अमरपाल सिंह ‘ आयुष्कर ’ की कविताएँ

SHARE:

अमरपाल सिंह ‘ आयुष्कर ’ 1-बतासे   कहाँ गए बतासे .... ? चासनी उतार गए तरासे  कहाँ गए बतासे..... ? गुस्साई गर्मी मे पानी डुबाके...


अमरपाल सिंह ‘ आयुष्कर ’


1-बतासे
 
कहाँ गए बतासे .... ?
चासनी उतार गए तरासे 
कहाँ गए बतासे..... ?
गुस्साई गर्मी मे पानी डुबाके
कितना स्वाद बिछाते
कहाँ गए बतासे ....?
अभी - अभी पता चला है, बतासे कम बनते हैं अब
बनते भी हैं तो सस्ते हो गए हैं अब ....
रिश्तों की मिठास की तरह
सुना है ! अब सस्ती चीजें खाने से शरमाते हैं लोग .....
इसीलिए तो बतासे लेकर आने वाले मेहमानों से, कतराते हैं लोग ....|


   2 - रिश्ते 

इस तरह भी हम रिश्तों को जी लेतें हैं
एक दो  मिस्स्ड काल , या मेसेज
फेसबुक पर तस्वीरों को लाइक कर देतें हैं ....
पुराने एलबम से चिपकी नम तस्वीरें निकाल बाहर
पलों को जबरन लौटाने की कोशिश
और फिर खट्टी- मीठी यादों को देख
तस्वीरों से ही  बतिया लेतें हैं ..
इस तरह भी हम रिश्तों को जी लेतें हैं
बहुत दिनों बाद मिले , कहो कैसे हो ?
हो गए हो मोटे थोड़े - से
काम तो नहीं , कोई जरूरी
समय हो तो अगर !
कोई उनीदी - सी शाम बैठे -बिठाये
दो कप चाय और थोड़ी चटर – पटर
एक पल में भी
सदियों  की मिठास भर लेते हैं
इस  तरह भी हम रिश्तों को जी लेते हैं
जिक्र चलता जब भी  कहीं रिश्तों का
नम आँखों से मुस्कुरा , खूबसूरत रिश्तों को मन में उतार
 हम भी  
कहकहों मे  शामिल हो लेते .......................
इस  तरह भी हम रिश्तों को जी लेते हैं |


3-  आँसू ने जन्म लिया होगा

तप-तप के मन के आंगन ने , चटकी दरार का रूप लिया
सावन का बदल फेरे मुंह ,  चुपके से निकल दिया होगा
गहरी दरार फिर भरने को , आँसू ने जन्म लिया होगा
दो बोल तिक्त मीठे पाकर , सहमा होगा उछला होगा
फिर उमड़ घुमड़ उन बातों ने , बादल का रूप लिया होगा
तपते होंठों पर बूंदों ने , हिमकन - सा काम किया होगा
मन की ......
कोई अपना टूटा सपना , तो कभी पराये दर्द लिए
मन का आंगन पूरा –पूरा , मिट्टी से लीप दिया होगा
गहरी दरार फिर भरने को , आँसू ने जन्म लिया होगा

उलझी –सुलझी रेखाओं के , भ्रम से सहमा जब मन होगा
स्नेह भरा दीपक बनकर , रातों का साथ दिया होगा .


4-  रे मन तू

रे मन तू सबकी लिख जाना !
धूप झोपड़ी / छांव महल की
शब्द रहट  के / गीत चहकते
रे मन तू सबकी लिख जाना !

चिथड़ा आंचल / रेशम , मलमल
भीत दरकती / ईंट के जंगल
रे मन तू सबकी लिख जाना !
मौत की चीखें / गीत जन्म के
विदा के आंसू / चैन  मिलन के
रे मन तू सबकी लिख जाना !
रूखे टुकड़े  / मखनी दाल
बहता पानी  / सूखे ताल
रे मन तू सबकी लिख जाना !
चन्दन तुलसी / भजन प्रभू का
मस्त कबीरे  की साखी – सा
रे मन तू सबकी लिख जाना !



5- अजन्मा कर्ज़दार

जान  गयी हूँ माँ !
मरना नियति है मेरी
और मुझे मारना , तुम्हारी मजबूरी
पर मैं नहीं चाहूंगी
मेरी हत्या तुम्हे अभिशप्त करे
ये भी नहीं चाहती माँ
होना पड़े तुम्हे लगातार चौथी बार
पदाक्रांत
बेटी हूँ , जानती हूँ ,
नहीं हूँ तुम्हारे प्रत्यर्थ
पर हूँ आज इतनी समर्थ
तीन माह के जीवनदान के बदले
चुका सकती हूँ ममत्व का क़र्ज़
अपने नन्हे कोमल हांथों - से
करके अपना आत्मोसर्ग !



