तहां साधु संतों, भक्तों एवं मठ-मंदिरों के पुजारियों आदि को धार्मिक क्रिया-कलापों में व्यस्त देखा जाता है। साधु संत धर्म ध्वजाएं लगाये भजनानंद में व्यस्त रहते हैं।

मुक्ति का महाधाम

बेणेश्वर जहां आनंद का ज्वार उमड़ता है, वहीं मृतात्माओं की मुक्ति का महाधाम है, जो पिछले तीन सौ से अधिक वर्षों से अपनी पावनता का बखान कर रहा है। इसके साथ ही वनवासी अंचल में लगने वाला यह परंपरागत मेला इस क्षेत्र की संस्कृति, सामाजिक रीति-रिवाज, रहन-सहन के अंदाज और वनवासियों के जीवनदर्शन से भली प्रकार रूबरू कराता है और आनंद के साथ जीने की कला के दर्शन से हर किसी को अभिभूत कर देता है।

-000-

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: आनंद-उल्लास का अनूठा द्वीप  - बेणेश्वर -डॉ. दीपक आचार्य
आनंद-उल्लास का अनूठा द्वीप  - बेणेश्वर -डॉ. दीपक आचार्य
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/02/blog-post_84.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/02/blog-post_84.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content