इटली की लोक कथाएँ–1 : 2 तीन डैक का जहाज // सुषमा गुप्ता

SHARE:

एक बार की बात है कि एक बहुत ही गरीब पति पत्नी थे जो देश की बस्ती से काफी बाहर की तरफ रहते थे। उनके एक बच्चा हुआ पर वहाँ आस पास में कोई ऐसा...

clip_image001

एक बार की बात है कि एक बहुत ही गरीब पति पत्नी थे जो देश की बस्ती से काफी बाहर की तरफ रहते थे। उनके एक बच्चा हुआ पर वहाँ आस पास में कोई ऐसा आदमी नहीं रहता था जो उस बच्चे के बैप्टाइज़ेशन के समय उसका गौडफादर बन सकता।

वे लोग शहर भी गये पर वहाँ भी वे किसी को नहीं जानते थे। और बिना गौडफादर के वे अपने बच्चे को बैप्टाइज़ भी नहीं करा सकते थे। वे शहर से नाउम्मीद हो कर लौटने ही वाले थे कि उन्होंने चर्च के दरवाजे पर एक आदमी बैठा देखा जिसने एक काला शाल ओढ़ रखा था।

उन्होंने उससे भी पूछा — “जनाब, क्या आप मेरे इस बेटे के गौडफादर बनेंगे?” वह आदमी राजी हो गया और इस तरह उनके बच्चे का बैप्टाइज़ेशन हो गया।

बैप्टाइज़ेशन करा कर जब वे चर्च से बाहर निकले तो उस अजनबी ने कहा — “मुझे अब अपने गौडसन को कोई भेंट भी तो देनी चाहिये न, तो लो यह बटुआ लो। इस बटुए के पैसे को तुम इसका पालन पोषण करने में और इसको पढ़ाने लिखाने में खर्च करना और जब यह पढ़ना सीख जाये तो इसको यह चिठ्ठी दे देना।”

बच्चे के माता पिता बच्चे के गौडफादर की यह भेंट देख कर बड़े आश्चर्यचकित हुए। इससे पहले कि वे उसको धन्यवाद देते या उसका नाम पूछते वह आदमी तो वहाँ से गायब ही हो गया।

उसके जाने के बाद उन्होंने वह बटुआ खोल कर देखा तो वह तो सोने के क्राउन से भरा हुआ था। उनको उस पैसे को उस बच्चे की पढ़ायी लिखायी पर खर्च करना था।

जब उसने पढ़ना लिखना सीख लिया तो उसके पिता ने उसे उसके गौडफादर की दी हुई चिठ्ठी दे दी।

उस चिठ्ठी में लिखा था — “प्रिय गौडसन, मैं अपने देश से निकाले जाने के बाद अपनी राजगद्दी फिर से वापस लेने जा रहा हूँ। मुझे एक ऐसे आदमी की जरूरत है जो मेरे बाद मेरा राज्य सँभाल सके। जब तुम यह चिठ्ठी पढ़ लो तो तुम अपने गौडफादर के पास आ जाना।” – इंगलैंड का राजा।

बाद में – जब तुम मेरे पास आ रहे हो तो रास्ते में एक भेंगे आदमी से बचना, एक लंगड़े आदमी से बचना और किसी भी बाल और खाल के रोगी से बचना।

उस नौजवान ने अपने माता पिता से कहा — “पिता जी मैं चलता हूँ। अब मुझे अपने गौडफादर के पास जाना है। उन्होंने मुझे बुलाया है।”

कुछ दिनों तक चलने के बाद उसको एक यात्री मिला तो उस यात्री ने उस नौजवान से पूछा — “ओ छोटे, तुम कहाँ जा रहे हो?”

