अंतहीन / कहानी / अपर्णा शर्मा

SHARE:

आनंद वर्मा बॉस के साथ कुछ जरूरी बातों में उलझे थे। तभी उनके मोबाइल की घंटी बजी। जेब से मोबाइल निकाल कर बगैर नम्बर देखे ही स्विच ऑफ कर दिया।...

image

आनंद वर्मा बॉस के साथ कुछ जरूरी बातों में उलझे थे। तभी उनके मोबाइल की घंटी बजी। जेब से मोबाइल निकाल कर बगैर नम्बर देखे ही स्विच ऑफ कर दिया। दो घंटे बाद दफ्तर से निकल कर मोबाइल देखा तो उनके दोस्त विजय की तीन मिस्ट कॉल थी। वो अभी फोन मिलाते कि विजय ने फिर फोन किया- “हैलो, आनंद, भाई, इतना स्विच ऑफ क्यों रखते हो? मैं पिछले दो घंटे से बराबर ट्राई कर रहा हूँ।”

“हाँ बोलो क्या बात है?”

“आज शाम का क्या कार्यक्रम है ?”

“कुछ विशेष नहीं।”

“ठीक है तब आज रात का खाना तुम लोग हमारे साथ लोगे। ऋतु बहुत दिनों से कह रही है।”

“नहीं भाई शान्ति कहीं जाना नहीं चाहती। मैं कोई वादा नहीं कर सकता।”

“भाभीजी से मैं खुद बात कर लूंगा। तुम बस समय से घर पहुँच जाओ।”

“ठीक है।” आनंद ने मोबाइल जेब में रख लिया। तभी बस आई और वह उसमें सवार हो गया। खिड़की के पास वाली सीट ले बैठ गया और बस के अंदर के माहौल से निर्लिप्त हो बाहर देखने लगा। बस ने शीघ्र ही रफ्तार पकड़ ली और आनंद के विचारों ने भी। ठीक एक साल पहले का घर का खुशहाल माहौल उसकी नजरों में घूम गया। हँसते खेलते बच्चे और सदा गुनगुनाती मुस्कुराती बीवी। उसे सब याद आने लगा। परन्तु इस खुशहाल परिवार को ऐसा ग्रहण लगा कि उसका साया अब इस जीवन में तो हटना मुश्किल है। डर है कि कहीं वह अगली पीढ़ियों और अगले जन्म भी पीछा न करे। घर में कदम रखते ही मन बोझिल हो जाता है। समझ नहीं आता पत्नी को कैसे दिलासा दे। परिवार को सुरक्षा देने की जिम्मेदारी उसी की थी। वह न दे सका। अब पछतावे के अलावा कुछ नहीं है।

आनंद ने घर में प्रवेश किया। छोटे बेटे ने नमस्ते कर उसका स्वागत किया। आनंद का मन हल्का हुआ। आज पत्नी के चेहरे पर भी उदासी कुछ कम थी। वह पानी ले आई। थोड़ी घरेलू बातों के बाद पत्नी ने कहा- “मैं चाय बनाती हूँ।”

आनंद को जरा सहारा मिला। वह बोला- “नहीं तुम जल्दी से बच्चों के लिए कुछ बना दो और तैयार हो जाओ। हमें विजय ने खाने पर बुलाया है।” पत्नी शांत रही और चलने की तैयारी करने लगी।

आनंद और शांति विजय के यहाँ पहुँचे तो विजय और ऋतु ने उनका स्वागत किया। पुरूषों में वही दफ्तर और राजनीति की बातें छिड़ गई। महिलाएँ इनसे शीघ्र ही ऊब कर अपने घरेलू विषयों पर बातें करने लगी। साथ ही खाने की तैयारी भी हो रही थी। विजय के बच्चे अंकल आण्टी के अधिक दिनों में आने की शिकायत कर रहे थे। ऋतु ने कहा- “आप लोग इतने दिनों में आए और तब भी बच्चों को साथ नहीं लाए हो। मैंने तो सभी को आने के लिए कहा था।”

शांति- “छोटे बेटे की तबियत ठीक नहीं है। इसीलिए नहीं आए और हम भी जल्दी ही लौटेंगे।”

ऋतु खाने की तैयारी में जुट गई। वह मदद के लिये कभी बच्चों और कभी विजय को छोटे-छोटे काम सौंप रही थी। साथ ही शान्ति से बातें भी कर रही थी शीघ्र ही खाना तैयार हो गया। सबने रूचकर खाया। खाने के कुछ देर बाद चाय का दौर चला। बच्चे अपने टी.वी. कार्यक्रमों में व्यस्त हो गए और बड़े ड्राईंग रूम में चाय की चुस्कियाँ लेने लगे।

अनायास ही आनंद के मुँह पर अपनी बेटी का नाम आ गया। जबकि विजय और ऋतु उसका जिक्र कर शान्ति को दुःखी नहीं करना चाहते थे। पर अब जब जिक्र छिड़ ही गया तो ऋतु ने आहिस्ता से पूछा- “भाई साहब अनुभूति का कुछ पता लगा क्या?”

