शिगाफ़: विस्थापन का दर्द और विवशताएं / कल्पना गवली

SHARE:

नई शताब्दी का सूत्रपात होते ही जिन कथाकारों, विद्वानों ने हिन्दी गद्य के विशेष विन्यास में अपनी उपस्थिति का अहसास करवाया उसमें मनीषा कुलश्र...

image

नई शताब्दी का सूत्रपात होते ही जिन कथाकारों, विद्वानों ने हिन्दी गद्य के विशेष विन्यास में अपनी उपस्थिति का अहसास करवाया उसमें मनीषा कुलश्रेष्ठ का भी नाम उल्लेखनीय है। “विविध वैविध्य सरोकारों की बहुआयामिता, चिंतन की बारीकियां, वैश्विक भाव भूमि से परिचय बदलती सामाजिकता का ज्ञान और भाषा का अत्यंत सर्जनात्मक साथ कुछ ऐसी विशेषताएं है जिसके कारण लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने पाठकों और आलोचकों का ध्यान अपनी और आकर्षित किया है।“ 1

मनीषा कुलश्रेष्ठ के ‘शिगाफ और ‘शाल मंजिका’ महत्त्वपूर्ण उपन्यास है। ‘शिगाफ’ मनीषा कुलश्रेष्ठ का एक ऐसा उपन्यास है. जिसमें कई संवेदनाएं मिलकर एक कर दी हो. कश्मीर की धरती से जुड़ा यह उपन्यास एक नई भूमिका तैयार करता है. पीड़ा भोगते हुए हजारों लोग और उनसे जुड़े सपने को दहशत में परिवर्तित किए जाते है. लेखिका ने अमिता के ब्लॉग, यास्मीन की डायरी मानव बम जुलेखा का मिथकीय कोलाज, अलगाव वादी नेता वसीम के एकालाप के जरिए कश्मीर और कश्मीरियत की विदीर्ण कथा को अलग कोण, नए शैलीगत प्रयोगों तथा ताजगी भरी भाषा के साथ अपना उपन्यास प्रस्तुत किया है। कश्मीर के विस्थापित हजारों कश्मीरियों की पीड़ा  तथा वहां जीवन व्यतीत कर रहे लाखों के दर्द, घुटन और छटपटाहट की वास्तविक तस्वीर की उजागर भी करता है : ‘शिगाफ’ यानी दरार। “शिगाफ विस्थापन का दर्द महज एक सांस्कृतिक, सामाजिक विरासत से कट जाने का दर्द नहीं है बल्कि अपनी खुली जड़े लिए भटकने ओर कहीं जम न पाने की भीषण विवशता है, जिसे अपने निर्वासन के दौरान सेन सबेस्टियन (स्पेन) में रह रही अमिता लगातार अपने ब्लॉग में लिखती रही है। डॉन किहोते की ‘रोड दू ला मांचा’ कश्मीर वादी में लौटने की अमिता की भटकावों तथा असमंजस भरी इस यात्रा को अद्भुत तरीके से समेटता हुआ यह उपन्यास विस्थापन और आतंकवाद की कोई व्याख्या या समाधान नहीं प्रस्तुत करता वरन् आस्था-अनास्था की बर्बर लड़ाइयों के बीच कुचले जाने से रह गए कुछ जीवट पलों को जिलाता है और जमीन पर गिर पड़े उस दिशा संकेतक बोर्ड को उठाकर फिर-फिर गाड़ता है जिस पर लिखा है। शिगाफ यानि एक दरार जो कश्मीरियत की रुह में स्थायी तौर पर पड़ गई है।“2

