प्रेरक भारतीय वैज्ञानिक : अरदासिर कुरसेत्जी / अरविन्द गुप्ता

SHARE:

अतीत के प्रेरक भारतीय वैज्ञानिक   अरविन्द गुप्ता   चित्रांकनः कैरन हैडॉक   अरदासिर कुरसेत्जी (1808 . 1877) बहुत कम भारतवासियों न...

अतीत के

प्रेरक भारतीय वैज्ञानिक

 

अरविन्द गुप्ता

 

चित्रांकनः कैरन हैडॉक

 

image

अरदासिर कुरसेत्जी

(1808 . 1877)

बहुत कम भारतवासियों ने ही अरदासिर कुरसेत्जी का नाम सुना होगा। बहुत कम लोग इस बात से अवगत होंगे कि बम्बई का यह मरीन इंजिनियर 27 मई 1841 को रॉयल सोसायटी का पहला भारतीय सदस्य बना। रॉयल सोसाइटी की अगली फेलोशिप 75 वर्ष बाद प्रख्यात गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को प्रदान की गई।

अंग्रेजी शासक भारत में अपने व्यापारिक और राजनैतिक प्रभुत्व को कायम रखना चाहते थे। इसके लिए उन्होंनें विज्ञान और उभरती नई तकनीकों का सहारा लिया। उन्होंनें भाप-चलित जहाजों द्वारा इंग्लैंड और भारत के बीच यात्रा के समय को कम किया। रेल और टेलीग्राफ का ताना-बाना बुनकर अंग्रेजों ने कानून और व्यवस्था की पकड़ और मजबूत की। संचार के इन माध्यमों से लगान और टैक्स की वसूली भी ज्यादा हुई। मुट्ठी भर अंग्रेजों के लिए इतने बड़े हिंदुस्तान को नियंत्रण में रखना एक असंभव कार्य था। यह काम हिंदुस्तानियों की मदद के बिना कर पाना नामुमकिन था। शुरु में अंग्रेजों ने कुछ हिंदुस्तानियों को नौकरियां दी - उद्देश्य साफ था - हिंदुस्तान और उसकी जमीं को समझना। बाद में अंग्रेजों ने क्लर्की और मुंशीगिरी की ट्रेनिंग देने के लिए कुछ स्कूल भी स्थापित किए। इस नई शिक्षा से कुछ भारतीयों में राष्ट्रीय मुक्ति की भावना भी जागृत हुई।

कुरसेत्सी के परिवार ने एक लम्बे अर्से से अंग्रेजों की जहाज बनाने में मदद की थी। उनके एक पुरखे लाओजी नुसरवानजी (वाडिया) सूरत के बन्दरगाह में बढ़ई थे। बाद में अंग्रेज उन्हें नए बन्दरगाह का निर्माण करने के लिए बम्बई लाए। शुरु में अंग्रेज जहाजों के निर्माण के लिए बांझ (ओक) के पेड़ों का उपयोग करते थे। परंतु तेजी से फैलते ब्रिटिश साम्राज्य में जल्द ही ‘ओक’ के पेड़ों का सफाया हो गया। उन्हें ‘ओक’ का विकल्प ‘मलाबार टीक’ में मिला। टीक यानी सागौन की लकड़ी मजबूत होती है और पानी में सड़ती नहीं है। प्रचुर मात्रा में सागौन और कुशल बढ़ईयों की उपलब्धता के कारण बम्बई जहाज बनाने के प्रमुख केन्द्र के रूप में उभरा। जहाज बनाने के काम में लगे कुरसेत्जी परिवार को बहुत प्रतिष्ठा मिली।

उन्नीसवीं शताब्दी के शुरुआत में स्टीम-चलित जहाजों का उद्गम हुआ। लगभग उसी समय कुरसेत्जी का भी जन्म हुआ। कुरसेत्जी की रुचि जहाज निर्माण में कम परंतु स्टीम-चलित मशीनों में ज्यादा थी। उन्होंने जल्द ही 1-हार्सपॉवर के इन्जन का निर्माण कर अपनी कुशलता का परिचय दिया। यह भारत में बना पहला इन्जन था। 1833 में कुरसेत्जी ने इंग्लैंड से एक 10-हार्सपॉवर का इन्जन मंगाया और उसे ‘इंड्स’ नाम के जहाज में फिट किया। उसी साल उन्हें मझगांव बन्दगाह में नौकरी मिली। कुरसेत्जी ने अपने घर पर लोहा ढलाई की एक छोटी ‘फाउंड्री’ स्थापित की। यहां वो जहाजों की टंकियां ढालते थे।

