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संपादकीय अमीर कैसे बनें? राकेश भ्रमर हर आदमी की इच्छा होती है कि वह अमीर बने, परन्तु दुर्भाग्य से सभी अमीर नहीं बन पाते. शायद उन्हें अम...

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संपादकीय

अमीर कैसे बनें?

राकेश भ्रमर

हर आदमी की इच्छा होती है कि वह अमीर बने, परन्तु दुर्भाग्य से सभी अमीर नहीं बन पाते. शायद उन्हें अमीर बनने के सरल नुस्खे नहीं पता होते. बिना मेहनत किए कैसे अमीर बना जाता है, यह इस देश के कुछ बुद्धिमान लोगों को ही पता है. इसलिए अगर आप जीवन में बिना कुछ किए अमीर बनना चाहते हैं, तो मैं आपको कुछ ऐसे ही नुस्खे बताता हूं, जिनकी बदौलत आप रातों-रात नहीं, दिनों-दिन इतने अमीर हो जाएंगे कि जिन लोगों और संस्थाओं के पैसों से आप अमीर बनेंगे, वह न पनामा पेपर्स में आप का नाम ढूंढ पाएंगे, न ललित मोदी और विजय माल्या की तरह सी.बी.आई. और ई.डी. ही आपको पकड़ जाएगी.

अमीर होने के लिए आपको पहले से ही थोड़ा अमीर होना पड़ेगा, गरीब आदमी कभी अमीर नहीं बन सकता. इतिहास गवाह है कि मजदूर कभी किसान नहीं बना और किसान कभी व्यापारी नहीं बन पाया. मजदूर जीवन भर श्रम करता है और जीवन भर भरपेट भोजन के लिए तरसता रहता है. किसान रात-दिन अपने खेतों में मेहनत करता है. घर में रखी जमा-पूंजी बीज, खाद और पानी में लगा देता है, परंतु फसल पकने के समय या तो ओला और अतिवृष्टि उसकी फसल को बर्बाद कर देती है या सूखा उसे पकने के पहले ही सुखा देता है. अगर किसी तरह उसकी फसल अच्छी हुई भी, तो उसे औने-पौने दामों में कभी सरकार खरीदकर एफसीआई के खुले गोदामों में सड़ा देती है या व्यापारी खरीद लेते हैं और बाद में शहरों में उसी अन्न को महंगे दामों में बेचकर मालामाल हो जाते हैं.

बात मुद्दे से भटक रही है. मैं असली मुद्दे पर आता हूं. अमीर बनने का पहला नुस्खा यह है कि आपको पहले से ही थोड़ा-बहुत रसूखदार और नामी-गिरामी व्यापारी या उद्योगपति होना चाहिए. रसूखदार और नामी होने के लिए आपको किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से सम्बंधित भी होना पड़ेगा. इतना कुछ हो जाए तो फिर कुछ फर्जी कंपनियों की स्थापना आपको करनी पड़ेगी. इस काम में बहुत सारे चार्टर्ड एकाउंटेंट आपकी सहायता करने के लिए नाम मात्र की फीस पर तत्पर मिलेंगे. वह आपकी फर्जी कंपनियों की आय इतनी ज्यादा दिखा देंगे कि उसके आधार पर आप कोई नया उद्योग या व्यापार स्थापित करने के लिए बैंक से करोड़ों रुपये का लोन बड़ी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. अगर कोई बैंक आपकी साख पर संदेह करता है, तो यहां पर आपके पॉलिटिकल सम्बंध काम आते हैं.इसके अलावा पूरे कर्जे का 5 प्रतिशत कमीशन बैंक अधिकारियों का फिक्स रहता है. इसलिए वह कमीशन लेकर और थोड़ी बहुत अतिरिक्त सेवा लेने के उपरांत बिना किसी जांच पड़ताल के आपको लोन सैक्सन ही नहीं, तुरंत डिसबर्स कर भी देते हैं.

