व्यंग्य की जुगलबंदी-9 / अनूप शुक्ल

SHARE:

व्यंग्य की जुगलबंदी-9 --------------------------- इस बार की जुगलबंदी का शीर्षक था -एटीएम। देश आजकल एटीएम पर ही खड़ा है। या तो लोग एटीएम की त...

व्यंग्य की जुगलबंदी-9
---------------------------
इस बार की जुगलबंदी का शीर्षक था -एटीएम। देश आजकल एटीएम पर ही खड़ा है। या तो लोग एटीएम की तरफ़ जा रहे हैं या वहां से आ रहे हैं। जो इनमें नहीं शामिल हैं वे वहां लाइन में लगे हुये हैं। जो इनमें शामिल नहीं हैं वे इसके बारे में बतिया रहे हैं।

अरविन्द तिवारी Arvind Tiwari जी ने एटीएम को कई तरह देखा। अपने सारे अनुभव धर दिये चकाचक अंदाज में। व्यंग्य लिखना मानों उनके बायें हाथ का काम हो। लेख में हर तरफ़ नजर रही वरिष्ठ व्यंग्यकार की। मैदान के चारो तरफ लगाए शॉट। उन्होंने अपने लेख का शीर्षक रखा- यहीं कहीं था एटीएम। उन्होंने बताया -"पैसे का दर्द घुटने के दर्द से बड़ा है"। पूरा लेख अरविन्द जी के यहां पहुंचकर बांच सकते हैं (20 नवम्बर की पोस्ट) लेख की कुछ बानगी देखिये:

१. घर और मकान में जो फ़र्क है वही रुपयों वाली और बिना रुपयों वाली मशीन में होता है।कंक्रीट का हर भवन घर नहीं होता उसी तरह ए टी एम् की हर मशीन ए टी एम् नहीं होती।चीन में हमारे खाते से इसी मशीन ने पैसे दे दिए हम नहीं बोले।हिंदुस्तानी चोरों ने हमसे कोड नम्बर पूछकर पैसे निकाल लिए हम नहीं बोले ।हमारे पड़ोस की ए टी एम् मशीन चोर ले गए हम नहीं बोले।पर अब चुप नहीं रहेंगे क्योंकि ए टी एम् की साख का सवाल है।

२.अमीर हो या गरीब सभी ए टी एम् के रेन बसेरे में पड़े हैं।कोई चाय पिला दे तो ठीक है अन्यथा बिना चाय के ही प्रेशर बन रहा है।सुविधा यह है कि ए टी एम् के पास ही सुलभ काम्प्लेक्स है।अपने स्थान पर अपनी चरण पादुकाएं खड़ी करो और रिलेक्स होने चले जाओ।घुटनों के दर्द से पीड़ित लोग बिना कमोड के फ्रेश हो रहे हैं।पैसे का दर्द घुटने के दर्द से बड़ा है।

३.साहब आलम यह है कि इधर ए टी एम् में लाइन है तो उधर छोटी मोटी लाइन सुलभ कॉम्लेक्स के आगे भी है।जब 24 घण्टे रहना है तो कहाँ जाएँ।जब कोई व्यक्ति दैनिक क्रिया में देर करता है तो अपनी बारी के इंतज़ार में प्रेशर से हलकान लोग जोर से हाँक लगाते हैं ए टी एम् में पैसा आ गया ए टी एम् में पैसा आ गया।लोग हड़बड़ाकर सुलभ काम्प्लेक्स से बाहर आ जाते हैं।बाहर आकर जब उन्हें पता चलता है कि पैसा नहीं आया तो उनकी हालत न खुदा ही मिला न विसाले सनम वाली हो जाती है।

रवि रतलामी Ravishankar Shrivastava ने खुद कुछ नहीं लिखा। बस एटीएम पर सीधे भक्तों और आपियों की डायरी पेश कर दी। आप भी देखिये ( http://raviratlami.blogspot.in/2016/11/blog-post_20.html )। लेख के कुछ अंश देखिये:

भक्त एटीएम का रिकवर्ड डेटा मुलाहिजा फरमाएँ:

१. आज नोटबंदी का पहला दिन है. वाह क्या सर्जिकल स्ट्राइक मारा है काले धन और भ्रष्टाचारियों पर. पूरी मुस्तैदी से लगा हूँ, लोगों की सेवा करने में. मजा आ रहा है. इतनी भीड़ देखकर ही मन प्रसन्न हो जा रहा है.

