इटली की लोक कथाएँ–1 : 5 एक लाश // सुषमा गुप्ता

SHARE:

एक बार की बात है कि इटली में एक विधवा स्त्री रहती थी जिसके एक बेटा था। उसका नाम था जैक । जब वह 13 साल का हुआ तो वह घर छोड़ कर दुनिया में अप...

clip_image002

एक बार की बात है कि इटली में एक विधवा स्त्री रहती थी जिसके एक बेटा था। उसका नाम था जैक । जब वह 13 साल का हुआ तो वह घर छोड़ कर दुनिया में अपनी किस्मत आजमाने जाना चाहता था।

उसकी माँ ने उससे पूछा — “बेटा, तुम ऐसा कैसे सोचते हो कि अभी दुनिया में जा कर तुम कुछ कर सकते हो? तुम अभी बच्चे हो। जब तक तुम इस लायक न हो जाओ कि हमारे घर के पीछे लगा पाइन का पेड़ एक ही बार की ठोकर से गिरा सको तब तक तुमको बाहर नहीं जाना चाहिये।”

यह सुन कर जैक रोज सुबह उठ कर दौड़ता और दौड़ कर अपने दोनों पैरों से उस पाइन के पेड़ को मारता पर वह एक इंच भी हिल कर नहीं देता बल्कि वह खुद ही पीछे को पीठ के बल गिर पड़ता।

आखिर एक दिन जब उसने अपनी पूरी ताकत लगा कर उस पेड़ को धक्का दिया और वह जमीन पर आ गिरा और उसकी जड़ें हवा में दिखायी देने लगीं तो जैक तुरन्त ही भागा भागा अपनी माँ के पास गया और बोला — “देखो माँ, आज मैंने वह पाइन का पेड़ नीचे गिरा दिया।”

उसकी माँ ने वह गिरा हुआ पाइन का पेड़ देखा तो बोली — “मेरे बेटे, अब तुम कहीं भी जा सकते हो और जो तुम्हारे मन में आये वह कुछ भी कर सकते हो।”

सो जैक ने अपनी माँ को विदा कहा और दुनिया में अपनी किस्मत आजमाने चल दिया। काफी दिनों तक चलने के बाद वह एक ऐसे शहर में आया जिसके राजा के पास एक घोड़ा था जिसका नाम था रौनडैलो ।

अभी तक उस घोड़े पर कोई सवारी नहीं कर सका था। लोग उस पर चढ़ने की बराबर कोशिश करते रहे पर वे उस पर अभी तक तो कभी चढ़ नहीं पाये थे। जब भी कोई उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश करता तो वह घोड़ा बार बार उसको नीचे गिरा देता था।

जैक भी उस घोड़े को देखने गया तो उसने उसको देखते ही पहचान लिया कि वह घोड़ा अपने साये से डरता था सो जैक ने खुद उसके ऊपर चढ़ने का प्रस्ताव रखा। राजा ने उसको सावधानी बरत कर उस घोड़े पर चढ़ने की इजाज़त दे दी।

वह उस घुड़साल में गया जहाँ पर वह घोड़ा बँधा हुआ था। वहाँ उसने घोड़े से कुछ बात की, उसको थपथपाया और फिर अचानक ही उसके ऊपर कूद कर चढ़ गया और चाबुक मार कर उसको बाहर धूप में ले गया। इस तरह से न तो वह अपनी परछाँई ही देख सका और न ही वह अपने सवार को नीचे ही गिरा सका।

जैक ने घोड़े की लगाम आराम से पकड़ ली, अपने घुटनों से घोड़े को दबाया और उसको ले कर उड़ चला। 15 मिनट में ही वह घोड़ा उसका मेमने की तरह पालतू हो गया। पर वह केवल जैक का ही पालतू था। वह अभी भी किसी और को अपने ऊपर नहीं चढ़ने देता था।

उस दिन के बाद से जैक राजा के यहाँ काम करने लगा। राजा भी उसको इतना पसन्द करने लगा था कि राजा के दूसरे नौकर उससे जलने लगे। एक दिन कुछ नौकरों ने मिल कर उसको मारने का जाल बिछाया।

इस राजा के एक बेटी थी। जब वह बहुत छोटी थी तो उसको लाश नाम का एक जादूगर उठा कर ले गया था और तबसे उसके बारे में किसी ने कुछ भी नहीं सुना था।

इस जाल के अनुसार वे नौकर लोग राजा के पास गये और बोले — “यह जैक अपनी बहुत डींगें हाँकता है तो क्यों न उसको राजकुमारी को आजाद कराने का काम सौंप दिया जाये।”