उनका अगला करिश्मा था - गैस से जलने वाली सड़क बत्ती का निर्माण। 1834 में कुरसेत्जी ने मझगांव स्थित अपने बंगले और बगीचे को गैस की बत्तियों से रोशन किया।

जल्द ही उन्हें ‘प्रैक्टिकल’ क्लासेस लेने के लिए एलीफेंस्टन इंस्टिट्यूट में बुलाया गया। उन्होंने वहां भारतीय छात्रों को यांत्रिकी और रासायनिक विज्ञान सिखाया। तीन साल बाद वो इंग्लैंड स्थित रॉयल एशियाटिक सोसाइटी के अप्रवासी सदस्य चुने गए।

कुरसेत्जी ने अब एक साल इंग्लैंड में गुजारने की सोची। वहां वो पानी के जहाजों में लगने वाले इंजनों की नवीनतम जानकारी हासिल करना चाहते थे। इस यात्रा में कुरसेत्जी अपने नौकरों को भी साथ ले गए क्योंकि वो केवल पारसियों के हाथ का पका खाना ही खाते थे। धार्मिक मामलों में कुरसेत्जी काफी कट्टरवादी थे। इंग्लैंड में उन्हें एक नौजवान पारसी मिला जो पारसी टोप नहीं पहने था। कुरसेत्जी को यह बात आपत्तिजनक लगी। इंग्लैंड में कुरसेत्जी को वहां की संसद - हॉउस ऑफ कॉमन्स की बैठक में भी आमंत्रित किया गया। व्यस्त रहने के बावजूद कुरसेत्जी लंदन से ज्यादा प्रभावित नहीं हुए। इंग्लैंड की रॉयल टकसाल उन्हें बम्बई की टकसाल की तुलना में कहीं गई-गुजरी लगी। उन्हें बम्बई की तुलना में लंदन की सड़कें भी ज्यादा गंदी लगीं।

व्यवसासिक शिक्षण के लिहाज से कुरसेत्जी का यह दौरान बहुत सफल रहा। वो कई ब्रिटिश नामी-गिरामी संस्थाओं के सदस्य भी बने जिनमें - इंस्टिट्यूशन ऑफ सिविल इंजिनियर्स, सोसाइटी ऑफ आट्ॅस एन्ड साइन्स और ब्रिटिश एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ साइन्स शामिल थीं। वापस लौटने पर कुरसेत्जी की नियुक्ति अंग्रेजों की स्टीम कम्पनी और फाउंड्री में, चीफ इंजिनियर और इंस्पैक्टर के पद पर हुई। उनकी तनख्वाह अब 600 रुपए महीना थी, जो पहले की तनख्वाह से छह गुना ज्यादा थी।

1841 में जब कुरसेत्जी इंग्लैंड में थे तब उन्हें प्रख्यात रॉयल सोसाइटी की फेलोशिप से नवाजा गया। उनका नाम कई प्रभावशाली लोगों ने प्रस्तावित किया। इनमें से दो लोग बाद में इंस्ट्टियूशन ऑफ सिविल इंजिनियर्स के अध्यक्ष बने, एक ईस्ट इंडिया कम्पनी का चेयरमैन बना और एक अन्य रॉयल सोसाइटी का अध्यक्ष बना।

रॉयल सोसाइटी की वर्तमान में छवि, प्रख्यात वैज्ञानिकों के एक संगठन के रूप में है। परंतु बीसवीं शताब्दी के शुरु में रॉयल सोसायटी सम्भ्रांत लोगों का महज एक क्लब था। यह लोग प्रकृति, गणित और इंजिनियरिंग के अलावा ‘प्रायोगिक’ विज्ञान की तमाम शाखाओं में भी रुचि रखते थे। उस समय की मान्यताओं के अनुसार वहां के समाज ने कुरसेत्जी को एक कुशल इंजिनियर और विज्ञान के प्रसारक के रूप में देखा।

रॉयल सोसाइटी की सदस्यता कुरसेत्जी के लिए महज एक व्यक्तिगत उपलब्धि ही रही। इस खिताब से न तो उनके देशवासी प्रभावित हुए और न ही उनकी कोई पेशेवर उन्नति हुर्ई। जब 1 अप्रैल 1841 को कुरसेत्जी भारत लौटे तो कई यूरोपीय अफसर उनके अधीन थे। कुरसेत्जी पहले भारतीय थे जिनके नीचे गोरे लोगों ने काम किया। उनके स्टाफ में चार गोरे फोरमैन, 100 गोरे बॉयलर-मेकर और इंजिनियर थे। साथ में 200 हिन्दुस्तानी कारीगर भी थे। उनकी नियुक्ति से कई गोरे नाराज भी हुए। अंग्रजों की तरफदारी करने वाले अखबार बॉम्बे टाइम्स ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, ‘चाहें वो कितना भी पढ़ा-लिखा और काबिल क्यों न हों फिर भी बॉम्बे स्टीम फैक्ट्री जैसी कम्पनी की कमान एक हिन्दुस्तानी को सौंपना गलत है। एक हिन्दुस्तानी बहुत से यूरोपीय लोगों पर नियंत्रण करे यह बात ठीक नहीं है।’