“इंगलैंड।”

“अच्छा? मैं भी वहीं जा रहा हूँ। तो चलो हम लोग साथ साथ ही चलते हैं।”

तभी उस नौजवान ने उस यात्री की आँखें देखीं तो उसने देखा कि उसकी एक आँख पूर्व की तरफ देख रही थी और दूसरी आँख पश्चिम की तरफ।

उसको लगा कि यह वही भेंगा आदमी था जिसके बारे में राजा ने उसको रास्ते में सावधान रहने के लिये कहा था इसलिये उसे इस आदमी के साथ नहीं रहना चाहिये। रुकने की पहली जगह आते ही उसने बहाना बना कर दूसरी सड़क ले ली।

कुछ और आगे जाने पर उसे एक और यात्री मिला। वह एक पत्थर पर बैठा था। इस यात्री ने भी इस नौजवान से पूछा — “क्या तुम इंगलैंड जा रहे हो? अगर ऐसा है तो हम लोग साथ साथ चलते हैं क्योंकि मैं भी उधर ही जा रहा हूँ।”

इतना कह कर वह अपने पत्थर से उठा और एक छड़ी के सहारे लँगड़ा कर चलने लगा। नौजवान ने सोचा — “अरे यह तो लंगड़ा है। मुझे इसका भी साथ छोड़ देना चाहिये। मेरे गौडफादर ने मुझे ऐसे आदमी से भी बचने के लिये कहा है।”

सो उसने वहाँ से भी अपनी सड़क बदल ली और उसको वहीं छोड़ कर आगे बढ़ गया।

कुछ दूर चलने के बाद उसको एक और यात्री मिला। उसकी आँखें उसकी टाँगों की तरह बिल्कुल ठीक थीं। उसको उसके कोई सिर की खाल की बीमारी भी नजर नहीं आ रही थी। उसके सिर पर तो अच्छे घने काले बाल थे।

पर क्योंकि वह अजनबी भी इंगलैंड जा रहा था सो वे दोनों साथ साथ चल दिये। फिर भी वह उससे कुछ डरा डरा सा ही रहा।

रास्ते में वे सोने के लिये एक सराय में रुके। अपने साथी से डर कर उस नौजवान ने अपना बटुआ और राजा की दी हुई चिठ्ठी निकाली और सँभाल कर रखने के लिये सराय के मालिक को दे दी।

रात को जब सब सो रहे थे तो वह अजनबी उठा और सराय के मालिक के पास बटुआ, चिठ्ठी और घोड़ा माँगने गया। सराय के मालिक ने समझा कि वे दोनों साथ साथ थे सो उसने उसको तीनों चीज़ें दे दीं।

सुबह को जब वह नौजवान उठा तो वह वहाँ अकेला था। उसके पास पैसे भी नहीं थे, चिठ्ठी भी नहीं थी और उसका घोड़ा भी नहीं था। वह पैदल था।

पूछने पर सराय के मालिक ने सफाई दी कि तुम्हारा नौकर रात को मेरे पास आया था और वह तुम्हारा सब सामान माँग कर ले गया और चला गया।

सो अब वह नौजवान पैदल ही चल दिया। कुछ दूर आगे चल कर सड़क के एक मोड़ पर एक खेत में लगे एक पेड़ से बँधा उसको अपना घोड़ा दिखायी दे गया।

वह उस घोड़े को वहाँ से खोलने ही वाला था कि पेड़ के पीछे से उसका वह रात वाला साथी निकल आया। उसके हाथ में एक पिस्तौल थी।

वह बोला — “अगर तुम यहीं इसी वक्त मरना नहीं चाहते तो तुम मेरे नौकर बन जाओ और तुम्हारी बजाय मैं इंगलैंड के राजा के गौडसन बनने का नाटक करूँगा।”

यह कहने के बाद ही उसने अपने काले बालों की विग अपने सिर से हटा दी तो उस नौजवान को उसका खुजली की बीमारी से ढका सिर दिखायी दे गया।

उस नौजवान के पास उसकी बात मानने के अलावा अब और कोई चारा नहीं था सो वह उसकी बात मान कर उसके साथ उसका नौकर बन कर चल दिया। वह आदमी घोड़े पर सवार था और वह नौजवान उसके पीछे पीछे पैदल जा रहा था।

आखिर वे इंगलैंड पहुँचे। राजा ने उस खुजली वाले आदमी का खुले दिल से स्वागत किया। उसको लगा कि वही उसका गौडसन था सो उसको उसने अपने गौडसन की तरह से रखा और असली गौडसन को घुड़साल में अपने घोड़ों की देखभाल के लिये नौकर रख लिया गया।