राजा के यह बात समझ में आ गयी। उसने जैक को बुलाया और उसको राजकुमारी का सारा किस्सा बताया। जैक को यह सुन कर बड़ा आश्चर्य हुआ कि राजा के कोई बेटी भी थी।

ऐसा इसलिये हुआ कि जबसे उस जादूगर ने उस राजकुमारी को भगाया था तबसे किसी की यह हिम्मत नहीं हुई थी कि कोई उसके बारे में बात भी करे क्योंकि इस बात से राजा बहुत दुखी होता था।

कुछ दिन बाद तो राजा ने यहाँ तक कह दिया कि अगर कोई उसको वापस ला सकता है तो वापस ले आये नहीं तो उसकी बात भी करने की जरूरत नहीं है। उस दिन के बाद से राजा को शान्ति नहीं थी। इसलिये जैक को इस बात का कोई पता ही नहीं था।

जैक ने दीवार पर लगी हुई एक जंग लगी हुई तलवार माँगी और अपने रौनडैलो पर सवार हो कर राजकुमारी की खोज में चल दिया।

जब वह जंगल पार कर रहा था तो वहाँ उसको एक शेर मिला। वह शेर उसको रुकने का इशारा कर रहा था। यह देख कर वह कुछ परेशान सा हो गया पर फिर भी वहाँ से उसको भागना भी अच्छा नहीं लगा सो वह अपने घोड़े पर से उतरा और उस शेर से पूछा कि वह उससे क्या चाहता था।

शेर बोला — “जैक, जैसा कि तुम देख रहे हो यहाँ हम केवल चार लोग हैं – एक मैं, एक कुत्ता, एक यह गरुड़ और एक यह चींटी।

हमारे पास यह एक मरा हुआ गधा है जिसे हम आपस में बाँटना चाहते हैं पर बाँट नहीं पा रहे हैं। क्योंकि तुम्हारे पास तलवार है इसलिये तुम इस जानवर को काट कर हम सबको हमारा हिस्सा आसानी से दे सकते हो।”

जैक ने गधे का सिर काटा और चींटी को दिया और बोला — “यह लो, इस सिर में तुम आराम से रह सकती हो और इसमें से अपना खाना भी खा सकती हो।”

फिर उसने गधे के खुर काटे और कुत्ते को दे दिये — “लो ये खुर तुम लो। तुम इन खुरों को चाहे जब तक चबा सकते हो।”

उसके बाद उसने गधे के शरीर के अन्दर का हिस्सा आँत आदि निकाले और गरुड़ को दे दिये — “लो गरुड़, तुम इस गधे का यह अन्दर का हिस्सा लो। तुम इनको पेड़ पर ले जा सकते हो और वहाँ बैठ कर आराम से खा सकते हो।”

बाकी बचा हिस्सा उसने शेर को दे दिया जो उन चारों में से उसको मिलना ही चाहिये था।

फिर वह अपने घोड़े के पास लौट आया और उस पर सवार हो कर अपने रास्ते चल दिया कि उसने पीछे से किसी को अपना नाम पुकारते हुए सुना।

उसने सोचा — “ओह, लगता है कि गधे को बाँटने में मुझसे कहीं कोई गलती हो गयी है।” पर ऐसा कुछ नहीं था।

शेर बोला — “तुमने हमारा बहुत बड़ा काम किया है और तुमने यह काम बहुत ही न्यायपूर्वक किया है। जैसे एक अच्छा काम किसी दूसरे अच्छे काम का बीज होता है तो मैं तुमको अपना एक पंजा देता हूँ। तुम जब भी इसको पहनोगे तो यह तुमको दुनिया के सबसे ज़्यादा भयानक शेर में बदल सकता है।”

इस पर कुत्ता बोला — “मैं तुमको अपनी मूँछ का एक बाल देता हूँ। जब भी तुम इसको अपनी नाक के नीचे रखोगे तो तुम दुनिया के सबसे तेज़ भागने वाले कुत्ते बन जाओगे।”

इसके बाद गरुड़ बोला — “यह मेरे पंखों में से एक पंख ले जाओ जो तुमको दुनिया का सबसे बड़ा और ताकतवर गरुड़ बना देगा।”

चींटी बोली — “मैं तुमको अपनी एक छोटी सी टाँग देती हूँ। जब भी तुम इसको अपने शरीर पर रखोगे तो तुम एक चींटी बन जाओगे – इतनी छोटी सी चींटी कि तुमको कोई देख भी नहीं पायेगा – आतशी शीशे से भी नहीं।”

जैक ने वे चारों चीज़ें ले लीं, चारों को धन्यवाद दिया और वहाँ से चल दिया। उसे उन जानवरों की भेंटों पर विश्वास नहीं था कि वे काम करेंगी भी या नहीं।