२. सुना है कि बैंकों में लाखों करोड़ रूपए जमा हुए हैं. वर्षों से मुर्दा पड़े खाते जी उठे हैं और गरीबी रेखा वाले जन धन खातों में रुपयों की बरसात हो गई है. बैंक ब्याजदर घटेंगे जिससे महंगाई कम होगी. कैशलेस ट्रांजैक्शन की तरफ भारत बढ़ रहा है. सब्जी भाजी वाले भी पीओएस लेने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. यानी सर्वत्र एक नंबर का मार्केट. भारत में कोई टैक्सचोर नहीं बचेगा. जल्द ही भारत की तस्वीर बदलेगी. नया भारत उभरेगा. शक्तिशाली. समृद्ध. भारत एक बार फिर सोने की चिड़िया बनेगा.

अब एक आपिए एटीएम का रिकवर्ड डेटा पढ़िए –

१. आज नोटबंदी का पहला दिन है. अजीब तुगलकी निर्णय है. न इन्फ्रास्ट्रक्चर न तैयारी. जनता इस निर्णय की तो वाट लगा देगी. दंगा फसाद कर देगी. ये कोई बात हुई – रात से आपका 500 और 1000 का नोट नोट नहीं रहेगा कागज का टुकड़ा रहेगा. हर नोट पर गवर्नर का लिखा व हस्ताक्षरित प्रत्याभूत क्या मजाक है? लोगों की लाइन है कि खत्म ही नहीं हो रही. लाइन में खड़ा हर आदमी इस तुगलकी निर्णय को गरिया रहा है. भीड़ देखकर तो मुझे पसीना आ रहा है. रोते हुए और गुस्से में अपना काम कर रहा हूँ – जानता हूँ कि उनका अपना ही पैसा है, मगर चाहते हुए भी लोगों को उनके पूरे पैसे नहीं दे पा रहा हूँ. जिस काम के लिए बनाया गया हूँ, वही ढंग से नहीं कर पा रहा हूँ!

२.नोटबंदी भारत के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है. अपनों को फायदा पहुँचाया गया, उद्योगपतियों के ऋण आम जनता के पैसों से माफ किए गए और जनता को झांसे में रखा गया. भारत की स्थिति तो अब नाईजीरिया से भी भयावह होने वाली है. उद्योगधंधे चौपट पड़े हैं, व्यवसाय खत्म हो गया है, मंदी की मार में भारत गिरफ्त हो गया है. भारत का सबसे बुरा दिन आया है. एक समय की सोने की चिड़िया भारत को विदेशियों ने लूटा, और एक बार फिर भारत लुट रहा है, कोढ़ में खाज यह कि अब भारतीय ही इसे लूट रहे हैं.

हमें बस यही डर है कि रवि रतलामी की इस पोस्ट को बांचकर कहीं कोई भक्त या आपिया उनके ऊपर उनका डाटा चुराने का आरोप न लगा दे। clip_image001:)

निर्मल गुप्ता Nirmal Gupta ने अपने अंदाज एटीएम का निरीक्षण किया। एटीएम समस्या को बारहखड़ी वाले चश्मे से देखा। लेख का शीर्षक रखा- ब से बैंक और ए फॉर एटीएम की नई बाराखडी। पूरा लेख उनके यहां पहुंचकर (20 नवम्बर की पोस्ट) बांच सकते हैं। कुछ अंश देखिये यहीं पर:

१. वो दिन भी क्या दिन थे जब ब से सिर्फ बकरी होती थीl उचक उचक कर हरीभरी झाड़ियों की नरम कोपलों को तसल्ली से उदरस्थ करतीl लज़ीज़ मुगलिया व्यंजन के अपरिहार्य कारक बकरों (मटन) की जननी l कभीकभार स्वास्थ्यवर्धक दूध की कमर्शियल वजह से भी लोग बकरी को पाल लिया करते हैंl यह वह समय है जब बकरे की माँ के पास अपनी संतति की खैर तक मनाने तक का अवकाश नहीं l