पर उस खुजली वाले यात्री को तो उस नौकर को भगाना था। उसको यह मौका भी जल्दी ही मिल गया।

एक दिन राजा ने अपने नकली गौडसन से कहा — “अगर तुम मेरी बेटी को एक जादूगर से छुड़ा दो तो मैं उसकी शादी तुमसे कर दूँगा।

किसी ने उसके ऊपर जादू करके उसको एक टापू पर रखा हुआ है। इस काम में बस एक मुश्किल है कि जो कोई भी उसको आजाद कराने गया है वह फिर ज़िन्दा वापस नहीं आया।”

उस खुजली वाले यात्री ने तुरन्त ही जवाब दिया — “आप मेरे नौकर को भेज कर देखें वह जरूर ही उसको आजाद करा कर ले आयेगा।”

राजा ने तुरन्त ही उसके नौकर को यानी अपने असली गौडसन को बुलवाया और उससे पूछा — “क्या तुम मेरी बेटी को उस टापू पर से जादूगर से आजाद करा कर ला सकते हो?”

“आपकी बेटी? कहाँ है आपकी बेटी राजा साहब?”

राजा ने फिर कहा — “वह एक टापू पर है। एक जादूगर उसको उठा कर ले गया था। पर मैं तुमको सावधान कर दूँ कि अगर तुम उसके बिना यहाँ वापस लौट कर आये तो मैं तुम्हारा सिर धड़ से अलग कर दूँगा।”

यह सुन कर वह नौजवान वहाँ से चला गया और बन्दरगाह पर आ कर जहाज़ों को आते जाते देखता रहा। उसको यह ही पता नहीं था कि वह राजकुमारी के टापू पर जाये कैसे।

वह यह सब सोच ही रहा था कि वह क्या करे कि एक बूढ़ा नाविक जिसकी सफेद दाढ़ी नीचे तक लटक रही थी उसके पास आ कर बोला — “मैं देख रहा हूँ कि तुम बहुत देर से यहाँ बैठे बैठे आते जाते जहाज़ों को देख रहे हो। क्या बात है कुछ परेशान हो?”

उस नौजवान ने उसको अपनी परेशानी बतायी तो वह बोला — “तुम राजा से तीन डैक का एक जहाज़ माँग लो।”

वह नौजवान राजा के पास गया और उससे एक तीन डैक का जहाज़ माँगा। राजा को यह सुन कर आश्चर्य तो हुआ कि उसने उससे तीन डैक का जहाज़ ही क्यों माँगा पर फिर उसने उसे एक तीन डैक का जहाज़ दे दिया।

जब वह नौजवान बन्दरगाह पर जहाज़ का लंगर उठाने के लिये तैयार हो गया तो वह बूढ़ा नाविक वहाँ फिर से प्रगट हुआ और उससे बोला — “अब तुम इस जहाज़ का एक डैक चीज़ से, दूसरा डैक डबल रोटी के चूरे से और तीसरा डैक मरे हुए जानवरों के सड़े हुए माँस से भर लो।” उस नौजवान ने ऐसा ही किया।

वह बूढ़ा फिर बोला — “जब राजा तुमसे यह कहे कि तुम अपने लिये कोई नाविक चुन लो तो तुम उससे कहना कि तुमको केवल एक ही नाविक चाहिये और फिर तुम मुझे चुन लेना।”

उस नौजवान ने फिर वैसा ही किया जैसा उस बूढ़े ने उससे करने के लिये कहा था। उसने उस बूढ़े की बतायी चीज़ों से अपना जहाज़ भर लिया और उस बूढ़े को अपना नाविक चुन लिया।

जब उसने बन्दरगाह छोड़ा तो सारा शहर उसको विदा करने के लिये किनारे पर खड़ा था। वे सब इस अजीब से सामान और केवल एक नाविक के जहाज़ को देखने के लिये खड़े थे।

वे लोग समुद्र में तीन महीने तक चलते रहे। आखिर एक रात को उन दोनों को एक लाइटहाउस दिखायी दिया। उन्होंने उस बन्दरगाह पर पहुँच कर अपना लंगर डाल दिया।

वहाँ पहुँच कर उन्होंने देखा कि वहाँ तो बहुत नीचे नीचे घर बने हुए हैं और बड़ा धीमा धीमा सा कुछ चल रहा था।

एक बारीक सी आवाज ने पूछा — “तुम्हारे जहाज़ पर क्या सामान है?”