‘धड़कन समझ सुन रही थी जिसे

महज मेरी मुहब्बत की गूंज थी

हालात के जलजले ने जौहिर किया

उसके सीने में शिगाफ है दिल नहीं।“

उपन्यास की नायिका अमिता कश्मीर से निर्वासित हुई है। तीन वर्षों से स्पेन में रह रही है। उसके संस्मरण में, उसकी चेतना में बचपनवाला घर ही जिंदा रहता है, कोशिश के बाद भी उसे भूला नहीं पाती है। स्पेन में अमिता की मुलाकात इयान बोर्ड से होती है, वह अमिता को फ्रेंको की तानाशाही जीवन मूल्यों में आई गिरावट, स्पेन का युद्ध, बास्क संघर्ष आदि अनेक किस्से, घटनाएं सुनाकर उसे ‘भोगा हुआ सच’ के बारे में लिखने के लिए प्रोत्साहित करता है. जिस प्रकार बास्क संधर्ष से निकला जा सका है, वैसे ही कश्मीरी मसला भी सुलझाया जा सकता है. जिस प्रकार से कश्मीर की बात आते ही यहां उलझन ही उलझन में दुबारा फंसते हुए मुद्दे नजर आते है- “हमारे यहां हल निकालना इतना आसान नहीं है- कश्मीर अकेले में हम तीन तरह के कश्मीरी हैं। कश्मीरी हिंदू, कश्मीरी सुन्नी और कश्मीरी रिया, सूफी और खानाबदोशों की बात अलग से कई-----फिर लेह बौद्ध बहुल और जम्मू हिंदू बहुल है। यहां धार्मिक पहचान ज्यादा बड़ा मसला है। हल बेहद मुश्किल(3) अमिता अपने ब्लॉग में लिखती है, उसका प्रति उत्तर में डा.वाइ.एन.रैणा कहती है -कश्मीरी तो चार तरफ से मार पड़ी है। पाकिस्तान से भारत की नीतियों से। फिर फौजी घेरा.... एनकॉउंटर...ब्युरोक्रेसी। अब यह अब यह तो तय है... एक तरफ वह भारतीय सुरक्षा-बलों से भी खुश नहीं है तो दूसरी तरफ दहशतगर्दी से भी तंग आ चुका है। वह मुजफ्फराबाद के हालात देख पाकिस्तान से भी खौफ देखना उसकी मजबूरी है सच्चाहत (दूरिज्म) का जो बहुत बड़ा कारोबार है कश्मीर का.... वही उसकी जान की लगा कीड़ा है।“(4) मुजहब हसनैन जो मूलत: कश्मीर का है अब लंदन में रहता है ब्लॉग पर टिप्पणी करता है...”मैं दो साल पहले कश्मीर लौटा था, मगर वहां जाकर लगा कि मैं भगोड़ा हूं। लोगों ने मिलिट्री ने सभी ने मुझे शक से देखा। मैं वापस यहां आया और यहीं बस गया। अब मैं कश्मीर के बारे में पढ़ने से बचता हूं, मैं अपनी पहचान से बचता हूं वे सारी चीजें जिनसे मैं बना हूं, उन्हें मैं नकारता हूं मगर मैं उस दु:ख का क्या करुं, जो मैं अपने साथ ले आया हूं। ”(5) ‘के इश्यु’ पर अमिता का ब्लॉग अलग-अलग विचारों को  प्रस्तुत करता है- ‘कश्मीर की असली समस्या क्या है?’ फिर भी समझ नहीं पाती है।

लेखिका ने इंटरनेट पर ब्लॉग जैसी तकनीकी माध्यम का शानदार इस्तेमाल किया है। विस्थापन से पीड़ित अमिता अपने दर्द का बयान करती हुई द्रष्टिगत होती है। कश्मीर को लेकर लेखिका ने अपनी वेदना और दु:ख व्यक्त किए है। “मैं आज निर्वासित हूं....क्योंकि तुमने चुना था निहत्थों को मारना। मैं आज निर्वासित हूं... मैंने चुना सम्मान से जीना.... हथियार न उठाना। मैं आज निर्वासित हूं... क्योंकि पूरा संसार चुप रहा... महज कुछ लोग ही तो मर रहे थे।“(6) तमाम बिंदुओं को सामने रखकर कश्मीरी समस्याओं को हल करने की विशेषता रही है। आज भी कश्मीर में कुछ हो रहा है वह उचित नहीं है ‘मैं आज निर्वासित हूं... क्योंकि मेरा भारतीय होने में विश्वास था।‘ “यकीन है कि हमारा कल्चर, जिन्हें हम कश्मीरियत कहते हैं, वह इतनी कमजोर नहीं है कि कट्टरपंथी इसे कुचल दें। तुम लोग लौटोगे तो वक्त के बीतने के साथ इसकी चमक लौट आएगी। और यह फिर अमन और भाई चारे से गुजार होगी।‘(7) उपन्यास में धर्म, जाति संस्कृति और आवाम की पीड़ा दर्शायी है। विचारधाराओं और मनुष्य के गहराते दर्द को लिखा है, शायद उनकी रुह तक कांप उठी थी वह भयानक वक्तको अंकित किया है। अनेक कहानियां जो जुड़ती चली गई है।