२.नोटबंदी के इस उत्सवी समय में ब फॉर बकरी की जगह बाकयदा बी से बैंक हो गया है, जो लाल नीले नोट उगलता कम,उन्हें फटे और कुतरे नोटों में बदलता अधिक हैl बैंक के समक्ष लगी लम्बी कतारें बता रही हैं कि कोई उसे चाहे जितना गरिया ले लेकिन कतारबद्ध खड़े रहना, जिन्दगी की बाध्यता और स्थाईभाव हैl

३.लाइनें केवल बैंक के सामने नहीं लगती, नमक के कारण गली मोहल्ले की पंसारी की दुकान तक के सामने भी आ जुटती हैंl नमक को लेकर आम जनता की इस अभूतपूर्व आतुरता को अवसरवादियों की नमकहरामी कहा जाए या नमकहलाली, इसे परिवर्तित जीवन मूल्यों के आलोक में समझ पाना जरा टेढ़ी खीर हैl

समीरलाल उर्फ़ Udan Tashtari खुद भले कैसलेस संसार के बासिंदे हो गये हैं लेकिन एटीएम में खड़े होने वाले लोगों का दर्द अच्छे से महसूसते हैं। उससे ज्यादा उस मशीन का दर्द अनुभव किया जिससे लोग पैसा निकालते हैं। एक मशीन की व्यथाकथा उनके यहां बांच सकते हैं इस लिंक पर पहुंचकर (https://www.facebook.com/udantashtari/posts/10154483955381928)
कुछ अंश यहां बांचिये:
१. कई बार तो एटीएम की हालत देखकर लगता है कि जिस तरह से मौत को यह वरदान प्राप्त है कि उस पर कभी कोई दोष नहीं आयेगा..दोषी कभी एक्सीडॆन्ट, कभी बीमारी तो कभी वक्त का खत्म हो जाना ही कहलायेगा जिसकी वजह से मौत आई...वैसे ही एटीएम को यह शाप मिला होगा कि चाहे गल्ती किसी की भी हो- बिजली चली जाये, नोट खत्म हो जायें, चूहा तार कुतर जाये..दोष एटीएम पर ही मढ़ा जायेगा.

नोट निकालने वाला हमेशा यही कहेगा..धत्त तेरी की...ये एटीएम भी न..चलता ही नहीं.

२. हद तो तब हो गई जब हाल ही में एक एटीएम मशीन, जिस पर ’आऊट ऑफ आर्डर” लिखा था, को एक बुजुर्ग से कुछ यूँ डाँट खाते देखा..कि पहले बैंक जाते थे तो बाबू मटरगश्ती करके हैरान करते थे, कभी चाय पीने गये हैं..कभी पान खाने..और अब मशीन का जमाना हुआ तो सोचा तुम विदेश से आये हो तो मुश्तैदी से काम करोगे मगर बस, चार दिन ठीकठाक से काम किया और अब तुमको भी वही हवा लग गई? हें..काम धाम करना नहीं और जब देखो तब ’आऊट ऑफ आर्डर’...अरे, और कुछ नहीं तो बड़े बुढ़ों का तो सम्मान करो.

३. मैंने मशीन पर नजर डाली तो ऐसा लगा मानो सर झुकाये बस अब सिसक कर बोलने को ही है कि हे मान्यवर, मैं तो आज भी आपकी सेवा करने को तत्पर हूँ मगर मैं नोट छापता नहीं, बस नोट बाँटता हूँ..पहले बैक मुझमें नोट तो डाले तब तो मैं आपको नोट दूँ...और सरकार है कि बड़े साईज के ऐसे नोट छाप लाई है कि बैंक चाह कर भी मुझमें नोट नहीं डाल पा रहा है...

