काव्य में विचार और ऊर्जा / रमेशराज

SHARE:

  डॉ. आनंद शंकर बापुभाई ध्रुव अपने ‘कविता’ शीर्षक निबंध में कहते हैं कि-‘जिस कविता में चैतन्य नहीं है अर्थात् जो वाचक को केवल किन्हीं तथ्य...

clip_image001

 

डॉ. आनंद शंकर बापुभाई ध्रुव अपने ‘कविता’ शीर्षक निबंध में कहते हैं कि-‘जिस कविता में चैतन्य नहीं है अर्थात् जो वाचक को केवल किन्हीं तथ्यों की जानकारी मात्र प्रदान करती है, परंतु आत्मा की गहराई में पहुँचकर उद्वेलन नहीं करती अथवा चेतना की घनता व समत्व उत्पन्न नहीं कर सकती, वह कविता हो ही नहीं सकती। ऐसी जड़ कविताएँ भूगोल, इतिहास अथवा पफार्मूला की संज्ञा पाने योग्य हैं। ‘जानेवरी जाण जो फेब्रुआरी होय अर्थात् जनवरी जानिए पुनि फरवरी होय’ यह कविता नहीं है, परंतु ‘सहु चलो जीतवा जंग ब्यूगलो वागे’ अर्थात् सब जंग जीतने चलो, बिगुल बज रहे हैं’-यह कविता है।’’1

[ads-post]

डॉ. ध्रुव ने कविता के कवितापन को तय करने के लिए कविता के जिस चैतन्यस्वरूप का जिक्र किया है, वह चेतनता, वाचक अर्थात् आश्रय की आत्मा की गहराई में उद्वेलन के रूप में पहचानी जा सकती है। प्रश्न यह है कि कविता में ऐसा क्या तत्त्व होता है जो पाठक को उद्वेलित करता है? इस उद्वेलित करने वाले तत्त्व का स्वरूप क्या है? भूगोल, इतिहास अथवा फार्मूला की संज्ञा पाने वाली कविता जड़ क्यों होती है? इन सारे प्रश्नों का समाधान एक ही है कि कविता के माध्यम से पाठक या आश्रय के मन को किसी न किसी तरह ऊर्जा उद्वेलित करती है। बिना ऊर्जा के पाठक के मन में किसी भी प्रकार का उद्वेलन संभव नहीं, यह एक वैज्ञानिक प्रामाणिकता है। किसी भी प्रकार के कार्य को कराने की क्षमता का नाम चूंकि ऊर्जा है, अतः सोचने का विषय यह है कि वह ऊर्जा काव्य या कविता से किस प्रकार प्राप्त होती है? इसका उत्तर यदि हम डॉ. ध्रुव के ही तथ्यों में खोजें तो भूगोल, इतिहास और फार्मूला की संज्ञा पाने वाली ‘जनवरी जानिए पुनि फरबरी होय,’ पंक्तियाँ, इसलिए कविता नहीं हो सकतीं, क्योंकि इसमें पाठक के मन को उद्वेलित करने की क्षमता नहीं है। या रसाचार्यों के मतानुसार कहें तो इसके द्वारा पाठक के मन में किसी भी प्रकार की भावात्मकता उद्बुद्ध नहीं होती। अर्थ साफ है कि पाठक के मन में भाव-निर्माण की प्रक्रिया, ऊर्जा के निर्माण की प्रक्रिया होती है। क्योंकि जब तक पाठक के मन में किसी कविता के पाठन से कोई भाव नहीं बनता, तब तक उसकी शारीरिक क्रियाएँ [ अनुभाव ] जागृत नहीं होतीं। क्रोध के समय शत्रु पर प्रहार करना, रति में चुंबन, विहँसन, आलिंगन तथा दया में संकटग्रस्त व्यक्ति या लोक या बचाने या सहायता करने की क्रियाएं भाव या ऊर्जा के द्वारा ही संपन्न होती हैं। अतः ‘जनवरी जानिए पुनि फरबरी होय’ कविता इसलिए नहीं हो सकती, क्योंकि इसके द्वारा पाठक के मन में किसी भी प्रकार के भाव या ऊर्जा के निर्माण की संभावना नहीं, जबकि ‘सब जंग जीते चलो, बिगुल बज रहे हैं’ को कविता की श्रेणी में इसलिए रखा जा सकता है क्योंकि यह पंक्तियाँ सामाजिक को इस तथ्य से अवगत करा रही हैं कि युद्ध का समय हो गया है, बिगुल बज रहे हैं और जंग को जीतना है।’’ उक्त कविता से पाठक के मन में पहुँचा ‘ जंग जीतने का विचार’ पाठक में साहस का संचार करेगा। पाठक के मन में आया यह साहस का भाव, ऊर्जा के रूप में पाठक के मन को उद्वेलित कर डालेगा।

