लाल गुब्बारा / बाल कहानी / एल्बर्ट लैमोरिस

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  जनवाचन आंदोलन बाल पुस्तकमाला भारत ज्ञान विज्ञान समिति । लाल गुब्बारा एल्बर्ट लैमोरिस दिल को छू लेने वाली एक मार्मिक कहानी। एक संवेदनश...

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जनवाचन आंदोलन
बाल पुस्तकमाला
भारत ज्ञान विज्ञान समिति ।


लाल गुब्बारा
एल्बर्ट लैमोरिस


दिल को छू लेने वाली एक मार्मिक कहानी। एक संवेदनशील लड़के
और उसके प्रिय लाल गुब्बारे की अमर दोस्ती की दास्तां। परन्तु यह
दोस्ती कुछ बदमाश लड़कों को पसंद नहीं आती। बाद में क्या होता है
जानने के लिए आगे पढ़ें। इस कहानी पर आधारित एक सुंदर फिल्म
भी बनी है।

हिन्दी अनुवादः अरविन्द गुप्ता

 

ऊब से बचने के लिए पास्कल कभी किसी खोई हुई बिल्ली को
घर वापिस ले आता। तो कभी सड़क पर घूम रहे किसी लावारिस कुत्ते
को पकड़ कर ले लाता। पास्कल की मां को इन आवारा और गंदे
जानवरों से बेहद नफरत थी। वो उन्हें घर से बाहर निकाल देतीं। इससे
पास्कल अपनी मां के साफ-सुंदर घर में, फिर से अकेला पड़ जाता।
एक दिन स्कूल जाते वक्त पास्कल को एक सुंदर लाल रंग का
गुब्बारा दिखाई पड़ा। गुब्बारा, बिजली के खम्बे से बंधा था। गुब्बारे को
देखते ही पास्कल अपने बस्ते को सड़क पर पटककर, झट से खम्बे पर
चढ़ गया। फिर गुब्बारे की डोर खोलकर वो बस स्टाप की ओर दौड़ा।

पर बस कंडक्टर को सभी नियम-कानून रटे थे।
उसने कहा, "बस में कुत्ते, भारी सामान और गैस के
गुब्बारे ले जाना सख्त मना है। जिनके पास कुत्ते हैं, उन्हें
चलकर जाना होगा। भारी सामान वालों को टैक्सी लेने
होगी। और जिनके पास गैस का गुब्बारा हो उन्हें उसे छोड़
कर ही सफर करना होगा।"

पास्कल ने अपने गुब्बारे को कसकर पकड़ रखा
था। वो किसी भी कीमत पर उसे छोड़ने को तैयार नहीं
था। तभी कंडक्टर ने घंटी बजाई और बस पास्कल को
स्टैंड पर खड़ा छोड़कर आगे बढ़ गई।
स्कूल काफी दूर था। पैदल चलने के अलावा
पास्कल के पास और कोई चारा भी नहीं था। पास्कल के
पहुंचने तक स्कूल का गेट बंद हो चुका था। तब उसे
एक तरकीब सूझी। बाहर स्कूल का चौकीदार झाड़ू लगा
रहा था। पास्कल ने अपने लाल गुब्बारे को चौकीदार की
निगरानी में छोड़ दिया। पास्कल हमेशा स्कूल समय पर
ही पहुंचता था। देरी से पहुंचने का यह पहला मौका था।
इसलिए पास्कल को कोई डांट नहीं पड़ी।


स्कूल खत्म हुआ। चौकीदार ने लाल गुब्बारे को अपने कमरे में
सुरक्षित रखा था। उसने गुब्बारा पास्कल को लौटा दिया।
तभी बारिश शुरू हो गई। क्योंकि बस में गैस के गुब्बारे को
लेकर सफर करना मना था इसलिए पास्कल घर की ओर पैदल ही
चला। वो नहीं चाहता था कि उसका गुब्बारा भीगे।
इसलिए उसने एक बूढ़े आदमी से छतरी के नीचे छिपने की
पनाह मांगी। किसी तरह पास्कल एक छतरी से दूसरी छतरी के नीचे
लुकता-छिपता घर पहुंचा।


मां, पास्कल को देखकर खुश तो हुई। पर जब
उसे देरी से घर लौटने का कारण पता चला तो उसे लाल
गुब्बारे पर बहुत गुस्सा आया। मां ने गुस्से में गुब्बारे को
छीनकर खिड़की के बाहर फेंक दिया।

