इटली की लोक कथाएँ–1 : 8 एक छोटी लड़की जो नाशपाती के साथ बेची गयी // सुषमा गुप्ता

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एक बार एक आदमी के पास एक नाशपाती का पेड़ था जिसमें हर साल चार टोकरी नाशपाती आती थी। वह ये नाशपाती राजा को दे आया करता था। एक साल ऐसा हुआ कि...

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एक बार एक आदमी के पास एक नाशपाती का पेड़ था जिसमें हर साल चार टोकरी नाशपाती आती थी। वह ये नाशपाती राजा को दे आया करता था।

एक साल ऐसा हुआ कि उसमें केवल साढ़े तीन टोकरी नाशपाती ही आयीं जबकि राजा को उसको चार टोकरी नाशपाती दे कर आनी थी। अब वह क्या करे।

जब उसको कोई और रास्ता नहीं सूझा तो उसने चौथी टोकरी में अपनी सबसे छोटी लड़की को रख दिया। उसको नाशपाती और उसके पत्तों से ढक दिया और उस टोकरी को बाकी की तीन टोकरियों के साथ राजा के महल में दे आया।

सारी टोकरियाँ राजा के रसोई भंडार में ले जायी गयीं। वहाँ वह लड़की उन नाशपातियों के नीचे छिपी रही। पर जब उसको वहाँ कुछ और खाने को नहीं मिला तो वह अपने ऊपर रखी हुई नाशपातियों को ही खाने लगी।

कुछ समय बाद नौकरों ने देखा कि उन टोकरियों में से नाशपातियाँ कुछ कम हो रही थीं और साथ में उन्होंने कुछ कुतरी हुई नाशपातियाँ भी देखीं।

उन्होंने सोचा कि जरूर ही कहीं या तो कोई चूहा है और या फिर कोई मोल है जो नाशपातियाँ कुतर रहा है। हमें टोकरी के अन्दर देखना चाहिये कि उसके अन्दर तो कुछ नहीं है।

सो उन्होंने एक टोकरी में से ऊपर से कुछ नाशपातियाँ और उसके कुछ पत्ते हटाये तो उनको उसमें वह छोटी लड़की दिखायी दे गयी।

उन्होंने उससे पूछा — “अरे तुम यहाँ क्या कर रही हो? चलो हमारे साथ चलो और चल कर राजा की रसोई में काम करो।”

उन्होंने उसको वहाँ से निकाल लिया और उसको परीना नाम दे दिया। परीना इतनी होशियार लड़की थी कि बहुत थोड़े समय में ही वह राजा की बहुत सारी नौकरानियों से भी अच्छा काम करने लगी।

वह सुन्दर भी इतनी थी कि कोई उसको प्यार किये बिना रह ही नहीं सकता था।

राजा का एक बेटा था जो उसी की उम्र का ही था। वह तो उसको छोड़ता ही नहीं था। वह हमेशा ही उसके साथ साथ रहता। वे दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे।

जैसे जैसे वह लड़की बड़ी होती गयी दूसरी नौकरानियाँ उससे और ज़्यादा जलने लगीं। पहले तो कुछ समय तक तो वे चुप रहीं पर फिर वे परीना को यह इलजाम देने लगीं कि वह यह शान बघारती है कि वह जादूगरनी का खजाना चुरा सकती है।

राजा को इस बात की हवा लगी तो उसने उस लड़की को बुला भेजा। उसने उससे पूछा — “क्या तुम यह कह रही थीं कि तुम जादूगरनी का खजाना चुरा कर ला सकती हो?”