बूढ़े नाविक ने जवाब दिया — “चीज़ के टुकड़े।”

तो किनारे से लोग बोले — “बहुत अच्छे, हमें इसी की तो जरूरत थी।”

असल में यह चूहों का टापू था। यहाँ सब चूहे ही चूहे रहते थे। उन्होंने कहा — “हम तुम्हारा सारा सामान खरीद तो लेंगे पर हमारे पास पैसे नहीं हैं ताकि हम तुम्हें उसकी कीमत दे सकें।

पर हाँ अगर तुमको कभी भी कुछ भी चाहिये तो बस तुम एक बार कह देना — “चूहो, ओ बढ़िया चूहो, आओ हमारी सहायता करो।” तो हम तुम्हारी सहायता के लिये आ जायेंगे।”

उस नौजवान और नाविक ने उस जहाज़ का तख्ता गिरा दिया और चूहों ने तुरन्त ही सारी चीज़ के टुकड़े जहाज़ से उतार लिये।

वहाँ से फिर वे लोग एक दूसरे टापू की तरफ चले। इत्तफाक से वहाँ पर भी वे रात को ही पहुँचे तो वहाँ भी उनको यह पता नहीं चला कि उस टापू पर क्या हो रहा है।

यह जगह पहली जगह से भी ज़्यादा खराब थी क्योंकि यहाँ न तो कोई घर था और न ही कोई पेड़। अँधेरे में से एक आवाज आयी — “तुम क्या सामान लाये हो?”

नाविक ने जवाब दिया — “हमारे पास डबल रोटी का चूरा है।”

“बहुत बढ़िया। बहुत बढ़िया। हमको भी यही चाहिये था।”

यह टापू चींटियों का था और यहाँ केवल चींटियाँ ही चींटियाँ रहती थीं। इनके पास भी डबल रोटी के चूरे को खरीदने के लिये पैसे नहीं थे पर इन्होंने भी वही कहा — “हमारे पास डबल रोटी खरीदने के लिये पैसे तो नहीं हैं जो हम तुमको उसकी कीमत दे सकें।

पर हाँ अगर तुमको कभी भी कुछ भी चाहिये तो बस तुम एक बार कह देना — “चींटियो, ओ अच्छी चींटियो, आओ हमारी सहायता करो।” तो हम तुम्हारी सहायता के लिये आ जायेंगे।”

नाविक ने जहाज़ का तख्ता गिरा दिया और उन चींटियों ने जहाज़ में से डबल रोटी का चूरा उठाना शुरू कर दिया। वे सारी सुबह और सारी शाम उस डबल रोटी के चूरे को उतारने में लगी रहीं। और जहाज़ वहाँ से फिर आगे चल दिया।

इस बार वह जहाज़ एक ऐसे टापू पर रुका जो पहाड़ी था। वहाँ सब जगह ऊँची ऊँची पहाड़ियाँ थीं। ऊपर से एक आवाज आयी — “तुम क्या सामान ले कर आये हो?”

“मरे हुए जानवरों का सड़ा हुआ माँस।”

“बहुत अच्छे बहुत अच्छे। हमको यही चाहिये था।”

कह कर एक बड़ा सा साया नीचे उतरा और जहाज़ के ऊपर आ कर बैठ गया। यह टापू गिद्धों का था और यहाँ पर केवल लालची गिद्ध रहते थे। वे सारा का सारा माँस जहाज़ से उठा कर अपने टापू पर ले गये। इनके पास भी देने के लिये पैसे नहीं थे सो इन्होंने भी इन दोनों की सहायता करने का वायदा किया।

इन्होंने भी यही कहा — “हमारे पास पैसे तो नहीं हैं तुमको देने के लिये पर अगर तुमको कभी भी कुछ भी चाहिये तो बस तुम एक बार कह देना — “गिद्धो, ओ अच्छे गिद्धो, आओ हमारी सहायता करो।” तो हम तुम्हारी सहायता के लिये आ जायेंगे।”