लेखिका ने वहां की औरतों के दर्द को भी बखूबी दर्शाया है. नसीम की कहानी से वहां की औरतों की स्थिति हमारे सामने आई है। इन औरतों का वहां के हालात से कोई वास्ता नहीं है फिर भी झेल रही है, दु:खों का पहाड़ और मार वह भी बार-बार झेलती रही है। “युद्, सियासी दांव पेच, छद्म युद्ध और आतंकवाद से कोई वास्ता नहीं है।“(8) अमिता अपने ब्लॉग में बताती है कि “कश्मीर की स्थिति यह है कि ‘सात औरतों में एक कमाने वाला मर्द आता है। आए दिन जान की आफत्। महंगाई इतनी कि बस.... नौकरी नहीं मिलती। उस पर पहरेदारी अलग से और डर... ऐसा कि औरतें सोए बिना महीनों से रह रही है कि आंख सुर्ख हो जाती है मगर नींद तुम।”(9) औरत को श्रृंगार का पर्याय माना जाता है, हर औरत का जीवन तालिबानी फतवों के बीच गुजर रहा है सर से पांव तक पने आप को ढंककर रखती है। फैशन, सौंदर्य और उसके प्रसाधनों से उसे कोसों दूर कर दिया गया है। आधुनिक युग में जहां नारी ने आसमान छू लिया है तो दूसरी ओर नारकीयता और एक महज खिलौना बन के रह गई है जिसकी चाबी किसी और के पास है। लेखिका कहते हैं- ‘देखिए न, मजलूम और पिछड़े परिवारों की नाबालिग लड़कियां थी.... कितनी अजीब बात थी कि जिस हालात में वे बड़ी हुई हैं.... उन्होंने पिक्चर हॉल का मुंह तक न देखा होगा.... महिलाओं की फैशनबल किताबें उन्होंने छुई तक न होगी... और बिना पार्लर जाए भी वे इस किस्म के स्कैंडल में जा उलझी थीं। वह ब्यूरोक्रेसी का सडा हुआ चेहरा था जिसने नौकरी का लालच देकर उन मजलूम लड़कियों को जाल में फंसाया था... वह भी चाय सैंडविच मिलाकर “(10) उपन्यास में लेखिका ने सारी घटनाओं को तारीख के साथ दिया है जो उस घटना कि वास्तविकता को दर्शाती है। ‘कश्मीर में एथानिक क्लीजिंग के पैरोकार यही थे जो आज उपवास रख रहे हैं। हिटलर मानो गांधी का चोला पहनकर आ गया हो। ये आज कहते हैं कि कश्मीर मुसलमान कभी नहीं वो आदेश जो मस्जिदों के इमामों ने जारी किए थे, 19 जनवरी, 1999 को।“

उपन्यास में विस्थापितों की दास्तां है, अपनी ही जड़ से उखड़ जाने की पीड़ा व्यक्त हुई है। आधुनिक तकनीकी का अच्छा प्रयोग करके लेखिका ने दर्द को बयां किया है। आज तक कश्मीर मसले का कोई मुकम्मल हल नहीं निकला है। कश्मीरियों की एक महागाथा है। कश्मीर निर्वासितों की सबसे बड़ी समस्या भी यही है। वह न चाहकर भी अपने अतीत में उलझा हुआ है। विस्थापन,धर्मनिरपेक्ष और साँस्कृतिक आदि सभी समस्याओं और दर्द का खुलासा है ‘शिगाफ’.

 

संदर्भ सूची:

(1) लमही:प्रधान संपादक: विजय राय: संपादकीय : पृ: 5, जनवरी-मार्च: 2013

(2) Rajkamal prakashan.com/default/novels/shigaf-1093

(3) शिगाफ : मनीषा कुलश्रेष्ठ: पृ. 38

(4) शिगाफ : मनीषा कुलश्रेष्ठ: पृ. 24

(5) शिगाफ: मनीषा कुलश्रेष्ठ पृ.61

(6) लमही: प्रधान संपादक: विजय राय:जनवरी-मार्च: 2013 पृ. 16

(7) शिगाफ: मनीषा कुलश्रेष्ठ: पृ-57

(8) शिगाफ: मनीषा कुलश्रेष्ठ: पृ. 79

(9) शिगाफ: मनीषा कुलश्रेष्ठ: पृ. 78

(10)शिगाफ: मनीषा कुलश्रेष्ठ: पृ. 134

डा.कल्पना गवली

एसोसियेट प्रोफ़ेसर,

हिंदी विभाग,

कला संकाय,

महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ोदा

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: शिगाफ़: विस्थापन का दर्द और विवशताएं / कल्पना गवली
शिगाफ़: विस्थापन का दर्द और विवशताएं / कल्पना गवली
https://lh3.googleusercontent.com/-SEAArO49260/WM4ux93mBRI/AAAAAAAA3e4/ZSJ09eYxALM/image_thumb.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-SEAArO49260/WM4ux93mBRI/AAAAAAAA3e4/ZSJ09eYxALM/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/03/blog-post_94.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/03/blog-post_94.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content