“नहीं जहाँपनाह नहीं, मैंने तो ऐसी कुछ भी शान नहीं बघारी।”

राजा ने ज़ोर दे कर कहा — “नहीं, तुमने ऐसा कहा है। मैंने ऐसा ही सुना है और अब तुमको अपना कहा करके दिखाना पड़ेगा।” और यह कह कर उसने परीना को उस जादूगरनी का खजाना लाने के लिये अपने महल से बाहर भेज दिया।

परीना महल से निकल कर चलती रही चलती रही जब तक कि रात नहीं हो गयी। रात होने पर वह एक सेब के पेड़ के पास आयी पर वह वहाँ रुकी नहीं बल्कि चलती ही गयी।

उसके बाद वह एक खूबानी के पेड़ के पास आयी पर वह वहाँ भी नहीं रुकी। लेकिन फिर वह एक नाशपाती के पेड़ के पास आयी। वहाँ वह उस पेड़ के ऊपर चढ़ गयी और सो गयी।

सुबह सवेरे जब वह उठी तो उसने एक बुढ़िया को पेड़ के नीचे खड़े देखा। वह बोली — “मेरी बच्ची, तुम वहाँ ऊपर क्या कर रही हो?”

परीना ने उसको अपनी कहानी सुना दी कि वह किस मुसीबत में फँस गयी थी। बुढ़िया बोली — “तुम यह तीन पौंड चिकनाई लो, यह तीन पौंड डबल रोटी लो और यह तीन पौंड बाजरा लो और इस रास्ते चली जाओ।”

परीना ने उसको बहुत बहुत धन्यवाद दिया और वहाँ से चल दी। आगे चल कर वह एक डबल रोटी बनाने वाले की बेकरी पर आयी जहाँ तीन स्त्रियाँ ओवन साफ करने के लिये अपने बाल नोच रही थीं।

परीना ने उनको वह तीन पौंड बाजरा दिया जो उन्होंने ओवन साफ करने में इस्तेमाल कर लिया और उस लड़की को आगे जाने के लिये कहा।

वह फिर आगे बढ़ी तो उसको तीन बड़े कुत्ते मिले जो वहाँ से किसी भी आने जाने वाले के ऊपर भौंकते थे और उनके पीछे दौड़ते थेे। परीना ने उनको तीन पौंड डबल रोटी फेंकी तो वह उन्होंने खा ली और परीना को उसके रास्ते जाने दिया।

उसके बाद वह मीलों चली तो एक खून जैसी लाल रंग की नदी के पास आ पहुँची। वह सोच ही नही सकी कि वह उसे कैसे पार करे।

फिर उसे याद आया कि उस बुढ़िया ने उससे यह कहने के लिये कह रखा था —

कितना सुन्दर लाल पानी है, पर मुझे जल्दी जाना है नहीं तो मैं तुम्हें जरूर चखती

सो उस बुढ़िया की बात याद करके उसने वहाँ ऐसा ही कह दिया। ऐसा कहते ही उस नदी का पानी दो हिस्सों में बँट गया और वह उसमें से बने रास्ते में से उस नदी को पार कर गयी।

नदी के दूसरी तरफ परीना ने दुनिया का एक बहुत ही सुन्दर और बड़ा महल देखा। पर उसका दरवाजा इतनी जल्दी से खुल और बन्द हो रहा था कि उसके अन्दर किसी का भी घुसना मुमकिन नहीं था।

सो परीना ने उस दरवाजे के कब्जों में तीन पौंड चिकनाई लगायी तब कहीं जा कर वह बहुत धीरे से बन्द होने और खुलने लगा।

अब परीना उस महल के अन्दर चली गयी। उसने देखा कि खजाना एक मेज पर एक सन्दूकची में रखा है। उसने उस सन्दूकची को उठा लिया और वह उसको उठा कर वहाँ से ले कर जाने ही वाली थी कि वह सन्दूकची बोली — “ओ दरवाजे, इसको मार दे।”

दरवाजा बोला — “मैं इसे नहीं मार सकता क्योंकि इसने मेरे कब्जों में चिकनाई लगायी है जिनको किसी ने न जाने कबसे देखा तक नहीं है।”

परीना दरवाजे में से हो कर निकल गयी। जब वह नदी पर आयी तो वह सन्दूकची बोली — “ओ नदी इसको डुबो दे, इसको डुबो दे।”

नदी बोली — “मैं इसको नहीं डुबो सकती क्योंकि इसने मुझसे कहा है कि मेरा लाल पानी कितना सुन्दर है।”

लड़की अब चलते चलते कुत्तों के पास तक आयी तो सन्दूकची ने कुत्तों से कहा — “कुत्तों इसको मार दो, इसको काट लो।”