यही सोचते हुए कि कहीं जानवरों ने उसके साथ कोई मजाक न किया हो वह आगे जा कर एक ऐसी जगह रुक गया जहाँ से वह उनको दिखायी नहीं दे सकता था।

वहाँ उसने एक एक करके सब भेंटों को जाँचा – पहले वह शेर बना, फिर कुत्ता बना, फिर गरुड़ बना और फिर चींटी बना। सब कुछ जादू की तरह ठीक काम कर रहे थे। यह देख कर वह बहुत खुश हुआ और आगे चल दिया।

जंगल के उस पार एक झील थी। जंगल पार करके वह उस झील के पास आ गया। उस झील के किनारे पर ही उस लाश जादूगर का महल था।

वहाँ आ कर जैक ने अपने आपको गरुड़ में बदला और उड़ कर उस लाश जादूगर के महल के एक कमरे की एक बन्द खिड़की पर जा कर बैठ गया। वहाँ जा कर वह एक छोटी सी चींटी में बदल गया और उस कमरे की बन्द खिड़की से हो कर उस कमरे में घुस गया।

वह एक सुन्दर सा सोने का कमरा था जहाँ छत वाला एक पलंग पड़ा था और उस पलंग पर एक राजकुमारी सो रही थी। चींटी के रूप में ही वह राजकुमारी के ऊपर घूमने लगा।

वह उसके गाल पर भी गया। वह उसके ऊपर तब तक घूमता रहा जब तक कि वह जाग नहीं गयी। फिर उस लड़के ने अपने ऊपर से चींटी की वह छोटी टाँग हटा दी तो राजकुमारी ने अपने सामने एक बहुत सुन्दर नौजवान को खड़ा पाया।

यह सब देख कर वह आश्चर्य से कुछ बोलने ही वाली थी कि जैक ने अपने मुँह पर उँगली रख कर उसको चुप रहने का इशारा करते हुए कहा — “डरो नहीं। मैं तुमको यहाँ से आजाद कराने आया हूँ। तुमको उस जादूगर से बस यह मालूम करना है कि वह किस तरह से मर सकता है।”

उसने अभी इतना ही कहा था कि उसको किसी के आने की आहट सुनायी दी सो वह फिर से चींटी बन कर वहीं एक कोने में छिप गया।

जब वह जादूगर आया तो राजकुमारी ने उससे बड़े प्यार से बात की। उसको अपने पाँवों के पास बिठाया और उसका सिर अपनी गोद में रख लिया।

फिर वह बोली — “मेरे प्रिय जादूगर, मैं जानती हूँ कि तुम बिना आत्मा का शरीर हो और इसी लिये तुम मर नहीं सकते पर मुझे हमेशा डर लगा रहता है कि कोई भी कभी भी तुम्हारी आत्मा को ढूँढ लेगा और फिर तुमको मार देगा।”

जादूगर यह सुन कर बहुत ज़ोर से हँसा और काफी देर तक हँसता ही रहा। फिर बोला — “तुमको इससे डरने की बिल्कुल जरूरत नहीं है मेरी रानी। मैं तुमको इसका भेद बताता हूँ। क्योंकि तुम यहाँ जेल में बन्द हो और तुम मुझे धोखा भी नहीं दे सकतीं इसी लिये मैं तुम्हें यह बात बता रहा हूँ।

मुझे मारने के लिये एक बहुत ही ताकतवर शेर चाहिये जो जंगल में रह रहे काले शेर को मार सके। उस मरे हुए काले शेर के पेट में से एक काला कुत्ता कूद कर बाहर आयेगा। वह कुत्ता भी इतनी तेज़ी से बाहर कूदेगा कि कोई सबसे ज़्यादा तेज़ भागने वाला कुत्ता ही उसको पकड़ सकता है।

फिर उस कुत्ते को मारना पड़ेगा। उस मरे हुए कुत्ते में से एक गरुड़ उड़ेगा जो दुनिया के सबसे ज़्यादा तेज़ उड़ने वाले गरुड़ों में से एक होगा। इसलिये उसको भी कोई नहीं पकड़ सकेगा।

पर अगर उसको किसी ने पकड़ लिया और उसे मार दिया तो उसको उसके पेट से उसे एक अंडा निकालना पड़ेगा जिसको मेरी भौंह के ऊपर तोड़ना पड़ेगा।

उस अंडे के टूटते ही उसमें से मेरी आत्मा निकल कर भाग जायेगी और मैं मर जाऊँगा। अब बताओ क्या तुम मेरे बारे में अभी भी चिन्तित होगी?”