अगर गैस के गुब्बारे को छोड़ा जाए तो वो
हवा में उड़ जाता है। पर पास्कल का गुब्बारा
खिड़की के बाहर ही लटका रहा। पास्कल और
गुब्बारा एक-दूसरे को, खिड़की के कांच में से
टकटकी लगाए देखते रहे। गुब्बारा उड़ कर कहीं
गया नहीं, यह देखकर पास्कल को आश्चर्य हुआ।
अच्छे मित्र आपके लिए कुछ भी करेंगे। हां, अगर
दोस्त कोई गुब्बारा हो तो वो उड़ कर नहीं जाएगा।
फिर पास्कल ने चुपके से खिड़की खोली और डोर
को खींचकर गुब्बारे को अपने कमरे में छिपा दिया।


दूसरे दिन स्कूल जाने से पहले पास्कल ने गुब्बारे के बाहर
निकलने के लिए खिड़की खोली। उसने जाते-जाते गुब्बारे से कहा,
"जब मैं बुलाऊं तो मेरे पास फौरन वापिस आना।"
फिर पास्कल ने बस्ता उठाया, मां को पप्पी दी और सीढ़ियां
उतर गया।
सड़क पर पहुंचते ही उसने आवाज लगाई, "गुब्बारे! गुब्बारे!"
और गुब्बारे की डोर झट से उसके हाथ में आ गई।
फिर गुब्बारा पास्कल के पीछे-पीछे चलने लगा - उसी तरह
जैसे कोई कुत्ता अपने मालिक के पीछे-पीछे चलता है।
पर पालतू कुत्तों की तरह ही इस गुब्बारे ने भी अपने मालिक का
हरेक आर्डर नहीं माना। मिसाल के लिए जब पास्कल ने सड़क पार
करने के लिए उसे पकड़ना चाहा, तो गुब्बारा उसकी पहुंच से दूर हो
गया।

पास्कल ने अब गुब्बारे को अनदेखा किया। जैसे उसका गुब्बारे
से कुछ लेना-देना ही न हो। फिर पास्कल चलते-चलते एक घर की
आड़ में जाकर छिप गया। इससे गुब्बारे को चिंता होने लगी और वो झट
से पास्कल के पास जा पहुंचा।
जब दोनों बस स्टाप पर पहुंचे तो पास्कल ने गुब्बारे से कहा,
"मेरे पीछे-पीछे आना। बस को किसी हालत में छोड़ना नहीं, समझे।"
उस दिन पैरिस की सड़कों पर लोगों को एक अजीबो-गरीब
नजारा देखने को मिला - उन्होंने बस के पीछे एक लाल गुब्बारे को
भागते हुए देखा!

नगर की सैर
स्कूल पहुंचने के बाद गुब्बारे ने दुबारा पास्कल की पकड़ से दूर
होने की कोशिश की। क्योंकि उस समय स्कूल की घंटी टन-टन बज
रही थी और गेट भी बंद होने वाला था इसलिए पास्कल को स्कूल में
अकेले ही जाना पड़ा। पर वो काफी चिंतित था।
तभी गुब्बारा स्कूल की दीवार के ऊपर उड़ा और बच्चों की
कतार के पीछे जाकर हवा में लटक गया। मास्टर इस नए छात्र को
देखकर पहले तो कुछ आश्चर्यचकित हुए। परंतु जब गुब्बारे ने क्लास में
घुसने की कोशिश की तो बच्चों ने बहुत शोर मचाया। शोर के मारे बेचारे
हेड-मास्टर मामले की जांच के लिए दौड़े हुए आए।
हेड-मास्टर ने दरवाजे के बाहर धकेलने के लिए गुब्बारे को
पकड़ने की चेष्टा की। परंतु तमाम कोशिशों के बावजूद हेड-मास्टर
इसमें नाकामयाब रहे। अंत में उन्होंने पास्कल का हाथ पकड़ा और उसे
घसीटते हुए बाहर ले गए। यह देख गुब्बारा भी कक्षा के बाहर निकल
आया और उनके पीछे-पीछे हो लिया।


लगे, "जरूर हेड-मास्टर कोई खेल-खिलवाड़ कर रहे
हैं। बुढ़ापे में ऐसी शैतानी उन्हें शोभा नहीं देती!"
बेचारे हेड-मास्टर ने गुब्बारे को लपकने, पकड़ने
के तमाम प्रयास किए। लेकिन गुब्बारा उनके हाथ नहीं
आया। टॉउन-हाल के बाहर गुब्बारा उनका इंतजार
करता रहा। जब हेड-मास्टर स्कूल के लिए वापिस
चले, तो गुब्बारा भी उनके पीछे हो लिया।
गुब्बारे से अपना पिंड छुड़ाने के लिए हेड-मास्टर
को झक मारकर पास्कल को छोड़ना पड़ा।