आनंद ने नकारात्मक सिर हिलाया। कुछ देर सब मौन रहे। विजय ने कुछ सांत्वना देने के ख्याल से कहा- “हमें हार नहीं माननी चाहिए आनंद। अपना प्रयास जारी रहना चाहिए।”

“और क्या प्रयास किया जाय? कितना प्रयास किया जाय? कुछ सुराग मिले, कोई उम्मीद नज़र आए तभी तो आगे प्रयास संभव है। हम जो कर सकते थे कर चुके।”

“नहीं हमें बराबर पुलिस, मीडिया और समाज सेवी संस्थाओं से सम्पर्क बनाए रहना चाहिए।”

शान्ति ने गर्दन नीचे झुका ली। उसकी आँखों से कुछ बूंद आंसू टपक गए। जिन्हें उसने चुपचाप पोंछ लिया। आनंद की आँखों के कोर भी गीले हो गए। उनकी बेटी अनुभूति जो स्नातक की छात्रा थी एक वर्ष पहले अपहरण कर ली गई थी। तमाम कोशिशों के बाद भी वे उसका पता नहीं लगा पाए। यही दुःख शान्ति और आनंद को रात दिन कचोटता रहता था। उन्होंने लगभग सभी रिश्तेदारों और मिलने-जुलने वालों से किनारा कर लिया था। क्योंकि हर जगह वही जिक्र होता, जो शान्ति के लिए कई दिनों की बेचैन का सबब बन जाता था।

विजय ने शांन्ति को समझाते हुए कहा- “भाभीजी आप धैर्य रखें। मुझे पूरा यकीन है कि हमारी बच्ची एक दिन सकुशल घर लौटेगी।”

आनंद ने कप मेज पर रखते हुए गंभीर स्वर में कहा- “तुम उसके घर लौटने की बात कहते हो। पता नहीं अभी तक जिंदा भी है या नहीं?”

शान्ति सिर झुकाए हुए ही गम्भीर स्वर में बोली- “मरने की खबर ही मिल जाती तो तब भी कलेजा ठण्डा हो जाता अधिक डर तो इसी बात का है कि जिंदा है तो पता नहीं किस हाल में कहाँ किन हाथों में...।” इतना कहकर शान्ति सुबकने लगी।

विजय और ऋतु उन्हें दिलासा देते रहे। कपों में अधपी चाय ठण्डी हो गई। आनंद और शान्ति उठकर खड़े हो गए। आनंद व ऋतु उन्हें छोड़ने सड़क तक आए, सभी लगभग मौन थे ।

आनंद और शान्ति की आँखों से छलका दुःख और मेहमानों के जाने के बाद के सूनेपन से उत्पन्न सन्नाटा विजय के घर में देर रात्रि तक पसरा रहा। अगली सुबह सब कुछ कार्य कलाप सामान्य तरीके से होने लगे। परन्तु शाम को विजय के घर लौटने पर चाय पीते वक्त ऋतु ने अनुभूति का जिक्र छेड़ दिया। वह शान्ति के दुःख से दुःखी थी और उसके हाव-भाव से लग रहा था कि दिन में उसने शायद इस मसले पर गम्भीरता से विचारा होगा और कई बार भावुक हुई होगी। ऋतु ने चाय का घूट पीते हुए गम्भीर भाव से कहा- “भले लोगों की ही भगवान क्यों परीक्षा लेता है। बेचारी शान्ति की हालत देखी नहीं जाती। न जाने किस ने किस जन्म का बैर निकाला है इन लोगों से।”

“कुछ स्पष्ट भी तो नहीं है कि किसी ने जान बूझकर साजिश रची है या बच्ची ही नादानी कर गई।”