परंतु कुरसेत्जी ने अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। 1849 में कुरसेत्जी अमरीका गए और वहां उन्होंनें लकड़ी का काम करने वाली कुछ मशीनें खरीदीं और उन्हें बम्बई भेजा। उस समय अमरीकी लोग भारतीयों के बारे में क्या सोचते थे वो इस विवरण से स्पष्ट होता हैः

उस समय के विदेशी मेहमानों में हमें सबसे ज्यादा आश्चर्य तब हुआ जब हमारा मित्र एक जीवित पारसी को अपने साथ चाय पर हमारे घर लाया। उसके सिर पर एक ऊंची टोपी थी। मुझे बहुत ताज्जुब हुआ जब उस अग्नि के उपासक ने साधारण लोगों के साथ चाय पीना स्वीकार किया। पर वो कोई हानिकारक शेर नहीं था। वो बहुत हल्के दहाड़ा। उसने औरों के साथ आराम से डबलरोटी मक्खन खाया और चाय भी पी। उसने बम्बई में अपनी जिंदगी के बारे में हमें कई रोचक कहानियां भी सुनाईं। मुझे साफ याद है - वो बहुत धीरे-धीरे और स्पष्ट शब्दों में बोला जैसे कि वो किसी छोटे बच्चे से बात कर रहा हो। उसने हमारे प्रश्नों का उत्तर बहुत सधी हुई आवाज में दिया। उसकी अंग्रेजी हम लोगों की अंग्रेजी से कहीं बेहतर थी।

फरवरी 1851 में कुरसेत्जी ने एक स्टीमर लांच किया जिसका नाम ‘लाओजी फैमिली’ था। स्टीमर का हरेक कल-पुर्जा देसी था और कुरसेत्जी के घर में लगे कारखाने में बना था। बम्बई शहर का परिचय सिलाई मशीन, फोटोग्राफी और एलक्ट्रो-प्लेटिंग से कराने वाले कुरसेत्जी पहले व्यक्ति थे।

1861 में उन्होंने इंड्स फ्लोटिला कम्पनी में चीफ सुपरिंटेंडेन्ट का पद सम्भाला और इस कम्पनी की कोटरी, सिंध स्थित सभी फैक्ट्रियों की बागडोर सम्भाली। फ्लोटिला कम्पनी उस समय भारतीय नौसेना के अधीन थी और 1863 में उसका विघटन हुआ। कम्पनी बन्द होने के बाद कुरसेत्जी ने उससे इस्तीफा दिया और उसके बाद वो रिचमंड, इंग्लैंड में जाकर बस गए जहां 18 नवम्बर 1877 को उनका देहान्त हुआ।

यह आश्चर्य की बात है कि तमाम उपलब्धियों के बावजूद कुरसेत्जी गुमनाम ही रहे। भारतीय वैज्ञानिक शोध का केन्द्र बम्बई से हट कलकत्ता चला गया था। कलकत्ते के लोगों को कुरसेत्जी के काम के बारे में कुछ पता नहीं था। शायद इसी वजह से भारत का पहला आधुनिक इंजिनियर कभी भी हमारे देशवासियों के लिए एक रोल-मॉडल नहीं बन पाया। भारत सरकार ने देश के इस महान पुत्र की स्मृति में एक डाक टिकट अवश्य जारी किया।

(अनुमति से साभार प्रकाशित)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रेरक भारतीय वैज्ञानिक : अरदासिर कुरसेत्जी / अरविन्द गुप्ता
प्रेरक भारतीय वैज्ञानिक : अरदासिर कुरसेत्जी / अरविन्द गुप्ता
https://lh3.googleusercontent.com/-dmoIME5ulwc/VvLHlvVPD5I/AAAAAAAAsjM/pQBoqiOWYwo/image_thumb.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-dmoIME5ulwc/VvLHlvVPD5I/AAAAAAAAsjM/pQBoqiOWYwo/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/03/blog-post_166.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/03/blog-post_166.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content