इत्तिफाक से उसी समय हेड-मास्टर को किसी से मिलने के
लिए टॉउन-हाल जाना था। उन्हें समझ में नहीं आया कि वो पास्कल
और उसके गुब्बारे के साथ क्या करें। इसलिए उन्होंने पास्कल को अपने
दफ्तर में बंद कर दिया। उन्होंने सोचा कि लाल गुब्बारा भी उनके दफ्तर
के बाहर ही लटका रहेगा।
परंतु गुब्बारा भी काफी सोचने वाला था। जब गुब्बारे ने हेड-मास्टर
को जेब में चाबी रखते हुए देखा, तो वो भी हेड-मास्टर के पीछे हो
लिया।
सड़क पर हरेक आदमी हेड-मास्टर को पहचानता था। जब लोगों
ने हेड-मास्टर के पीछे-पीछे एक लाल गुब्बारे को देखा तो वो कहने

घर जाते हुए पास्कल को सड़क पर लगी प्रदर्शनी
में एक फोटो दिखा। फोटो में एक लड़की हाथ में
पहिया पकड़े हुए थी। पास्कल सोचने लगा, ‘कहीं ऐसी
दोस्त मिल जाए, तो फिर तो मजा ही आ जाए।’

कुछ दूर चलने के बाद सचमुच में उसकी
मुलाकात एक छोटी लड़की से हुई। लड़की का चेहरे
उस फोटो से काफी मिलता-जुलता था। लड़की एक
सफेद फ्रॉक पहने थी और उसके हाथ में एक गुब्बारे
की डोर थी।
पास्कल उस लड़की को अपना जादुई गुब्बारा
दिखाना चाहता था। पास्कल ने गुब्बारे को पकड़ने की
बहुत कोशिश की। परंतु गुब्बारा पास्कल की पकड़ में
नहीं आया। यह देखकर लड़की खिलखिलाकर हंसने
लगी।

इससे पास्कल को गुस्सा आया। "जो कहना न माने ऐसे गुब्बारे
के साथ कैसी दोस्ती?" वो सोचने लगा। इतने में कुछ पड़ोस के बदमाश
लड़के गुब्बारा पकड़ते हुए वहां आ पहुंचे। उन्होंने पास्कल के पीछे
चलते गुब्बारे को पकड़ने की कोशिश की। जैसे ही गुब्बारे को कुछ
खतरा महसूस हुआ वो तुरंत पास्कल के पास जा पहुंचा। पास्कल गुब्बारे
की डोर पकड़ कर दौड़ने लगा। पर तभी दूसरी ओर से कुछ और गुंडों
ने उसे आकर उसे घेरा।
पास्कल ने गुब्बारा छोड़ दिया। गुब्बारा आसमान में ऊंचा उठ
गया। जब लड़के आसमान को ताक रहे थे तभी वो उनके बीच से
दौड़कर सीढ़ियों के ऊपर चढ़ गया। वहां से उसने गुब्बारे को बुलाया।
गुब्बारा तुरंत पास्कल के पास आ गया। यह देख उन लड़कों को काफी
अचरज हुआ।
इस प्रकार किसी तरह बच-बचाकर पास्कल अपने गुब्बारे के
साथ घर पहुंचा।

अगला दिन इतवार था। चर्च जाने से पहले पास्कल ने गुब्बारे को
कई हिदायतें दीं, "चुपचाप घर पर ही रुकना। कुछ तोड़-फोड़ मत
करना। किसी भी हालत में बाहर नहीं जाना।" परंतु गुब्बारे के दिल में
जो आया, उसने वही किया। पास्कल और उसकी मां चर्च में बैठे ही थे
कि तभी उनके पीछे एक लाल रंग का गुब्बारा भी आकर बैठ गया।
भला चर्च में गुब्बारे का क्या काम! सब लोग गुब्बारे को घूरने
लगे। पादरी के उपदेश पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। तब पास्कल को
वहां से उठकर भागना पड़ा। उसके पीछे-पीेछे चर्च का दरबान भी था।
सचमुच गुब्बारा बहुत शरारती था। उससे पास्कल काफी परेशान था!
इस चिंता से पास्कल को भूख लग आई। उसकी जेब में एक
सिक्का था। खाने के लिए पास्कल एक मिठाई की दुकान में घुस गया।
जाते-जाते उसने गुब्बारे से कहा, "तमीज से रहना। मेरा इंतजार करना।
कहीं चले मत जाना।"