6- मृदुल याचना


मैं भी आना चाहती हूँ संसार में
पीना चाहती हूँ , ममत्व की बूँद
पाना चाहती हूँ - पिता का दुलार , भैया का प्यार
कुछ पल की साँसें ,  कुछ पल का आगार
क्या मुझे दोगी माँ ?
देखना चाहती हूँ अखिल ब्रम्हांड में ,  पूजनीया नारी की गरिमा
कुछ पल के लिए आँखे , कुछ पल का आभार
क्या मुझे दोगी माँ ?
खेलना चाहती हूँ , जीवन संघर्ष की  द्यूतक्रीड़ा
जीतना , हारना , बनना , बिखरना
कुछ पल के लिए पाँव , और कुछ पल का अधिकार
क्या मुझे दोगी माँ ?
पढना चाहती हूँ  , मानव मन का रहस्य
कुटिलता , कलुषता , द्वेष , पाप
प्रेम , दया , ममता , पुन्य का पाठ
कुछ पल की जुबान , कुछ पल का आराम
क्या मुझे दोगी माँ ?
बनना चाहती हूँ सीता , सती , शक्ति और कल्पना ,
छूना चाहती हूँ धरा और आकाश
एक घर , एक प्यार , एक संसार ,
कुछ पल का अवसर और सम्मान
क्या मुझे दोगी माँ ?


7- इंतज़ार
जब मेरा इंतज़ार करते - करते ,
तुम्हारी आँखे चमक उठें तो - समझ लेना तुम्हारे प्रेम का अस्तित्व है
जब आँखे थक जाएँ तो - प्रेम का पड़ाव समझ ठहर जाना
जब भी इंतज़ार करते – करते भर आयें तो - प्रतीक्षा का चरणामृत मान पी लेना
और जब पथरा कर बंद होने लगें तो -
इसे अपने अटल प्रेम का , निश्छल सत्य मान मुस्कुरा देना |


8- भूख
भूख ऐसी आँख है जो
ना शहर , ना गाँव
ना धूप , ना छाँव
ना पहाड़ , ना खाई
ना पीर , ना सांई
कुछ नही देखती

ना छोटा , ना बड़ा
ना खोटा  , ना खरा
ना यौवन , ना जरा
ना दिन , ना रात
ना धरम , ना जात
ना ऊंच , ना नीच
ना तनहा , ना बीच
महसूस ही नही करती

ना बाप , ना भाई
ना बहन , ना माई
ना अपनी , ना परायी
ना मातम , ना शहनाई
पहचानती ही नहीं ,
देखती है , सोचती है , महसूसती है , पहचानती है
सिर्फ गहराई  अपने अहसास की
और नापती है इंसानियत का कद
कितना उठा , कितना गिरा
धरती का कलेजा चीरकर , उसके बोने और रोटी बनने तक !


9- आस्थाकलश

भावना का  आस्थाकलश जब टूटता है
विश्वास का जल मैला हो जाता है
प्रेम का दीपक बुझ जाता है
मोह  का अश्रु रीत जाता है
एकत्व  का यव बिखर जाता है
शुभता का अक्षत गल जाता है
अपनत्व का पल्लव सूख जाता है
पवित्रता का गोमल पंकिल हो जाता है
परन्तु
कहीं कोई शोर नही ,कोई अपशकुन नही ,कोई आवाज़ नही
शायद अंतर्मन का कलश टूट जाने पर
आत्मा  हो जाती  - एकदम मौन
जो अप्रत्याशित सत्य को स्वीकार नही पाती |


10 –दीदी

आज चौथी बार तिरस्कृत होकर लौटी
दीदी की तस्वीर
बाबूजी के जूते ,  अम्मा  की सांसें
भैया के सपने , छुटकी के खिलौने
और मेरी ख़ुशी , एक बार फिर
दीदी के हाथों की लकीरों  - सा कट गए
बाबूजी की जेब का हल्कापन
सभी दिलों को भारी कर गया
दीदी का घरोंदा
हल्केपन के भार से दब गया
पर ,
दीदी फिर घरोंदे बनायेगी
विश्वास की नीव डालेगी
आशा के दीपक जलायेगी
एक गुड़िया सजायेगी , प्यार करेगी , बियाहेगी
पर ,
दीदी की भीगी आँखे , ढलती साँसे और सूनी माँग देख
क्या गुड़िया ससुराल जायेगी ?