अब किसकी गल्ती गिनायें..जब से आया हूँ, सभी बैंको को कतारमुक्त कराया. आपका धन आपके मुहल्ले के नुक्कड़ पर खड़े हो कर २४x७ हर मौसम में आपको उपलब्ध कराया, तब किसी ने भी धन्यवाद न कहा और आज एक संकट काल से गुजर रहा हूँ तो पुनः वही दोषारोपण कि गल्ती मेरी है.

सहज अंदाज का लेखन है समीरलाल। उनको गजल-उजल छोड़-छाड़कर सीधे व्यंग्य की ट्रेन पकड़ लेनी चाहिये।

अनूप शुक्ल - अपन लिखने में इस बार जरा लेट हो गये। कह सकते हैं एटीएम लाइन में लगे रहे। लेकिन खुदा झूठ न बुलवाये ऐसा था नहीं इसलिये क्यों न लिखें। हमारा लेख यहां पहुंचकर बांचिये अग अभी तक न बांचा हो। (https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10209719334313577) लेख का शीर्षक है-एटीएम मल्लब एक ट्राई और मारो। लेख के कुछ अंश:

१. दुनिया में भले एटीएम आज शुरु हुये हों लेकिन अपने भारत दैट इज इंडिया में दुनिया का हरकाम सबसे पहले हो चुके होने की तर्ज एटीएम का चलन बहुत पहले से था। हमारे मंदिर, मठ धन संपदा के एटीएम ही तो थे। खूब पैसा जमा होता था। जिसको भी पैसा चाहिये होता था वो मंदिर पहुंचकर पैसा निकाल लेता था। महमूद गजनवी ने सोमनाथ वाले एटीएम से कई बार पैसा निकालने की कोशिश की थी। जब कई तरह के पिन फ़ेल हो गये पैसा नहीं निकला तो बेचारे ने शाश्वत एटीएम -लूटपाट का प्रयोग किया और पैसा लेकर चला गया। आजकल जो लोग एटीएम लूटकर ले जाते हैं वे महमूद गजनवी की परम्परा के सच्चे वाहक हैं। मशालची हैं लूटपाट की मशाल मशाल को सुलगाते हुये आगे बढ़ाने का काम के।

२.एटीएम पर हुई भीड़ का उपयोग सभाओं के रूप में करने का चलन शुरु हो सकता है। आसपास माइक लगाकर जब मन चाहा भाइयों, बहनों शुरु हो सकता है। एक ही एटीएम पर विरोधी दलों की सभाओं में भाइयों-बहनों से हुई शुरुआत मां-बहन की ऊंचाइयों तक पहुंच सकती है।

३. एटीएम पर खड़े लोगों को इनाम भी शुरु हो सकते हैं। एटीएम रत्न, एटीएम भूषण, एटीएम श्री की शुरुआत हो सकती है। एटीएम पर लगे-लगे दुनिया से निकल लेने वालों को ’एटीएम शहीद’ की उपाधि से विभूषित किया जा सकता है। क्या पता कोई शायरान अंदाज में जाते हुये कहकर जाये:

कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले ये एटीएम साथियों।

इस बार की व्यंग्य की जुगलबंदी में बस इतना ही। बाकी अगली जुगलबंदी में। आपको कैसी लगी बताइयेगा।

#व्यंग्यकीजुगलबंदी, #व्यंग्य, #vyangya, Arvind Tiwari, Ravishankar Shrivastava, Nirmal Gupta, Udan Tashtari अनूप शुक्ल

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: व्यंग्य की जुगलबंदी-9 / अनूप शुक्ल
व्यंग्य की जुगलबंदी-9 / अनूप शुक्ल
https://2.bp.blogspot.com/-iGxtltNrVpY/WDEvdkCOyiI/AAAAAAABIgg/w9U7OUQXUzk6YbvoLarW027Nn9-sQElGACLcB/s320/ATM1.jpg
https://2.bp.blogspot.com/-iGxtltNrVpY/WDEvdkCOyiI/AAAAAAABIgg/w9U7OUQXUzk6YbvoLarW027Nn9-sQElGACLcB/s72-c/ATM1.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/11/9.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/11/9.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content