“ऐसा तो सोचना ही व्यर्थ है। अनुभूति जैसी समझदार लड़की ऐसा गलत कदम उठाएगी, विश्वास नहीं होता। यह सब इन्ही बेखौफ लोगों का काम है जो भोली-भाली लड़कियों को बहका फुसलाकर या डरा धमकाकर गलत रास्ते पर डालने का धंधा कर रहे हैं। वे ही जगह-जगह कितनी ही शर्मनाक और खौफनाक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इस सब में उन्हें मोटा पैसा जो मिल जाता है और हमारी पुलिस तो उन्हें खुली छूट देती ही है। मरना हर तरह से औरत को ही है।”

“ऐसी घटनाओं के पीछे औरत का लोभ और मंद बुद्धि भी कम जिम्मेदार नहीं है। वह स्वयं लालच में फंसती है और स्वयं को भौंड़े तरीके से प्रस्तुत कर रही हैं।”

“पर उस प्रदर्शन को देखने और बोली लगाने वाला पुरूष है। पुरूष का क्षणिक सुख और पैसे का दंभ उसे बाजारू भड़कीली औरत की तरफ ले जाता है। आज विश्व पटल पर औरत को इस नजर से देखने का पुरूष का हक बलवती होता जा रहा है। मूल में धन है। जो धन पहले स्थानीय स्तर पर औरत के शोषण का कारण था आज वह अन्तर्राष्ट्रीय रूप ले चुका है। धनाढ्य देशों के नागरिक पर्यटन के बहाने गरीब देशों में जाय या स्वदेश में ही विदेशी माल का भोग करें उनके लिए दोनों हाल में पर्याप्त साधन उपलब्ध हैं।”

“फिर भी मर्यादाओं को संजोना औरत का दायित्व है क्योंकि अधिक पश्चताप वह स्वयं ही करती है। तब जिन हालातों को बर्दास्त नहीं कर पाती उनको न्यौता ही क्यों देती है।”

“तुम ऐसा कैसे कह सकते हो? औरत हालातों को न्यौता देती है? अभी कुछ दिनों पहले एक धनी तानाशाह ने सुन्दरियों के लिए एक भोज का आयोजन किया था। इसमें शामिल होने के लिए सुन्दरियों की फीगर, वेट, हाइट और कलर जैसे सौन्दर्य के मानक निर्धारित किए थे।”

“और सुन्दरियों ने देश समाज, धर्म और साम्प्रदायिक मान्यताओं को धता बताकर वहाँ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इतना ही नहीं नारीत्व की मर्यादाओं को ठेंगा दिखाते हुए मेजबान की निगाहों में आने को उसका भरपूर मनोरंजन किया।”

“जहाँ तक भागीदारी और जिम्मेदारी का सवाल है। वह किसी एक के माथे नहीं मढ़ सकते हैं। आज समाज के विविध पक्ष इस सम्बन्ध में गैर जिम्मेदार रवैया अपना रहे हैं। जिसकी चर्चा की आवश्यकता है वहाँ मौन, जहाँ दण्ड की आवश्यकता है वहाँ उदार, जहाँ निगरानी की जरूरत है वहाँ आँखे बंद किए है। मीडिया ने तमाम अचर्चित विषयों को चर्चा का विषय बना दिया है। जिसका असर नकारात्मक अधिक हो रहा है। साल भर के बालक से नब्बे साल तक के बूढ़े को एक जैसा मनोरंजन परोसा जा रहा है।”

“टॉप टैन सबको एक से कार्यक्रम जो परोस रही है। हर जगह तो उन्हीं का राज है। हीरो तो बेचारे बराबर के ठुमके लगाकर भी पिछड़ रहे हैं।” स्त्री अपनी परिभाषा बदल रही है। चंद दशकों पहले ममता दया, धर्म की वाहिका आज माता-पिता की हत्या जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम दे रही है।

“यह एक लम्बी बहस है। मूल प्रश्न यह है कि तमाम प्रयासों योजनाओं और गतिविधियों के बाद भी वैश्यावृत्ति का धंधा बंद क्यों नहीं हो रहा है? क्यों बार-बार मासूम लड़कियों को उठाकर उसमें झोंक दिया जाता है और फिर वहाँ से लौटने के उसके सारे रास्ते बंद कर दिए जाते हैं।”

“निश्चित यह एक गम्भीर सवाल है और यह स्थिति किसी भी देश समाज के लिए शर्मनाक है। पर खाली यह उम्मीद लिए रहना कि पुरूष ही नारी का पूरा उद्धार कर देगा बेमानी है। इस संबंध में महिला को स्वयं भी सीमाएं, तय करनी होंगी। एक दूसरे की मदद को आगे आना होगा। पूरी सुरक्षा आत्म नियंत्रण में ही निहित है अन्य कोई भी उसे नहीं दे सकता है।”