गुब्बारा कुछ देर तक तो दुकान के बाहर कोने में धूप सेंकता
रहा। पर इस बीच में कल वाले बदमाश लड़कों ने उसे देख लिया।
लड़कों को गुब्बारा पकड़ने का यह अच्छा मौका मिला। लड़के चुपके
से, धीरे से गुब्बारे पर लपके और उसे लेकर रफूचक्कर हो गए।
जब पास्कल मिठाई की दुकान में से निकला तो गुब्बारा नदारद
था। पास्कल इधर-उधर, सभी ओर आसमान को तलाशते हुआ दौड़ा।
गुब्बारे ने दूसरी बार उसकी बात नहीं मानी थी! फिर मनमानी से गुब्बारा
कहीं घूमने निकल गया था! पास्कल ने जोर-जोर से गुब्बारे को बुलाया।
लेकिन गुब्बारा वापिस नहीं आया।
उन लड़कों ने गुब्बारे को एक मजबूत डोर से बांधा था और वो
उसे कुछ करतब सिखा रहे थे। "हम इस जादुई गुब्बारे का सर्कस में
प्रदर्शन करेंगे," उनमें से एक ने कहा। उसने एक नुकीली डंडी गुब्बारे
की ओर हिलाई "इधर आ! नहीं तो मैं तेरा पेट फोड़ दूंगा," वो
चिल्लाया।

अचानक दीवार के उस पार पास्कल को गुब्बारा
दिखा। गुब्बारे के गले में एक भारी डोर बंधी थी।
पास्कल ने गुब्बारे को पुकारा।
अपने मालिक की आवाज सुनते ही गुब्बारा
पास्कल की ओर उड़ चला।
पास्कल ने गुब्बारे की डोर खोली और उसे
लेकर तेज रफ्तार से दौड़ा।
लड़कों की की टोली से बच-बचाके पास्कल
पतली गली से भागा।

एक जगह लड़कों यह न पता चला कि पास्कल दाएं मुड़ा है या
बाएं। इसलिए वे कई छोटी-छोटी टोलियों में बंट गए। एक क्षण के लिए
पास्कल को लगा जैसे वो उन गुंडों से बच निकला है और वो सुस्ताने
के लिए कोई जगह तलाशने लगा। किन्तु गली के नुक्कड़ पर ही वो
उनमें से एक लड़के से जा टकराया, और उल्टे पांव लौट पड़ा। इसी
बीच गली के दूसरे छोर पर गुंडों का एक पूरा गिरोह जमा हो चुका था।
स्थिति गंभीर थी। अंत में पास्कल उस गली में घुसा जो एक खुले मैदान
में निकलती थी। वहां उसे कुछ सुरक्षित लगा।
परंतु नहीं। वहां पर भी लड़कों के गिरोह ने उसे पूरी तरह घेर
लिया।

लड़कों की टोली भी पास्कल को पकड़ने के लिए दौड़ी। लड़कों
के शोर से आसपास के राहगीर तमाशा देखने के लिए रुक गए। ऐसा
लगने लगा जैसे पास्कल ने ही उन गुंडों का गुब्बारा चुराया हो। पास्कल
ने सोचा, "मैं अगर भीड़ में जाकर छिप भी जाऊं तो भी लाल गुब्बारा
तो लोगों को दूर से दिखेगा ही ।"
लड़कों की टोली से बचने के लिए पास्कल एक जानी-पहचानी
तंग गली में घुस गया।

पास्कल ने गुब्बारा छोड़ दिया। परंतु इस बार गुब्बारे को पकड़ने
की बजाए बदमाशों ने पास्कल पर ही हमला बोला। दूर से जब लाल
गुब्बारे ने यह नजारा देखा तो वो पास्कल के पास वापिस आया। फिर
क्या था! लड़कों ने लाल गुब्बारे पर भी पत्थर बरसाना शुरू कर दिए।
"दौड़ो! गुब्बारे भागो!" पास्कल रोते हुए चीखा। परंतु गुब्बारे ने
अपने प्रिय दोस्त को नहीं छोड़ा।
तभी किसी ने गुब्बारे पर एक नुकीला पत्थर फेंका जिससे लाल
गुब्बारा फट गया।


जब पास्कल अपने मरे हुए गुब्बारे पर रो रहा था
तभी एक अजीबो-गरीब घटना घटी!
आसमान में चारों ओर, सभी तरफ, गुब्बारों
और गुब्बारों की कतारें उड़ती दिखाई दीं।
यह गुब्बारों की महान बगावत थी!
पैरिस के सारे गुब्बारे पास्कल के पास नाचते हुए
आए। गुब्बारों ने अपनी-अपनी डोर को आपस में फंसा
कर पास्कल के शरीर से बांध दिया। और सभी गुब्बारों
ने आपस में मिलकर पास्कल को आसमान में बहुत
ऊंचा उठाया।


और इस तरह पास्कल ने पूरी
दुनिया का मजेदार सफर किया।


--

(अनुमति से साभार प्रकाशित)

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नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया 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रचनाकार: लाल गुब्बारा / बाल कहानी / एल्बर्ट लैमोरिस
लाल गुब्बारा / बाल कहानी / एल्बर्ट लैमोरिस
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