शुभ घड़ी / कहानी / आशीष कुमार त्रिवेदी

SHARE:

शुभ घड़ी शर्माजी शादी का कार्ड देख रहे थे. उनके परम मित्र रघुवर टंडन की बेटी का विवाह अगले हफ्ते था. टंडनजी ने कल फोन पर भी निमंत्रण दिया थ...

शुभ घड़ी

शर्माजी शादी का कार्ड देख रहे थे. उनके परम मित्र रघुवर टंडन की बेटी का विवाह अगले हफ्ते था. टंडनजी ने कल फोन पर भी निमंत्रण दिया था और अभी कुछ समय पहले ही कूरियर से यह कार्ड भी आ गया.
शर्माजी सोच में पड़ गए. इधर स्वास्थ्य कुछ अच्छा नहीं था. ऐसे में दिल्ली जाना कठिन था. वैसे फोन पर उन्होंने अपनी समस्या समझा दी थी. किंतु टंडनजी घनिष्ठ मित्र थे. किसी को तो जाना ही चाहिए.
वह अपनी बेटी गायत्री को भेजने के विषय में सोचने लगे. जब से उसका अपने पति से तलाक हुआ था उसने स्वयं को एक दायरे में कैद कर लिया था. काम पर जाने के अतिरिक्त वह बहुत कम ही घर से बाहर निकलती थी. ना किसी से मिलना ना बात करना. बस अपने में खोई रहती थी. शर्माजी को उसकी इस दशा से बहुत कष्ट होता था. कहीं ना कहीं वह इसके लिए स्वयं को दोषी मानते थे.


शाम को जब गायत्री लौटी तो उन्होंने दिल्ली जाने के विषय में उससे बात की.
"तुम्हें तो पता है कि मेरा स्वास्थ्य इन दिनों ठीक नहीं है. मेरा जाना तो कठिन होगा. तुम चली जाती तो अच्छा होता."
कुछ देर सोचने के बाद गायत्री बोली "आप तो जानते हैं ना पापा अब मेरा कहीं भी आने जाने का मन नहीं करता."
शर्माजी कुछ गंभीर स्वर में बोले "तेरी पीड़ा समझता हूँ बेटी. पर ऐसे कब तक चलेगा. बीते को भुला कर आगे बढ़ना ही समझदारी है. तुम जाओगी तो तुम्हारा मन भी बहल जाएगा और उन्हें भी खुशी मिलेगी."
कुछ क्षण रुक कर बोले "बाकी तुम्हारी इच्छा. मैं ज़ोर नहीं दूंगा."


गायत्री अपने कमरे में आ गई. वह अपने पिता की बात पर विचार करने लगी. टंडन अंकल ने सदैव उसे बेटी की तरह माना था. उनके अच्छे पारिवारिक संबंध थे. यदि पापा नहीं जा सकते तो उसे ही जाना चाहिए. बहुत सोच विचार के बाद वह जाने को तैयार हो गई.


गायत्री को देख सभी बहुत प्रसन्न हुए. खासकर रुची वह दौड़ कर उसके गले लग गई. आज रुची की हल्दी की रस्म थी. सभी रस्में टंडनजी के फार्महाउस में हो रही थीं. काफी चहल पहल थी. एक लंबे अर्से के बाद गायत्री ऐसे माहौल में आई थी. धीरे धीरे अपने आप को इस माहौल में ढाल रही थी.
शादी के दिन सभी बारात का स्वागत करने के लिए तैयार हो रहे थे. गायत्री भी मौके के अनुसार तैयार हुई. बारात सही समय पर आ गई. बारातियों में एक चेहरे ने गायत्री का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. उसने भी गायत्री को देख लिया. दोनों एक दूसरे को पहचान गए. लेकिन उस समय बात कर पाना संभव नहीं था.
उस चेहरे को देख गायत्री अतीत में चली गई.