ऋतु ने सहमति में सिर हिलाया- “हूँ, किसी एक दो दोष देना या उसी से पूरे हालत पर काबू पा लेने की उम्मीद रखना ठीक नहीं। दोनों ही पक्षों को अपने-अपने ढंग से कार्य करना होगा और दोनों का उद्देश्य एक ही बना रहना भी जरूरी है।”

बच्चे खेल खत्म कर लौट आए थे। उनके शाम के नाश्ते का समय हो गया था। ऋतु उठकर रसोई में चली गई। बच्चे पापा को दिन भर की घटनाओं का ब्यौरा देने और अपनी फरमाइशे करने लगे।

---

 

लेखिका

clip_image002डॉ. (श्रीमती) अपर्णा शर्मा ने मेरठ विश्वविद्यालय, मेरठ से एम.फिल. की उपाधि 1984 में, तत्पश्चात् पी-एच.डी. की उपाधि 1991 में प्राप्त की। आप निरंतर लेखन कार्य में रत् हैं। डॉ. शर्मा की एक शोध पुस्तक - भारतीय संवतों का इतिहास (1994), एक कहानी संग्रह खो गया गाँव (2010), एक कविता संग्रह जल धारा बहती रहे (2014), एक बाल उपन्यास चतुर राजकुमार (2014), तीन बाल कविता संग्रह, एक बाल लोक कथा संग्रह आदि दस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साथ ही इनके शोध पत्र, पुस्तक समीक्षाएं, कविताएं, कहानियाँ, लोक कथाएं एवं समसामयिक विषयों पर लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। आपकी बाल कविताओं, परिचर्चाओं एवं वार्ताओं का प्रसारण आकाशवाणी, इलाहाबाद एवं इलाहाबाद दूरदर्शन से हुआ है। साथ ही कवि सम्मेलनों व काव्यगोष्ठियों में भागेदारी बनी रही है।

शिक्षा - एम. ए. (प्राचीन इतिहास व हिंदी), बी. एड., एम. फिल., (इतिहास), पी-एच. डी. (इतिहास)

प्रकाशित रचनाएं - भारतीय संवतो का इतिहास (शोध ग्रंथ), एस. एस. पब्लिशर्स, दिल्ली, 1994

खो गया गाँव (कहानी संग्रह), माउण्ट बुक्स, दिल्ली, 2010

पढो-बढो (नवसाक्षरों के लिए), साहित्य संगम, इलाहाबाद, 2012

सरोज ने सम्भाला घर (नवसाक्षरों के लिए), साहित्य संगम, इलाहाबाद, 2012

जल धारा बहती रहे (कविता संग्रह), साहित्य संगम, इलाहाबाद, 2014

चतुर राजकुमार (बाल उपन्यास), सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली, 2014

विरासत में मिली कहानियाँ (कहानी संग्रह), सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली, 2014

मैं किशोर हूँ (बाल कविता संग्रह), सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली, 2014

नीड़ सभी का प्यारा है (बाल कविता संग्रह), सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली, 2014

जागो बच्चो (बाल कविता संग्रह), सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली, 2014

विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लेख पुस्तक समीक्षाएं, कविताएं एवं कहानियाँ प्रकाशित । लगभग 100 बाल कविताएं भी प्रकाशित । दूरदर्शन, आकाशवाणी एवं काव्यगोष्ठियों में भागीदार।

सम्पर्क -

डॉ. (श्रीमती) अपर्णा शर्मा, “विश्रुत”, 5, एम. आई .जी., गोविंदपुर, निकट अपट्रान चौराहा, इलाहाबाद (उ. प्र.), पिनः 211004, दूरभाषः + 91-0532-2542514 दूरध्वनिः + 91-08005313626 ई-मेलः <draparna85@gmail.com>

(अपर्णा शर्मा)

--

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अंतहीन / कहानी / अपर्णा शर्मा
अंतहीन / कहानी / अपर्णा शर्मा
https://lh3.googleusercontent.com/-fxM759Z_teM/V00PgCP0G5I/AAAAAAAAuCM/9Bl7kQPtw-4/image_thumb.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-fxM759Z_teM/V00PgCP0G5I/AAAAAAAAuCM/9Bl7kQPtw-4/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/05/blog-post_428.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/05/blog-post_428.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content