11- इंतज़ार
बाज़ार गयी बेटी
माँ की साँसें बाप की इज्ज़त
गठिया ले गयी फटे दुपट्टे के कोने में
कभी  भी फट सकता है दुपट्टे का कोना
बाज़ार की बिरानी में
डर है कहीं खुल ना जाये दुपट्टे की गाँठ ! शायद
इसीलिए सहमी है ,दरवाज़े पर टिकी  माँ की  साँसें
और बाप की आँख ..........................


12– सबूत

एक रात बाहर गुज़ार लौटी लड़की
अग्निपरीक्षा हेतु चक्षुकुण्ड ले दौड़ी
सारे मुहल्ले की आँखें
गुजरी रात का सच भी
ना  बचा सका उसे
कैसे बताये सुनसान रास्ते पर बिगड़ी बस में !
कितनी देर देती रही अग्निपरीक्षा
अवध हो या लंका
हर हाल में देना पड़ता है
भरमाई आँखों को सबूत अपने होने का |



13-कितने सवालों का हल…..


कितने सवालों का हल ,माँग रही जिन्दगी
पास और फ़ेल की तख्ती, टांग रही ज़िन्दगी
उजली हँसी के सहमे प्याले
मन की दहलीजों पर ताले
रिश्तों के ठंडे अलाव से
भीगी –भीगी आंच उठा के
कोहरे की सिमटी चादर ले
काँप रही जिन्दगी
कितने सवालों का हल , माँग रही जिन्दगी
पास और फ़ेल की तख्ती, टांग रही ज़िन्दगी

मनबीती किस ठौर रोप के
किन आँखों को भला टोक दे
सतरंगी सपनों के धागे
तुतले पल उलझा कर भागे
साँसों की रफ़्तार को कैसे
नाप रही ज़िन्दगी

कितने सवालों का हल ,माँग रही जिन्दगी
पास और फ़ेल की तख्ती, टांग रही ज़िन्दगी

देख उमीदों का ज्वार बड़ा है
किस अवसर की ताक़ पड़ा है
आकाशगंगा तेरे हँसी की
छूने को हर हाथ अड़ा है
हरपल को मोती सरीखा
टांक रही ज़िन्दगी
कितने सवालों का हल ,माँग रही जिन्दगी
पास और फ़ेल की तख्ती, टांग रही ज़िन्दगी


15 -संसार में उसको आने दो ..........

संसार में उसको आने दो
हक़ उसे भी अपना पाने दो
हर दौर गुजरकर देखेगी
खुद फ़ौलादी बन जाएगी
संस्कृति सरिता -सी बन पावन
दो कुल मान बढ़ाएगी
आधी दुनिया की खुशबू भी
अपने आँगन में छाने दो
संसार में उसको आने दो
हक़ उसे भी अपना पाने दो

तुम वसुंधरा दे दो मन की
खुद का आकाश बनाएगी
इतिहास रचा देगी पल –पल
बस थोड़ा प्यार जो पाएगी
हर बोझ को हल्का कर देगी
उसको मल्हार - सा गाने दो
संसार में उसको आने दो
हक़ उसे भी अपना पाने दो


उसका आना उत्सव होगा
जीवन – बगिया मुस्काएगी
मन की घनघोर निराशा को
उसकी हर किलक भगाएगी
चंदामामा की प्याली में
उसे पुए पूर के खाने दो
संसार में उसको आने दो
हक़ उसे भी अपना पाने दो

जाग्रत देवी के मंदिर- सा
हर कोना , घर का कर देगी
श्रध्दा के पावन भाव लिए
कुछ तर्क इड़ा - से ले लेगी
अब तोड़ रूढ़ियों के ताले
बढ़ खोल सभी दरवाजे दो

संसार में उसको आने दो
हक़ उसे भी अपना पाने दो |



16 - बेटियां मेरे गाँव की .....

बेटियां मेरे गाँव की.....
किताबों से कर लेतीं बतकही
घास के गट्ठरों में खोज लेंतीं
अपनीं शक्ति का विस्तार
मेहँदी के पत्तों को पीस सिल-बट्टे पर
चख लेंतीं जीवन का भाव
सोहर ,कजरी तो कभी बिआहू ,ठुमरी की तानों में
खोज लेतीं आत्मा का उद्गम
भरी दोपहरी में , आहट होतीं छाँव की
बेटियाँ , मेरे गाँव की..........................