वैभव से पहली बार वह अपनी बुआ के घर मिली थी. गायत्री ने कुछ ही दिन पहले अपना एम बी ए समाप्त किया था. वह नौकरी ढूंढ़ रही थी. कुछ दिनों की छुट्टियां बिताने वह बुआ के यहाँ गई थी.
वैभव बुआ के पड़ोस में रहता था. अक्सर शाम को वह बुआ के घर आ जाता था. दोनों खूब बात करते थे. वैभव को एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई थी. बस कुछ ही दिनों में ज्वाइन करने वाला था.
धीरे धीरे दोनों के बीच नज़दीकियां बढ़ने लगीं. वैभव का झुकाव कुछ अधिक था. बुआ उनके बीच पनपते प्रेम को महसूस कर रही थीं. वह जानती थीं कि उनके भाई गायत्री के लिए योग्य वर ढूंढ़ रहे हैं. वैभव हर लिहाज़ से गायत्री के योग्य था. अतः उन्होंने इस विषय में अपने भाई से बात की. लग रहा था जैसे सब कुछ ठीक है रिश्ते में कोई अड़चन नहीं होगी.


गायत्री अपने घर वापस आ गई. वैभव के नौकरी ज्वाइन कर लेने के बाद दोनों परिवारों ने रिश्ते की बात आगे बढ़ाई. लेकिन पहले ही कदम पर व्यवधान पड़ गया. शर्माजी ग्रह नक्षत्रों में बहुत विश्वास रखते थे. उनका मानना था कि कुंडली का मिलान किए बिना विवाह नहीं किया जाना चाहिए. वैभव के घर वालों ने मिलान करने के लिए कुंडली दे दी. किंतु दोनों की कुंडली का सही मेल नहीं हुआ. शर्माजी ने रिश्ते से इंकार कर दिया. सब ने समझाने का प्रयास किया किंतु वह नहीं माने. गायत्री यूं तो वैभव से विवाह करना चाहती थी किंतु अपने पिता का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई. उसकी चुप्पी से वैभव बहुत आहत हुआ. उनका रिश्ता नहीं हो सका. वैभव को कंपनी की ओर से विदेश जाने का मौका मिला. वह चला गया. उसके बाद उसकी कोई खबर नहीं मिली.


इसी बीच शर्माजी ने गायत्री के लिए एक लड़का ढूंढ़ लिया. दोनों की कुंडली बहुत अच्छी तरह से मिली थी. दोनों का धूम धाम से विवाह हो गया.
कुंडली सही प्रकार से मिलने के बावजूद आकाश और गायत्री के बीच का रिश्ता कभी सही नहीं रहा. उसने कभी भी गायत्री को पत्नी का सम्मान नहीं दिया. अक्सर उसे प्रताड़ित करता रहता था. गायत्री ने रिश्ते को बचाए रखने का हर संभव प्रयास किया किंतु कुछ सही नहीं हुआ. तीन साल के असफल प्रयास के बाद गायत्री ने हार मान ली. दोनों का तलाक हो गया.
गायत्री अपने मायके चली आई. उसने एक एम बी ए कॉलेज में पढ़ाना आरंभ कर दिया. जो दुख झेला था उसके कारण उसने स्वयं को बाहरी दुनिया से काट कर एक दायरे में कैद कर लिया.
सभी लोग खाना खा रहे थे. किसी ने उससे भी खाना खाने के लिए कहा. उसने देखा तो सामने वैभव था.


"क्या हम साथ में खाना खा सकते है." वैभव ने पूछा.
गायत्री ने हामी में सर हिला दिया. दोनों एक एकांत टेबल पर खाने के लिए बैठ गए. कुछ देर शांत रहने के बाद वैभव बोला "कुछ दिन पहले घर गया था. बुआ जी से तुम्हारे बारे में पता चला. मुझे दुख हुआ."
एक बार फिर दोनों शांत हो गए. इस बार गायत्री ने कहा "मेरी छोड़ो अपनी बताओ. आजकल कहाँ हो."
"छह महीने पहले इंडिया वापस आया. आजकल दिल्ली में ही हूँ. दूल्हे का बड़ा भाई मेरे अच्छे मित्रों में है. उसने ज़िद की तो बारात में आ गया."
"घर संसार कैसा चल रहा है." गायत्री ने कुछ सकुचाते हुए पूछा.