डॉ. ध्रुव के उपरोक्त तथ्यों की इस मनौवैज्ञानिक व्याख्या से निम्न निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं-

1. किसी भी कविता को कविता तभी माना जा सकता है जबकि वह पाठक को कुछ सोचने-विचारने के लिए मजबूर कर सके। इस तथ्य को हम इस प्राकर भी व्याख्यायित कर सकते हैं कि कविता पाठक के मन पर एक ऐसे बल का कार्य करती है, जिसके द्वारा उसके मन में ऊर्जा का समस्त जड़स्वरूप, गतिशीलस्वरूप में तब्दील हो जाता है। [ ऊर्जा के समस्त जड़स्वरूप से यहाँ आशय उन विचारों, भावों एवं स्थायीभावों से है, जो काव्य-सामग्री के वाचन से पूर्व अचेतन अवस्था में आश्रयों के मस्तिष्क में रहते हैं। ]

2. काव्य-सामग्री के वाचन या आस्वादन के समय पाठकों के मन में जब विभिन्न प्रकार के विचार उत्पन्न होते हैं तो वह विचार ही पाठक के मन को विभिन्न प्रकार से ऊर्जस्व बनाते हैं। अतः यह भी कहा जा सकता है कि विचारों से उत्पन्न ऊर्जा का नाम ही भाव है या भाव, विचारों से जन्य एक ऊर्जा है।

3. इस निष्कर्ष से यह तथ्य भी स्पष्ट हो जाता है कि काव्य जब पाठक के मन पर बल का कार्य करता है तो पाठक उस बल के आधार पर कुछ निर्णय लेता है। पाठक द्वारा लिए गए इस निर्णय के अनुसार ही उसके मन में विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं का निर्माण होता है, जिन्हें भाव कहा जाता है। चूंकि ऊर्जा अर्थात् भावों का प्रकटीकरण अनुभावों अर्थात् आश्रय के क्रियाकलापों में होता है अतः यहाँ यह कहना भी अतार्किक न होगा कि अनुभाव शक्ति के द्योतक होते हैं, क्योंकि विज्ञान के अनुसार शक्ति से आशय होता है-कार्य करने की दर।

डॉ. ध्रुव के तथ्यों के सहारे निकाले गए उक्त निष्कर्षों का आधार चूंकि काव्य चेतनामय होना है, अतः यह बताना भी जरूरी है कि काव्य की सारी की सारी चेतना जहाँ पाठकों को ऊर्जस्व बनाती है, वहीं काव्य का चेतनामय स्वरूप भी पूर्णतः गतिशील ऊर्जा या भाव का क्षेत्र होता है। काव्य में यह गतिशील ऊर्जा हमें आलंबन और आश्रय दोनों ही स्तरों पर देखने को मिलती है। इसी कारण प्रो. श्री कंठय्या मानते हैं कि काव्य का आस्वाद कोई निर्जीव बौद्धिक ज्ञान नहीं है, पाठक को व्यक्तित्व की प्रत्येक शिरा में उसकी मूलवर्ती प्रेरणा का ज्ञान करना पड़ता है।’’1

काव्य तथा उसके आस्वादन के विषय में आचार्य शुक्ल के तथ्यों की इस मार्मिकता को समझना अत्यंत आवश्यक है कि ‘‘जो भूख के लावण्य, वनस्थली की शुष्मा, नदी या शैलतटी की रमणीयता... जो किसी प्राणी के कष्ट व्यंजक रूप और चेष्टा पर करुणाद्र नहीं होता, जो किसी पर निष्ठुर अत्याचार होते देख क्रोध से नहीं तिलमिलाता, उसे काव्य का प्रभाव ग्रहण करने की क्षमता कभी नहीं हो सकती।2