“नहीं नहीं। अब मुझे तुम्हारे मरने की बिल्कुल भी चिन्ता नहीं है क्योंकि इस तरह से तो तुमको कोई मार ही नहीं सकता।”

जैक ने यह सब उस कोने में बैठे-बैठे सुन लिया। जादूगर के जाने के बाद वह वहाँ से चींटी के रूप में ही खिड़की से बाहर निकल गया और गरुड़ बन कर जंगल की तरफ उड़ गया।

वहाँ जा कर वह शेर में बदल गया और काले शेर को ढूँढने चला। काला शेर उसको जल्दी ही मिल गया। वह काला शेर काफी ताकतवर था पर जैक तो सबसे ज़्यादा ताकतवर शेर था सो उसने उस काले शेर को दबोच लिया और मार दिया। जैसे ही शेर मरा तो किले में जादूगर का सिर चकराने लगा।

शेर को मार कर जैक ने उसका पेट फाड़ा तो उसमें से एक तेज़ भागने वाला काला कुत्ता निकल कर भागा। जैक ने तुरन्त ही अपने आपको सबसे तेज़ भागने वाले कुत्ते में बदला और उस काले कुत्ते के पीछे भाग लिया।

उसने उस काले कुत्ते को भी जल्दी ही पकड़ लिया और उस पर कूद पड़ा। दोनों लुढ़कने लगे और एक दूसरे को काटने लगे पर आखीर में जैक ने उस काले कुत्ते को भी मार दिया। कुत्ते को मार कर जैक ने उसका पेट फाड़ा तो एक काला गरुड़ उसके पेट में से निकल कर उड़ गया।

जैक भी जल्दी से गरुड़ बन गया और उसके पीछे-पीछे उड़ चला। उस काले गरुड़ को मार कर उसने उसके पेट में से काला अंडा निकाल लिया। अंडा निकालते ही जादूगर को किले में बुखार आ गया और वह अपने बिस्तर में सिकुड़ा सा लेट गया।

गरुड़ के पेट से अंडा निकाल कर जैक आदमी बन गया और वह अंडा ले कर राजा की बेटी पास वापस आ गया। राजा की बेटी उस अंडे को देख कर बहुत खुश हो गयी।

उसने पूछा — “पर तुमने यह सब किया कैसे?”

“इसमें कोई ऐसी खास बात नहीं थी। मैंने तो अपना काम कर दिया बस अब तुम्हारा काम बाकी है।”

राजा की बेटी वह अंडा ले कर जादूगर के सोने के कमरे में घुसी और उससे पूछा — “तुमको कैसा लग रहा है जादूगर?”

“उफ तुमने तो मुझे धोखा दे दिया।”

“देखो न मैं तुम्हारे लिये यह माँस का पानी ले कर आयी हूँ। इसे थोड़ा सा पी लो तो तुमको आराम मिलेगा और थोड़ी ताकत भी आ जायेगी।”

यह सुन कर जादूगर उठ कर बैठा हो गया और वह माँस का पानी पीने के लिये झुका तो राजा की बेटी बोली — “लाओ इसमें मैं एक अंडा तोड़ कर और डाल दूँ इससे तुमको और ज़्यादा ताकत आयेगी।”

कह कर राजा की बेटी ने वह काला अंडा उस जादूगर की भौंह के ऊपर तोड़ दिया और वह बिना आत्मा का शरीर वहीं की वहीं मर गया।

जैक राजा की बेटी को ले कर राजा के महल आ गया और उसको उसके पिता को सौंप दिया। सब लोग राजकुमारी को देख कर बहुत खुश हो गये।

पर वे नौकर जिनकी यह चाल थी जैक को अपने काम में सफल देख कर केवल अपना मन मसोस कर रह गये। कुछ कर नहीं सके। उनकी चाल फेल हो गयी थी।

बाद में राजा ने अपनी बेटी की शादी जैक से कर दी।

---

सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं की एक अन्य पुस्तक - रैवन की लोक कथाएँ में से एक लोक कथा यहाँ पढ़ सकते हैं. इथियोपिया की 45 लोककथाओंको आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी...)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: इटली की लोक कथाएँ–1 : 5 एक लाश // सुषमा गुप्ता
इटली की लोक कथाएँ–1 : 5 एक लाश // सुषमा गुप्ता
https://lh3.googleusercontent.com/-ZCJjyZInwLQ/Wc9Fq6EyzFI/AAAAAAAA7Xk/DhZTm_CMJN8MkWJFYWqtnTxxoXImKDBmgCHMYCw/clip_image002_thumb?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-ZCJjyZInwLQ/Wc9Fq6EyzFI/AAAAAAAA7Xk/DhZTm_CMJN8MkWJFYWqtnTxxoXImKDBmgCHMYCw/s72-c/clip_image002_thumb?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/09/1-5_30.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/09/1-5_30.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content