यहां मैं अपने मजदूर, किसान और छोटे-मोटे दुकानदारों को आगाह करना चाहूंगा कि वह बैंक से लोन लेने का प्रयास न करें, अलबत्ता उन्हें बैंक से कर्ज नहीं मिलेगा, और अगर दो चार महीने की थकाऊ और उबाऊ भाग-दौड़ और बैंक अधिकारियों के सामने लाखों बार गिड़गिड़ाने के बाद लोन मिल भी जाता है, तो उसकी पाई-पाई नियत समय पर भरनी ही पड़ेगी. साथ ही इतना तगड़ा ब्याज देना पड़ेगा कि मूल और सूद भरते-भरते आपकी कमर टूट जाएगी, फिर भी बैंक का कर्ज पूरा नहीं हो पाएगा. जब आप मासिक किस्त भरने की स्थिति में नहीं रहेंगे तो एक दिन अचानक बैंक वाले आकर आपका घर, खेत, टैक्टर या दूकान नीलाम करवा लेंगे और आप न घर के रहेंगे न घाट के.

दूसरी तरफ करोड़ों रुपये का लोन लेने वाले रसूखदार व्यापारियों और उद्योगपतियों के साथ ऐसी स्थिति नहीं होती. उनको जितनी आसानी से लोन मिल जाता है, उतनी आसानी से न तो वह कर्ज वापस करते हैं, न बैंक वापस ले पाती है. ब्याज भरने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता. उद्योगपति और व्यापारी अपने व्यापार को घाटे में दिखाकर कर्ज वापस करने से बचते रहते हैं और कई बार तो व्यापार को पुनर्जीवित करने के लिए बैंक वाले पहले से दुगना कर्ज और दे देते हैं.

अब आप सोच रहे होंगे कि जब कर्ज लेने वाले का व्यापार घाटे में चलता है, तो वह अमीर कैसे होता होगा. यहीं तो पंेच है, जो आम आदमी की समझ में नहीं आता. कर्जदार व्यापारी या उद्योगपति केवल कागजों पर व्यापार या उद्योग को घाटे में दिखाते हैं, और दूसरी तरफ चालाकी और होशियारी से वही उद्योगपति और व्यापारी बैंक के पैसे से विदेश में निवेश कर देता है या अचल सम्पति खरीद लेता है. इस तरह वह एक पैसा वापस किए बिना सालों-साल तक ऐश की जिंदगी बसर करता रहता है. बड़ा उद्योगपति होने के बाद उसे पद्मश्री और राज्यसभा की सदस्यता भी हासिल हो जाती है. इससे उसकी समाज में साख बढ़ती है और बैंकवाले उससे कर्ज वापस लेने के लिए मनुहार भी नहीं कर पाते.

ऐसे उद्योगपतियों और व्यापारियों के ऊपर कभी मुसीबत नहीं आती, परंतु कभी-कभी मूर्ख विपक्षी पार्टियों वाले नेता उनके ऊपर उंगली उठाकर सरकार को बदनाम करने का षड़्यंत्र रचते हैं, परंतु इस मुसीबात से बचने के रास्ते भी कर्जदार व्यक्ति तलाश कर लेता है. जब उसके ऊपर कानूनी शिकंजा कसने लगता है, और उसे लगता है कि वह किसी भी समय गिरफ्तार हो सकता है, तो वह भागकर किसी ऐसे देश में शरण ले लेता है, जहां से उसका प्रत्यार्पण मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन होता है. विपक्षी दल खिसियानी बिल्ली की तरह खिखियाते रहते हैं और सरकार चुपचाप ‘तफ्तीश चल रही है,’ ‘कानून अपना काम करेगा’ जैसे जुमलों से सबको खामोश करने का प्रयास करती है. सरकार भी जानती है और जनता भी जानती है कि भारत में कोई भी मुद्दा लंबे समय तक नहीं चलता. यहां रोज-ब-रोज सनसनीखेज मुद्दे जन्म लेते रहते हैं. मीडिया वाले कब एक ही मुद्दे का टी.वी. पर चलाते रहेंगे और विपक्षी दल के नेताओं को बासी रोटी खाने में मजा नहीं आता.