पर कुत्तों ने कहा — “नहीं, हम इसको नहीं काट सकते क्योंकि इसने हमको तीन पौंड डबल रोटी खिलायी है।”

फिर वह लड़की चलते-चलते बेकरी की दूकान पर आयी तो सन्दूकची ने ओवन से कहा — “इसको जला डालो, ओ ओवन इसको जला डालो।”

पर ओवन की जगह उन तीन स्त्रियों ने जवाब दिया — “हम इसको नहीं जला सकते क्योंकि इसने हमको तीन पौंड बाजरा दिया है और अब हमें इसको साफ करने के लिये अपने बाल नहीं नोचने पड़ेंगे।”

अब परीना करीब करीब अपने घर आ पहुँची थी। उसको भी उस सन्दूकची को देखने की उतनी ही उत्सुकता थी जितनी कि दूसरी छोटी लड़कियों को होती है सो उसने उस सन्दूकची को खोल कर उसमें झाँकने की सोची।

जैसे ही उसने वह सन्दूकची खोली तो उसमें से एक सुनहरी मुर्गी और उसके कई चूज़े निकल पड़े। वे तो उस सन्दूकची में से निकलते ही इधर उधर इतनी तेज़ी से भाग गये कि कोई उनको पकड़ ही नहीं सकता था।

परीना उनके पीछे पीछे भागी। वह सेब के पेड़ के पास से गुजरी पर वे चूज़े तो वहाँ थे ही नहीं। वह खूबानी के पेड़ के पास आयी पर वे तो वहाँ भी नहीं थे।

फिर वह नाशपाती के पेड़ के पास आयी तो वहाँ उसको वह बुढ़िया अपने हाथ में जादू की डंडी लिये खड़ी दिखायी दी और वे मुर्गी और उसके चूज़े उसके चारों तरफ दाना खा रहे थे।

वह बुढ़िया शू-शू चिल्लाती उनके पीछे भागी तो वह मुर्गी और उसके बच्चे फिर से सन्दूकची में घुस गये।

परीना उस सन्दूकची को ले कर जब महल वापस लौटी तो राजा का बेटा उससे मिलने के लिये बाहर आया और बोला — “जब मेरे पिता तुमसे कोई इनाम माँगने को कहें तो उनसे नीचे वाले कमरे में रखा कोयले का बक्सा माँग लेना।”

महल के दरवाजे की सीढ़ियों पर परीना का स्वागत करने के लिये राजा की नौकरानियाँ, राजा और सारा दरबार खड़ा था। परीना ने वह सुनहरी मुर्गी और उसके चूज़े राजा को दे दिये।

राजा बोला — “माँगो तुम क्या माँगती हो परीना? तुम जो भी माँगोगी मैं तुमको वही दूँगा।”

परीना बोली — “मुझे नीचे के कमरे में रखा कोयले का बक्सा चाहिये।”

राजा तो उसकी यह अजीब सी माँग सुन कर आश्चर्य में पड़ गया। उसको उसकी यह माँग कुछ अजीब सी जरूर लगी पर वह क्या करता। उसने उसको वायदा किया था कि वह जो माँगेगी वह उसको वही देगा सो राजा के नौकर नीचे के कमरे से वह कोयले का बक्सा तुरन्त ही उठा कर ले आये।

परीना ने उस बक्से को खोला तो उसमें से राजा का बेटा कूद कर बाहर आ गया जो उस बक्से के अन्दर छिपा बैठा था।

राजा ने खुशी-खुशी परीना की शादी अपने बेटे से कर दी और सब लोग खुशी-खुशी रहने लगे। 

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं की एक अन्य पुस्तक - रैवन की लोक कथाएँ में से एक लोक कथा यहाँ पढ़ सकते हैं. इथियोपिया की 45 लोककथाओंको आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी...)

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रचनाकार: इटली की लोक कथाएँ–1 : 8 एक छोटी लड़की जो नाशपाती के साथ बेची गयी // सुषमा गुप्ता
इटली की लोक कथाएँ–1 : 8 एक छोटी लड़की जो नाशपाती के साथ बेची गयी // सुषमा गुप्ता
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