गिद्धों से सहायता का वायदा ले कर वह नौजवान और बूढ़ा नाविक वहाँ से भी चल दिये। कई महीने तक चलते रहने के बाद वे अब उस टापू पर पहुँच गये जहाँ इंगलैंड के राजा की बेटी कैद थी। वे वहाँ उतर गये और एक लम्बी सी गुफा से हो कर एक बड़े महल के सामने के बागीचे में निकल आये।

उनको देख कर एक बौना उनके पास आया तो नौजवान ने उससे पूछा — “क्या इंगलैंड के राजा की बेटी यहीं कैद है?”

बौना बोला — “आइये और आ कर परी सबियाना से पूछ लीजिये।” यह कह कर वह उनको महल में ले गया।

उस महल के फर्श सोने के थे और दीवारें क्रिस्टल की थीं। परी सबियाना सोने और क्रिस्टल के एक सिंहासन पर बैठी थी।

पूछने पर परी बोली — “यहाँ तो बहुत सारे राजा और राजकुमार अपनी सारी सेना ले कर इंगलैंड की राजकुमारी को छुड़ाने के लिये आये पर सब मारे गये।”

इस पर वह नौजवान बोला — “मेरे पास तो केवल मेरी इच्छा और साहस है।”

परी बोली — “तब तुमको तीन इम्तिहान देने होंगे। अगर तुम उनमें फेल हुए तो तुम यहाँ से ज़िन्दा बच कर नहीं जा पाओगे।

पहला इम्तिहान – क्या तुम वह पहाड़ देख रहे हो? उसने मेरा सूरज का देखना रोक रखा है। कल सुबह तक तुम्हें उसे हटाना है। मैं जब कल सुबह उठूँ तो मुझे सूरज की किरनें अपने कमरे में आती दिखायी देनी चाहिये।”

इतने में ही एक बौना एक कुल्हाड़ी ले कर आ गया और उस नौजवान को उस पहाड़ के नीचे तक ले गया। उस नौजवान ने वह कुल्हाड़ी उठा कर एक बार उस पहाड़ में मारी तो उसका लोहे वाला टुकड़ा दो हिस्सों में टूट गया।

वह सोचने लगा कि अब वह उस पहाड़ को कैसे खोदे तभी उसको पहले टापू वाले चूहे याद आये। बस वह तुरन्त बोला — “चूहो, ओ बढ़िया चूहो, आओ हमारी सहायता करो।”

उसके मुँह से अभी ये शब्द पूरी तरीके से निकले भी नहीं थे कि उसके सामने के पूरे पहाड़ पर ऊपर से नीचे तक चूहे ही चूहे दिखायी दे रहे थे। बस वे उस पहाड़ को खोदते रहे और खोदते रहे और उसको चौरस बनाते रहे। आखिर वह सारा का सारा पहाड़ टूट कर नीचे बिखर गया।

अगली सुबह जब परी सबियाना सो कर उठी तो उसका सारा कमरा सूरज की किरनों से भरा हुआ था। उसने उस नौजवान को बधाई दी और बोली — “पर अभी तुम्हारा काम खत्म नहीं हुआ है।”

कह कर वह उसको महल के तहखाने में ले गयी जिसके बीच में एक कमरा था जिसकी छत किसी चर्च की छत जितनी ऊँची थी। उसमें मटर और मसूर के मिले जुले दानों का एक इतना बड़ा ढेर लगा था कि वह तहखाने की छत तक पहुँच रहा था।

परी सबियाना ने कहा — “तुम्हारे पास एक पूरी रात है उसमें तुम इन मटर और मसूर के दानों को दो अलग अलग ढेरों में लगा दो। भगवान तुम्हारी सहायता करे। अगर तुम्हारी मसूर का एक भी दाना मटर में रह गया या मटर का एक भी दाना मसूर में रह गया तो बस...।”

एक बौना उसको एक जलती हुई मोमबत्ती दे कर छोड़ गया और उसके साथ साथ परी भी चली गयी।

मोमबत्ती धीरे धीरे जल कर खत्म हो गयी और वह नौजवान वहाँ बैठा यही सोचता रह गया कि वह यह काम कैसे करे। यह काम तो किसी भी इन्सान के लिये एक रात में करना नामुमकिन था।