यहां पर मैं बैंक से लोन लेने वाले लोगों और जल्दी अमीर बनने का सपना देखनेवाले लोगों को फिर से आगाह करना चाहूंगा, अगर आप बैंक से लोन लेने और विदेश भागने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते, तो इससे भी अधिक आसान एक और रास्ता है. इसमें कानून का भय भी नहीं रहता और आप सीना चौड़ा करके अपनी अमीरी का ढिंढोरा सरेबाजार पीटते हुए नजर आएंगे.

बस आपको इतना करना है कि थोड़े से पैसे का जुगाड़ करके किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य बन जाइए. बहुजन हिताय, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद का नारा लगानेवाली पार्टियां इस काम के लिए ज्यादा मुफीद हैं. आपने देखा ही होगा की बहुजन पार्टी के नेताओं को किस तरह से लोग गिफ्ट देते हैं और समाजवादी लोग किस तरह से समाज का सारा पैसा अपने घर और गांव में बटोर कर रख लेते हैं.

आप एक बोलेरो या स्कर्पियो गाड़ी लेकर, उसके आगे पार्टी का झण्डा लगाकर घूमिए और लोगों के काम करवाने के बहाने दलाली करिए. आप देखेंगे एक ही साल में आप लखपति से करोड़पति हो गए हैं. इस कमाई में टैक्स आदि भरने के झंझट से आप पूर्णतया मुक्त रहते हैं. जब आप करोड़पति हो जाएं, तो पार्टी प्रमुख को कुछ लाख रुपये का गुप्तदान देकर विधानसभा या सांसद का टिकट प्राप्त कर लीजिए. जीत गए तो विधायक या सांसद फण्ड का करोड़ों रुपया हड़प करके आप और आपके परिजन और रिश्तेदार भी मालामाल हो जाएंगे. आपकी किस्मत अगर ज्यादा जोरदार हुई तो आप मंत्री बन सकते हैं. मंत्री बनते ही जनता आपको इतना अधिक गुप्तदान देती है कि आपके लिए धन को संभालकर रखना मुश्किल हो जाएगा. फिर आपको उस धन को रखने के लिए विदेशी बैंकों में खाता खुलवाकर जमा करवाना पड़ेगा. भारत सरकार को अगर इन खातों के बारे में पता भी चल जाता है, तब भी आप मत घबराइए. सरकार केवल हो-हल्ला कर सकती है, आपके पैसे को न तो जब्त कर सकती है, न भारत वापस ला सकती है. भारत में ऐसा कोई विधान ही नहीं बना है कि विदेशों में जमा धन वापस लाया जा सके. आप देख ही रहे हैं. हमारे देश के कितने अपराधी विदेशों में छिपे हुए हैं और सरकार उनका बाल बांका नहीं कर पा रही है. विदेशों में जमा काला धन लाने के लिए अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल से लेकर बाबा रामदेव ने नाक रगड़ ली, परन्तु क्या वह एक पैसा ला पाए. जब सरकार नहीं ला पाई, तो ये लोग किस खेत की मूली हैं. आंदोलन करना अलग बात है और आंदोलन करके नेता बन जाना अलग बात है. नेता बनकर सत्ता तो प्राप्त की जा सकती है, परन्तु कानून बनाकर उसका पालन नहीं किया जा सकता. न विश्वास हो तो किसी भी भारतवासी से पूछ लीजिए कि किस प्रकार कानून का उल्लंघन किया जाता है और फिर भी कानून के रखवाले उनकी उंगली टेढ़ी नहीं कर पाते.