द्वार के दीप से ,चूल्हे की आंच तक
रोशनी की आस जगातीं
पकाती रोटियाँ, कपड़े सुखातीं ,
उपले थाप मुस्कुरातीं
जनम ,मरण ,कथा ,ब्याह
हो आतीं सबके द्वार ,
बढ़ा आतीं रंगत मेहँदी, महावर से
विदा होती दुल्हनों के पाँव की
बेटियाँ मेरे गाँव की ...........................

किसके घर हुए ,दो द्वार
इस साल पीले होंगे , कितने हाथ
रोग -दोख ,हाट - बाज़ार
सूंघ आतीं ,क्या उगा चैत ,फागुन , क्वार
थोड़ा दुःख निचोड़ ,मन हलकातीं ,
समेटते हुए घर के सारे काज
रखती हैं खबर, हर ठांव की
बेटियाँ मेरे गाँव की ................................
जानतीं - विदा हो जायेंगी एक दिन
नैहर रह लेगा तब भी , उनके बिन
धीरे –धीरे भूल जातें हैं सारे ,
रीत है इस गाँव के बयार की
फिर भी बार - बार बखानतीं
झूठ – सूठ बड़ाई जंवार की
पैदल भी चली आती हैं
बाँधने दूर से ,डोरी प्यार की
भीग जातीं ,सावन के दूब –सी
जब मायके से आता बुलावा
भतीजे के मुंडन , भतीजी की शादी ,
गाँव के ज्योनार, तीज ,त्यौहार की
भुला सारी नीम - सी बातें
कितनी रातें बिना ,सोये गुजारतीं
ससुराल के दुखों को निथारतीं
मायके की राह , लम्बे डगों नापतीं
चौरस्ता ,खेत –खलिहान ,ताकतीं
बाबा ,काकी ,अम्मा, बाबू की बटोर आशीष
पनिहायी आँखों , सुख-दुःख बांटतीं
कालीमाई थान पर घूमती हुई फेरे
सारे गाँव की कुसल - खेम मांगतीं
भोली , तुतली दीवारों के बीच नाचतीं
समोती अपलक उन्हें ,बार –बार पुचकारतीं
चमक जातीं, छलकी आँखे
फलता- फूलता देख बाबुल का संसार
दो मुट्ठी अक्षत ,गुड़ ,हल्दी, कुएं की दूब से
भर आँचल अपना , चारों ओर पसारतीं
बारी –बारी पूरा गाँव अंकवारती
दुआएं उनकी ,पतवार हैं नाव की
बेटियाँ मेरे गाँव की .....................\


17- बेटियाँ

पूरा घर एक पैरों नाप आती ......
बाबा की फटकार
भाई की दुत्कार
अम्मा की पुकार पर बार –बार
भागती
बातें सब की , गाँठ बांधती जाती
पूरा घर एक पैरों नाप आती ......
सारे किस्से बाँध आँगन के
साथ ले जाती
दो मुट्ठी चावल में सारा संसार पाती
विदा होते बाबुल की देहरी से
अपनी कहाँ रह जाती
लौटते पाँव
बचपन के ठांव
हर कदम रखने से पहले
काँप जाती ........... क्योंकि
अब पूरा घर एक नजरों से नाप आती .
-
परिचय

जन्म :    1  मार्च
ग्राम- खेमीपुर, अशोकपुर , नवाबगंज जिला गोंडा , उत्तर - प्रदेश           
दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान ,कादम्बनी,वागर्थ ,बया ,इरावती प्रतिलिपि डॉट कॉम , सिताबदियारा ,पुरवाई ,हमरंग आदि में  रचनाएँ प्रकाशित 
2001  में  बालकन जी बारी संस्था  द्वारा राष्ट्रीय  युवा कवि पुरस्कार  
2003   में  बालकन जी बारी -युवा प्रतिभा सम्मान 
 आकाशवाणी इलाहाबाद  से कविता , कहानी  प्रसारित
‘ परिनिर्णय ’  कविता शलभ  संस्था इलाहाबाद  द्वारा चयनित
मोबाईल न. 8826957462 mail- singh.amarpal101@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अमरपाल सिंह ‘ आयुष्कर ’ की कविताएँ
अमरपाल सिंह ‘ आयुष्कर ’ की कविताएँ
https://lh3.googleusercontent.com/-DRZ20Syt0XQ/WKMkcjFJoGI/AAAAAAAA2l0/1bIIu7S-GPk/s640/%25255BUNSET%25255D.jpg
https://lh3.googleusercontent.com/-DRZ20Syt0XQ/WKMkcjFJoGI/AAAAAAAA2l0/1bIIu7S-GPk/s72-c/%25255BUNSET%25255D.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/02/blog-post_73.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/02/blog-post_73.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content