तभी उसको दूसरे टापू पर रहने वाली चीटियों की याद आयी और वह बोला — “चींटियो, ओ अच्छी चींटियो, आओ हमारी सहायता करो।”

बस जैसे ही उसके मुँह से ये शब्द निकले कि सारा कमरा उन छोटी छोटी चींटियों से भर गया। वे उस ढेर पर चढ़ गयीं और अपने धीरज और मेहनत से उन्होंने मटर और मसूर दोनों को अलग अलग करके उनके दो ढेर बना दिये।

अगले दिन जब परी ने देखा कि इस नौजवान ने तो यह काम भी कर दिया तो बोली — “पर मैंने भी अभी तक हार नहीं मानी है। अभी इससे भी ज़्यादा मुश्किल काम तुम्हारे इन्तजार में है।”

फिर वह उस नौजवान से बोली — “तुमको रात भर में मेरे लिये एक बैरल लम्बी ज़िन्दगी का पानी लाना पड़ेगा।”

लम्बी ज़िन्दगी के पानी का सोता एक बड़े ऊँचे पहाड़ की चोटी पर था जहाँ बहुत सारे जंगली जानवर रहते थे। उस पहाड़ पर चढ़ जाने का ही सवाल पैदा नहीं उठता था तो वहाँ से पानी लाना तो बहुत दूर की बात थी।

तभी उसको गिद्धों का ध्यान आया और उसने गिद्धों को याद किया — “गिद्धो, ओ अच्छे गिद्धो, आओ हमारी सहायता करो।” उसके मुँह से इन शब्दों के निकलने की देर थी कि सारा आसमान गिद्धों से भर गया।

उस नौजवान ने एक एक शीशी सब गिद्धों के गले में बँाध दी। वे सारे गिद्ध उन शीशियों को ले कर उस पहाड़ी की चोटी पर उड़ गये और उस लम्बी ज़िन्दगी के पानी के सोेते के पानी से अपनी अपनी शीशियाँ भर लीं।

वे उन शीशियों को ले कर नीचे आ गये। नौजवान ने सारी शीशियों का पानी अपने पास रखे एक बैरल में उँडेल दिया।

जब वह बैरल भर गया तो उसको भागते हुए पैरों की आवाज सुनायी पड़ी। उसने देखा कि परी सबियाना तो अपनी जान बचा कर भाग रही थी। उसके पीछे पीछे उसके बौने भी भाग रहे थे।

उधर इंगलैंड के राजा की बेटी महल से खुशी से चिल्लाती हुई भागी आ रही थी — “ओह, आखिर मैं सुरक्षित हूँ। तुमने मुझे आजाद कर दिया राजकुमार। तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद।”

राजा की बेटी और लम्बी ज़िन्दगी का पानी दोनों को साथ ले कर वह नौजवान वापस जहाज़ पर लौटा। वहाँ वह बूढ़ा नाविक लंगर उठा कर वापस जहाज़ खेने के लिये तैयार था।

उधर इंगलैंड का राजा अपनी दूरबीन से रोज समुद्र की तरफ देखता था कि कब वह नौजवान उसकी बेटी को ले कर आयेगा।

कि एक दिन उसने एक जहाज़ समुद्र में आता देखा जिसके ऊपर इंगलैंड का झंडा लगा हुआ था। उसको देख कर वह बहुत खुश हुआ और तुरन्त बन्दरगाह की तरफ दौड़ गया।

पर जब उस खाल की बीमारी वाले ने उस नौजवान को राजा की बेटी के साथ सुरक्षित आते देखा तो उसने सोच लिया कि अब तो वह उसको मरवा कर ही दम लेगा।

राजा अपनी बेटी को देख कर बहुत खुश हुआ और उसने उसके सुरक्षित वापस लौट कर आने की खुशी में एक बहुत बड़ी दावत का इन्तजाम किया।

जब राजा की वह दावत चल रही थी तो दो लोग उस नौजवान को लेने के लिये आये और उससे कहा कि तुम हमारे साथ अभी अभी चलो क्योंकि यह तुम्हारी ज़िन्दगी और मौत का मामला है।