आपको थोड़ा सा ज्ञान बांटने के लिए मैं बात को थोड़ा और विस्तार से बता देता हूं. मालामाल होने के बाद पैसे को सुरक्षित रखने का एक और तरीका है. यह आप अपनी पार्टी के प्रमुखों से सीख सकते हैं. अपने परिवार के सभी लोगों के नाम आप कुछ कंपनियां कागज पर बना लीजिए. इन कंपनियों के नाम कागज पर ही कोई अनाप-शनाप वस्तु का निर्माण का ढोंग रचिए. उस काल्पनिक वस्तु को आपकी कंपनियों से आपको उत्क्रोच देनेवाले लोग कागज पर ही खरीद भी लेंगे, परंतु पेमेंट असली करेंगे. आर.टी.एस. के माध्यम से वह आपको परिजनों के खातों में लाखों-करोड़ों रुपया ट्रांसफर करते रहेंगे. इस पैसे पर आपको इन्कम टैक्स भी नहीं भरना पड़ेगा, क्योंकि आपका सीए आपकी एकाउन्ट्स बुक्स को इस तरह तैयार करेगा कि करोड़ों रुपये की बिक्री होने के बाद भी आपकी कम्पनी सदा घाटे में रहेगी. अगर थोड़ा-बहुत टैक्स भरना भी पड़ जाए, तो आपको रत्ती भर भी असर नहीं होगा, क्योंकि आपकी काली कमाई के ऊपर लगा इन्कम टैक्स समुद्र से दो-चार बूंद जल निकालने के बराबर है.

इस प्रकार आप फर्जी घाटे और असली आमदनी से जीवन भर ऐश करते रहिए, कोई आपका बाल-बांका कर ले, तो मेरा नाम बदल देना. आंख मूंदकर पैसा खर्च करने के बाद भी आपके महाप्रयाण के समय आपके और आपके परिवार के खातों में इतना रुपया बचा रहेगा कि आपकी सात पुश्तें क्या उसके बाद की भी सात पुश्तें बिना काम किए आपके पैसे का उपयोग शानदार तरीके से करती रहेंगी.

भारतीय दर्शनशास्त्र के प्रेमी कहते हैं कि पश्चिम के देश पूंजीवादी देश हैं, और वहां के लोग केवल पैसे के पीछे भागते रहते हैं; परंतु मुझे लगता है, पूंजी का जितना महत्व भारत में दिया जाता है, उतना किसी और देश में नहीं. इस देश में ही सबसे ज्यादा सूदखोरी होती है, यहीं पर पैसे के लिए भाई-भाई की हत्या कर देते हैं, यहीं पर शादी-ब्याह में दहेज लेने की प्रथा प्राचीन काल से है. इसी देश के नेता बिना किसी काम के पलक झपकते करोड़पति और अरबपति बन जाते हैं. उनकी संपत्ति जादू की छड़ी के जोर से रातों-रात लाखों से करोड़ों और फिर करोड़ों से अरबों में पहुंच जाती है. उनके ऊपर आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले भी बनते हैं, परन्तु यह केवल भारत देश में ही संभव है कि सत्ताधारी व्यक्ति का भारत का कानून भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता. उनके मामले पता नहीं कब ठंडे बस्ते में चले जाते हैं.

भारत देश के लोग अपने बच्चों का डॉक्टर-इंजीनियर बनाने के लिए लाखों रुपया खर्च करते हैं और फिर डॉलर कमाने के लिए उन्हें विदेश भेज देते हैं. बाद में वह जीवन भर अकेले रहते हैं, और बेटे अमेरिका, आस्टेलिया में डॉलर से मौज करते रहते हैं.

खैर, पूंजी कमाने और अमीर बनने के लिए जो नायाब तरीके मैंने यहां बताए हैं, उनमें खतरा कम, लाभ ज्यादा है. मैंने पहले ही बता दिया है कि अगर आप गरीब हैं, और समाज में आपकी कोई साख नहीं है, तो कभी भी बैंक से कर्ज लेने का जोखिम मत उठाना, वरना फांसी का फंदा सदा अपने पास रखना और अगर आप किसी राजनीतिक पार्टी से सम्बद्ध नहीं हैं, तो भी ऐसा कोई जोखिम मत उठाइएगा.

बाकी आप खुद समझदार हैं. राजनीति का मंच आपके लिए खुला है. एक ऊंची छलांग लगाइए और आसमान से तारों की जगह अशर्फियां तोड़कर मालामाल बन जाइए.

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रचनाकार: प्राची - जून 2016 / संपादकीय / अमीर कैसे बनें / राकेश भ्रमर
प्राची - जून 2016 / संपादकीय / अमीर कैसे बनें / राकेश भ्रमर
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