वैभव उसकी तरफ देख कर हल्के से मुस्कुराया और बोला "घर संसार बसा ही नहीं. जिससे मन मिला था उससे कुंडली नहीं मिल पाई. फिर किसी से मन ही नहीं मिला."
गायत्री ने वैभव की तरफ देखा. उसकी आंखों में अफसोस झलक रहा था. कुछ देर और दोनों बातें करते रहे. दोनों ने एक दूसरे से मोबाइल नंबर ले लिया. वैभव बारात के साथ विदा हो गया तथा गायत्री भी अपने घर चली गई.
दोनों फोन तथा सोशल एकांउट के माध्यम से एक दूसरे के संपर्क में रहते थे. गायत्री अब पहले की तरह प्रसन्न रहने लगी थी. धीरे धीरे उसने लोगों से मिलना जुलना भी आरंभ कर दिया था. उसमें आए इस बदलाव से शर्माजी बहुत खुश थे.
इस प्रकार तीन माह बीत गए. एक दिन गायत्री अपने सोशल एकांउट पर वैभव से चैट कर रही थी. वैभव का एक मैसेज पढ़कर वह चौंक गई.
'क्या हम हमेशा इसी तरह दूर रह कर बातें करेंगे. हम एक नहीं हो सकते.'
मैसेज पढ़कर गायत्री सोच में पड़ गई. कुछ क्षणों बाद उसने लिखा
'तुम आकर पापा से बात करो.'
वैभव का जवाब आया
'मैं आउंगा, लेकिन इस बार तुम मेरे साथ खड़ी होगी ना.'


गायत्री ने फौरन लिखा 'हाँ'.
वैभव ने लिखा 'इस रविवार को आउंगा.'
गायत्री वैभव की प्रतीक्षा करने लगी. उसने शर्माजी को इस बारे में कुछ भी नहीं बताया था. वह चाहती थी कि जब वैभव बात करे तो वह उसका साथ दे.
रविवार को जब वैभव उनसे मिलने आया तो अचानक ही उसे देख कर वह चौंक गए. गायत्री भी वहाँ आकर बैठ गई. अपने हाथ जोड़ कर वैभव बोला "मैं जानता हूँ कि हमारी कुंडलियां मेल नहीं खातीं किंतु अपनी और गायत्री की खुशी के लिए मैं आपसे हमारे विवाह की अनुमति चाहता हूँ."


गायत्री जाकर उसके बगल में खड़ी हो गई.
शर्माजी बिना कुछ बोले भीतर चले गए. वैभव और गायत्री असमंजस में थे कि उनका निर्णय क्या होगा. कुछ देर बाद शर्माजी बाहर आए. उनके हाथ में पूजा की थाली थी. उन्होंने वैभव को तिलक लगाया और चांदी की गणपति प्रतिमा उसके हाथ में रख कर बोले "तुम दोनों का मेल तो ईश्वर ने तय किया है. अब दोबारा उसकी इच्छा के विरुद्ध नहीं जाउंगा."
वैभव ने उनके पांव छुए और गायत्री उनके गले से लग गई.

 

परिचय
नाम - आशीष कुमार त्रिवेदी

जन्म तिथि - 7-11-1974

शिक्षा - B .COM [1994]

पेशा- प्राइवेट टयूटर

अपने आस पास के वातावरण को देख कर मेरे भीतर जो भाव उठते हैं उन्हें लघु कथाओं एवं लेख के माध्यम से व्यक्त करता हूँ।

C -2072 इंदिरा नगर

लखनऊ-226016

E-MAIL OMANAND.1994@GMAIL.COM

COMMENTS

BLOGGER: 4
  1. अति सुंदर रचना.
    कहानी को मार्मिक बना दिया आपने..
    शायद कुछ अंश ही काल्पनिक है...

    आभार,
    अयंगर.

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह..
    कहानी वास्तविक हो या
    काल्पनिक
    है तो अंधविश्वास को ताोड़ती कहानी
    इसे पढ़कर लोगोंं की दकियानूसी छूट जाएगी
    सादर

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: शुभ घड़ी / कहानी / आशीष कुमार त्रिवेदी
शुभ घड़ी / कहानी / आशीष कुमार त्रिवेदी
https://lh3.googleusercontent.com/-hrTPdPT6OWM/V4S2Ah-Sz8I/AAAAAAAAu6w/i_xc8HpF504/image_thumb.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-hrTPdPT6OWM/V4S2Ah-Sz8I/AAAAAAAAu6w/i_xc8HpF504/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/07/blog-post_31.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/07/blog-post_31.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content