वह बेचारा नौजवान उनके पीछे पीछे चल दिया। वे दोनों उसको एक जंगल में ले गये। वे दोनों आदमी उस खुजली की बीमारी वाले आदमी के किराये पर लिये गये आदमी थे। उन दोनों आदमियों ने अपने अपने चाकू निकाले और उसका गला काट दिया।

इस बीच दावत में राजा की बेटी उस नौजवान के बारे में बहुत चिन्तित थी क्योंकि जबसे वह नौजवान उन दो अजीब से दिखने वाले आदमियों के साथ गया था वापस ही नहीं लौटा था। उसे गये हुए काफी देर हो गयी थी।

उसको ढूँढने के लिये वह बाहर निकली तो उनका पीछा पीछा करते करते वह भी जंगल में पहुँच गयी। वहाँ उसने उस नौजवान का घावों से भरा शरीर देखा।

उधर राजकुमारी को बाहर जाता देख कर वह बूढ़ा नाविक भी उसके पीछे पीछे हो लिया। उसको कुछ खतरा लगा तो उसने वह लम्बी ज़िन्दगी के पानी का बैरल भी साथ रख लिया।

उस नौजवान को वहाँ उस हालत में पड़ा देख कर बूढ़े नाविक ने तुरन्त ही उसका शरीर उठा कर उस बैरल में डुबो दिया।

वह नौजवान तो तुरन्त ही पानी में से उछल कर बाहर आ गया। वह बिल्कुल ठीक था और ठीक ही नहीं बल्कि वह इतना सुन्दर भी हो गया था कि राजकुमारी ने उसके गले में अपनी बाँहें डाल दीं।

खुजली वाले आदमी को यह सब देख कर बहुत गुस्सा आया। उसने पूछा — “इस बैरल में क्या है?”

बूढ़े नाविक ने कहा — “उबलता हुआ तेल।”

बूढ़े नाविक ने एक और बैरल जिसमें तेल भरा था उस खुजली वाले आदमी को दे दिया। उस खुजली वाले आदमी ने उस तेल को उबलने के लिये उस बैरल को आग पर रखवा दिया और राजकुमारी से बोला — “अगर तुम मुझे प्यार नहीं करोगी तो मैं मर जाऊँगा।”

कह कर उसने एक चाकू अपने आपको मार लिया और फिर उस उबलते तेल में गिर पड़ा। वह तुरन्त ही मर गया। जब वह तेल में कूदा तो उसके सिर की विग निकल गयी और उसका खुजली वाला सिर दिखायी दे गया।

उसको देखते ही राजा चिल्लाया — “अरे यह तो खुजली के सिर वाला आदमी है, मेरे दुश्मनों में से सबसे ज़्यादा बेरहम दुश्मन। आखिर इसको अपने कामों का फल मिल ही गया।”

फिर वह उस नौजवान से बोला — “इसका मतलब है कि तुम मेरे असली गौडसन हो वह नहीं। अब तुम ही मेरी बेटी से शादी करोगे और मेरे बाद इस देश के राजा बनोगे।”

---

सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं की एक अन्य पुस्तक - रैवन की लोक कथाएँ में से एक लोक कथा यहाँ पढ़ सकते हैं. इथियोपिया की 45 लोककथाओंको आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी...)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: इटली की लोक कथाएँ–1 : 2 तीन डैक का जहाज // सुषमा गुप्ता
इटली की लोक कथाएँ–1 : 2 तीन डैक का जहाज // सुषमा गुप्ता
https://lh3.googleusercontent.com/-JoWODlDRUwY/Wc80Up9MRdI/AAAAAAAA7Ws/uzS2Y_7FQ_w-S65FimEjxOPEinhTFZV0gCHMYCw/clip_image001_thumb?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-JoWODlDRUwY/Wc80Up9MRdI/AAAAAAAA7Ws/uzS2Y_7FQ_w-S65FimEjxOPEinhTFZV0gCHMYCw/s72-c/clip_image001_thumb?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/09/1-2_30.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/09/1-2_30.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content