आचार्य शुक्ल के काव्य तथा उसके आस्वादकों के विषय में प्रस्तुत किए गए उक्त विचारों से भी यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि किसी भी आश्रय में काव्य से ऊर्जा का समावेश तभी हो सकता है जबकि वह काव्य-जगत से अलग लौकिक जगत की उन सारी क्रियाओं से उद्वेलित होता रहा हो, जो कि काव्य की अभिव्यकित का विषय बनी हैं या बनती हैं। बहरहाल इस विषय की व्यापकता में न जाते हुए अपनी मूल बात पर आएँ कि चाहे काव्य-जगत के पात्र हों या लौकिक-जगत के पात्र, उनके मन में ऊर्जा के रूप में भावों का निर्माण विचार के कारण ही होता है और विचार जब तक किसी प्रकार की गतिशील अवस्था ग्रहण नहीं करते, तब तक आश्रयों के मन में किसी भी प्रकार की भावपरक ऊर्जा का निर्माण नहीं होता। इस बात को समझाने के लिए यदि हम काव्य के वैचारिक एवं भावात्मक स्वरूप पर प्रकाश डालें तो यह बात सरलता से समझ में आ जाएगी कि-

श्रृंगार रस के अंतर्गत जब तक नायिका-नायक एक-दूसरे के प्रति यह विचार नहीं करते कि ‘हमें एक-दूसरे के सामीप्य से असीम सुख मिलेगा’ तब तक उनके मन में रति के रूप में ऐसी कोई ऊर्जा जागृत नहीं हो सकती जो उन्हें चुंबन, आलिंगन तक ले जाए। ठीक इसी प्रकार किसी व्यक्ति पर निष्ठुर अत्याचार होते देख कोई यह विचार नहीं करता कि ‘अमुक व्यक्ति पर निष्ठुर रूप से अत्याचार हो रहा है, यह गलत है, इसे अत्याचारी के अत्याचार से बचाया जाना चाहिए’, तब तक क्रोध के रूप में वह ऐसी कोई ऊर्जस्व अवस्था ग्रहण नहीं कर सकता, जिसके तहत वह अत्याचारी का बढ़कर हाथ पकड़ ले या उसके जबड़े पर दो-चार घूँसे जड़ दे। कभी न समाप्त होने वाला संताप केवल मनुष्य ही झेलता है, कोई पशु नहीं, क्योंकि वह इस विचार के कारण विभिन्न प्रकार से ऊर्जस्व बना रहता है कि-‘अमुक व्यक्ति ने मेरा अपमान किया है, मुझे यातना दी है, मरा धन लूटा है, मेरी मानहानि की है’

जब तक मनुष्य के मन में इस प्रकार के विचार स्थायित्व ग्रहण किए रहेंगे, तब तक उसका मन विषाद, क्षोभ, दुःख, आक्रोश, असंतोष, क्रोध आदि के रूप में ऊर्जस्व होता रहेगा। महाभारत की नायिका द्रौपदी का अपमान जब दुःशासन और दुर्योधन ने किया तो वह इस विचार से कि-‘ मेरा भरी सभा में अपमान हुआ है और मैं चैन से तब तक नहीं बैठूंगी, जब तक कि इन दोनों की मृत्यु न देख लूँ।’ वह तब तक क्रोधावस्था की ऊर्जा ग्रहण किए रही, जब तक कि उनका अंत न हो गया । ठीक इसी प्रकार रावण से अपमानित विभीषण ने अपने क्रोध को रावणवध के उपरांत ही शांत किया। यदि छल-कपट से पांडवों का राज्य दुर्योधन ने न छीना होता तो वह इस ऊर्जस्व अवस्था को ग्रहण न करते कि पूरे कौरव वंश का ही विनाश करना पड़ता।

सारतः हम कह सकते हैं कि ऊर्जा के गतिशील स्वरूप का जब पाठक आस्वादन करते हैं तो यह गतिशील ऊर्जा उनके मन पर बल का कार्य करती है, परिणामस्वरूप उनके मन में भी काव्य-सामग्री से तरह-तरह के विचार जन्म लेते हैं, जिनकी गतिशीलता, ऊर्जा के रूप में क्रोध, रति, हास आदि में अनुभावों के माध्यम से देखी या अनुभव की जा सकती है।

----------------------------------------------------

 

clip_image002

+रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001

मो.-9634551630

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: काव्य में विचार और ऊर्जा / रमेशराज
काव्य में विचार और ऊर्जा / रमेशराज
https://lh3.googleusercontent.com/-atKt7NfqJsI/WPnityLpK2I/AAAAAAAA4Pk/Ro_O_-ShROw/clip_image001_thumb%25255B4%25255D.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-atKt7NfqJsI/WPnityLpK2I/AAAAAAAA4Pk/Ro_O_-ShROw/s72-c/clip_image001_thumb%25255B4%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/04/blog-post_76.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/04/blog-post_76.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content